मा और भाई की वासना भारी चुदाई की स्टोरी

ये घटना कुछ महीने पहले की है. मेरा नाम दिया है. मैं जिस घटना के बारे में बताने जेया रही हू, वो मेरी मम्मी और मेरे भैया को लेकर है. मेरे भैया मेरे अपने भैया नही बल्कि मेरे कज़िन है.

वो अक्सर हमारे घर आते रहते है. और कुछ दिन रहने के बाद चले जाते है. अगर वो नौकरी नही कर रहे होते. तो शायद 1 बार आने के बाद पूरा महीना बिता कर ही वापस अपने घर जाते.

मेरे पापा चुकी ऑफीस में रहते है. और मैं अपनी पढ़ाई के चक्कर में अधिकतर समय कोचैंग सेंटर और लाइब्ररी में रहती हू. इसलिए 2 मंज़िले के उस बड़े से घर में अधिकांश समय सिर्फ़ मेरी मम्मी और मेरे भैया ही रहते है.

भैया को बॉडी बिल्डिंग का शौंक है, और दिन का बहुत सा टाइम योगा और जिम करने में बिताते है. सुबा योगा करते है, और शाम को ऑफीस से आ कर 1-2 घंटे के लिए जिम जाते है. पता नही जहा वो जॉब करते है वाहा उनकी ऐसी क्या ड्यूटी रहती है. जो अक्सर हर 2 महीने में हमारे घर आ जाते है. और कम से कम 15 दिन बिता कर ही जाते है.

शुरू-शुरू में मुझे उनका आना और कुछ दिन हमारे साथ रहना बहुत अछा लगा. लेकिन अब बहुत अजीब लगता है. अजीब लगने के 2 कारण है-

1) उनके आने के बाद से मम्मी मुझे और पापा पे कम ध्यान देती है

2) भैया जिस दिन आते है. उसी दिन से मम्मी सारी को ढीली करके और ब्लाउस को बहुत सेक्सी तरीके से पहनना शुरू कर देती है.

और यही नही, जब भैया हमारे घर नही आए होते है. तब घर में मेरे और पापा के सामने मम्मी सारी को ऐसे पहनती है. जैसे कपड़ा नही पहन कर कोई परदा लटका ली हो अपने उपर.

लेकिन भैया के आने पर वो वही ब्लाउस पहनती है. जिसके कप्स बहुत टाइट हो. जिससे की मम्मी के बूब्स ब्लाउस कप्स के उपर से आधे निकले रहे. और सारी को सीने पर कुछ ऐसे रखती है. जिससे की थोड़ी सी हरकत पर वो अपनी जगह से हट जाए, और सामने वाले को उनकी लंबी क्लीवेज बड़ी आसानी से दिख जाए. अब आते है उस दिन की घटना पर.

उस दिन पापा ऑफीस चले गये थे. और मैं कोचैंग के लिए निकालने वाली थी. मम्मी को शॉपिंग के लिए मार्केट जाना था. और अकेले जाने की बोरियत से बचने के लिए उन्होने भैया को उनके साथ जाने के लिए माना लिया था.

मैं ब्रेकफास्ट करते समय बार-बार भैया और मम्मी की तरफ देख रही थी. मैं सोच रही थी की आख़िर क्यूँ मार्केट जाने के नाम पे भैया इतने खुश दिख रहे थे. और मम्मी थी, की शरमाई जेया रही थी.

खैर, मैं तो अपनी कोचैंग के लिए निकल गयी. पीछे घर में भैया और मम्मी रह गये. कोचैंग में रह-रह कर मम्मी का मासूम चेहरा याद आ रहा था, और सुबा से मम्मी का शरमाना और भैया की तरफ शरारती नज़रों से देखने वाली बात मुझे अंदर ही अंदर खाए जेया रही थी.

इसलिए मैने आज की पढ़ाई आधी करके बीच में ही घर जाने का निश्चय किया, और शालु को अपने साथ लेकर चल पड़ी. आज शालु को भी पढ़ाई में मॅन नही लग रहा था. तो वो भी मेरे साथ चलने को राज़ी हो गयी. वो रास्ते भर बात करती रही, लेकिन मैं चुप रही क्यूंकी मेरा मॅन घर की तरफ दौड़ा जेया रहा था.

