हेलो दोस्तों, मैं सोनू. जैसा की मैने पिछले पार्ट में बताया था, की मेरे को एक ज़रूरी मीटिंग के लिए जाना पड़ता है, और घर पर सिर्फ़ मम्मी और बड़े पापा ही रहते है. अब आयेज-
मैं घर आके घर के बाहर की खिड़की से सभी रूम्स के अंदर देखता हू. लेकिन मम्मी कही दिखाई नही देती है. आख़िर में मैं बड़े पापा का रूम देखता हू.
जैसे ही मैं बाहर खिड़की से बड़े पापा के रूम के अंदर देखता हू, मेरी गांद फटत जाती है. मैं देखता हू बड़े पापा नंगे बिस्तेर में लेट कर बीड़ी पीते रहते है, और उनके बगल में मम्मी नंगी लेती हुई रहती है, और मम्मी भी बीड़ी पीते रहती है.
दोनो को नंगे देख कर मेरे को समझ आ गया की आख़िर बड़े पापा मम्मी को छोड़ने में कामयाब हो ही गये. मम्मी को देख के ऐसा लग रहा था जैसे मम्मी को बड़े पापा से चूड़ने में मज़ा आया हो. मम्मी और बड़े पापा दोनो नंगे लेट कर बीड़ी पीते हुए बात कर रहे थे. मैं दोनो की बातें सुनने लगा.
सुरेश: बहू क्या कमाल की मादक औरत है तू. तेरे को छोड़ने में बहुत मज़ा आया.
मम्मी: जेठ जी आपकी पत्नी रंजीता आपको मज़ा नही देती है क्या?
सुरेश: अर्रे रंजीता में तेरे जैसी बात नही है.
मम्मी: अछा, ऐसा क्या है मेरे में?
सुरेश: तेरा जिस्म बहुत खूबसूरत और मादक है. ऐसा जिस्म हर औरत का नही होता है.
मम्मी: आप कितनी सारी औरतों को छोड़ चुके हो?
सुरेश: अर्रे बहू अब क्या बतौ. मैं तो गाओं की सारी औरतों को छोड़ चुका हू. चाहे वो कोई भी औरत हो. और जब मेरा मॅन करता है, मैं छोड़ लेता हू. गाओं में मेरा इतना रुतबा है, की मैं किसी भी औरत को उसके पति के सामने छोड़ देता हू, और उसका पति भी मेरे को नही रोकता है.
मम्मी: उन औरतों के पति आपको रोकते क्यूँ नही है?
सुरेश: अगर रोकेगा तो मैं उसकी सारी ज़मीन हड़प लूँगा. इसलिए मेरे को कोई नही रोकता है. सब को मेरे से दर्र लगता है
मम्मी: वाह जेठ जी, आपका बड़ा ही कमाल का रुतबा है गाओं में. और आपकी पत्नी रंजीता को ये बात पता है?
सुरेश: हा रंजीता को सब पता है. लेकिन वो मेरे को रोक नही सकती है. अगर रोकेगी तो मैं उसके मा बाप की ज़मीन हड़प लूँगा.
मम्मी: हा तो आपके दर्र से आपको रोक नही पाती है.
सुरेश: मेरा सबसे छ्होटा वाला भाई था ना महेंद्रा, जो की मॅर गया. उसकी पत्नी रेणु को भी मैं छोड़ता हू. और काई बार तो मेरी बीवी रंजीता और रेणु को साथ में ही छोड़ता हू.
रंजीता बड़े पापा की बीवी का नाम है. रंजीता मेरी बड़ी मम्मी लगती है. और मेरी मम्मी की जेठानी लगती है. और रेणु मेरे पापा के सबसे छ्होटे भाई महेंद्रा की पत्नी है. रेणु मेरी चाची लगती है, और मम्मी की देवरानी लगती है. महेंद्रा मेरे चाचा लगते थे, महेंद्रा चाचा की मौत बहुत पहले ही हो चुकी थी.
मम्मी: आप मेरी जेठानी रंजीता और मेरी देवरानी रेणु को साथ में छोड़ते हो. और दोनो अपनी मर्ज़ी से चुड्ती है क्या?
सुरेश: हा और दोनो बहुत मज़े लेके चुड्ती है.
मम्मी: देखिए जेठ जी, हम दोनो चुदाई कर चुके है ये आप बात किसी को नही बताएँगे. रंजीता और रेणु को भी पता नही चलना चाहिए.
सुरेश: ठीक है मेरी जान, नही बोलूँगा.
मम्मी: हा.
सुरेश: चल आजा एक और बार चुदाई करते है.
मम्मी: 2 बार छोड़ चुके हो मेरे को, और कितना छोड़ोगे. और ऐसे भी सोनू घर आने ही वाला होगा.
