मेरी इस चुदाई की कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि कैसे हम बाहर खाने के लिए एक 5 स्टार होटल में गए. लेकिन वहां उस होटल के मैनेजर ने मेरा अपमान कर दिया. अब आगे-
मेरे बहुत कोशिश करने के बाद भी उसने अपना तरीका नहीं बदला, उल्टा मुझे उसका कहना मानना पड़ा.
मैं: अगर मैं तुम्हारा कहना मानूं, तो मुझे जल्दी छोड़ दोगे?
मैनेजर: हां, अगर तुम भूखी रंडी की तरह मेरा सारा कहना मानो, तो मैं तुम्हें जल्दी छोड़ दूंगा.
मैंने इस बात को मंजूर कर लिया, और उसका कहना चुप-चाप मानना शुरु कर दिया.
मैनेजर फिर कुर्सी पर बैठ गया, और मुझे भी अपने साथ खींच लिया.
मैनेजर: चल अब मेरे शूज उतारो.
मैं: जी मालिक.
मैंने उसके शूज उतार दिये.
मैनेजर: मेरे शूज को किस्स करो और उन्हें चाटो.
मेरे पास कोई और चारा नहीं था, तो मैंने बिल्कुल वैसे ही किया. पहले शूज को किस्स किया, और फिर उन्हें हल्का चाटा.
मैनेजर: अब मेरे सॉक्स उतारो, और उन्हें सूंघों.
मैंने वैसे ही किया, उसके सॉक्स उतार दिये, और उन्हें सूंघा. वो सॉक्स की इत्नी गंदी बदबू थी कि मुझे तो उल्टी जैसा होने लगा.
मैनेजर: अब मेरे पैरों पर अपनी नाक रगड़ और मेरे लंड की भीख मांग.
मैं (उसके पैरों पर अपनी नाक रगड़ते हुए): प्लीज मुझे अपना लंड चूसने दो मालिक, प्लीज.
मैनेजर: ऐसे भीख नहीं मांगते, और थोड़ी कोशिश कर.
मैं: मैं आपसे भीख मांग रही हूं, मुझे अपना लंड चूसने दीजिये. मुझ जैसी गंदी रांड को आपके लंड की प्यास लगी है.
मैनेजर: अब हुई ना बात. ये ले चूस ले.
ऐसा बोल कर उसने झट से अपना लंड पैंट में से निकाला. उसका लंड बस 6 इंच का था, मगर एक-दम कड़क बन गया था. मैं जल्दी से उसका लंड मुंह में लेकर चूसने लगी.
मैनेजर: कैसा लगा मेरा लंड?
मैं: बहुत बढ़िया है मालिक.
मैंने मैनेजर का लंड ऐसे चूसा, ऐसे चूसा कि मानो दुनिया का अंत हो रहा हो. मैनेजर मेरे सामने 5 मिनट ही टिका. फिर उसका झड़ने वाला था.
मैनेजर: मैं झड़ने वाला हूं, सारा माल पी जाना. एक भी बूंद नहीं गिराना.
वो मेरे मुंह में ही झड़ गया. उसका माल बहुत सारा था. मेरा पूरा मुंह उसके वीर्य से भर गया. मैंने उसका माल एक झटके में गटक लिया.
मैनेजर: होटल में खाना खाने आई थी, साली मेरा लंड खा कर जा अब.
मैं: अब वो वीडियो डिलीट कर दो, और मुझे जाने दो.
मैनेजर: ठीक है जाओ, अब कपड़े पहन कर.
फिर मैनेजर ने वो वीडियो भी डिलीट कर दी, और मुझे कुछ पैसे देने लगा, तो मैंने उन्हें लेने से इन्कार कर दिया. फिर उसने अलमारी में से कुछ चीज निकाली.
मैं: ये क्या है?
मैनेजर: खुद देख लीजिए.
वो एक डॉग बैंड था, जिसे कुत्ते के गले में बांधा जाता है, और उसपर इंग्लिश में “SLAVE” लिखा था, जिसका मतलब मजदूर या नौकर होता है.
मैं: इसका मैं क्या करूं?
मैनेजर: तुम जब भी इस होटल में खाना खाने आओगी, तब ये काउंटर पर दिखाना, तुम्हें फ्री खाना मिलेगा.
मैं: इसकी कोई जरुरत नहीं है!
मैनेजर: अरे रख लो, इसकी कीमत करीब 80 हज़ार से ज्यादा है.
मैं: इतनी महंगी चीज है ये!?
मैनेजर: हां, वो अक्षर सोने से बने है.
मैंने वो डॉग बैंड लिया और मैनेजर के केबिन से बाहर निकल गई. बाहर आते ही मैं सीधा अपने टेबल पर गई. उधर राजेश्वर जी मेरा इंतजार कर रहे थे.
राजेश्वर जी: अरे कहां रह गई थी?
मैं: सॉरी-सॉरी, वो पेट ही खराब हो गया तो.
राजेश्वर जी: लेकिन फिर भी आधा घंटा!
मैं: बाबा सॉरी बोला ना. मुझे घर जा कर शिक्षा देना बस.
राजेश्वर जी: वो तुम्हें मिलेगी ही.
मैं आ तो गई थी, मगर मुझे उस मैनेजर को मजा चखाना था. आखिर उसने मेरा अपमान जो किया.
मैं: जी आपको एक बात बतानी थी.
राजेश्वर जी: बोलो?
मैं: जब मैं टॉयलेट से आ रही थी तब मुझे मैनेजर ने छेड़ा, और मेरे साथ जबर्दस्ती करने की कोशिश की.
ये सुन कर राजेश्वर जी आग बबूला हो गए.
राजेश्वर जी: क्या! रुको अभी उसको देखता हूं.
राजेश्वर जी मैनेजर को बुलाने वाले थे, मगर मैं उस मैनेजर को उसके ही केबिन में उसके ही तरीके से बेइज्जत करना चाहती थी.
मैं: रुको, यहां तमाशा मत करो. उसके केबिन में जाते है.
हम दोनों फिर मैनेजर की केबिन की तरफ गए. जैसे ही मैनेजर ने केबिन का दरवाजा खोला, राजेश्वर जी सीधे उस मैनेजर पर झपट गए. मैनेजर बहुत डर गया. राजेश्वर जी उसको मारने वाले थे, लेकिन मैंने उनको रोक लिया. राजेश्वर जी ने मेरी बात मान ली, और मेरे बगल में आकर खड़े हो गए. मैंने फिर जा कर केबिन का दरवाजा बंद कर दिया.
मैनेजर जमीन पर बैठा था, और माफी मांग रहा था.
मैं: माफी चाहिये?
मैनेजर: हां.
मैं: चलो तो फिर अपने कपड़े उतारो.
ये सुन कर मैनेजर और राजेश्वर जी दोनों शॉक हो गए.
राजेश्वर जी: दिव्या ये तुम क्या कह रही हो?
मैं: आप रुकिये, इसे मैं सबक अपने तरीके से सिखाना चाहती हूं.
राजेश्वर जी को कुछ समझ नहीं आया, पर मैनेजर समझ गया कि मैं क्या करना चाहती थी.
मैं (मैनेजर को देखते हुए): तुम क्या ऐसे देख रहे हो? मैंने जो कहा वो करो.
मैनेजर अपने कपड़े उतारने लगा. कपड़े उतारने के बाद मैनेजर मेरे और राजेश्वर जी के सामने नंगा खड़ा था.
मैं: अपने घुटनों पर बैठ.
मैनेजर घुटनों पर बैठ गया.
मैंने टेबल पर रखा हुआ कुत्ते का पट्टा लिया, और उसके गले में बांध दिया. जी हां ये वही पट्टा था जो इस मैनेजर ने मेरे गले में कुछ देर पहले बांधा था.
मैं: कुत्ते की तरह भौंक!
मैनेजर: भौं! भौं!
मैं: शाबाश! अब मुझे तुम मालकिन कहोगे.
मैनेजर: जी मालकिन.
राजेश्वर जी ये सब चुप चाप देख रहे थे, और सोच रहे थे ये सब क्या हो रहा था?
मैंने उसके गले का पट्टा पकड़ा, और उसे शीशे के सामने ले गई.
मैं: देख अपने आप को, ये तेरी मेरे सामने औकात है साले कुत्ते!
ये बोल कर मैंने मैनेजर को लात मारी, तो वो गिर गया. उसके गिरने पर मैं जोर से हस पड़ी, और उसका मज़ाक उड़ाया.
इसके आगे इस अन्तर्वासना हिंदी कहानी में क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा.