मेरी पसंदीदा चुदक्कड़ घोड़ी

मेरा लम्बा और मोटा लंड हर वक़्त बस चोदने की फ़िराक में लगा रहता है. हर मर्द का मन चुदाई करने का करता है. हर मर्द चाहता है कि उसके पास कोई न कोई मस्त लड़की या औरत हो जिसे वो जब चाहे जैसे चाहे चोद सके. मस्त नंगी नंगी चुदक्कड़ घोड़ियों को चोदने से ज्यादा मज़ा किसी चीज़ में नहीं आता. वैसे तो ज्यादातर मर्दों के जीवन में सिर्फ़ एक ही घोड़ी होती है और वो है उनकी बीवी. पर मैंने 20 साल की उम्र होने से पहले ही कुल मिलाकर 24 मस्त चुदक्कड़ घोड़ियाँ चोद डाली थीं.. पर इतनी सारी लड़कियों और औरतों में मुझे सबसे ज्यादा मज़ा एक लड़की की चुदाई करने में आता था. और वो लड़की थी मेरी सबसे प्यारी, सबसे गदराई, सबसे ज्यादा कामुक और हद से ज्यादा चुदक्कड़ दीदी…….मेरी लंगड़ी मधु दीदी. जब तक मैंने दीदी की चुदाई नहीं की थी तब तक मैं उन्हें अपनी दीदी की तरह ही मानता था. वो दोनों पैरों से लंगड़ी थी पोलियो की वजह से और खड़ी ना हो पाने की वज़ह से हमेशा घुटनों पर चलती थी या फिर ३ पहियों की रिक्शा पर. पर जब मधु दीदी मुझसे पहली बार चुदी तो मैं उनका दीवाना हो गया. पहली बार चुदने के बाद दीदी भी मेरी चुदाई की दीवानी हो गयीं. शुरू के 2 महीने तो दीदी चुदाई से काफ़ी डरती भी थी कि कहीं हम पकड़े ना जाएँ. बड़ी मुश्किल से मैं दीदी को हफ्ते 10 दिन में एक बार चोद पाता था और बड़ी बेसब्री से उस दिन का इंतज़ार करता था. पर इतने इंतज़ार के बाद उस लंगड़ी को चोदने में खूब मज़ा भी आता था. घंटों उस चुदक्कड़ लंगड़ी को घोड़ी बना कर चोदने में हद से ज्यादा आनंद आता था. और दीदी भी मेरा नाम ले ले के खूब जोशीले ढंग से चुदती थी. दीदी को चुदने में इतना मज़ा आने लगा कि वो 2 महीने बाद हर दुसरे तीसरे दिन चुदने के लिए कहने लगीं.

“दीपू…मैं 2 दिन से नहीं चुदी. कब चुदुंगी?”

“कल मोका मिलेगा अच्छा. पुरे दिन तुम्हारी चुदाई करूँगा”

बस इस तरह ही दीदी मुझसे चुपके से बात करती रहती जब मैं उनके घर जाता. और जब मैंने देखा कि ये लंगड़ी मेरे लंड की दीवानी हो गयी है तो मैंने एक दिन दीदी की मस्त खरबूजे जैसी गांड भी चोद दी. जब पहली बार दीदी की गांड चुदी तो दीदी ख़ूब रोयीं और दर्द से चिल्लाई. पर मैं तो उस दिन जैसे जन्नत में ही घुस गया था. दीदी की गांड की ही वजह से मेरे अंदर दीदी को चोदने की इच्छा जागी थी. दो महीने तक लंगड़ी मुझसे चुदती रही पर मैंने दीदी की गांड में कभी ऊँगली तक नहीं डाली. मैं पहले दीदी को सेक्स के लिए पागल कर देना चाहता था. क्यूंकि सच तो ये था कि जितना मज़ा मधु दीदी को मुझसे चुदने में आता था उससे कई गुना ज्यादा मज़ा मुझे आता था दीदी को चोदने में. मैं जब चुदाई करता हूँ तो लड़की को घोड़ी बनाकर खूब देर तक चुदाई करना पसंद करता हूँ. अक्सर लड़कियां 20-25 मिनट से ज्यादा घोड़ी पोज़ में नहीं खड़ी हो पातीं. उनके घुटनों में दर्द होने लगता है. पर दीदी तो एक सचमुच की घोड़ी थी. वो तो हर वक़्त ही घोड़ी के पोज़ में रहती थीं. लंगड़ी होने की वजह से वो घोड़ी की तरह घुटनों पर ही चलती थीं. इसी वजह से दीदी मेरे लिए किसी भी जगह घोड़ी बन कर खड़ी हो जाती थीं ताकि उनका नंगा घोड़ा…….यानि की मैं…..उस मस्त चुदक्कड़ घोड़ी की चुदाई कर सकूँ. अब चाहे मैं उनको 3 घंटे चोदूं या 6 घंटे चोदूं दीदी पुरे टाइम अपने हाथों और घुटनों पर घोड़ी बनी रहती. कभी नहीं कहा कि “दीपू मेरे घुटनों में दर्द हो रहा है!” बहुत बार तो यूँ ही फ़र्श पर या लकड़ी की बेंच पर दीदी बिना कोई तकिया घुटनों के नीचे रखे घोड़ी बनी रहतीं और चुदती रहतीं. कई बार तो दीदी फ़र्श पर मस्त घोड़ी बन जातीं और मैं पूरा उनके ऊपर चढ़ के कमर पकड़ के बहुत ही ज़ोर से उनकी चुदाई करता. मैं इतने तेज़ और भयंकर तरीके से धक्के लगाता कि मुझे खुद को लगता कि कहीं दीदी के घुटने छिल ना जाएँ. मैं दीदी से पूछता “दीदी तकिया लगा लो घुटनों के नीचे नहीं तो घुटने छिल जायेंगे और दर्द भी होगा.” पर दीदी कहती “कोई बात नहीं दीपू…..मुझे आदत है….तू बस ऐसे ही चोदता रह मेरे घोड़े…….ऊऊह्हह्हह्हह्हह्हह …….रुक मत दीपू…….बस चोद मुझे”

