माँ की तड़पती बुर को मंगू ने चोदा

माँ की हवस



तो दोस्तों कैसे है आप सब .. आशा करता हूँ की आप सब ठीक ठाक होंगे और आपकी सेक्स लाइफ भी मस्त चल रही होगी | मैं कई दिनों से ये कहानी लिखने की सोच रहा था पर आज सोचा की क्यूँ न इसे लिख ही दिया जाय और अपनी बातें भी आपसे शेयर कर ली जाय | पहले ही बता दूँ ये कहानी थोड़ी लम्बी है ….तो ज्यादा समय न बर्बाद करते हुए मैं अपने बारे में आपको बताता हूँ , | मेरा नाम दीपेश है और मैं दरभंगा बिहार का रहने वाला हूँ | मेरी उम्र 19 साल है और दिखने में ठीक ठाक ही हूँ | वैसे तो आपको शीर्षक से पता चल ही गया होगा की ये कहानी मेरी मम्मी की है | मेरी मम्मी का नाम कविता शर्मा है और वो 40 साल की एक चुदक्कड़ औरत है | मम्मी का फिगर 38(बूब्स) 34(कमर) 42(गांड) है | मम्मी देखने में एकदम माल लगती है पर थोड़ी सांवली है | मैंने अपनी मम्मी को कई बार घर में गैर मर्दों से चुद्वाते देखा है पर ये बात मम्मी को पता नही है .. इसीलिए मैंने मम्मी को चुद्दक्कड़ औरत कहा है | खैर पापा काम से बाहर ही रहते है और इसी वजह मम्मी को समय पे लंड न मिलने के वजह से मम्मी की काम वासना भड़क उठती है .. खैर आज मैं बताऊंगा की कैसे मम्मी ने एक औरत को फसा के उसके मर्द से चुदाई करवाई | तो बात है मकर संक्रांति के 5-6 दिन पहले की उस वक़्त मेरी उम्र कम थी | मम्मी उन दिनों मार्किट खूब आया जाया करती थी पर मम्मी को किसी का भी तगड़ा लंड नहीं मिला . मम्मी रोज मार्केट जाती और उदास मन से ही वापस आती . मम्मी की उदासी देख मैं भी उदास हो जाता था पर मैं उस समय छोटा था इसीलिए कुछ खास नही समझता था पर इतना जानता था की मम्मी आजकल उदास रहती है | एक दिन मैंने मम्मी से पुछा की मम्मी क्या हुआ इतना उदास क्यूँ हो तो मम्मी ने जवाव दिया -कुछ नही बेटा आजकल केला नहीं मिल रहा | मैं सोचा मार्केट में तो रोज केले मिलते है .. लाती है नहीं और घर में अफ़सोस करती है ..चक्कर क्या है | मम्मी अगले दिन भी मार्केट जाने के लिए तैयार होने लगी तो मैंने कहा की मम्मी मैं भी चलूँ साथ में वैसे भी घर में बोर हो जाता हूँ तो मम्मी ने पहले सोचा की वैसे भी कोई लंड तो मिल नहीं रहा तो इसको लेके जाऊं या ना जाऊं क्या फर्क पड़ेगा .. तो मम्मी ने कहा ठीक है चलो ,, मैं बस ये देखने जा रहा था की मार्केट में केले मिलते है या नही | मुझे उस समय बिलकुल समझ में नहीं आया था की केले का मतलब क्या होता है या मम्मी किस केले की बात कर रही थी | तो हम लगभग 4 बजे शाम में घर से पैदल निकले क्यूंकि हमारा घर गाँव में था और 3 किमी दूर मार्केट था और घर और मार्केट के बिच में एक आम का लम्बा और बड़ा बगीचा था जहाँ 10-15 घर थे मिला जुला के | हम मार्केट पहुंचे थोड़ी देर मम्मी ने इधर उधर कुछ कुछ सामान लिया और हम 6 बज गये तो हम वापस हो लिए पर मैंने नोटिस किया की केले तो मिल रहे है तो मैंने मम्मी को याद दिला दिया की मम्मी केले मिल रहे है लेलो ,, मम्मी बोली ये छोटे केले है मुझे बड़े केले पसंद हैं वो जब मिलेगी तो जरुरु लुंगी और सारा अकेले ही खाऊँगी और मुस्कुरा दी | मैं भी कुछ ख़ास समझा नही और कहा ठीक है चलो अब घर …क्यूंकि ठन्डी का मौसम था तो अँधेरा जल्द हो जाता था और लगभग हो चूका था तो हम वापस आने लगे …आते समय जब हम उस बगीचे के पास से गुजरे तो लाइट नही थी और सबकी झोपड़ियों में लालटेन या दिया जल रहा था … खैर रोड के दोनों तरफ बगीचा था और उन्ही बगीचों में घर थे तो हम सड़क से चले जा रहे थे .. थोड़ी देर मम्मी ने चलने के बाद कहा की वो सुसु करने जा रही है और सच में मम्मी को सुसु करने ही जाना था तो वो रोड से उतर कर बगीचे में गयी और एक जगह बैठ गयी… मैं दूर से मम्मी को देख रहा था पर लगभग अँधेरा हो गया था तो कुछ ख़ास नही दिख रह था .. अँधेरा होने के वजह से मम्मी को भी ये आईडिया नही था की जहाँ वो मुतने के लिए बैठी है वही से 2-3 कदम की दुरी पर एक आदमी का घर था मगर वो घर का पिछला हिस्सा था .. मम्मी जैसी ही मुतने बैठी तभी मम्मी को एक औरत की सिस्कारियां सुनाई दी …अभी मम्मी सिर्फ मुतने बैठी थी मम्मी ने मूतना शुरू नही किया था .. मम्मी सिस्कारियां सुनकर खडी हो गयी और शांत होकर और अपनी साँसे रोककर घर की तरफ बढ़ने लगी .. जैसे जैसे मम्मी आगे बढ़ रही थी मम्मी की दिल की धड़कन और वो औरत की सिकरियां दोनों बढती जा रही थी … क्यूंकि वह आसपास में कोई घर नही था इसीलिए मम्मी की भी हिम्मत बढती जा रही थी …उस आदमी का घर बिलकुल फूस का था पर घर का पिछला हिस्सा के तरफ मम्मी खड़ी थी जिधर कोई भी तरीका नही था अन्दर देखने का .. पर मम्मी धीरे धीरे आगे बढ़ रही थी क्यूंकि उस औरत की सिस्कारियो से मम्मी ने पहचान लिया था की उस औरत की चुदाई हो रही है … अब मम्मी उस घर के पिछले दीवार या फूस का दीवार जो कह लें – बिलकुल उसके पास खड़ी थी ..अन्दर से उस औरत की अआह्ह्ह अआह्ह्ह अआह्ह्ह अआह्ह्ह ओह्हह्हह्ह उम्म्मम्म उम्म्मम्म ओह्हह्हह्ह की आवाजें आ रही थी .. न जाने कब मम्मी का हाथ मम्मी ने अपनी बुर पे लगा लिया और दुसरे दायें हाथ से अपनी चुचियों को दबाने लगी … जैसे जैसे उस औरत की चुदाई हो रही थी वैसे वैसे मम्मी की अपनी बुर को रगड़ रही थी …अन्दर की आवाजों मम्मी को पागल कर रही थी … तभी किसी ने उस आदमी उसके घर के तरफ से आवाज लगाईं – मंगू ओ मंगू बाहर आ | जैसे ही किसी आदमी ने आवाज लगाईं अन्दर से उस औरत की सिस्कारियां बंद हो गयी ..मानो उसका मर्द उसे छोड़ के चला गया हो.. मम्मी अपनी होंठो को दबाएँ अभी भी इस इंतजार में खड़ी थी की वो वापस आयें और फिर से चोदे ..पर 2-3 मिनट बाद दोनों मर्द जो एक घर का था और दूसरा जो उससे मिलने आया था उनकी बातचीत शुरू हो गयी..मम्मी भी समझ गयी की अब शायद चुदाई रात में होगी … फिर मम्मी वहां से चुपके से निकल गयी मगर जाते जाते उस औरत ने जिसकी चुदाई हो रही थी उसने मम्मी को पीछे से जाते हुए देख लिया | लगभग 6-7 मिनट बाद मम्मी मेरे पास आई और बोली चल अब | पर मैंने उस समय नोटिस किया की मम्मी पसीने से लथपथ थी और खुश भी थी .. खैर हमलोग रात को जैसे तैसे सोने की तयारी करने लगे पर मम्मी के दिमाग में अभी भी वही सिस्कारियां चल रही थी .. खैर अगले दिन इतवार था तो उस दिन गाँव में एक कीर्तन हो रहा था और लगभग 11 बजे रात में ख़त्म होता .. उसमे काफी लोग गये थे .. मम्मी ने रोज के जैसे बोली चल मार्केट चलते है पर मम्मी आज उसी औरत से मिलने जाने वाली थी क्यूंकि औरत -औरत की बात वो सब अपने हिसाब से करती है .. खैर मम्मी ने मुझे बता दिया की आज बगीचे में एक घर में जाना है कुछ काम है वहां .. मैंने जब पूछा की क्या काम है तो मम्मी बोली वहां बड़ा केला है अगर पट जाएगी बात तो वो केला खा लुंगी .. मैं ये सोच रहा था की मेरी मम्मी को केले इतने पसंद कब से हो गये ..घर में जब भी पापा लाते थे तो खाती नही थी और अब जान दे रही है केला खाने के लिए और वो भी सिर्फ बड़े .. खैर..मम्मी ने उस आदमी का लंड देखा नही था फिर भी उस औरत की सिस्कारियों से मम्मी ने बस उम्मीद किया की शायद कुछ उसका भी हो जाये… लगभग 7 बजे हम घर से निकले ..क्यूंकि गाँव में कीर्तन हो रहा था तो काफ्फी शोर था .. 10 मिनट में हम लोग उस बगीचे में पहुंचे और उस औरत की घर की तरफ मुड़ गये ..उस औरत का घर सड़क के नजदीक ही था पर और लोगों की घर से काफी दूर लगभग 70-80 मीटर की दुरी पे था पर बगीचे में था इसीलिए घुप्प अँधेरा भी था … मम्मी ने उसके घर जाके आवाज लगाईं ..कोई है ..अन्दर से “कौन है” कहकर एक औरत बहार आई ..उस औरत की उम्र भी लगभग 40 के पास थी और मम्मी जैसा ही बदन था पर उसकी गांड 44 इंच की थी ..चूची का साइज़ मम्मी जैसा ही 38 का था.. उस औरत ने मम्मी को देखते ही पहचान लिया की ये वही औरत है जो कल इसके घर के पीछे से निकली थी ..मम्मी बोली – क्या हम दो मिनट बात कर सकते है ? वो औरत जिसका नाम रज्जो था .. बोली “बोलो क्या बात करनी है”

