चुदाई की दुनिया के दोस्तों, आप सब को बहुत बहुत प्यार और सलाम! मेरा नाम शर्मा हे और मैं 38 साल का हूँ और आंध्रा के हैदराबाद में रहता हूँ. मैं एक एमएनसी कम्पनी में काम करता हु और दिखने में मैं अबाऊ एवरेज हूँ. मैं व्हिस्की, बियर और औरतों के बदन का प्यासा हूँ.
अभी कुछ दिन पहले मैंने एक अलग ही बिजनेश मोडल बनाया था अपना. मैं कार खरीद के ड्राइवर के साथ उन्हें बड़ी कंपनी वालो को किराये पर देता हूँ. शरुआत में ये आइडिया सही लगा मुझे, खुद की जॉब करो और ड्राईवर आप के लिए पैसे कमाता फिरेगा! मैंने अपनी दो कार ली एक इंडिका और दुसरी मारुती की रिट्ज. पहले कुछ दिन ड्राईवर मिले. लेकिन फिर मुझे किल्लत हुई. एक था वो गाँव गया और वापस आया ही नहीं. दूसरा कभी आता था तो कभी गाडी दिन दिन भर मेरे घर के सामने पड़ी रहती थी.
इएमआई के चक्कर बड़े चुतियापे थे. मुझे टेंशन होने लगी थी क्यूंकि मैं बहुत पैसा इस बिजनेश के लिए लगा चूका था. फिर मैंने सोचा की अब की जो भी ड्राईवर रखूँगा उनकी सही चेकिंग करूँगा. उन्के घर देखूंगा, रहन सहन देखूंगा उनकी आदतें देखूंगा और फिर ही गाडी की चाबी दूंगा सालों को.
फिर कुछ दिनों के बाद एक बीमार और मरियल सा आदमी आया मेरे घर पर. उसे देख के भीख देने को मन हो जाए ऐसा था. उसने कहा की वो ड्राईवर की जॉब के लिए आया हे. मैंने कहा, तुम बीमार तो नहीं न? वो बोला नहीं नहीं साहब सिर्फ मरियल सा ही हूँ और गाडी सही चला लेता हूँ. फिर उसने मुझे वो जहाँ से आया था उसका कार्ड दिया और बोला, आप इनसे पूछ ले मैंने इनके यहाँ बहुत काम किया हे. मेरा नाम रहीम कहां हे. मैंने चेक किया तो उसकी बात सही थी. मैंने उस बन्दे से पूछा फीर आप ने उसे क्यूँ निकाल दिया. वो बोला मैं फेमली के साथ दुबई को शिफ्ट हो रहा हूँ.
मैंने रहमान से कहा एक काम करो अपना पता लिखवा दो मुझे. मैंने एड्रेस वगेरह देखूंगा और फिर काम की बात करेंगे हम लोग. उसने मुझे अपना पता लिखवा दिया. शाम को ही मैं उसके घर चला गया. और वही पर मुझे इस कहानी की हिरोइन मिल गई! वो एक छोटा सा कमरा था अबरख की छत वाला, जिसमे एक छोटा पोर्टेबल टीवी था और एक बिस्तर था. और उस बिस्तर के ऊपर ये खुबसुरत औरत बैठी हुई थी. वो 30 साल के करीब की लग रही थी. उसका ब्लाउज टाईट था और उसने साडी को साइड में टक किया हुआ था. उसका नाभि का बटन बड़ा ही मादक लग रहा था. मैंने सोचा की मरियल रहमान को बीवी तो बड़ी सेक्सी मिली हे! रहमान ने मुझे देखा और अन्दर बिठाया. मैं बार बार उसकी बीवी को देख लेता था.
रहमान के साथ बात कर के मैं निकल गया और दुसरे दिन से ही उसे काम पर लगा दिया.
कुछ दिन के बाद रहमान काम पर नहीं आया तो मैंने कॉल कीया.
सामने जैसे ही कॉल पिक हुआ मैं बोला, अरे यार तुम काम पर नहीं आये आज, बीवी के साथ बैठो हो क्या?
सामने से स्वीट आवाज आया और उसकी बीवी ही थी लाइन पर. वो बोली, जी उनकी तबियत कल रात से ख़राब हे!
मैंने कहा: फिर उसे मुझे कम से कम कॉल कर के बताना तो चाहिए ना!