दीदी की यही बात बड़ी मस्त थी. वो बिलकुल वैसी लड़की थी जैसी मुझे चाहिए थी. मेरे सामने अगर कोई नंगी लड़की घोड़ी बनी हो तो मैं उस घोड़ी को बिना रुके चार चार घंटे तक चोद सकता हूँ. लड़की को घोड़ी बना कर चोदना या डौगी स्टाइल में चोदना मुझे हद से ज्यादा पसंद है. और दीदी ही अकेली ऐसी लड़की थी जो मेरे लिए तब तक घोड़ी बनी रह सकती थी जब तक मैं चाहूं. इसलिए मुझे दीदी को चोदने में बहुत ज्यादा मज़ा आता था. और इसलिए मैंने दीदी की गांड चोदने में जल्दबाज़ी नहीं दिखाई. दीदी को मुझसे चुदते हुए 2 महीने से ज्यादा हो चूका था जब मैंने उस दिन पहली बार दीदी की मस्त कुंवारी फूली हुई गांड का उद्घाटन किया. दीदी की गांड ने मुझे काफी समय से पागल कर रखा था. और जब मैं उनकी डौगी स्टाइल में चुदाई करता तब तो मेरी और ज्यादा हालत ख़राब हो जाया करती थी. चुदाई करते टाइम मैं खूब उस लंगड़ी के मस्त नंगे नंगे मुलायम चूतडों को पकड़ता और सहलाता रहता. और डौगी स्टाइल में तो बहनचोद उस लंगड़ी की गांड का वो मस्त भूरा छेद भी हमेशा मुझे चिड़ाता रहता. पर मैंने भी सोच रखा था कि इस लंगड़ी गांड का उद्घाटन जब करूँगा जब ये लंगड़ी मेरी चुदाई के लिए पागल हो जाएगी. क्यूंकि गांड का भूरा छेद देख के ही लगता था कि गांड काफी तंग है. और दीदी की गांड कभी चुदी भी नहीं थी. और चुदती भी कैसे उस कुतिया की तो चूत भी पहली बार मैंने ही चोदी थी. इसलिए जब 2 महीने बाद हम रोज़ चुदाई करने लगे और हमें दीदी के घर पर ही सुबह से शाम तक अकेले रहने का मोका भी मिलने लगा तो मैंने एक दिन दीदी की गांड का उद्घाटन कर दिया. दोस्तों एक लकड़ी की बेंच पे चुदी थी उस दिन दीदी की गांड. और लंड को तो मैंने दीदी की रसोई में रखे सरसों के तेल के डिब्बे में पूरा डुबो कर तरर किया था उस लंगड़ी कुतिया की गांड में डालने के लिए. पर मैं भी खूब कमीना था. मैंने दीदी की गांड में तो बिलकुल भी तेल नहीं लगाया. बस एक पतली सी इंजेक्शन वाली पिचकारी से दीदी की गांड में गुनगुना पानी भर के दीदी को एनीमा देकर अच्छे से गांड को साफ कर लिया था. हाँ जब दीदी बेंच पर घोड़ी बनी तो मैंने पहली बार उनकी गांड का स्वाद लिया. मैंने आधे घंटे तक दीदी की गांड के छेद को खूब मस्ती से चाटा. मैं मज़े से पागल हो रहा था. जिस गांड को मैं इतना पसंद करता था और जिस गांड के छेद को मैंने दीदी की चुदाई करते हुए खूब फुदकते हुए देखा था वो छेद आज दीदी ने मेरे सामने परोस के रख दिया था. ये ख्याल कि मैं आज दीदी की इतनी कोमल और गरम गांड अपने लंड से चोदुंगा, मुझे पागल बना रहा था. मैं दीदी के उस गरम गांड के छेद को किसी कुत्ते की तरह चाट रहा था. मेरे होंठ दीदी की गांड के छेद पे ऐसे रगड़ खा रहे थे जैसे वो दीदी की गांड का छेद नहीं बल्कि उनके होंठ हो. ……..पर उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़……वो भूरा मस्त फुदकता हुआ गांड का छेद उनके होंठों से कम भी नहीं था. मैं जोश में खूब गन्दी हरकत करने लगा. गांड के छेद में थोडा सा थूक जीभ से अंदर करता और फिर ज़ोर से छेद को चूस के थूक वापस अपने मुंह में ले लेता और उसे सटक जाता. बिलकुल ऐसा लग रहा जैसे मैं दीदी की गांड का रस पी रहा हूँ. लंगड़ी तो मेरी ऎसी हरकतों से गर्मी से पागल हो गयी. कहने लगी “उफ्फ्फफ्फ्फ़ दीपू …..कितना मज़ा आ रहा है……इस्स्स्सस…..उफ्फ्फफ्फ्फ़……आःह्हह्ह्ह्हह्ह्ह्ह”

मैंने जानबूझ कर दीदी की गांड के अंदर थूक नहीं जाने दिया. जितना भी थूक गांड चाटते टाइम गांड में जाता मैं उसे मुंह से खींच के चूस लेता और और फिर मैं दीदी की गांड में लंड डालने के लिए दीदी के पीछे खड़ा हो गया. मैंने दीदी की कच्छी उठा कर दीदी की गांड के छेद को अच्छे से पोंछ दिया ताकि उस मस्त छेद से थूक पूरा साफ़ हो जाये. मैं ऐसा इसलिए कर रहा था क्यूंकि मैं आज दीदी को खूब दर्द देकर चोदना चाहता था. मैंने अपनी आंटी बबिता की खूब गांड चोदी थी और मुझे पता था कि जब गांड चुदाई के टाइम लड़की चिल्लाती है तो मज़ा 10 गुना आता है. बबिता ने ही मुझे बताया था कि लड़की या औरत की गांड कैसे चोदी जाती है जिससे लड़की और उसकी गांड भी पूरी तरह से ठंडी हो जाये और लंड को भी खूब गरमा गरम चुदाई का आनंद मिले. बबिता ने ही बताया था कि अगर चुदाई के टाइम लड़की को थोड़ा दर्द हो तो उसका आनंद कई गुना बढ़ जाता है.

