मालिक के बेटे के साथ नौकरानी की सुहागरात की कहानी

राकेश: अंजलि तुम वादा करो हमारा ये रिश्ता तुम घर में किसी को नही बताॉगी. ये सिर्फ़ हम दोनो के बीच रहेगा. ठीक है ना?

अंजलि: राकेश तुम टेन्षन मत लो. मैं किसी और को घर में नही बतौँगी. ये सिर्फ़ हम दोनो के बीच रहेगा, और आज के बाद जब हमे मौका मिलेगा हम चुदाई करेंगे. ठीक है?

राकेश: ओके, तो अब मैं चलता हू ताकि हमे कोई देख ना ले, और तुम भी लग जाओ अपने काम में, ताकि किसी को शक ना हो.

अंजलि: ओके मेरी जान.

और फिर मैं अपने घर के काम-काज में लग गयी.

मेरा और राकेश का सेक्स संबंध काफ़ी समय तक चलता रहा. मेरे ख़याल से 5 साल हो गये थे. हम अक्सर ऐसे ही चुदाई करते रहते थे, और अब प्रीतम जी बुड्ढे हो गये थे. उनसे सेक्स नही हो पाता था, तो मैं ज़्यादातर राकेश के साथ ही सेक्स करती थी. फिर एक बार राकेश और सुमन अपने ससुराल चले गये.

अब मुझे सेक्स की तलब हो रही थी. मैं एक बार राकेश के बेडरूम में उसके बेड पर तड़प रही थी. मेरी आँखें बंद थी.

कुमार: वाउ! क्या नज़ारा है. आज तुम्हे छोड़ ही डालूँगा कैसे भी करके.

मैं मदहोश थी राकेश के ख़यालों में, और थोड़ी देर बाद मुझे एहसास हुआ की राकेश मेरे मूह में अपना लंड डाल कर मेरे मूह को छोड़ रहा था. और मैं भी उसका साथ दे रही थी मज़े से, और उसका लंड चूस रही थी.

मेरी आँखें बंद थी. मुझे एहसास नही था, की वो राकेश नही कुमार था, और मैं सपना नही देख रही थी, ये हक़ीकत थी. मेरी आँख खुली तो मेरे मूह के अंदर लंड का माल था, जो मेरे मूह से मेरे होंठो पर भी आ रहा था.

मेरी सारी उपर करके कुमार मेरी छूट को चाट रहा था, और मेरी टाँगे उपर करके उसका सर मेरी छूट पर था. फिर मैं उठी, और बोली-

मैं: कुमार, आप ये क्या कर रहे हो?

कुमार: देख रही हो ना की मैं तुम्हारी छूट चाट रहा हू. और अब चुप-छाप मुझे तुम्हारी छूट को चाटने दो. मैं तुम्हे डॅडी और राकेश से भी ज़्यादा मज़ा दूँगा. मेरा यकीन करो अंजलि, चलो अब तुम भी मज़ा लो चुदाई का.

अंजलि: कुमार तुम मेरे साथ ऐसा मत करो. प्लीज़ मुझे छ्चोढ़ दो.

कुमार: अर्रे अंजलि, मैने तुम्हे कहा ना तुम बस मज़े लो. मैं जो कर रहा हू मुझे करने दो. इसमे तुम्हारा भी फ़ायदा है, और मेरा भी.

अब मैं क्या करती. मैं चुप ही रही. और फिर कुमार मेरी छूट में अपनी उंगली डाल के अंदर-बाहर करने लगा. फिर थोड़ी देर में वो उठा, और अपनी पंत की ज़िप खोल कर मेरी छूट में अपना लंड घुसा दिया, और मुझे छोड़ने लगा.

मेरे मूह से ह उफफफ्फ़ ऑश उफफफ्फ़ ऑश आह की सिसकियाँ निकालने लगी.

मैने उनसे कहा: मुझे छ्चोढ़ दो.