सुरेश: ठीक है, लेकिन आज रात भी तू मेरे से चूड़ेगी.
मम्मी: रात में शायद ही हो पाएगा. क्यूंकी सोनू मेरे साथ सोता है
सुरेश: अर्रे तो सोनू को सुला के मेरे पास आ जाना.
मम्मी: पर शायद ही अवँगी.
फिर मम्मी अपने कपड़े पहन के रूम से निकल जाती है, और फिर मैं भी वाहा से निकल कर दरवाज़े के पास चला जाता हू, और डोरबेल बजता हू. मम्मी दरवाज़ा खोलती है और बोलती है-
मम्मी: सोनू तू आ गया. मेरे को तेरे से कुछ बात करनी है, पर तू पहले हाथ-मूह धो कर फ्रेश हो जेया.
सोनू: ठीक है मम्मी.
मैं मम्मी को नही बताता हू की मैं उनको और बड़े पापा को देख चुका था. मैं ये जानना चाहता था की मम्मी खुद ही मेरे को ये बात बताती है या नही. फिर मैं हाथ मूह धो के जैसे ही बातरूम से निकलता हू, तो मम्मी हमारे रूम का दरवाज़ा बंद कर दी रहती है, और बिस्तेर में बैठ के मेरा इंतेज़ार करती रहती है. मैं भी मम्मी के पास बिस्तेर में बैठ जाता हू, और बोलता हू-
सोनू: हा मम्मी, बोलो क्या बात है?
मम्मी: बेटा मेरे से एक बहुत बड़ा ग़लती हो गयी है. मैं ऐसा नही चाहती थी, लेकिन फिर भी हो गया.
सोनू: क्या हुआ मम्मी? आचे से बताओ ( मैं सब जानता था पर जान-बूझ कर अंजान बन रहा था).
मम्मी: बेटा असल में जेठ जी मेरे को छोड़ दिए.
सोनू: क्या! पर कैसे (मैं जान-बूझ कर हैरान हो कर बोला)?
मम्मी: बेटा मैं पहले जेठ जी को खाना देने उनके रूम में गयी, और खाना दे कर आ गयी. फिर कुछ देर बात मैं खाने की प्लेट वापस लाने के लिए जेठ जी के रूम में गयी, तो जेठ जी मेरे को पकड़ लिए.
मम्मी: मैं रोकने की पूरी कोशिश कर रही थी. फिर जेठ जी मेरी छूट में उंगली घुसा दिए. मैं पूरी तरह से बहक गयी, और अपने आपको रोक नही पाई. क्यूंकी मेरी भी छूट में आग लगी हुई थी, और मेरे को मज़ा आने लगा. फिर मैं जेठ जी से चुड गयी. सोनू मेरे को माफ़ कर दे
सोनू: मम्मी मैं आपको किसी से चूड़ने के लिए कभी माना किया ही नही हू. आप जिससे भी चूड़ना चाहो चूड़ो, लेकिन मेरे से पूच कर चूड़ो. बड़े पापा से आप चूड़ना नही चाहती थी, इसलिए मैं भी आपका साथ दे रहा था. और आप बड़े पापा से चुड ली हो, इससे मेरे को कोई दिक्कत नही है.
मम्मी: पर बेटा मैं तेरे अलावा किसी और से नही चूड़ना चाहती थी. जेठ जी मौके का फ़ायदा उठा के मेरे उपर टूट पड़े, और मैं भी बहक गयी.
सोनू: हा मम्मी मैं समझता हू. और मैं आपसे नाराज़ भी नही हू.
मम्मी: लेकिन फिर भी बेटा. आज मेरे से बहुत बड़ी ग़लती हुई है. मेरे को माफ़ कर दे.
सोनू: हा मम्मी, लेकिन मैं आपसे नाराज़ नही हू. आप बार-बार माफी मत माँगो.
फिर मम्मी मेरे को अपने गले लगा लेती है. कुछ देर बाद हम लोग अलग होते है. फिर मैं बोलता हू-
सोनू: मम्मी पर अब बड़े पापा यहा से जल्दी नही जाएँगे. क्यूंकी वो अब आपकी छूट का स्वाद चख चुके है, अब और आपको छोड़ने के लिए वो यही रुकेंगे.
मम्मी: हा ये तो है. और उनकी वजह से तू और मैं चुदाई नही कर पा रहे है.
सोनू: हा मम्मी. लेकिन एक बात बताओ, बड़े पापा से चूड़ने में आपको कितना मज़ा आ रहा था?
मम्मी: मज़ा तो आया, पर तेरे जितना मज़ा जेठ जी नही दे पा रहे थे. तेरे जैसी बात जेठ जी में नही है.
सोनू: झूठ बोल रही हो आप.
