बोला- लगता है मालिक इसको चोदते नहीं है.. इसकी फुद्दी बड़ी टाइट है.. लग ही नहीं रहा है कि ये दो माल टाइप की लड़कियों की माँ है।
मैं बोली- मैं तुम्हारा लण्ड नहीं झेल पाऊँगी, तुम्हारे मालिक का लण्ड तो इसका आधा है।
वे दोनों हँसने लगे।
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इतने में रज्जन ने अपना लण्ड में मेरी चूत के मुँह पर रख दिया.. और कामुकता से मुझे देखते हुए एक जोर का झटका लगा दिया। मेरी चीख निकल गई- ओहीईई.. मररर्र.. गई।
तभी दीप मेरी चूचियों को सहलाने लगा, मेरा दर्द भी कुछ कम हुआ..
तभी एक और ज़ोर का झटका लगा.. मेरी आँखों के सामने अंधेरा छा गया, मैं रोने लगी- मरर.. गई.. आहह.. छोड़ दो मुझे..
हालांकि मैं कोई कुंआरी लड़की नहीं थी फिर भी मुझे सील टूटने जैसा दर्द हो रहा था।
कुछ देर के बाद रज्जन धीरे-धीरे धक्का लगाने लगा, अब मुझे भी मज़ा आने लगा, मैं उसका साथ देने लगी करीब 10 मिनट के बाद उसने अपना माल मेरी चूत में छोड़ दिया।
इस बीच मैं दोबारा भी झड़ चुकी थी।
रज्जन के बाद दीप ने भी मुझे चोदा.. उस दिन मेरी चार बार चुदाई हुई।
बेटियों के आने से पहले मैं बेडरूम में जाकर सो गई। मुझसे चला भी नहीं जा रहा था।
इसके बाद तो मुझे बड़े लौड़े से चुदने की आदत हो गई।
यह मेरी एकदम सच्ची कहानी है.. मुझे इस बात की उत्सुकता है कि आप सभी को यह कहानी कैसी लगी।
मेरी अगली कहानी में पढ़िए रज्जन ने कैसे स्नेहा की सील तोड़ी.. तब तक के लिए नमस्ते।