नॉन वेज़ सेक्स स्टोरी – एक हसीन ग़लती 2

non veg sex story ek haseen galti मैं काँप उठी. अब कोई चारा नही था. मैं आधी नंगी थी ऐसे में वो बाहर निकला और कोई अंदर आ गया तो मैं बर्बाद हो जाउन्गि. मैने पेटिकोट का नारा खोला और धीरे से उसे नीचे गिरा दिया. वो मेरे पैरों में गिर गया. मैने पैर उस से निकाल लिए और पेटिकोट उठा कर एक तरफ रख दिया. अब मैं सिर्फ़ पॅंटी में उसके सामने खड़ी थी. मैं घबरा रही थी, शर्मा भी रही थी पर ना जाने क्यों एग्ज़ाइटेड भी थी. ये एग्ज़ाइट्मेंट मेरी गीली पॅंटी से सॉफ नज़र आ रही थी. मुकेश ने अपने सूपदे पर थूक लगाया और उसे रगड़ना सुरू कर दिया.

“हाई क्या जवानी है तेरी. अब ये पॅंटी भी उतार दे तो मज़ा आ जाएगा.”

“अब ये तो रहने दो मेरे बदन पर मुझे शरम आ रही है.” मैने कहा

“नही मेरी जान ये तो उतारनी ही पड़ेगी तुम्हे वरना मुझे मज़ा नही आएगा.”

मैने काँपते हाथों से पॅंटी को एक धीरे धीरे नीचे सरकाया. जब मेरी योनि का उपरी हिस्सा उसकी नज़रो की सामने आया तो वो अपने लिंग को ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगा. मैने धीरे धीरे पॅंटी नीचे सरका दी घुटनो तक.

“वाह क्या नज़ारा है. यही है जन्नत. नही नही ये चूत तो उस अँग्रेजन की चूत से भी प्यारी है. इसकी फांके बिल्कुल जुड़ी हुई हैं आपस में जैसे की कुँवारी चूत की होती है. पीनू भी खोल नही पाया इन फांको को. और इन्हे देख कर लगता है कि मनीष का छ्होटा सा लंड है. है ना सच कह रहा हूँ ना मैं.”

“तो हर किसी का इतना बड़ा होता है क्या. मनीष का जितना भी है मैं खुस हूँ उसके साथ.”

“खुस तो रहेगीं ही तू क्योंकि पत्नी है तू उसकी मगर तेरी चूत वो मज़ा नही ले पाएगी जिसकी की ये हकदार है. यार मैं लूँगा तेरी अब.”

मैं तो शरम से लाल हो गयी. बात ही कुछ ऐसी की थी उसने. मेरे पूरे शरीर में बीजली सी दौड़ गयी थी.

“देखो ऐसी बाते मत करो. मुझे कुछ कुछ होता है. और तुमने वादा किया था कि छुओोगे नही मुझे.”

“तेरी जैसी हसिनाओं को चोदने के लिए झुटे वादे करने पड़ते हैं वरना मेरे जैसे को तेरे जैसी भोसड़ी कहाँ मिलेगी.” वो बोला और आगे बढ़ कर मेरे से लिपट गया.

“आहह क्या कर रहे हो तुम छ्चोड़ो नही तो मैं चिल्लाउन्गि.”

“चील्लाओ ज़ोर से चील्लओ पर देख लो तुम्हारा ही बिगड़ेगा जो भी बिगड़ेगा हिहिहीही.” उसने बोला और मेरी योनि की फांको को मसल्ने लगा. ना चाहते हुवे भी मेरे शरीर में बिजली की एक लहर सी दौड़ गयी.

उसकी मोटी मोटी उंगलियाँ मेरी योनि की फांको को कभी रगड़ रही थी और कभी फैला रही थी. मैं तो मदहोश होती जा रही थी.

“क्यों कर रहे हो तुम मेरे साथ ऐसा आआहह छ्चोड़ो मुझे.” मैने नितंबो को झटका देते हुवे कहा. दरअसल मेरी योनि मचल उठी थी उसकी उंगलियों की चुअन के कारण और अब मैं खुद ही हिल हिल कर उसके हाथो को और ज़्यादा फील करना चाह रही थी अपनी योनि पर.

अचानक उसने मेरी योनि में उंगली डाल दी. “आआहह नही प्लीज़ आहह.”

वो मेरे आगे घुटनो के बल बैठ गया. उसकी उंगली धँसी हुई थी मेरी योनि में और मैं अपने नितंबो को आगे पीछे हिला रही थी. चाहती तो हट सकती थी पीछे मगर नही मैं हट ही नही पा रही थी. मैने उसकी तरफ देखा तो वो मेरी तरफ मुस्कुरा रहा था.

