आपने मेरी पिछली सेक्स स्टोरी “मौसी सास और मामी सास की एक साथ ठुकाई-1” में पढ़ा की कैसे मेरी बड़ी बेहन के दामाद परेश जी से मेरे छ्होटे भाई की बीवी किंजल ने स्टोर रूम में चुडवाया. अब आयेज…
किंजल भाभी की चुदाई के बाद दामाद जी स्टोर रूम से निकल गये. किंजल भाभी अपनी सारी ठीक कर रही थी, और हम ननद भाभी बातें कर रही थी.
मैं (किंजल को चिढ़ते हुए): क्या किंजल तुम तो बड़ी शर्मा रही हो. अभी तो दामाद जी से खुल कर छुड़वा रही थी. क्यूँ मज़ा आया ना दामाद जी के साथ?
किंजल भाभी (शरमाते हुए): हा दीदी बहुत मज़ा आया. ऐसा तो आपके भाई ने भी कभी नही किया.
मैं: अर्रे पगली, ऐसा कुछ नही होता. जब कोई गैर मर्द करता है, तब उसके साथ मज़ा ही आता है. एक मर्द से हम औरतों को सुख नही मिलता.
किंजल भाभी: आपकी बात सही है. जब परेश जी ने मुझे च्छुआ, तो मेरे अंदर अलग ही लेहायर उठ गयी. और मैं आपके होते हुए भी अपने आप को रोक नही पाई.
मैं: तो मेरी रानी, अब हम 2-3 दिन यहाँ पर है. तो अब आयेज क्या करना है? मीयर्रा तो यहा 10 दिन जैसा रुकने वाली है, तो शायद परेश जी भी 1-2 दिन रुक सकते है. और मुझे लगता है तुम्हारा दामाद जी से मॅन नही भरा है. तो कुछ सोचा है?
किंजल भाभी (शरमाते हुए): क्या आप भी.
मैं: चल अब शर्मा मत. अब हम दोस्त है. मेरे से कुछ नही च्छुपाना. मैं तेरे साथ हू. मेरा साथ देगी तो तुम अपनी लाइफ खुल कर एंजाय करोगी. और मैं तेरा साथ दूँगी. और दोनो साथ में होंगे तो किसी को शक नही होगा.
किंजल भाभी: बात तो आपकी सही है. हम दोनो साथ रहेंगे तो हर तरफ नज़र भी रख पाएँगे. सच काहु तो दीदी मेरा तो अभी भी दामाद जी के मोटे लंड से चूड़ने का मॅन कर रहा है.
मैं: ठीक है आज रात को मीयर्रा को मैं संभाल लूँगी. तुम पूरी रात दामाद जी के साथ गुज़ारना.
किंजल भाभी इतनी खुश हो गयी, की उसने मुझे हग कर दिया. उसके बाद हम दोनो वहाँ से चली गयी. किंजल और मैं सब के बीच जेया कर सो गये. रात को हम सब ने खाना खाया, और मेरी बड़ी बेहन ने कहा की उसको बहुत थकान हो रही थी तो वो जल्दी सोने जेया रही थी. उसके बाद हम सब साथ में बैठ कर बातें कर रहे थे.
मैं आपको बता देती हू मैने अरुण की वाइफ पूजा की नाइटी पहनी हुई थी. नाइटी थोड़ी टाइट पद रही थी, तो उसमे मेरे बूब्स और गांद की शेप बहुत सेक्सी दिख रही थी. रेड सिल्की निघट्य में मेरा सेक्सी फिगर देख कर अरुण और परेश जी की नज़र मेरे उपर से हॅट ही नही रही थी. मैं दोनो को मेरा कॅसा हुआ जिस्म दिखा कर सिड्यूस कर रही थी. किंजल भाभी ने सिल्क पिंक कलर का मॅक्सी पहनी थी. वो भी बहुत प्यारी लग रही थी.
मीयर्रा: आप लोग बैठ कर बातें करो. मुझे नींद आ रही है. कल भी रात के 2 बजे तक सोई नही थी. अब नींद पूरी नही हुई तो मेरा सर दर्द करेगा.
