हेलो दोस्तों, आज मैं आपको बताने जेया रहा हू मेरी लाइफ की एक ऐसी सेक्स कहानी जिसके बारे में आज भी सोचता हू तो लगता है की कितने खूबसूरत पल थे मेरी लाइफ के. ये तब की बात है जब मैं कॉलेज में था, और मैं- राहुल 19 यियर्ज़ का था, और पिछले 3 साल हॉस्टिल में रह कर पढ़ाई कंप्लीट करके अपने घर आया था.
इस कहानी के 2 और कॅरेक्टर्स है मेरे अलावा, जो है मेरे मम्मी और पापा. मेरी मम्मी- श्रुति, जो तब 40 यियर्ज़ की थी, और आज भी इनका फिगर मेंटेंड है, क्यूंकी वो आज भी फिटनेस पर ध्यान देती है, और रेग्युलर जिम जाती है. उनका फिगर तमन्ना की तरह है, तोड़ा सा चब्बी, गोरा बदन, और ओपन माइंडेड नेचर की सबसे प्यारी और केरिंग मों.
वो यूष्यूयली वर्क फ्रॉम होमे ही करती थी, तो पूरा दिन घर के काम में और ऑफीस के कम में निकल जया करता था. फिर शाम के वक़्त हम फ्री होते थे. तब मेरे पापा- आकाश जो उस वक़्त 42 यियर्ज़ के थे, वो भी ऑफीस से शाम के वक़्त घर आ जया करते थे. फिर हम साथ खाना खाते और अपने-अपने कमरे में सोने चले जाते.
मेरे मम्मी पापा की बात काहु तो वो बहुत खुश, पॉज़िटिव माइंडेड, और मॉडर्न थे. काफ़ी प्यार था हमारे बीच, लेकिन मैं 3 साल हॉस्टिल में घर से डोर था, और तोड़ा मेच्यूर भी हो चुका था. कुछ-कुछ बातें भी समझने लगा था. वैसे तो हम तीनो के बीच काफ़ी प्यार और मस्ती मज़ाक का माहौल पहले भी था, बस तब मेरी समझ थोड़ी कम थी. लेकिन अब हम घर में भी कभी-कभी आपस में ही डबल मीनिंग में बात हो जया करती थी.
हम आमेडबॅड में रहते है और ये थी मेरे घर की बॅकग्राउंड. अब शुरू करता हू कहानी से. तो हुआ ये था की मुझे बस कुछ ही दिन हुए थे हॉस्टिल से घर आए हुए, और हमेशा की तरह रात को डिन्नर करके हम अपने-अपने कमरे में चले जया करते थे.
मम्मी-पापा का और मेरा कमरा बाजू-बाजू में ही था, और जब से मैं आया था घर, मैने कभी-कभी नोटीस किया था की मम्मी-पापा के कमरे से देर रात तक आवाज़े आती थी. पहले मुझे लगा था की शायद टीवी चालू होगा.
लेकिन फिर काई बार जब मैं उठ कर वॉशरूम जाने के लिए या पानी पीने के लिए अपने कमरे से बाहर आता, तो समझ आता था की टीवी की नही, और ये तो मम्मी-पापा की ही आवाज़े थी. कभी वो बातें करते थे, कभी हेस्ट थे, कभी-कभी शायद सेक्स भी करते होंगे, आवाज़ो से मुझे अंदाज़ा लगा.
ऐसे ही मेरी क्यूरीयासिटी बढ़ने लगी थी, और मैने काई बार कीहोल से देखने की कोशिश भी की. तो कमरे की लाइट्स तो बंद होती थी, लेकिन खिड़की से बाहर की रोशनी थोड़ी बहुत कमरे में आती थी, तो कुछ कुछ नज़र ज़रूर आता था. ऐसे ही एक दिन रात के कुछ 2 बजे होंगे, तो मैने जब देखा, तो मम्मी पापा दोनो हग करके सोए थे प्यार से. लेकिन उन्होने कुछ पहना नही था.
मुझे मॅन ही मॅन में अछा तो लग रहा था. लेकिन थोड़ी शरम भी आने लगी थी, की ऐसे मैं देख रहा था उन्हे. अगले दिन मैं देर रात तक जाग रहा था, और सोचा की कुछ देर पहले ही जेया कर अगर मैं उन्हे देख पौ तो क्या देखने मिलेगा.
