मामी को डिल्डो से चुदाई करते देख मैंने मामी की चुत चुदाई की

बाद में जब मैं दोपहर को किचन में गया.. तो मामी खाना बना रही थीं। मैं मामी की हेल्प करने लगा और हम दोनों बातें करने लगे।

मैं मामी को वो रात वाली घटना बताने लगा। मैंने कहा- मामी आपके कमरे से कल जो आवाजें आ रही थीं.. वो क्या था?
तो वो शरमाने लगीं और बोलीं- वो मैं अपनी प्यास बुझा रही थी!
तो मैंने मौके का फायदा उठाया और बोला- क्या मैं आपकी प्यास बुझा सकता हूँ?

तो मामी कुछ न बोलीं.. और मैंने मामी अपने बांहों में ले लिया, पर मामी मुझसे छोड़ने को कह रही थीं। मुझसे रहा नहीं गया और मैं मामी को चुम्बन करने लगा।

कुछ ही देर में मामी भी गर्म हो गई थीं। मैंने किचन में ही मामी की साड़ी को उतारना शुरू कर दिया और हम एक-दूसरे को चुम्बन करने लगे।

अब मैं उनके ब्लाउज के बटन खोलने लगा.. मुझे बहुत मजा आ रहा था। मैं मामी के मम्मों को चाटने लगा, उनके काले-काले निप्पलों को चाटने का मजा ही कुछ और था।

काफी देर तक चूमा चाटी के बाद मैं उनके घाघरे की नाड़ा खोलने लगा। घाघरा उतरा तो दिखा कि मामी ने रेड कलर की पेंटी पहनी थी। मैंने पेंटी को भी उतार दिया।
अब वो पूरी तरह से नंगी थीं, मैं उनके पूरे बदन को चूम और चाट रहा था। वो भी पूरी तरह से उत्तेजित हो गई थीं और उनकी साँसें तेज हो गई थीं।

अगले कुछ पलों में मैं उनकी नाभि को सूंघने लगा.. क्या सुगंध थी दोस्तो.. मजा आ रहा था।

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मैंने मामी से नकली लंड के बारे में पूछा, तो कहने लगीं- तेरे मामा के छोटे लंड से मेरी प्यास बुझती नहीं थी.. इसलिए मैं इस नकली लंड का यूज करती हूँ।
मैंने कहा- अब आपको इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी।

मैंने उनकी एक टाँग को ऊपर उठाया और उनकी गोरी रस भरी चुत को मजे से चाटने लगा। वो ‘आहें..’ भरने लगीं और ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ जैसी आवाजें निकालने लगीं।
हम दोनों खूब इन्जॉय करने लगे।

फिर मैं उनकी चुत में उंगली करने लगा.. एक के बाद मैं अपनी दो उंगलियां मामी की चुत में अन्दर-बाहर करने लगा। जब मैं ये तेजी से करने लगा तो चुत में से मूत्र की धार बहने लगी और उस धार ने मुझे भिगो दिया। मैं पूरी तरह से मामी के मूत्र से भीग गया था।

अब वो मेरे कपड़े उतारने लगीं और मेरी छाती को चाटने लगीं। फिर मेरे लंड को मुँह में ले लिया। मैंने मामी के मुँह को चुत समझ कर चोदना चालू कर दिया और मैंने भी अपना सारा मूत्र उनके मुँह में खाली कर दिया.. वो मेरा सारा मूत्र पी गईं।

अब मैंने उनको किचन की टेबल पर टिका दिया, फिर थोड़ी सी बर्फ फ्रिज में से लाया और उनके निप्पलों के ऊपर घिसने लगा, इससे मामी को बहुत मजा आ रहा था। फिर मैं थोड़ी बर्फ चुत के आजू-बाजू घिसने लगा। उनकी चुत फिर से गर्म हो गई थी और वो अब चोदने के लिए कहने लगीं।

मैंने मामी की चुत में लंड फंसा दिया और मैंने अपना उनकी चुत में एक झटके से पेल दिया और धक्का मारने लगा।
वो चिल्लाने लगीं और कहने लगीं- उह्ह्ह्ह.. धीरे.. आह्ह.. बहुत मजा आ रहा है.. और चोदो.. और तेज.. अह..

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मैंने उनको दस मिनट तक भरपूर चोदा। इस चुदाई में वो दो बार झड़ चुकी थीं। अब मैं भी झड़ने वाला था और मैंने अपना वीर्य उनके मुँह में डाल दिया। वो मेरा सारा वीर्य निगल गईं।

फिर हम दोनों ने मिल कर नंगी अवस्था में ही खाना बनाया और फिर बाथरूम में नहाने चले गए। बाथरूम में भी एक बार सेक्स किया और अब तो सारा दिन हम पूरे घर में नंगे घूमने लगे।

इस तरह हमने मामा जी के आने तक ऐसे ही खुल कर सेक्स किया। कभी मामी को किचन में चोदा, कभी बाथरूम में पेला, रात को तो बेडरूम में दो बार चुदाई पक्की थी ही।

इतने दिनों में मैंने मामी को खुश कर दिया था।

दोस्तो, आपको मेरी सेक्स कहानी कैसी लगी, मुझे मेल करें।

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