मम्मी संग चुदाई की जगह लड़ाई

सेक्स कहानी अब आयेज से-

जगदीश अंकल के जाने के बाद मम्मी की चुदाई करने वाला कोई बचा नही था. मेरी मम्मी में कितनी आग है, वो तो मुझे आचे से मालूम था. मुझे पक्का यकीन था की मम्मी उसकी चुदाई का कुछ ना कुछ इंतेज़ां करेगी. मैने सोचा की यहीं सही मौका था मम्मी को तडपा कर उनकी चुदाई करने का, पर मैं ग़लत निकला. मैने जो सोचा था उससे सब उल्टा होने लगा. वो सब क्या हुआ, मैं आपको सब डीटेल में बताता हू.

मैने अब मेरा जॉब क्विट कर दिया था. अब मैं मेरे स्टार्ट उप पर वर्क करता था, और फ्री टाइम में पापा के बिज़्नेस में उनको हेल्प करता था. मेरा अब ज़्यादातर घर से बाहर रहना हो गया था. मेरा अब मम्मी पर नज़र जमाए रखना मुश्किल था. मेरे दिन तो बड़े आचे से काट रहे थे. लेकिन रात को मुझे मम्मी की याद सताती थी. उनके साथ बिताए हर एक पल मुझे सोने नही देते थे.

मम्मी को मैं छोड़ नही पाता था, उसका अफ़सोस नही था. हमारी चुदाई ऐसे भी एक ना एक दिन बंद होने वाली थी. लेकिन गोआ में हम दोनो के बीच जो लोवे डेवेलप हो गया था, उसके बिना अब मैं रह नही सकता था. मुझे मम्मी का प्यार वापस चाहिए था.

आप सब सोचते होंगे की ऐसी मम्मी से कौन प्यार करता है? मेरे लिए मेरी मम्मी सब कुछ है. चाहे वो कैसी भी है, लेकिन मैने उनसे सक्चा प्यार किया है.

मैने नोटीस किया की जगदीश अंकल के चले जाने के बाद मम्मी के चेहरे पर मायूसी आ गयी थी. और मेरे से वो देखी नही जाती थी. मैं सोच रहा था की मम्मी की लाइफ में फिर से वो सब खुशी अब आएँगी, या फिर मम्मी अब बढ़ती उमर के साथ बच्चे को संभालने में बिता देगी? लेकिन कहते है ना जिसको जिसकी ज़रूरत है उसको वो मिल जाता है.

एक दिन दोपहर को मैं घर पर खाना खाने गया. मम्मी ने तो खाना खा लिया था. भाभी और मैं साथ में बैठ कर खाना खा रहे थे. मैं आपको बता देता हू मेरी भाभी के बारे में. उनका नाम शिवानी है, पर उनके माइके वाले उनको पहले से शिऊु करके बुलाते थे. तो मेरे घर पर भी सब उनको वही नाम से बुलाते है.

शिऊु भाभी बहुत ही खूबसूरत और दूध जैसी गोरी है. उनकी खूबसूरती देख कर कोई भी उनको चाहने लगे ऐसा उनका प्यारा चेहरा है. उनकी बड़ी आँखें और गाल पर पड़ने वाले डिंपल उनकी सुंदरता को और निखार रहा था. उनका फिगर भी बहुत अछा था, और बाकचा होने के बाद वो अब थोड़ी चब्बी हो गयी थी. लेकिन वो उनकी पर्सनॅलिटी को सूट करने लगा था. शॉर्ट में काहु तो भाभी अब और अची लगने लगी थी.

भाभी को सब टाइप के कपड़े पहनने की छ्छूट थी. हमने ऐसे रिस्ट्रिक्षन्स नही लगाया था की आपको सिर्फ़ सारी ही पहन कर रहना होगा. भाभी घर पर लेगैंग्स, त-शर्ट, या कभी-कभी सलवार कमीज़ पहनती थी. वो भैया के साथ बाहर घूमने, डिन्नर या कभी मोविए देखने जाते तो कभी-कभार जीन्स और ओनेपीएसए भी पहन लेती थी.

मैं आपको बता देता हू की मैने मेरी भाभी को आज तक ग़लत नज़र से नही देखा. भाभी ने उस दिन लूस त-शर्ट और लेगैंग्स पहना था.

शिऊु भाभी: अभी, मुझे आपसे एक काम है.

मैं (मैं खाना खाते हुए): बोलो.

शिऊु भाभी: मेरा वेट बढ़ गया है, तो वो कम करना है, क्या करू?