उसकी बीवी जिसका नाम शहनाज़ हे वो बोली: सर तबियत ऐसी हो गई की बोल नहीं पाए आप को.
मैंने कहा: देखो सुबह से गाडी पड़ा हुआ हे. अगर सुबह पता होता तो मैं कही भी चढ़ा देता था इसे.
तभी उसका कॉल कट गया. मुझे लगा की उसने जानबूझ के कॉल कट किया और मुझे बड़ा गुस्सा आया. तभी मुझे एक और नम्बर से कॉल आई. वो शहनाज़ ही थी. वो बोली: सर वहां पर आवाज नहीं आ रही थी सही, ये मेरा नम्बर हे उसके ऊपर से कॉल कर दी इसलिए मैंने.
मैं बोला: अच्छा.
शहनाज़ बोली: हां सर आप इसे सेव कर लीजिये आप को कोई भी काम हो तो मुझे डायरेक्ट भी कॉल कर सकते हो आप.
मैंने कहा. मैं घर आऊं रहमान को देखने के लिए.
शहनाज़ बोली: आ जाओ साहब वो सोये हुए हे आप मेरे से मिल लेना!
मैंने मन ही मन में सोचा की साली ये तो आइटम लग रही हे. सामने से नम्बर भी दिया अपना और बातें भी बड़ी सही कर रही हे.
मैं बाइक ले के उसके घर चला गया. हलके से नोक की तो शहनाज़ ने ही दरवाज खोला. उसने पिंक बोर्डर वालिस सफेद साडी पहनी हुई थी जिसके अन्दर पिला लो कट वाला ब्लाउज था. साली बड़ी ही मादक लग रही थी. वो भी मुझे ऊपर से निचे तक देख के बोली, आइये न सर!
वो आगे बढ़ी. मैंने पीछे से उसके हॉट फिगर को देखा. वाऊ क्या मस्त माल थी ये तो. साली रहमान के हत्थे कैसे चडी ये!
मैंने देखा की रहमान सच में सो रहा था. मैंने शहनाज़ से खबर ली की कब से बीमार हे दवाई ली या नहीं वगेरह वगेरह.
वो कुछ देर में मेरे लिए चाय ले के आई. मैंने प्याली लेते समय जानबूझ के अपने हाथ से उसकी उंगलियाँ टच कर ली. उसने मुझे देख के नोटी स्माइल दी. उसका हसबंड मेरी चेर के पास बेड में था और वो डर नहीं थी. मैं उसके साथ रहमान की बातें कर रहा था पर उसके ब्लाउज को, बूब्स को और होंठो को देख रहा था. और वो भी चुदासी अंदाज में अपनी कमर से मुड़ के जब मुझे अपने बूब्स की गली दिखा गई तो लंड हिल गया मेरा तो.
तभी रहमान की नींद खुली और वो मुझे देख के बोला, सर आप?
मैंने कहा हां मैंने कॉल किया तो पता चला की तुम बीमार हो इसलिए देखने चला आगे.
मैंने फिर उसे कहा, जल्दी से ठीक हो के काम पर आ जाओ, कुछ जरूरत हो तो मुझे कॉल कर देना.
फिर शहनाज़ मुझे निचे तक छोड़ने के लिए आई. मैंने अपने पर्स को ऐसे खोला की उसे 2000 के नोट्स दिखे. फिर मैंने अन्दर से एक 500 का नोट निकाला और उसे कहा ये लीजिये दवाई के लिए. उसने पहले तो मना किया लेकिन मैंने उसके हाथ को पकड़ के उसके अन्दर नोट को रख दिया. मैंने हाथ जल्दी नहीं छोड़ा. वो भी कुछ नहीं बोली. मैंने हाथ को थोडा दबाया और उसने मेरी तरफ देखा. मैंने आँख मार के इशारा किया.
वो हाथ छोड़ के चल पड़ी, मुझे लगा की ज्यादा ही हो गया. तभी तो पीछे मुड़ी और मुझे देख के इशारा किया की कॉल करना मुझे.
वहाँ से निकलते वक्त मेरी हालत खराब हो चुकी थी. लंड ने पेंट में बवाल कर रखा था.
दुसरे दिन से ही रहमान काम पर वापस चढ़ भी गया.
