ननंद के पति साथ होली

हाय मेरा नाम रिया शर्मा हैं और मेरी उम्र 32 साल की हैं. मेरी शादी को 10 साल हो गए हैं. और आज मैना अप को जो कहानी बताउंगी वो मेरी और मेरी नंदोई यानी के मेरे पति के जीजा की हैं. मेरे पति की सिर्फ एक ही बहन हैं. वो मेरे पति से 3 साल बड़ी हैं. वो अपने पति के साथ दिल्ही में रहती हैं. वो बड़ी सुन्दर हैं और उसके पति यानी की मेरे नंदोई उस से भी सुन्दर हैं. वो एक चौड़े सीनेवाले मर्द हैं जैसे की हर औरत चाहती हैं.
मेरे नंदोई काफी मजाकिया हैं और मेरी उनके साथ अच्छी बनती हैं. क्यूंकि मेरी ननंद मुझ से उम्र में बड़ी हैं इसलिए मैं नंदोई के साथ मजाक कर सकती थी. लेकिन फिर मुझे लगा की नंदोई के मन में कुछ चल रहा था क्यूंकि वो अलग ही भाव से मुझे देखते थे. आर जब मैं अकेली होती तो कभी कमर के ऊपर चिकोटी या कभी मेरे इतने करीब आ जाते की मैं उनकी साँसे सुन सकती थी. उनकी यह हरकतें मुझे अंदर से अच्छी लगती थी लेकिन मैं नाटक करती थी की मुझे पसंद नहीं हैं ऐसा सब.

तब होली का मौका था और मेरी ननंद अपने पति के साथ आई थी मेरे ससुराल में. हमारें यहाँ होली बड़ी शान से मनाते हैं और फिर जीजा साले वगेरह में तो कोई भी त्यौहार मस्त ही होता हैं. उस दिन भी ऐसा ही हुआ. ननंद तो 10-15 मिनिट होली खेल के बैठ गई लेकिन मेरे नंदोई तो मेरे पीछे ही पड़ गए थे जैसे. उन्होंने मुझे खूब रंगा और सब के सामने ही मेरी कमर तक को रंग से लपेड दिया. मैं भाग के अपने कमरे में घुसी और वो वहां भी पीछे आ गए. मैंने दरवाजा बंध करने का प्रयास किया लेकिन वो उसे खोल के अंदर आ घुसे. और अंदर घुसते ही उन्होंने अपने हाथो से मुझे दबोच लिया.
जीजा जी मुझे और मत रंगों प्लीज़…मैं छूटने की कोशिश करते हुए बोली.
नहीं, मैं तुम्हे रंग नहीं लगाऊंगा लेकिन भागने की सजा जरुर दूंगा.
और मैं कुछ समझू उसके पहले तो उनका हाथ मेरे ब्लाउज के ऊपर से अंदर घुसा और मेरे बूब्स दबाने लगा.
आप क्या कर रहे हो जीजा जी? छोड़ दो मुझे प्लीज़….!
अरे सजा तो दे देने दो सही तरह से फिर छोड़ता हूँ. वो बड़ी ही बेदर्दी से मेरी चुन्चिया मसल रहे थे. मेरे बूब्स में दर्द सा होने लगा था.
जीजा जी छोड़ दो, कोई देख लेगा प्लीज़…!
अरे कोई नहीं देखेंगा, मसलने दो ना. बड़े दिन से देख रहा था इन्हें आज मौका हाथ आया हैं.
अब उनके हाथ से मुझे भी मजा आ रहा था. लेकिन मुझे डर था की कोई आ गया तो बहुत प्रॉब्लम होगा.
मैंने कहा, जीजा जी प्लीज़ छोड़ दो मैं आप के हाथ जोडती हूँ…!
जाने दूंगा लेकिन पहले एक वादा करना होंगा तुम्हे, वो बोले.
कैसा वादा, मैं अभी भी अपने बूब्स छुड़ाने का प्रयास कर रही थी.
रात को स्टोर रूम में आना होगा तुम्हे…वो बोले.
अरे किसी ने देख लिया तो, मैं नहीं कर सकती यह वादा…मैंने कहा.
तो फिर यहाँ से नहीं जाऊँगा मैं और अगर किसी ने देखा तो मैं तुम्हे ही बदनाम कर दूंगा….अब मैं फंस चुकी थी जीजा की चाल में. वो बूब्स दबाता रहा और मैं सोचने लगी.
मैं खाने के बाद सब के सोने के बाद स्टोर रूम में रहूँगा, तुम तुम्हारे पति के सोने के बाद वहा आ जाना.
