मौसम की करवट

यह कहानी एकदम सच्ची है और मेरी अपनी है जो मेरे साथ तब घटी जब मेरा लंड जवान हो रहा था। यह कहानी मेरे प्यार की कहानी है, उम्मीद करता हूँ कि आपको पसंद आएगी… आप अपनी राय मुझे मेल करके जरूर बताईयेगा…

अन्य लड़कों की तरह मैं भी अपने लंड को लेके काफी आकर्षित था, लंड का बार बार बड़ा होना, फिर उसका चिपचिपा होना मुझे बहुत पसंद आने लगा था इसलिए मैं अपना लंड हाथ में लेकर मजे लेता था।

ऐसे ही एक दिन मैं अपने बिस्तर पर लेटा अपने लंड को सहला रहा था, तब मुझे लगा कि कोई मुझे देख रहा है। लेकिन देखता कौन? घर में तो कोई नहीं था, सब लोग बाहर गए थे…

मुझे थोड़ा डर लगने लगा…मैंने अपने कपड़े ठीक किये और देखने के लिए उठा तो वहाँ कोई नहीं था…

हमारा घर काफी बड़ा है इसलिए मुझे खोजने में वक्त लग रहा था। जब मैं पीछे गार्डन की ओर गया तो मुझे घर की घण्टी बजने की आवाज आई। मैं देखने गया तो वहाँ प्रिया खड़ी थी।

प्रिया मेरी रिश्तेदार, एक सुन्दर अप्सरा, उम्र 18 साल, गोरी, लंबी, कद 5’9″ स्तन ३४” और सबसे ज्यादा प्यारी उसकी कमर 24″ चूतड़ 34″ के… कुल मिला कर एकदम सुन्दर लड़की, नैन नक्श भी कातिलाना हैं।

जब मैंने उसको देखा तो मैं थोड़ा डर गया कि कहीं प्रिया ने तो नहीं देखा था मुझे?

वो मुझे देखकर थोड़ा शरमाई और घर के अंदर चली गई। मैं भी उसके पीछे पीछे चला गया। वो हॉल में सोफ़े पर बैठ गई। मैं थोड़ा डरा हुआ था।

तब उसने बात चालू की, उसने पूछा- सब लोग कहाँ हैं?

मैं- सब बाहर गए हैं…पड़ोस में शादी है।

“आप क्यों नहीं गए?”

मैं- यार, मुझे शादियों में जाना पसंद नहीं है, तुम्हें पता है ना…

“तो यहाँ पर क्या कर रहे थे?”

तब मुझे पता चल गया कि बेटा, तुझे इसने देख लिया है… मैंने सोचा कि अब तो तू गया…

मैं- मैं क्या?…कुछ भी तो नहीं…तुमने कुछ देखा क्या?

“हाँ…बहुत कुछ…!”

असल बात यह है कि प्रिया और मेरी शादी बचपन में ही तय हो गई थी और हम दोनों एक दूसरे को मन ही मन पसंद भी करते थे। लेकिन इस बारे में कभी बात कभी नहीं की थी।

मुझे डर लग रहा था कि वो क्या सोचेगी मेरे बारे में?

तब मैं बोला- प्लीज तुम बुरा मत मानो लेकिन मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था, इसलिए…सॉरी…

वो बोली- अरे नहीं, मैं नाराज नहीं हूँ कि तुम ऐसा कर रहे थे…बस थोड़ा बुरा लग रहा है।

मैं बोला- बुरा क्यों लग रहा है?

तब उसने बोला- मुझसे तुम्हारी यह तड़प देखी नहीं जा रही… मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ…कोई अपने प्यार को तड़पता देख सकता है क्या?

मेरा मुँह खुला का खुला रह गया…वो आकर मेरी गोद में बैठ गई और अपनी बाहों को एक हार की तरह मेरे गले में डाल दिया। मैंने भी उसको अपनी बाहों में लिया और हमारी प्रेम कहानी शुरू हो गई…

उसने अपने नर्म गुलाबी होंठ मेरे होंठों पर रख दिए, हम दोनों हमारे पहले चुम्बन का लुत्फ़ उठा रहे थे, मैं तो जैसे जन्नत मैं था। वो भी बहुत उत्तेजित लग रही थी… वो पूरे मजे लेकर मुझे चूम रही थी… लेकिन यह मजा हम ज्यादा देर नहीं उठा पाए… घर के सभी लोग वापिस आ गये थे और हम प्यासे रह गए…

वो मेरी मम्मी की लाडली है, उसको देख कर मम्मी खुश हो गई…

रात होने वाली थी तो मम्मी ने उसको घर पर ही रोक लिया। हम दोनों तो जैसे खुशी से पागल हो गये… हमने साथ में खाना खाया और सोने के लिए मैं अपने कमरे में जा रहा था तभी मुझे मम्मी ने आवाज लगाई और कहा- आज प्रिया को तेरे कमरे में सोने दे और तू हॉल में सो जा…

तब मैंने अपना बिस्तर हॉल में लगाया और मैं सो गया या यह कहो कि सोने का नाटक कर रहा था…

अब मैं कुछ होने का इंतज़ार कर रहा था… लेकिन बहुत देर हो गई थी और प्रिया ने अपना यानि मेरे कमरे का दरवाजा भी नहीं खोला था… इंतज़ार करते करते मैं 11 बजे सो गया क्योंकि मुझे रोज जल्दी सोने की आदत थी…

लगभग दो घंटे बाद मैंने अपने पास किसी को लेटा हुआ महसूस किया… रात का समय था और ऐ.सी भी चालू था तो मुझे काफी ठण्ड लग रही थी…

मैंने अपनी करवट बदली तो देखा कि प्रिया पास लेटी है, उसकी पीठ मेरी तरफ थी। मैंने A.C. बंद करने के लिए रिमोट उठाया।

तभी उसने अपनी करवट बदली और बोली -रहने दो ना प्लीज, मुझे ठण्ड में सोना बहुत पसंद है।

इतना कहकर उसने अपनी करवट बदली या यूँ कहो कि ठण्ड के मौसम ने करवट बदली और उसने मुझे अपनी बाहों में ले लिया। वो जानती तो थी कि मैं बहुत शर्मीला हूँ इसलिए पहल उसको ही करनी पड़ेगी…

फिर हम दोनो एक साथ एक बिस्तर में एक कम्बल में लेटकर एक दूसरे के साथ मस्ती करने लगे… वो मुझे चूम रही थी और मेरे होठों को काट भी रही थी…

मैं भी पीछे नहीं रहा, मैं उसका पूरा साथ दे रहा था… उसकी बाहों मे मैं बहुत अच्छा महसूस कर रहा था। हम दोनों अब अपने रिश्ते को आगे बढ़ाना चाहते थे…

उसने मेरा एक हाथ पकड़ कर अपने स्तन पर रख दिया…

फिर क्या था, मैं तो बस सातवें आसमान में उड़ने लगा, मेरी सारी शर्म खुल गई… मैं उसके स्तन धीरे धीरे दबाने लगा… वो सिसकारियाँ ले रही थी, उसको बहुत मजा आ रहा था। फिर मैंने उसका टॉप उसके बदन से अलग कर दिया, वो और ज्यादा रोमांटिक हो गई और उसने भी मेरा टी-शर्ट निकाल दिया और हम आलिंगनबद्ध हो गये…एक दूसरे को सहलाना फिर मेरा उसके स्तन को काटना,

दबाना और निप्पल्स को छेड़ना उसे बहुत रोमांचित कर रहा था।

फिर मैंने उसकी जीन्स भी निकाल दी, ऐसा लग रहा था कि वो पूरी तैयारी के साथ आई थी क्योंकि उसने ना तो ब्रा पहनी थी और ना ही… आप तो समझ ही गये होंगे…

मुझे काफी आसानी हुई उसकी योनि तक जाने में… उसकी योनि काफी गीली हो गई थी। मैंने उसकी योनि में अपनी एक उंगली से गुदगुदी की… वो थोड़ा मचल उठी, उसकी योनि बिल्कुल कुंवारी थी… जो उसने मुझे पेश कर दी उस रात खेलने के लिए।

वो बोली- विकास, मेरा सब कुछ सिर्फ आप का है… आप जो चाहे कर सकते हैं…

मैं बोला- ठीक है लेकिन एक शर्त पर…

वो बोली- कैसी शर्त..?