मैंने खुद देखा है कि लड़कियों को अगर चुदाई में दर्द होता है तो उन्हें ज्यादा आनंद आता है. यही वजह है कि बड़ी उम्र की औरतें गांड मरवाना खूब पसंद करतीं हैं. क्यूंकि ज्यादा चुदाई के बाद चूत में तो दर्द होता नहीं पर गांड में अगर चिकनाई न लगाओ तो काफी दर्द होता है. और जब लड़की दर्द से ज़ोरों से सिसकती है तो हम मर्दों को भी तो उन्हें चोदने में बड़ा मज़ा आता है. पर उस दिन जब मैं दीदी की गांड पहली बार चोदने वाला था तो मेरी ठरक सातवें आसमान पे थी. मैं दीदी की गांड के लिए बहुत ज्यादा तड़पता था. इसलिए उस दिन जब मेरे सामने ऐसा मोका आया कि मैं अपनी उस प्यारी सी लंगड़ी दीदी की प्यारी सी नंगी गांड में लंड डाल सकूँ तो मैं पता नहीं क्यूँ दीदी को punish करना चाहता था. मैं चाहता था कि मैं जब दीदी की गांड में लंड डालूं तो दीदी ज़ोरों से चिल्लाये और हाथ पैर पटके. मैं चाहता था कि मैं जब उस लंगड़ी की गांड चोदूं तो तो लंगड़ी की आँखों से आँसू निकले और गांड से चरचराहट. मैं लंगड़ी के पीछे खड़ा था. और दीदी की मस्त गदराई नंगी गांड को देख रहा था. दीदी अजीब तरह से बेंच पर हिल रह थी और पीछे मुड़ मुड़ के देख रही थी.

“दीपू…….प्लीज…….आहिस्ता करना. मीनू बताती है कि पीछे बहुत ज्यादा दर्द होता है. संजू जब भी मीनू की गांड मारता है तो मीनू पुरे टाइम रोती रहती है दर्द से. (संजू है लंगड़ी दीदी का सगा बड़ा भाई जिसने दीदी की पक्की सहेली मीनू को पटा रखा था चोदने के लिए )”

“पर दीदी फिर भी मीनू संजू को अपनी गांड मारने देती है ना. तो क्या हुआ अगर वो रोती है तो….उसे मज़ा आता है तभी तो वो गांड मरवाती है.”

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“हाँ यार ये बात तो तू सही कह रहा है….मीनू मुझसे कहती भी रहती है कि ‘तेरा भाई मेरी गांड बहुत बुरी तरह मारता है कुत्ता कहीं का’ तो फिर क्यूँ उस कुत्ते को गांड मारने देती है.”

“दीदी दर्द तो होता है गांड चोदने में…बहुत ज्यादा दर्द होता है…पर बाद में बहुत ज्यादा मज़ा आता है जो चूत के मज़ा से अलग होता है. इसलिए ही मीनू दीदी दर्द के बावजूद भी संजू को गांड चोदने देती हैं. वैसे दीदी…….आपका भाई बहुत किस्मत वाला है.”

“वो क्यूँ”

“अरे मीनू दीदी जैसी लड़की की गांड मारने के लिए मिल रही है तो किस्मत वाला ही हुआ ना. बहुत प्यार करती हैं ना मीनू दीदी संजू से”

“ही ही ही ही”

“क्या हुआ? आप हंस क्यों रही हो?”

“मीनू और प्यार!…………वो तो एक नंबर की हरामी लड़की है. मेरे भाई को बस चुदवाने के लिए पटा रखा है. संजू से पहले भी 4 लड़कों से चुदवा चुकी है. पर कहती तो है कि संजू से चुदने में उसे बड़ा मज़ा मिलता है. कहती है कि खूब मोटा और लम्बा लंड है संजू का”

“क्या दीदी मेरे लंड से भी ज्यादा मोटा है संजू का लंड?”

“हट पागल …संजू मेरा सगा भाई है….मैं तो कभी मीनू से उसके लंड के बारे में पूछती भी नहीं. मुझे तो बस तेरा लंड पसंद है. पर आज तुझे भी ना जाने क्यूँ मेरी गांड मारने का भूत सवार है. पर हाँ……जब मीनू अपनी गांड चुदवा सकती है वो भी मेरे भाई से तो मैं तो तुझपे अपनी जान छिड़कती हूँ. तेरे लिए मैं दर्द भी सह लूंगी. बस दीपू थोडा आहिस्ता आहिस्ता चोदना.”

“क्यूँ दीदी? क्या संजू मीनू दीदी की गांड आहिस्ता आहिस्ता चोदता है.”

“हट बदमाश……तो क्या तू भी संजू की तरह बेरहमी से चोदेगा?”

“उम्म्म……..बेरहमी से तो नहीं ……..पर हाँ ख़ूब जी भरके और तबियत से चोदने का मन है तुम्हारी गांड. साली ये गांड है ही इतनी मस्त……. ‘चटाक’……..” मैंने जोर से दीदी की नंगी गांड पे चांटा मारा.

“आउच…..उफ्फ्फ्फ़…..दीपू……आःह्ह्ह……कुत्ता”

“दीदी अगर आप कहो तो मैं तुम्हारे घुटने किसी चीज़ से बांध दूँ?”

“क्यूँ?”