मम्मी: अर्रे सच में, जब तेरा लंड मेरी छूट में जाता है, तब तो मैं जन्नत पहुँच जाती हू. और तेरे को पता है जेठ जी मेरे को 2 बार छोड़े है, फिर भी मेरी छूट का प्यास नही बुझी है. मेरी छूट का प्यास सिर्फ़ तेरा लंड ही बुझा पाता है.
सोनू: तो चलो ना मैं आपकी प्यास बुझा देता हू.
मम्मी: मैं भी यही चाहती हू पर जेठ जी तो हम दोनो के उपर नज़र रख के बैठे है. अगर उनको ज़रा सा भी हम दोनो के बारे में पता चला, तो बहुत बड़ी दिक्कत हो जाएगी. और तेरे को पता है जेठ जी का गाओं में बहुत रुतबा है.
फिर मम्मी मेरे को गाओं की औरतों वाली बात और रंजीता और रेणु वाली बात बताई. मैं अंजन बन कर बोला-
सोनू: बड़े पापा तो एक नंबर के चुड़क्कड़ है.
मम्मी: हा बेटा, इसीलिए बोल रही हू. अगर जेठ जी को हमारे बारे में पता चला, तो वो हम लोगों का बहुत ग़लत फ़ायदा उठा सकते है. शायद हमारा बिज़्नेस हड़प ले, या हमारी प्रॉपर्टी हड़प ले, कुछ भी हो सकता है. इसलिए हमारा बच कर रहना ही सही है.
मम्मी की बात सही थी.
सोनू: आप सही बोल रही हो मम्मी.
मम्मी और मैं बहुत देर तक बात किए. फिर मम्मी बोली-
मम्मी: हा अछा सुन. चल हॉल में मैं तेरे को छाई डेडू. फिर मैं नहाने जौंगी.
सोनू: ठीक है.
फिर मैं हॉल में छाई पीने बैठ जाता हू, और मम्मी नहाने चली जाती है. फिर कुछ देर में बड़े पापा आए और हॉल में बैठ गये. मैं बोला-
सोनू: अर्रे वाह, बड़े पापा आप तो आचे से चल पा रहे हो. लगता है आपकी चोट ठीक हो गयी है.
सुरेश: पूरी ठीक नही हुई है बेटा. वो आज दोपहर तेरी मम्मी मेरी मालिश की थी, तो तोड़ा आराम मिल गया. तेरी मम्मी थोड़ी और मालिश कर देगी तो मेरे को पूरा आराम मिल जाएगा.
मैं मॅन में बोला: हा किस मालिश का बात कर रहा है, सब जानता हू.
सोनू: हा बड़े पापा. वैसे आपको देख कर लग रहा है की अब आप बस का सफ़र आराम से कर सकते हो, और ऐसे भी आपको अब घर चल देना चाहिए. क्यूंकी आपकी बेटी का शादी है, और वाहा घर पर आपका होना भी ज़रूरी है.
मेरी ये बात सुनते ही बड़े पापा तोड़ा सा घबरा गये, और बोले-
सुरेश: हा बेटा तू बात तो सही बोल रहा है. पर मैं अभी बस का सफ़र करने की हालत में नही हू. मेरे को तोड़ा और आराम चाहिए, और वाहा घर पर सब लोग है. वो लोग आराम से सब संभाल लेंगे. तो दिक्कत नही है.
सोनू: हा तो ठीक है.
मैं मॅन में बोला: ये भोंसड़ी वाला इतनी आसानी से नही जाएगा.
फिर छाई पीने लगा. कुछ देर बाद मम्मी आई और किचन में जाके खाना बनाने लगी. मैं और बड़े पापा वही हॉल में ही बैठे थे. फिर मैने टीवी चालू कर लिया, और टीवी देखने लगा.
कुछ घंटे बाद हम सब लोग खाना खाने डिन्निंग टेबल पर बैठे, तो मैं बीच में बैठा था. मम्मी और बड़े पापा एक-दूसरे के सामने बैठे थे. बड़े पापा बार-बार मम्मी को देख कर हस्स रहे थे. बीच-बीच में मम्मी भी उनकी तरफ देख कर हस्स देती थी.
मैं ये सब देख रहा था. कुछ देर में हम सब का खाना-वाना हो गया. फिर बड़े पापा अपने रूम में चले गये. मैं और मम्मी अपने रूम में चले गये. मैं और मम्मी चुदाई नही किए, क्यूंकी बड़े पापा हम लोगों पर नज़र रखे हुए थे. तो मैं और मम्मी सोने लगे.
फिर कुछ देर बाद बड़े पापा ने हमारे रूम का दरवाज़ा खटखटाया.
आयेज क्या हुआ वो मैं अगले पार्ट में आपको बतौँगा. कहानी पढ़ कर अपना फीडबॅक ज़रूर दे.