हेलो गाइस. हाउ अरे योउ ऑल? होप योउ ऑल अरे डूयिंग फाइन. सॉरी रीडर्स, की मेरी कुछ कहानी के नेक्स्ट पार्ट का आप लोग बेसब्री से इंतेज़ार कर रहे है. बुत कुछ हेल्त आंड फॅमिली इश्यूस की वजह से मैं नेक्स्ट पार्ट को पूरा नही कर पाया.
ई प्रॉमिस योउ, की नेक्स्ट पार्ट्स जल्द ही आपकी आँखों के सामने होंगे. सो चलिए बात करते है आज की इस कहानी की, जो ऑफ कोर्स मेरी नही बल्कि मेरे एक रीडर की है, जो पिछले काईं सालों से मुझे, ई मीन की मेरी स्टोरीस को फॉलो कर रहा है.
कुछ मंत्स पहले उसने मुझे मैल किया था, की उसकी भी एक स्टोरी बन चुकी है, जिसे वो सब के साथ शेर करना चाहता है. पर उसकी ख्वाहिश थी की मैं उसकी स्टोरी को नॅरेट करू. जो मेरी उस टाइम की सिचुयेशन के कारण मुमकिन नही था.
फिर मैने उसे कॉन्फिडेन्स दिया, उसे स्टोरी राइटिंग के कुछ स्टेप्स आंड टिप्स दिए, जिससे उसने अपनी स्टोरी खुद कंप्लीट की. अब मुझे उस स्टोरी में तोड़ा बहुत एडिटिंग करके पब्लिश करना आसान था. सो इस तरह ये स्टोरी का ये पार्ट आपके सामने पेश है. चलिए अब शुरू करते है आज की कहानी, उस रीडर की ज़ुबानी-
हेलो गाइस, मी नामे इस शाज़न, और मैं गुजरात की हिम्माटनागर सिटी में रहता हू. ज़्यादातर लोगों ने इस जगह का नामे शायद नया सुना है. ये नॉर्थ गुजरात में है, और एक बार तारक मेहता सीरियल में दया भाभी ने इसका ज़िकार भी किया था.
जैसा की मैने टाइटल में बताया है, मैं एक नेटवर्कर हू, सो मुझे सबसे पहले ये डिसक्लेमर देना है की “ये स्टोरी मेरी है, और जो कुछ मुझे हासिल हुआ वो मेरी मेहनत से हुआ है. आपकी स्टोरी भी मेरी जैसी हो ये ज़रूरी नही, वो मुझसे भी ज़्यादा अची हो सकती है. और मैने जो भी अचीव किया है, उससे भी अछा आप कम टाइम में अचीव कर सकते है.”
मैं अपने बारे में बतौ तो मेरी आगे अभी 22 यियर्ज़ है. मैं कॉलेज पस्सौट हू, एक लोकल सिटी में जॉब करता हू. मेरे घर में हम 3 लोग है, मैं, मों आंड दाद. पापा और मों दोनो बाइ प्रोफेशन डॉक्टर्स है. पर मों डॉक्टर की प्रॅक्टीस ना करते हुए, हाउसवाइफ है फिलहाल. मों और पापा दोनो प्रॅक्टीस करते थे. पर फिर पता नही क्यूँ, मों ने कुछ सालों से प्रॅक्टीस नही की, और अभी वो फुल टाइम हाउसवाइफ है.
काई बार मैने मों को उदास भी देखा है, घर पे ऐसे बैठे देख कर. और कभी तो इस बात को लेकर दोनो में छ्होटा सा झगड़ा भी हो जाता. पर पापा मों को माना करते की तुम सिर्फ़ घर संभलो. और हर बार मों को झुकना पड़ता. पापा की बात करू तो आवरेज टाइप से है. पर सेडेंटरी वर्क की वजह से वो थोड़े से मोटे हो गये है कुछ सालों में.
