मौसी की बेटी दीपिका की चुदाई

मेरी शादी हो चुकी है और यह कहानी मेरे शादी के बाद हुई सच्ची घटना पर आधारित है। मुझे एक बार व्यावसायिक सिलसिले में जयपुर जाना था, वहाँ मेरी मौसी की बेटी इंजीनियरिंग पढ़ रही थी, उसका नाम दीपिका है।

मैंने दीपिका को फ़ोन करके मेरे आने की खबर बताया, तो वो बहुत खुश हुई और बोली- मेरे फ्लैट पर ही आना.. मैं वहीं रहने का बंदोबस्त करूँगी। मैंने पिछली बार उसे मेरी शादी पर ही देखा था जिसको अभी 2 साल हो गए थे।

जब मैं जयपुर पहुँचा तब वो रेलवे स्टेशन पर मुझे लेने आई थी। जब मैंने उसे स्टेशन पर देखा तो मैं हैरान रह गया, उसमें काफी बदलाव नज़र आया। अब वो मुझे कोई फ़िल्म की हीरोइन लग रही थी। जीन्स और टी-शर्ट में कटरीना कैफ जैसी लग रही थी।

सबसे बढ़िया उसका फिगर लग रहा था। उसकी फिगर शायद 34-28-36 था। और पहली बार मैं उसे दूसरी नज़रों से देखने लगा और देखते ही रह गया। स्टेशन से निकलते हुए वो मेरे आगे चल रही थी.. तब मेरी नज़र उसके मटकती हुए चूतड़ों पर ही थी।

उसकी चाल भी बड़ी मादक थी। जब हम दोनों उसके फ्लैट पर पहुँचे तब दिन के 6 बज़ रहे थे। फिर हमने बैठ कर थोड़ी देर बातें की और फिर वो वही सो गई।

लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी और अचानक मेरी नज़र उसके लैपटॉप पर पड़ गई जो बाहर टेबल पर रखा था। मैंने उसके लैपटॉप को खोला तो दंग रह गया, उसके लैपटॉप में पूरा सेक्स का भंडार था। और उसके इंटरनेट हिस्ट्री पर देखा तो पता चला कि वो राजशर्मा स्टोरीज की साईट पर इन्सेस्ट वाली कहानियाँ पढ़ती है।

ये सब देखने के बाद मेरे मन में एक इच्छा पैदा हुई कि अपनी इस मौसी की बेटी को अब किसी भी तरह नंगा देखा जाए। जयपुर शायद मेरे लिए अच्छी किस्मत लाने वाला था क्योंकि वो मौका भी मुझे जल्दी मिल गया। मैं करीब 9 बजे को स्नान करने के लिए बाथरूम गया और दरवाज़ा बंद करते समय मैंने देखा कि उसके दरवाज़े में एक छेद बना हुआ

था..

जिस पर आँख लगा कर कोई अन्दर से बाहर या बाहर से अन्दर देख सकता था। फिर मैं फव्वारे के नीचे खड़ा होकर स्नान करने लगा। उस वक्त मैं दीपिका के फिगर के बारे में सोचने लगा.. तब उसके मादक जिस्म को याद करके मेरा लंड अपने आप खड़ा हो गया।

मेरा लंड 6 इंच लंबा और 2 इंच से ज्यादा मोटा है। शादी के बाद भी मेरी मुठ मारने की आदत वैसे ही थी मतलब मैं रोज़ बाथरूम में मुट्ठ मारता था। तभी बाहर से आवाज़ आनी शुरू हो गई। मुझे लगा कि दीपिका भी जाग गई होगी और मैं जल्दी स्नान करके तौलिए में ही बाहर आ गया। तब बाहर बिस्तर पर दीपिका बैठी थी उस वक्त वो शॉर्ट्स और टी-शर्ट पहने हुए थी, शायद उसने कपड़े बदल लिए थे।

वो बिस्तर पर बैठ कर अपने फ़ोन पर किसी के साथ बात कर रही थी और बीच-बीच में उसके चेहरे पर मुस्कान आती थी। वो मुस्कुराती हुई बड़ी प्यारी लग रही थी। तब उसे नंगा देखने की इच्छा और भी बढ़ गई और साथ-साथ तौलिए के अन्दर तनाव भी बढ़ रहा था।

