मा और अंकल के चुदाई संबंध-1

हेलो गाइस स्वागत है आपका “मा और अंकल के चुदाई संबंध” पार्ट वन मे. मेरा नाम आदर्श है और मई महाराष्ट्रा का रहने वाला हू. मेरी आगे अब 19 साल है और मई एक इंजिनियरिंग स्टूडेंट हू. मेरे पापा एक बिज़्नेसमॅन है और मा एक हाउस वाइफ है.

ये कहानी मेरी मों जिनका नाम निक्की है और मेरे अंकल जिनका नाम आदित्या है उनके बीच के संबंध की है. ये कहानी तब की है जब मई 9 साल का था और मेरी मों की आगे 30 साल थी और मेरे अंकल की आगे 26 साल की थी. मेरी मों एक पढ़ी लिखी ग्रॅजुयेट स्टूडेंट है और दिखने मे बहोट हॉट है.

मेरी मों की तब आगे 30 साल थी और उनकी फिगर 34 26 36 था और वेट 55 क्ग था और उनकी हाइट 5 फुट 6 इंच की है. और उनका रंग गोरा है और वो एक स्लिम लड़की है. लेकिन वो 25 की लगती थी. मेरे अंकल जो मेरे पापा के छोटे भाई थे उनकी आगे तब 26 साल थी और वो एक इंजिनियर है. लेकिन वो बॉडीबिल्डिंग करते है.

अंकल की हाइट 6 फुट है और वेट 94 क्ग है. वो डेली जिम करते है इसलिए वो बहोट फिट लगते है. उन्होने बहोट सारी बॉडीबिल्डिंग कॉंपिलेशन भी जीते है. वो एक मॉडेल ही लगते है. अंकल के सिक्स पॅक भी है और छाती बहोट चौड़ी है. हमारे महोल्ले की सारी लड़किया और औरते उनपे लाइन मारती है. वो हमेशा स्टाइलिश दिखते है.

मई 2न्ड क्लास मे था मुझे सबकुछ समजता था और मई घर मे ह्र एक पे आक्ची तरह से धन रखता था. मेरी मों को महोल्ली मे बहोट सारे लड़के लाइन मरते थे और उनकी एक ज़लाक के लिए तरसते थे.

मेरी मों और पापा के सेक्स संबंध अकचे थे लेकिन पापा हमेशा बिज़्नेस की वजह से बाहर रहते थे तो मा को उतना सेक्स नही मिलता था.

मेरे घ्र्मे तब मई,मों पापा, अंकल और मेरी दादी रहते थे. अंकल ह्र सुबह उठकर जाइम 291161 थे. मों घर का कम करती थी और मुझे पढ़ाई मे मदद करती थी.

हामरे पड़ोस मे एक आंटी रहती थी जो मा की आक्ची सहेली थी. उनका नाम प्रिया था. वो और मेरी मा फ्री टाइम मे बहोट बाते करते थे. दोनो एक दूसरे के राज एक दूसरे को बताते थे. वो आंटी मेरे अंकल पे लट्तू थी और मा को हमेशा बोलती थी की तुम्हारा देवर कितना हॅंडसम हैं. काश ऐसा देवर मेरा होता तो मई तो डेली उससे सेक्स करती.

लेकिन मेरी मों बहोट सीडी थी वो पापा को धोका नही देना छाती थी लेकिन प्रिया आंटी मा के म्न मे ऐसे गॉल्ट ख़याल लाती थी. एक बार वो ऐसे ही बाते कर रहे थे और मई वाहा ही बैठा था.

आंटी- क्या निक्की तुमने कभी अपने देवर पे ट्राइ नही किया क्या?

मों- नही कभी नही, मुझे पसंद नही ये सब और मेरा देवर भी शयड ऐसा नही सोचता होगा मेरे बारे मे.

आंटी-. तो तू पागल है, ये मर्द बहोट हरंखोर होते है उन्हे सिर्फ़ और्त चाहिए होती, तुम्हने कभी गौर नही किया होगा तुम्हारा देवर भी तुम्हे घूरता होगा.

मों -. सच मे क्या? मैने कभी गौर नही किया. आयेज से करती हू

आंटी – हा करना, सब मर्द एक जैसे ही होते है.

मों – तुम्हारे बाय्फ्रेंड के साथ तो तुम बहोट मज़े करती हो ना, रत को पति और कभी कभी बाय्फ्रेंड.

आंटी- हा हमरी किस्मत तुमाहरी जैसी नही जो तुम्हारा इतना अक्चा देवर है, जो हमे घर मे ही दूसरा लंड मिले.

मों – कुछ भी क्या, लेकिन देवर के साथ करना ग्लात है ना.

आंटी- नही कुछ ग़लत नही. तुमहरे पति हप्ते मे 3 बार घर आते है तो तुमको भी बाकी दिन कोई चाहये होगा ना. तो पटाओ अपने देवर को और मज़े लो.

मों- ह्म सोचती हू

उस दिन के बाद मों भी अंकल को नोटीस करने लगी की अंकल उनके बारे मे क्या सोचते है. अंकल मों से बहोट मज़ाक करते थे और हमेशा मों से घर मे बाते करते थे. शायद अंकल मों पे लाइन मरते थे लेकिन मों ने आजतक नोटीस नही किया था.

मों एक दिन नहा रही थी और मों ने दरवाजा लॉक नही किया था. अंकल को भी मल्लों था की मों अंदर नहा रही है लेकिन फिर भी अंकल अपने बिस्तर से उठ गये और सीधा अंदर गये. ये देखकर मा को तोड़ा अलग लगा और वो घबरा गयी. मा सिर्फ़ ब्रा और पनटी पे थी.

जैसे ही अंकल ने मा का वो खूबसुअर्ट नज़ारा देखा उनके होश उड़ गये और मा ने अपने उपर टवल दल दिया और अंकल वाहा से सॉरी सॉरी कहते हुए बाहर चले गये. लेकिन अंकल ने बहोट कुछ देखा था और अंकल अपने बेड पे जाके मा के सपने देखने लगे.

अब मा ने नाहया और अपनी पनटी उधर ही रख दी. अब अंकल नहाने आ गये और उन्होने मा की पनटी को देखा और उसे हाथ मे लेके सुंगने लगे. और मूठ मार के ही अपना कम चला लिया. अंकल मा को छोड़ना चाहते थे लेकिन डरते थे की मा क्या बोलेगी.

मा को भी अब धीरे धीरे मल्लों हो रहा था की अंकल अब उनके जाड़ा ही करीब आ रहे है, हसी मज़ाक मे मा के हाथो को चुना कभी कभी गंदे मज़ाक करना ये सब चल रहा था. अंकल अब मा को पाटने की कोशिश मे थे. उन्हे मा जैसे सुंदर औरत पूरे मोहल्ले मे नही मिलने वाली थी.

अब अंकल सुबह रोज मुझे पीठ पे बैठा कर पुश उपस लगते थे और हमेशा घर मे बनियान पे ही रहते थे और वो अपने रूम मे तो हमेशा सिर्फ़ नाइट पंत मे ही रहते थे. वो अपनी बॉडी से मा को आकर्षित करना चाहते थे.

लेकिन मा इतने जल्दी पाटने वालो मे से नही थी. अंकल और मों एक बार ऐसे ही बेड पे बैठकर बाते कर रहे थे.

अंकल – क्या भाभी जी, आप तो बहोट सुंदर हो, हमारे भाई का तो नाशिब ही अक्चा है, जो उन्हे आप जैसी खूबसूरत लड़की मिली.

मों- ऐसा क्या, तुम्हे मई खूबसूरत लगती हू. वा कुछ भी क्या..

अंकल – सच मे, किसिको भी पूछ लो. सारे महोल्ले मे आप जैसा खूबसूरत कोई नही है.

मों – ऑश ये कुछ ज़्यादा ही हो गया ना.

अंकल – नही भाभी जी सच मे.

मों- तुमको कैसी बीवी चहाइए?

अंकल – आप जैसी ही.

मों – मेरी जैसी एक मई ही हू (हेस्ट हुए)

अंकल – अब क्या करे, हमारा नाशिब उतना अक्चा नही ना.

मों – तुम्हे भी मुझसे आक्ची मिलेगी सबर करो.

अंकल – आपसे अक्चा कोई नही है.

मों – आज तो बहोट तारीफ कर रहे हो.

अंकल – आप हो ही इतनी सुंदर तो हम क्या करे. आपके कॉलेज मे बहोट लड़के दीवाने होगे?

मों – ऐसा कुछ नही था.

अंकल – कुछ भी क्या, इतनी सुंदर लड़की हो और लड़के पीछे ना हो ऐसा हो ही नही सकता. आप झुत बोल रही हो.

मों – हा थे थोड़े.

अंकल – ब्फ था क्या आपका पहले कोई?

मों- ये नही बता सकती तुम मेरे देवर हो. ऐसा कुछ नही था.

अंकल – ओहक, मत बताओ. अगर मे आपका ब्फ होता तो शादी ही कर लेता सीधे.

मों – ऑश, ऐसा क्या बहोट आक्ची देवर्जी.

अंकल – आप मुझे सिर्फ़ आदि ही बुलाया करो, देवर्जी अक्चा नही लगता. मुझे मेरे फ्रेंड्स प्यार से आदि ही बुलाते है.

मों – ऐसा क्या, लेकिन मई कहा तुम्हारी फ्रेंड हू. मई तो तुम्हारी भाभी हू.

अंकल – भाभी भी तो फ्रेंड ही होती है, तो चलेगा.

मों – ओहक, आदि.

ऐसे ही दिन बीत रहे थे और एक दिन अंकल का बर्तडे था और अंकल के बहोट सारे फ्रेंड्स घर पे आ गये हुँने केक कटा और अब अंकल के फ्रेंड्स अंकल को पार्टी के लिए होटेल च्लने के लिए बोलने लगे. वाहा उन्होने सारा इंतज़ाम कर के रखा था.

तब अंकल ने मुझे और मा को भी साथ चलने को कहा. मा ने पहले माना किया लेकिन दादी के कहने प्र हम जाने के लिए तैयार हो गये. मई और अंकल बाहर गाड़ी के पास मा का इंतजार कर रहे थे.

मा घर के बाहर आ गयी, मा को देख के अंकल की आँखे फटी की फ़्ती रह गयी. अभी मा ने ब्लॅक कलर की नेट की सदी पहनी थी और स्लीव्ले ब्लाउस फना था, मा का गोरा बदन और पतली कमर साफ साफ दिख रही थी. मा की नाभि को देखकर अंकल का लंड जगह पे ही खड़ा हो गया. लेकिन अंकल ने खुद को कैसे तो संभाला और मा आयेज बैठी कार मे और मई पीछे बैठा और अंकल ड्राइविंग कर रहे थे.

वाहा होटेल मे जाने के बाद ह्युमेन फिर से एक केक कटा. अंकल ने मुझे और मा को भी केक खिलाया. और उसके बाद अंकल और अंकल के फ्रेंड्स थोड़ी थोड़ी शर्ब पीने लगे. गाने चल रहे थे सभी नाच रहे थे.

अब कपल डॅन्स शुरू हो गया था. मई और मा वाहा बैठे थे तो अंकल मा की तरफ़ आए और मा को डॅन्स के लिए पूछा. मा ने भी माना नही किया. अब वो दोनो डॅन्स करने लगे अब लाइट्स थोड़ी धीमी हो गयी थी बहोट सारे कपल डॅन्स कर रहे थे. और रोमॅंटिक सॉंग छल रहा था.

अंकल और मों बहोट आक्ची तरह से डॅन्स कर रहे थे. ऐसा लग रहा था की वो सच मे ही कपल हो. अंकल ने मों का एक हाथ अपने हाथ मे लिया था और दूसरा हाथ मा ने अंकल के कंधे पे रखा था और अंकल ने अपना दूसरा हाता मा के कमर पे रखा था और दोनो बहोट मज़े से नाच रहे थे.

अंकल और मा पहली बार इतना नज़दीक आ गये थे. लेकिन अभी भी मा और अंकल के बीच तोड़ा अंतर था. अब मैने गौर किया की अंकल ने अपना एक हाथ मा के पतली कमर पे हल्के से घूमना शुरू किया. मा के नाज़ुक शरीर को छूकर उनके बदन मे बिजली दौड़ रही थी. मा ने भी कुछ नही कहा. अंकल थोड़े न्षे मे भी थे.

अब अंकल ने मा को तोड़ा अपनी और खिछा. अब मा का सिर अंकल के छाती से लग रहा था और दोनो एक दूसरे से लगभग चिपक ही गये थे. अंकल ने अब अपना हाथ मा के हिप्स पे रखा और सहलाने लगे. मा भी कुछ नही कह रही थी. अब मा का सिर अंकल के सिर के बिल्कुल करीब था.

अंकल ने मा के चेरे को हल्के से उपर उठा लिया और दोनो की नज़रे एक दूसरे से मिली और अंकल ने अपना मूह आयेज किया और मा के गुलाबी ओठो को अपने ओठो मे जाखड़ लिया और हल्के से किस करने लगे. मा की आँखे बंद हो गयी और मा भी अंकल का साथ देने लगी.

अंकल का लंड अब खड़ा हो गया था और मा को नीचे कुछ तो चुभ रहा था वो अंकल का लंड ही था. जो बेर आने के लिए तरस रहा था.

थोड़ी देर ऐसे ही किस करने के बाद वो दोनो अलग हो गये. मा को कुछ साँझ नही आ रहा था की ये कैसे हो गया लेकिन अब हो चुका था उसके बाद हुँने खाना खाया और घर चले गये.

तो बे कंटिन्यूड…

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