मैं बोला- तुम मुझे विकास नहीं, जानू बोलो और आप नहीं तुम कह कर बुलाओ…

वो बहुत खुश हो गई और बोली- ठीक है मेरे जानू…तुम बहुत अच्छे हो, आई लव यू।

फिर मैं बोला- अच्छी तो तुम हो…मेरा भी सब कुछ तुम्हारा है… आई लव यू टू !

फिर मैंने भी अपने बाकी के सारे कपड़े उतार दिए…मेरा लिंग उसकी योनि को स्पर्श रहा था…

उसने मेरा लिंग अपने कोमल हाथों में लिया और बोली- इसने आपको बहुत तड़पाया है ना.. अब नहीं तड़पायेगा कभी…

और वो उसको सहलाने लगी… वो मुझे बहुत अच्छे से समझती थी, उसने अब मेरे लिंग को थोड़ा दबाना और आगे पीछे करना चालू किया…

मुझे बहुत मजा आ रहा था…मैं भी उसके स्तन दबा रहा था और दूसरे हाथ से उसकी योनि को गुदगुदा रहा था… वो बीच बीच में तब सिसकारियाँ लेती जब मैं उसकी योनि को छेद देता या जब उसके निप्पल काट देता…

अब थोड़ा और आगे बढ़ने का समय था… मैंने उसकी योनि को नीचे जाकर चूम लिया… उसकी योनि को अपने होठों से दबा रहा था…

और वो मचल रही थी… मेरे बालों में हाथ फेर रही थी…

फिर मैंने उसकी भगनासा पर अपने होंठ रख दिए… वो काफी उत्तेजित हो गई थी…उसकी योनि लगातार चिपचिपी होती जा रही थी… फिर मैं ऊपर आया…. हम दोनों फिर से आलिंगनबद्ध हुए…

फिर वो मुझे चूमते चूमते नीचे गई… आखिर में उसने मेरे लिंग को चूम लिया और उसको अपने मुख में ले लिया…

अपने सर को वो आगे-पीछे करने लगी, मुझे बहुत मजा आ रहा था… उसने मेरा पूरा लिंग अपने मुख-रस से गीला कर दिया…

अब वो एक होना चाहती थी… उसकी तड़प साफ़ झलक रही थी… उसने अपने नीचे एक स्कार्फ बिछा लिया जो वो पहनकर आई थी…

मैं समझ गया कि ऐसा क्यों किया उसने…

फिर वो लेट गई और मैं उसकी टांगों के बीच आ गया… मेरा लिंग और उसकी योनि दोनों ही बहुत गीले थे… मैंने अपना लिंग उसकी योनिद्वार पर रखा और थोड़ा जोर लगाया…

लिंग थोड़ा अंदर तो चला गया लेकिन प्रिया दर्द से तड़प उठी…

परन्तु वो बोली- रुकना मत जानू ! आपको मेरी कसम है… मैं दर्द सह लूंगी…

तो मैंने दो मिनट रुक कर और थोड़ा जोर लगाया इस वक्त मुझे अपने लिंग के पास काफी गर्माहट महसूस हुई….इसका मतलब था कि उसका कौमार्य-पट टूट गया था… उसने अपने नाखून मेरी पीठ पर गड़ा दिए… मैं थोड़ा रुक गया उसके सामान्य होने की इंतजार करने लगा…

फिर वो बोली- जानू, मुझे अब दर्द नहीं ही रहा आप थोड़ा और डाल दो अंदर…

मैंने भी जोश में आकर एक और धक्का लगा दिया… अब मेरा पूरा का पूरा लिंग उसके अंदर था और उसके आँसू निकल रहे थे…

मैंने अपने होंठ उसकी आँखों पर रखे और उसके आँसू पी गया…फिर हमने एक लंबा चुम्बन किया..और उसकी कमर चलने लगी…

हम इस ठण्ड के मौसम में गर्मी का एहसास कर रहे थे।

मैं अपने लिंग को उसकी योनि में अंदर-बाहर कर रहा था… अब हम दोनों को बहुत मजा आ रहा था… मेरी स्पीड धीरे धीरे बढ़ती जा रही थी… साथ ही साथ मैं उसको चूम भी लेता और उसके स्तन तो मैंने १ मिनट के लिए भी नहीं छोड़े थे…

फिर वो मेरे ऊपर आ गई और मुझे मजा देने लगी… वो पूरी तरह से मिलन में खो चुकी थी… वो अपने बालों को पकड़ काफी सेक्सी मुद्राएँ बना रही थी जिससे मैं बहुत उत्तेजित हो रहा था… आखिर में वो मेरे ऊपर लेट गई और एक लय बद्ध तरीके से अपने कूल्हे चलाने लगी, थोड़ी देर में ही उसने स्पीड बढ़ा दी तो मैं समझ गया था कि वो झड़ चुकी है…

तब मैंने उसको अपने नीचे लिया और प्यार से सम्भोग करता रहा क्योंकि वो थक गई थी इसलिए मैंने धक्के थोड़े धीमे कर दिए…

जब मुझे लगा कि मैं छुटने वाला हूँ तब मैंने धक्के बढ़ा दिए…

वो भी मेरा पूरा साथ देने लगी और आखिर में वो पल आ ही गया… मैंने अपना वीर्य उसकी योनि में ही निकाल दिया और उसके ऊपर ही लेट गया…

हम दोनों सुस्त हो गये थे क्योंकि यह हम दोनों का पहला सेक्स था…

वो मुझे बहुत प्यार कर रही थी… अपने सीने से लगा कर बालों में हाथ फेर रही थी… मैं भी उसको सहला रहा था… फिर हम दोनों उठे और समय देखा तो साढ़े चार बज रहे थे। हमने करीब दो घंटे प्रणय-मिलन किया था…

हम दोनों फिर बाथरूम चले गए जो मेरे कमरे से जुड़ा था.. वहाँ उसने मुझे वो स्कार्फ और मेरा लिंग दिखाया जो उसके योनि रक्त से पूरा लाल हो चुका था…

मैंने बोला- यह स्कार्फ धो डालो !

लेकिन उसने मना कर दिया, कहा- नहीं, यह हमारे प्यार की निशानी है, मैं इसे मरते दम तक संभाल कर रखूंगी…

यह सुन कर मैं भी बहुत भावुक हो गया… हम दोनों ने फिर से एक दूसरे को आलिंगन किया और खुद को साफ़ करके मैंने उसे अपने कमरे में सुला दिया..