“वो दीदी मैंने किताब में पढ़ा था कि अगर गांड चोदते टाइम लड़की की टाँगें आपस में बांध दो तो लड़की को बहुत ज्यादा मज़ा आता है जिससे दर्द ज्यादा महसूस नहीं होता.”

मैं दरसल दीदी के पैर आपस में बांध देना चाहता था जिससे कुतिया चुदते टाइम आगे को ना भागे. क्यूंकि डौगी स्टाइल में गांड चोदते टाइम लड़की दर्द होने पे आगे को भागती है पैर चला के.

“ठीक है बांध दे अगर ऐसी बात है तो.

मैंने जल्दी से दीदी के घुटने उनके एक दुपट्टे से बांध दिए. दुपट्टा काफी लम्बा था. मैंने दुपट्टे के एक सिरे से तो दीदी के पैर बांध दिए और फिर दूसरा सिरा दीदी की कमर पे कस कर दीदी की कमर को भी घुटनों से बांध दिया. ऐसा मीने इसलिए किया दीदी की कमर मस्त नीचे को झुकी रहे और मादक गांड का छेद कुतिया की गांड से बेरोकटोक बाहर को झांकता रहे.

“क्या ऐसे कमर बांधने से भी दर्द कम महसूस होगा?”

“हाँ दीदी”

अब मुझे बिलकुल नहीं रुका जा रहा था. इतनी प्यारी और गरम लग रही थी दीदी की वो नंगी गांड कुतिया स्टाइल में. मैं तुरंत दीदी की रसोई से सरसों के तेल का पूरा भरा हुआ डब्बा ले आया. डब्बा बड़े ढक्कन वाला था. मैंने ढक्कन खोला और अपना मोटा तन्नाया हुआ लंड पूरा डब्बे में डुबो दिया.

“ओह्हो…दीपू…तूने ये लंड डब्बे में क्यूँ डाल दिया. पूरा तेल ख़राब कर दिया.”

“दीदी अब तो ये तेल और भी ज्यादा टेस्टी हो गया” दीदी ये सुन के मुस्कुराने लगीं.

“दीपू…..ये तेल सिर्फ़ मेरे लिए टेस्टी बना है. मैं अब रोज़ इसी तेल के पराठे खाऊँगी.”

मैंने जब डब्बे से लंड बहार निकाला तो लंड पूरा सरसों के तेल से भीगा हुआ था. तेल लंड से टपक कर नीचे भी गिर रहा था. मैं डब्बे को यूँ ही मेज़ पर खुला छोड़ कर जल्दी से बेंच पे घोड़ी बनी उस चुदक्कड़ लंगड़ी के पीछे आ गया. लंगड़ी के घुटने आपस में बंधे थे और कमर भी घुटनों से लगी हुई थी. गांड का छेद बहुत ही गरम अंदाज़ में झांक रहा था. मैंने तुरंत दीदी के नरम नंगे चूतड़ पकड़ लिए. दीदी के चूतड़ इतने लाज़वाब थे कि बता नहीं सकता.

मैंने अपने बाएं हाथ से दीदी के बाएं चूतड़ को पकड़ा और दायें हाथ से अपने लंड को दीदी की गांड के सुराख़ पे सेट करके दीदी से बोला:

“दीदी तुम अपने दायें हाथ से अपने दायें चूतड़ को फेलाओ ना प्लीज…”

दीदी ने ऐसा ही किया और मैंने झट से जोर लगा के लंड को गांड में अंदर ठेला. मेरे लंड की नुकीली नथुनी जोर लगाने से दीदी की गांड में घुस तो गयी पर दर्द से दीदी ने गांड सुकोड़ ली जिससे लंड की नथुनी एकदम से उछल के दीदी की गांड से बहार आ गयी.

“ओह्ह्ह……दीपू……मुझे तो बहुत दर्द होगा…….हाय…..कैसे घुसेगा इतना मोटा लंड गांड में?”

“दीदी……तुम बस गांड को टाइट मत करो……बस ढीली रखो. बस दो मिनट के लिए भूल जाओ कि मैं गांड में लंड डाल रहा हूँ. दीदी प्लीज अब जल्दी से फिर से फेलाओ ना…….”

दीदी ने फिर से एक हाथ से अपना दायाँ चूतड़ फेलाया और पीछे मुड़ के देख रहीं थीं. दीदी की आँखें शायद पहले धक्के के दर्द से गीली हो गयीं थीं.

“दीपू ……….प्लीज आहिस्ता से……..चाहे थोड़ा टाइम लगा ले पर लंड बहुत होले होले घुसाना गांड में. नहीं तो मैं मार जाउंगी……”

“दीदी रिलैक्स…….कुछ नहीं होगा. और गांड चुदवाने से कोई नहीं मरता. अगर ऐसा होता तो तुम्हारी सहेली मीनू दीदी कब की मर चुकी होती”

मैंने फिर से लंड को पकड़ के दीदी की गांड के सुराख़ पे टिका दिया और दीदी की कमर पे हाथ फेरने लगा दीदी को रिलैक्स करने के लिए. छेद लंड की नथुनी पे बार बार फूल पिचक रहा था. छेद कभी रिलैक्स होता तो कभी सिकुड़ जाता. मैं बस दीदी के छेद की इस हरकत का जायजा ले रहा था और धक्का मारने के लिए छेद के रिलैक्स रहने का इंतज़ार कर रहा था. करीब ५ मिनट तक ऐसे ही मैं लंड को दीदी की गांड के सुराख़ पे चिपका के खड़ा रहा और दीदी के मस्त नरम नंगे चूतड़ों को सहलाता रहा. मैं बस जल्दी से लंड को दीदी की गांड में घुसेड़ देना चाहता था. मेरा मन दीदी के नंगे चूतड़ों को सहलाने के बजाये ज़ोरों से चोदने का कर रहा था. उस दिन से पहले मैंने दीदी की नंगी गांड को ख़ूब प्यार से सहलाया था. पर अब उस गांड की चुदने की बारी थी.