अगले दिन ऐसे ही रात के करीब 12:30 बजे जब मैं गया उनके कमरे के बाहर, तो कीहोल से देखने ही लगा था की दरवाज़ा तोड़ा सा खुल गया. मैने देखा की उन्होने दरवाज़ा लॉक नही किया था. खैर फिर क्या, मैने मौके का फ़ायदा उठाया, और अंदर देखा तो पापा नीचे लेते हुए थे. मम्मी उनके उपर बैठी थी, पापा को देखते हुए, और दोनो सेक्स कर रहे थे.
मम्मी अपने बालों को पकड़े हुए उछाल रही थी, और उनकी कमर पे एक धागे जैसा था. शायद नज़र ना लगे वो पहनते है ऐसा कुछ. मैने तो फर्स्ट टाइम ये नोटीस किया था. कुछ देर देखने के बाद, मम्मी जब उठ कर दरवाज़े की तरफ मूड के पापा के उपर बैठी, फिर कुछ सेकेंड्स के बाद मम्मी अचानक से उछलते-उछलते रुकी.
पापा: क्या हुआ श्रुति? रुक क्यूँ गयी?
श्रुति: नही कुछ नही.
बस इतना कहते ही मम्मी फिरसे पापा के लंड पे उछालने लगी, और ऐसे कुछ देर बाद जब शायद पापा का पानी निकालने वाला था, तो मम्मी पापा के पेट पर बैठ गयी, और पापा का लंड पकड़ कर हिलने लगी कुछ सेकेंड्स. करीब 1 मिनिट बाद मम्मी तोड़ा सा साइड में झुकी, और पता नही किसकी अंडरवेर पड़ी थी, उससे अपनी छूट को तोड़ा सॉफ करते हुए साइड में लेट गयी, और फिर दोनो सो गये.
ऐसे ही कुछ दिन चलता रहा, और मैं देर से सोने लगा था, और उठता भी देर से था, क्यूंकी कॉलेज में वाकेशन्स चल रही थी. लेकिन अक्सर दरवाज़ा लॉक नही होता था रात में, जिसका मैं बहुत फ़ायदा उठता था.
मैं जब उठता था, दोपहर के 11-12 बजे, तब तक पापा काम पर जेया चुके होते थे, और मम्मी जिम से घर आ जाती थी, और कभी-कभी वैसे ही लॅपटॉप पर काम करती थी, या फिर कभी फ्रेश हो कर नहा कर काम करती थी.
इसी तरह एक सॅटर्डे का दिन था. तब दोपहर के कुछ 11:30 हो रहे थे, और मम्मी जिम से लौटने के बाद मेरे कमरे में आ कर मुझे जगाने लगी.
श्रुति: राहुल बेटा, कितना सोता है लाते तक. उठ जल्दी चल.
राहुल: मम्मी सोने दो ना, नींद पूरी नही होती है ये टाइम तक.
श्रुति: तू तो जल्दी सो जाता है ना, 11 बजे तक. हम सब 10 बजे तक तो अपने कमरे में चले जाते है. फिर इतने 12 घंटे की नींद भी तुझे कम पड़ती है? कमाल है!
राहुल: वो मम्मी… (मैं शांत रहा की कैसे बताता मैं उन्ही की वजह से तो लाते सोता था).
श्रुति: क्या हुआ? देर रात तक क्या टाइम पास करता है? फोन में लगा रहता है?
राहुल: वो… (तोड़ा सोचते हुए) हा मम्मी, कभी ग़मे कभी मूवीस देखता रहता हू, तो लाते सोता हू.
श्रुति: ऐसी कों सी मोविए देखता है बेटा रोज़? (तोड़ा कॉन्फिडेंट्ली बात करते हुए)
राहुल: कभी थ्रिलर, कभी सस्पेनस मोविए. जब जो मॅन करे.
श्रुति: रोमॅंटिक मूवीस नही देखता तू?
राहुल: हा मम्मी, कभी-कभी वो भी.
श्रुति: मुझे तो लगा था की आज कल के बाकछे रोमॅन्स, प्यार, सेक्स ये सब देखते होंगे. लेकिन चलो अछा है, पर कल से तोड़ा जल्दी उठ हया कर. इतनी लाते तक सोना अछा नही है.
मुझे और तेरे पापा को ही देख ले. इतना लाते सोते है, लेकिन सुबह टाइम पे उठ जाते है चाहे हो हो जाए.