मैं: डेलिवरी के बाद सब का बढ़ता होगा, और उसके बाद वेट उतार भी जाएगा.

शिऊु भाभी: वो तो है, पर बॉडी में चर्बी बढ़ गयी है, उसका क्या करू?

मैं: आप कुछ ज़्यादा ही सोच रहे हो. डॉन’त वरी, समय जाते सब पहले जैसा हो जाएगा.

शिऊु भाभी: अर्रे मैं कल इंस्टाग्राम पर देखा कुछ एक्सर्साइज़ से फिगर मेनटेन होता है. क्या ऐसा सच में होता है?

मैं: हा एक्सर्साइज़ और मसाज से फिगर सही हो जाता है (मेरे ये बोलने के टाइम पर मम्मी किचन में से आ जाती है).

मम्मी (तोड़ा गुस्से में): अभी, तुम ऑफीस कब जाने वाले हो?

मैं: बस खाना खा कर निकल रहा हू. क्या हुआ?

मम्मी: हा तो चुप-छाप खाना खा कर चला जेया. पता नही खाने में भी कितना टाइम लगता है.

मम्मी मेरे उपर ऐसे गुस्सा करके चली गयी. मैने देखा तो वो मुझे आँखें दिखा रही थी. मैने सोचा अचानक से इनको क्या हुआ. मुझे लगा अब उनको लंड नही मिल रहा, तो पागल हो रही थी. मैं भी खाना खा कर ऑफीस आ गया. थोड़े टाइम बाद मम्मी का कॉल आया.

मम्मी (गुस्से में): कहाँ है?

मैं: ऑफीस में, क्या हुआ? शांति से बात करना नही आता?

मम्मी: अकेला है?

मैं (रोमॅंटिक आवाज़ में): हा अकेला हू, और आज कुछ काम नही है. बताइए क्या सेवा करनी है?

मम्मी (और ज़्यादा गुस्से में): अभी मैं तुझे ये लास्ट टाइम वॉर्निंग दे रही हू. शिऊु के साथ अगर कुछ करने को सोच रहा है तो वो बात अपने दिमाग़ से निकाल देना. और अगर ऐसा फिर से सोचा तो मेरे से बुरा कोई नही होगा.

मैं: क्या बोल रहे हो?

मम्मी: मुझे आचे से पता है तुम शिऊु के साथ एक्सर्साइज़ और मसाज के नाम पर चान्स मार रहे हो.

मैं (गुस्से में): क्या बकवास कर रहे हो? आपने ऐसा सोच भी कैसे लिया? शिवानी भाभी है मेरी, उनके बारे में ऐसा सोच भी नही सकता.

मम्मी: मैं भी तेरी मा थी. मेरे बारे में कैसे सोच लिया फिर? देख अभी तुम घर के बाहर कुछ भी करो मैं कुछ नही बोलूँगी. लेकिन घर परिवार में किसी के साथ ऐसा करना सोच रहा है तो…

मैं (उनकी बात काट कर डबल गुस्से में): आपका ना दिमाग़ खराब हो गया है. जगदीश अंकल गये है तब से आप बौखला गये हो. एक काम करो, किसी और यार से छुड़वा लो, तो आपका दिमाग़ शांत होगा.

मम्मी (चिल्ला कर): क्या बोला?

मैने फोन कट कर दिया. मम्मी ने मेरे दिमाग़ का भोंसड़ा कर दिया था. मैं ऑफीस से बाहर निकल गया. मैं वहाँ से सीधा घर गया. मैने देखा तब भाभी के माइके से उनके रिश्तेदार आए थे. मैं उस दिन चाह कर भी मम्मी से बात नही कर पाया. मैं और मम्मी एक-दूसरे को गुस्से से देख रहे थे. उस दिन के बाद मेरे और मम्मी में एक-दूसरे के लिए नफ़रत पैदा हो गयी थी.

हम दोनो घर पर अब कॅषुयल मा बेटे की तरह भी नही रहते थे. मैने उनसे बात करना बंद कर दिया. अगर कुछ काम होता तो मैं खुद से कर लेता था. और मम्मी भी मुझे कोई काम नही बता रही थी. उनको मार्केट से कुछ चीज़ लानी होती तो वो भैया और पापा को बताती थी. वो बात अलग थी की कभी-कभी वो काम पापा मुझे करने को बोलते थे.

इन सब में मैने शिऊु भाभी से भी बात करना बाँध कर दिया था. एक दिन मैं, मम्मी, और शिऊु भाभी साथ में खाना खा रहे थे. हाल ऐसा था की मैं मम्मी से किसी चीज़ की हेल्प नही माँगता था. ना ही भाभी से. मुझे कुछ चाहिए होता तो खुद से लेता था.