उनका पेट बाहर निकल आया है, और उसके ऑपोसिट है मों. मों के बारे में तो बताना ही पड़ेगा, क्यूंकी इस स्टोरी में असली हेरोयिन वही तो है. मों की आगे अभी 2025 के जन्वरी में 44 यियर्ज़ कंप्लीट हुए है. उनका असल नामे रहीज़ा है, पर उनका घर का नामे खुशी है. सो पापा उन्हे इस नामे से ही बुलाते, और इसलिए पड़ोसी भी उन्हे खुशी बेहन, या खुशी भाभी, या खुशी आंटी इसी नामे से बुलाते है.
मैने मार्क किया की मों को ये नाम उतना पसंद नही था. पर वो किसी को कुछ कहती भी नही थी. अब आते है मैं चीज़, उसका फिगर. वो जिम नही जाती थी, पर कभी-कभार घर में ही एक्सररसाइज़ कर लेती थी. पर मैं चीज़ थी उसका डाइयेट कंट्रोल, जिसकी वजह से उसकी बॉडी और शेप दोनो आज भी मेनटेन है.
अछा न्यूट्रीशियस खाना खाने की वजह से और आयिली, स्पाइसी, बाहर का फुड ना खाने के कारण इस आगे में भी उसके बाल काले, घने और शाइनी है. उसकी स्किन भी मस्त ग्लोयिंग है. उसकी बॉडी की बात करे तो अची हाइट है, 5.9 फीट और वेट करीबन 60 क्ग.
उसके बॉडी मेषर्मेंट की बात करू तो करेंट्ली 38-30-38 का फिगर है. जो मैने एग्ज़ॅक्ट्ली नंबर्स बाद में मालूम किया था. उसके बूब्स मस्त बड़े है, और आज भी थोड़े बहुत टाइट से है. तो ये शॉर्ट मैं बता दिया, जैसे-जैसे स्टोरी आयेज जाएगी, मैं उसकी बॉडी को डिस्क्राइब करूँगा.
अब ये जो कुछ भी हुआ, वो पिछले 1 साल के दौरान ही हुआ है. उसके पहले वो ओन्ली मेरी मों ही थी. जो लोग कहते है की 1 दिन में या 1 वीक में सेट हो गयी, तो मुझे वो सच नही लगता. खैर, जो भी हो. पर मुझे ‘रही’ की और जो भी अट्रॅक्षन सा हुआ, वो पिछले 1 साल में हुआ है, और 1 साल की मेहनत के बाद वो मुझे मिली.
अर्रे मैं ये तो बताना भूल गया की बाकी सब के लिए वो खुशी या रहीज़ा है, पर मेरे लिए वो रही (राही) है. और इसी से मैने उसको एक नयी पहचान दी, जो मैं आयेज आपसे बतौँगा.
तो ये सब कैसे हुआ, उसे शुरू से समझते है. पापा मुझे उनकी तरह डॉक्टर बनाना चाहते थे. पर मैने उनकी लाइफस्टाइल देखी थी. खाने का कोई टाइम नही. आधी रात को एमर्जेन्सी के लिए जाना. और एस्पेशली अपनी वाइफ को क्वालिटी टाइम ना दे पाना. ये सब देख कर मुझे नही बनना था. नो डाउट, पैसे आचे है, पर मेरी फिलॉसोफी है की तोड़ा ही कमाओ, पर लाइफ को आचे से एंजाय करो.
इसलिए मैने 12त में साइन्स ना लेकर, आर्ट्स लिया. उस टाइम पे दाद और मों दोनो नाराज़ हुए थे, पर क्या करते? बेटे की ज़िद के आयेज झुकना पड़ा. 12त के बाद मैने जैसे ही कॉलेज जाय्न किया, तब मेरी सोच पैसों को लेकर पूरी बदल गयी, की भाई बिना पैसों के आज के ज़माने में कुछ नही होता. और अब साइन्स तो ली नही थी, सो कोई अछा कोर्स भी नही हो सकता था.