“अब ये चूत मेरी है, मुझे इसे मारने से कोई नही रोक सकता.” उसने अपने एक हाथ से अपने मोटे लिंग को सहलाते हुवे कहा. मैने शरम से आँखे बंद कर ली.

अचानक वो रुक गया और मैने सवालिया नज़रो से उसकी तरफ देखा. उसकी नज़रे कुछ ढूंड रही थी. तभी उसकी नज़र एक बोरी पर गयी. उसने वो उठा ली और फर्स पर बिछा दी.

“कुतिया की तरह मर्वओगि या सीधे लेट कर.” वो बेशर्मी से बोला.

मैं शरम से लाल हो गयी. “देखो कोई आ गया तो मुसीबत हो जाएगी.”

“कोई नही आएगा. वैसे भी हम इस आल्मिरा और संदूक के पीछे हैं.” उसने कहा और मेरे उभारों को मूह में ले लिया. मैं कराह उठी और उसके सर को थाम लिया दोनो हाथो से. ऐसा लग रहा था मैं तुरंत झाड़ जाउन्गि. पर मैं खुद को थामे रही.

अचानक वो हट गया और बोला, “कैसे दोगि बोलो ना.”

“जैसे तुम चाहो,” मैने बोल कर चेहरा ढक लिया हाथों में.

अचानक उसके हाथ फीसलते हुवे मेरे नितंबो तक जा पहुँचे.

“अरे वाह ये तो बड़े मुलायम हैं. ज़रा घूमना तो.”

मैं शर्मा गयी. उसने मुझे अपने आगे घुमा दिया और वो घुटनो के बल बैठ गया और मेरे नितंबो की दोनो गोलाईयों को सहलाने लगा.

“ओह यार क्या गांद है तेरी. ऐसी गांद आज तक नही देखी मैने.”

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मैं शरम से लाल हो गयी.

उसने मेरे नितंबों को फैलाया और अपनी नाक को उनकी दरार में फँसा दिया.

“उम्म्म क्या खुसबु है. बिल्कुल सॉफ रखती हो तुम गांद अपनी. यार मेरा मूड बदल गया है. मैं तेरी गांद मारूँगा अब.” उसने मेरी गांद के छेद पर उंगली घूमाते हुवे कहा.

मैं तो घबरा गयी. मैने अभी तक पीनू के लिंग से हुए दर्द को भूली भी नही थी और ये वही करने की बात कर रहा है.. और तो और इसका लिंग पीनू से मोटा और लंबा है..

“मैने अभी किसी को भी नही दी है ये, प्लीज़ आगे से ही कर लो.” मैने उस से झूठ बोलते हुए कहा

“फिर तो और भी मज़ा आएगा. कुँवारी गांद का मज़ा ही कुछ और होता है.” वो बोला और मेरी गांद में उंगली डाल दी.

“आआहह नही…..दर्द हो रहा है.” मैं धीरे से बोली.

“चलो तुम लेट जाओ पेट के बल, मैं तुम्हारे उपर लेट कर आराम से गांद मारूँगा.”

“नही नही मुझसे नही होगा ये, प्लीज़ आगे से कर लो ना. जब उंगली से ही दर्द हो रहा है तो तुम्हारा ये तो मेरी फाड़ ही देगा.” मैं गिड़गिडाई.

“नही फटेगी तुम्हारी. मैं खूब थूक लगा कर करूँगा. चिंता मत करो लेट जाओ.”

उसने मुझे बोरी पर पेट के बल लेटा दिया. मेरा मूह फर्स पर पड़ी मिट्टी पर आ टिका क्योंकि बोरी छ्होटी थी और मैं सिर्फ़ आधी ही बोरी पर थी. मैने तुरंत मूह सॉफ किया.

मेरे लेटते ही मुकेश मेरे उपर लेट गया. मैं तो दबी जा रही थी उसके बजन के नीचे. कहाँ मैं 45 किलो की कहाँ वो 90 किलो का. उसका मोटा लिंग मेरे नितंबो की दरार के उपर था और अंदर आने की कोशिस कर रहा था. मैं तो डर के मारे सहमी पड़ी थी. उपर से मुझे बाहर घूम रहे लोगो का भी डर था. रुकना चाहती थी मैं पर बात अब आगे निकल चुकी थी. ना मैं खुद को रोक सकती थी ना ही इस सुवर को. पता नही कैसा होगा अनल सेक्स. मुझे पता था कि दर्द बहुत होता है इसमे और मुकेश तो गधा था पूरा पता नही मेरे मासूम नितंबो का क्या होगा आज.

मुकेश ने मेरे नितंबो को फैलाया और और मेरे छेद पर थूक दिया दूर से. उसने तीन बार थुका मेरे छेद पर ताकि वो अच्छे से चिकना हो जाए.