राहुल (मौके का फ़ायदा उठाते हुए): तो मम्मी आप दोनो इतना लाते क्यूँ सोते हो? आप भी मूवीस वग़ैरा देखते हो क्या?
श्रुति (मम्मी तो सब समझती है): नही, बस जो तू रोज़-रोज़ दरवाज़े से च्छूप-च्छूप के देखता है, वही करते है.
राहुल शांत रहते हुए सोचता है की मम्मी को कैसे पता. और अगर पता है तो भी दरवाज़ा रोज़ खुला क्यूँ रखते होंगे.
श्रुति: क्या हुआ? क्या बोलू? कैसे बोलू? मम्मी को कैसे पता? यही सोच रहा है ना? (मेरे गाल खींचते हुए) बेटा मा हू तेरी. जब कोई दरवाज़े के बाहर होता है ना, तो उसकी शॅडो कमरे के अंदर आती है बाहर की रोशनी की वजह से.
राहुल (तोड़ा डरते हुए, की अभी दाँत पड़ेगी और पता नही क्या क्या होगा): सॉरी मम्मी.
श्रुति: सॉरी? इसमे सॉरी क्या? आज कल के बच्चो में इतनी क्यूरीयासिटी होना तो आम बात है. और तेरी उमर में ही तो ये सब देखने और करने की तलब होती है.
राहुल: प्लीज़ मम्मी डांटना मत, नही देखूँगा नेक्स्ट टाइम से.
श्रुति (हेस्ट हुए): अर्रे, डांटना होता, या तुझे रोकना होता, तो बेटा मैं दरवाज़ा लॉक नही करती क्या बेटा.
राहुल: क्या मतलब?
श्रुति: देख, तू मेट्यूर्ड है. इतना दर्र-दर्र के, शर्मा के क्यूँ रहता है घर में? तू तो जानता है मैं और तेरे पापा, रोमॅंटिक है. मूड बन जाता है. हम कितनी बार तेरे सामने ही ऐसी बातें करते है, जो थोड़ी अडल्ट हो. सब नॉर्मल ही है. और ना पापा को प्राब्लम है.
चल अब उठ जेया, मैं ब्रेकफास्ट रेडी करती हू. आंड चिल मी बेबी (मेरे चीक्स पे प्यार से छाँटा मारते हुए).
मम्मी चली गयी ब्रेकफास्ट बनाने और हम रोज़ की तरह डेली के कामो में बिज़ी हो गये. उस रात भी फिर मैं सोचने लगा, की मम्मी ने दांता नही. मतलब मम्मी जान-बूझ कर दरवाज़ा खुला रखती थी सब जानते हुए भी. इसका मतलब उन्हे कोई ऐतराज़ नही होगा मेरे देखने से.
तो मैं मॅन ही मॅन तोड़ा खुश हुआ, और फिर रोज़ की तरह रात को उनके कमरे के बाहर जेया कर अंदर देखने लगा. तो आज भी मुझे मम्मी पापा को सेक्स करते हुए देखने का मौका तो मिल गया. लेकिन मैं बहुत बार सोचता हू, की सेक्स करने से ज़्यादा अगर किसी को लिव सेक्स करते हुए देखो ना रोमॅन्स वाला, तो उससे ज़्यादा खुशी की बात कुछ नही हो सकती.
और ख़ास करके जब आप उन्हे जानते हो. उपर से उन्हे भी पता है की कोई उन्हे देख रहा हो. सोच कर ही एग्ज़ाइट्मेंट बढ़ने लगती है. खैर फिर अगले दिन सुबह वही, मम्मी मुझे उठाने आई. आज मैं तोड़ा फ्रेश मूड से उठा था, और मम्मी बस जिम से आई ही थी.
उन्होने ब्लॅक कलर का स्लिम फिट ट्रॅक पॅंट्स पहना था, और उपर स्लीव्ले त-शर्ट था, जो साइड्स से ज़्यादा कट वाला था. अंदर शायद स्पोर्ट्स ब्रा पहनी थी, जो ईज़िली नज़र आ रही थी ब्लॅक कलर की. बॉडी पे तोड़ा-तोड़ा स्वेट था. वो खुद को नॅपकिन से सॉफ करते हुए मुझे उठाने लगी.
श्रुति: बेटा उठ, चल यार. रोज़-रोज़ नही उतौँगी तुझे.
राहुल: सॉरी मम्मी, वो आप ही की वजह से तो देर तक जागना होता है.
