लड़के ने अपनी मासी को पटा कर चोदा

हेलो दोस्तों नमस्कार. मैं एक बार फिरसे हाज़िर हू अपनी नयी कहानी लेकर. उमीद करता हू आपको पिछली कहानी पसंद आई होगी.

तो ये कहानी मेरे और मेरी सबसे छ्होटी मासी के बीच हुई चुदाई की है. मेरी मासी का नाम ज्योति है. उनकी हाइट 5’7″ है, वेट लगभग 60 क्ग है, और फिगर 34-36-32 है. वो दिखने में मधुरी दीक्षित जैसी लगती है. उनकी आगे 46 है, पर उन्हे देख के लगता है वो ज़्यादा से ज़्यादा 35 की होंगी.

ये बात तब की जब मैं पढ़ाई करने के लिए उनके घर में रह रहा था. तो बात तब की जब मेरे 12त के एग्ज़ॅम के बाद मम्मी ने मुझे मासी के घर भेज दिया ताकि मैं अपना 3 महीने का इंग्लीश स्पीकिंग कोर्स कर लू. फिर मैं उनके घर में रहने लगा.

शुरू में तो मैं नॉर्मल ही रहता था घर पे, और मेरी नज़र भी सॉफ थी उनपे. दिन आचे काट रहे थे. उनके दो बेटे थे, दोनो स्कूल चले जाते थे, और मोसा जी अपनी शॉप पे. तो मैं और मासी अकेले हो जाते थे घर पे.

दिन में अपना काम करके हम एक ही रूम में लेट जया करते थे खाना खा कर. उस समय इतना फोन्स का चलन नही था, तो हम ज़्यादातर टीवी ही देखते या बाते करते रहते थे. मेरी मासी काफ़ी जॉली नेचर की थी, तो हम खूब हस्सी-मज़ाक किया करते थे.

फिर आया वो दिन जिसने सब बदल दिया.

तो हुआ यू, की एक दिन मोसा जी और बच्चो के जाने के बाद मासी अपना सारा काम करके नहाने चली गयी, और मैं रूम में त.व देख रहा था. तभी मासी ने मुझे आवाज़ लगाई, और बोली की टवल रखा है बेड पर, वो मैं उन्हे दे डू.

तो मैने टवल उठाया, और उन्हे देने गया बातरूम के बाहर. उन्होने दरवाज़ा तोड़ा ज़्यादा खोल रखा था, जिससे मुझे उनका बदन दिख गया, और मैं शर्मा के वापस रूम में आके बैठ गया. पर उनका बदन मेरी आँखों के आयेज घूम रहा था.

थोड़ी देर बाद मासी नहा के आई और बेड पे बैठ गयी, बिल्कुल नॉर्मल होके, जैसे कुछ हुआ ही नही. तो मैं भी नॉर्मल हो गया. हम नॉर्मल बातें करने लगे. थोड़ी देर बाद मैं बातरूम गया तो वाहा मासी की ब्रा और पनटी तंगी हुई थी, जो उन्होने शायद नहाते टाइम उतरी थी.

मैने उसको अपने हाथ में लिया, तो मेरा लंड बिल्कुल टाइट हो गया, और ना चाहते हुए भी मैने उनकी पनटी में अपना मूह डाल दिया. मैं पनटी सूंघने लगा.

उसमे से एक मादक सी खुश्बू आ रही थी. फिर मैने उस पनटी को अपने लंड पे रख कर मूठ मारी. दोस्तों मैं बता नही सकता, की पहली बार मुझे इतना मज़ा आया था मूठ मार के.

मैने ब्रा पनटी को वापस वही रखा, और बाहर आ गया, और आ कर बैठ गया मासी के साथ. अब मेरा उन्हे देखने का नज़रिया बदल गया था. मैं अब उन्हे एक औरत की तरह देख रहा था, एक तर्की मर्द की निगाहों से.

ऐसे ही दिन बीतने लगे. अब ये मेरा रोज़ का हो गया था, उनके नहाने के बाद उनकी ब्रा-पनटी में मूठ मारना. पर अब मैं आयेज बढ़ना चाहता था, यानी उन्हे छोड़ना चाहता था.

पर समझ नही आ रहा था की ये कैसे होगा. क्यूंकी ज़रा सी चूक, और सब ख़तम. क्यूंकी रिश्ता ही ऐसा था. ना ही मुझे ऐसा कोई हिंट मिला था, जिससे मैं समझ साकु.

