लड़की का जी-स्पाट खोजा

वह इतनी गरमा गरम लड़की थी कि **** साल की उम्र में ही सोलह साल की दिखती थी। उसकी उभरी गांड, नुकीली चूचियां, मदमस्त जवानी किसी बुडढे को भी अपनी जवानी की याद दिला देती। उसके लाल लाल सेव जैसे उभरे गाल और पतली कमर तो बस देखने वालों की लंगोट टाईट कर देती थी। मैं भैया की ससुराल गया हुआ था और यह कयामत मैंने वही देखी। वह आके मेरे बगल में बैठ गई और मेरे तो मानों भाग्य खुल गए। ऐसी कन्या बिल्कुल गरमा गरम मसाला की तरह आकर बगल में बैठ जाए मेरी तो जिन्दगी की आधी ख्वाहिशें उसी समय पूरी हो गईं। वो बैठी ही नही भद्दे गरमा गरम मजाक करने लगी अचानक उसके हाथ मेरे कंधे पर आ गए। और मुझे छूने का अच्छा बहाना था उसका।फ़िर उसने मेरे शिश्न पर हाथ रख कर दबाना शूरू कर दिया था और अब मेरे अंदर का लावा गरमा गरम होने लगा था। मैंने उसकी जांघों पर हाथ फ़ेरा उसके पायजामे की रस्सी कस के बंधी हुई थी इसलिए मैने जल्दी में उपर से ही उसकी चूत को दबा दिया और मेरे अंदर एक उबाल सा आने लगा था और उसकी आंखे जैसे अंधेरे में बिल्ली जैसी चमकीली हो रही थीं। बस अब तूफ़ान आने ही वाला था और मैंने उसकी चूचियां अपने चुट्कियों में दबानी शुरु कर दीं। अचानक से मेरी भाभी की आवाज आई -”देवर जी खाना खा लीजिए डिनर तैयार है”

खाना खाकर हम सभी छत पर ही सो गए वो भी एक कोने में बिस्तर डाल के सोने का नाटक कर रही थी शायद। मैं थका था तो सो गया। नींद में ही मैने सपना देखा कि मैं उस कामिनी के चुंबन ले रहा हूं और वो मेरे लंड को सहला रही है। आनंदातिरेक में मेरी आंखे खुली तो देखता हूं कि मोहतरमा सच में मेरा लंड पकड के बैठी हैं । सपने को इतना जल्दी सच होते मैं पहली बार देख रहा था। अब बारी थी सपने को सच करने की। मैं उसको छत पर ही बने एक कमरे में ले गया। लाईट जलाई और उसको बेड पर लिटा दिया। अब वक्त था जन्न्त का दरवाजा देखने का। मैंने उसकी बिना झांटो की गरमा गरम चूत का नजारा देखा जो बाहर से एक अधखिली गुलाब की कली और अंदर से गुलाबों का गुलशन दिख रहा था। बस अपने लंड के भौरें को अंदर डाल कर उसे कली को फ़ूल बना देना था। लेकिन अभी दृश्य खत्म कहा हुआ था अभी तो ग़ांड के दर्शन करने थे। जब मैंने उसकी गांड देखी जो उसकी दूधिया त्वचा के बीच में कसैली के पिछ्वाड़े की तरह थी। बस कमी थी चूना लगाने की जिसे मेरा लंड बखूबी अंजाम देने वाला था।

यह कहानी भी पड़े  बाय्फ्रेंड के बड़े भाई ने चोदा

देखकर, छू कर,चाट कर, सूंघ कर, और गंदा सोचकर मजा लेने में मैं माहिर हूं। इसलिए अब मैंने उसे जगह जगह से सांड की तरह सूंघना शुरु किया।
मैंने अपनी नाक उसकी कांखों के बीच कर के उसकी ब्रा खोल दी।उसकी कांख से बदबू आ रही थी और मेरा मन किया कि इसे अभी पेल कर बदला ले लूं।फ़िर उसकी चूत सूंघी जो एकदम मस्त गंध दे रही थी। मैंने अपनी नाक उसकी गांड और चूत के बीच वाली जगह पर लाकर सटा दी यह बीच का हिस्सा काफ़ी गरमा गरम व गांड और चूत दोनो की खूश्बू थी वहां।
सूंघने से मेरा दिमाग बेकाबू हो गया और 69 की पोजीशन बना के अपने मुह मे उसकी गरमा गरम चूत ले ली और उसके कपड़े तेजी से लगभग फ़ाड़ते हुए उतार दिए। अपने कपड़े मैं पहले ही फ़ेक चुका था। मेरा तगड़ा लंड उसके मुह में अठ्खेलिया खेल रहा था जैसे कोइ हवाई जहाज ऐयरपोर्ट पर ही जाके लगता है वैसे ही वो उसके हलक से बार बार जाके टकरा रहा था और वह गूं गूं की आवाजे निकाल रही थी।मेरे लंड की खूश्बू और रस उसको अच्छा लग रहा था। कमाल की बात है मैं उसके चूत की फ़ांको को खोल कर उसके अंदर अपनी जीभ डाल रहा था और वो अपनी सिसकियां भी नही निकाल पा रही थी क्योंकि मेरा लंड उसके वायस सिस्टम को जाम कर चुका था।पेलते समय थोड़ा दुख दो तो मजा दूना हो जाता है। चूसते चूसते मैंने उसके चूत के अगले हिस्से को बिल्कुल ही गरमा गरम कर उसकी हवानिकाल दी। वो बेहाल हो रही थी और बस भीख मांग रही थी कि अब चोदो ! अब चोदो!

मैंने अपनी दों उंगलिया जोड़ी और उन्हे धीरे धीरे उसके गरमा गरम चूत के अंदर करने की सोची लेकिन ये क्या पता नही क्या हो गया और मैंने अपनी दोनों उंगलिया राकेट की तरह पेल दीं वो चिल्लाई और उछल पड़ी ।ऐसा लगता है कि उसकी हायमन झिल्ली पहले ही फ़ट चुकी थी। अब मैंने स्पर्श करना शुरु किया उसके चूत की आंतरिक दीवारों का जो बिल्कुल गरमा गरम थीं। लेकिन वो भी चुप नही बैठी थी और मेरा लंड समेत पूरा गाँड और अंड्कोष सारा लगातार चाटे जा रही थी जैसे कोइ भैंस अपने नये नये बच्चे को चाटती है। मैंने उसकी चूत में उंगली डाल कर जायजा लेना शुरु किया और मुझे जिसकी तलाश थी वो जगह मिल गई। जैसे ही मेरी उंगली उसके चूत के आंतरिक भाग पर उपर की तरफ़ स्थित खुरदरे हिस्से पर पड़ी मैंने जोर से वहा रगड़ा और वह विह्वल हो गई। बस मैंने अपनी उंगली बहुत बेरहमी से उसके चुत में उसी जगह– जो उसका “जी -स्पाट” था ,पर रगड़नी शुरु की। वह लगभग चिल्लाने लगी आह! आह! और मेरी बेदर्दी बढ्ती गई साथ में मैंने अपनी जीभ उसकी चुत के उपरी हिस्से में फ़ेरना जारी रखा। और खचर खचर लगभग 7 मिनट के बाद यह आवाज आनी शुरु हो गई थी उसकी चूत से। उसे लगा वो पेशाब करने वाली है वो चिल्लाने लगी हटो मुझे बाथरुम जाना है । मैं ने उसे सम्झाया जानू रुको अभी तो जन्न्त आने वाली है तुम मूतोगी नही। और जैसे ही खचर खचर की आवाज तेज हुई मैंने उन्गलियां हुक के स्टाइल में घुमा के जोर से रगड़ना शूरु कर दिया। मुश्किल से 65 सेकंड और बूम ! बूम ! बूम!

यह कहानी भी पड़े  बेस्ट दोस्त बनी गर्लफ्रेंड

चूत से पानी की तेज गरमा गरम धारा पिचकारी की तरह निकल कर मेरे चेहरे समेत चादर को भिगाती चली गई। इस अमृत का थोड़ा हिस्सा मेरी जीभ पर भी पड़ा जो मेरे लिए एक ईनाम की तरह था। और कामिनी? वो एकदम किसी बंद हुई मशीन की तरह शिथिल पड़ गई थी। चूत से पानी की धार अब भी टपक रही थी जो मेरे लँड को खुला आमंत्रण था बोटिंग़ करने का। और मेरा लंड अब बुरी तरह से चिंघाड़ रहा था । मैंने उसकी घोंड़ी बनादी और जैसे ही उसके चूतंडों पर हल्की चपत लगानी शुरू की कि दरवाजा खोलके कोई अंदर आया । पीछे पलट के देखा तो कामिनी के पापा खड़े थे। मारे डर के मेरा और कामिनी का हाल बुरा हो गया। इससे पहले कि वो कुछ बोलते मेरे लंड से गरमा गरम वीर्य का एक फ़व्वारा डर के मारे निकला और उनके मुंह पर जा पड़ा। मारे गुस्से के उनका चेहरा लाल हो गया।



error: Content is protected !!