मासूम बहेन की कामुकता

वो बरसात के दिन थे और मैं यूनिवर्सिटी से जल्दी वापिस आ गया, जब मैं घर पाहूंचा तो ऐज यूषुयल मेन गेट लॉक्ड था क्योंकी मेरी छ्होटी बहन स्कूल से 1 बजे वापिस आती थी और उस वक़्त 11 बजे थे. मैं ने की से मेन गेट खोला और कॉरिडर से गुज़रता हुआ अपने रूम की तरफ बढ़ रहा था कि मुझे शुमैला के कमरे का दरवाज़ा खुला नज़र आया मैं ने अंदर देखा तो शमी सोई हुई थी (शुमैला का निक नेम शमी हे).

मैं हैरान था कि आज शमी स्कूल क्यूँ नही गयी? लेकिन फिर मुझे खुद ही यह ख़याल आया की आज बरसात की वजह से स्कूल में छुट्टी हो गयी हो गी. मैं ने शमी की तरफ देखा वो सोते हुए बुहुत मासूम लग रही थी. मैं ने उसे जगाना मुनासिब ना समझा और अपने रूम में आ गया, बाथ लिया, शॉर्ट्स पहने और फिर नेट लगा के बैठ गया और राज शर्मा की स्टोरीस पढ़ने लगा उस वक़्त मैं ऐक इंसेस्ट (सेक्स वित रिलेटिव्स) की स्टोरी पढ़ रहा था और जैसे जैसे मैं पढ़ता जा रहा था मेरा लंड खड़ा होता जा रहा था.

मेरे दिमाग़ में मेरी छ्होटी बहन शमी का तसवउर आ रहा था जो अपने बेडरूम में सोई हुई थी. मैं आप’को हमारे घर के बारे में बता दूँ. यह आज से 2 साल पह’ले का वाकिया है. मेरा नाम आज़ाद और उमर उस समय 19 साल की थी.तब शमी की उमर यही कोई 18 साल होगी,(अब शुमैला 20 साल की हो चुकी हे). मेरी अम्मी और अब्बू 5 दिन के लिए रिस्तेदारी में गये हुए थे.

शमी की बिल्कुल गोरी और सफेद रंगत, काले बाल सियाह आँखे, छ्होटे छ्होटे बूब्स और दरमियाना क़ांड है. मेरे दिमाग़ में ऐक सोच आई कि क्यू ना अपनी बहन के जिस्म का मज़ा चखा जाए और यह सोच कर मैं अपनी छ्होटी बहन के कमरे में चला गया. वो उस वक़्त भी सो रही थी और उस के पेट पर से क़मीज़ हटी हुई थी और उस का गोरा पैट नज़र आ रहा था जिसे देख कर मेरा लंड झटके मारने लगा.

मैं शमी के बेड पर बैठ गया, मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था, आख़िर कार मैं ने उस के पेट पर हाथ रख दिया, वाउ कितना गर्म पेट था उस का छ्होटा सा लैकिन चिकना फिर मैं ने अपने दूसरे हाथ को उस के गालो पर फेरना शुरू किया मगर वो नही जगी तो मैं ने पेट पर हाथ फेरते फेरते अपनी बहन की क़मीज़ ऊपर उठाके उस के मम्मे नंगे कर दिए वाउ क्या सीन था! टेबल टेन्निस की बाल जितना बूब जिस पर हल्का ब्राउन सा निपल उभरा हुआ था. वाउ मैं तो पागल हो गया. मेरी बहन शमी ज़रा सी हिली तो मैं ने फ़ौरन हाथ पीछे हटा लिए, लैकिन वो जगी नही थी.

मैं ने अपना ऐक हाथ उस के मम्मे पर रख दिया उफफफ्फ़ यह कित’ना कड़ा था, कुच्छ देर अपनी छ्होटी बहन के मम्मे से खेलने के बाद मैं ने अपना दूसरा हाथ उस की ग्रीन फूलों वाली शलवार में डाला ओह मेरी छोटी बहन की शलवार में अज़रबन्द की बजाए एलास्टिक था. मैं ने आहिस्ता से उस की शलवार थोड़ी सी नीचे कर दी… मेरा दिल सीने से बाहर आने वाला था शमी की नन्ही मुन्नी चूत बेहद हसीन थी उस पर हल्का हल्का ब्राउन कलर का दाना था. मैं ने शमी की चूत को देखा तो पागल सा हो गया और झुक कर उस पर अपनी ज़ुबान रख दी. शमी ने अपनी टाँगे पीछे घसीटी और उठ कर बैठ गई मैं भी पीछे हट गया. शमी ने मुझे देखा और सब से पहले अपनी शलवार ऊपर की और कहने लगी

भाई जान आप क्या कर रहे हैं? मैं ने कहा.