मैं उसके चेहरे पर एक संतुष्टिभाव दिख रहा था… जैसे उसको सब कुछ मिल गया हो…

फिर वो मेरी बाहों में समा गई… कुछ देर बाद मैं उठ कर अपनी जगह पर चला गया।

वो सुबह मुझसे मिली, वो आज भी बहुत खुश थी.. जाते जाते उसने मुझे कहा- जानू, आपने मुझे बहुत बड़ी खुशी दी है…एक वादा करो.. कि आप हमेशा मेरे साथ रहोगे… मैं आपको बहुत प्यार करती हूँ…

मैंने भी वादा किया और उसे खुशी से विदा किया… उसका भाई उसको लेने आया था… मेरा साला पता नहीं साला क्यों आ गया…

मैं जाना चाहता था उसको घर छोड़ने….

खैर जो भी हुआ अच्छा हुआ… मैं भी बहुत खुश था के मुझे भी कोई मिल गया समझने वाला…

उस दिन के बाद हम लोग हमेशा मिलते रहे घर पर बाहर, कभी उसके घर…

हमारी कहानी ऐसे ही आगे बढ़ रही थी कभी अचानक एक हादसा सा हुआ मेरी जिंदगी में…

मेरी पूरी जिंदगी बदल गई… प्रिया तो हमेशा साथ रहेगी… वो मुझे बहुत चाहती है… लेकिन जो हुआ वो भी काफी रोमांचक था…

मैंने बताया था कि प्रिया के रूप में अब मेरे पास कोई था अपना जो मुझे समझता था। मेरी और प्रिया की ज़िन्दगी बहुत मजे से कट रही थी। मैं और प्रिया बहुत खुल गये थे एक दूसरे के साथ।

जैसे जैसे दिन बीत रहे थे, वैसे हमारा प्यार और गहरा होता जा रहा था… हम अक्सर एक दूसरे से मिलने लग गये और हमारा यौन जीवन और निखरने लगा।

दो महीनों के बाद…

जनवरी का महीना खत्म होने जा रहा था। मैं अपनी प्रिया के घर गया। तभी एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी। हमारे एक करीबी रिश्तेदार के यहाँ से किसी के गुजर जाने की खबर आई। अब हमारे दोनों परिवार काफ़ी नजदीक हैं एक दूसरे के तो मेरे मम्मी-पापा और प्रिया के मम्मी-पापा साथ में वहाँ जाने निकल पड़े। अब बात यह थी कि प्रिया का भाई अपने कालेज के टूअर पर गया हुआ था।

तो बचा कौन?… मैं… मैं रुक गया प्रिया के घर।

अब प्रिया और मैं दो-तीन दिन साथ बिताने वाले थे। लेकिन एक बड़ी समस्या थी प्रिया की बहन रिया… बड़ी समस्या इसलिये थी क्योंकि रिया मुझसे उम्र में दो साल बड़ी थी।

और अगर आपकी होने वाली साली आप से बड़ी हो तो थोड़ा सम्भल कर रहना पड़ता है।

वहाँ रहते हुये वो मेरा पहला दिन था। रिया थोड़ी उदास थी, पता नहीं क्यों… लेकिन मुझे तो प्रिया से काम था। मैं और प्रिया एक दूसरे में खोये हुये थे… लेकिन हम दोनों को मन चाहा एकान्त नहीं मिल रहा था रिया के होते हुये… वो हमें अकेला नहीं छोड़ रही थी। शायद उसे हम दोनों के एकान्त वास की क्रीड़ाओं का पता चल गया था या फ़िर उसको शक था। पर हम दोनों को चैन कहाँ।

जैसे रिया मार्केट गई सामान लेने, हमने हमारा काम चालू कर दिया।

वो आकर मेरी गोद में बैठ गई और मुझे चूमने लगी। उसके ओंठों का स्पर्श मुझे पागल बना रहा था। मैं भी अपने पूरे जोश में आ गया। मेरा लिंग खड़ा होकर उसको उकसाने का काम कर रहा था… मैंने उसके ऊपर के सारे कपड़े उतार दिये… उसकी चूचियाँ मेरे हाथों में थी। मैं निरंतर उसकी चूचियों को दबा रहा था और उसके लबों का रस पी रहा था। अब उसका हाथ मेरे लिंग पर आ गया और वो मेरे शॉर्टस के ऊपर से ही मेरे लिंग को दबाने लगी।

मैं कुछ आगे बढ़ पाता, इतने में रिया आ गई। प्रिया ने जल्दी से अपने कपड़े ठीक किये और वो रिया के पास चली गई। मुझे और प्रिया को डर लगने लगा था कि कहीं रिया ने हमें देख तो नहीं लिया??

लेकिन प्यार किया तो डरना क्या !!

हमारी सारी रासलीला बेडरूम में चल रही थी। रिया के आने के बाद हम सब हाल में आ गये। रिया तो सुबह से चुप थी लेकिन तब उसने मुझसे बात कर अपनी चुप्पी तोड़ी…

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वो बोली- क्या हुआ? थके हुये लग रहे हो।

अब मैं क्या बोलता कि मैं क्यों थका हुआ लग रहा था…असल में डरा हुआ था…

मैं बोला- कुछ नहीं, बस थोड़ी नींद आ रही है…कल ठीक से सोया नहीं था ना इसलिये…।

रिया- हाँ यार, नींद तो मुझे भी बहुत आ रही है… मैं आभी खाना बनाती हूँ, फ़िर सोते हैं… ठीक है ना प्रिया…

प्रिया भी बहुत डरी हुइ थी… उसने डर पर काबू किया और बोली- ठीक है दीदी… मैं आपकी मदद करती हूँ।

थोड़ी और बातों के बाद मुझे लगा कि रिया ने कुछ नहीं देखा था… तो मैंने राहत की सांस ली।

उस समय आठ बज रहे थे। रिया और प्रिया खाना बनाने रसोईघर में गई, मैं टीवी देखने लगा।

नौ के आस पास हम लोगों ने खाना खाया और साथ में टीवी देखने लगे। अब माहौल थोड़ा ठीक था… हम सब मजेदार बातें कर रहे थे, अपने अपने किस्से सुना रहे थे। देखते देखते ग्यारह कब बज गये पता नहीं चला।

रिया बोली- अब हमें सोना चाहिये… मैं बिस्तर लगाती हूँ…

रिया ने बिस्तर लगाए… मुझे तब उस पर गुस्सा आ रहा था… उसने मुझे दूसरे कमरे में सोने के लिये कहा।

और खुद प्रिया के साथ एक कमरे में चली गई… मैं निराश था कि इतना अच्छा हाथ से मौका चला गया था प्रिया के साथ सोने का…

अपनी किस्मत को कोसते हुये मैं सो गया।

नींद तो मानो उड़ चुकी थी रिया की वजह से… मुझसे रहा नहीं गया और मैं उठ कर प्रिया के कमरे में चला गया।

कमरे में अंधेरा था… रात घनी थी… दो बजे का समय था… अब मुझ पर सिर्फ़ नशा था प्रिया का… या फ़िर प्यार का…!!!

मैंने जैसे तैसे प्रिया को खोज लिया और उसका हाथ अपने हाथों में ले लिया… वो समझ गई और बोली- दीदी जाग सकती हैं, आप आपके कमरे में जाओ, मैं आती हूँ वहाँ !