मैं (उसको शक ना हो इसलिए): क्या मीयर्रा तुम भी, बहुत दीनो के बाद सब मिले है. थोड़ी देर बैठो ना.
मीयर्रा: नही मौसी, मुझे सच में बहुत नींद आ रही है.
मैं: ठीक है दवाई लेकर सो जेया. वैसे भी तेरी आँखें भारी हो गयी है.
किंजल भाभी मेरी और देख कर मॅन ही मॅन मुस्कुरा रही थी. परेश जी भी समझ गये थे की आज उनको मामी सास की फिर से चुदाई करने को मिलेगी. मैने सोचा कुछ बहाना करके किंजल भाभी और परेश जी को कोई ऐसी जगह भेज डू, की कोई जेया ना सके.
थोड़ी देर के बाद मैने भाभी को इशारा किया की घर में देख ले की सब सो गये थे की नही. और वो एक रौंद लगा कर आई. उसने मुझे बता दिया की सब सो गये थे. लेकिन वो अरुण की और इशारा कर रही थी. मैने उसको आँखों से संजा दिया की अरुण को मैं देखती हू.
मैं: अर्रे किंजल, वो च्चत पर कपड़े रखे है. वो लेकर आ ना. रात को ओस गिरी तो फिर से गीले हो जाएँगे (वो समझ गयी ).
किंजल भाभी: अर्रे कोई टॉर्च लेकर आओ. उपर अंधेरा है.
अरुण: मैं लेकर आता हू मामी (वो टॉर्च लेने चला गया).
किंजल भाभी और परेश जी मेरी और देख रहे थे. किंजल भाभी बेचैन हो रही थी, और परेश जी मुझे इशारे में पूच रहे थे अब क्या करे. जब अरुण टॉर्च लेकर आया तब-
मैं: अरुण तुम मेरे साथ चलो, मुझे तुमसे काम है.
अरुण: पर मामी अंधेरे में अकेले कैसे जाएगी?
परेश जी: अर्रे तुम मौसी के साथ जाओ. मामी जी के साथ मैं चला जाता हू.
किंजल भाभी और दामाद जी की खुशी का ठिकाना नही था. वो दोनो तो फाटाक से वहाँ से चले गये. मैं समझ गयी की वो दोनो वहाँ जाते ही शुरू हो जाएँगे. मेरी बेहन के घर च्चत के पास एक कमरा है. वहाँ कोई नही जाता.
अरुण: क्या काम है मौसी?
मैं (मैं अंगडाया लेकर अपना सेक्सी जिस्म दिखा रही थी): बेटा कुछ काम नही है. तुम्हे कुछ बात करनी है.
अरुण: हा बोलो मौसी?
मैं: यहाँ नही, तेरे कमरे में चलते है.
मैं उसके आयेज अपनी गांद मतकाते हुए चल रही थी. मुझे पक्का पता था उसकी नज़र मेरी लचकति गांद पर ज़रूर जाएँगी. मैने पीछे मूड के देखा तो वो मेरी गांद को ही देख रहा था. मैने उसकी नज़र पकड़ ली, तो वो तोड़ा दर्र गया और मूह घुमा दिया. फिर मैने उसको स्माइल दी, और उसके बेड पर जेया कर बैठ गयी.
अरुण: बताओ ना मौसी क्या बात है?
मैं (उसका हाथ पकड़ कर उसको मेरे पास बिता दिया): पहले तू शांति से बैठ. कब से देख रही हू तुम बहुत उदास लग रहे हो. क्या हुआ है?
अरुण: आपको क्यूँ मैं उदास लग रहा हू? मैं तो बिल्कुल ठीक हू.
मैं: अपनी मौसी से मत च्छूपा. पता है पूजा (उसकी वाइफ) नही है, तो तेरा मॅन नही लग रहा है.
अरुण: अर्रे मौसी ऐसा कुछ नही है.
मैं: सॅकी बता. उसकी याद आ रही है ना?
अरुण: हा.
मैं (उसका गाल खीचते हुए): इतना क्यूँ शर्मा रहा है? तुमसे एक बात करनी है.
अरुण: हा बताओ मौसी?
मैं: तुम मुझे घूर-घूर कर क्यूँ देख रहे थे?