मेरे दिमाग़ में बस पूरा दिन यही चलता रहता था, की मैं कैसे उन्हे छोड़ूँगा. एक दिन मैं लोग खाना खा के लेते हुए थे, तो उन्होने मुझे कहा के उनके पैर में दर्द था, तो क्या मैं उनके पैर दबा दूँगा.

मैने बोला: हा क्यू नही.

तो वो सीधी होके लेट गयी. मासी घर में ज़्यादातर गाउन या पिजामा त-शर्ट ही पहनती थी. उस दिन उन्होने गाउन पहना हुआ था. मैं उनके पैर दबाने लगा. उनके पैर इतने गोरे थे, की मैं क्या बतौ.

पैर दबाते-दबाते उन्होने कहा की मैं आयिल लगा के मालिश कर डू उनके पैर की. तो मैं आयिल लेके आया, और उनके पैर पे लगा के मालिश करने लगा. तभी मैने उनसे कहा-

मैं: मासी आप गाउन तोड़ा उपर कर लो.

तो उन्होने उसको उपर कर लिया. फिर मैं तेल लगाने लगा उनके पैर पे. तेल लगते-लगते मैं उनके घुटने से उपर यानी जांघों तक आ गया. मुझे बड़ा अछा लग रहा था, और शायद मासी को भी. वो अपनी आँख बंद करके लेती थी, और मज़ा ले रही थी.

फिर उन्होने मुझे बस करने को कहा, तो मैं रुक गया, और बैठ गया वही पे. बस फिर क्या था. मैं तुरंत बातरूम में गया, और अपना कार्यक्रम चालू किया. आज मुझे मूठ करके ज़्यादा मज़ा आया.

पर दिमाग़ में अभी भी वही चल रहा था, की मैं कैसे छोड़ू मासी को. यही सोचते-सोचते मैं सो गया. फिर शाम को उठ कर मार्केट चला गया, और वापस आके खाना खा के सो गया.

नेक्स्ट दे वही रुटीन फिरसे. अब मुझसे रहा नही जेया रहा था. मैं किसी भी तरह मासी को छोड़ना चाहता था. दिन में लेती हुई मासी ने कहा-

मासी: मेरी कमर में बहुत दर्द है. तू दबा देगा क्या?

मैने बोला: हा क्यू नही.

तो मासी उल्टी होके लेट गयी. उस दिन उन्होने त-शर्ट और पिजामा पहना था. मैं उनकी कमर दबाने लगा, तो मुझे पता चला उन्होने ब्रा नही पहनी थी.

फिर उन्होने कहा: तेल लगा के मालिश कर दे.

तो मैं तेल लेने गया, और जब आया तो देखा वो त-शर्ट गले तक करके लेती थी.

उनकी नंगी कमर देख के मेरे पिजामा में तंबू बन गया था. फिर मैं बड़े प्यार से उनकी कमर की मालिश करने लगा. मुझे बहुत ज़्यादा मज़ा आ रहा था, और उन्हे भी.

मैं बीच-बीच में साइड से उनके बूब्स पे भी टच कर देता, जिसपे वो कुछ नही बोलती.

मैने उन्हे कहा: मासी, ऐसे साइड से दिक्कत हो रही है. मैं उपर आ जौ? फिर आचे से दबा दूँगा.

उन्होने कहा: हा.

फिर मैं उनके उपर बैठ गया, जिससे मेरा खड़ा लंड उनकी गांद में टच हो रहा था, और मैं उनकी कमर की मालिश कर रहा था.

इसमे हम दोनो को बहुत मज़ा आ रहा था. मैं धीरे-धीरे अपना लंड उनकी गांद में घिस रहा था. मेरा लंड अब बिल्कुल टाइट हो चुका था. मुझे पता नही क्या हुआ, और मैने अपने धक्को की स्पीड बढ़ा दी, और उनके उपर ही झाड़ गया. फिर मैं वाहा से भाग गया बातरूम में.

मुझे बहुत शर्मिंदगी हो रही थी की ये मैने क्या कर दिया. मैं बाहर आके उनसे नज़र नही मिला पा रहा था. उन्होने मेरी तरफ देखा, और बोली-

मासी: क्या हुआ?

मैने कहा: कुछ नही.

और आँखें नीचे कर ली. वो मेरे पास आई और बोली-

मासी: इट’स ओके. इस आगे में हो जाता है. पर तोड़ा ध्यान से, मैं मासी हू तेरी. कोई अपनी आगे की पटाओ बेटा.

