मम्मी को सिड्यूस करने की कोशिश

आप सब लोगों का बहुत धन्यवाद स्टोरी को सपोर्ट करने के लिए और फीडबॅक के लिए. ऐसा मुझे लग रहा था की मम्मी इरफ़ान की बॉडी पर फिदा हो गयी. पर ये सब ग़लत था. वो बिल्कुल भी वैसा नही सोच रही थी. ऐसे ही कुछ दिन मम्मी और इरफ़ान साथ टाइम पर जिम करते. फिर एक दिन हिम्मत करके इरफ़ान मम्मी से बात करता है और कहता है-

इरफ़ान: आप क्या यही गाओं से हो? आपको कॉफी शॉप में देखा है.

मम्मी: हा मैं यही से हू. मुझे कॉफी ज़्यादा पसंद है ना, इसलिए कॉफी पीटी हू.

इरफ़ान: ओक, एक बात बोलू आपसे?

मम्मी: बोलिए क्या है?

इरफ़ान: नही रहने देता हू ज़्यादा हो जाएगा.

मम्मी: नही आप बताइए अभी.

इरफ़ान: आप हड्द से ज़्यादा सुंदर हो, और आपको देख लगता नही है की आपका कोई लड़का होगा.

मम्मी: कुछ भी भैसाब. मेरा एक लड़का है, और वो कॉलेज में है.

ऐसे ही मम्मी और इरफ़ान की बातें चलती रही, और 1 वीक के बाद वो दोनो आचे फ्रेंड्स हो गये. वो फोन पे बात करने लगे और छत करने लगे. इसी बीच मम्मी ने इरफ़ान को डिन्नर पे बुलाया, जब मेरे पापा घर पर भी नही थे.

इरफ़ान ने मुझे मेसेज किया और बताया की: सुन आज तेरी मा को छोड़ूँगा देख तू बहुत. आवाज़े आएँगी तेरे घर में.

मैं इसी चक्कर में घर में शांति से बैठा रहा. मैं मम्मी को ध्यान से देखा तो मम्मी तैयारी में लगी थी, और मम्मी क्या दिख रही थी रेड कलर की सारी में और स्लीवलेशस ब्लाउस पहना था मम्मी ने.

आधा पेट, नाभि, और पीछे से पूरी नंगी चिकनी पतली कमर चमक रही थी मम्मी की, और पीछे से उठी हुई गोल गांद दिख रही थी आचे से.

तभी कुछ देर में डोरबेल बाजी और मैने डोर खोला, तो देखा इरफ़ान आया था. वो एक-दूं नये कपड़े पहन कर और सेंट लगा कर और काजल लगा कर आया था. हम तीनो ने साथ में खाना खाया, और मैं सोने का नाटक करके निकल गया सोने के लिए, और उपर जेया कर देखने लगा. मम्मी और इरफ़ान वही बैठे थे सोफा पर, और उनकी बातें शुरू हो गयी.

इरफ़ान: आपके पति कहा पर है? दिखाई नही दे रहे?

मम्मी: वो काम के लिए बाहर गये है 2 वीक्स के लिए.

इरफ़ान: आप अपने पति से मोहब्बत करती है?

मम्मी: बिल्कुल, मैं बहुत प्यार करती हू उनसे.

इरफ़ान: मुझे तो लगता है की आप जितनी उनसे मोहब्बत करती है. उतनी वो आपसे करते नही होंगे.

मम्मी: नही, ऐसी कोई बात नही है. वो भी मुझसे बहुत मोहब्बत करते है.

इरफ़ान: नही मैं कह रहा हू ना, वो आपसे आप जितनी मोहब्बत नही करते.

मम्मी: अर्रे ये क्या बोल रहे है आप? और आपको कैसे पता (मम्मी तोड़ा गुस्सा हो जाती है)?

इरफ़ान: मुझे पता है वो आपसे ज़्यादा मोहब्बत नही करते.

मा भी अब जोश में आ जाती है.

मम्मी: अछा तो बताओ कैसे?

इरफ़ान: अर्रे मेरी प्रभा जी, अगर ऐसी ब्यूटिफुल बीवी घर में है, और वो वाहा बाहर जेया कर काम कर रहे है, तो मैं और क्या समझूंगा?

इरफ़ान की इस बात पर मम्मी बहुत खुश हो जाती है, और मुस्कुराने लगती है. मा को थोड़ी शरम भी आ रही थी.

मम्मी: आप भी ना इरफ़ान जी, कुछ भी बोलते है.

मम्मी बोलते-बोलते इरफ़ान की जांघों पर हाथ रख देती है.

