हेलो दोस्तों मैं सोनू. जैसा की मैने पिछले पार्ट में बताया था, की मैं मम्मी को सबक सिखाता हू. अभी मम्मी को और सबक सीखना बाकी था. फिर मैं घर से बाहर निकलता हू, तो बड़ी मम्मी नहाते हुए मेरे को दिख जाती है. मैं बड़ी मम्मी को बातों में फ़ससा के उनके साथ नहाने वाला होता हू. अब आयेज-
मैं तुरंत अपने कपड़े उतार के नंगा हो जाता हू. बड़ी मम्मी मेरा खड़ा लंड देखती है, और तोड़ा मुस्कुराती है. मैं बड़ी मम्मी के पास जाके उनके सामने बैठ जाता हू.
फिर बड़ी मम्मी मेरे को घुमा देती है, और मेरी पीठ बड़ी मम्मी की तरफ हो जाती है. उसके बाद बड़ी मम्मी मेरी पीठ में साबुन लगती है. मैं हल्का-हल्का सा पीछे होने लगता हू, और बड़ी मम्मी का दूध मेरी पीठ में टच होने लगता है.
फिर बड़ी मम्मी मेरे को अपनी तरफ घुमा लेती है, और मेरी छ्चाटी और पेट में साबुन लगती है. फिर मेरे पैरों में साबुन लगती है. मैं बोलता हू-
सोनू: बड़ी मम्मी मेरे लंड पे भी साबुन लगाओ ना.
बड़ी मम्मी मुस्कुराते हुए बोली-
रंजीता: अछा ठीक है.
फिर बड़ी मम्मी मेरे लंड और टॅटन पर साबुन लगती है, और मेरे को लंड को पकड़ के मुट्ठी मारने जैसा आयेज-पीछे करती है. फिर मैं बड़ी मम्मी के दूध को पकड़ लेता हू, और दबाने लग जाता हू. बड़ी मम्मी बोली-
रंजीता: सोनू ये तू क्या कर रहा है? हटा अपना हाथ.
सोनू: बड़ी मम्मी आपका दूध कितना बड़ा और मुलायम है, और आपके निपल्स भी कितने प्यारे है. मैं आपका निपल चूस लू?
बड़ी मम्मी मेरा हाथ हटाई और बोली-
रंजीता: जब तू नहाने के लिए नाटक कर रहा था, तभी मेरे को तेरे उपर शक हो गया था.
सोनू: अब मैं क्या करू बड़ी मम्मी. आप हो ही इतनी खूबसूरत. मैं तो चाह के भी अपने आपको रोक नही पा रहा हू.
रंजीता: शरम कर ले, मैं तेरी बड़ी मम्मी हू.
सोनू: मैं आपकी खूबसूरती का दीवाना हो गया. इसमे मेरी क्या ग़लती?
रंजीता: चुप कर तू. अपने कपड़े पहन और जेया यहा से.
सोनू: आपका स्वाद चखे बिना मैं यहा से नही जौंगा.
फिर मैं सीधा बड़ी मम्मी की छूट में उंगली घुसा देता हू, और बड़ी मम्मी की छूट को अपनी उंगली से छोड़ने लगता हू. बड़ी मम्मी मेरे को रोकने की कोशिश करते रहती है. लेकिन मैं नही रुकता हू.
रंजीता: अया छ्चोढ़, ऐसा मत कर अया सेयेल कमीने मत कर.
सोनू: नही छ्चोधुंगा.
धीरे-धीरे बड़ी मम्मी अपना काबू खोने लगती है, और मदहोश होने लगती है. फिर मैं बड़ी मम्मी का दूध को चूसने लगता हू.
रंजीता: अया ऑश मत कर अया.
मैं और ज़ोर से छूट में उंगली करने लगता हू, और दूध को भी ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगता हू. अब बड़ी मम्मी को मज़ा आने लगता है.
रंजीता: अया और कर अयाया ऑश.
फिर मैं बड़ी मम्मी को खींच के अपनी गोदी में बिता लेता हू, और अपना लंड बड़ी मम्मी की छूट में घुसा देता हू. मेरा पूरा लंड एक ही बार में बड़ी मम्मी की छूट में घुस जाता है.
रंजीता: आआआः, बता के डालता ना.
फिर मैं बड़ी मम्मी के होंठो को चूस्टा हू. बड़ी मम्मी भी मेरा साथ देते रहती है. फिर मैं बड़ी मम्मी के बड़े-बड़े छूतदों पर थप्पड़ मारता हू.
रंजीता: अया.
एक और थप्पड़.
रंजीता: अया.
फिर मैं बड़ी मम्मी के चूतड़ को पकड़ के उपर-नीचे करता हू. तभी बड़ी मम्मी खुद ही मेरे लंड पे उछालने लगती है.