मैं बोला- ठीक है, प्लीज़ जल्दी आना…

और मैं चला आया।

पाँच मिनट बाद प्रिया मेरे कमरे में आ गई… मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया… और हम प्यार में मदहोश हो गये।

मेरे कमरे की लाईट जल रही थी वो मैंने बंद कर दी… अब हम खो गये एक दूसरे में… हम दोनों ने एक दूसरे के कपड़े उतार दिये। और एक दूसरे के साथ आलिंगनबद्ध हो गये।

मैंने प्रिया को बेड पर लेटा दिया और खुद उसके ऊपर आ गया। मैंने उसके होठों को अपने होठों से और उसने मेरी कमर को अपनी टांगों से जकड़ लिया… मेरा लिंग उसकी योनि को छूने लगा… मेरे हाथों ने उसके स्तनों को अपने आगोश में ले लिया… अब मैंने अपना एक हाथ उसकी योनि पर रख दिया और अपनी उंगलियों का जादू दिखाने लगा।

वो सिसकारियाँ लेने लगी… उसकी गर्म सांसें मेरी सांसों से मिल कर एक उत्तेजित संगीत बना रही थी जो मेरे जोश को और बढ़ाने लगा…

अब वक्त आ गया था… मैंने अपना लिंग सेट किया और जन्नत के द्वार में प्रवेश कर गया…

मेरा लिंग काफ़ी तन गया था…लिंग अपने पूरे आकार में आ चुका था… प्रिया को जो मजा आ रहा था वो उसकीआहों में साफ़ झलक रहा था।

अब हमने अपनी पोजीशन बदल ली… वो मेरे ऊपर आ गई।

उसने मेरे लिंग को धीरे से अपनी योनि से निकाला और अपने हाथ में लेकर बोली- जानू… आज तो आप बहुत मूड में लग रहे हो… ये कितना टाईट हो गया है।

मैं बोला- सब तुम्हारे हुस्न का कमाल है… तुम आज किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही…

शायद मेरी तरफ़ से की गई तारीफ़ उसकी बढ़ी उत्तेजना का कारण बनी और वो मुझे चूमने लगी…

धीरे धीरे वो अपने लबों को मेरे सर से लेकर मेरे होंठो से होते हुये मेरे गले को चूमने लगी… फ़िर मेरी छाती पर अपने दांत जोर से गड़ा दिये… फ़िर धीरे धीरे नीचे की ओर बढ़ने लगी।

और आखिर में मेरे लिंग पर अपने होंठों को रोक लिया… फ़िर मेरे लिंग को अपने मुख में ले लिया… और मेरे लिंग को चूसने लगी…

मैं तो बस मजे ले रहा था… फ़िर उसने मेरे लिंग को अपने मुख से निकाल लिया और ऊपर आ गई और अपने हाथों से उसे अपनी योनि में डाल लिया… मेरे हाथों को अपने स्तनों पे रख कर खुद अपनी कमर चलाने लगी।

फ़िर हम दोनों ने साथ में चरमआनन्द प्राप्त कर लिआ और वो मेरे ऊपर ही लेट गई।

थोड़ी देर बाद फ़िर हम एक दूसरे के आलिंगन में थे… ऐसा लग रहा था अब यह प्रणय लीला चलती ही रहेगी… और चली भी !

हमने आगे बहुत देर तक जन्नत की सैर की…

अब इतनी मेहनत करने के बाद हम दोनों कब एक दूसरे की बाहों में नींद के आगोश में चले गये पता ही नहीं चला।

सुबह हुई और मेरे ऊपर कहर टूट पड़ा।

मैं सो रहा था तभी मुझे प्रिया ने उठाया… मैं उठा और देखा तो रिया मेरे कमरे में थी, मुझे और प्रिया को नग्न अवस्था में साथ में देख वो गुस्से से लाल हो गई थी।

हम तो शर्म के मारे और डर के मारे कुछ बोल भी नहीं पा रहे थे।

तभी रिया हमारी तरफ़ बढ़ी। बस वो प्रिया को एक थप्पड़ लगाने ही वाली थी कि मैंने उसका हाथ पकड़ लिया।

रिया ने अपना हाथ छुड़ाया और बोली- तुम दोनों को शर्म नहीं आई ऐसी घटिया हरकत करते हुये… विकास, मुझे तुमसे यह उम्मीद नहीं थी।

मैंने अपनी नजरें झुका ली…रिया आगे बोलती रही…

“प्रिया तू तो गई काम से… आने दे मम्मी-पापा को ! सब बता कर तेरा क्या हाल करवाती हूँ, तू देख लेना…”

प्रिया रोने लगी, लेकिन रोते हुये भी उसने मेरी बाहों में खुद को छुपा लिया…

रिया फ़िर से चिल्लाई- हद है इस लड़की की बेशर्मी की… मेरे सामने तो शर्म कर ले थोड़ी सी…

रिया कमरे से बाहर चली गई…

मैंने प्रिया को सम्भाला और उसे कपड़े पहनाये… खुद भी कपड़े पहन लिए और बाहर आ गया…

रिया के पास आकर बात करने की कोशिश करने लगा… रिया बहुत भड़की हुई थी… वो बस मुझे डाँटे जा रही थी…

मैंने उसे समझाने की कोशिश की कि प्रिया और मैं एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं… लेकिन वो नहीं मानी…

मैं उसके पास बैठ गया उसे समझाने के लिए… उसने मुझे धक्का दे दिया फ़िर एक थप्पड़ लगा दिया… मैं अपने गाल पर हाथ रख कर

उसे देखता रह गया।

फ़िर मैं उठा और अपनी बाईक लेकर अपने घर की ओर निकल पड़ा… अब वहाँ रुकता भी तो किस मुँह से !

रास्ते भर मैं बस प्रिया के बारे में सोच रहा था कि अब ना जाने उस पर क्या बीतेगी…

मैं अपने घर पहुँचा…नहा कर अपने बेड पर लेट गया। घर में मेरी चाची जी थी, उन्होंने मुझे आवाज लगाई और बोली- मैं अपनी सहेली के घर जा रही हूँ तो घर सम्भाल लेना… शाम तक आऊँगी…

मैं घर में अकेला था… लेकिन कहीं मन नहीं लगा पा रहा था। बार बार रिया का थप्पड़ याद आ रहा था। लेटे लेटे अपना वक्त गुजार रहा था।

दो घंटे बाद अचानक दरवाजे की घंटी बजी… मैंने दरवाजा खोला… देखा तो सामने रिया खड़ी थी। मैंने नजर झुका ली और उसे अंदर आने के लिए बोला।

मैं तो अभी भी शर्मिंदा था। रिया अंदर आई जाकर सोफ़े पर बैठ गई… मैं सीधे रसोई में गया और उसके लिए पानी लेकर आया।

तब वो बोली- चाचीजी कहाँ हैं तुम्हारी??