मैंने करीब 11 बजे शहनाज़ को कॉल किया. वो बोली रहमान तो 10 बजे ही काम के लिए निकले हे साहब. मैंने कहा इसलिए तो तुमको कॉल किया मैंने.
वो हंस पड़ी. मुझे लगा की ये साली इतनी जल्दी लंड लेगी नहीं नखरे ही मारेगी.
मैं: लगता हे मेरा कॉल करना आप को उतना पसंद नहीं आया!
शहनाज़: मैंने ऐसा तो नहीं कहा साहब.
मैं: कम तुम्हे मिला फिर चेन नहीं आ रहा मुझे.
शहनाज़: आप तो रहमान को मिलने आये थे ना साहब?
मैं: लेकिन चेन तो तुमने चुरा लिया ना! साला जब से तुमको देखा हे मन कही लगता ही नहीं हे शहनाज़. मैं तुम्हारी आँखों में डूब गया हूँ.
शहनाज़: अच्छा, तभी आप कल मुझे ऊपर निचे सब देख रहे थे, हैं ना!
मैं: हां मेरी बुलबुल तू है ही ऐसी हॉट की देखते ही रह गया मैं. साला नाभि भी बड़ा सेक्सी हे तुम्हारा तो.
शहनाज़: अरे अरे आप तो बड़े उतावले हे, इतनी जल्दी!
मैं: अरे मेरा उतावलापन तो देखा ही नहीं तुमने अभी, किसी दिन मिलो मेरे से मेरी जान!
शहनाज़: मैं बीजी रहती हूँ कैसी मिलूंगी?
मैं: कुछ काम करती हो?
शहनाज़: हां केटरिंग में जाती हूँ.
मैं: तो फिर कल मेरे घर पर केटरिंग कर दो थोडा.
शहनाज़: कुछ फंक्शन हे क्या?
मैं: हाँ कर लेंगे ना फंक्शन!
शहनाज़: ठीक हे आप मुझे स्टेशन के सामने वाले एटीएम से पिक कर लेना. आप को उठाने के काम में तो महारथ होगी न टेक्सी वाले हो इसलिए.
मैं: उठा लेता हूँ और छोड़ भी देता हूँ मेरी जान.
दुसरे दिन मैंने उसे पिक कर लिया और उसे अपने घर पर ले आया. मैं उसे फ्लेट में ले आया और वो बोली, कितने आदमी का फंक्शन हे साहब?
मैं: बस तुम और मैं!
ऐसे कह के मैंने उसे कमर से पकड़ के अपनी तरफ खिंच लिया. वो भी मेरे ऊपर आ गिरी और मैंने अपने होंठो से उसके होंठो पर चुम्बन दे दिया. हमारी जबाने लड़ने लगी और मैं हाथ से उसकी कमर को सहलाने लगा. मैंने फिर उसे दिवार की तरफ धकेला और अपन हाथ से उसकी चूचियां मसलने लगा. मैं उसके बूब्स मसल रहा था और उसकी साँसे उखड़ सी रही थी.
मैंने फटाक से उसके पल्लू को निचे कर दिया और उसके ब्लाउज के बटन को खोलने लगा. उसकी ब्रा किसी किल्ले की रक्षा करते सैनिक के जैसी थी. और मैंने उसे भी खोल के जमीन पर फेंक दिया. शहनाज़ अब मेरे सामने सिर्फ अपने पेटीकोट में थी. मैं उसकी निपल्स को और उसकी नाभि को बार बार चूमने लगा था. वो जोर जोर से मोअन करने लगी थी. फिर मैंने उसे उल्टा कर दिया और उसके शोल्डर्स को और बेक को अपने होंठो से किस करने लगा. मैं उसकी करोड़ के ऊपर निचे से ऊपर और फिर ऊपर से निचे तक प्यार भरे चुम्मे दे रहा था. और फिर हाथ को मैंने उसके पेटीकोट के नाड़े पर रख के उसे खोला. नाड़े के खुलते ही उसका पेटीकोट निचे गिर गया. मैंने उसके हाथ को पकड़ के उसे अपनी तरफ घुमा दिया.