फिर जैसे ही दीदी की गांड का छेद ज़रा रिलैक्स हुआ तो मैंने ज़ोर से धक्का मारा और लंड की नथुनी दीदी की गांड में घुस गयी. दीदी की बहुत तेज़ चीख़ निकली.

“आआयीयाआआ………..आआआईईयाआआआआ ………मर्र्र्रर्र्र्रर गयीईईईइ …………..उईईईईई…………दीपूऊऊऊऊऊ………….आआय्य्य्यीईईईईईईइ……….रीईईईइ………..”

लेकिन मैंने तुरंत उस लंगड़ी कुतिया की कमर पकड़ ली और लंड को और अंदर घुसाने लगा. मैं इतना जोर लगा रहा था जैसे मैं अपनी दीदी की नहीं बल्कि किसी बाज़ारू रंडी की गांड मार रहा हूँ. दीदी ज़ोरों से बिलखती हुई बेंच पर हाथ पटक रही थी.

“ऊउह्ह…दीपू….नहीं….. ऊउह्ह…दीपू….नहीं….. ऊउह्ह…दीपू….नहीं….. ऊउह्ह…दीपू….नहीं…..आआऐईईइयाआआअ……….ऊऊऊऊईईईईइमा …….. ऊउह्ह…दीपू….नहीं….. ऊउह्ह…दीपू….नहीं…..आआआईईयाआआआआ …………आह्ह्ह्हह्ह्ह्ह……..मैं मर जाउंगी दीपू…….नह्हह्ह्ह्हह्ह्ह्ही प्लीज दीपू…………ओह्ह्हह्ह्ह्ह रीईईईईईई……………आईईईईईईईईईईईईई………..रीईईईइ ……….दीपू……….ओह माय गॉड………मर गयीईईईइ मैं……….दीपूऊऊऊऊऊऊऊऊउ………… ऊउह्ह…दीपू….नहीं….. ऊउह्ह…दीपू….नहीं….. ऊउह्ह…दीपू….नहीं…..”

दीदी के आँसू निकल रहे थे और ऊउह्ह…दीपू….नहीं….. ऊउह्ह…दीपू….नहीं…..कहे जा रही थीं. पर दीपू तो बस उस लंगड़ी की गांड में लंड जड़ तक घुसा देना चाहता था. मैंने दीदी की कमर बड़ी कस के पकड़ रखी थी और बहुत ही ज़ोर से लंड को घुसेड़ रहा था. मैं पहली बार किसी को इतनी बेरहमी से चोद रहा था. पर हद से ज्यादा मज़ा भी आ रहा था. वो तो ये अच्छी बात थी कि दीदी के घर से आवाज़ बाहर नहीं जाती थी चाहे कितना भी जोर से क्यूँ ना चीख़ो. नहीं तो किसी बहार वाले को ऐसा ही लगता जैसे अंदर किसी का रेप हो रहा हो. खेर मैं जब तक धक्के मारता रहा जब तक मैंने पूरा का पूरा ८ इंची लंड उस लंगड़ी की गांड में नहीं घुसा.

गांड इतनी ज्यादा टाइट थी कि इतनी ज़ोर से धक्के मारने पर भी पूरा लंड गांड में डालने में 12 मिनट लग गए. पूरा लंड गांड में डाल कर मैं रुक गया.

दीदी की हालत बहुत ज्यादा ख़राब हो गयी थी. दीदी की बेंच पर टांगें कांप रहीं थीं और वो अब भी रो रहीं थीं.

“ऊउह्ह्ह्ह ……..दीपू……..हद से ज्यादा दर्द हो रहा है……..ऊऊऊऊऊ………ऊऊऊन्न्न……..ऊऊऊऊऊ………ऊऊऊन्न्न”

“बस दीदी हो गया……….” ‘पुन्छ्ह’…. ‘पुन्छ्ह’…. ‘पुन्छ्ह’…. ‘पुन्छ्ह’….मैं दीदी की कमर पर झुक कर चुम्मी लेने लगा.

मेरा लंड गांड में घुस कर हद से ज्यादा आनंद महसूस कर रहा था. मैंने जोर से दीदी के बाल पकड़े और एक हाथ से दीदी के चूतड़ पर थप्पड़ लगाने लगा. हद से ज्यादा मज़ा आ रहा था दोस्तों. इतनी मस्त लंगड़ी लड़की की डॉगी स्टाइल में गांड मारने का मज़ा सबसे निराला था. सबसे ज्यादा उत्तेजक बात ये थी कि मैं एक लंगड़ी लड़की की गांड चोद रहा था. एक तो वो लंगड़ी थी और ऊपर से वो मेरी दीदी भी थीं. [दीदी के घर वालों को यहीं लगता था कि मैं और दीदी एक दुसरे को भाई बहन मानते हैं. दीदी रक्षाबंधन पे मुझे राखी भी बांधती थीं. पर जब दीदी मुझसे चुदने लगीं तो रक्षाबंधन पर दीदी मुझे एक नहीं दो राखी बांधती थीं. एक सबके सामने कलाई पर और दूसरी अकेले में मेरे लंड पर. लंड पर राखी बांध कर फिर दीदी घोड़ी बन जातीं थीं ताकि मैं उनकी गांड मारू. एक साल तक किसी को पता नहीं था कि मैं दीदी को चोदता हूँ. और मेरी भी ऐश आ रही थी. सबके सामने मधु मेरी ‘दीदी’ होती और अकेले में वो मेरी मस्त नंगी, लंगड़ी चुदक्कड़ कुतिया बन जाती. लंगड़ी को चोदना मेरा सबसे फेवरेट काम हो गया. मैंने खेलना भी बंद कर दिया. स्कूल से भी बंक मारना शुरू कर दिया. विडियो गेम भी खेलना बैंड कर दिया था. बस लंगड़ी का ऐसा नशा लगा हुआ था कि हर वक़्त लंगड़ी को चोदने का मन करता रहता था.]

