दोस्तों माफी के साथ मैं एक बार फिरसे आ गया हू. एक लंबे समय के बाद आया हू, क्यूंकी आप सभी के लगातार एमाइल मिल रहे थे अपडेट के लिए. ज़्यादा समय ना लेते हुए सीधे कहानी पे आते है.
दोस्तों आपको हर पार्ट में मेरी सग़ी बेहन सुष्मिता के अलग रूप देखने को मिलेंगे.
एक बात तो है, हम अपनी मा बहनो के, उनके अंदर के असली रूप को नही जानते है. वो कैसी है, किस हद तक जेया सकती है. वो अपना असली रूप, अपने हज़्बेंड को भी नही दिखा पाती है. ताकि वाहा पे हज़्बेंड कुछ ग़लत ना समझ बैठे.
लेकिन हा, एक जगह ज़रूर अपना असली रूप दिखा देती है की वो किस लेवेल की रंडी होती है. और वो है उसका प्यार, उसका ब्फ. उनके सामने में वो रियल में खुल के आती है, जो वो अंदर से है.
आपने पिछले पार्ट में पढ़ा था, की रात में आयुष और दीदी चाटिंग पे बात कर रहे थे. फिर आयुष दीदी से बोलता है-
आयुष: तुम्हारे पापा बड़े दिन के बाद जॉब से घर पे आए है. तो अपनी मम्मी के रूम में देखना क्या हो रहा है.
मैं बता डू की मेरा घर 2 फ्लोर का है. ग्राउंड फ्लोर पे मम्मी पापा का रूम है, जबकि 1स्ट्रीट फ्लोर पे भैया-भाभी का रूम है. और मेरी दीदी का भी रूम उपर 1स्ट्रीट फ्लोर पे ही है. मेरी 2 दीदी का शादी हो गयी है. तो वो अपने ससुराल रहती है. और सबसे छ्होटी बेहन हॉस्टिल में रह कर के पढ़ाई करती है.
दीदी पेशाब करने के बाद धीरे-धीरे सीडीयों से नीचे की तरफ बढ़ने लगी, क्यूंकी आयुष ने बोला था.
घर के पीछे से एक गली है, जो घर के पीछे जाने के लिए छ्चोढी गयी थी. उस रात मैं और दीदी पीछे गली में चले गये. पीछे खेत है तो पापा-मम्मी को ज़्यादा टेन्षन नही रहती है उस खिड़की की. वो खिड़की खुली ही छ्चोढ़ देते थे. दीदी खिड़की के पास पहुँच जाती है. वाहा जो दीदी देख करके आयुष से आ कर के बाद में बताती है, वो सच में चौंकाने वाली बात थी.
दीदी वाहा पे 20 से 25 मिनिट्स तक सारी चीज़े देखती है, और फिर धीरे से हॅट के वापस अपने रूम में चली जाती है, और आयुष को मेसेज करती है.
दीदी: हेलो, कहा हो आयुष?
आयुष: कहा रही थी इतनी देर तक?
दीदी: तुमने ही तो बोला था पापा-मम्मी के रूम में देख कर के आना.
आयुष: तो क्या तूने देखा? बता ना क्या-क्या देखी?
दीदी तो पहले माना करती रही.
वो बोलती: नही आयुष, मैं नही बता सकती की क्या-क्या देखी हू.
लेकिन आयुष मानता नही है, और उसे बताने के लिए बोल देता है, और एक-दूं शुरू से.
आयुष: मुझे तुम वाहा का एक-एक सीन बताओ, की इतनी देर में तूने क्या-क्या देखा.
दीदी: अछा आयुष तुम मेरे पापा मम्मी की बातें क्यूँ पूच रहे हो?
आयुष: तुम्हारी मम्मी मेरी चाची है, और दिखने में भी बहुत ही खूबसूरत है. तो इसलिए मुझे जानना है की तू क्या क्या देखी.
दीदी: अछा तो सुनो. मैं जब नीचे गयी तो पापा-मम्मी दोनो बिल्कुल नंगे अपने बेड पे थे.
आयुष: क्या बात कर रही हो सुष्मिता! तुम्हारे पापा और मम्मी दोनो कैसे दिख रहे थे, तोड़ा डीटेल में बताओ ना.
दीदी: अभी मुझे शरम आ रही है. नही बता सकती.
फिर आयुष बहुत मानता है दीदी को, की वो बता दे पापा-मम्मी के बारे में. लेकिन दीदी वो सब बोलने में अभी भी शर्मा रही थी. क्यूंकी अभी दीदी और आयुष के बीच रिश्ता नही बना था, और किस वग़ैरा 2 से 3 दिन ही पहले से शुरू हुआ था.