मेरे दिमाग में एक उपाय आया, मैंने दीपिका से बोला- तुम जल्दी से नहा धोकर फ्रेश हो जाओ.. हम बाहर जाकर कुछ खा लेते हैं और मैं वहीं से अपने काम पर चला जाऊँगा। उसे भी मेरा सुझाव अच्छा लगा और वो तौलिया लेकर बाथरूम चली गई। जैसे ही दरवाज़ा बंद हुआ मैं दरवाज़े के पास घुटने के बल बैठ गया और दरवाज़े के छेद पर अपनी आँख लगा दी।

अन्दर का नज़ारा साफ़ दिख रहा था। दीपिका अपने कपड़े उतार रही थी, पहले उसने अपनी टी-शर्ट उतार दिया उसने अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी। मुझे उसके मम्मे साफ़ दिख रहे थे, शायद 34 साइज़ के होंगे..

गोरे-गोरे और उठे हुए मम्मों के ऊपर उसके गुलाबी निप्पल्स भी अच्छे लग रहे थे। फिर उसने अपनी शॉर्ट्स को उतार दिया और मुड़ी। उसने शॉर्ट्स के अन्दर काले रंग की छोटी सी पैंटी पहनी हुई थी, जिसके ऊपर से उसकी गांड मस्त और उठी हुई लग रही थी।

फिर जब उसने पैंटी उतारी.. तब मेरे बदन से तौलिया भी हट गया और मैं उसके नंगा बदन देखते हुए लौड़े को हिलाने लग गया। अन्दर दीपिका ने फुव्वारा चालू किया और पानी के बूंदें उसके नंगे बदन पर जब गिर रही थीं.. तब नज़ारा और भी मादक हो गया। अपने बदन पर साबुन लगाते हुई मुड़ गई.. तब मुझे उसकी चूत देखना भी नसीब हो गया।

उसने अपनी फूली हुई चूत को क्लीन-शेव किया हुआ था। बिना बालों की उसकी गुलाबी चूत पानी गिरने से चमक रही थी। मैं मन ही मन में सोचने लगा कि मैं उसकी चूत चाट रहा हूँ और यह सोचते-सोचते ही मैंने लौड़े को ज़ोर से मुठियाना शुरू कर दिया और थोड़ी देर में मेरा पानी निकल गया और मैं कपड़े पहन कर रेडी हो गया।

दीपिका के स्नान करने की बाद हम दोनों जल्दी से तैयार हुए और बाहर चाय और नाश्ते के लिए गए। वहाँ पर मुझे दीपिका के साथ खुल कर बात करने का मौका मिला। मौके का फायदा उठाते हुए मैंने उससे ब्वॉय-फ्रेंड जैसी खुली बात पूछ ली, उसने भी खुल कर मुझे बताया- उसका एक ब्वॉय-फ्रेंड है और इससे पहले भी दो रह चुके हैं।

मेरा मन तो किया था कि बात ही बात में उससे उसकी सेक्स लाइफ के बारे में भी पूछ डालूँ, लेकिन इस बात का अंदाजा मुझे पहले से ही था और अब मैं खुद उसके साथ सेक्स का ख्वाब देखने लगा था और मेरे मन में उसे पाने की कोई तरकीब भी चल रही थी।

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चाय के बाद मैं अपने काम पर निकल गया और दीपिका से बोला- रात को साथ डिनर पर कहीं बाहर चलते हैं। वो भी खुश हुई और जब मैं शाम को वापिस उसके फ्लैट पर गया तो देखा कि दीपिका ने शॉर्ट्स और टी-शर्ट पहनी हुई है।

इस शॉर्ट्स में वो बड़ी मस्त लग रही थी। उसकी जाँघ से नीचे पूरी टाँगें नंगी थीं। काले रंग के शॉर्ट्स में उसकी गोरी टाँगें बड़ी माफिक लग रही थीं। उसने टी-शर्ट भी काले रंग के ही पहना था, टाइट फिटिंग वाला एकदम उसके बदन से चिपका हुआ था।

उसके बदन के सारे उतार-चढ़ाव इस पोशाक में साफ़ उभरे हुए दिखाई दे रहे थे.. खास करके उसकी चूचियाँ और कूल्हे.. यही काफी नहीं था कि उसने बाल भी खुले छोड़ दिए थे। उसने बोला- आज नाईट क्लब चलते हैं और खाना भी वहीं पर खा लेते हैं।