दीदी की गांड में अपना लंड फंसा हुआ देख कर बहुत अच्छा लग रहा था. मैंने पूरा का पूरा 8 इंची लंड दीदी की गांड में जड़ तक घुसेड़ दिया था. लंड का सुपाड़ा तो लगभग दीदी के पेट में घुसा हुआ था. बहुत सताया था उस लंगड़ी की गांड ने मुझे. अब जाके पूरी हुई थी दीदी की गांड में लंड डालने की तमन्ना.

मैं लगभग 10 मिनट तक यूँ ही दीदी के गांड में लंड गाड़े खड़ा रहा क्यूंकि दीदी दर्द से बेहाल थीं. अभी तुरंत धक्के मार के गांड चोदना शुरू कर देता तो लंगड़ी बेहोश भी हो सकती थी. और इधर मेरा लंड भी बुरी तरह गरमाया हुआ था. इतनी मस्त कुंवारी गांड में लंड जल्दी से वीर्य भरने के मूड में था. पर मैं अभी दीदी को कम से कम आधा घंटा चोदना चाहता था. वैसे तो मैं लम्बी रेस का घोड़ा हूँ पर उस दिन एक तो दीदी की पहली बार गांड मारने की उत्तेजना ने और ऊपर से उस लंगड़ी की मस्ती से भरी गांड ने लंड को बिलकुल झड़ने की कगार पे ला खड़ा किया. ऊपर से दीदी गांड में लंड डलवाते टाइम ऐसे अजीब तरह से रम्भा रहीं थीं जैसे कोई गाय की बछिया रंभाती है. दीदी की इनती मस्त रंभाती हुई आवाज़ सुन के तो लंड की नसें फटने को हो रहीं थीं. इसलिए मैं लंड को गांड में डाल कर कुछ देर रुका रहा ताकि दीदी का थोड़ा दर्द कम हो जाये और मेरी थोड़ी उत्तेजना कम हो जाये.

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कुछ देर ऐसे ही खड़े रहने पर दीदी अब होले होले सुबक रहीं थीं. अब सही वक़्त था जब मैं दीदी की गांड का तबियत से मज़ा ले सकता था. मैंने दीदी के गदराये चूतड़ फिर से थाम लिए. जैसे ही मैंने दीदी के चूतड़ पकड़े दीदी समझ गयीं कि मैं अब गांड चोदुंगा. उन्होंने पीछे मुड़कर मुझे रोकने की कोशिश करी.

“दीपू……..बाबू………प्लीज अब बाद में चोद लेना. अभी बड़ा दर्द हो रहा है. आज के लिए इतना काफी है मेरे राजा……….प्लीज………मेरे भोंदू……..मेरे राजा……….ऊऊऊओह्हह्हह्हह्हह ………राजा…………बाद में………..ऊऊउईईईईईईई मर गयीईईईइ दिपूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ………….आआआईईयाआआआआ ……………उफ्फ्फ्फफ्फ्फ्फ़…….धीईईईईईइरीईईईईईईईईई ………..धीरे से………दीपू………..आःह्ह्ह………बहुत दर्द हो रहा है कुत्ते………….उईईईईईईईईईईईईईइ………मर्र्र्रर्र्र्रर गयी…………….हाआय्य्य्य रीईईईई………….माआआआ………”

दीदी मुझे बाद में चोदने के लिए बोल रहीं थीं पर मैंने लंड को गांड में आगे पीछे करना शुरू कर दिया तो लंगड़ी फिर से रंभाने लगी. ‘हाआय्य्य्य’, ‘उईईईईईईईईईईईईईइ’, ‘मर गयीईईईइ’…………फिर से लंगड़ी के मुंह से ऐसी आवाज़े निकलने लगीं. जब मैं ज़ोरों से गांड में धक्के लगता तो दीदी खूब ‘उईईई’, ‘उईईई’, करती. मैं पूरी सज़ा दे रहा था दीदी को मुझे तड़पाने की. ‘उईईई’, ‘उईईई’, करती लंगड़ी कुतिया की गांड चोदने में हद से ज्यादा मज़ा आ रहा था.

10 मिनट की चुदाई में तो दीदी खूब दर्द से चिल्लाई और बेंच पर हाथ पैर पटके पर उसके बाद तो दीदी ने बेंच को कस के पकड़ लिया. फिर तो मैंने दीदी की गांड की रेल ही बना दी. दना दन मैं लंगड़ी के मादक चूतड़ों की माँ चोद रहा था. बहुत बुरी तरह मैं दीदी की गांड मार रहा था. पूरा उछल उछल के मैं दीदी की गांड की चुदाई कर रहा था. दीदी ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि कोई इस तरह उनकी गांड चोदेगा. मैंने तो जैसे लंगड़ी की गांड का बैंड ही बजा दिया था. एक तो गांड को बुरी तरह मेरा लंड चोद रहा था और ऊपर से मैं उस लंगड़ी रांड के हिलते चूतड़ों पे चांटे लगा रहा था और कुतिया के बाल पकड़ के खींच रहा था.

15 मिनट में ही मेरा लंड बेकाबू होने लगा. लगा कि अगर ऐसे ही चोदुंगा तो झड़ जाऊंगा. मैंने सोचा क्यूँ ना थोड़ी देर लंड गांड से बाहर निकाल लूं और लंड पे तेल लगा के फिर से लंगड़ी की गांड में डालूँगा. वैसे भी अब लंगड़ी की गांड लंड ने चोद चोद के थोड़ी ढीली तो कर ही दी थी. मैंने ये सोच के लंड दीदी की गांड से बाहर निकाल लिया और तुरंत दीदी के चेहरे के सामने तेल का डिब्बा लेके खड़ा हो गया.