मेरी बहन मैं तुम से प्यार कर रहा हूँ, वो कहने लगी.

भाई आप को शर्म आनी चाहिए मैं आप की छ्होटी बहन हूँ और आप मेरे साथ ऐसी हरकते कर रहे हैं. मैं ने शमी को बाज़ू से पकड़ा और कहा,

बहना देखो मैं तुम से प्यार करना चाहता हूँ… वो रोने लगी.

छोड़ो मुझे भाई. क्या हर भाई अपनी बहन को ऐसे करता है? मैं ने कहा,

मैं नहीं जानता. लैकिन बहुत से भाई कामो वेश अपनी बहनों के बारे में ऐसे ख़यालात रखते हैं और उन में से बहुत से अपने ख़यालों को हक़ीक़त भी बना लेते हैं.

लेकिन शमी मान कर ही नही दे रही थी वो चिल्लाने लगी बचाओ… बचाओ… बचाओ… मैं ने उस के मुँह पर हाथ रखा और दूसरे हाथ से उस की शलवार नीचे कर दी. वो चीखने की कोशिश कर रही थी मगर मैं ने उस का मुँह अपने हाथ से दबाया हुआ था, मगर शमी ने मेरे हाथ पर काट लिया और मैं ने दर्द के मारे उस के मुँह से हाथ हटा लिया और वो बचाओ बचाओ चीखते हुए कमरे से बाहर भागी… मैं उस के पीछे बाहर भगा. कॉरिडर में निकला तो मैं ने देखा कि हमारा चोकीदार गुल ख़ान शमी के सर पर हाथ फेर रहा था और गुस्से से मेरी तरफ देख रहा था उस ने मुझे देखते ही कहा.

सूअर शैतान अपनी मासूम बहन को चोदना चाहता है? तुम को शर्म नही आती. लानत है तुम पर, गुल ख़ान ने मुझे धमकी दी कि वो मेरे माँ बाप को बताए गा और अगर मैं ने शमी को हाथ भी लगाया तो वो मुझे शूट कर दे गा मैं गुल ख़ान की धमकी से डर गया वो 30-35 साल का ऐक हॅटा कटा पठान था. उस ने शमी को गोद में उठा लिया और कहने लगा,

बेटी तुम फिकर मत करो यह शैतान अब तुम्हे हाथ भी नही लगा सकता. और शमी को उस के कमरे में ले आया और मुझे भी आवाज़ दी कि इधर आओ. मैं डर रहा था मगर अंदर गया. गुल ख़ान ने शमी को गोद में उठाया हुआ था क्योंकी शमी उसे अंकल कहती थी और वो थी भी ऐक 15 साल की मासूम बच्ची. शमी अब हिचकियाँ ले रही थी और उसे गुल ख़ान ने गोद में बिठाया हुआ था और खुद शमी के बेड पर बैठा हुआ था. उस ने मुझे कहा इधर आओ और साथ ही आँख मार दी. मैं तो हैरान रह गया… मैं गुल ख़ान के पास गया उस ने कहा कि,

गॅंडू अपना जंगिया (शॉर्ट्स) उतारो. मैं समझा वो मेरी गांद मारेगा लैकिन मैं ने डरते हुए शलवार उतार दी शमी हिचकियाँ लेटे हुए मेरी तरफ देख रही थी और मेरे लंड को जो अब दोबारा खड़ा हो रहा था, कि तरफ देख रही थी कि अचानक गुल ख़ान ने मुझे कहा,

गांडू का बच्चे तुम को कुच्छ नही पता की कैसे करते हैं, यह कह कर उस ने अपनी शलवार के नाले में हाथ डाला और अपनी शलवार में से नाला निकाल लिया, शमी हैरान थी कि अंकल गुल यह क्या करने वाले हैं. गुल ख़ान ने अचानक शमी के बाज़ू उस की कमर के पीछे किए और अपने नाले/ अज़रबंद से मेरी छ्होटी बहन के हाथ बाँधने लगा.