आयुष लाख कोशिश करता है, की सुष्मिता से सारे राज़ उगलवा लू. लेकिन दीदी भी पता नही शर्मा रही थी, या आयुष को परेशन कर रही थी जान-बूझ के.
दीदी: अछा तुम मेरे पापा-मम्मी के बारे में जानने के लिए किस हद तक जाने को तैयार हो? क्या कर सकते हो जानने के लिए?
आयुष: कुछ भी बेबी. तुम जो बोलो सब कुछ करने को मैं तैयार हू.
दीदी: ठीक है तो अभी वेट करो सही टाइम की. मैं सब बता दूँगी.
आयुष: सही टाइम मतलब? क्या अभी टाइम नही है बताने का?
दीदी: अभी हम मिले है. इतनी स्पीड से तो बुलेट ट्रेन भी नही चलती जितनी स्पीड से हम दोनो आयेज जेया रहे है. तोड़ा सा टाइम दो मुझे अड्जस्ट होने में लगेगा.
आयुष भी समझ रहा था की अभी नया-नया ही गफ़ बनाया है, ज़्यादा दबाव देना सही नही रहेगा. और जब इतना बता दी है की अपने मम्मी-पापा को नंगा देखी है, तो शायद आयेज चल के पूरा का पूरा सीन ही बता दे. फिर आयुष बोलता है-
आयुष: अछा ठीक है जान. अब ये बताओ कल कहा चलॉगी?
दीदी: यार आयुष, पापा आए हुए है. बहुत दर्र लग रहा है.
आयुष: पापा कोचैंग जेया करके देखेंगे थोड़ी ना.
दीदी: लेकिन फिर भी शरीर काँप रहा है ये ही सोच के की पापा घर पे है.
आयुष: यार बहुत मॅन कर रहा है तुझे किस करने और चुचि चूसने का. चलो ना कल.
आयुष सच में दीदी से विनती करने लगा चलने को. दीदी भी आख़िरकार मान गयी और बोली-
दीदी: ठीक है चल लूँगी कल भी.
और फिर रात में थोड़ी बात होती है दोनो में, और सो जाते है. अगले दिन सुबह दीदी उठ करके तैयार होती है. क्यूंकी सुबह-सुबह ही दीदी को कोचैंग के लिए जाना होता था.
दीदी घर से निकल कर के आयुष को कॉल करती है की मैं घर से निकल गयी हू.
आयुष पहले ही घर से निकल गया होता है, क्यूंकी बगल में ही उसका घर था. तो आयुष कोई रिस्क नही लेना चाहता था, ताकि किसी को कुछ शक ना हो. आज कार में बैठ के जाते समय शुरू में ही आयुष दीदी के साथ शुरू हो जाता है. आज दीदी ने लोंग फ्रॉक और लेगिंग पहनी हुई थी.
आयुष: क्या-क्या पहनी हो सुष्मिता?
वाहा पे आयुष के 3 दोस्त आज भी थे.
दीदी: यही फ्रॉक, लेगैंग्स, और नीचे उंड़रगार्मेंट्स.
आयुष: ये लेगैंग्स उतार दो सुष्मिता.
दीदी: लेकिन आयुष, हम लोग रोड पे है. कोई देखेगा मुझे तो?
आयुष: फ्रॉक इतनी लोंग है किसी को क्या पता की अंदर में लेगैंग्स है या नही.
और फिर दीदी अपनी लेगैंग्स निकाल देती है.
आयुष: अपनी पनटी भी निकाल दो.
और दीदी कुछ देर सोच करके पनटी भी निकाल देती है.
दोस्तों मैं जानता हू की इस समय कहानी को नेक्स्ट पार्ट में कहने का मतलब आपके उपर क्या बीट रहा होगा. लेकिन स्टोरी हम ज़्यादा लंबी एक ही पार्ट में नही लिख सकते है.
इसलिए अब इससे आयेज और नेक्स्ट पार्ट में गरमा-गरम शुरुआत होगी. अगले पार्ट में दीदी का आज का नया रूप देखोगे. क्यूंकी आज आयुष शुरू से ही मूड में दिख रहा था.
आपका प्यार हमे मिलता रहे. मेरी एमाइल श्रीस्टीसिंघ1559@गमाल.कॉम पे आप ज़रूर मेसेज कीजिए, और अपना प्यार देते रहिए. ताकि हमे स्टोरी को आयेज लिखने में अछा लगे. तब तक के लिए आपसे विदा लेता हू, धन्यवाद.