घर पहुँचते ही मैं खुद को कंट्रोल में रखी, और पीछे के दरवाज़े से घर में घुस गयी. पीछे का दरवाज़ा 2 केस में इस्तेमाल होता है:

1) मैं गाते लॉक हो और कोई चाबी भूल गया हो.

2) घर में उपस्थित लोग सो रहे हो, या किसी कारण से दरवाज़ा नही खोल रहे हो.

पहले तो मुझे लगा की शायद घर में कोई नही था, लेकिन फिर मेरी सिक्स्त सेन्स ने मुझे कहा की 1 बार उपर भैया के कमरे में देख लो. मैं वही की. भैया का कमरा खाली था. मैं वापस नीचे जाने को हो रही थी, की तभी मुझे मम्मी के बंद कमरे से कुछ खनकने की आवाज़ सुनाई दी.

मैं तुरंत मम्मी के कमरे के पास गयी, और दरवाज़े से कान लगा कर सुनने की कोशिश करने लगी. अंदर से धीमी लेकिन सॉफ आवाज़ आ रही थी. ये आवाज़ मम्मी और भैया के आपस में बात करने की थी. लेकिन मैं समझ नही पाई की आख़िर ये दोनो इतने धीरे क्यूँ बात कर रहे थे.

इसे संयोग काहु या मेरी खुश-किस्मती, या शायद 1 तरह से मेरी बाद-किस्मती की दरवाज़ा अंदर से लगाया नही गया था. सिर्फ़ पार्ले से भिड़ा दिया गया था. इसका पूरा फ़ायदा मैने उठाया, और दरवाज़े को मेरे अंदर देखने लायक जितना होना चाहिए उतना खोल कर देखने लगी.

मम्मी और भैया दोनो का दरवाज़े की तरफ ध्यान नही था. इसके अलावा जो कुछ मैं देखी उससे मुझे अपनी आँखों पर विश्वास ही नही हुआ. अंदर मम्मी ब्रा और पनटी में भैया के सामने रॅंप वॉक कर रही थी, और भैया बिस्तर पर किसी महाराजा की तरह लेते हुए ब्रा-पनटी में क़ैद मम्मी के जिस्म के कटीले कसाव के हुस्न को देखे जेया रहे थे, और खुश हो रहे थे.

मम्मी 1-1 कर 4 बार अलग-अलग रंग की मॅचिंग ब्रा-पनटी पहन कर भैया के सामने किसी पोर्नस्तर की तरह, और अपने आध-नंगे जिस्म की सुंदरता को दिखती रही. 1 बात तो मुझे भी माननी पड़ी, की मम्मी के जिस्म में सही जगह पर सही मात्रा में माँस और चर्बी मौजूद है, जिससे उनकी सुंदरता और भी ज़्यादा निखार कर सामने आ रही थी.

सच काहु तो मम्मी के इस हुस्न को देख कर कही ना कही मेरा मॅन जलन से भर उठा, और ना जाने क्यूँ मई अपने पर्स से मोबाइल निकाल कर सब कुछ रेकॉर्ड करने लगी.

मम्मी और भैया दोनो की बॉडी लॅंग्वेज सॉफ इशारा करने लगी, की अब दोनो से ही रहा नही जेया रहा था. मम्मी तो शरम से कुछ बोली नही, लेकिन भैया मेरी मम्मी की हालत समझ गये, और तपाक से बिस्तर से उतार कर मम्मी के पास आ कर उनको अपनी बाहों में भर लिया.

इतना होते ही मम्मी भी अपनी शरम को भूल कर भैया को कस्स कर अपनी आगोश में ले ली और पागलों की तरह उनको चूमने लगी. भैया भी कुछ कम नही निकले, और उन्होने अपने बाए हाथ से मम्मी की पीठ का माँस और डाए हाथ से उनके पिछवाड़े का बया हिस्सा दबोच लिया और रुक-रुक बड़ी तसल्ली से दबाते.

मम्मी के जिस्म से उनकी ब्रा-पनटी कब अलग हो गयी, ये तो मुझे भी पता नही चला. तभी भैया बोले-

भैया: कैसा लग रहा है चाची?

मम्मी सिसकारी लेते हुए बोली: उम्म, बहुत अछा लग रहा है. ऐसे ही करते रहो.

भैया: बिस्तर पर नही चलॉगी?

मम्मी: क्यूँ रे, क्या करेगा वाहा?

भैया: तुम नही जानती?