नाईट-क्लब का माहौल मादक था और भी काफी लड़के-लड़कियाँ थे। उधर म्यूजिक भी बज रहा था और साथ में मद्धिम रोशनी भी थी.. जो माहौल को और भी कामुक बना रही थी। दीपिका को नाचने का बड़ा शौक था और वो अच्छी डांसर भी थी।

मैं थोड़ी देर उसे नाचते हुए देखता रहा.. तब उसने मुझे भी इशारा करके डांस-फ्लोर पर बुला लिया। मैं उसके पीछे खड़ा हो गया और डांस करने लगा। थोड़ी देर में मैंने उसकी कमर को पीछे से पकड़ते हुए डांस चालू रखा और डांस-डांस में थोड़ी देर में ही अपना पूरा बदन.. पीछे से उसके बदन से चिपका लिया।

अब मैं मस्त म्यूजिक मस्त दीपिका दोनों का मज़ा उठाने लगा। मेरे पैंट के अन्दर भी डांस चल रहा था और अब वो पूरी तरह से खड़ा हो चुका था। डांस के बहाने मैं अपना लंड उसकी गांड की दरार में रगड़ रहा था और मुझे लगा कि दीपिका भी मज़े ले रही है।

क्योंकि वो भी अपनी कमर पीछे के तरफ कर रही थी। मैं बहुत उत्तेजित हो गया और मैंने मेरा एक हाथ उसके सारे जिस्म पे चलाना शुरू कर दिया। तब उसने खुद मेरा हाथ पकड़ा और उसे दिशा दिखाने का काम किया।

अब मुझे पूरे तरीके से यकीन हो गया कि दीपिका भी गरम हो गई है और मुझसे अपना ‘काम उठवाने’ के लिए तैयार है। क्या मुझे मेरी मौसेरी बहन का काम उठाने में सफलता मिली या सिर्फ ये मेरा एक वहम था। दूसरे दिन मैं जल्दी उठा क्योंकि मुझे कॉलेज जाना था.. तभी आंटी भी बाहर आईं।

मैंने सोचा कहीं आंटी को कुछ पता तो नहीं चल गया। मगर जैसे ही आंटी मेरे पास आने लगीं.. तो नींद में होने के कारण उनका पैर फिसल गया और वहीं गिर गईं.. मैं भाग कर उनके पास गया और उनको सहारा दे कर खड़ा किया।

आंटी- मेरी कमर और पैरों में बहुत दर्द हो रहा है। मैं- शायद दीवार से टकराने की वजह से आपके कमर में चोट आई है। तो मैंने उनको सहारा देके फिर से कमरे में ले गया

मैं- अब तक शायद रात की उतरी नहीं ह्म्म्मं… आंटी- हाँ… पर रात को मज़ा भी काफ़ी आया था। मैंने मन में कहा- मज़ा तो मुझे भी आया.. इस हसीना की चूत का पानी पीकर…

मैं- क्या अभी भी दर्द हो रहा है?

आंटी- हाँ.. थोड़ा घुटनों पर और नीचे कमर में.. शायद चोट आई है।

मैं- हाँ.. आप मलहम से थोड़ी मालिश कर लीजिएगा.. ठीक हो जाएगा।

मैं बॉक्स में से मलहम लेकर आया और उनको दे दी।

आंटी मलहम लगाने की कोशिश कर रही थीं.. पर कमर दर्द के कारण वो झुक भी नहीं पा रही थीं।

तो आंटी ने कहा- तू ही लगा दे और थोड़ी मालिश भी कर दे।

मैं- अरे आंटी मैं आपकी मालिश.. कैसे कर सकता हूँ?

मैं थोड़ा भाव खा रहा था।

आंटी- कोई नहीं.. तू कर दे अब.. पर पहले बाहर वाली कुण्डी लगा ले।

मैं- हाँ.. ये ठीक रहेगा।

मेरे मन में लड्डू फूट रहे थे.. क्या मालूम आज शायद लॉटरी लग जाए।

मैं जब वापस कमरे में गया तो आंटी ने पूरी नाइटी घुटनों तक ऊपर उठा रखी थी।

मैं तो बस दो मिनट तक उनकी गोरी टाँगों को बस देखता ही रह गया।

तभी आंटी ने टोका- क्या हुआ विकी.. ऐसे कभी कोई लड़की देखी नहीं क्या?

मैंने शरम से सर झुका लिया और बोला- पर आप जैसी खूबसूरत कोई नहीं देखी।

आंटी- चल इधर आ.. अब लाइन मत मार.. मेरी शादी हो गई है।

मैं बिस्तर पर बैठ गया और वो पैर चौड़े करके लेट गईं।

फिर मैं धीरे-धीरे मालिश करने लगा तो आंटी धीरे-धीरे ‘आअहह.. आअहह अयाया..’ की आवाज़ करने लगीं।

मैं समझ गया- भाई विकी.. आज तो इसकी ‘फील्ड’ को तो तू ही गीला करेगा।

तभी आंटी ने कहा- थोड़ी ऊपर भी मालिश कर ना।

तो मैं थोड़ा सा हाथ और ऊपर ले गया.. क्यूँकि मुझे डर लग रहा था कि कहीं आंटी बुरा ना मान जाएं।

आंटी- क्या सोच रहा है रे तू.. कल रात को तो नहीं शरमा रहा था.. बड़ी ज़ोर-ज़ोर से चाट रहा था.. आज क्या हो गया तुझे?

यह सुनकर तो जैसे मेरे होश ही खो गए..!

आंटी उस वक़्त जाग रही थीं..!

तभी आंटी ने अपना असली छिनाल रूप दिखाया कहा- ओए भोसड़ी के.. तुझे सिर्फ़ चूत चाटना ही आता है या चोदना भी आता है?

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मैं- मैं.. मैं.. आंटी.. कुछ समझा नहीं…

आंटी- नाटक कर रहा है मादरचोद.. कल रात को तू मेरे साथ क्या कर रहा था.. तेरे घर में माँ-बहन नहीं है क्या?

मैं आंटी के पैरों में गिर गया और माफी माँगने लग गया- सॉरी आंटी आगे से नहीं होगा.. वो नशे में.. ये सब कर बैठा.. मुझे माफ़ कर दीजिए प्लीज़…

आंटी ने फिर मुझे कान पकड़ कर उठाया और मेरे गालों पर एक चुम्मा लिया।

फिर तो मानो आंटी ने जैसे मरे हुए मेरे लौड़े में जान डाल दी हो।

आंटी- आजा.. मेरे पास.. ये सब तो मेरा पहले से बनाया हुआ प्लान था.. और मुझे एक बॉटल में नहीं चढ़ती.. तेरे अंकल के साथ मैं भी कभी-कभी पी लेती हूँ तो मुझे तो पीने की आदत है। मैं तो बस ये देख रही थी कि तू मेरे साथ क्या-क्या कर सकता है…

मैं- तो आंटी क्या अंकल आपको नहीं चोदते?

आंटी- अरे वो चोदते तो हैं पर कम चोदते.. उन्हें चुदाई में ज्यादा इंटरेस्ट नहीं रह गया है.. पर जब चोदते हैं तो मेरी जान निकाल देते हैं। मैं भी अब एक ही लौड़े से चुद कर बोर हो गई काफ़ी टाइम से सोच रही थी.. पर बदनामी ना हो जाए.. इसलिए मैंने कुछ नहीं किया… पर तेरे आने से मेरे सोए हुए अरमान जागने लगे थे।

मैं- तो अब आपका क्या इरादा है.. मेरी रानी…

आंटी- मेरा इरादा तो नेक है.. पर आपका ज़रा लौड़ा जरा बेईमान लग रहा है साहब…

फिर मैं और आंटी अपनी रास-लीला में लीन हो गए।

मैंने आंटी को बाँहों में भरते हुए उनके लबों पर अपने होंठ रख दिए।

आहह.. क्या रस भरे होंठ थे..