मेरा एक फ्रेंड बना कॉलेज में, रुचिर, जिसके पापा नेटवर्क मार्केटिंग में थे. तो एक दिन मैं उनके घर पे गया हुआ था. तब अंकल किसी क्लाइंट को कुछ समझा रहे थे, अपने लॅपटॉप में कुछ दिखा कर. मैं एंतूसियास्टिक हो कर वहाँ बैठा, और मुझे उनका बिज़्नेस इंट्रेस्टिंग लगा. बाद में फिर सुनील अंकल ने मुझे नेटवर्क मार्केटिंग का कॉन्सेप्ट बताया, की कैसे बिना किसी बड़ी डिग्री के अपनी मेहनत से उसमे अची अर्निंग की जेया सकती है.
फिर उन्होने मेरी ईद लगा दी, उसमे जाय्निंग फ्री था सो. फिर उन्होने मुझे ट्रैनिंग के लिंक्स भेजना शुरू किया, जो उस कंपनी के थे. मुझे बचपन से ही नयी चीज़ें सीखने का अछा लगता है. सो मैं वो चीज़ें सीखने लगा.
1. पर्सन पर्सनॅलिटी कैसे इंप्रूव करे.
2. लोगों से आचे से बात-चीत कैसे करे.
3. अपना प्रपोज़ल कैसे रखे.
4. सामने वाले की नीड को कैसे आइडेंटिफाइ करे.
5. और लास्ट में अपना प्रॉडक्ट या सर्विस उसको उस तरह से बेचे, की उसे लगे की वहीं उसका सल्यूशन है. उसे ऐसा ना लगे की उसे कुछ बेचा गया है, बल्कि ऐसा लगे की उसने खुद खरीदा है. और लास्ट में था ऑब्जेक्षन को कैसे हॅंडल करे.
ये ट्रैनिंग में मुझे बहुत सारी चीज़ें सीखने को मिली. बिज़्नेस भले मैं करू या ना करू, पर नालेज और स्किल आचे से इंप्रूव होते थे. और जो चीज़ मुझे सबसे ज़्यादा अची लगी, की थर्ड पार्टी अप्रोच. मीन्स की सामने वाले को किसी और के नामे देकर बताना की उसे इस चीज़ की ज़रूरत हो तो बताना. पर आक्च्युयली उसी इंसान को उसी की ज़रूरत होती है.
जैसे की किसी मोटे से आदमी को आप बोलॉगे की भाई तेरे को पतला होना है, तो वो माना कर देगा, और ये भी बोलेगा की मैं थोड़ी ना मोटा हू. पर इसकी बजाए उसे ऐसा कहो की भाई, अगर तेरे सर्कल में किसी को पतला होना हो, तो मेरा कॉंटॅक्ट उससे करना, मैं उसकी हेल्प करूँगा. इस बात पे उसे बुरा भी नही लगेगा, और शायद वो बोल भी दे की क्या चीज़ है भाई, मुझे भी बता. मुझे भी पतला होना है.
अब हुआ यू की उस ट्रैनिंग में एक मेडम जो ज़ूम मीटिंग को होस्ट करती थी, नामे था यशस्वी माँ. उसका फिगर बहुत मस्त था. उसको देख कर ही दिल में आया की ऐसा फिगर छोड़ने को मिल जाए तो मज़ा ही आ जाए. पर हम जो सोचते है, वो होता नही है.
अब ट्रैनिंग के बाद नेक्स्ट चीज़ आती है कस्टमर बनाना, की जो हमसे प्रॉडक्ट्स ले, और इसलिए वो अंकल मुझे प्रॉडक्ट्स पर्चेस करने को बार-बार बोल रहे थे. पर मेरे पास उतने पैसे नही थे, और पापा से माँगने की हिम्मत नही थी. सो मैं उन्हे अवाय्ड करने लगा.
अब जो मैने उपर आपको मों की बॉडी का डिस्क्रिप्षन दिया था, वो आज का है. पहले वो थोड़ी मोटी सी, घ्रेलू टाइप, ज़ीरो कॉन्फिडेन्स वाली औरत थी. स्किन भी डल और फिगर भी. उसके पास भले ही डॉक्टर की डिग्री थी, पर कोई उसे देख कर कह नही सकता, की वो डॉक्टर होगी. पापा के लिए वो सिर्फ़ अपना घर और बच्चे संभालने की और रात में सेक्स की इक्चा सॅटिस्फाइ करने की चीज़ थी. सेम वैसे जैसे “म्र्स.” मोविए में दिखाया था.
