मा ने बेटे से की औरत मर्द के रिश्ते की बात

ही, आप सभी का फिरसे स्वागत है मेरी कहानी में. उमीद है की आप सभी आचे होंगे, और आप सभी के प्यार के लिए बहुत धन्यवाद.

मैं राज, लंड का साइज़ 7 इंच, और 3 इंच मोटाई, जो किसी भी छूट को संतुष्ट करने के लिए तैयार रहता है. अब ज़्यादा टाइम वेस्ट नही करते हुए चलते है बड़ी मा की छूट को ठंडा और डंडा देने के लिए.

आपको इस स्टोरी में बहुत मज़ा आएगा और साथ ही साथ अपने आप पर कंट्रोल करना भी आएगे. कहते है ना की सबर का फल मीठा होता है. दोस्तों वही काम मेरे साथ था. मैं सबर किए जेया रहा था, और मेरा फल अब पाक कर तैयार था.

अब बड़ी मा की गोरी जांघें मेरे सामने थी. इस नज़ारे को देख के जो उतावला-पन्न मेरे अंदर था, वो वही फील कर सकता है, या कर सकती है, जिसने मा बेटे के सेक्स का इंतेज़ार किया हो. जब पहली बार उसे ये सीन देखने को मिला हो, वो भी धीरे-धीरे. ये सीन इन्सेस्ट लवर के लिए उत्तेजना से भरपूर है.

मैं कुछ देर मा की जांघों से आयेज बढ़ा तो मेरी नज़र मा की तरफ गयी. वो मुझे ही देख रही थी.

मा: क्या बात है बेटा, क्या देख रहा है? दिखा ना अपने हाथो का जादू. मैं कब से वेट कर रही हू.

राज: मा देख रहा हू आप कितनी खूबसूरत हो. आपकी जांघें काफ़ी चिकनी है.

मा: अछा ऐसा क्या है मेरे अंदर जो तुझे मैं खूबसूरत लगी? और तूने क्या अभी तक चिकनी टांगे नही देखी थी किसी औरत की, जो ऐसे मूह खोल रहा है इन्हे देख कर?

ऐसा बोल कर मा हल्की सी अपने होंठो पे स्माइल लेके बोलना बंद हो गयी.

राज: मा किसी और की देखी भी नही.

ऐसा मैने उनको जान-बूझ कर झूठ बोला था. मैं उनको गरम करके ही उन्हे छोड़ना चाहता था, ताकि वो पल हमेशा वो याद रखे.

राज: और अगर देखी भी होती, तो आप जैसी गोरी और खूबसूरत औरत की नही देखी होती मा.

और मैने भी अब उनको स्माइल पास की.

मा: अछा बेटा एक बात पूचु? सच-सच बताना, झूठ मत बोलना अपनी मा को.

राज: हा मा बोलो.

मा: तूने ये मालिश कहा से सीखी है? ऐसी मालिश किसी औरत को कोई बिना एक्सपीरियेन्स के नही कर सकता.

राज: क्यूँ मा ऐसा क्या अलग है मालिश में, जो बिना एक्सपीरियेन्स के नही हो सकती?

मा: बेटा जो मसाज तू अब देने वाला है, उसके लिए हिम्मत चाहिए और हाथो में जादू.

क्यूंकी दर्द मेरे पावं में नीचे ही था, और तूने बड़ी चालाकी से मेरे घाग्रे को मेरे छूतदों तक उठा के मुझे तेरे सामने आधा नंगा कर दिया है.

राज: मा आप ये क्या बोल रही हो? मैने नंगा कर दिया है. मैं तो आपकी मालिश ही कर रहा था.

अब पक्का तो चुका था की मा भी गरम हो चुकी थी. तो मैं आज किसी भी तरह ये मौका जाने नही देना चाहता था.

फिर मैं बोला: ठीक है मा, अगर तुम्हे ऐसा लगा तो.

मैने नाराज़ होने का नाटक किया और कमरे से बाहर जाने के लिए उठा ही था, की तभी मा बोली-

मा: अर्रे मेरे बेटे को बुरा लगा? मैं तो बस तेरी तारीफ कर रही थी, और तू नाराज़ हो रहा है मुझसे. पागल मैं तो ये कह रही हू की मुझे चोट में आराम के बाद ये पता नही चला की कब तूने मेरे घाग्रे को उठा के मुझे आधा नंगा कर दिया, और मेरी जांघों को देख रहा है, जो तुझे इतनी सुंदर लगी.

मा: आज तक तेरे बड़े पापा ने तो कभी ध्यान ही नही दिया इन पर. वो तो सारा दिन खेतों में काम करते है, और रूपिया ही दिखता है उनको.

राज: मा अगर पापा काम नही करेंगे तो घर की सब ज़रूरते कैसे पूरी होंगी?

मा: काम करेंगे ज़रूरत तो तभी पूरी होगी बेटा. लेकिन कुछ और भी ज़रूरत होती है. मैं उनकी लुगाई हू. उनसे शादी हुई है.

राज (मैं मा के मज़े लेते हुए): हा मा आप ही है लुगाई, और वो आपके लोग. और हम सभी की ज़रूरतो के लिए ही तो बड़े पापा काम करते है दिन भर.

मा: अर्रे दिन भर कम करते है. लेकिन कुछ काम रात के भी है उनके लिए.

राज: ऐसे कों से काम है मा?

मा: तू जानता तो सब कुछ है बेटा. तेरी उमर के बच्चे जानते है उस काम के बारे में, और मुझे यकीन है की तूने भी किया होगा वो काम.

राज: कों सा काम मा (मा अब आपे से बाहर हो चुकी थी, बरसों की दबी हुई छूट की प्यास के कारण)?

मा: जो एक लड़का और लड़की करते है, या फिर जो एक आदमी और औरत करते है अकेले में वो काम.

मुझे अब मज़ा आ रहा था. मैं कैसे भी करके अपने आप पर नियंत्रण रख रहा था. और मा से मैने पूछा-

राज: मा लड़का और लड़की तो बहुत काम करते है, और यही बात आदमी और औरत की है.

बड़ी मा भी अब समझ गयी की मैं उनसे कुछ शर्मा रहा था. तो उन्होने अब इस बात को खुद क्लियर करने की सोची. क्यूंकी आज जैसा मौका हमे दोबारा नही मिल सकता था.

वो बोली: देख बेटा, दुनिया में सब काम औरत या आदमी ही करते है मिल कर. लेकिन अछा ये बता मेरी जांघों को देख कर तेरी निक्कर में उभर क्यूँ है? और तू मुझे बातरूम के पास खड़ा होके क्यूँ देख रहा था उस दिन?

राज: मा, ऐसा तो कुछ नही है.

ये बोल के मैने गर्दन नीचे कर ली.

मा: गार्डेन नीचे करने से काम नही चलेगा राज बेटा. मेरी बातों का जवाब दे मुझे.

राज: मा बस ये तो आपकी जैसी गोरी चिकनी जांघें नही देखी, तो उनको देख के अपने आप ही पता नही क्या हुआ (अब मैने भी ज़्यादा लंबा इंतेज़ार सही नही समझा. क्यूंकी अब सब आचे से ट्रॅक पर था).

मा: ह्म, ऐसा क्या है मेरी जांघों में बता?

राज: मा अब आप से क्या झूठ बोलना. जब आप मुझे इतना पूच रही है तो. लेकिन एक बात का वादा करना होगा, की आपके और मेरे बीच में ही रहेंगी बातें.

मा: अछा तुझे अब मुझ पर विश्वास नही. अब तक मैने तेरा कुछ भी किसी को बताया है?

राज (मैं समझ गया था की मा शीला चाची वाली बात के बारे में बोल रही थी): हा ये तो है मा, लेकिन ये बातें इधर तक ही ठीक है जो हमने की. और मा बेटे का इससे आयेज बार करना अछा नही है मा.

मा: क्यूँ, मा-बेटे में क्यूँ नही हो सकती? और क्या ग़लत कहा है मैने?

राज: देखो मा, ग़लत नही कहा कुछ, बुत जैसी बातें आप कर रही हो, वो मा-बेटे में होना अछा नही है.

मा: वाह बेटा, मा का घाग्रा उठा के जांघों की तारीफ कर सकता है. मैं तुझे अपना दर्द बता रही हू, तो तू मुझे ही पाठ पढ़ा रहा है. और ऐसी बातें क्यूँ नही हो सकती ये बता.

राज: मा देखो अब आप मेरे भी इरादे जानती हो. मैं आपके इरादे भी जानता हू. लेकिन हम मा बेटा है, और ये सब बातें दोस्तों के बीच होती.

मैं तो मा को छोड़ना चाहता ही था, और वो दिन आज आने वाला ही था. बुत मैं फिर भी एक बार अपने आप को मौका दे रहा था की कही कुछ जल्दी-बाज़ी या ग़लत-फहमी ना हो.

मा: अछा बेटा, अगर मैं तेरी मा नही होती, और दोस्त होती, तो तू मुझसे ये बातें करता या नही?

राज: अगर आप मेरी दोस्त होती, तो कोई प्राब्लम नही थी.

मा: ठीक है, तू मुझे दोस्त समझ. वैसे भी मैने तुझे जानम नही दिया है. बुत प्यार तो मैं भी उतना ही करती हू मेरे बेटे से. मैं तेरी मा हू, लेकिन जानम देने वाली नही. तो तू मुझे दोस्त बना ले.

राज: मा ये सच है की आपने जानम नही दिया. लेकिन मेरे दिल में आपकी भी वही इज़्ज़त और मान सम्मान है. हा हम दोस्त बन सकते है, अगर आपको कोई प्राब्लम नही हो तो.

मा: अर्रे मुझे क्या प्राब्लम होगी?

राज: देखो मा दोस्तों में कुछ भी च्छूपा नही होता, और कोई शरम नही होती, और बहुत कुछ होता है.

मा: बेटा मैं ज़्यादा पढ़ी-लिखी नही. पर दुनिया का ज्ञान है, और जब मैं तेरे सामने आधी नंगी लेती हू, तो शरम कैसी है? थोड़ी हिचकिचाहट है. वो जब हम अब दोस्त बन गये है, तो वो भी ख़तम.

इससे आयेज क्या हुआ दोस्ती हुई या नही, अगर हुई तो क्या हुआ हम दोनो के बीच? ये आपको अगले पार्ट में पता चलेगा. तब तक आप अपना प्यार यू ही बनाए रखे, और मुझे अपनी फीडबॅक भी देते रहे मुझे एमाइल करके.

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