मम्मी – मुझे देखते हुए बोली की तुम यहाँ बाहर बैठो मैं थोडा बात करके आती हूँ |

मैंने कहा ठीक है मम्मी मैं यही बैठता हूँ कहकर वही बाहर एक कुर्सी पर बैठ गया और अपना पेन से खेलने लगा |

(मम्मी और रज्जो आंटी का बातचीत)

रज्जो– बोलो क्या काम है तुमको ?

मम्मी – कैसे कहूँ मुझे समझ नही आ रहा .

रज्जो– क्या बात है बताओ तो

मम्मी – तुम्हारे पति कहाँ हैं ?

रज्जो– वो कीर्तन देखने गये है रात में आयंगे ..उनसे काम था क्या ?

मम्मी- हाँ और नही .. मतलब मैं कैसे कहूँ

रज्जो– मुझे पता है तुम यहाँ किसलिए आई हो |

मम्मी – कैसे ?

रज्जो– कल तुम मेरे घर के पीछे थी न तो शायद तुमने वो मेरी आवाज सुन ली होगी इसीलिए मुझे सॉरी बोलने आई होगी |

मम्मी – (अनजान बनते हुए) कैसी आवाज मैं समझी नहीं

रज्जो– देखो अब अनजान ना बनो .. मुझे पता है तुमने मुझे चुदते हुए देख लिया था इसिलए तुम मुझे सॉरी बोलने आई होगी

मम्मी – सच कहूँ तो मैंने देखा नही था सिर्फ सुना था पर काश मैं देख पाती

रज्जो– कैसी बात करती हो छी |

मम्मी – देखो मैं सीधा सीधा बोलती हूँ बुरा लगे या अच्छा वो नही पता

रज्जो– अच्छा बोलो ..क्या चाहती हो ?

मम्मी – जो पूछूंगी बताओगी मुझे भगाओगी तो नहीं ?

रज्जो– नही नही बोलो पर इससे पहले मुझसे दोस्ती करनी पड़ेगी

मम्मी – मैं तो कल ही सोच रखी थी की तुमसे दोस्ती करुँगी

रज्जो– अच्छा अब हम दोस्त ..अपना नाम तो बताओ

मम्मी – मेरा नाम कविता है और वो मेरा बेटा दीपेश है …अभी छोटा है मेरे पति पंजाब में है |

रज्जो– अच्छा पूछो क्या पूछ रही थी |

मम्मी – तुम्हारे पति का लंड कैसा है ?

रज्जो– (हँसते हुए) सीधा लंड ..तू तो बड़ी फ़ास्ट है बहन |

मम्मी – अब बताएगी या मैं जाऊं ?

रज्जो– अरी गुस्सा क्यूँ होती है बताती हूँ .. 11 इंच का है काला नाग |

मम्मी – ( आश्चर्य से ) ओ माँ तुम झेल लेती हो?

रज्जो– झेलना पड़ता है बहन ..मर्द को मना कैसे करुँगी |

मम्मी – तेरे तो मजे है बहन .. कोई फोटो है क्या लंड का

रज्जो– (अपना फ़ोन टटोलते हुए ) ये रहा ( मम्मी को दिखाती है)

मम्मी – अआह्ह्ह कितना मोटा है

रज्जो– हां तभी तो मेरी गांड 44 की है |

मम्मी – अच्छा कल तेरा पति आधे में छोड़ के क्यूँ चला गया था

रज्जो– वो एक आदमी आ गया था पैसा देने .. वही लेने गया था पर मेरा मन था अभी और चुदने का

मम्मी – (खुद में बुदबुदाती हुई ) मेरा भी मन था

रज्जो– क्या मैं सुनी नहीं

मम्मी – कुछ नही ,,.. अच्छा ये बता तेरे पास कोई विडियो है तेरी और तेरे मरद की चुदाई की |

रज्जो ने एक विडियो मम्मी को दिखाया और बोली अभी तो 7:30 बज रहे है मेरा मरद 11 वजे ही आयगा तबतक तेरा बेटा बोर हो जायेगा उसे कुछ पढने को बोल दे .. 2 -3 घंटे पढ़ेगा तो उसका भी ध्यान पढ़ाई में रहेगा ..

मम्मी ने रज्जो की बात को काटते हुए बोली और हम क्या करेंगे ?

रज्जो– आओ हम रजाई में घुस के विडियो देखेंगे जब मेरा मरद आएगा तो उसे तुझसे मिलवा दूंगी |

मम्मी – सिर्फ मिलवाओगी और कुछ नही ?

रज्जो– हाँ हाँ चुदवा भी दूंगी पर पहले वो तुझे पसंद तो कर ले और तू भी उसे पसंद कर लेना

मम्मी – मुस्कुराते हुए रजाई मे घुस गयी

रज्जो का घर छोटा था ऊपर से फुस्स का… और एक ही चौकी था चौकी का मतलब बेड |

दोनों औरत ने रजाई में घुसने से पहले अपनी अपनी कपड़ो को उतार दिया और दोनों नंगी होकर एक ही रजाई में घुस के रज्जो की चुदाई की विडियो देखने लगी… मैं बाहर में पढ़ रहा था पर मुझे थोडा थोडा विडियो की आवाज जिसमे रज्जो चुद रही थी वो आवाजे आ रही थी .. मम्मी ने रज्जो से कहा की थोडा आवाज कम कर दो ..पर रज्जो बोली अरे आवाज कम करुँगी तो मज़ा नही आएगा और वैसे भी वो बच्चा है अभी कुछ नही समझेगा .. अगर समझना होता तो ये नहीं समझ जाता की उसकी मम्मी रंडी है और यहाँ पे चुदवाने आई है .. मम्मी भी थोडा सा मुस्कुरा दी | विडियो के अन्दर रज्जो का पति रज्जो को दनादन चोद रहा था जिससे मम्मी की बुर गरम होने लगी और रज्जो भी रजाई के अन्दर अपनी बुर सहलाने लगी रज्जो अपनी बुर सहला रही थी और एक हाथ में फ़ोन पकडे हुए थी | मम्मी भी एक हाथ से अपनी बुर सहला रही थी और दुसरे हाथ से रज्जो की जांघ को धीरे धीरे सहला रही थी… विडियो देखते हुए रज्जो बोली तू भी अपनी कोई विडियो दिखा बहन.. तो मम्मी बोली . बहन मेरे पति मुझे महीनो में एक बार चोदते है उसमे भी 4-5 मिनट में झड जाते है तो विडियो क्या बनाउंगी |

रज्जो बोली कोई बात नही बहन मेरी विडियो तुम्हे कैसी लग रही है .. मम्मी बोली की तुम चिल्लाती बहुत हो चुद्वाते समय ..

रज्जो – बहन जब इनका लौंडा गांड में घुसता है तो हल्बली मचा देता है साँस नही लेने देता है मेरा मरद ..अधमरी करके छोड़ता है

मम्मी – अपनी बुर को रजाई के अन्दर रगड़ते हुए बोली ..सोच न बहन अभी आधे घंटे पहले हम एक दुसरे को जानते भी नही थे पर अभी देख एक ही बिस्तर में एक ही रजाई में घुसे हुए है |

रज्जो – और तू रजाई में अपनी बुर मसल रही है मेरे मरद के लंड को याद करके

मम्मी – तू भी तो रगड़ रही है (हँसते हुए)

रज्जो अब अपना हाथ अपनी रजाई से बाहर निकल लेती है और सीधी होक लेट जाती है रज्जो अभी भी फ़ोन में विडियो देख रही होती है |

मम्मी अब रज्जो के तरफ करवट होके लेट जाती है और अपनी बुर पे से हाथ हटा के रज्जो की बुर पे रख देती है और रज्जो की बुर मसलने लगती है ..

रज्जो – धीरे कर बहन आह्ह्ह

मम्मी – चुप ना छिनाल (दो ऊँगली बुर में दे देती है )

रज्जो – एक चीज करे मज़ा आएगा

मम्मी – क्या ?

रज्जो – मैं विडियो की आवाज को बंद कर देती हूँ और विडियो को देखते हुए अपनी आवाज को निकालने की कोशिश करती हूँ देखती हूँ की मैं विडियो से अपनी आवाज को मिला पाती हूँ या नही |

मम्मी – वाह कर ना

अब रज्जो फ़ोन के वॉल्यूम को पूरा कम कर देती है और विडियो में हो रही अपनी चुदाई को देख कर अपनी आवाज निकालना शुरू करती है आआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्आआहह्ह औम्म्म आआअह्ह उम्म्म्म आआहह्ह सीसीसी उम्म्म्म ऊऊन्नुन्नूऊ आआअह्ह्ह अआह्ह्ह,,,,,मम्मी भी अब जोश में आ जाती है और रज्जो की बुर में 3 ऊँगली दे देती है अब रज्जो से भी कण्ट्रोल नहीं होता है और ना मम्मी से और दोनों रंडी एक दुसरे के होंठो में होंठ डाल के कही खो सी जाती है … दोनों रंडी ने लगभग 10 मिनट तक चूमने चूसने का बाद एक दुसरे के होंठों को छोड़ा और थक कर मम्मी भी बगल में लेट गई | अब दोनों औरतों को गर्मी लगने लगी तो रजाई को साइड कर दिया और फिर से एक दुसरे को चूमने लगी

रज्जो – उम्म्म बहन तेरे होंठ बहुत रसीले है काश तेरी जैसी रंडी रोज मेरे घर आयें और मेरे साथ मस्ती करे

मम्मी – बहन अब मैं रोज तेरे घर आउंगी और हम दोनों बहन अपनी खवाइश पूरी करेंगे |

रज्जो – पर बहन अगर मेरे पति को पता चला की मैं लेस्बियन भी हूँ तो शायद वो मुझे बहुत मारेगा |

मम्मी – अच्छा तू डर मत .. पहले मेरी बुर की आग अपनी पति से ठंडी करवा |

और फिर से दोनों एक दोनों को चूमने चाटने लगती है

लगभग 8 बज चुके थे तो मम्मी बाहर आई कपडे पहन के .. मैं अभी भी बाहर पढ़ रहा था ..मैंने कहा मम्मी अब चले क्या घर ..