मैंने हां में सर हलाया तभी उन्होंने मुझे छोड़ा. मैं भाग के निचे आई. जैसे कुछ हुआ ही ना हो वैसे मैंने पूरा दिन निकाला और सच कहूँ तो मैं भी रात होने का ही इन्तजार कर रही थी. रात को पति ने खाया और वो सोने गए. मैंने कहा की मैं अपनी दीदी को फोन कर लूँ. मेरी दीदी अमेरिका में रहती हैं और मैं अक्सर उसके साथ 1-2 घंटे बात करती थी. पति ने कहा पानी दे दो और जाओ. मैंने पानी की बोतल टेबल पर रख दी और मैं मोबाइल ले कर निचे आ गई. स्टोर रूम की लाईट बंध थी लेकिन मैंने देखा की दरवाजा खुला था. अंदर जाने से पहले मैंने पुरे घर का चक्कर लगा के देखा की कोई जाग तो नहीं रहा हैं. होली की थकान सब पर चढ़ी थी और सभी कमरे बंध थे. मेरी ननंद का कमरा खुला था. लेकिन मैंने चुपके से झाँक कर देखा की वो भी सोई हुई थी. उम्मीद के मुताबिक़ नंदोई बेड पर नहीं थे.
मैं स्टोर रूम में घुसी तभी एक मजबूत हाथ ने मुझे खिंचा. मैं सीधे उनकी बाहों में ही आ गई. वो मुझे गर्दन पर चूमने लगे और बोले, बड़ी देर कर दी आने में.
मैं कुछ नहीं बोली, उन्होंने मुझे दो तिन किस की और छोड़ दिया. फिर मेरे सामने उनके बदन से टी-शर्ट और नैट पेंट उतर गई. अंदर एक चड्डी थी जो उनके लंड को ढांक रही थी. उसे भी उन्होंने फट से उतार फेंका. बाप रे नंदोई बिना किसी शरम के नंगे हो गए मेरे सामने और उनका लिंग खड़ा था खम्बे की माफिक. उन्होंने मुझे कहा, चलो अपने कपडे भी उतार दो जल्दी से.
मैं बोली, मुझे शरम आ रही हैं.
वो बोले, शरम को बेच के क्या महल बनाओगी मजे ले लो जिन्दगी के, मेरी बीवी सुन्दर हैं फिर भी मैं बहार की बिरयानी ढूंढता हूँ और तुम्हारा पति तो इतना सुन्दर भी नहीं हैं. आज असली मर्द की बाहों में झूल के देखो चुदाई का असली मतलब समझा दूंगा.
एक तरह से वो मुझे पानी चढ़ा रहे थे. मैं नाईट गाउन पहने हुए थी. अब वो मेरे पास आये और मुझे मदद करने लगे कपडे उतारने में. उन्होंने बटन खोले और गाउन को निचे फेंक दिया. अब मैं सिर्फ काली ब्रा में और पेंटी में थी. उनका हाथ मेरे बूब्स पर आ गया और वो उसे फिर से दबाने लगे. कमरे में बहुत अँधेरा था लेकिन अब हम एक दुसरे को देख सकते थे. जीजा का लंड जैसे अंधेर में चमक रहा था. मेरे पति से वो लंड काफी लंबा था और मोटा भी. मैं बिच बिच में अपनी आँखे वही लगा देती थी उस लंड के ऊपर.
वो भी समझ गए और बोले, कैसा लगा मेरा तोता. तुम्हारी दीदी को तो बड़ा लगता हैं और उसे तो हर दुसरे दिन सेक्स चाहियें होता हैं.
मैं कुछ नहीं बोली और उन्होंने अब मेरी ब्रा को खोलने के लिए कहा, चलो जल्दी से अपनी ब्रा और पेंटी को खोल दो.
मुझे अब थोड़ी शर्म आ रही थी इसलिए वो खुद ही आगे आये और मेरा हाथ पकड के अपने लंड पर रख दिया. उनका लंड बहुत ही गरम था. मैंने अपने हाथ में लंड को दबाया और उन्होंने पीछे हाथ कर के मेरी हुक खोल डाली. बाप रे उन्होंने पेंटी को तो एक ही झटके में मेरे बदन से दूर कर दिया. अब मैं भी नंगी थी उनकी ही तरह. वो मेरी चूत के ऊपर हाथ फेर रहे थे. चूत के बाल को वो हाथ से घिसते रहे और बोले, लंड चुसो ना मेरा जल्दी से.
अब मेरे अंदर की उत्तेजना भी बहार आ गई. मैंने सोचा की चलो अब चुदवाना ही हैं तो मजे लेकर क्यूँ नहीं. मैं घुटनों के ऊपर जा बैठी और उनके लंड को सीधा मुहं में डाल के चूसने लगी. नंदोई को भी मेरी उत्तेजना का ख्याल आ गया होंगा, वो सिर्फ एक शब्द बोले, मस्त….!