इरफ़ान: अर्रे सच कह रहा हू. मैं अगर उनकी जगह होता ना तो.

और इरफ़ान बोलते हुए रुक जाता है.

मम्मी: तो क्या?

इरफ़ान: कुछ नही.

मम्मी: अर्रे बताइए ना.

मम्मी भी अब एग्ज़ाइटेड हो रही थी.

इरफ़ान: तो मैं आपसे कभी डोर नही जाता. हर पल आपके साथ ही रहता.

मम्मी: आप बहुत अची-अची बातें करते है इरफ़ान, कहा से सीखे हो?

इरफ़ान: अर्रे आप जैसी ब्यूटिफुल औरत अगर सामने हो तो कोई भी अछा हो जाए.

मम्मी शरमाने लग जाती है.

इरफ़ान: आपके पति काफ़ी लकी है जो उन्हे आप जैसी ब्यूटिफुल पत्नी मिली.

मम्मी: अछा तो आप लकी नही है?

इरफ़ान अब धीरे से मम्मी के कान की पास जेया कर बोल देते है.

इरफ़ान: हम तो तब लकी होंगे जब हमारे पास आप होंगी.

फिर इरफ़ान मम्मी के कंधो पर हाथ रख देते है. मेरी मम्मी मुस्कुराने लगती है.

मम्मी: हम तो आपके ही पास है ना अब.

मम्मी को पता चलता है की वो किस बारे में बात कर रहे थे. वो भी काफ़ी चालाक थी. अब सीन ये था की मम्मी का हाथ इरफ़ान की जांघों पर और इरफ़ान का हाथ मम्मी के कंधो पर था. दोनो एक-दूं करीब आ कर बात कर रहे थे.

मम्मी का पल्लू अब पूरा नीचे गिर जाता है. हालाँकि मम्मी उसको सवार्ती नही है. वो वैसे ही बातें कर रही होती है. इरफ़ान की नज़र अब मम्मी की भारी हुई चुचियो पर चली जाती है.

इरफ़ान: अर्रे आप करीब हो कर भी डोर है.

मम्मी: मतलब? इतनी पास तो बैठी हू आपके.

इरफ़ान: हा पास तो आज है हमारे आप.

इरफ़ान अब भी मम्मी की चुचियो को ताड़ रहे थे. अपना हाथ मम्मी की नंगी कमर में डाल देते है. मम्मी को एक-दूं गुदगुदी होती है. इरफ़ान का सख़्त काला हाथ मम्मी की चिकनी गोरी कमर पर था. मम्मी अब गरम होने लगी थी.

मेरी भी धड़कने बढ़ जाती है ये सब देख कर. मेरा लोड्‍ा धीरे-धीरे खड़ा हो रहा था. एक अजीब सा एहसास हो रहा था मुझे मम्मी की चुचियो को देखते हुए.

इरफ़ान: आप बहुत ब्यूटिफुल है प्रभा जी.

मम्मी ये देख लेती है, और शर्मा जाती है, और अपना पल्लू ठीक कर लेती है. वो तोड़ा उनसे डोर खिसक जाती है. इरफ़ान भी अपना हाथ कमर से हटा देते है. मम्मी वाहा से उठ जाती है शरम के कारण, पर तभी मम्मी का हाथ इरफ़ान पकड़ लेता है.

इरफ़ान: लगता है हमसे बात करके आपको अछा नही लगा, इसलिए आप जेया रही है.

मम्मी: अर्रे ऐसी बात नही है इरफ़ान, आप बहुत आचे है. आपसे बात करके बहुत अछा लगा हमे.

इरफ़ान: तो आप जेया क्यूँ रही है? बैठिए ना थोड़ी देर.

मम्मी: रात बहुत हो चुकी है.

इरफ़ान: अर्रे रात तो हो चुकी है, पर ऐसी रात फिर कभी नही आएगी. थोड़ी देर बैठिए हमारे साथ.

इरफ़ान मम्मी को माना लेता है, और मम्मी फिरसे वही बैठ जाती है. वो मम्मी के और पास चले जाते है, और मम्मी का एक हाथ अपने हाथ में ले लेते है.

इरफ़ान: एक बात बतौ आपको, बुरा तो नही मानेंगी?

मम्मी: जी बताए ना, इसमे बुरा क्या मानना?

इरफ़ान: सच काहु तो बहुत दीनो बाद किसी से बात करके मैं इतना अछा महसूस कर रहा हू.

इरफ़ान धीरे-धीरे मम्मी का हाथ सहला रहे थे, और मा की साँसे भी अब थोड़ी तेज़ हो गयी थी. मा की चुचिया उपर-नीचे होने लगी थी.

इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा.

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