मम्मी: जानती हू, पर सुनना है मुझे.

भैया मुस्कुराते हुए मम्मी की डाई चूची के उपरी गोल हिस्से को चाट-ते हुए बोले-

भैय: इस गड्राए बदन को और आचे से प्यार करना है. खेलना चाहता हू इस जिस्म से.

इस पर मम्मी बड़ी बेशर्मी से बोली: तो ले चल वाहा, मुझे भी देखना है की कितना प्यार करना और कैसे खेलना चाहता है तू.

भैया के चेहरे पर 1 विजयी मुस्कान छाई, और वो अपनी बलिशट भुजाओं में मम्मी के उस गड्राए, भरे बदन को ऐसे उठा लिए मानो कोई छ्होटी बच्ची को गोद में उठाया हो. मम्मी की चूचियों को चूमते-चूस्टे हुए भैया उनको बिस्तर पर ले गये, और बड़ी बेरेहमी से पटक दिया.

मम्मी ‘आ’ के लिए जैसे ही मूह खोली, भैया ने अपनी जीभ उनके मूह में घुसा दी, और फिर दोनो अपनी जीभ से एक-दूसरे के मूह की गहराइयों की तलाश करने लगे. उस समय उनको देख कर लगा जैसे दोनो किसी भूखे जानवर की तरह एक-दूसरे को खा जाना चाहते हो.

करीब 4 मिनिट तक मम्मी के आचे से चुंबन लेने के बाद भैया ना अपना फोकस नीचे की तरफ किया, और धीरे-धीरे नीचे आते हुए मम्मी की गोल, सुडोल चूचियों के पास रुक गये और बड़े प्रेम से उनका रस्स-पॅयन करने लगे.

पहले जीभ की नोक से अेरोला पर गोल-गोल घूमते और फिर जल्दी से निपल को मूह में ले लेते. पुर कमरे में ‘चूक-चूक’ की आवाज़ गूंजने लगी, और साथ ही मीठे एहसास से मम्मी की ‘आ-आ’ भी सुनाई देने लगी. अपने सामने सेक्स का ये खेल देख कर मेरी भी छूट में मानो आग लग गयी और कमसिन चूचियों पर मानो छींटियाँ रेंगने लगी.

मॅन तो किया की सब कुछ छ्चोढ़ कर, कपड़े उतार कर यही नंगी हो जौ, और अपनी मम्मी को भैया से चूड़ते हुए देख कर अपनी उंगलियों से अपनी छूट की प्यास बूझोउ.

लेकिन शरीफ मम्मी और भैया का ये रूप मैं मिस नही करना चाहती थी, इसलिए चुप-छाप साँस रोके उनको देखती रही, और रेकॉर्डिंग करती रही. यहा 2 बातें और मुझे माननी पड़ी.

एक तो भैया का बॉडी बिल्ड उप इतना मस्त है, की जो भी औरत या लड़की देखे वो 1 बार के लिए उनका लंड लेने के लिए मचल जाए. और दूसरा ये, की भैया को अपनी पार्ट्नर को तरसाने और तड़पने में बहुत मज़ा आता है, और उनका यही मज़ा लेने का तरीका यहा मम्मी को भी काम-सुख के लिए और भी ज़्यादा मतवाला बनाए जेया रहा था.

भैया जल्द ही मम्मी के पेट और नाभि को चूमते हुए उनकी चूचियों को मसालने लगे, और धीरे-धीरे उनकी टाँगो को फैला कर उनकी छूट में मूह लगा दिया. उनके ऐसा करते ही मम्मी ‘उई मा’ करके तड़प उठी. मम्मी की तड़प और उनके नंगे बदन को देख कर मेरी शर्मो हया जाती रही, और बड़ी बेशरम हो कर मम्मी के इस उमर में भी वैसे कटाव-कसाव वाले बदन को निहारने लगी.

काफ़ी देर बाद जब भैया ने छूट पर से मूह हटाया, तब बिस्तर और मम्मी की हालत देख कर समझ गयी की मम्मी शायद अब तक 2 बार झाड़ चुकी थी. भैया ने 1 कमीने-पन्न वाली मुस्कुराहट लिए मम्मी को 1 बार देखा, और फिर अपना पूरा ज़ोर लगा कर मम्मी को 1 झटके में पूरा पलट दिया.

अब मम्मी की मस्त गोल उभरी गांद भैया की हवासी आँखों के सामने नंगी पड़ी थी, और भैया के हाथ अपने आप उस मांसल गांद को दबोच कर उसके नंगे-पन्न का एहसास करने लगे.

भैया: वाह चाची, क्या मस्त बनाई हो इनको!

मम्मी: मैं कहा बनाई हू पगले. ये तो अपने आप ही बन गये है.

भैया: अपने आप इतना नही बन सकते, ज़रूर चाचा ने मेहनत की है.

मम्मी: धात्ट. उनका तो नाम ना ले. सिर्फ़ छूट में घुसने और दूध चूसने के अलावा और कुछ नही आता-जाता है उनको.

मम्मी की आवाज़ में उलाहना और गुस्से का मिला-जुला भाव लगा मुझे. और बड़ा झटका सा लगा मुझे, जब मैने मम्मी के मूह से ‘छूट में घुसने और दूध चूसने’ जैसी बात सुनी. आज तक जिस मम्मी को मैं बहुत ही मासूम और शरीफ समझती रही, वो तो बहुत ही पहुँची हुई दिख रही थी आज.

वैसे भैया जिस तरह से मम्मी के साथ फोरप्ले कर रहे थे, उससे मुझे भी 1 बार शक हो गया था, की शायद पापा को इतना सब कुछ करना नही आता होगा.

भैया मम्मी के उपर झुकते चले गये और उनके बालों को आयेज करके पूरी पीठ को चूमने और चाटने लगे. जब उनका मॅन भर गया, तब वो उठे, और मम्मी की टाँगो को फैलाया और पास रखे एक लोशन को अपने लंड के सुपरे पर आचे से लगा कर पीछे से ही मम्मी की छूट पर सेट किया. फिर बहुत आराम से धीरे-धीरे घुसने लगे. जब पूरा घुस गया, तब मम्मी की आँखें अचानक से बड़ी-बड़ी हो गयी और होंठ गोल हो कर खुल गये.

मम्मी: ऊहह, आहह! प्लीज़. आ. कितना बड़ा है रे तेरा.

भैया हंसते हुए बोले: सच में?

मम्मी के चेहरे पर तोड़ा दर्द दिखने लगा.

मम्मी: आह, ह्म, पूरा मत घुसा अभी.

इस पर भैया बोले: कैसी बात कर रही हो चाची. इतने दीनो बाद मौका मिला है, और तुम कह रही हो की पूरा मत घुसा! चिंता मत करो, मैं आचे से करूँगा.

मम्मी और कुछ कहती उसके पहले ही भैया लंड को आयेज-पीछे करने लगे. मम्मी दर्द से ‘सी-सी’ करने लगी. बीच-बीच में भैया को बोलती भी की धीरे करो, अब छ्चोढ़ दो, पर भैया तो सुनने को तैयार ही नही थे. मम्मी को पीछे से, आयेज से और यहा तक की उनकी मूह चुदाई भी बहुत ज़ोर-ज़ोर से की.

40 मिनिट तक उन दोनो का सेक्स का खेल चलता रहा. इतनी देर में दोनो ने 2 बार चुदाई कर ली. अंत में दोनो तक कर एक-दूसरे की बाहों में सो गये. मैं रेकॉर्डिंग बंद कर चुप-छाप, बड़ी सावधानी से कमरे से निकल गयी, और अपने कमरे में जेया कर सो गयी.

शाम में जब भैया और पापा सोफे पे बैठ कर त.व. देख रहे थे, तब मैं भी उनके साथ जेया कर बैठ गयी. संयोग से मैं भैया के पास वाली सोफा चेर पर बैठी. कुछ सेकेंड्स बाद भैया मेरी तरफ तोड़ा झुक कर बोले-

भैया: कैसा लगा पूरा खेल? अछा था?

कह कर मुझे देख कर मुस्कुराए. मुझे तो लगा की शरम और चोरी पकड़े जाने के दर्र से अभी के अभी यही ज़मीन में समा जौ. मैं बड़ी हैरानी से उनको देखी, और बिना कुछ कहे त.व. देखने लगी.

थॅंक योउ ऑल फॉर रीडिंग मी फर्स्ट स्टोरी आंड कॉमेंट करके ज़रूर बताना की ये कहानी कैसी लगी.

यह कहानी भी पड़े  चाची के साथ दिवाली की सफाई-1


error: Content is protected !!