श्रुति: अछा बेटा, ठीक है. आज से दरवाज़ा लॉक कर दूँगी. तभी तू जल्दी सोएगा, हैईना?
राहुल: नही मम्मी, मैं उठ जौंगा जल्दी कल से, प्रॉमिस.
श्रुति: फिर कल रात भी देख रहा था तू?
राहुल: हा मम्मी.
श्रुति: अछा लगा?
राहुल: ऑफ कोर्स मम्मी.
श्रुति: कितनी बार हिलाया फिर? (हेस्ट-हेस्ट पूछने लगी)
राहुल: 2 बार तो कमरे के बाहर ही. फिर 1 बार रूम में आने के बाद.
श्रुति (मुस्कुराते हुए): वैसे भी कल पापा काम पे तक गये थे. कल वो भी कुछ 2 बार करने के बाद तक गये थे. इसलिए कल तो शो जल्दी ख़तम हो गया था.
इतना कहते-कहते मम्मी अपनी ट्रॅक पॅंट्स उतारने लगी, जिसे देखते ही मैने दूसरी तरफ मूह कर लिया था.
श्रुति: मूह तो ऐसे घुमा रहा है, जैसे कभी कुछ देखा ही ना हो.
राहुल: वो तो मम्मी रात में लाइट्स तो बंद ही होती है ना. तो कहाँ कुछ सॉफ नज़र आता है.
श्रुति: हा तो सब कुछ करने के बाद लाइट्स बंद करने के लिए बेड से कों उठेगा?
इतने में मैने जब मम्मी की तरफ देखा, तो उन्होने ट्रॅक के नीचे ब्लॅक कलर की टाइट्स पहनी हुई थी, जो नयी आक्ट्रेसस पहनती है, फुल बॉडी से चिपकी हुई, शेप रिवील करते हुए.
राहुल: वो बात भी है.
श्रुति: वैसे ऐसे पति-पत्नी को देखना अची बात नही है.
राहुल: तो मम्मी आप ही तो दरवाज़ा रोज़ खुला रखते हो. जानते हुए भी की मैं देखता हू.
श्रुति: वो तो बेटा तू इतने साल हॉस्टिल में था, हम दोनो घर में अकेले होते थे. तो कभी लॉक करने की ज़रूरत ही नही पड़ी. वैसे ऐसी बात है तो कल को जब तेरी शादी होगी तब अगर मैं तुझे और मेरी बहू को ऐसे देखूँगी, तो तुझे तो कोई ऐतराज़ नही होगा ना (नॉटी स्माइल करते हुए)?
मैने कुछ नही बोला, बस स्माइल किया.
श्रुति: स्माइल क्या दे रहा है? कभी तेरी भी गर्लफ्रेंड को बुला ले. वैसे भी पापा तो होते नही दिन में. सिर्फ़ मैं होती हू. इसी बहाने मैं भी तो देखु की किसी और को सेक्स करते हुए देखने में क्या मज़ा आता है भला.
राहुल: उसके लिए मम्मी गर्लफ्रेंड होनी तो चाहिए.
श्रुति: तो हॉस्टिल में कुछ नही किया? मुझे तो लगा था हॉस्टिल में जेया कर आज कल के बच्चे बिगड़ जाते है. तू तो वाहा जेया कर भी नही बिगड़ा. लगता है शादी के बाद ही करेगा तू जो करेगा.
राहुल: मुझे भी वही लगता है मम्मी.
श्रुति: अछा बहुत बातें हो गयी, चल अब उठ जेया. आज सनडे है, पापा आज बाहर से लंच लाने गये है. आते ही होंगे.
फिर मम्मी ने अपनी ट्रॅक पॅंट्स उठाई, और बाहर चली गयी फ्रेश होने के लिए. और इसी तरह वो दिन भी गुज़र गया. लेकिन दिन भर दिन, मेरे और मम्मी के बीच में थोड़ी क्लोज़्नेस कम होने लगी थी. हम अक्सर ऐसे खुल के बातें करने लगे थे घर में. कभी-कभी पापा भी साथ दे दिया करते थे.
तो दोस्तों आपको यहाँ तक की कहानी कैसी लगी मुझे कॉमेंट करके और नीचे दिए गये मैल ईद पे मैल करके ज़रूर बताए.
आपके कॉमेंट्स और मेल्स पढ़ कर, मुझे और स्टोरीस लिखने का मोटिवेशन मिलता है.