हैलो जी, इस भाभी की चुदाई कहानी में आपका स्वागत। मेरा नाम निकिता है। मैं लगभग 39 साल की मस्त बिंदास लेडी हूं। मेरा बदन भरा-भरा सा है। मेरी गौरी-गौरी कलाईयां, उठी हुई गांड, टाइट कसे हुए बोबे, मखमल सा पेट, किसी भी लंड मे आग लगा सकता है।
मेरे बूब्स लगभग 34″ साइज के है। जिनका उभार ब्लाउज में से बहुत ज्यादा नज़र आता है। मेरी कमर लगभग 32″ साइज की और मस्त शानदार गांड लगभग 34″ साइज की है। मेरे चूतड टाइट गोल गोल से है।
हमारे घर में दो रूम खाली थे। तभी एक फैमिली को हमने एक रूम किराया पर दे दिया। हसबैंड जॉब में था, और उसकी वाइफ हाउसवाइफ थी। नवीन लगभग 25 साल का मस्त जवान लड़का था। मेरी लाइफ में सब अच्छा चल रहा था। मैं मेरे पति के लंड की ठुकाई से खुश थी। इसी बीच नवीन की वाइफ प्रेगनेंट हो गई, और फिर नवीन उसे उनके गांव में छोड़ आया।
अब नवीन अकेला ही रूम पर रहता था। मैं कभी-कभी खाना बनाने में नवीन की हेल्प कर देती थी। अब धीरे-धीरे हमारे बीच नजदीकियां बढ़ रही थी।
नवीन कभी-कभी मेरे साथ हसी-मजाक कर लेता था। मैं सिर्फ मुस्कुरा कर रह जाती थी। अब एक दिन नवीन ने बातों ही बातो में कहा “भाभी जी आप बहुत सुंदर हो।”
तभी मैंने मुस्कुराते हुए कहा “अच्छा!”
“हां भाभी जी।”
“अरे नवीन जी आप तो मेरी झूठी तारीफ कर रहे हो।”
“नहीं भाभी जी। मैं सच कह रहा हूं। आप सच में बहुत सुंदर हो।”
“अच्छा! लेकिन आपके भैया ने तो कभी मेरी तारीफ नहीं की।”
“अब भैया को आपकी तारीफ करने का ही टाइम कहां मिलता है?”
“हां यार।”
अब नवीन रोजाना मेरी ऐसे ही तारीफ करने लगा। मैं उसकी बाते सुन कर बहुत खुश होती थी और मेरी जवानी पर इतराती थी। अब एक दिन नवीन ने कहा, “भाभी जी आपसे एक बात कहूं?”
“हां बोलो ना नवीन जी?”
“भाभी जी। आजकल मैं बहुत अकेला हूं यार। बहुत बोर हो रहा हूं। क्या आप मेरी दोस्त बनोगी?”
“यार मैं आपकी दोस्त कैसे बनू? मैं तो आपसे बड़ी हूं।”
“भाभी जी। दोस्ती में बड़ा-छोटा कुछ मैटर नहीं करता है। बस इच्छा होनी चाहिए।”
“अरे यार लेकिन…।”
“भाभी जी ज्यादा मत सोचो। बन जाओ ना प्लीज़।”
फिर नवीन बार-बार मुझसे कहने लगा तो मैंने हां कर दी। अब हम किरायेदार और मालकिन से दोस्त बन गए थे। अब हमारे बीच कॉल और मैसेज पर गहरी बाते होने लगी। अब वो मुझे भाभी जी के बजाए निकिता ही कहने लगा। मैं भी उसे नवीन जी से नवीन कहने लगी। अब हम धीरे-धीरे खुलने लगे।
“निकिता यार तुम बहुत ही मस्त हो। भैया को तो मजा आ जाता होगा?”
“तेरे भैया तो कुछ नहीं कर पाते है यार।”
“तो फिर तू केसे काम चलाती है यार?”
“बस ऐसे ही चलता है यार।”
नवीन हर बार मेरे जिस्म की तारीफ करता रहता था। अब एक दिन मैं उसके कमरे में झाड़ू लगा रही थी। तभी नवीन आया और उसने मेरी गांड में जोर से चपेड़ मार दी।
“बहुत ही मस्त है निकिता तेरी तो।”
तभी मैं एक-दम से चौंक गई।
“यार लेकिन तेरे भैया देख लेते तो?”
“अरे भैया तो नहाने गए है।”
अब हमारे बीच सब कुछ ऐसे ही चलने लगा। अब एक दिन मैं नहाने के बाद कपड़े पहन रही थी। उस टाइम मैं ब्लाउज और पेटीकोट में खड़ी थी और साड़ी मेरे हाथ में थी। तभी नवीन आ गया। अब मैं नवीन के सामने शर्म के मारे पानी-पानी हो रही थी, लेकिन करती भी क्या?