पर उसने मेरी एक नही सुनी, और वो तो मुझे बस छोड़े जेया रहा था घपा-घाप. फिर थोड़ी देर में मुझे अछा लगने लगा, तो मेरे मूह से निकालने लगा-

मैं: और छोड़ो, और छोड़ो, मुझे और ज़ोर से. कुमार तुम्हारे लंड से मुझे बहुत मज़ा आ रहा है, और छोड़ो, और छोड़ो. रुकना मत, मुझे ऐसे ही छोड़ते रहो.

कुमार: अंजलि मुझे पता है अब तुमको मज़ा आ रहा है. और मुझे भी तुम्हे छोड़ने में मज़ा आ रहा है. आज मैं तुम्हे पूरा दिन छोड़ूँगा. और वैसे भी घर में सिर्फ़ तुम और मैं हू, और कोई नही है. बस मैं तुम्हारी छूट की चुदाई करूँगा आज पुर दिन.

कुमार: और अंजलि तुम्हारी चिकनी छूट जैसी फिर कभी थोड़ी मुझे छूट मिलेगी. आज पहली बार मिली है, तो मैं पुर मज़े लूँगा तुम्हारी छूट का. जी तो करता है बस तुम्हारी छूट को छोड़ता राहु.

अंजलि: मुझे भी बहुत मज़ा दे रहा है कुमार आपका लंड. और मुझे अब ये एहसास हो रहा है, की आप मेरी छूट के अंदर अपने लंड के माल की पिचकारी छ्चोढ़ रहे हो.

करीब 7 मिनिट के बाद कुमार मेरी छूट के अंदर झाड़ गये. उनका माल इतना गाढ़ा नही था, पानी जैसा था, और इतना चिपचिपा भी नही था.

फिर जैसे ही कुमार मेरी चुदाई करने के बाद मेरे उपर से उतरे, तो हमारे सामने थी दादी मा.

दादी: तुम दोनो ये क्या कर रहे हो? और कुमार तुम अंजलि के साथ ऐसा कर रहे हो, तुमको शरम नही है, की ये हमारे घर की इज़्ज़त है. और अंजलि तुम भी इसका साथ दे रही हो. तुम तो कुछ शरम करती.

अंजलि: दादी मा मैं क्या करती? इन्होने ज़बरदस्ती मेरे साथ सब किया.

मैं इतना बोल कर चुप-छाप खड़ी रही. तभी दादी मा कुमार पर बहुत गुस्सा हुई, और उसको बुरा भला कहने लगी. और फिर कुमार ने भी जवाब दिया-

कुमार: दादी मा ये घर की नौकरानी है, कोई हमारे घर की इज़्ज़त नही. और मैने जो भी किया सब सही किया है. हम इसको पैसे देते है, फ्री में कुछ काम नही करती ये. और मैं आयेज भी ये करता रहूँगा, आपको जो करना है कर लो.

ऐसा बोल कर कुमार वाहा से चला गया. फिर दादी मा मेरी तरफ देखी और बोली-

दादी: तू डरना मत, मैं बैठी हू. मैं सब ठीक कर दूँगी. और ये बात के बारे में किसी को बताना मत, जो कुमार ने तुम्हारे साथ किया. ठीक है?

मैने उनसे कहा: ठीक है, मैं किसी से नही कहुगी. और वैसे भी मैं तोड़ा किसी को बताने वाली थी, की मेरे साथ क्या हो रहा है इस घर में.

और जो हो रहा था, वो मेरी मर्ज़ी से हो रहा था. मुझे पैसों से मतलब था, जो प्रीतम जी मुझे बहुत दे रहे थे. बस और कुछ नही था.

फिर दादी मा ने मेरी और कुमार की शादी करवा दी. इसके लिए आसरे घर वालो को मानना पड़ा, क्यूंकी जो दादी मा ने बोल दिया सो बोल दिया. और दादी मा जो बोलती है सारे वही करते है. कोई उनके आयेज कुछ बोल नही सकता. इसलिए मेरी और कुमार की शादी हो गयी.