शिऊु भाभी: अभी आप को कुछ हुआ है क्या? कितने दिन से बात नही कर रहे? खोए-खोए से रहते हो.

मैं (मम्मी के सामने देख कर): मुझे कुछ नही हुआ है. बस लोगों की छ्होटी सोच से परेशन हो गया हू.

शिऊु भाभी: ऐसा क्या हुआ? किसकी बात कर रहे हो? मुझे तो बताओ.

मैं (गुस्से में): भाभी आप अपने काम से काम रखे तो अछा है. मेरे पर्सनल मॅटर में इंटर्फियर ना करो, प्लीज़..

मैं गुस्से में खाना छ्चोढ़ कर उठ गया. मुझे बाद में मेरे बिहेवियर को लेकर बुरा लगा. बेचारी भाभी की कोई ग़लती नही थी, और मैने उनको बिना किसी बात के सुना दिया. मैने सोचा भाभी को सॉरी बोल दूँगा. लेकिन फिर वो मुझे क्या हुआ है वो लेकर और सवाल पूछती, और मेरे पास उनके सवालों को जवाब नही होता. इसलिए मैने आयेज कुछ बोला नही.

मेरा नेचर अब चेंज होने लगा था. मैं चिड़चिड़ा हो गया था. मुझे अब छ्होटी बात पर गुस्सा आने लगा था. मैने मेरे सभी दोस्तों से बात करना बंद कर दिया था. मैं नही चाहता था की गुस्से में किसी और के साथ रीलेशन खराब हो. घर पर मैं किसी से बात नही करता था. बस चुप-छाप खाना खा कर मेरे बेडरूम में चला जाता, और मेरा काम करता.

मेरे ऐसे बिहेवियर से शिऊु भाभी भी मेरे से डोर रहने लगी. उनको दर्र रहता की मैं कहीं उनको बिना बात की सुना देता और गुस्सा करता. कभी-कभी तो ये सोचता की मैने अपनी मम्मी के साथ सेक्षुयल रीलेशन बना कर बहुत बड़ी ग़लती कर दिया. पहले मेरी लाइफ नॉर्मल आचे से चल रही थी. मैं बहुत खुश था. लेकिन अब मैं बहुत दुखी रहने लगा.

मेरा खुद के घर में नॉर्मल रहना मुश्किल हो गया. इन्सेस्ट रिलेशन्षिप के डिसाड्वांटेजस अब मुझे समझ आने लगे. जो चीज़ शुरू में मज़ा देती थी, अब वो सब सज़ा बन गयी थी. मुझे पहले मम्मी को देख कर अछा लगता था. अब उनको देख कर गुस्सा आता था. मेरा प्यार अब नफ़रत बन गया था.

हम दोनो एक-दूसरे की शकल देखना पसंद नही करते थे. मेरी तरह वो भी बहुत अफ़सोस कर रही थी. हम दोनो का मा बेटा का रिश्ता भी अब ख़तम हो गया था. रात को कभी नींद नही आती तो सोचता की मैं तो घर से बाहर काम करने निकल जाता हू, तो मेरा मॅन कहीं लग जाता है. लेकिन मम्मी घर की चार दीवार में बैठी कहाँ अपना मॅन लगती होंगी.

दोस्तों आप भी सोच रहे होंगे कभी मैं उनसे नफ़रत की बात करता हू. कभी उनके बारे में सोचने लगता हू. यार अब क्या करू? रिलेशन्षिप में झगड़ा होता है, तब हमे सब कुछ अपनी और से जो कुछ हो रहा है वो सही लगता है. पर उसके बाद बड़ा ब्रेक आता है तो एक-दूसरे की अची बातें महसूस होने लगती है. हम दोनो के साथ भी वहीं होने लगा.

मैने और मम्मी ने बात करना बंद कर दिया था. लेकिन एक-दूसरे को बिना बताए एक-दूसरे के काम करने लगे थे. धीरे से मुझे रीयलाइज़ हुआ की वो मम्मी के लिए होने वाली नफ़रत भी मेरा उनके लिए प्यार ही था. लेकिन मेरी मम्मी को मैं आज तक समझ नही पाया था, की वो मुझे क्या समझ रही थी.