बस जी चाह रहा था कि सारा रस पी जाऊँ.. कभी उसके होंठ चूसता तो कभी उसकी जीभ चूसता।

वो मेरे बालों को सहलाने लगी.. मेरा हाथ कभी उनकी पीठ पर जाता तो कभी उनके मम्मे दबा देता।

फिर धीरे-धीरे मैंने उनकी नाइटी भी उतार दी।

ओह.. वो गजब की कामुक लग रही थी।

उसके सफेद गोरे मम्मों पर काले रंग की ब्रा और नीचे काली पैन्टी से मस्त और क्या हो सकता है…

दोस्तों.. आप मेरे खुशी का ठिकाना लगा सकते हो।

मैं उसके सुडौल मम्मों को दबा रहा था और वो “अया.. उहह.. उंह..” की आवाजें निकाल कर मुझे और उत्तेज़ित कर रही थी।

अब उसका हाथ धीरे-धीरे मेरे लंड को मसलने लगी और ऊपर-नीचे हिलाने लगी।

बस फिर क्या था.. मैंने देर ना करते हुए अपने कपड़े भी उतार दिए। अब मैं भी बस अंडरवियर में था। फिर मैंने उसके ब्रा के हुक को खोल दिया।

वाह… इतने दिन से जिनके सपने देख रहा था.. अब वो मेरे सामने थे।

मैंने ज़रा भी देर ना करते हुए उसके मम्मों को मुँह में भर लिया।

वो तड़प उठी और कहने लगी- जान सब कुछ तुम ही कर लोगे.. या मुझे भी कुछ सेवा का मौका दोगे।

मैंने कहा- मेरी रानी.. मैं तो पूरा ही तेरा हूँ।

फिर आंटी ने मेरा पूरा लौड़ा मुँह ले लिया और चूसने लगी और कहा- वाह विकी.. तुम्हारा लण्ड तो बहुत ही मस्त है.. अब तो मैं रोजाना इसे लूँगी।

कुछ देर बाद मेरे लण्ड ने भी पानी छोड़ दिया.. फिर हम दोनों 69 की अवस्था में आ गए और मैं उनकी चूत का पानी पीने लगा।

अहह..क्या मादक खुश्बू थी.. हाए … बस मज़ा आ गया.. उनकी चूत चाटने में…

फिर हम दोनों सीधे हुए और उनको पीठ के बल वहीं बिस्तर पर चित्त लेटा दिया और उनकी टाँगें चौड़ी करके उनकी चूत में ऊँगली करने लगा।

वो तो जैसे सातवें आसमान पर उड़ रही थी.. बिना कुछ बोले बस.. ‘आहें’ भरते हुए ‘आह.. उहह.. उफ..’ की आवाजें निकाले जा रही थी।

उसकी चूत इतनी नरम और नाज़ुक थी.. जैसे गुलाब की पंखुड़ियां..

वो इतनी आवाज कर रही थी जैसे मानो वो मेरे साथ इस चुदाई की लीला में पागल हो गई हो।

‘आआह.. आआह और डालो अन्दर.. अब और रुका नहीं जाता मुझसे…’

फिर मैंने अपने लण्ड को उसकी चूत पर रगड़ कर गीला किया ताकि वो और आराम से अन्दर जा सके। फिर मैंने धीरे-धीरे उनकी चूत में अपना पूरा लण्ड डाल दिया और धीरे-धीरे धक्के लगाने चालू कर दिए। चुदाई करते हुए धीरे-धीरे हम मस्ती में खो गए और मैंने अपने धक्कों की रफ़्तार और तेज कर दी।

अब मैं चुदाई के साथ ही उसके मम्मों को भी मसलने लग गया। अह.. क्या मज़ा आ रहा था.. ये मेरे ज़िंदगी की पहली और यादगार चुदाई बन गई थी।

फिर 5-7 मिनट बाद ही हम दोनों का जिस्म एक साथ अकड़ गया और एक तेज आवाज के साथ हम दोनों ही झड़ गए और मैं उसके ऊपर ही लेट गया। फिर हम दोनों बातें करते हुए कब सो गए.. मालूम ही नहीं चला।

शाम के 4 बजे मेरी आँख खुली और उनको भी जगाया, वो नहीं उठी तो मैंने उनकी चूत पर एक ज़ोरदार चुम्बन करके उसे जगाया। तो वो जागी और कहा- अभी तक मन नहीं भरा क्या?

मैंने कहा- मेरी जान मरते दम तक तुझसे दिल नहीं भरेगा।

उसके बाद 2-3 दिन तक हमने रोजाना चुदाई करी। कुछ वक़्त बाद वो भी अपने पति के साथ चली गई और मुझे वो घर खाली करना पड़ा..

पर मुझे इस बात की खुशी है कि मुझे उनके साथ काफ़ी अच्छा वक़्त बिताने का मौका मिला।



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