मैं उस 8 इंच लम्बे और ढाई इंच चौड़े लंड को मुहं में चलाने लगी और वो मेरे बाल पकड कर मुझे अपने लंड के ऊपर मसल रहे थे. मेरे गले तक उनका लंड घुसा हुआ था और मेरी सांस जैसे रुकने ही वाली थी. बाप रे इतना मोटा लंड मैंने इस से पहले कभी नहीं चूसा था. नंदोई को भी बड़ा मजा आ रहा था और वो आह आह कर के मुझे लंड चूसने के लिए कह रहे थे, निचे के बॉल्स भी चूसो डार्लिंग.
अब मैं निचे के अंडकोष के ऊपर जबान फिराने लगी और वो आह आह कर के मजे लुटने लगे. अब उनकी हालत ख़राब ही चुकी थी. उन्होंने अब लंड मेरे मुहं से निकाला और बोले, लाओ आज मैं तुम्हे चूत चाट के देता हूँ.
उन्होंने मुझे अपने कंधे के ऊपर उठा लिया और मुझे कौने की गेहूं की बोरीयों के ऊपर बिठा दिया. फिर मेरी टांगों को फैला के वो बिच में बैठ गए. उनका मुहं सीधे ही मेरी चूत में आ घुसा और वो अपनी जबान से मुझे मजे देने लगे. वो चूत के दाने को और छेद को लपलपा के चाट रहे थे, मैं तो जैसे की स्वर्ग में घूम रही थी उस वक्त. उन्होंने अब चूत के छेद में जबान डाल दी और मैं पगला सी गई. बाप रे क्या मस्त चूस रहे थे मेरी चूत को वो. मेरी उत्तेजना अब बर्दास्त के बहार हो रही थी. और मेरे नाख़ून अपनेआप उनकी कमर के ऊपर चले गए, मैं खुरचने लगी और कुछ चमड़ी वभी मेरे हाथ में आ गई.नंदोई चूत ऐसे चाट रहे थे जैसे की वो उनकी मनपसंद डिश हो और दुनिया में वो आखरी प्लेट ही उसकी. चूत से पानी निकल के उनके मुहं में ही जा रहा था और वो उसे पिने लगे थे. करीब 5 मिनिट ऐसे मस्त चाटने के बाद उन्होंने जब मुहं उपर किया तो होंठो पर चूत की चिकनाहट साफ़ देखी जा सकती थी.
उन्होंने अब मुझे थोडा खिंचा और अपने लंड को मेरी चूत के ऊपर रख दिया. मुझे लंड का गरम गरम अहसास अपनी चूत के ऊपर होने लगा. और बिना किसी रुकावट के अब उन्होंने एक ही झटके में लंड को अंदर डाल दिया. मेरे मुहं से आह्ह्हह्ह्ह्ह निकल पड़ा और उन्होंने मेरे मुहं को हाथ से ढंक दिया. दर्द की वजह से पता ही नहीं चला की मेरी आवाज बहार जा सकती थी. उनका लंड चूत में एकदम टाईट था और मैं हिल भी नहीं पा रही थी. जैसे की चूत को किसी लोहें की सलाख से पेक कर दिया गया हो. नंदोई अब अपनी कमर को हिलाने लगे और मेरी चूत के अंदर झटके मारने लगे. मुझे बहुत दर्द हो रहा था.
लेकिन 2 मिनिट में ही उनका लंड मेरे चूत के दाने से रगड़ के मुझे ऐसा मजा दे रहा था जिसे मैं शब्दों में नहीं लिख सकती हूँ. वो मुझे पूरा लंड चूत में देते थे और मेरे बूब्स की निपल को किस करते थे. आह क्या मजा था इस बड़े लंड से चुदवाने का. वो जोर जोर से झटके दे रहे थे और मैं भी आगे पीछे होकर अब उनकी चुदाई का जवाब देने लगी थी.
उन्होंने अब मेरी गरदन के ऊपर किस करना चालू किया, चुदाई के साथ वो किस का मजा भी कुछ और था. मैं जोर जोर से घेहूँ की उस बोरी पर हिलने लगी और वो मुझे जोर जोर से चोदते रहे. मेरी चूत में एक अजब सी चिकनाहट आ गई थी आज इस बड़े लंड से चुदवाने से. और जब उस चिकनाहट के साथ लंड घिस रहा था तो वो झाग बन के चूत की नाली में अंदर बहार हो रही थी. मेरे नंदोई मुझे कमर से पकड के अब और भी जोर से चोदने लगे.