और वो हासणे लगी. मुझमे थोड़ी हिम्मत आ गयी, और मैने कहा-

मैं: मुझे तो आप ही पसंद हो.

तो वो बोली: हॅट पागल.

मैं तो बुद्धि हू. मुझमे ऐसा क्या है?

तो मैने कहा: जो आप में है, वो किसी में नही है.

तो वो तोड़ा शर्मा गयी.

मैने कहा: आप बहुत सुंदर हो मासी सच में.

फिर हम लोगों का मस्ती मज़ाक ऐसे ही होने लगा. मैं उन्हे पीछे से पकड़ लेता. कितनी बार हग कर लेता, लेकिन वो कुछ नही बोलती. अब मुझे रहा नही जेया रहा था. अब तो मुझे अपना लंड उनकी छूट में डालना ही था.

फिर आख़िरकार वो दिन आ गया. एक दिन दोपहर में हम बैठे थे, तो उन्होने कहा-

मासी: मेरे कंधे में बहुत दर्द है. तोड़ा दबा दे प्लीज़. मैं उनके पीछे आके दबाने लगा. उन्होने अपनी आँखें बंद कर ली, और मज़ा लेनी लगी.

मैने कहा: मासी आप बहुत सुंदर हो.

वो हासणे लगी और बोली: अछा जी?

मैने कहा: हा सच में. आप बहुत सेक्सी हो.

तो वो बोली: सुंदर हू या सेक्सी?

मैने कहा: दोनो.

तो वो हासणे लगी.

मैने कहा: काश आप मेरी गफ़ होती.

तो वो कहती: अछा, फिर क्या करता अगर मैं तेरी गफ़ होती तो?

फ्ीओ मैने कहा: बतौ क्या करता?

उन्होने कहा: हा.

मैने कहा: गुस्सा तो नही करोगी?

तो बोली: नही.

मैने कहा: प्रॉमिस करो.

तो उन्होने प्रॉमिस किया. फिर मैने उन्हे पीछे से हग कर लिया, और उनके गाल पे किस किया. उन्होने कुछ नही कहा. फिर मैं गले पे किस करने लगा, तो उन्होने मुझे रोक दिया.

मैं तुरंत उनका हाथ पकड़ के बोला: आप ने प्रॉमिस किया है, की अपने बाय्फ्रेंड को रोकॉगी नही, ना गुस्सा होगी.

तो वो शरमाने लगी, और आँख बंद कर ली. इससे मेरा हौंसला पूरा बढ़ चुका था, और मैं उनके सामने आ गया. फिर बिना देरी किए मैं उनके लिप्स पे अपने लिप्स रख के किस करने लगा.

वो तुरंत पीछे हॅट गयी, और मुझे डाँटने लगी: तू पागल है? ये नही हो सकता. तू मेरे बेटे जैसा है.

मैने कहा: मासी आप मुझे बहुत अची लगती हो. मैं आपको प्यार करता हू.

पर उन्होने मेरी एक बात नही सुनी, और मुझे बोली-

मासी: चला जेया यहा से.

मैं दर्र गया और वाहा से निकल के दूसरे रूम में चला गया. पूरा दिन हमारी कोई बात नही हुई. मैं दर्र गया, की मासी अब सब को बता देंगी की मैने क्या किया था. पर ऐसा नही हुआ, और उन्होने किसी को कुछ नही बोला.

नेक्स्ट दे मैं दूसरे रूम में ही था, और नीचे उनके पास गया ही नही. थोड़ी देर में सारा कम ख़तम करके वो मेरे रूम में आई, और बोली-

मासी: तू नीचे नही आया आज?

मैने कहा: हा, बस ऐसे ही.

और नीचे मूह करके बैठा रहा. वो मेरे पास आई और बोली-

मासी: बेटा जो तू चाहता है, वो ग़लत है. मैं तेरी मासी हू, मा जैसी. तू मेरे बेटे जैसा है.

मैने कहा: मा तो नही हो ना? ना मैं आपका बेटा हू. आप एक औरत हो, और मैं एक लड़का बस.

तो उन्होने मेरे चेहरे को उपर किया और बोली: फिर भी ये ग़लत है. किसी को पता चल गया तो बहुत बदनामी होगी.