अरुण (वो दर्र गया. उसको लगा मैने उसकी चोरी पकड़ ली थी): वो नही-नही मौसी.
मैं: चल झूठा. मैने देखा है तुमको मुझे ताड़ते हुए. अर्रे दर्र मत, मैं किसी को नही कहूँगी. मैं समझ सकती हू. पूजा पेट से है, तो तुम बेचैन होते होगे (अरुण अपसेट हो गया, मैने उसका हाथ पकड़ा). देखो अरुण, तुम मुझे अपना दोस्त समझो.
अरुण (अब रिलॅक्स हो गया था): हा मौसी, आप बेहद खूबसूरत हो. इसीलिए आपसे नज़र नही हॅट रही थी.
मैं (हेस्ट हुए): मैं 3 बच्चो की मा हू. मैं कहाँ खूबसूरत हू?
अरुण: नही मौसी, आप सच में बेहद खूबसूरत हो. मौसा जी बहुत नसीब वाले है.
मैं: अछा जी, ये भोली शकल के पीछे एक नटखट बंदा है. अपनी मौसी के बारे में ये सब सोचते हो?
अरुण: अर्रे मौसी, मेरा ये मतलब नही था.
मैं (अरुण की आँखों में देखते हुए): मैं सब समझ रही हू. तुम क्या कहना चाहते हो. पर अरुण मुझे इस बात का बुरा नही लगा है. मैं समझ सकती हू जब औरत पेट से होती है, तो एक मर्द को अपनी इक्चा मारनी पड़ती है (अरुण मेरे बूब्स को घूर कर देख रहा था).
मैं (उसको हल्का छाँटा मारते हुए): क्या देखे जेया रहा है?
अरुण (नज़रें चुरा कर ): कुछ भी नही.
मैं: चल बदमाश, सब समझ रही हू. पूजा की निघट्य पहना है, तो मुझे तू ऐसे देख रहा है.
अरुण: सच काहु तो मौसी आप पूजा की निघट्य में पूजा से भी अची लग रही हो.
मैं: अछा? अपनी ही मौसी को लाइन मार रहे हो. अरुण तुम मेरे बेटे जैसे हो. अपनी मौसी को ऐसे देखना ग़लत है ना बेटा? मुझे तो कोई दिक्कत नही है. पर किसी को पता चला तो क्या सोचेगा (मैने अरुण को ग्रीन सिग्नल दे दिया था)?
अरुण: मौसी किसी को नही पता चलेगा. क्यूँ ना आज आप यहाँ पर रुक जाओ.
मैं: पागल हो गया है क्या? घर में इतने सारे लोग है. कोई देख लेगा तो क्या सोचेगा? मौसी अपने भतीजे के साथ ये सब? और मैं तुमसे ये सब नही कर सकती (किसी भी मर्द को जो औरत आसानी से मिल जाए उसको उसकी कदर नही होती. इसीलिए मैं थोड़े नखरे कर रही थी).
अरुण: प्लीज़ मौसी, यहाँ सो जाओ ना. अभी तो आपने मुझे कहा मुझे अपना दोस्त समझो.
मैं: हा बेटा. तेरी दोस्त हू. पर यहाँ तेरे साथ सोना ग़लत है. मैं समझ सकती हू पूजा पेट से है, तब से तुझे वो सब कुछ नही मिला. उसकी वजह से तुम मेरी और आकर्षित हो रहे हो.
अरुण: मौसी ऐसी बात नही है. मैं तो आपको अभी नही पहले से…
मैं: पहले से मतलब कब से?
अरुण: कॉलेज में था, तब से.
मैं: क्या बात कर रहे हो? ऐसा क्या है मुझमे. और अपनी मौसी को ऐसी नज़र से देखना ग़लत है ना बेटा.
अरुण: आप गुस्सा ना करो तो एक बात कहना चाहता हू.
मैं (उसका हाथ पकड़ कर): मैं तुझे अपना दोस्त मान रही हू. तुम मेरे से कोई भी बात बिंदास कर सकते हो. मुझे नही बुरा लगेगा. ना ही मैं गुस्सा करूँगी.