वाऊ मेरे ड्राईवर की बीवी की चुदासी और सेक्सी चुत मेरे सामने थी. मैं फट से अपने घुटनों पर जा बैठा और शहनाज़ की चुत को प्यार से ऊँगली करने लगा. मैं उसके ऊपर ऊपर उंगलिया कर रहा था और शहनाज़ आह्ह अहह ह्ह्म्म की मोअन कर रही थी. मैंने सीधे ही अपने मुहं को उसकी चुत पर लगा के चाटना चालू कर दिया. मेरी जबान सांप के जैसे उसकी चुत की बिल में घूम रही थी और मैंने उसके सेक्सी बम्स को अपने हाथ में पकड़ के दबा दिए. वो हलके हलके से चीखने लगी थी. शायद उसकी चुत आज से पहले किसी ने नहीं चाटी थी!
वो मेरे बालों को नोंच रही थी और अपनी चुत के ऊपर मुझे खिंच भी रही थी. और तभी उसके बदन में जैसे करंट के झटके से लगे. उसकी चुत से पानी निकल के मेरे चहरे पर उड़ गया. मैंने सब चाट लिया.
शहनाज़: अह्ह्ह जल्दी से मुझे बिस्तर में ले चलो अब और नहीं रह सकती हूँ मैं! चोदो मुझे और मेरी महीनो की प्यास को बुझा दो.
मैं समझ गया की रहमान उसे चोद नहीं पाता था और इसीलिए वो मेरे से पटी थी. मैंने उसे गोदी में उठा लिया और मैंने उसे बिस्तर में डाल दिया. फिर मैंने उसके ऊपर चढ़ गया. शहनाज़ की चुत गीली ही थी. और एक झटके के अन्दर ही मेरा लंड उसके अन्दर घुस गया. और फिर हम एक दुसरे को बाहों में भर के चोदने लगे. वो अपनी गांड को आगे पीछे कर रही थी और मेरा लंड उसकी बच्चेदानी से टच हो रहा था.
मैंने उसे चोदते हुए पूछा: कैसे लग रहा हे मेरी जान?
शहनाज़: काश ये ऐसे ही चलता रहे कभी ख़त्म ही ना हो!
मैंने उसके होंठो को अपने होंठो में ले के चूमा और फिर मैं कस कस के उसे चोदने लगा. वो भी जोर जोर से मोअन करते हुए चुदवा रही थी. और फिर हम दोनों साथ में ही झड़ गए. उसका ओर्गास्म हुआ तो वो बहुत फुदक फुदक के झड गई मेरे लंड के ऊपर ही.
हम दोनों कुछ मिनिट्स के लिए ऐसे ही एक दुसरे को बाहों में ले के सोये रहे और कुछ नहीं बोल सके. और फिर मैंने उसके होंठो के ऊपर अपने होंठो को लगा के एक गहरा चुम्बन दे दिया. वो भी मुझे एकदम पेशन से चूमने लगी थी.
शहनाज़ उठी और मैंने उसे वापस पकड़ के अपने होंठो से चूमा. और फिर मैंने उसे कहा: थेंक यु डार्लिंग!
वो कुछ नहीं बोली और अपने सामान को इकठा करने लगी. उसने अपनी ब्रा, पेंटी, साडी, पेटीकोट सब उठा के पहन लिया. और फिर वो बोली, रहमान आ गया तो उपाधि होगी साहब आप मुझे मेरे घर पर छोड़ दो.
मैंने उसके हाथ को पकड़ के उसे चूम लिया और कहा, अगली बार हम ये सब से बहुत दूर किसी होटल में करेंगे!
वो बोली: मैंने भी ऐसे ही सोच रही थी.
मैंने उसे ले के उसके घर छोड़ने चला गया. एक गली पहले वो उतर गई. और फिर बोली: मुझे कहने में थोडा अजीब लग रहा हे साहब, पर क्या आप मुझे 300 रूपये दे सकते हो. केटरिंग का कह के निकली हूँ तो मजदूरी भी दिखानी पड़ेगी ना मुझे.
मैंने उसे नयी प्रिंट के दो 500 के नोट दे दिए और कहा, 300 दिखाने के लिए और बाकी के 700 मेरी रानी के लिए.
वो चली गई और मैं उसकी गांड को देखता रहा.
अब अक्सर मैं शहनाज़ को वही से पिक कर के हम दोनों के घर से बहुत दूर होटल में ले जाता हूँ. घंटो तक वो मेरा लंड लेटी हे. संडे के दिन तो मैं उस से मसाज वगेरह भी करवाता हूँ. और वही केटरिंग की मजदूरी वो अपने घर दिखा देती हे!