रंजीता: अया आआहह, मज़ा आ रहा है अयाया अया.
बड़ी मम्मी मज़े से मेरे लंड पर उछालती रहती है, और मैं बड़ी मम्मी के दूध चूस्टे रहता हू.
रंजीता: अया अया आ और छोड़ ना बेटा मेरे को, अया अया. बहुत मस्त लंड है तेरा अया अयाया अया.
फिर मैं बड़ी मम्मी को ज़मीन पर लिटा देता हू, और अपना लंड बड़ी मम्मी की छूट में डाल कर ज़ोर-ज़ोर से छोड़ने लगता हू.
रंजीता: अया अयाया मज़ा आ रहा है अया अया, और छोड़ बेटा अया आ.
फिर मैं अपनी रफ़्तार और तेज़ कर देता हू.
रंजीता: अया अयाया आ मज़ा आ रहा है.
अब मैं झड़ने वाला रहता हू.
सोनू: बड़ी मम्मी मैं झड़ने वाला हू, कहा निकालु?
रंजीता: मेरी छूट में ही झाड़ जेया. मैं भी झड़ने वाली हू.
फिर मैं बड़ी मम्मी की छूट में ही झाड़ जाता हू, और बड़ी मम्मी भी झाड़ जाती है. फिर हम दोनो लिपट के लेते रहते है. मैं बोला-
सोनू: कैसा लगा बड़ी मम्मी?
रंजीता: अर्रे बहुत मज़ा आया. मेरे को नही पता था की तू इतनी अची चुदाई करता है. अगर पता होता तो पहले ही तेरे से चुड लेती.
सोनू: तो अब पता चल गया ना?
रंजीता: हा चल गया पता. तू मेरा प्यास बुझा दिया, मज़ा आ गया.
रंजीता: अब से मैं तेरी रंडी हू. जब मॅन करे मेरे को चोद लेना.
सोनू: हा आप अब से मेरी रंडी हो. लेकिन एक बात बताओ, बड़े पापा आपकी प्यास नही बुझा पाते है क्या?
रंजीता: अर्रे तेरे बड़े पापा तो मेरे को भूल ही गये है. वो हर टाइम गाओं की औरतों को छोड़ने में लगे रहते है. क्यूंकी गाओं में उनका बहुत रुतबा है. और मेरे उपर ध्यान ही नही देते है.
रंजीता: मैं बस अपनी छूट में उंगली करके काम चलती हू. इसी वजह से मेरी छूट प्यासी ही रह जाती है. लेकिन आज तू मेरी सारी प्यास बुझा दिया.
सोनू: आप अब चिंता मत करो मेरी जान. मैं आपकी छूट की प्यास बूझौँगा.
रंजीता: हा बेटा, मैं खुद तेरे पास आके तेरे चुड़ूँगी. पर तू जल्दी से यहा पर से जेया. अगर कोई देख लिया तो दिक्कत हो जाएगी.
सोनू: हा जाता हू.
फिर मैं तोड़ा और नहा के अपने आपको सॉफ किया. मैं कपड़े पहन के वाहा से निकल गया, और सिगरेट पीते हुए घूमने लगा. काफ़ी देर घूमने के बाद मैं वापस घर पे आ गया और अपने रूम में जाके देखा तो मम्मी अभी सो रही थी. मैं भी वही पर बैठ के फोन चलाने लग गया. थोड़ी देर में बड़ी मम्मी नाश्ता लेकर आती है, और बोलती है-
रंजीता: अर्रे ये क्या, तेरी मम्मी सो रही है?
सोनू: हा बड़ी मम्मी, उतोऊ क्या?
रंजीता: नही मत उठा, सोने दे. ऐसे भी कल रात सोई नही है संगीत के वजह से.
सोनू: हा ठीक है.
रंजीता: बेटा मैं तेरे लिए नाश्ता लाई हू. ऐसे भी आज नहाते हुए तू मेरे साथ बड़ी मेहनत किया है. नाश्ता कर ले, थोड़ी ताक़त आएगी.
सोनू: मेहनत करने का मॅन तो मेरा अभी भी है.
रंजीता: अर्रे अभी नही. मैं तेरे को अकेले में मिलूंगी तब करेंगे. अभी मेरे को घर का काम करना है.
सोनू: ठीक है बड़ी मम्मी.
फिर बड़ी मम्मी नास्था दे कर चली जाती है, और मैं नाश्ता करता हू. कुछ देर बाद मैं नाश्ते वाली प्लेट नीचे किचन में रख देता हू. फिर मैं घर में तोड़ा घूमता हू, तो देखता हू बड़ी मम्मी और चाची दोनो काम में बिज़ी रहती है. और बाकी के मेहमान भी आपस में बात-चीत करते बिज़ी रहते है.