मैं बोला- वो बहर गई हैं…शाम को आएँगी…

मेरी बात सुन कर वो मेरे पास आ गई… मैं खड़ा हुआ था… एकाएक उसने मुझे गले से लगाया… मैं इस सदमे से उभर पाता, इसके पहले उसने मेरे गाल पर एक चुम्बन दे दिया और बोली- विकास, आय एम सॉरी… मैंने तुम्हे थप्पड़ मार दिया… लेकिन मैं क्या करती… वहाँ मैं प्यार के लिये तरस रही थी… और तुम मेरी बहन के साथ लगे हुए थे…

फ़िर उसने मुझे अपनी कल वाली उदासी और आज वाले गुस्से का कारण बताया…

“यार मेरा तीन दिन पहले ही अपने बॉयफ़्रेंड के साथ ब्रेकअप हुआ था, इसलिये मैं उदास थी… कल मेरे उस बॉयफ़्रेंड की शादी है इसलिए मैं बस एक साथी चाहती थी… कल मैं तुम्हारे रूम में आने वाली थी… लेकिन मुझ से पहले प्रिया आ गई… मैंने तुम दोनों को रात को देखा एक साथ सेक्स करते हुए… मेरा भी मन कर रहा था… लेकिन तुम लोग पूरी रात लगे हुए थे… इसलिये मुझे गुस्सा आ गया और मैंने तुम्हें थप्पड़ मार दिया… क्या करती, प्रिया के सामने नहीं बोल सकती थी… कल रात जब हम बातें कर रहे थे, तब मैंने ठान लिया था कि आज तुम्हें अपना बायफ़्रेंड बना कर रहूंगी…प्लीज मेरे बायफ़्रेंड बन जाओ…”

यह सब सुन कर तो मेरे पैरों के नीचे जमीन ही खिसक गई। फ़िर भी मैंने खुद को सम्भाला और बोला- रिया, यह सब क्या बोल रही हो… तुम जानती हो मैं और प्रिया एक दूसरे को कितना प्यार करते हैं… हमारी शादी भी होने वाली है, फ़िर भी तुम यह सब कैसे सोच सकती हो?

तब रिया बोली- हाँ, मुझे पता है सब… और यह भी पता है कि तुम दोनों कब से ये सब कर रहे हो… मैंने प्रिया के कमरे में रखी सारी

मेडिसन देख ली थी… अब तुम सोचो, मैं यह सब अपने और तुम्हारे मम्मी पापा को बता दूँ या तुम मेरी बात मनोगे?

“यार देखो, क्यों तुम अपने लिये और प्रिया के लिये मुसीबत खड़ी करना चाहते हो…”

“मैं सिर्फ़ कुछ दिन तुम्हारे साथ रहूँगी, फ़िर तो मेरी भी शादी हो जायेग़ी… फ़िर तुम और प्रिया रह लेना हमेशा साथ-साथ…”

मेरा दिमाग तो काम ही नहीं कर रहा था… क्या बोलूँ क्या नहीं, कुछ समझ नहीं आ रहा था… सोच में पड़ गया…

“मेरे मन में प्रिया का प्यार है…रिया ने अगर किसी को बता दिया तो प्रिया को तकलीफ़ हो सकती थी…क्योंकि प्रिया एक मेडीकल स्टुडेंट है अगर हमारी शादी अभी हो जाती है तो उसकी पढ़ाई रुक भी सकती थी… और पता नही अगर रिया ने एक बात की सौ कर दी तो हम तो गये काम से… मुझे उससे शादी तो करनी है लेकिन उसका करिअर खराब नहीं करना और मेरी भी इंजिनीयरिंग अभी खत्म नहीं हुई है…मैं क्या करुँ…?”

तब मैंने बोला- ठीक है, लेकिन तुम प्रिया को कुछ नही बताओगी…

रिया बोली- नहीं बोलूँगी कुछ भी उसको… मुझमें इतनी अक्ल है…

और वो खुश हो गई…

मेरे पास आई और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिये। मुझे अच्छा नहीं लग रहा था प्रिया को धोखा देते हुये… यह बात रिया को पता चल गई जब मैंने उसके चुम्बन का जवाब नहीं दिया और उसे अपने से दूर कर दिया। रिया ने फ़िर मनाने के लिये मुझे अपने गले लगाया और बोली- विकास, मेरी ओर देख़ो एक बार… क्या कमी है मुझमें… मैं तो प्रिया से भी अच्छी दीखती हूँ…

और उसने मेरा हाथ अपने वक्ष पर रख दिया…

मैंने एक पल सोचा और उसे कहा- ओके, तुम जैसे बोलोगी मैं वैसे करुंगा लेकिन मेरी एक शर्त है… ये जो तीन दिन हम लोगों को मिले हैं, वो मैं प्रिया के साथ बिताऊँगा…

उसने झठ से हाँ बोल दिया और बोली- लेकिन अभी तो मेरी प्यास बुझा दो…

मैं मुस्कुराया क्योंकि मेरी शर्त के पीछे एक वजह थी… अब मुझे उसे खुश करना था… मैं उसका स्तन, जो मेरे हाथ में था, दबाने लगा…

वो मदहोश हो गई, शायद बहुत दिनों से प्यासी थी… मैंने अपने दोनों हाथों से उसके स्तन दबाने शुरु कर दिये… फ़िर उसे बाहों में उठा कर अपने बेडरूम में ले आया और बिस्तर पर लिटा दिया।

उसने एक ढीला सा काले रंग का टॉप पहना था जो मैंने निकाल दिया… फ़िर उसकी जींस भी निकाल दी…

मैं सब जल्दी करना चाहता था…लेकिन जब उसको मैंने बिना कपड़ों के देखा तो बस देखता ही रह गया… उसका फ़िगर एकदम नपातुला था 34-24-36, वो टेनिस की बहुत अच्छी खिलाड़ी थी इसलिये उसका शरीर गठा हुआ था… स्तनों का आकार भी बहुत ही मादक था… उसके निप्पल और योनि का गुलाबी रंग मेल खा रहा था… शायद मेरी वासना जाग गई होगी… मैंने उसकी नाभि पर किस करके अपनी वासना प्रकट की…

सच में वो प्रिया से ज्यादा सेक्सी थी… मैं बस उसको चूमता चला गया… चूमते चूमते कब मैं उसकी योनि तक आ गया, पता नहीं चला…

उसकी योनि को चूमते हुये मैंने उसकी बेचैनी बढ़ा दी… वो अपने स्तन दबाने लगी और पागलों की तरह सिसकारियाँ लेने लगी… और बस अपनी कमर को हिलाने लगी थी… मैंने उसकी तड़प को बनाये रखा, अपने होंठ उसकी योनि से हटा लिये और उसके साथ लेट गया… फ़िर उसने अपनी आँखें खोली और मेरी तरफ़ पलटी और मेरे मौसम ने एक और करवट ली…

वो अपनी नाजुक उंगलियों से मेरे बालों को सहलाने लगी और अपने दूसरे हाथ से मेरे पूरे शरीर को सहलाने लगी… फ़िर उसने अपने नाजुक गुलाबी होंठ मेरे होंठों पर लगा दिये… मेरी हालत खराब हो गई थी… उसने अपन एक पैर मेरे ऊपर रख दिया और अपने घुटने की मदद से मेरे लिंग को सहला रही थी… मुझे मजा आने लगा…

बस यही उसने भांप लिया और मेरे लिंग को अपने हाथ में लेकर धीरे धीरे दबाने लगी… उसके नाजुक हाथों का स्पर्श मेरी आह निकालने के लिये काफ़ी था…