अरुण (शरमाते हुए): मुझे ना आपके बूब्स बहुत आचे लगते है. मैने आज तक ऐसे बूब्स नही देखे. आप जब काम करती, तब मैं चुपके से आपके बूब्स देखा करता था. मैने पहली बार जब मूठ मारी थी, तब आपको याद करके मारी थी.
मैं (उसको बड़ी हैरानी से देखते हुए): तो तुमने आज तक ये बात मुझे क्यूँ नही बताई?
अरुण: मुझे दर्र था की आप गुस्सा करेंगी. आपका स्वाभाव इतना कड़क है की हिम्मत ही नही हो रही थी. लेकिन मैं ग़लत था. आप कितनी अची हो.
मैं: ऐसी बातें करके मुझे फसाना चाहते हो?
अरुण: नही-नही, मैं आपसे सॅकी में बहुत प्यार करता हू. आपको कुछ दिखातु हू.
अब अरुण खड़ा हुआ, और उसका वॉलेट लेकर आया. उसने एक पॉकेट से एक फोटो निकली, और मुझे दिखाई. वो फोटो मेरी थी.
मैं (बड़ी हैरानी से): ये मेरी फोटो तेरे पास कैसे आई. और तुम उसको अपनी वॉलेट में च्छूपा कर क्यूँ रखते हो?
अरुण (मेरा हाथ पकड़ कर): मैं आपसे बहुत प्यार करता हू. इसीलिए उसको च्छूपा कर रखता हू.
मैं: अरुण किसी दिन पूजा ने ये देख लिया तो बड़ी गड़बड़ हो जाएगी. मैं तुम्हारा प्यार समझ सकती हू. पर तुम अब मुझे यही से भूल जाओ. अब तेरी इतनी खूबसूरत बीवी है, और अभी तुम बच्चे के बाप बनॉगे. ये सब ग़लत है बेटा.
अरुण (मुझे अपनी और खीच कर ): मैं आपसे बहुत प्यार करता हू (वो मुझे किस करने की कोशिश करने लगा).
मैं (उसको धक्का दे कर हॅट गयी): अरुण ये सब ग़लत है. तुम पूजा को धोखा दे सकते हो, पर मैने आज तक तेरे मौसा को धोखा नही दिया है (उसको क्या पता था मैं कितनी बड़ी रंडी हू). तुम बहुत आचे हो. पर मैं ऐसा नही कर सकती. मेरा मॅन नही मान रहा है (मैं उसको ना माना कर रही थी, ना ही मैं मान रही थी).
अरुण (मेरा हाथ पकड़ कर खींच लेता है): आप इतनी खूबसूरत हो. क्या मौसा आप पर इतना ध्यान देते है?
मैं (उदास मूह बना कर): नही बेटा. वो मेरी तरफ ठीक से देखते भी नही है.
अरुण: मैं आपको वो सब खुशी दूँगा, जो आपको मौसा ने नही दी होंगी.
उसको क्या पता था की उसका जीजा उसकी मौसी और मामी को आचे से छोड़ रहा था. उसको ये भी नही पता था की उसकी मौसी कितनी बड़ी रंडी थी. गैर मर्दों से अपनी छूट छुड़वा रही थी. मुझे उसकी बातों से हस्सी आ रही थी, पर अपने आप को रोक रही थी.
मैं: पर किसी को पता चल गया तो मेरी तो बदनामी हो जाएगी.
अरुण (मेरा हाथ पकड़ कर): भरोसा रखिए मैं किसी को नही बतौँगा. आप भी मत बताना.
अरुण ने उसका मूह मेरे करीब कर दिया. हम एक-दूसरे की आँखों में देख रहे थे. उसने होंठ मेरे होंठो पर रख दिए. मैने उनसो धक्का दिया.
मैं: अरुण मुझे तोड़ा टाइम चाहिए. मैं अभी तुमसे रिश्ता बनाने को तैयार नही हू.
अरुण ने मुझे हग किया, और गाल पर किस किया. मैं वहाँ से शर्मा कर बाहर निकल गयी.
मैं (बाहर जाते हुए): अब सो जेया, कल तुझे सोच कर बतौँगी.
अब उसके आयेज क्या हुआ आपको इस फॅमिली सेक्स स्टोरी के नेक्स्ट पार्ट में पता चलेगा.