मैं घर में बोर होते रहता हू. फिर मैं कार लेकर गाओं में घूमने निकल जाता हू. मैं घूमते हुए नदी के पास आ जाता हू, और नदी के किनारे कार रोकता हू. फिर मैं कार से बाहर निकलता हू, तो वाहा का नज़ारा बहुत खूबसूरत रहता है. ठंडी-ठंडी हवा चलती रहती है, सामने की तरफ पहाड़ दिखाई देता है.
मैं मस्त कार की च्चत के उपर बैठ के सिगरेट पीने लगता हू. तभी मैं देखता हू थोड़ी ही दूरी पर बड़े पापा और उनके साथ 3 आदमी और रहते है. वो लोग जंगल के अंदर जाते दिखाई देते है. मैं तोड़ा सोच में पद जाता हू की ये लोग यहा क्या करने आए थे.
फिर मैं भी चुप-छाप उनका पीछा करते हुए जंगल में जाता हू. वो लोग एक जगह पर बैठ जाते है और दारू निकाल कर पेग बनाने लग जाते है. मैं एक झाड़ी में च्छूप कर सब देखते रहता हू. फिर दारू पीते हुए वो लोग बात करते है.
बड़े पापा तीनो का नाम लेते है. एक आदमी का नाम मंगलू रहता है, और एक का रामू, और एक का नाम मंगेश रहता है. ये लोग बड़े पापा के दोस्त रहते है. दारू पीते हुए बड़े पापा बोले-
सुरेश: सुनो बे भोंसड़ी वालो, मेरी बेटी की शादी हो जाए, उसके बाद मेरी भी शादी है.
मंगलू: तेरी शादी, और तू किससे शादी कर रहा है?
मंगेश: और सुरेश तेरे को शादी की क्या ज़रूरत है? इस गाओं की सभी औरतें तो तेरी रंडिया है.
सुरेश: सब बता रहा हू, सुनो. मेरा भाई था ना संजय जो शहर में रहता था. उसकी बीवी है रेशुमा. उससे शादी करूँगा मैं.
मंगलू: अर्रे पर तेरे को उससे शादी करने की क्या ज़रूरत? अपनी रंडी बना कर यही रख ले उसको. ऐसे भी तेरा भाई तो मॅर चुका है.
सुरेश: सुन उसका एक बेटा है सोनू. उससे वो बहुत ज़्यादा प्यार करती है, और अपने बेटे को छ्चोढ़ कर रेशुमा मेरे साथ नही रहेगी.
मंगेश: जब उसको अपने बेटे से इतना प्यार है, तब तो वो तेरे से शादी भी नही करेगी.
सुरेश: बिल्कुल करेगी.
मंगलू: कैसे?
सुरेश: मैं अभी कुछ टाइम पहले शहर गया था. तो मैं रेशुमा के घर में ही रुका था. और उसी बीच उसको पत्ता लिया, और एक हफ्ते तक रग़ाद के छोड़ा हू. और मैं चुप-छाप से अपने फोन में अपना और रेशुमा की चुदाई का वीडियो बना लिया हू, और रेशुमा को इस बारे में पता भी नही है.
सुरेश: मैं मेरी बेटी की शादी के बाद रेशुमा को उस वीडियो को दिखौँगा, और बोलूँगा मेरे से शादी कर, वरना ये वीडियो इंटरनेट में डाल दूँगा. फिर रेशुमा को मेरे से शादी करनी ही पड़ेगी. और एक बार मेरी शादी रेशुमा से हो गयी, तो रेशुमा को यही रहना पड़ेगा, और उसके बेटे को बिज़्नेस संभालने के लिए शहर में रहना पड़ेगा. फिर रेशुमा पूरी तरह से मेरी रंडी बन जाएगी.
मंगलू: वाह, मस्त सोचा है. लेकिन उसका बेटा तेरी और रेशुमा की शादी के लिए मानेगा?
सुरेश: ये वीडियो देखने के बाद रेशुमा खुद ही अपने बेटे को माना लेगी.
मंगेश: बढ़िया प्लान है तेरा.
सुरेश: हा.
फिर वो लोग दूसरी बातें करने लग जाते है, और मैं वाहा से चुप-छाप से निकल जाता हू. ये सारी बात सुन के तो मेरा दिमाग़ घूम जाता है. मैं ये सोचते रहता हू की अब मम्मी को बड़े पापा से कैसे बचौ. मेरे को कैसे भी करके बड़े पापा का फोन चाहिए था ताकि मैं मम्मी और बड़े पापा का चुदाई वाला वीडियो डेलीट कर साकु.
मैं यही सोचते हुए घर आ जाता हू. आयेज क्या हुआ वो मैं अगले पार्ट में बतौँगा. कहानी पढ़ कर फीडबॅक ज़रूर दे.