सिचुयेशन कभी एक जैसी नही रहती. वो टाइम के साथ बदलती रहती है. लेकिन छूट और लंड में लगी आग सिचुयेशन को समझती नही है. वो कुछ भी करने को मजबूर करती है. मुझे पता था मम्मी बिना चुडवाए रह नही सकेगी, कहीं तो अपने लिए जुगाड़ करेगी.

एक दिन हम सब लोग घर पर थे. दोपहर का टाइम था, और वनिता आंटी आई. जो ये स्टोरी पहले से पढ़ रहे होंगे, उनको पता होगा वनिता आंटी कौन है. पर जो नये है उनको बता देता हू की वनिता आंटी हमारे एरिया में रहती है, और मम्मी उनके साथ जिम जाती थी. लेकिन पिछले कुछ महीनो से मम्मी का जिम में जाना बंद हो गया था.

मैं आपको वनिता आंटी के बारे में बता देता हू. उनकी उमर 38 साल है. उनके 2 बच्चे है, जो अभी स्कूल में पढ़ते है. उनके हज़्बेंड का प्राइवेट कंपनी में जॉब है. वनिता आंटी पहले तो अग्ली लगती थी, लेकिन उस दिन मैने देखा तो वो माल बन गयी थी. वो शकल से तो ठीक ताक और सावली थी, पर उनका फिगर बहुत सही हो गया था.

उनके बूब्स और गांद मम्मी से बड़े है. पहले वो चब्बी टाइप थी, लेकिन उनकी मेहनत दिख रही थी. वनिता आंटी सीधा जिम से घर आई थी. उन्होने स्काइ ब्लू टॉप और ब्लॅक लेगैंग्स पहना था. उनके बाल थोड़े बिखरे हुए थे, और चेहरे पर पसीना था.

मम्मी: अर्रे वनिता, आज अचानक से यहाँ?

वनिता आंटी: क्यूँ मुझे नही आना चाहिए था?

मम्मी: अर्रे ऐसा नही है. पहले शांति से बैठ. मैं तेरे लिए कुछ लेकर आती हू.

वनिता आंटी: देख भावना, मेरे पास इतना टाइम नही है. मैं तो बस तुम्हे मिलने आई थी.

मम्मी: अर्रे पर तू शांति से बैठ तो सही. तेरे लिए पानी लेकर आती हू (तब तक तो भाभी उनके लिए पानी लेकर आ गयी थी).

वनिता आंटी (पानी का ग्लास हाथ में पकड़ कर): शिवानी तेरा बेटा कहाँ है?

शिऊु भाभी: वो अभी सो रहा है.

वनिता आंटी: बच्चा परेशन तो नही कर रहा है ना?

शिऊु भाभी: नही, वो तो पूरी दोपहर आराम से सोता है.

वनिता आंटी: तो ठीक है. मुझे लग रहा था की भावना बच्चे में इतना बिज़ी हो गयी की जिम मैं आना बंद कर दिया. भावना अब तेरे पास कोई एक्सक्यूस है तो बता दे. हमारे जिम के टाइम पर तो बच्चा आचे से सोता है.

मम्मी: अर्रे वनिता, दूसरे काम भी होते है.

पापा: अर्रे ये झूठ बोल रही है. इसको कुछ काम नही होता. पूरी दोपहर सोते रहती है.

मम्मी: हा मैं सोती रहूंगी. घर का काम आप कर लेना.

वनिता आंटी: भावना अब मुझे कोई बहाना बाज़ी नही सुन्नी. कल रेडी रहना. मैं तुझे पिक उप करने अवँगी. तेरे बिना मज़ा नही आता.

शिऊु भाभी: मम्मी आंटी इतना कह रहे हो तो आप चले जाना. वैसे भी अब पहले जितना परेशन कहाँ करता है.

मम्मी: लेकिन?

वनिता आंटी: देख अब शिऊु ने भी कह दिया है. कल मैं अवँगी, रेडी रहना.

उस दिन के बाद मम्मी ने फिर से जिम में जाना शुरू कर दिया. मम्मी का अब तोड़ा मॅन लगने लगा था. जिम में जाने से मम्मी अब और सेक्सी होने लगी थी, और वो खुश भी दिख रही थी. मुझे तो लग रहा था की उनकी उमर कम होने लगी थी.

मैं अब पहले की तरह उनको बिना एहसास हो ऐसे देखने लगा था. लेकिन मम्मी मेरी नज़र से समझ रही थी की मैं उनको किस नज़र से देख रहा था. हम दोनो एक घर में रहते थे, पर एक-दूसरे से बात करने का भी रिश्ता नही बचा था. अब आने वाला समय ही बता सकता है की हमारा क्या होगा.

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