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मैं हैरान था कि और खुश भी की गुल ख़ान भी मेरा साथी बन गया हे लैकिन मेरी बहन शमी मचलने लगी और दोबारा चीखने लगी तो गुल ख़ान ने ऐक ज़ोरदार थप्पर मेरी मासूम बहन के मुँह पर मारा कि शमी के मुँह में से खून बहने लगा. उस का गाल अंदर से फॅट गया था. फिर गुल ख़ान ने मेरी बहन को उठा कर बेड पर लिटाया और उस के पेट पर से अपनी टाँग ऐसे गुज़ारी कि शमी का बदन उस की टाँग का नीचे दब गया, अब वो हिल भी नही सकती थी. शमी के हाथ उस की कमर पर बँधे हुए थे. फिर गुल ख़ान ने मुझे इशारा किया और कहा,

लो अब आओ और मज़ा करो और हम को भी मज़ा लैने दो. मेरी खुशी की कोई इंतेहा नही थी मैं अपनी बहन के पास आया और उस के क्यूट से चेहरे को हाथों में लिया और उस के होन्ट चूसने लगा. शमी चीख रही थी.

कुत्तो हरमजादो छोड़ दो मुझे… भेया मैं तुम्हारी सग़ी बहन हूँ अपनी छोटी बहन से ऐसा कर रहे हैं आप… भाई जान मैं मर जाऊं गी मेरी इज़्ज़त ना लूटो भाई जान मुझे छोड़ दें. मगर कौन सुनता उस की बकवास उस वक़्त. मैं ने गुल ख़ान की तरफ देखा तो उस ने खुद को कपड़ो के तकल्लूफत से आज़ाद करवा लिया था और उस का 10 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लंड 90 के आंगल पर खड़ा था, वो मुस्कुरा रहा था.

मैं ने शमी की तकलीफ़ का सोचा तो मुझे झुरजूरी आ गयी कि मेरी मासूम कुँवारी बहन के साथ क्या होने वाला है जब यह दरिन्दा उसे चोदे गा तो क्या हो गा. मगर मैं ने यह फज़ूल बातें सोचने में वक़्त ज़ाया नही किया और अपनी छ्होटी बहन की शलवार खेंच कर उतार ली. वाउ उस की नन्ही मुन्नी चूत हल्के हल्के ब्राउन रूवे के साथ इंताई खूबसूरत लग रही थी. ईतने में शमी जो हिचकियाँ ले रही थी उस ने दोबारा ज़ोर से चीखना और रोना शुरू कर दिया.

बचाओ… बचाओ… मुझे बचा लो अम्मी जी… पापा मुझे बचाएँ मम्मी! लेकिन उस की यह आवाज़े उस के हलक़ में ही दब गयीं क्योंकि मैं ने उस की शलवार उठा कर उस का गोला बनाया और उस के मुँह में डाल दिया अब उस के मुँह से घ्ह्ह्ह्ह…गग्ग्ग….ग….ग..घह….ऊओ ण्न्न्न्न्घ्ह्ह्ह की आवाज़े आ रही थीं. फिर मैं ने उस की क़मीज़ का गिरेबान दोनों हाथों से पकड़ा और ऐक झटके से फार डाला. अब शमी हम दोनों के बीच बिल’कुल नंगी थी.

मैं फ़ौरन शमी के मम्मो से खेल’ने लगा. पह’ले सहलाते रहा फिर दबाने लगा. फिर मैने अप’नी छोटी बहन के छोटे छोटे मम्मे बारी बारी से बड़े प्यार से चूसे. शमी छट’पटा रही थी. मूँ’ह में सलवार ठूँसा हुवा होने की वजह से उस’की आवाज़ बाहर नहीं आ रही थी. गुल ख़ान भी शमी की कमसिन चूत की पुट्तियाँ खोल’ने लगा था. वह दोनों हाथों से चूत फैला रहा था. कुच्छ देर बाद उस’ने चूत में अंगुल डाल’नी शुरू कर दी. फिर बोला,

अबे साले अब चूस’ना छ्चोड़ और चोद अप’नी बहन को. फिर मुझे भी चोद’ना है, देख’ता नहीं कब से खड़ा है. गुल ख़ान ने मुझे अप’ना 10″ का खड़ा लंड दिखाया. मैं फ़ौरन शमी की टाँगों के बीच में आ गया और अप’ना 7″ के करीब लंड को बहन की चूत के ऊपर टिका दिया. गुल ख़ान ने अंगुल कर’के शमी की चूत खोल दी थी फिर भी मैने गुल ख़ान की तरफ देखा,

गांडू कहीं के धक्का मार के थेल दे अंदर. इतना सुनते ही मैने एक ज़ोर का धक्का मार दिया और मेरा आधा लंड शमी की चूत में घुस गया. शमी ज़ोर से बिस्तर पर उच्छली. वह तो गुल ख़ान ने उस’के मूँ’ह पर हाथ रखा हुवा था, वरना उस’की चीख सारे मुहल्ले में सुनाई दे जाती. मुझे बहन की टाइट चूत में लंड पेलने में बहुत मज़ा आ रहा था. मैने यह परवाह नहीं की कि उसे कित’ना दर्द हो रहा होगा और लंड बाहर खींच खींच के 4 – 5 और तग’डे धक्के उस’की चूत में लगा दिए. मेरा पूरा लंड चूत में घुस गया था.

फिर तो मैने बहन की ताबड तोड़ चुदाई शुरू कर दी. मैं लंड बाहर खींच खींच के अंदर घुसा रहा था. हर धक्के के साथ लंड ‘छप’ ‘छप’ कर’ता हुवा बहन की फुददी में जा रहा था. मैं लग’भग 5 मिनिट तक उसे चोद’ता रहा और उस’के बाद मेरे लंड ने पानी छ्चोड़ दिया. कुच्छ ही देर में मैं सुस्त होके बहन के ऊपर से हट गया. तभी मैने शमी की चूत की तरफ देखा तो उस’की चूत के इराद गिरद खून जमा पड़ा था और चूत बूरी तरह खून और मेरे रस से लत’पथ थी. मेरा रस अभी भी उस’की चूत से बह रहा था. गुल ख़ान ने यह देखा तो बोला,

साले तुम’ने अप’नी बहन की चूत फाड़ दी. ऐसे चोदा जाता है. देख इस’के तो खून आ गया. शमी के मूँ’ह से गों गों की घुटी घुटी आवाज़ें आ रही थी. गुल ख़ान ने शमी को अप’नी गोद में बैठ लिया और उस’के सर पे हाथ फेर’ते हुए उसे प्यार कर’ने लगा. फिर वह उस’के गालों की चुम्मियाँ लेने लगा. अब उस’ने शमी के मुँह से कप’डा निकाल दिया. शमी ने पह’ले तो हिच’कियाँ ली फिर रोने लगी.

आज़ाद तुम’ने यह अच्च्छा काम नहीं किया. कल जब सब’को यह बात मालूम पड़ेगी तो तुम्हें तो पोलीस पकड़ के ले जाएगी और तुम्हारा खानदान बदनाम हो जाएगा. गुलख़ान शमी की चूचियों को हल्के हल्के सह’लाते बोला.

क्या कह’ते हो मैं अकेला थोड़े ही था तुम भी तो साथ थे. मैने घबराई आवाज़ में कहा.

ठीक है मुझे भी पह’ले इसे चोद लेने दो, फिर कोई रास्ता सोच’ते हैं.

नहीं छ्चोड़ो मुझे. मैं मर जाउन्गी. भाई तुम’ने मुझे बार’बाद कर तो दिया. इस दरिंदे से मुझे बचाओ. मुझे छोड़ दो, मैं किसी को कुच्छ नहीं कहूँगी. यह कह शमी फिर रोने लगी. मुझे भी अब शमी पर दया आ रही थी पर यह भी जान’ता था कि गुल ख़ान उसे चोदे वगैर छोड़’ने वाला नहीं. तभी गुल ख़ान ने शमी से कहा,

देखो तुम एक बार चुद चुकी हो. अब चाहे एक बार चुदी हो या दस बार चुदी हो कोई फ़र्क़ नहीं पड़’ता. अब मेरे से भी राज़ी राज़ी चुद’वा लो तो तेरे हाथ भी खोल दूँगा और खूब प्यार से चोदून्गा नहीं तो फिर से मूँ’ह में कप’डा ठूंस साली की पूरी चूत फाड़ के भोसरा बना दूँगा.

नहीं गुल अंकल बहुत दर्द हो रहा है. मेरी पह’ले ही फॅट गयी है. छोड़ दो मुझे, मैं तुम दोनों के हाथ जोड़’ती हूँ और किसी को कुच्छ नहीं बोलूँगी. जाने दो मुझे.

यह ऐसे नहीं मानेगी. आज़ाद ठूंस दे इस’के मुँह में कप’डा. और साली चुप कर रन्डी भाई से तो तुम चुदवा ली अब क्या मैं इस खड़े लंड को तेरे भाई की गान्ड में डालूं.

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अभी छोड़ दो मुझे. नहीं तो मेरी जान निकल जाएगी. अभी एक बार छोड़ दो. मैं ठीक हो जाउन्गी तो ….. अभी छोड़ दो….. किसी को कुच्छ ….. नहीं .. बोलूँगी. गुल ख़ान ने शमी के हाथ खोल दिए और कहा,

जा बातरूम में जाकर ठीक से नहा ले और इस पर क्रीम लगा लेना. लड़’कियों की पह’ली चुदाई में ऐसा होता है और कुँवारी लड़’की के पह’ली बार खून भी आता है. सब के साथ ऐसा होता है. डर’ने की कोई बात नहीं. शमी उठी और सीधी बाथरूम में चली गयी. तभी गुल ख़ान ने मुझे पलट दिया और मेरी गान्ड पर अंगुल में ले ढेर सारा थूक लगा दिया.

गुल ख़ान यह क्या कर रहे हो? मैने वापस सीधा होते हुए कहा.

अरे साले तेरी गान्ड मारूँगा. तेरे को बहन चोदने का पह’ला मौका क्या दे दिया तूने तो उस बेचारी की फाड़ के रख दी. अब यदि मैं उसे चोद्ता तो हो सकता था कि बात बिगड़ जाती और हम दोनों जैल में बंद हो जाते. अब मैने उसे छोड़ दिया है देख’ना वह अब हम दोनों से राज़ी राज़ी चुद’वाएगी. अब पलट और मुझे तेरी गान्ड मार’ने दे, देख भाई बहन की चुदायी देख के कब से खड़ा है मेरा लंड.

पर गुल ख़ान तेरा बहुत बड़ा है और मैने इस’से पह’ले कभी गान्ड नहीं मर’वाई.

तो साले तेरी बहन ने इस’से पह’ले कभी चुदाया था क्या? तब तो तुम’ने यह बात नहीं सोची. तू चाह’ता है क्या कि मैं तेरे भी उसी तरह हाथ बाँधू और तेरे मुँह में भी कप’डा ठूँसू.

अच्च्छा मैं नारियल तेल ले आता हूँ. तुम पह’ले ठीक से लंड और गांद चिक’ना कर लो और धीरे धीरे मार’ना. मैं उठ और ड्रेसिंग टेबल से अम्मी की नारियल तेल की बॉटल ले आया और गुल ख़ान के हाथ में दे डी. गुल ख़ान ने प्लास्टिक की बॉटल दबा काफ़ी जमा हुवा नारियल तेल निकाला और उसे अप’ने लंड पर चुपऱ लिया फिर उस’ने मुझे अपने चारों हाथ पैरों पर कर दिया और मेरी गान्ड हवा में उँची उठा दी.

उसने नारियल तेल की प्लास्टिक की बॉटल का मुख मेरी गान्ड के छेद पर रखा और बॅटल थोऱी दबा के मेरी गन्ड में तेल दीया. फिर उस’ने बॉटल कस के दबा दी और मुझे गान्ड में ठंडा ठंडा महसूस हुवा. फिर गुल ख़ान ठीक मेरे पीछे आ घुट’ने के बल बैठ गया. उस’ने मेरे दोनों चुत्डो पर हाथ जमा के उन्हे चौडाने लगा. फिर उस’ने कहा,

आज़ाद! ठीक से तकिये पर मुख रख ले और तकिया में मुँह दबा ले. मैं समझ गया कि अब वह मेरी गान्ड में अप’ना 10″ का मूसल ठोकेगा और साला मुँह दबाने के लिए कह रहा है जिस’से कि मेरी आवाज़ ना निक’ले. मैने वैसे ही किया. डर भी लग रहा था, पर इस नये तज़ूर’बे के बारे में सोच सोच मैं काफ़ी उत्तेजित भी हो गया था और मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया था.

गुल ख़ान मेरी गान्ड के ठीक पीछे अप’ने पैरों पर खड़ा होके मेरी पीठ पर झुक गया और उस’ने अप’नी बाहें मेरी छाती पर कस ली/ तभी मुझे उस’का लंड अप’नी गान्ड के छेद पर महसूस हुवा और मैने तकिये में दाँत भींच के अप’ना चेहरा और कस के गाढ दिया. मेरी गान्ड का किला फ़तेह होने वाला था. गुल ख़ान ने लंड का दबाव मेरी गांद में दिया और एक तेज़ दर्द की लहर मेरे सारे बदन में दौड़ गयी. मैं कस’मासाया पर मैने सोच रखा था कि चाहे जो हो जा’य मुझे गले से आवाज़ बाहर नहीं निकलने देनी है.

फिर गुल ख़ान अप’ने लंड के सुपारे को मेरी गान्ड में कुच्छ देर हिलाता रहा. जिस’से मेरी गान्ड में भरा जमा हुवा नारियल तेल फैल’ने लगा. उस’के लंड का सुपारा मेरी गान्ड में अट’का ‘पच’ ‘पच’ कर के हिल रहा था. तभी उस’ने मेरी गान्ड पर और दबाव बढ़ाना शुरू किया और मुझे लंड अंदर सरक’ता साफ मालूम पड़ा. कुच्छ दूर तक तो बिना दर्द के अंदर सरक गया परंतु इस’के बाद मुझे ऐसे लगा कि जैसे मेरी गान्ड चीरी जा रही हो. तभी मैने अप’ना ध्यान शमी की पह’ली चुदाई की तरफ मोड़ दिया.

अब मुझे महसूस हो रहा था कि जब शमी की चूत में मैने पह’ली बार लंड पेला था तो उसे भी ऐसा दर्द हुवा होगा. मैं यह सोच कर पहली बार गान्ड मार’वाने के दर्द को झेल’ने लगा कि अभी कुच्छ देर पह’ले जब मैने अप’नी सग़ी बहन की चूत को ऐसा ही दर्द दिया था तो अब मैं क्यों चिल्लाउ. मैं अप’ने ख़यालों में खोया हुवा था और उधर गुल ख़ान ने मेरी नारियल तेल से सनी गान्ड में पूरा 10″ का लंड जड़ तक पेल दिया था. उस’की बाहें मेरी छाती पर और कस गयी.

फिर गुल ख़ान ने आधा लंड मेरी गान्ड से निकाला और वापस धीरे से पूरा अंदर डाल दिया. ऐसा उस’ने तीन बार किया और तीस’री बार मुझे दर्द महसूस नहीं हुवा. फिर तो अचानक तूफान आ गया. अब गुल ख़ान सुपरे तक लंड बाहर खींच एक ही झट’के में पूरा जड़ तक घुसा रहा था. धीरे धीरे उस’की स्पीड बढ़’ती गयी और मुझे केवल पच्च पच्च सुनाई पड़ रहा था. मेरा लंड तन गया था और जब गुल ख़ान ने मेरी छाती से एक हाथ नीचे बढ़ाके मेरा लंड पक’डा तो मुझे बहुत मज़ा आया. मैं बोल पड़ा,

गुल ख़ान मेरे लंड को सर’का मारो. ओह तुम तो गान्ड मार’ने के पूरे एक्सपर्ट हो. गुल ख़ान ने मेरे लंड को मुत्ठी में जाकड़ लिया और वह मेरे लंड को मूठ मार’ने लगा. उधर बहुत तेज़ी के साथ उस’का लंड भी मेरी गान्ड में अंदर बाहर हो रहा था. तभी शमी कमरे में आ गयी और जैसे ही वह मूड के वापस जाने लगी गुल ख़ान बोल पड़ा,

शमी बेटे यहाँ आओ और बैठो. देखो मैं तुम्हारे भाई से तुम्हारा बद’ला कैसे ले रहा हूँ. ठीक से नहा ली हो ना. अभी दर्द कम हो गया न. शमी ने हां में गर्दन हिला दी.

ले साले झेल मेरा लंड. आज तेरी गान्ड फाड़ के बिटिया का बदला लूँगा. ले झेल…. गुल ख़ान मेरे लंड को मुठियाते हुए दना डन मेरी गान्ड में लंड पेल रहा था. तभी मेरे लंड से फव्वारा छूटा और तभी मुझे अप’नी गान्ड में गुल ख़ान के रस का फव्वारा महसूस हुवा. उस दिन और कुच्छ नहीं हुवा. शमी और दिन की अपेक्षा आज बहुत जल्द अप’ने कम’रे में जा कर सो गयी. मैं भी जल्द सो गया. दूसरे दिन मैं और शमी रोज की तरह यूनिवर्सिटी और स्कूल गये. दुस’री रात शमी राज़ी हो गयी. तीसरे दिन जब तक अम्मी अब्बू नहीं आ गये तब तक शमी इस खेल की खिलाड़ी बन चुकी थी. तो दोस्तो कैसी लगी ये कहानी ज़रूर बताना आपका दोस्त राज शर्मा



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