“तू मेरे घर पे होती तो सरसो का तेल लगा देता तेरी गांद पर मगर यहाँ तेल कहाँ से मिलेगा. पर तू चिंता ना कर थूक से बात बन जाएगी.”

“ज़्यादा दर्द तो नही होगा ना.”

“तू चिंता मत कर थोड़ा तो होगा ही पर तू हिम्मत ना हारना.”

“आराम से डालना तुम, मुझे डर लग रहा है.” मैने धीरे से कहा.

“ऐसा कर तू दोनो हाथो से अपनी गांद जितना फैला सकती है फैला ले लंड को जाने में आसानी होगी.”

मैने दोनो हाथो से अपने दोनो नितंबों को थाम लिया और उन्हे नीचे की तरफ खींच कर उन्हे फैला दिया. अब मेरे नितंबो के बीच का गुलाबी होल उसके सामने था. उसना थोड़ा सा थूक अपने लिंग के मोटे सूपदे पर भी लगाया और फिर उसे मेरे मासूम गुलाब छेद पर टिका दिया.

“मैं एक झटका मारूँगा पहले ज़ोर से.”

“ज़ोर से क्यों आराम से करो ना.”

“तू नही समझेगी, गांद में आराम से कभी नही जाता लंड, पहला झटका ज़ोर का ही मारना पड़ता है.” वो बोला और खुद को आगे की ओर झटका दिया.

“उउऊयईीईईई मा मर गयी निकालो निकालो.” मैं दर्द से बिफर पड़ी. बेचैनी में मेरे हाथ भी मेरे नितंबो से हट गये. “निकालो इसे बाहर प्लीज़ मैं मर जाउन्गि आहह नूओ.”

“बस थोड़ी देर बस एक मिनिट सब ठीक हो जाएगा.” उसने मेरी गर्दन को चूमते हुवे कहा. वो मेरे उपर पड़ा था . वो भी पेट के बल मेरे उपर ही लेटा हुआ था. आधा लिंग अंदर धंसा हुआ था उसका मेरे नितंबो में और मैं दर्द से बहाल हो रही थी.

गतान्क से आगे………

अभी दर्द पूरा गया भी नही था कि उसने मेरे नितंबो को खुद ही दोनो हाथो से फैला कर ज़ोर से झटका मारा मेरी तो जान ही निकल गयी. मैने अपना हाथ मूह में दबा लिया कही मैं चिल्ला ना पडू.

“हटो मुझे नही करना अनल सेक्स. ये बहुत बेकार है. जान निकल गयी मेरी.” मैं गुस्से में बोली.

मगर वो नही माना. उसने तो झटके मारने शुरू कर दिए. मैं बेबस सी पड़ी रही. वो अब मज़े से मेरी मार रहा था. उसके बोझ के नीचे मैं मरी जा रही थी.

“आआहह नो आआहह.” मैं सिसकिया लेने लगी.

“धीरे धीरे जानेमन कोई सुन लेगा.”

मुझे अब जन्नत का स्वाद आने लगा था. उसका मोटा लिंग बहुत तेज रफ़्तार से मेरे नितंब के छेद से अंदर बाहर हो रहा था. मुझे यकीन ही नही हो रहा था कि मेरे छ्होटे से छेद में उसका इतना मोटा औजार घुस्स गया था. अजीब करिश्मा था ये भी. हम दोनो पसीने से लटपथ हो गये थे.

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“आहह बस रुक जाओ अब आआहह.” मैं झड़ने वाली थी.

“नही आज तेरी बहुत अच्छे से गांद मारूँगा साली हिहिहीही.” और उसने रफ़्तार और बढ़ा दी. मैं झाड़ गयी उसी वक्त. मगर जालिम नही रुका. वो मारे जा रहा था मेरी मासूम गांद को बड़ी बेरहमी से.

वो बीच बीच में मेरी पीठ को भी चूम रहा था.

“तुमने निशा को देखा क्या रमन?”

“अरे ये तो मनीष की आवाज़ है रूको.” मैने कहा.

“तो रहने दो मैं अब नही रुकने वाला.”

“नही तो भैया, क्या हुआ?” रमन ने कहा.

“पता नही कहाँ चली गयी ये अचानक. मम्मी बुला रही है उसे. अपना फोन भी नही उठा रही.”

मैने तुरंत अपना मोबाइल देखा जो कि पास ही पड़ा था मेरे. उसमे 20 मिस्ड कॉल थी. क्योंकि मोबाइल साइलेंट पे था इसलिए मुझे पता नही चला था कि मनीष कॉल कर रहा है.

“हटो मुझे जाना होगा.” मैने मुकेश को धीरे से कहा.

“अभी तो मज़ा आने लगा है. मैं अब नही रुक सकता. पूरी गांद मार कर ही रुकुंगा.” वो ज़ोर से धक्का मारते हुवे बोला.