वैसे भी मुझे शादी से कोई फराक नही पड़ता था, क्यूंकी मैं यहा पैसे के लिए आई थी, जो प्रीतम जी मुझे दे रहे थे. और शादी जिससे भी हो, मुझे क्या था. और प्रीतम जी ने मुझे पहले ही बोल दिया था, की दादी मा मेरी कुमार के साथ शादी करवा सकती थी.

मैने उनसे कहा: ठीक है, मुझे कोई फराक नही पड़ता. मेरी किसी से भी शादी हो जाए, मुझे तो सिर्फ़ पैसों से मतलब है.

फिर मेरी शादी की सुहग्रात को मैं अपने बेडरूम में दुल्हन के रूप में बैठी थी. यानी की कुमार के बेडरूम में. ठीक रात के 12:00 बजे नशे की हालत में प्रीतम जी मेरे बेडरूम के अंदर आया. और अंदर आ कर बेडरूम के दरवाज़े की कुण्डी लगाई और मेरे साथ आ कर बैठ गया. अब बस हम चुप-छाप एक-दूसरे को देख रहे थे.

फिर उन्होने मुझसे कहा: ठीक है, तुम्हारी शादी कुमार के साथ भले हो जाए. लेकिन तुम्हे मेरे साथ भी रीलेशन रखना पड़ेगा. और तुम पैसों की टेन्षन मत करो. वो तुम्हे टाइम पर मिलते रहेंगे. बस जैसे चल रहा है, वैसे चलने देना. ठीक है?

मैने भी कहा: ठीक है, मुझे क्या. मुझे तो सिर्फ़ पैसों से मतलब है, तुम छोड़ो या तुम्हारे बेटे छोड़े, मुझे कोई फराक नही पड़ते.

मेरे और प्रीतम जी के बीच यही डील हुई, और मेरा काम चलता रहा ऐसे ही.

कुमार: अंजलि तुम बहुत खूबसूरत हो. आज पहली बार तुम्हे इतने करीब से मैं देख रहा हू.

अंजलि: क्यूँ, उस दिन जब मुझे छोड़ रहे थे, तब इतने करीब से नही देखा था तुमने?

कुमार: अंजलि उस दिन बस मुझ पर तुम्हे छोड़ने का भूत सवार था. लेकिन आज तो तुम मेरी बीवी बन चुकी हो. इसलिए आज तो तुम्हे मैं हक से देखूँगा.

अंजलि: तो देखो ना, किसने तुमको रोका है? मैं तुम्हारी बीवी हू आज से. और जो तुम चाहो मेरे साथ कर सकते हो.

कुमार: हा अंजलि, तुम सही कह रही हो. आज से तुम मेरी बीवी, और मैं तुम्हारा हज़्बेंड. अंजलि तुम इतनी हॉट और सेक्सी हो, की मुझसे अब और इंतेज़ार नही हो रहा है.

अंजलि: ये तो दिख ही रहा है कुमार. तो जल्दी करो, किसने तुम्हे रोका है. मैं तैयार हू, तुम तैयार हो जाओ.

मेरे इतने बोलने के बाद कुमार अपने दोनो हाथो से मेरे बूब्स को दबाने लगा मेरे कपड़ों के उपर से. फिर वो मुझे फ्रेंच किस करने लगा मेरे सर को पकड़ कर. मुझे ये अछा लग रहा था.

फिर वो मेरे गले, गर्दन, होंठो, गालों पर, माथे पर, सीने पर सारी जगह किस्सिंग करते जेया रहा था. मुझे भी ये बहुत अछा लग रहा था, और फिर मुझसे बोला-

कुमार: अंजलि अब मेरा लंड खड़ा हो गया है. अब तुम जल्दी से अपने कपड़े उतरो, मैं तुम्हे नंगी देखना चाहता हू.