उनके ये बोलते ही मैं समझ गया की वो भी चाहती थी. बस तोड़ा दर्र रही थी. बस अब उनका ये दर्र निकालना था.

मैने कहा: मासी किसी को पता नही चलेगा. ये बात सिर्फ़ हमारे बीच रहेगी.

और ये बोल के मैं उनके करीब हुआ, और उनके दोनो गालो पर किस किया. मैने आँखों ही आँखों में उनसे लीप किस की मंज़ूरी माँगी, जो उन्होने मुझे अपनी नज़री झुका के दे दी.

बस फिर क्या था. मैं पागलों की तरह उन्हे किस करने लगा. वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी. फिर मैने उन्हे नीचे लिटाया, और उनके उपर आके उन्हे पागलों की तरह चूमने लगा. मैं कभी लिप्स पे, कभी गाल पे, कभी गले पे चूमता, और वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी.

फिर मैने उनकी त-शर्ट उतार दी. उन्होने ब्लॅक कलर की ब्रा पहनी थी, मेरा फॅवुरेट कलर. मैं ब्रा के उपर से उनके बूब्स दबाने लगा. वो बस आहें भर रही थी. फिर मैने अपना मूह उनके बूब्स पे लगा दिया ब्रा के उपर से ही.

एक हाथ पीछे ले-जेया के मैने ब्रा के हुक खोल दिए, और उनके बड़े-बड़े कबूतर आज़ाद कर दिया. इतने प्यारे गोरे-गोरे बूब्स देख के मेरे मूह में पानी आ गया. मैं उनपे टूट पड़ा और चूसने लगा.

मासी बस अयाया अयाया कर रही थी. अब मैं चूमते-चूमते नीचे पेट पे आ गया, और उनकी नाभि पे किस करने लगा, जिससे वो और ज़्यादा तड़प गयी. उन्होने मेरा मूह अपने पेट पे दबा दिया.

अब मैने उनका पिजामा उतार दिया. उनकी पनटी बिल्कुल गीली हो रही थी. उसमे से इतनी प्यारी खुश्बू आ रही थी, जिससे मैं मदहोश हो गया. मैने बिना देरी किए उनकी पनटी उतार दी, और छूट चाटने लगा. जैसे ही मैने अपनी जीभ डाली मासी उछाल पड़ी.

उन्होने मेरा सर अपनी छूट में दबा दिया. मैं पागलों की तरह छूट चाटने लगा. 10 मिनिट बाद मासी झड़ने लगी, और सारा नमकीन पानी मैं पी गया. अब बारी थी ब्लोवजोब की.

मैने मासी को उठाया, और अपना लंड उनके मूह के पास ले गया. मासी मेरे लंड को लोलीपोप की तरह चूसने लगी. मैं सातवे आसमान में था. मासी बहुत अछा लंड चूस्टी थी. थोड़ी देर में मेरा माल निकला, जो की मैने मासी के कहने पर उनके बूब्स पे निकाला.

अब बारी थी मासी को छोड़ने की. मैने उन्हे नीचे लिटा के अपना लंड उनकी छूट पे रखा, और आराम-आराम से झटके मारने लगा. हम दोनो खूब एंजाय कर रहे थे.

मासी: अया अया आ हर्ष अया, ऐसा मज़ा मुझे आज तक नही आया अया.

हर्ष: अयाया मासी, मुझे भी आ. मैं आपका दीवाना हू मासी.

मासी: आ अया, और छोड़ आ छोड़ मुझे.

मैं लगातार उन्हे छोड़ता रहा, और लगभग 20 मिनिट छोड़ने के बाद मैं झड़ने वाला था. फिर मैने उनसे पूछा-

मैं: कहा निकालु?

तो उन्होने कहा: मेरे अंदर ही निकाल दे.

मैं अपना माल उनके अंदर निकाल के उनके उपर लेट गया, और उन्हे किस करने लगा. थोड़ी देर में मेरा लंड फिरसे तैयार हो गया उन्हे छोड़ने के लिए.

तो मैं उन्हे डॉगी बना के फिरसे उनके उपर चढ़ गया, और खूब छोड़ा. फिर मैं जीतने दिन वाहा रहा, रोज़ उन्हे दिन भर छोड़ता था. आज भी जब भी हम मिलते है, मैं उनकी छूट और गांद दोनो मारता हू.

नेक्स्ट पर में बतौँगा, की कैसे मैने उन्हे गांद मारने के लिए मनाया.

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