मम्मी बोली बेटा वो केला अभी है नही घरपर ..तुम्हारी रज्जो आंटी के पति लेके आएंगे वो केला ..वो खा लुंगी फिर चले जायेंगे ..मैंने कहा ठीक है मम्मी और फिर मै पढने लगा.. रज्जो अभी भी नंगी रजाई के अन्दर गर्म हो रही थी.. मम्मी ने आज लेस्बियन का मज़ा ले लिया था थोडा सा..पर आज मम्मी का दिन था … मम्मी मुझे पढता देख अन्दर चली गयी और कपडे पहने ही रजाई में घुस गयी और रज्जो की होंठो को चूमने लगी लगभग 15 मिनट फिर चुम्मा चाटी हुआ … अब मम्मी बहुत गर्म हो चुकी थी और रज्जो भी गरम थी.. मम्मी बोली “रज्जो अब मुझसे बर्दास्त नही होगा जल्दी तेरे मरद को बुला”

रज्जो – बस इतनी सी ही गर्मी है तुझमे थोडा सा बर्दास्त नही कर सकती .. कही ऐसा न हो की मेरा मरद तेरी बुर में अपना लंड रखे और तू झड जाये ..अगर ऐसा हुआ तो बहुत बुरी हाल करके चोदेगा तुझे …

मम्मी – मै तो चाहती हूँ वो मुझे भी अधमरी कर दे तेरी तरह

रज्जो – रुक कुछ करती हूँ

(उठ के बैठी और फ़ोन लगाते हुए )

हेल्लो हां जल्दी आइये एक कुंवारी गांड आपके इंतज़ार में कब से मरी जा रही है

रज्जो – 6-7 मिनट और ख़ुशी मना ले बहन … तेरा बेटा आज तेरी चीख सुनके बेहोश होने वाला है..

मम्मी -मुझे किसी की भी फिकर नही है … मेरा बेटा हो या मेरा पति ..आज मैं चुदने वाली हूँ बहन …आज मेरी प्यास भुझाने वाला आ रहा है ..ओ बहन तू जानती नही आज मैं कितनी खुश हूँ ..

रज्जो – हाँ बहन लंड की प्यास का नशा ही कुछ और है एक बार आदत लग जाए तो बिना चुदे एक दिन भी नही गुजरता ..

मम्मी – अच्छा ये बता तूने फ़ोन पे ऐसा क्यों कहा की एक कुंवारी गांड इंतजार कर रही है.. तू तो ये भी कह सकती थी की तेरी दोस्त हूँ चुदवाने आई हूँ

रज्जो – अगर मैं ये कहती न की तू मेरी दोस्त है तो वो 11 बजे ही आता ..अभी देख वो 5 मिनट में आ जायेगा ..

मम्मी – अच्छा मैं कपडे में रहूँ या नंगी हो जाऊं

रज्जो – आने दे मेरे मरद को ..वही बता देगा ..पर उसे ये मत कहना की हम आपस में चुदाई कर रहे थे

मम्मी – मैं समझ गयी ..आज तेरे पति को दो दो रंडी मिलेगी वो तो खुश हो जायेगा

रज्जो – रंडी तो यहाँ सिर्फ 1 ही है मैं तो औरत हूँ उसकी ..मुझे तो मर्जी न मर्जी चुदना ही पड़ता है

मम्मी – कब आयेगा… कितनी देर लगा दी………मुझे लगता….

रज्जो – लो आ गये

मंगू – रज्जो ओ रज्जो …अरी कहा मर गयी;;;…

रज्जो – आई

मंगू – ये कौन है (मुझे देखते हुए )

रज्जो – ये उसी का बेटा है पढ़ रहा है

मंगू – कहा है वो

रज्जो – अन्दर है और लोहा गरम है बड़ी उम्मीद लेके आई है आपके पास

मंगू – अच्छा चल अन्दर (मुझे देखते हुए अन्दर चला गया )

मम्मी – नमस्ते

मंगू – अजी नमस्ते वमस्ते छोडो … सारी उतारो

मम्मी – जी मैं…कवि……..

मंगू- बाहों में आजाओ रानी ..(मम्मी को बाँहों में भर लेता है ) और होंठो को चूमने लगता है ..मम्मी भी भरपूर साथ देती है

3-4 मिनट किस करने बाद मंगू मम्मी को धीरे से निचे को ओर बैठने का इशारा करता है रज्जो पास में ही खड़ी थी… मम्मी धीरे से अपने घुटने के बल मंगू के निचे बैठ जाती है और ये उम्मीद करती है की वो बड़ा केला जिसकी उसे तलाश है वो मिल जाये … अभी मम्मी मंगू का लुंगी ऊपर करके लंड देखने ही वाली होती है की मैंने आवाज लगी दी

मैं – मम्मी , मम्मी … ओ मम्मी

मम्मी – (बिना लंड देखे ) गुस्से से – बहार आती है और बोलती है क्या हुआ मादरचोद

मैं काफी डर गया क्यूंकि मम्मी ने मुझे पहली बार गाली दी थी … मैंने डरते हुए कहा केला खा ली तो चलो न अब ..

मम्मी – साले मादरचोद तेरा बाप तो केला खिलाता नही और आज जब इतने दिनों बाद मुझे एक बड़ा केला मिल गया है खाने के लिए तो तू अपनी माँ चुदवाने लगा ..अभी से एक आवाज नहीं आनी चाहिए और चाहे जो हो जाये अन्दर मत आना .. मैं केला खाने जा रही हूँ …अगर मुझे डिस्टर्ब किया तो तेरी टांगे तोड़ दूंगी…समझ गया मादरचोद ..