अंजलि: कुमार मैं तुम्हारी बीवी हू, इसलिए तुम मेरे कपड़े उतरो, और तुम मुझे नंगी करो. क्यूंकी हज़्बेंड अपनी बीवी के कपड़े उतारता है, बीवी अपने कपड़े नही उतारती. इसलिए तुम मेरे कपड़े उतार दो, और मुझे नंगी कर दो. और तुम भी अपने कपड़े उतार दो और नंगे हो जाओ.

फिर कुमार ने मेरे कपड़े उतार दिए, और मुझे पूरी नंगी कर दिया. उसके बाद वो अपने भी कपड़े उतार कर नंगा हो गया, और फिर मुझे बेड पर उल्टी लिटा दिया, और मेरे पावं खोल कर फैला दिए. उसके बाद वो मेरी गांद के उपर आ कर मेरी गांद को अपनी जीभ से चाटने लगा.

मेरे मूह से ह ह ह ह की सिसकियाँ निकालने लगी, और फिर थोड़ी देर में उसने अपना लंड मेरी छूट में घुसा दिया. अब वो मेरे उपर लेट कर मुझे घपा-घाप छोड़ने लगा. उसका लंड सीधा मेरी छूट के अंदर-बाहर हो रहा था, और फू-फा की आवाज़ आ रही थी.

मैं: आहह आह कुमार ज़रा धीरे से झटके मारो, मुझे दर्द हो रहा है मेरी छूट में आह उफफफ्फ़. कुमार मैं तो मॅर गयी, धीरे से करो प्लीज़, मुझे दर्द हो रहा है.

कुमार: अंजलि आज मैं तुम्हारी एक नही सुनने वाला हू. मैं तुम्हे आज ऐसे ही छोड़ूँगा, क्यूंकी तुम मेरी बीवी हो, और मैं तुम्हारा हज़्बेंड हू. मुझे हक है तुम्हे छोड़ने का. अंजलि कितना मज़ा आ रहा है तुम्हारी छूट छोड़ने में मुझे. इतना मज़ा मुझे ज़िंदगी में कभी नही आया, जितना मज़ा तुम्हारे साथ तुम्हारी छूट छोड़ने में मुझे आ रहा है.

अंजलि: हा कुमार, मज़ा तो मुझे भी बहुत आ रहा है. लेकिन तुम ज़ोर से धक्के मार रहे हो. प्लीज़ धीरे-धीरे मुझे छोड़ो. मैं तुम्हे माना थोड़ी कर रही हू. जितना छोड़ना है छोड़ो मुझे. लेकिन धीरे-धीरे.

लेकिन कुमार ने मेरी एक नही सुनी, और ऐसे ही नों-स्टॉप मुझे एक 1 घंटे तक छोड़ता रहा. कुमार ने छोड़-छोड़ कर मेरी छूट को लाल कर दिया, और मेरी छूट के अंदर चार बार अपने लंड की पिचकारी छ्चोढी.

उसका माल इतना गाढ़ा था, की मेरी छूट पूरी भर गयी थी, और माल पुर बेड पर गिर रहा था. फिर वो खुद उठा, अपने कपड़े पहने, और मुझे बेडरूम में ही छ्चोढ़ कर बाहर चला गया.

मैं बेड पर ही लेती रही थी, क्यूंकी मुझे मेरी छूट में बहुत दर्द हो रहा था. इसलिए मैं बेड पर सीधी लेती रही, और कुछ देर के बाद कुमार टी और नाश्ता लेकर बेडरूम में आ गया.

कुमार: ओह मेरी लव्ली डार्लिंग, तुम उठ गयी? लो मैं तुम्हारे लिए टी नाश्ता लेकर आया हू.

अंजलि: वाउ! नाश्ता तो काफ़ी अछा है.

फिर उसने अपने हाथो से मुझे नाश्ता कराया, और बाद में कॉफी भी पिलाई.

कुमार: अब अंजलि तुम तैयार हो कर नीचे आ जाओ सारे. मेहमान आए है तुमसे मिलने के लिए. चलो ठीक है, मैं चलता हू.