“ओह्ह्ह……….दीदी………अपने हाथ से तेल लगाओ इस लंड पे और………..”

“तू बहुत तंग करता है दीपू…….जब लंड निकालने के लिए बोल रही थी तब निकाला नहीं और जब मस्ती आ रही थी तो लंड बाहर निकाल लिया.”

“दीदी…सच………आपको मस्ती आ रही थी……..अब दर्द नहीं हो रहा था?”

“हाँ राजा………अब मस्ती आ रही थी………दर्द भी हो रहा था पर बड़ा मज़ा आ रहा था चुदने में. उफ्फ्फ्फफ्फफ्फ्फ़………आज कितनी ज़ोरदार तरीके से चोद रहा है तू……..मेरी तो गांड में अजीब से मस्ती आ रही है……..राजा……….डाल ना फ़िर इस मोटे चूहे को मेरी गांड में…………हाययय…..”

“हाँ राजा………अब मस्ती आ रही थी………दर्द भी हो रहा था पर बड़ा मज़ा आ रहा था चुदने में. उफ्फ्फ्फफ्फफ्फ्फ़………आज कितनी ज़ोरदार तरीके से चोद रहा है तू……..मेरी तो गांड में अजीब से मस्ती आ रही है……..राजा……….डाल ना फ़िर इस मोटे चूहे को मेरी गांड में बिल में…………हाययय…..”

“उफ्फ्फ्फफ्फफ्फ्फ़ दीदी तेल तो लगाओ इस बहनचोद मोटे लंड पे……..”

दीदी ने मुझे तेल का डिब्बा उनके सामने बेंच पे रखने को बोला और फिर मेरा लंड पकड़ कर पूरा लंड उस तेल के डिब्बे में डुबो दिया. इस्स्स्सस्स्स्स……..उस कुतिया ने अपनी गांड से निकला लंड पूरा सरसों के तेल के डिब्बे में डाल दिया था.

“ओह्ह…….दीदी….अब तो ये पूरा तेल बेकार हो गया. चलो मैं आज शाम को नया लाके दे दूंगा ताकि किसी को पता नहीं चलेगा तुम इस तेल को फेक देना.”

“ओये दीपू………अब तो और टेस्टी बनेंगे परांठे…..!”

“तुम इकदम कुतिया हो दीदी………कुतिया……..”

“और तू मेरा चोदू कुत्ता……….”

“तो अब चोदेगा ये कुत्ता अपनी लंगड़ी कुतिया की गांड”

“चोद………मेरे कुत्ते……..चोद………खूब ज़ोर जोर से हरामी कुत्ते की तरह चोद अपनी लंगड़ी दीदी को……..”

दीदी सच में हद से ज्यादा गरम थीं तभी वो अब गन्दा बोल रहीं थीं.

खेर मैं तेल से लथपथ लंड लेके फिर से दीदी के पीछे आ गया और लंड फिर से लंगड़ी की गांड में डाल दिया.

मैंने दीदी की कमर पकड़ ली और दना दन ऐसे शॉट दीदी की गांड में मारने लगा जैसे कोई पागल कुत्ता किसी कुतिया को चोदता है. दीदी भी बुरी तरह सिसकने लगीं और जल्दी ही जोर से झड़ गयीं. मैं जब झड़ने के नजदीक पहुंचा तो दीदी के चूतड़ लगभग नोचते हुए गांड चोदने लगा. मुझे समझ ही नहीं आ रहा था कि मुझे क्या हो रहा था. बस मेरी कमर बहुत ज़ोरों से हिल रही थी और दीदी की गांड मस्ती से चुद रही थी. मैं अपने लंड से इतनी मस्त और कामुक गांड को चुदते हुए देख के पगला रहा था और कभी दीदी के बाल पकड़ता तो कभी चूतड़ पे थप्पड़ मारता. और फिर मेरी एक ज़ोरदार दहाड़ निकल गयी और मैं दीदी की गांड में झड़ने लगा.

“आआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआअ…………दीदी..ईईईईईईई……………..”

मैं दीदी की कमर पकड़ के दीदी की गांड में वीर्य की पिचकारी मारता रहा. ऐसा लग रहा था जैसे मैंने कोई किला जीत लिया हो. हाँ……..मैंने कुछ जीता था……….मैंने दीदी की गांड जीत ली थी. अब दीदी की गांड सिर्फ़ उनकी नहीं बल्कि मेरी भी थी. आज दीदी ने मेरे लंड को ‘गांड पास’ दे दिया था. अब लंड मौका मिलते ही दीदी की गांड में घुस सकता था.

मैं दीदी की गांड से लंड निकाल के कुछ देर खाट पर बैठा दीदी को बेंच पर चुदी घोड़ी की हालत में देखता रहा. फिर मैंने दीदी के पैर खोले और दीदी को बिस्तर पर बिठाया.

“बदमाश……..कहीं का……आज तूने मुझे भी मीनू जैसा बना दिया ना आख़िरकार”

“मीनू जैसा मतलब?”

“मतलब ‘पूरी चुदी हुई’”

“हाँ मीनू अब तक यही कहती थी कि मैं अभी पूरी नहीं चुदी हूँ. वो कहती है जब तक लड़की मुंह, चूत और गांड में नहीं चुद लेती वो तब तक ‘आधी चुदी’ हुई ही रहती है. मैं भी अब तक आधी चुदी हुई थी अब पूरी चुद गयी हूँ.”

“दीदी या मीनू दीदी को आपने बता रखा है कि मैं तुम्हे चोदता हूँ?”

“हाँ………वो जानती है”

“दीदी………आप पागल हो…….इतनी पर्सनल बात कभी शेयर नहीं करते.”

“नहीं दीपू……..मीनू मेरी सबसे प्यारी सहेली है. और उसकी तो खुद मुझे पर्सनल बातें पता हैं. वो तो खुद मेरे भाई संजू से चुदती रहती है आय दिन.”