मैं – समझ गया मम्मी पर ज्यादा केला मत खाना नही तो तबियत ख़राब हो जाएगी

मम्मी – चुप मादरचोद अब तू मुझे सिखाएगा केला खाने ..चुपचाप पढ़ और अन्दर मत आना |

कहकर मम्मी अन्दर चली गयी

रज्जो और मंगू अभी भी वही खड़े थे ;;;

रज्जो – वाह बहन लंड के लिए बेटे को भी झाड दी आज

मम्मी – बेटा क्या उसका बाप भी होता तो मुझसे सुनता आज

मंगू – चल आजा थोडा मज़ा तो दे

मम्मी अब मंगू के नीचे बैठ गयी मम्मी ने अभी भी सारे कपडे पहने हुए थी … रज्जो का चौकी ऊंचाई में भी छोटा था इसीलिए मंगू चौकी पे बैठ गया … रज्जो भी बगल में बैठ गयी … मम्मी अब मंगू के लुंगी उतरने का इंतज़ार करने लगी ..मम्मी की लालसा पूरी होने ही जा रही थी ..मंगू भी अब लंड अपनी लुंगी से निकालने ही वाला था की मैंने फिर से आवाज लगा दी …मुझे लगा की अबतक मम्मी ने केला खा लिया होगा और मुझे भी भूख लग रही थी…मेरे आवाज लगाते ही मम्मी फिर से झल्लाते हुए बाहर आई और मेरे कान मरोड़ते हुए बोली ….

मम्मी – तुझे मना किया था ना मादरचोद चिल्लाने से फिर क्यूँ चिल्लाया..

मैं – मम्मी मुझे भी भूख लगी है मुझे भी केला खिला दो

मम्मी – चल मादरचोद तुझे भी केला खिलाती हूँ …

मम्मी अब सच में गुस्सा हो रही थी ..मंगू भी ये सब देख के हैरान हो रहा था ..

मम्मी मेरा कान पकड़ के अन्दर लेके चली गयी ..मैंने देखा मंगू वह चौकी पे बैठा है और उसकी पत्नी यानी रज्जो आंटी नंगी बगल में बैठी हुई है ..

मम्मी मुझे वही पे खड़ा करके बोली यही खड़ा रह आज तुझे भी केला खिलाती हूँ मैं …. रज्जो बगल में हंस रही थी..मंगू भी नाटक देख रहा था… फिर मम्मी ने आव देखा न ताव और झटक के मंगू के पैर के पास बैठ गयी और लुंगी को उपर करके मंगू का काला लंड अपने हाथों में भर ली …मंगू ने कोई अंडरवियर भी नही पहना था … उसका लंड घोड़े के जैसा था पर सोया हुआ था…सोया हुआ लंड ही लगभग 8 इंच का था उसका…. मम्मी उसके लंड को पहले सूंघने लगी जैसे मानो वर्षो से उसने लंड नही देखा हो …थोड़ी देर लंड को महसूस करके और सूंघ के मम्मी ने मेरी तरफ देखा और कहा “ये केला है ..खाना है तुझे”..

मैंने कहा नही और शर्मा के बाहर भाग गया … मम्मी ने मुझे निकलते हुए कहा की बैठ के पढाई कर वरना ये केला खिला दूंगी … मंगू भी हंसने लगा …. अब मंगू ने मम्मी को कहा की रंडी तेरा नाम क्या है कैसे आ गई यहाँ … मम्मी बोली ..मेरा नाम कविता है और कैसे आई कहा से आई ये बात रज्जो से पूछ लेना वो सारा बात बता देगी..

मंगू – कविता …. कहीं तू उस मिरार वाले की लुगाई तो नहीं है …

मम्मी – हाँ मैं उसी मिरार वाले की औरत हूँ ..तुम कैसे जानते हो उसे

मंगू – अरे कुछ नहीं बस ऐसे ही .एक ही गाँव के है न सब इसीलिए

मम्मी – तुम्हारा लंड बहुत बड़ा है एकदम घोड़े जैसा ….

कहकर मम्मी ने लंड को मुह में भर लिया और चूसने लगी ..मंगू को मस्ती आने लगी ..और रज्जो को किस करने लगा और किस करते हुए रज्जो से बोला आज तेरे साथ एक सॉलिड रांड मिल गयी …आज इसकी गांड खोल दूंगा .. मम्मी ने डरते हुए मुह से लंड बाहर निकाला और बोली मैंने कभी गांड नहीं मरवाई है …

मंगू – कोई बात नही रानी आज तेरी ये ख्वाइश भी पूरी कर दूंगा

मम्मी – नहीं नहीं मुझे गांड नही मरवानी …

मंगू – साली कुतिया तू मेरे घर में है भूल मत

मम्मी – ठीक है जैसा तुम कहोगे वैसा करुँगी … अब मम्मी की बुर की आग सातवे आसमान पर थी.. रज्जो वही बगल में रजाई में घुसी हुई थी.. मम्मी और मंगू ने कपडे अभी भी डाले हुए थे | मंगू ने मम्मी को नंगी होने के लिए कहा और खुद भी नंगा हो गया … मम्मी ने जब सारे कपडे उतारे तो मंगू ने मम्मी की गांड को देखके बोला … बिना चुदी हुई गांड ठोकने में बड़ा मज़ा आएगा … मम्मी बस शर्मा गयी..मंगू ने चौकी पर मम्मी को लेटने के लिए कहा जहाँ बगल में रज्जो लेटी हुई थी.. पर रज्जो रजाई में थी और मम्मी रजाई के बाहर … पर मम्मी को चुदाई की गरमी की हवस चढ़ी हुई थी … मम्मी चौकी पर लेट गयी

अब मंगू ने मम्मी के बुर को मुह में भर लिया और चूसने लगा और मम्मी अब सातवे आसमान में उड़ने लगी | अब मंगू मम्मी की बुर को चाट रहा था और मम्मी ने मंगू के सिर को अपने हांथों से बुर पे दबा रही थी और सिस्कारियां ले रही थी..रज्जो बगल में लेटी लेटी मम्मी का विडियो बनाने लगी .. मम्मी भी एक प्रोफेशनल रंडी के जैसे फेस एक्सप्रेशन देने लगी … और आआह्ह्ह्ह आआअह्ह्ह उह्ह्ह्हह्ह आआहह्ह उम्म्म्मम्म की आवाजें निकालने लगी .. मम्मी और मंगू अपनी कार्य में ब्यस्त थे … तभी मैंने फिर से मम्मी को आवाज लगा दी ..

मैं – (बाहर से ) मम्मी हुआ नही है क्या …चलो न?

मम्मी – (गुस्से से ) चुप कर मादरचोद अभी तो मैंने केला भी नहीं खाया

(उधर मंगू अपनी जीभ को मम्मी की बुर पर छुरी की तरह चला रहा था…)

मैं – मम्मी मैं भी अन्दर आ जाऊं क्या ,,यहाँ बाहर बहुत ठण्ड है…

मम्मी – आजा मादरचोद और देख ले अपनी रंडी मम्मी को नंगी …

मैं जब अन्दर आया तो मैंने देखा मम्मी ने मंगू के सिर को अपने बुर पर दबा रखी है .. मुझे देख के रज्जो रजाई के अन्दर से बोली …आजा इधर और बैठ जा कोने में ..और देख अपनी मम्मी को ..पर अपने पापा को मत बताना ..नहीं तो तेरी मम्मी तुझे बहुत मारेगी ..