आह्ह्ह्ह मुझे बहुत अच्छा लग रहा हैं, आह्ह्हह्ह….मैं बोल पड़ी.
मैंने कहा था ना की असली मर्द के लंड से चोदुंगा तुझे, मेरी रंडी मजा तो आएगा ही तुझे…वो मुझे दबोच के बोले.
अब मेरे बूब्स उनकी छाती पर रगड़ रहे थे और उनके छाती के बाल से मुझे जैसे की मजा आ रहा था. उन्होंने इस पोजीशन में ही मुझे और 20 मिनिट चोदा और मैं इस बिच 2 बार झड़ गई थी. फिर उन्होंने अपना लंड निकाला और मुझे कहा की निचे आ जाओ. मैं बोरियों से उतर कर निचे आई.
नंदोई बोले, चलो अब उलटी हो जाओ मैं पीछे करूँगा.
नहीं नहीं पीछे तो कहाँ से होंगा इतने मोटे से, मैं घबरा गई.
अरे कुछ नहीं होंगा मैं धीरे से करूँगा, 2 मिनिट में मजा आने लगेंगा तुम्हे भी…वो पूरे तैयार थे गुदा मैथुन के लिए. उन्होंने मुझे उल्टा किया और झुका दिया. उनका लंड अब पीछे मेरी गांड पर था और वो उसे मेरे छेद में डालने की कोशिश कर रहे थे. लेकिन उतना मोटा लंड भला मेरे छेद में कैसे आता? लेकिन वो लगे हुए थे. तभी मेरी गांड के ऊपर उन्होंने ढेर सारा थूंक निकाला और उसे और चिकना बना दिया. अब फिर से उन्होंने लंड रखा और दबाने लगे. लंड का सुपाड़ा अंदर गया और मैं चीख पड़ी. उनका हाथ फट से मेरे मुहं पर आ गया और मेरी चीख दब गई. मुझे बहुत दर्द हो रहा था लंड के सुपाड़ें के घुसने से ही. उन्होंने लंड को दो मिनिट हिलाया नहीं और फिर धीरे से एक झटका मारा. अब ककी लंड आधा गांड में था और मेरी हालत कसाई के हाथ की मुर्गी की तरह थी. गांड में बहुत दर्द हो रहा था मुझे. और तभी और एक झटका आया और लंड पूरा गांड में पेल दिया गया.
मेरी आँखों से आंसू निकल पड़े और वो निचे गिरे. नंदोई अब धीरे से अपने लंड को बहार निकालते और अंदर घुसाने लगे. वो लंड पूरा बहार नहीं निकाल रहे थे सिर्फ आधा ही. और फिर 3-4 मिनिट में मुझे भी कुछ राहत हुई और लंड अब मजा देने लगा. नंदोई के झटके फिर से चालु हो गए और वो मेरी गांड के ऊपर चमाट लगाने लगे. आह आह की आवाज उनके मुहं से निकल पड़ी और मैं भी अब अपनी गांड को आगे पीछे करने लगी.
5 मिनिट में ही उनके लंड से रस निकल के मेरी चूत को भरने लगा. मुझे बड़ा मजा आया गरम गरम रस पीछे के छेद में भरने में. फिर उन्होंने मेरी गांड को दोनों हाथ से फैला के लंड बहार निकाल लिया.
हाथ वही रख के वो बोले, अब तुमको गेस हुआ हो वैसे गांड को दबाओ तो.
मैंने कहा, क्या?
उन्होंने कहा, जैसे मैं कहता हु वैसे करों ना…!
मैंने ऐसा किया और मेरी गांड से गुब्बारों की तरह वीर्य की बुँदे निकलने लगी. मेरे नंदोई उसे देख के मजा लुटने लगे. उन्होंने मुझे उठा के फिर से किस किया और मेरे होंठो के ऊपर काट भी लिया. कपडे पहनते वक्त उन्होंने पूछा, क्यूँ कैसा लगा मेरे साथ…?
मैं कुछ नहीं बोली और हंस पड़ी.
उन्होंने मेरे बूब्स मसले और बोले, अगली बार मैं तुम्हे और तुम्हारी दीदी को साथ में चोंदुंगा. तुम्हारी चूत में और उसकी गांड में दूंगा. वो बड़े मजे से गांड मरवाती हैं.
सच कहूँ मैं हैरान थी की मेरी ननंद साथ में चुदाई के लिए कैसे राजी होंगी…! लेकिन नंदोई बड़े ही विश्वास के साथ कह रहे थे. और मुझे यह अनुभव भी हुआ दो हफ्ते के बाद ही.

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