और फिर कुमार इतना बोल कर चला गया. लेकिन मैं तो ताकि हुई थी. मैने सोचा कुछ देर बाद उठती हू, और तैयार हो कर नीचे जाती हू. लेकिन मैने सोचा कही घर वालो को बुरा ना लगे, इसलिए मैं उठ कर, बातरूम में नहा कर, तैयार हो गयी.

फिर जैसे ही मैं बेडरूम के दरवाज़े की तरफ आई, तभी बेल बाजी. मैने सोचा कुमार होगा, लेकिन वो राकेश था.

राकेश: अफ़ग़ान जलेबी, तुम तो इस सारी में बहुत खूबसूरत लग रही हो. वैसे इतना साज कर कहा जेया रही हो?

अंजलि: कही नही, मैं नीचे आ रही थी. वो नीचे सारे मेहमान आए है ना, इसलिए.

राकेश: हा वो तो सब ठीक है. लेकिन रात काफ़ी सारी आवाज़े आ रही थी ह आह ऑश आह ऑश उफ़फ्फ़ की. लगता है रात को कुमार ने तुमको बहुत छोड़ा है.

अंजलि: हा यार, अब वो मेरा पति है. तो मुझे बिना छोड़े कैसे छ्चोढेगा बोलो?

राकेश: अंजलि वो तो बात है. लेकिन पहली रात में ही इतनी बार चुदाई करना, बहुत आवाज़ आ रही थी.

अंजलि: जिसके पास इतनी सेक्सी बीवी हो. तो रात भर ही चलेगा ना.

मेरे इतना बोलने के बाद राकेश ने बेडरूम का अंदर से दरवाज़ा बंद करके कुण्डी लगा दी. फिर वो मेरी और आया, और मुझे अपनी बाहों में भर कर मुझे किस करने लगा.

राकेश: अंजलि तुम्हारे ऐसे बोलने से मेरा लंड खड़ा हो गया है. और अब मेरे इस लंड को तुम्हारी छूट में जाना पड़ेगा. तभी ये शांत होगा.

अंजलि: हा राकेश, मुझे भी तुम्हारा ये खड़ा लंड अपनी छूट में चाहिए.

और फिर कुमार ने मुझे कुर्सी पर बिता दिया, और मेरी सारी उपर करके मेरी टांगे भी उपर कर दी. फिर खुद उसने अपनी पंत की ज़िप खोल कर लंड बाहर निकाला, और सीधा मेरी छूट में घुसा दिया. फिर वो मुझे घपा-घाप छोड़ने लगा. मैं अपने मूह से ह ह ह ऑश उफफफ्फ़ की आवाज़े निकालने लगी.

मैं: हा राकेश, मुझे तुम्हारा लंड बहुत पसंद है. मुझे तुम ऐसे ही छोड़ते रहो. बहुत मज़ा आता है तुम्हारे लंड से, और मैं कब से तुम्हारे लंड के लिए तड़प रही थी. ऐसे ही घपा-घाप मुझे छोड़ते रहो. रुकना मत, बस मेरी छूट में अपना लंड ऐसे ही अंदर-बाहर करते रहो.

फिर थोड़ी देर में बेडरूम के दरवाज़े पर किसी ने नॉक-नॉक किया. वो और कोई नही, उसकी बीवी सुमन थी.

सुमन दी बोल रही थी: अंजलि जल्दी आओ, सारे मेहमान नीचे तुम्हारे इंतेज़ार में बैठे है.

फिर हमे चुदाई बीच में छ्चोढ़ कर जाना पड़ा, और नीचे आ कर मैं सारे मेहमआनो से मिली. सारे मेहमआनो से मैने आशीर्वाद लिया उनके पावं चू कर, और फिर मैं वही बैठ गयी मेहमआनो के साथ.

इसके आयेज की कहानी अगले पार्ट में.

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