मों की एक फ्रेंड है, रिंकू आंटी. जिसके साथ मों अपनी सारी बात मोस्ट्ली शेर करती थी. एक बार मैने उनकी बात को सुना था. मैं कॉलेज से घर जल्दी आ गया, गाते लॉक था, और उसकी एक चाबी बाहर गमले में होती है. अगर मों मार्केट गयी हो या कुछ हो तो घर खोलने में कोई दिक्कत ना हो. लेकिन अगर कोई घर के अंदर ही होता तो वो गाते की स्टॉपर भी बंद करता, जिसकी वजह से बाहर से कोई चाबी से भी गाते ओपन ना कर सके.
मुझे लगा मैं खटखतौ. पर फिर सोचा मों को डिस्टर्ब क्यूँ करू? इसलिए मैने वो चाबी को ट्राइ किया, और गाते खुल गया. मों शायद स्टॉपर लगाना भूल गयी हो. मैने बाग रखा, और मों की किसी से बात करने की आवाज़ आ रही थी किचन से. मैं वहाँ धीरे से गया, तो मों किचन में कुछ काम कर रही थी. उसके हाथ खराब थे शायद, सो कॉल स्पीकर पे रखी हुई थी.
मों उसे कह रही थी: यार रिंकू तू तो लकी है. तेरा हब्बी तुझे इतना प्यार करता है.
रिंकू आंटी: तेरा हब्बी भी तो करता है.
मों: हा, वो तो है. पर मुझे भी तो सॅटिस्फाइ होना चाहिए ना? एक तो साइज़ उतना नही, और टाइमिंग भी ज़्यादा नही हो पाता उनसे. पहले तो मुझको सहलाते भी थे, पर अब वो भी नही करते, काम की थकान की वजह से.
रिंकू: यार, टाइमिंग के बारे में तो मेरा हब्बी कमाल का है. मिनिमम 20 से 30 मिनिट तक छोड़ता है (रिंकू आंटी के मूह से ऐसे शब्द सुन के मुझे अजीब लगा. मुझे लगा मों उसे ज़रूर दाँटेगी.).
मों: यार, मेरा हब्बी तो 5 मिनिट्स में ही निपात जाता है.
(मों की वर्डिंग्स सुन कर मुझे अछा लगा, की मों भले ही प्रॅक्टीस ना करती हो. पर वो है तो डॉक्टर ही. और वो ऐसी वैसी लॅंग्वेज उसे नही करती.)
रिंकू: यार, तेरा पति तो डॉक्टर है. बेचारा तक जाता होगा काम करके.
मों: डॉक्टर हो या मज़दूर. उसकी वाइफ को वो बस रात को बेड में कैसे उसकी चुदाई करता है, उससे ही औरत को फराक पड़ता है.
(मों के मूह से भी चुदाई वर्ड सुन के मुझे फिर अजीब लगा. पर इस बार मज़ा आ रहा था.)
रिंकू: यार कुछ भी हो. पर जब हम कॉलेज में थे, तब नॅन्सी के भाई रॉबिन से चूड़ने में क्या मज़ा आता था!
मों: हा यार, उसका लंड भी कितना बड़ा और मस्त था. और कितनी देर तक छोड़ता था वो.
रिंकू: और वो भी अलग-अलग पोज़िशन में छोड़ता था.
(ये बातें सुन कर तो मेरे नीचे से ज़मीन सरक गयी, की मों और उसकी फ्रेंड एक ही गाइ से चुडवाई थी कॉलेज में. और वैसे देखा जाए तो हर क्लास में ऐसी लड़की तो होती है, जो सबसे चुड्ती रहती है. मेरी क्लास में भी स्नेहा नामे की एक ऐसी लड़की है. और शायद मों के टाइम की ये दोनो रही होगी रिंकू आंटी और मों.)
मों: सच में यार, क्या दिन थे वो. उस टाइम रॉबिन की एक ही चुदाई में दो से टीन बार झाड़ जाती थी. पर आज-कल तो झाडे हुए भी काफ़ी दिन हो गये, हाई रे किस्मत.
रिंकू: यार किस्मत तो नॅन्सी की थी, वो तो जब चाहे तब घर में झाड़ सकती थी.
मों: तू फिर शुरू हो गयी, यार वो सब तो अफवाह थी उस टाइम, जो नॅन्सी के एक्स ने उसे बदनाम करने को फैलाई थी. वो सब सच नही था.
रिंकू: तुझे भले ही यकीन ना हो, पर मुझे बात-बात में एक बार रॉबिन ने बताया था की वो नॅन्सी को छोड़ता था. शादी के बाद सब ब्फ-गफ़ ख़तम हो जाता है. पर भाई-बेहन तो हमेशा ही है. अगर आज नॅन्सी को उसका हब्बी सॅटिस्फाइ ना करता हो, तो उसके लिए रॉबिन है ही (और रिंकू आंटी हासणे लगी).
(ये सुन कर मुझे भी 440 का झटका लगा की रॉबिन अपनी सिस्टर नॅन्सी को छोड़ता था).
मों (तोड़ा मुस्कुराते हुए): तू पागल हो गयी है. और रॉबिन ने अपना सीक्रेट सिर्फ़ तुझे बताया, मुझे नही. जब की सेक्स तो उसने मेरे साथ भी किया था.
रिंकू: वो इसलिए मेरी जान, क्यूंकी तूने उसे सिर्फ़ अपना 1 ही होल दिया था, और मैने तीनो दिए थे. और तूने तो कसम खा रखी थी की अपनी गांद और मूह अपने हब्बी को ही देगी.
मों: ह्म. गांद वाला सही है, पर मूह में तो मैने भी लिया था काई बार उसका.
रिंकू: सिर्फ़ लिया था, पानी तो नही पिया था ना? यहीं फराक है. मैने अपने 3 होल्स में उसका पानी निकलवाया था, और पानी भी पिया था. तभी वो मुझसे अपनी सारी बात शेर करता था. उसने तो मुझे ये भी बताया, की जब उसने तेरी छूट पहली बार मारी, तब तुम वर्जिन नही थी.
मों (तोड़ा लड़खड़ते हुए): अर्रे ऐसा कुछ नही है. वो मेरा फर्स्ट टाइम ही था.
रिंकू: तेरी मर्ज़ी, ये बात तूने पहले भी आक्सेप्ट नही की थी, और वैसे भी अब क्या. हम दोनो की शादी हो चुकी है, और हमारे बच्चे भी है. सो ये पुरानी बातें है. बस मैं चाहती हू की तू हॅपी रहे, और तुझे भी कोई अछा छोड़ने वाला मिल जाए, जिसका लंड भी बड़ा हो, और ज़्यादा टाइमिंग तक तुझे छोड़े.
अब मैं मों और रिंकू आंटी को इमॅजिन करने लगा की कैसे वो नंगी हो कर बड़ा लंड अपने होल्स में लेती होंगी. रिंकू आंटी और मों की ये बात सुन कर और उनको इमॅजिन करते हुए जब मेरी नज़र मेरे तनने हुए लंड पर पड़ी, जो खड़ा हो कर 8½” का हो गया था. मेरे दिमाग़ में ना-जाने ये बात आई की क्या मों और रिंकू आंटी ने जिस बड़े लंड को लिया था, वो ऐसा होगा क्या?
फिर अपने खड़े लंड को देखार मैं सोचने लगा, की ये मेरा लंड जो अभी फुल्ली टाइट हो चुका था, वो रिंकू आंटी को सुन कर खड़ा हुआ था, या फिर अपनी ही मों के बारे में सोच कर?
ये मेरा 1स्ट्रीट पार्ट आपको कैसा लगा, कॉमेंट्स में ज़रूर बताईएएगा. आप चाहो तो ऑतर को उनकी ईद पे मैल भी कर सकते है उनकी ईद पर: