मामी, और उसकी बेटी के नाम का माल निकाला

हेलो दोस्तों, मैं हू निक. पिछली स्टोरी में आपने पढ़ा की कैसे मैं नेहा के गोरे और बड़े बूब्स देख के पागल हो जाता हू, और उनपे टूट पड़ता हू. लेकिन लाइट आ जाने के कारण मेरा काम अधूरा ही रह जाता है. अब आयेज पढ़िए.

सुबह 6 बजे नेहा ने मुझे उठाया और बोली-

नेहा: भैया उठो, 6 बजे गये है. जल्दी से कपड़े पहन लो, मैने तो पहन लिए है. मम्मी पापा भी उठने वाले होंगे.

मेरी आँखें खुली तो नेहा को देख के हड़बड़ा गया. क्यूंकी पहले तो कल रात का दर्र और फिर वो मेरे खड़े लंड के पास ही खड़ी थी, तो मैने जल्दी से चादर से उसे च्छुपाया और कहा-

मैं: हा उठ रहा हू, तू जेया.

नेहा: ठीक है.

मैं कपड़े पहन के बिना कुछ सोचे समझे फिरसे सो गया. अब सुबह के 7 बजे मामी मुझे उठाने आई. वो झुक के मुझे उठाने लगी और बोली-

मामी: बेटा उठ जेया, 7 बजे गये है. बाहर आके छाई पीले.

ये कहते हुए वो मुझे हिलने लगी. जैसे ही मेरी आँखें खुली, उन्हे देख के मानो सुबह-सुबह मेरी आत्मा तृप्त हो गयी. उन्होने स्लीव्ले लाइट पिंक कलर की मॅक्सी पहनी हुई थी, जिसमे उनके बड़े और गोरे बूब्स हल्के-हल्के बाहर झाँक रहे थे. माथे पे एक छ्होटी सी बिंदी लगा रखी थी, और बहुत ही फर्म सेंट की खुश्बू आ रही थी. उनके बूब्स का साइज़ 36द होगा.

मैं नींद में होने की वजह से बिना सोचे समझे मामी से बोल पड़ा-

मैं: अर्रे वाह!

मामी हैरान हो कर पूछने लगी-

मामी: बेटा अचानक से क्या हो गया. ऐसा क्या देख लिया की सुबह-सुबह ही तारीफे चालू हो गयी तेरी?

मुझे होश आया और हड़बड़ा गया. मैं बोला-

मैं: अर्रे नही मामी, मैं इतनी जल्दी उठता नही हू ना, और आज जल्दी नींद खुलते ही आपका चेहरा देख लिया. तो पूरा दिन भी बढ़िया जाएगा. इसलिए बस मूह से निकल गया.

मामी शर्मा गयी और बोली-

मामी: अभी तो ठीक से आँख भी नही खुली और बदमाशी चालू. जल्दी से बाहर आजा, और छाई-नाश्ता कर ले.

मामी जैसे ही जाने लगी, उनकी बड़ी गांद मॅक्सी में से झलक उठी, जिसने मेरे तड़प्ते लंड को और भी ज़्यादा तडपा दिया. मैं पहले से ही नेहा के बारे में सोच-सोच के मॅर रहा था, और अब मामी, उफ़फ्फ़.

इससे मुझसे रहा नही गया, और मैं सीधे बातरूम में जेया कर नेहा और मोना (मामी) के नाम की मूठ मारने लगा. लगभग 20 मिनिट बाद मैं मूठ मार के और फ्रेश होके जब बाहर लिविंग रूम में गया, तो नेहा मामी के साथ किचन में काम कर रही थी, और मामा बाहर जाने की तैयारी कर रहे थे. मैं सोफे पे जाके छाई पीने लगा.

मामा ने मुझसे पूछा: आज का क्या प्लान है?

तो मैने कल रात का जवाब फिरसे चिपका दिया, और फिर मामा खेत के लिया निकल गये. नेहा मेरे पास आके बैठ गयी और एक स्माइल देते हुए पूछने लगी-

नेहा: और भैया, कल रात को आचे से नींद तो आई ना?

मैं: हा.. मुझे तो आचे से आई नींद. तू बता तू कंफर्टब्ली तो सोई ना?

नेहा: हा मुझे तो कल मज़ा ही आ गया. (आवाज़ धीमी करके, मामी की वजह से) एक-दूं फ्रीली सोई, लेकिन ऐसा फील हुआ की कोई मुझे गुदगुदी कर रहा था.

अब मेरी फटत चुकी थी.

मैं: आ-अछा, म-मुझे लगता है की तूने कोई सपना देखा होगा.

नेहा ने टीवी चलाया और स्माइल करके बोली-

नेहा: हा हो सकता है. लेकिन मुझे तो उस सपने में बहुत मज़ा आया.

मैं सोच में पद गया. अब मेरे मॅन में नेहा की कही हुई बात लूप में चलने लगी. मेरे मॅन में उसके लिए गंदे विचार आने लगे. उधर से मामी सोफे पे आके बैठ गयी, और पूछने लगी-

मामी: क्या खुसुर-पुसुर कर रहे हो तुम दोनो?

मैं तो नेहा की बातों से सोच में डूबा बैठा था, और नेहा ने जवाब दिया-

नेहा: कुछ नही मम्मी. ये हमारी भाई-बेहन के बीच की पर्सनल बात है.

मामी: अछा, तो अब बात हो गयी हो तो नहा धो लो, और तैयार हो जाओ. मैं सब्ज़ी मंदी जाके सब्ज़ियाँ ले अओ.

नेहा: ओक मम्मी.

मामी चली गयी, और नेहा ने मैं गाते की कुण्डी अंदर से लगा ली. मैं नेहा से बोला-

मैं: मैं बाहर वाले बातरूम में नहा लेता हू, और तू अपने रूम के बातरूम में नहा ले.

नेहा: हा ये ठीक है. जल्दी भी नहा लेंगे.

अब मैं जब टवल लेके बातरूम में गया, और नाल चलाया, तो पानी नही आया. ये देख के मैं तुरंत नेहा के कमरे में गया और उससे कहा की पानी नही आ रहा. तो नेहा बोली-

नेहा: हो सकता है उस बातरूम की पानी की टंकी खाली हो गयी हो. ऐसा करना, आप मेरे बातरूम में नहा लेना मेरे नहाने के बाद.

मैने हा कहा और फिर नेहा नहाने चली गयी. मैं उसके कमरे में ही मोबाइल स्क्रोल करने लगा. वीडियोस देखते-देखते मेरी नज़र बातरूम के गाते पे पड़ी, तो देखा की वो हल्का सा खुला हुआ था

मेरे दिमाग़ में तुरंत नेहा की कही हुई बात आई की “हा हो सकता है, लेकिन मुझे तो उस सपने में बहुत मज़ा आया”. ये बात मेरे दिमाग़ में नों-स्टॉप घूमने लगी, और मैने डिसाइड किया की मैं उसे नहाते हुए देखूँगा.

मैं उठा, और दबे पावं गाते तक पहुँचा. फिर बहुत धीरे से गाते की साइड से झाँकने लगा. आज तो मानो मा और बेटी दोनो मुझे उनके हुस्न से मार ही डालेंगी. सुबह मामी के बूब्स और अब नेहा का पानी में चमकता नंगा और चिकना बदन.

वो जैसे-जैसे उसके दूध जैसे गोरे बदन पर पानी डालती, पानी उसके सर से होते हुए गले से फिसलता हुआ, उसके 36″ के गोरे बूब्स पे छलकता हुआ, उसकी नाभि से हो कर उसकी उस कोमल छूट पे जेया लगता.

उस मोमेंट में वो किसी काम देवी से कम नही लग रही थी. मैं तो इतना खो गया था की ये सोचने लगा की अगर मैं पानी होता तो क्या करता. इतने में नेहा पाते पे से उठने लगी और मुझे वापस होश आ गया. मैं चुप छाप जेया कर बाहर लिविंग रूम में जाके बैठ गया. फिर अंदर से नेहा की आवाज़ आई-

नेहा: भैया, भैया.

मैं ये सोचते हुए दौड़ा-दौड़ा उसके कमरे में गया, की उसको पता तो नही था की मैं उसे इतनी देर से देख रहा था.

वाहा जाके देखा तो नेहा का एक हाथ बातरूम गाते के बाहर था, और वो बोली-

नेहा: यार भैया सॉरी, लेकिन मैं टवल लेना भूल गयी. आप मुझे टवल दे दोगे क्या? अगर मैं ऐसे बाहर आई तो पूरा कमरा गीला हो जाएगा.

मैं मॅन ही मॅन सोचने लगा-

मैं: अब इसे खुद को च्छुपाने की क्या ज़रूरत है गाते से? मैने तो सब देख ही लिया है.

नेहा: क्या? क्या हुआ भैया?

दो ना टवल, वाहा बेड पे ही है. और हा साथ में प्लीज़ मेरे अंडरगार्मेंट्स भी दे दोगे क्या? वही है देखो गाते पे.

मैं: ह-हा द-देता हू, र-रुक.

पहले उसका नंगा बदन और अब उसकी ब्लॅक कलर की तीन स्ट्रॅप वाली ब्रा और पनटी मेरे हाथो में. मानो मेरा लंड फटने वाला था. मैने जैसे-तैसे खुद को समझाया की नहाने से पहले मूठ मार लूँगा.

नेहा: क्या हो गया भैया? नही मिले क्या?

मैं खुद ही नही समझ पा रहा था की मैं ये क्या फील कर रहा त.

मैं: आ…अर्रे नही, म…मिल गयी मुझे. ये ले तेरा टवल और ब्र… मतलब अंडरगार्मेंट्स.

मैने नेहा को उसकी ब्रा पनटी और टवल दिए और बाहर लिविंग रूम में आके बैठ गया. थोड़ी देर बाद नेहा कपड़े पहन के बाहर आई. उसने येल्लो कलर का कुर्ता पहना था, जिसका नेक लो था जिसमे उसकी क्लीवेज ठीक ताक दिख रही थी. वो बोली-

नेहा: थॅंक योउ भैया, टवल और अंडरगार्मेंट्स देने के लिए. अब आप चले जाओ नहाने.

मैने बस हा में सर हिलाया और चल दिया.

जैसे बातरूम में गया मुझे मानो ख़ज़ाना मिल गया था, और वो ख़ज़ाना था नेहा की गीली ब्रा पनटी.

मैने झट से उसकी ब्रा पनटी उठाई, और उन्हे सूंघने लगा. फिर मैने उसकी ब्रा को मूह में दबाया, और पनटी को सूंघने लगा. वो मनमोहक मीठी खुश्बू, किसी गुलाब की पंखुड़ी जैसी थी. मैने सीधा उसकी पनटी को लंड पे लगाया, और तेज़-तेज़ मूठ मारने लगा.

मामी के वो बड़े बूब्स, नेहा का वो छम-चमता बदन, मैने इन दोनो को सोच के लगभग 30 मिनिट में 2 बार मूठ मारी, और दोनो बार माल नेहा की पनटी पे ही छ्चोढा.

मैं उसकी खुश्बू के नशे में पागल सा हो गया था. इसलिए सोचा की नहाने के बाद उसकी पनटी पानी से धो दूँगा, और जब नहा लिया तो धोना भूल गया.

मैं तो बाहर आके मेरे कमरे में कपड़े पहनने लगा. फिर जब पूरा तैयार हो गया, तो याद आया की नेहा की पनटी अब भी मेरे माल से भारी हुई थी. उस पनटी का क्या हुआ, क्या वो नेहा ने देख ली, या मैने उन्हे धो दिया. ये जानने के लिए पढ़ते रहिए, और जुड़े रहिए निक ट्स के साथ.

ओक गाइस, आयेज की स्टोरी अगले पार्ट में. तब तक के लिए गुडबाइ. योउ कॅन टॉक तो मे ओर गिव मे सजेशन्स तो मेक माइसेल्फ बेटर अट राइटिंग स्टोरीस ओं

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