लेकिन उसका कुछ ज्यादा करने का मन था… उसने अपने होंठ मेरे होंठों से अलग किये और थोड़ा नीचे की ओर झुक गई… मेरे लिंग के टोपी पर वो चूम रही थी, एक क्षण ही बीता होगा कि मेरा लिंग उसके मुंह में था…

वो मेरे आनंद की शायद सीमा रही होगी जिस वजह से मेरा वीर्य न चाहते हुये भी धीरे धीरे निकलने लगा और रिया उसे धीरे धीरे अपने होंठों से पीने लगी… वो अनचाहा वीर्य था उसके बाद भी मेर लिंग अपने पूरे आकार में था तथा पूरी तरह मैथुन के लिये सजग था…

मैंने उसे अपने ऊपर ले लिया। अपना लिंग उसकी योनि में दाल दिया… उसने अपने हाथ मेरे सीने पर रख दिये और मैंने अपने हाथों से उसकी कमर पकड़ ली…उसकी कमर को धीरे धीरे हिलाने लगा… वो बेशक फ़िट थी मगर मैं भी उस पर भारी पड़ रहा था, मेरा सारा हुनर आज रिया लूट रही थी…

6 साल से फ़ुटबाल खेलने की वजह से बड़ी और मोटी हुई मेरी लिंग की नसों को जरूर उसने अपने योनि के अंदर महसूस किया होगा तभी उसकी सांसें इतनी लंबी हो गई थी… अपना सारा दम लगा कर वो मेरे लिंग को झेल रही थी। वो एक बार अपनी चरम सीमा प्राप्त कर चुकी थी और बहुत थक गई थी…

मैंने उसकी स्थिति को समझा और उसे अपने नीचे ले लिया। अपने धक्कों से उसके उन्नत स्तनों को हिलता देख मेरा मन मादक तरंगों से भर उठा और मैंने अपना वीर्य इस बार अपनी मर्जी से बड़ी ही जोरदार पिचकारी के साथ उसके योनि में छोड़ दिया और उसके

एक निप्पल को जोर से काट लिया। मेरी इस हरकत ने और मेरे वीर्य की ताकत ने उसे फ़िर से अपने चरम पर ला छोड़ा और उसने मुझे अपनी बाहों में भरते हुये मेरे लिंग को योनि के अन्दर खींचने की नाकाम कोशिश की… फ़िर वो चुंबनो में व्यस्त हो गई और बाद में मैं और रिया एक दूसरे के साथ लेट गये…

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मैं सोच रहा था कि जो हुआ सही हुआ या नहीं…

तब हम दोनों ने टाईम देखा… चाची के आने का वक्त हो गया था… हमने अपने अपने कपड़े पहन लिये और हाल में आ गये…

रिया खुश थी… थोड़ी शरमा रही थी… मैं चुप था… पता नहीं लेकिन मुझे प्रिया की याद आ रही थी…

तब रिया ने अपनी आदत के मुताबिक चुप्पी तोड़ी और बोली- विकास, मेरी बहन बहुत लक्की है… उसे इतना मस्त पार्टनर मिला है… यार सच में तुम अपने आधे मूड के साथ भी मुझ पर भारी पड़ गये…लगता है प्रिया ने अछ्छी ट्रेनिंग दी है…!!

मैंने जवाब में सिर्फ़ एक मुस्कान ही दी…

चाची आ गई थी… अब हम दोनों को प्रिया-रिया के घर जाना था और तीन दिन जो गुजारने थे…

रिया मेरे साथ संभोग के कारण बहुत थकी हुई थी। कुछ समय बाद वो मेरे साथ मेरी बाइक पर जा रही थी। रिया पीछे बैठी थी, बड़े प्यार से मेरी कमर मे हाथ डाल कर, अपना सर मेरी पीठ पर रखे हुए थी।
कुछ दूर जाकर वो बोली- विकास, मुझसे खाना नहीं बनेगा आज.. प्लीज़ कुछ खाने को ले चलते हैं।
मैंने भी ‘हाँ’ में सर हिलाया और पास वाले होटल से खाना ले लिया। अब हम घर आ चुके थे। घर पर प्रिया मुझे और रिया को साथ देख कर थोड़ा चौंक गई, लेकिन रिया ने उससे माफी मांगी और मुझे घर के अन्दर ले आई।
मैंने खाने का समान प्रिया के हाथ में दे दिया और उसके सर पर एक प्यारी सी चुम्मी दे दी।
वो थोड़ी हैरान थी कि मैं रिया के सामने कैसे उसे चूम रहा हूँ?
वो वैसे ही रसोई घर की ओर बढ़ गई, मैं भी उसके पीछे-पीछे चला गया।
अन्दर आकर मैंने उसे अपनी बांहों में ले लिया और अपने आलिंगन को कसता ही चला गया।
प्रिया भी मेरा साथ दे रही थी, उसके चेहरे पर संतुष्टि के भाव साफ दिख रहे थे।
तभी पीछे से रिया भी अन्दर आ गई और हमको छेड़ते हुए बोली- बस बहना, रात तक का तो इंतजार कर लो। अब मैं किसी भी चीज के लिये विकास और तुमको नहीं मना करूँगी, सुबह के लिए माफ कर दे प्लीज़..!
इतना बोल कर उसने हम दोनों को गले लगा लिया।
अब प्रिया और मेरे पास तीन दिन थे। हमने पूरे मजे किए, कई बार तो रिया ने हमे खुद प्यार करने के लिए कमरे के अन्दर बंद कर दिया था। प्रिया बहुत खुश थी और उसे खुश देख मैं और ज्यादा खुश था।
दो दिन बहुत मजे से कटे, दूसरे दिन शाम को मैं प्रिया औए रिया तीनों ‘ट्विलाईट’ मूवी देखने के लिए गए। मूवी में कुछ उत्तेजक सीन थे।
प्रिया ने मेरा हाथ थाम रखा था, मेरी दूसरी ओर रिया थी जिसने मेरी जांघों पर अपना हाथ रखा हुआ था।
मेरी हालत खराब थी.
प्रिया मेरे गाल पर चूमने लगी, उसकी आँखें बंद हो गईं।
रिया ने भी मेरे लिंग को टाईट करने मे कोई कसर नहीं छोड़ी, अगर उस वक्त वहाँ लोग नहीं होते तो सच में रिया मेरी पैन्ट में हाथ डाल देती।
खैर वो दोनों इससे आगे नहीं बढ़ पाईं।
हम मूवी के बाद सीधे घर की ओर चल दिए। प्रिया मेरे साथ मेरी बाईक पर बैठी थी और रिया अलग से स्कूटी पर थी। अब आप सबको तो पता है जब दो प्यार करने वाले एक बाईक पर बैठते हैं, तब क्या-क्या हरकतें करते हैं, ऊपर से रास्ता सुनसान था।
रात के 11 बजे (यहाँ मार्केट 10 बजे तक बंद हो जाता है) प्रिया ने अपना हाथ मेरे पैन्ट के जिप पर रख दिया और मेरे उत्तेजित लिंग को सहलाने लगी और मेरे कान मे बोली- बेबी, आज रात तुमको बहुत मेहनत करनी है..!
और उसने अपने दांत मेरे कन्धे पर गड़ा दिए।
रिया भी ये सब देख रही थी और उसको भी अंदाजा हो गया था कि आज कुछ तूफानी होने वाला है।
कुछ ही देर में हम लोग घर पहुँच गए, सारे काम खत्म कर लिए और खाना गर्म करके खाने बैठ गए।
प्रिया और मैं साथ में खाना खा रहे थे, रिया के लिये उसकी सहेली का फोन आया तो रिया बाहर चली गई।
प्रिया ने मौके का फायदा उठाया और मेरी गोद में आ बैठी, फिर अपने हाथों से मुझे खाना खिलाने लगी, कभी मेरे माथे पर चूम देती, कभी मेरे बालों को सहलाती।
मैं भी उसको अपने हाथों से खाना खिलाने लगा।
तभी रिया कमरे में आई, उसकी आँखों में जलन साफ दिख रही थी जैसे प्रिया को अहसास हुआ कि रिया आ गई है, वो मेरी गोद से उठने लगी।
तब रिया उसको आँख मारते हुए बोली- बैठ जा प्रिया, बेचारे को बहुत भूख लगी है..! खाने के बाद थोड़ा दूध भी पिला देना, विकास जीजू को।
और हँसने लगी।
यहाँ प्रिया शरमा गई और अपने चेहरे को मेरे सीने में छुपाने लगी।
फिर रिया के सामने ही हमने हमारा खाना खत्म किया। रिया सारे बर्तन लेकर रसोई में चली गई।
मुझे थोड़ा मजाक सूझा, तब भी प्रिया मेरी गोद में ही बैठी थी।
मैंने प्रिया के कान में कहा- शोना, मुझे दूद्दू तो पिला दो..!
प्रिया- मैं तो नहीं पिलातीउउउउ..!
मैं- ओके, मैं रिया से बोल देता हूँ कि तुम दूद्दू नहीं पीने दे रही हो।
तभी रिया आई तो मैं बोला- रिया, देखो ना ये मुझे दूद्दू नहीं पिला रही है।
रिया- ओए, मेरे जीजू को दूध क्यों नहीं दे रही? कोई बात नहीं विकास मैं देती हूँ रुको..!
प्रिया (नकली गुस्सा दिखाते हुए)- कोई जरुरत नहीं है दी.. विकास को सिर्फ मेरा दूध पसंद है…है ना बेबी..!
मैंने भी बोल दिया- हम्म्म तुम्हारा दूध इतना मीठा जो है।
फिर हम तीनों हंसने लगे। रात हो गई थी, 12:30 हो रहे थे।
रिया ने बोला- चलो अब सोते हैं विकास, कल शाम को तुम अपने घर चले जाओगे, प्लीज़ आज रात सब साथ सोते है ना…!
मैंने प्रिया की तरफ देखा उसने थोड़ा सोचा और फिर बोली- ठीक है, जान.. हम साथ में ही सोते हैं।
तब रिया ने हम सबका बिस्तर साथ में लगाया, एक छोटा सा नाईट बल्ब छोड़ सारी लाईटें बंद कर दीं।
हम लोगों को नींद नहीं आ रही थी, प्रिया और मैं एक कम्बल में थे और रिया अलग कम्बल लिए हुए थी और हम बातें कर रहे थे।
अब मैंने एक अपनी फुटबाल वाली शर्ट और एक टी-शर्ट पहनी थी और अन्दर कुछ नहीं पहना था। मैं हमेशा ऐसे ही सोता हूँ। प्रिया यह बात जानती थी, मेरी बाँहों में आते ही वो थोड़ा उत्तेजित सी हो गई।
रिया मैं और प्रिया यहाँ-वहाँ की बातें करने लगे। बातें करते-करते मैं प्रिया के जिस्म को सहला रहा था। प्रिया पर खुमारी छाने लगी, रिया सामने थी इसलिए कुछ भी करने से वो थोड़ा हिचक रही थी, तभी रिया ने उसकी हालत भाँप ली।
रिया बोली- यार मुझे नींद आ रही है, मैं अब सोती हूँ तुम दोनों ज्यादा आवाजें मत करना।
फिर रिया सो गई।
मुझे पता था वो सोने का नाटक कर रही होगी, खैर मुझे उससे क्या..! मैं और प्रिया अपने प्यार में खो गए। प्रिया के थके होने के कारण ज्यादा कुछ नहीं हो पाया लेकिन हम दोनों एक-दूसरे से लिपट कर सो गए।
सोने से पेहेले हम दोनों ने एक-दूसरे के कपड़े उतार दिए थे क्योंकि अब प्रिया को रिया का डर भी नहीं था कि रिया देख लेगी, सो हम दोनों बेफिक्र होकर सो गए।
सोने के बाद मुझे अपने सीने पर कुछ महसूस हुआ। वो रिया का हाथ था, मैंने उसका हाथ हटाना चाहा, लेकिन वो जिद्दी थी। कुछ किए बिना नहीं मानने वाली थी।
तब मैंने ज्यादा विरोध करना मुनासिब नहीं समझा और मैंने प्रिया पर कम्बल डाल दिया और खुद रिया के तरफ़ खिसक गया।
रिया भी मेरी तरफ़ आ गई और अपने लब मेरे लबों पर रख दिए, मैं भी उसका साथ दे रहा था।
रिया ने अपना एक हाथ मेरे लिंग पर रख दिया और उसे सहलाने लगी।
रात के 3-4 बजे होंगे, रिया के कामुक चुम्बन और हाथ के नाजुक स्पर्श से मेरा लिंग उत्तेजित हो गया। फ़िर रिया ने मेरे लबों को छोड़, नीचे मेरे लिंग पर जाना जरुरी समझा और उसने अपने नाजुक लब मेरे लिंग के टोपे पर रख दिए, वो बहुत ही प्यार से मेरा लिंग चूसने लगी।
मैं भी उसके वक्ष दबा कर अपने मजे को दुगना करने लगा था। कुछ भी हो रिया का फ़िगर कमाल था, एकदम तमन्ना भाटिया जैसा।
हम दोनों जानते थे कि प्रिया साथ है तो ज्यादा खुल कर चुदाई कार्यक्रम के पहले वाला कार्यक्रम तो नहीं हो पाएगा, लेकिन रिया पूरे दिन से मुझे और प्रिया को देख कर जल रही थी, तो उसका रुकना मुश्किल था।
अब रिया ने मुझे सीधा लेटाया और खुद मेरे ऊपर चढ़ गई, मेरे लिंग को हाथ में लेकर अपनी चूत पर लगा दिया और फ़िर जन्नत का सफ़र शुरु हो गया, बड़े मादक तरीके से वो अपनी कमर को गोल-गोल घुमाकर चुद रही थी।
रात की दूधिया रोशनी में मुझे उसकी नाभि दिखाई दी, सच में रंग गोरा, फ़िगर इतना कमाल और उस पर इतनी कामुक नाभि…!
तभी, “आआ अह्ह्ह्ह् आआआ अह्ह्ह्ह्ह्..!” और मेरा निकाल ही डाला उसने, मेरी पिचकारी छूट गई।
मेरे गरम वीर्य से वो भी अपने आप को रोक नहीं पाई।
रिया को मजा बहुत आया, मजा तो मुझे भी बहुत आया, लेकिन मेरे मन में प्रिया को पता चलने का डर ज्यादा था।
सम्भोग का नशा अब उतर चुका था। मैंने अपनी जान के पास जाना ज्यादा मुनासिब समझा। फ़िर मैं प्रिया के कम्बल में जाकर उसे अपनी बांहों में लेकर सो गया।