मम्मी – हाँ मादरचोद ..अगर तूने अपने बाप को कुछ भी बोला तो तुझे यहाँ लाके केले खिल्वाउंगी ..खायेगा न ?

मैं – नहीं ,, मैं किसी को नहीं बोलूँगा मम्मी .. कहकर वही कोने में बैठ गया

अब मंगू ने मम्मी की बुर को चाटना बंद किया और मम्मी को थोडा सा आगे की तरफ खिंचा … मम्मी अब बुर में लंड के धक्के खाने के लिए तरस रही थी ..मंगू ने भी मम्मी को ज्यादा नहीं तड़पाते हुए मम्मी की बुर पे अपने लंड को रखा और अपने लंड के टोपे से मम्मी की बुर पर रगड़ने लगा .. अब मम्मी बहुत गरम हो गयी थी ..

मम्मी – अब मत तडपाओ जान ..जल्दी से डालो अपना लंड मेरे भोसड़े में

मंगू – ले रंडी .. खा मेरा केला अपनी बुर में

मंगू ने धीरे से झटका मारा तो आधा लंड मम्मी की बुर में उतर गया ..

मम्मी ने अब अपनी टांगे और चौड़ी कर दी ..मंगू भी दनादन मम्मी को चोदने लगा |

मम्मी – आआआअह्ह्ह्ह आह्हह्ह्हाहः उम्म्मम्माम्माम उम्म्म्म आआह्ह कितना मस्त लंड है तेरा ….अआहाह्ह मन कर रहा है बस चुदती रहूँ आज …आहाहहहः बस चोदता रह आआह्ह्ह्ह अह्हह्ह्ह्ह उम्म्म्म ..फाड़ दे मेरी बुर को |

मंगू ने भी जोश में मम्मी को और तेजी से चोदने लगा ..उधर रज्जो मुतने के लिए बाहर चली गयी कपडे पहन के … अन्दर में मम्मी रंडी के जैसे लंड ले रही थी मेरे सामने ….मम्मी बीच बीच में अपनी चुचियों को मसल रही थी और बीच बीच में अपने दोनों हाथों से मंगू की कमर पकड़ के मंगू को और जोर से चोदने का इशारा देती थी..

लगभग 15 मिनट चुदाई के बाद मंगू चौकी पे थक के लेट गया …मम्मी भी पसीने पसीने हो गयी थी.. तभी बाहर से रज्जो अन्दर आई और मंगू का लंड पकड़ के बोली .. “कैसा लगा मेरे मरद का हल्व्वी लंड”

मम्मी- बहुत मस्त है रे इनका ..मेरी बुर दुःख रही है

रज्जो – तुझे अभी से दर्द होने लगा..अभी तो मेरे मरद ने तुझे ठीक से चोदना शुरू भी नही किया है ..

मंगू – (रज्जो से) – मेरे लंड को छोड़ दे ..आज मेरा लंड सिर्फ मेरी रानी कविता के लिए है ..

मम्मी अब रज्जो के लंड सहलाने और मंगू के खम्बे जैसे खड़े लंड को देख के फिर से उत्तेजित होने लगी .. मम्मी ने झट से रज्जो के हाथ से लंड छिना और बैठ के लंड चूसने लगी .. मंगू अभी भी लेटा हुआ था ..

मंगू अब उठ कर बैठा.. बिना बताये उठने से मंगू का लंड मम्मी के मुंह से गुप्प से निकल गया .. अब मंगू ने मम्मी को घोड़ी के पोजीशन में होने को कहा … मम्मी चौकी पर कुतिया बन के पड़ी हुई थी और मम्मी का मुंह ठीक मेरी तरफ था ..अब मंगू मम्मी के पीछे जाके खड़ा हो गया ..चौकी पे खड़ा होने की वजह से मंगू का सिर फूस के छत से टकरा रहा था .. मम्मी ने मेरी तरफ देखा .. और मानो जान बुझ कर मुझे हँसते हुए देखि और अपनी टांग और गांड को चौड़ी कर ली | मम्मी को भी पता था की मंगू उनकी गांड ही छेदने के लिए पीछे खड़ा था ..

मंगू ने खड़े होकर ही थोडा झुका और अपना 11 इंच का लंड मम्मी की गांड पर रगड़ने लगा..गांड पर लंड रगड़ते रगड़ते मंगू ने एक दो बार गांड में लंड डालने की कोशिश की पर नाकाम रहा .. जब भी मंगू गांड के छेद पर लंड से दवाब डालता तो मम्मी की दर्द से अआहह्ह निकल जाती .. 4-5 बार जब मंगू ने कोशिश की और नाकामयाब रहा तो उसने रज्जो से कहा .. “जरा तेल लेकर आना”

रज्जो – (मंगू से) = तेल की क्या जरुरत है ..

मंगू – अरे इस रंडी की अनचुदी गांड बहुत टाइट है

रज्जो – अच्छा तो इसका बेटा कब काम आयेगा …..

रज्जो – (मुझसे) – ऐ मादरचोद चौकी पे चढ़ और अपनी मम्मी की गांड के पास जाके बैठ ..

मैं- मम्मी जाऊं क्या

मम्मी – अरे मादरचोद जो बोलती है ,, कर

मैं डरकर चौकी पे चढ़ गया ..मंगू समझ गया था पर मैं नहीं समझा था ..

मंगू – (मुझसे) गांड के पास बैठ मादरचोद रंडी की औलाद

मम्मी अभी भी कुतिया घोड़ी के पोजीशन में थी

मम्मी – (मुझसे) तुझे रज्जो आंटी बोली ना की मेरी गांड के पास जाके बैठ ..एकबार में सुनता नही है मादरचोद |