“ठीक है दीदी जैसा आप ठीक समझो”

उस दिन मैं दीदी की गांड चोदके अपने घर वापस आ गया. उस दिन शाम को मीनू भी दीदी से मिलने उनके घर पहुंची.

उस दिन मैं दीदी की गांड चोदके अपने घर वापस आ गया. उस दिन शाम को मीनू भी दीदी से मिलने उनके घर पहुंची. उस दिन मीनू दीदी भी दोपहर में संजू से खूब चुदी थी और मीनू को पता था कि शायद मैं आज मधु दीदी की गांड चोदुंगा.

मीनू और लंगड़ी दीदी के बीच उस शाम जो बातें हुई वो कुछ इस तरह थीं:

मीनू: बड़ी खिली खिली लग रही है मेरी जान………लगता है आज ये हरामी लंगड़ी पूरी चुद गयी.

दीदी: चल बदमाश……….जैसे खुद तो मंदिर में पूजा कर के आ रही हो. संजू बुरी तरह थक के सो रहा है ऊपर. संजू की हालत देख के ही समझ में आ गया था कि मीनू कुतिया आज खूब चुदी है.

मीनू: सच में यार…..आज तो क्या चोदा संजू ने! खूब पीट पीट के चोद रहा था कुत्ता. मुझे मार खाते हुए चुदना और चुदते हुए मार खाने में हद से ज्यादा मज़ा आता है.

दीदी: वो तो तेरी चाल ही बता रही है.

मीनू: हाँ यार बड़ा हरामी है तेरा भाई. मेरी चुदी हुई गांड का भी नक्शा बिगाड़ देता है. आज तो जब दर्द हो रहा था तो मन कर रहा था कि तुझे भी वो दर्द का अहसास कराऊँ. अगर संजू तेरा भाई नहीं होता तो तुझे जरूर चुद्वाती उससे. अच्छा तू ये बता कि आज तेरी गांड चोदी दीपू ने…….रोज़ कहती है कि वो तेरी गांड चोदने के चक्कर में है.

दीदी: हाँ री……..आज मैं भी पूरी चुदी हुई लड़की बन गयी तेरी तरह.

मीनू: क्याआआआआअ……….सच मधु की बच्ची………really………क्या सच में आज तेरी गांड चुदी?

दीदी: हम्म्म्म…….चुदी ….

मीनू: दिखा…..मैं नहीं मानती……

दीदी: ……..नालायक…….क्या दिखाऊ?

मीनू: अपनी चुदी हुई गांड और क्या………

दीदी ने तुरंत अपनी सलवार खोली और मीनू के सामने घोड़ी बन गयी और उसे अपनी चुदी हुई गांड दिखाने लगी. मीनू लंगड़ी के नंगे चूतड़ खोल के देखने लगी.

मीनू: हाय्य्यय्य्य्य राम……कुतिया तू कह रही है कि तेरी गांड सिर्फ़ चुदी है …….कमीनी ये तो बहुत बुरी तरह चुदी हुई लग रही है! उफ्फ्फ्फफ्फ्फ्फ़…….तेरी गांड का छेद तो बुरी तरह सूजा हुआ है. और तेरे चूतड़ कितने लाल हो रहे हैं. बहुत चाटें भी मारे क्या उसने तेरी गांड पे………

दीदी: हाँ यार…….वो दीपू काफी उत्तेजित था तो उसने थोड़ा जोर से चुदाई करी आज.

मीनू: थोड़ा जोर से……..ये थोड़ा जोर से है………अरे ऐसी ठुकाई तो कभी मेरी गांड की भी नहीं हुई. तू तो खूब रोई होगी लगता है चुदते टाइम….वो तो तेरी आँखें ही बता रही है कि तू ख़ूब रोते हुए चुदी है.

दीदी: हाँ यार………बड़ा रुलाया कमीने दीपू ने……….पूरा चोदू कुत्ता है. मेरे तो उसने आज पैर और कमर भी बांध दिए थे. हिल भी नहीं पा रही थी यार. बस किसी तरह रोते हुए चुद रही थी. मैंने आज पहले बार जाना कि लड़के इस तरह भी चुदाई करतें हैं.

मीनू: उफ्फ्फ्फफ्फ्फ्फ़…….पर बहुत ही कम लड़के इस तरह चुदाई करतें हैं मधु……..तू किस्मत वाली है….सच्ची. इस दीपू को तो मुझ जैसी लड़की मिलनी चाहिए. मेरा भी बड़ा मन कर करता है कि कोई मुझे इतनी बेरहमी से चोदे. उफ्फ्फफ्फ्फ़…यार मधु……मेरा भी मन करता है हाथ पैर बंधवा के चुदने का. मैं हाथ पैर बंधवा के कभी नहीं चुदी यार. पर यार तेरी गांड के हालत देख के लगता है कि दीपू का लंड काफी तगड़ा है.

दीदी: हम्म्म्म…….

मीनू: क्या ह्म्म्म…ह्म्म्म…..मुझे लगता है कि दीपू का संजू से बड़ा है.

दीदी: हाँ………

मीनू: तुझे कैसे पता कमीनी………अपने भाई का भी लंड देखती है क्या तू कुतिया.

दीदी: कमीनी……मुझे दीपू ने ही बताया था कि उसका संजू के लंड से लम्बा भी है और मोटा भी.

मीनू: मेरे संजू का तो 6 इंच का है और खीरे जितना मोटा है.

दीदी: और मेरे दीपू का पुरे 8 इंच लम्बा है मोटा मूली जैसा. बस एक ही दिक्कत है कि दीपू का लंड थोड़ा टेड़ा है.

मीनू: पागल….टेड़ा लंड तो और ज्यादा मज़ा देता है….कुतिया………किस्मत वाली.

दीदी: ही ही ही



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