सुबह हुई, हमेशा की तरह रिया पहले उठी। फ़िर उसने प्रिया को और मुझे जगाया। हम पूरे नंगे सो रहे थे बस कम्बल ओढ़ रखा था।
प्रिया उठी और एक प्यारी सी चुम्मी कर के मुझे उठाया। ये रिया देख रही थी, तब उसे अहसास हुआ कि उसने क्या किया और शरमाने लगी।
मुझे प्रिया का शरमाना बहुत पसंद है, उसकी मुस्कान और आँखों का तो जवाब नहीं है।
जब-जब उसे मुस्कुराते हुए देखता हूँ, तब ऐसा लगता है जैसे दुनिया में सब कुछ एकदम सही चल रहा है, जब वो मेरी बाँहों में आती है, तो मुझे लगता है जैसे मैं इस दुनिया का राजा हूँ।
तभी प्रिया का फ़ोन बज उठा और मैं अपने खयालों से बाहर आ गया।
प्रिया ने फ़ोन उठाया- हैलो हाँ बोल…क्या? सच में..! कितने बजे..? ओह यार… मैं तो अभी उठी हूँ… तू सर से बोल मैं 11:30 तक आती हूँ, ओके बाय..!
मैंने पूछा- क्या हुआ जान..!
प्रिया- अरे मेरे कालेज में आज एग्जाम के लिए सिग्नेचर करने जाना है, आज लास्ट-डे है।
मैं बोला- तो जाओ उठो आलसी लड़की..!
वो झट से अपना टॉप और निकर पहन कर उठी और नहाने चली गई।
मैं बिस्तर पर ही बैठा था। थोड़ी देर में प्रिया नहा कर, कपड़े पहन कर आ गई, बहुत सुन्दर लग रही थी। उसके हाथ में तौलिया था। उसने मुझे उठाया, अपना तौलिया मेरी कमर पर बांध दिया और मेरा हाथ पकड़ कर बाथरुम लेकर आ गई।
फ़िर मेरा तौलिया खोलते हुए बोली- जान तुम नहा लो, मैं अपना काम कर के आती हूँ…मुह्ह्ह..!
और वो घर से निकल पड़ी।
यहाँ रिया को तो पूरा खुला मैदान मिल गया था, उसे पता था प्रिया दो घंटे तक नहीं आएगी, उसी का फायदा उठा कर वो मेरे कमरे में (प्रिया के कमरे में) आई, जहाँ मैं नहा रहा था।
तब तक तो मेरा नहाना हो चुका था और मैं कपड़े पहन रहा था। कमरे का दरवाजा खुला था, वैसे मेरे पास कोई कारण नहीं था कि मैं दरवाजा बंद करूँ।
सो मैं बस अपने कपड़े पहनने में लगा था। मैं अभी नंगा ही था कि रिया मेरे पास आ गई और मुझे पीछे से पकड़ लिया।
वो बहुत ज्यादा सेक्सी लग रही थी, उसे देख कर मेरी बुरी हालत होने लगी।
उसने सीधा मेरे लिंग पर हाथ रख दिया और उसे छेड़ने लगी। उसने मुझे अपनी तरफ घुमाया और मुझे धीरे-धीरे किस करते-करते नीचे मेरे लिंग पर आ गई।
मेरा लिंग अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। मैं भी सेक्स के नशे में डूबने लगा। मैं भी आज पूरे दिल से रिया को चोदना चाहता था।

मैंने भी उसे ऊपर लिया और उसे अपनी गोद में उठा लिया। फिर मैंने अपना लिंग उसकी योनि में घुसा दिया और उसे अपने हाथों से अपने लिंग पर ऊपर-नीचे करने लगा।
रिया मेरे बालों को पकड़ कर अपने स्तनों को मेरे मुँह पर दबाने लगी।
तभी मैंने देखा सामने कोई खड़ा था, मैंने रिया के कान में ये बात बताई।
वो जैसे स्प्रिंग लगा हो, एकदम से उछ्ल पड़ी और मेरी गोद से नीचे कूद गई।
उसने झट से मेरा तौलिया लपेट लिया और मैंने भी अपने कपड़े पहन लिए।
जैसे ही रिया मेरी गोद से कूदी और जो हमें देख रहा था, वो भी थोड़ा पीछे हो गया।
मैंने भी ठीक से नहीं देखा था कि वो कौन है, जो हमें देख रहा था। मैं थोड़ा आगे बढ़ा और बाहर आ गया।
तभी मैंने किसी के भागने की आवाज सुनी। मैं भी भागते हुए हाल की तरफ आया, जहाँ मेन-गेट था।
तब मैंने देखा कि वो पड़ोस वाली लड़की थी, जो रिया की सहेली थी, शायद रिया से मिलने आई होगी, लेकिन उसने मुझे और रिया को साथ में देख लिया था जो फ़िक्र की बात थी।
मैं फिर रिया के पास गया, उसे बताया कि वहाँ पायल थी, जो हमें देख रही थी। यह सुनते ही रिया बहुत डर गई। उसका कहना था कि वो सारे दोस्तों को बता देगी।
रिया उससे बात करने निकल गई।
मैं वहाँ बैठा यह सोच रहा था कि अगर उसने प्रिया को कुछ बता दिया तो पता नहीं मैं किस मुसीबत में फंस जाऊँगा।
रिया को वहाँ गए हुए बहुत टाईम हो गया था। न जाने उसे इतना समय क्यों लग रहा था। मेरी हालत खराब हो रही थी।
तभी रिया वापस आ गई, मेरे पास बैठ गई।
मैंने उसे पूछा- क्या हुआ?
वो बोली- वो किसी से नहीं बताएगी अगर तुमउम्म..!
मैं बोला– क्या..?? मैं क्या…??
वो बोली- अगर तुम उसे भी चोदो तो वो किसी को नहीं बताएगी।
मैं बोला- पागल हो क्या..! यार मैं नहीं कर सकता..!
वो बोली- हमारे पास और कोई रास्ता नहीं है, वो तुम्हारे और प्रिया के बारे में भी जानती है, वो तो प्रिया को बता देगी।
मैं बहुत परेशान हो गया, मेरे पास भी उसे चोदने के अलावा कोई रास्ता नहीं था, भारी मन से मैंने भी ‘हाँ’ कर दी।
अब मेरे सेक्स जीवन में तीसरी लड़की आ रही थी, पर मुझे क्या पता था यह भी सिर्फ़ शुरुआत है।
मैंने बाद में पायल को भी चोदा, तभी उसने अपना मुँह बंद किया।
मेरे लिये एक बात की खुशी थी कि प्रिया मेरे साथ अब भी थी। आगे मेरी दिनचर्या सेक्स में जैसे डूब ही गई।
पायल के बाद उसकी दोस्त उसके बाद उसकी दोस्त, कुल 5 लड़कियों के साथ सम्बन्ध बन गए।
यह सब दो साल पहले हुआ था, अब इस एक साल में बहुत कुछ बदल गया था, मेरी पढ़ाई भी पूरी हो गई, कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र में आ गया, बहुत सारे अमीर लोगों से जान-पहचान हुई, उनमें औरतें भी थीं।
अब मैं एक बड़े इंजीनियर के साथ काम करता हूँ। धीरे-धीरे कब मैं एक जिगोलो बन गया, पता ही नहीं चला।

******समाप्त*******



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