अब मैं मम्मी की गांड के पास में बैठ गया .. अब मेरी नजरों के सामने मम्मी की गांड का छेद और मम्मी की बुरड़ पर मंगू का लंड था …मंगू मुझसे बोला चल अपनी मम्मी की गांड पर थोड़ा सा थूक लगा दे तो मैंने अपने उंगली में अपने मुंह से थोड़ा सा थूक लगाकर मम्मी के गांड के छेद पर लगाने लगा तो मंगू ने मुझसे कहा अरे मादरचोद … अपना थूक मम्मी के गांड पर डाल मुंह से …….मैंने इस बार अपना थूक मम्मी के गांड पर डाल दिया ….मंगू ने मेरी थूख पर अपना लंड लपेटा और इस बार थोड़ा सा ताकत लगा कर उसने अपना टोपा मम्मी की गांड के छेद में डाल दिया जैसे ही टोपा मम्मी की गांड के छेद में गया मम्मी के मुंह से एक जोरदार चीख निकली मम्मी के चीखते ही रज्जो बोली “कैसा लगा बहन अब बता तुझे तो मेरी चीख झूठी लग रही थी” अब बता तुझे कैसा लग रहा है ………मम्मी बोली – अरी बहन मैं मर जाऊंगी बाहर निकालो अपना लंड प्लीज …मगर मंगू ने मम्मी की एक ना सुनी और इस बार मंगू ने जोर का झटका मारा गांड के अंदर और अपना आधा लंड मम्मी की गांड में उतार दिया…. लंड के अंदर जाते हैं मम्मी बदहवास होकर नीचे गिर गई …………कुत्तिया के पोजीशन में जो दोनों हाथ के सहारे वह कुत्तिया बनी थी वह दोनों हाथ चौकी पर ढेर हो गए और मम्मी मुंह के बल चौकी पर ढेर हो गई ……..अब मम्मी की बुरड़ ऊपर की ओर थी और मम्मी का मुंह नीचे की ओर ……लंड के अंदर जाने से मम्मी की गांड में हलचल और खलबली मच गई ……अब मंगू मम्मी की गांड को दनादन चोदने लगा मम्मी एक भी पल चिल्ला नहीं पा रही थी क्यूंकि मंगू मम्मी को एक पल भी सांस नही लेने दे रहा था..थोड़ी सांस लेने के बाद मम्मी आआहह्ह आआआआह्ह आआह्ह्ह्ह म्र्रर्र्र गयीईईईईईईआआअह्ह्ह ओह्ह्ह्ह अआह्ह् और जोर से आआअह्ह उम्म्मम्म आआह्ह मार डाला रे तेरे लंड ने….कहके चिल्लाने लगी …मम्मी अपना सिर पागलों के जैसे घुमा रही थी क्यूंकि मंगू मम्मी को एक भी पल सांस नही लेने दे रहा था ……जब मंगू ने अपना झटका कम किया तो मम्मी जोर-जोर से सांसे ले कर बिस्तर पर ढेर हो गयी … आवाज इतनी तेज थी कि मुझे भी डर लगने लगा था मम्मी चीख के बावजूद भी मंगू नहीं रुका और वह बस मम्मी की गांड मारता रहा 10 मिनट तक गांड मारने के बाद मुम्मू की हाल को देख के उन्होंने अपना लंड मम्मी की गांड से बाहर निकाल लिया ……मम्मी अब बदहवास होकर चौकी पर पड़ी हुई थी मंगू का लंड अभी भी खड़ा था इसीलिए रज्जो मंगू का लंड चूस रही थी ….दो-तीन मिनट के बाद जब मम्मी को होश आया तो ………….मंगू ने कहा “कैसा लगा मेरा लंड तुझे रंडी” ……….. तो मम्मी बोली “सच में रज्जो ने मुझे सही बोला था तुम तो अधमरी करके छोड़ते हो अगर मैं तुमसे रोज चुदवाउंगी तो तुम मुझे मार ही डालोगे पर तेरा लंड हलव्वी और फौलादी खूंखार लंड है …तुझसे चुदवाने से आज मेरी सुनी गांड को तूने भर दिया और कह कर मम्मी रज्जो के साथ मिलकर मंगू का लंड चूसने लगी………….. अब दोनों रंडी मिलकर मंगू को लंड चूस के मजा दे रही थी ……………. मैं ऊपर बिस्तर पर बैठा हुआ था और अपनी मम्मी का रंडीपना देखकर हैरान था ……………..रात के लगभग 10:00 बज चुके थे……………. लंड चूसने के बाद मम्मी एक बार फिर से घोड़ी बन गई और मंगू से बोली चल मेरे घोड़े चढ़जा अपनी घोड़ी पर …………मंगू भी जोश में था और फिर से मम्मी की गांड को दनादन चोदने लगा ………….मंगू का माल निकलने वाला था तो उसने मम्मी से कहा बोल जल्दी कहां निकालो मम्मी बोली मुझे पिला दे तेरा सारा माल और कह कर मुंह खोलकर मंगू के लंड के सामने बैठ गई ………….मंगू ने अपना सारा माल मम्मी के मुंह में निकाल दिया ….पानी निकलने के बाद मंगू बिस्तर पर लेट नंगा ही लेट गया ….मम्मी ने सारा माल पी लिया और फिर मंगू के अंडकोष को सहलाने लगी और मंगू के बगल में लेट कर चुम्मा चाटी करने लगी..मंगू भी मम्मी की चुचियों को दबाने लगा और मम्मी की बुर के झांटों के साथ खेलने लगा….मैं समझ गया की ये लोग आपस में अब प्यार करेंगे इसीलिए … मैं अब बिस्तर से निकलकर बाहर आ गया था ..तो देखा रज्जो खाना बनाने के लिए चूल्हे में आग जला रही है … मैं रज्जो के पास बैठ गया और मैं भी आग जलाने में मदद करने लगा…

रज्जो – मम्मी के बारे में किसी से कुछ मत कहना

मैं – नही रज्जो आंटी मैं कुछ नही कहूँगा..

रज्जो – तू तो बहुत समझदार हैं .. काश तेरे जैसा ही मेरा भी एक बेटा होता तो उसके सामने उसके बाप से चुद्वाती .

मैं – रज्जो आंटी ये चुदवाना क्या होता है

रज्जो – (हँसते हुए) – अरे वो जो तेरी मम्मी अन्दर करवा रही थी उसे ही चुदवाना कहते है |

मैं – आप भी चुद्वाती हो ?

रज्जो – मैं तो रोज चुद्वाती हूँ ..बिना चुद्वाए मेरी रात नहीं कटती \

मैं – आज भी चुदवाओगी ?

रज्जो – हाँ पर अब खाना खा लूँ और तू भी खा ले..फिर तेरी मम्मी अगर जाना चाहेगी घर तो तुमलोगों के जाने के बाद चुदवाउंगी |

मैं – अच्छा आंटी तुम और मम्मी आपस में चुम्मा चाटी क्यूँ कर रही थी रजाई के अन्दर ?

रज्जो – (डरते हुए)- अरे ये बात किसी को मत बताना सिवाय तेरी मम्मी के ..और तेरे मंगू अंकल को तो बिलकुल नहीं बताना

मैं – ठीक है आंटी \

रज्जो – वादा कर ..

मैं – एक शर्त पे

रज्जो – बोल शर्त ..

मैं – एक बार अपनी सुसु दिखाओगी फिर…

रज्जो – हाय राम … तू भी बिगड़ा हुआ है अपनी माँ के जैसे ..

मैं – नहीं पर आज मम्मी की सुसु देख के मन कर रहा है देखने का और ..

रज्जो- अच्छा ,,.. पर उसे सुसु नही बुर कहते है |

मैं – बुर?

रज्जो – हाँ ..तू देखेगा मेरी बुर को ?

मैं – हाँ देखूंगा पर अगर मम्मी ने देख लिया तो मुझे मारेगी बहुत …

रज्जो – तेरी मम्मी की बात बाद में है अगर मेरे मरद ने देख लिया तो आज बिना चोदे ही छोड़ देगा मुझे ..

मैं – ठीक है फिर आंटी रहने दो..रिस्क क्यों लेना ..

रज्जो – अच्छा जाके देख तो तेरी मम्मी क्या कर रही है ..

मैं – जाता हूं..

मैंने अन्दर जाकर देखा तो मम्मी अभी भी मंगू से चिपकी हुई थी और किस कर रही थी ..मंगू भी मम्मी की बुर को मसल रहा था मानो वो बुर को गरम करना चाह रहा था …मम्मी ने मुझे देखा तो बोली -“ अनादर क्या लेने आगया अब ..जा बाहर जाकर बैठ देखता नही मैं बिजी हूँ …
मैं चुपचाप वापस आगया ,… मम्मी दोबारा मंगू के लंड को मसलने लगी ..

मैं – आंटी , मम्मी तो बिजी है |

रज्जो – ठीक है मेरे सामने बैठ ..

मैं बैठ गया.. रज्जो चूल्हे के पास खाना पकाने बैठी थी छोटे से टेबल पे .. और सलवार जैसा कुछ पहनी थी ..

रज्जो ने मुझे देखते हुए अपनी सलवार को ऊपर कर दी जिससे उसकी बुर मेरे सामने आ गयी .. रज्जो की बुर मम्मी की बुर से कुछ ज्यादा फटी हुई थी..अब जिसकी चुदाई एक फौलादी लंड रोज करता हो उसकी बुर कैसी हो सकती थी,…. मैंने कहा

मैं- wow आंटी .

रज्जो – छुएगा ?

मैं- हां

रज्जो – आजा मेरा बेटा छू ले अपनी आंटी की बुर को

मैं – (बुर छुते हुए) – अच्छा है आंटी

रज्जो – जब तू बड़ा हो जायेगा तब तेरे लंड से चुदवाउंगी मैं

मैं – सच?

रज्जो – हाँ मेरे बेटे ..तू हम दोनों रंडियों को चोदना

मैं – मुझे भूक लगी है खाना तो खिला दो ..

रज्जो – अभी बनाती हूँ .. ( रोटी बेलने लगती है )

अभी रज्जो आंटी ने 4-5 रोटी ही बनायीं थी की मुझे अचनाक से मम्मी की सिस्कारियां सुनाई देने लगी ..आआह्ह आह्ह्ह अहह्ह्ह्ह अहहाह ऊओह्ह्ह ओह्ह्ह्ह उम्म्म उम्म्म आःह आह्ह्ह आआह्ह्ह्ह म्र्रर्र्र गयीईईईईईईआआअह्ह्ह ओह्ह्ह्ह अआह्ह् और जोर से आआअह्ह उम्म्मम्म आआह्ह …

मैंने जब अन्दर जाके देखा तो मम्मी एक बार फिर कुतिया बनके मंगू से गांड में लंड खा रही थी.. मंगू पूरी ताकत से मम्मी को चोद रहा था … अब मम्मी थोड़ी थक गयी थी… इसीलिए मंगु ने अपना लंड मम्मी की बुर पर रख दिया ….. गर्म लंड का अहसास अपनी बुर पर पाते ही मेरी मां बेताब हो रही थीं. उन्हें लग रहा था कि किसी तरह मंगू का लंड उनकी बुर में घुस जाए.
वो चुदने के लिए बेकरार लग रही थीं.

उनके मुँह से मादक आवाजों से साफ़ लग रहा था कि उनकी बुर लंड के लिए उतावली थी. मैंने भी आज पहली बार अपनी मां को नंगी देखा था और उनकी बुर भी मेरे अन्दर वासना भर रही थी.

तभी मंगू ने एक जोर का झटका दिया और मेरी मां की बुर में अपना 11 इंच का मोटा लंड पेल दिया.

लंड बुर में लेते ही मेरी मां की जोर की चीख निकल गई.
उसने मां का मुँह दबाते हुए कहा- धीरे … नहीं तो आपका लड़का फिर से आ जाएगा.

मम्मी बोली – आजाने दो उस मादरचोद को उसे भी आज पता लग ही गया की उसकी माँ एक चुदक्कड़ कुतिया है …मंगू ने कहा ठीक है रानी फिर संभाल इसे

ये कह कर उसने फिर से एक और झटका दे मारा और इसी के साथ मां की बुर में उसका लंड पूरा घुस गया.

मां अपना मुँह अपने हाथ से दबाती हुई छटपटाने लगी थीं.
मगर मेरी मां की चुदी हुई बुर ने मंगू का लंड अपनी बुर में जल्दी ही एडजस्ट कर लिया. अब मंगू ने शुरूआत में धीरे धीरे लंड को आगे पीछे करना शुरू किया और मां की बुर को सहज पाते ही उसने धमाल चौकड़ी शुरू कर दी. अब वो ताबड़तोड़ मेरी मां चोद रहा था.

पूरे 20 मिनट तक वो मेरी मां की चुदाई करता रहा और आखिर में मां की बुर में ही झड़ गया. कुछ मिनट बाद मैंने उठ कर मां को देखने के लिए गया तो अन्दर का मस्त नजारा देखने को मिला.

मेरी मां पूरी नंगी थीं और मंगू का लंड चुस रही थीं.
कुछ देर बाद मंगू ने उनकी चुत चाटी. फिर वो दोनों 69 में हो गए और एक दूसरे के लंड बुर चाटने लगे. करीब दस मिनट बाद मंगू का लंड फिर से खड़ा हो गया और उसने मेरी मां को घोड़ी बना दिया.
पीछे से लंड बुर में फिट किया और फिर से एक बार धक्कापेल चालू हो गई. मंगू मेरी मां की चूचियां पकड़ कर धक्कापेल मचाए हुए था.

तभी उसने मेरी मां की गांड पर धौल जमाते हुए कहा- बड़ी मक्खन गांड है … एक बार और बजा लेने दो.
मेरी मां ने कहा .. तुम्हारी ही है बजा लो जितनी मर्जी है

फिर वो दोनों अपनी चुदाई में मस्त हो गए…

इधर रज्जो ने लगभग सारी रोटीयां बना ली थी .. उस दिन काफी समय मिलने के कारण मंगू ने मेरी मां की चार बार चुदाई की. मुझे अपनी माँ की चुदाई देख कर कोई मलाल नहीं था. बल्कि एक ख़ुशी सी थी कि मेरी मां की जिस्म की प्यास मिट गई थी.
हर किसी को अपनी हवास मिटाने का हक होता है. मेरी मां को भी है.

दोस्तो, ये मेरी real स्टोरी है, आपको कैसी लगी. प्लीज़ मुझे मेल करें. [email protected]

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