“देखो मनीष मुझे ढूंड रहा है, कुछ तो शरम करो और कितनी देर से तो कर रहे हो जी नही भरा तुम्हारा.”

“ऐसी गांद मिलेगी मारने को तो किसका जी भरेगा. इसे तो मैं दीन रात मारता रहूं हाई क्या मस्त गांद है उफ़फ्फ़.” उसने रफ़्तार बढ़ाते हुवे कहा. मैं रुक ना पाई और फिर से झाड़ गयी.

बाहर मनीष की आवाज़ आ रही थी और अंदर ये सुवर मेरे उपर पड़ा मेरी गांद मार रहा था. अजीब से सिचुयेशन थी ये. कुछ देर बाद मनीष की आवाज़ आनी बंद हो गयी और मैने राहत की साँस ली और फिर से पूरी तरह मुकेश के धक्को में खो गयी.

मगर कुछ देर बाद दरवाजा खुला. मेरे तो पैरो के नीचे से ज़मीन ही खिसक गयी.

“स्टोर रूम है ये यार मोंटी चल यहाँ से.”

“क्या पता कुछ काम का समान हो रुक तो गुल्लू.”

मेरी तो साँस ही अटक गयी. मुकेश भी तुरंत रुक गया. मगर वो ऐसी पोज़िशन में रुका था जबकि उसका लिंग सिर्फ़ सूपदे को छ्चोड़ का बाहर था. हम दोनो ही जड़ हो चुके थे. मुकेश ने धीरे से खुद को नीचे किया और उसका मोटा लिंग मेरे अंदर फिसलता चला गया. ये बिल्कुल स्लो मोशन में हुआ. उसके ज़रा ज़रा सरकते हुवे लिंग को मैने अपने छेद की दीवारों पर बहुत अच्छे से महसूस किया. जब वो पूरा अंदर आ गया तो ना चाहते हुवे भी हल्की सी आहह मेरे मूह से निकल गयी. “आहह.”

“तूने ये आवाज़ सुनी क्या मोंटी?”

“हान्ं यार सुनी तो, चल भाग यहाँ से ज़रूर यहा भूत है.”

और वो दोनो दरवाजा बंद करके भाग गये. अब शायद उपर कोई नही था.

“निकाल लो अब बाहर और मुझे जाने दो. मनीष मुझे ढूंड रहा है.”

“नही अभी नही अभी तो बहुत मारनी है.” और वो फिर से शुरू हो गया.

“बाद में मार लेना मैं कही भागी नही जा रही हूँ प्लीज़ अभी मुझे जाने दो.” मैं गिड़गिडाई.”

“बाद में तू नही देगी मुझे पता है. पीनू के साथ तूने जो किया क्या मुझे नही पता. तू रोज रोज नही देती अपनी. तेरा मूड होता है कभी कभी ये मैं जान चुका हूँ हिहीही. आज ही जी भर के मारूँगा तेरी मैं.”

और जालिम ने तूफान मचा दिया मेरे पीचवाड़े में. इतनी रफ़्तार से मारने लगा वो मेरी मासूम गांद को कि फ़च फ़च की आवाज़ होने लगी. कोई भी बाहर होता अब तो सुन सकता था.

“उउउहह बस भी करो आहह” और मैं फिर से झाड़ गयी.

“बस अब मेरी बारी है” और उसने रफ़्तार की चरम को छू लिया और फिर अचानक ऐसी पिचकारी छ्चोड़ी उसने कि मेरी गांद की दीवारे गरम गरम पानी में नहा गयी. ये गर्माहट मुझे बहुत गहरे तक महसूस हुई.

“आआहह बस रुक भी जाओ.” मैने कराहते हुवे कहा. मेरी योनि एक बार फिर पानी छ्चोड़ चुकी थी. अजीब बात थी गांद में तो मज़ा आ ही रहा था मगर मेरी चूत भी मस्ती में पानी बहा रही थी. यही बात शायद अनल सेक्स को ख़ास बनाती है. मैने मन ही मन सोचा.

उसने हान्फ्ते हुवे अपने लिंग को बाहर खींच लिया. मैं तुरंत लड़खड़ते कदमो से खड़ी हुई और तुरंत कपड़े पहनने लगी. जब मैने ब्लाउस, पॅंटी और पेटिकोट पहन लिया तो उसने मुझे बाहों में भर लिया और मेरे होंटो को अपने सुवर जैसे होंटो में जाकड़ कर चूसने लगा.उस से अलग हो कर मैने अपने कपड़े पहने और जल्दी से बाहर आ गयी. दोस्तो उस दिन मैं बाल बाल बची दोस्तो आपको ये कहानी कैसी लगी ज़रूर बताना आपका दोस्त राज शर्मा

समाप्त



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