तभी नवीन मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया, और नवीन ने मेरे बूब्स पर हाथ रख दिए।
“तेरे आम तो बहुत ही मस्त है यार। भैया तो निचोड़ देते होंगे इन्हें।”
लेकिन मैं चुप रही। तभी नवीन ने कहा, “निकिता एक बात कहूं?”
“हां बोलो नवीन।”
“आप कैसे संभालती होगी इन्हे?”
“बस ऐसे ही सम्हाल लेती हूं यार।”
“अगर आप कहो तो मैं सम्हाल लूं आपके।”
“नहीं यार नवीन।”
अब नवीन मुझे पटाने की कोशिश कर रहा था। लेकिन मैं नवीन के आगे झुक नहीं रही थी। फिर नवीन मुझे प्यासी निगाहों से देख कर चला गया। अब मुझे देख-देख कर नवीन की प्यास बढ़ती जा रही थी। अब मुझे अच्छे से समझ मे आ गया था कि नवीन मुझे पेलना चाहता था। इधर मैं भी मेरे पति के लंड से बोर हो रही थी। तो मुझे भी नए लंड की तलाश थी।
अब जब अगले दिन मैं नवीन के रूम में झाड़ू लगाने गई, तो नवीन ने मुझे दबोच लिया। तभी नवीन ने मुझे उसकी तरफ खीच लिया, और मेरे होठों को उसके होठों में दबा लिया। अब मैं उसके होठों को दूर हटाने की कोशिश करने लगी, लेकिन नवीन मान नहीं रहा था। अब कमरे में हम दोनो के बीच में भयंकर उठा-पटक हो रही थी। अब नवीन मेरे बूब्स को दबाने लगा। तभी मैं कसमसाने लगी। इधर नवीन मेरे रसीले होंठों को बुरी तरह से चूस रहा था।
अब मैं धीरे-धीरे गर्म हो रही थी। तभी नवीन मेरे होंठो को रगड़ते हुए मेरी गांड मसलने लगा। इधर मेरे पति अभी छत पर ही थे। मेरी डर के मारे गांड फट रही थी। अब नवीन ने मेरे बूब्स को जोर से दबा दिए और मुझे उठा कर बेड पर पटक दिया। तभी मैं वापस उठने लगी।
“यार नवीन, क्या कर रहा है? ऐसे मत करो।”
“अरे यार करने दो निकिता। मैं बहुत प्यासा हूं। आज तो प्यास बुझाने दो।”
“नहीं यार नवीन, ये अच्छी बात नहीं है।”
“सब अच्छा ही है निकिता।”
तभी मैं पलंग से नीचे उतरने लगी लेकिन नवीन ने फिर से पलंग पर पटक दिया।
“नवीन जी क्या कर रहे हो यार?”
“भाभी जी अब ज्यादा नाटक मत करो।”
तभी नवीन मेरी चड्डी खोलने की कोशिश करने लगा। अब मैं शर्म से पानी-पानी होने लगी।
अब मैं चड्डी को बचाने की कोशिश कर रही थी, और मैं नवीन मेरी चड्डी खोलने की कोशिश कर रहा था। मैं मेरी चड्डी बचाने के लिए पूरा जोर लगा रही थी।
“नवीन यार मत खोल।”
“आपकी चड्डी खोलूंगा तभी तो आपकी चूत मिलेगी।”
“अरे यार आप भी बहुत जिद्दी है।”
तभी नवीन मेरी चड्डी उतार कर जांघो तक खिसका ली, और फिर चड्डी खोल ही फेंकी।
“नवीन यार… रहने दे ना।”
“नहीं भाभी जी। आज मैं नहीं रहने दूंगा।”
अब नवीन ने तुरंत लंड बाहर निकाल लिया। तभी मेरी नज़रें नवीन के मोटे तगड़े लंड पर पड़ी। अब नवीन ने मेरी टांगे खोल दी और मेरी चूत में लंड सेट करने लगा।
“यार नवीन जी रहने दो। अंकित के पापा यहीं है।”
“वो नहीं आयेंगे अभी।”
अब नवीन मेरी चूत में लंड सेट करने की कोशिश कर रहा था, लेकिन मैं नवीन को मेरी चूत में लंड सेट नहीं करने से रही थी। तभी मेरे पति की आवाज आई।
“निकिता, जरा यहां आना।”
अब मैंने झट से नवीन को धक्का मारा, और वहां से चली गई। फिर नवीन जॉब पर चला गया और फिर थोड़ी देर बाद मेरे पति भी शॉप पर चले गए। अब मैं घर पर अकेली थी और काम कर रही थी। तभी थोड़ी देर बाद नवीन वापस आ गया। अब मैं समझ गई थी कि अब मेरी चूत की ठुकाई होना पक्की थी।
अब नवीन ने मुझे गोद में उठाया, और मेरे बेडरूम में लाने लगा।
“नवीन जी यार। कोई देख लेगा।”
“अब अपने अलावा कोई नहीं है घर में।”
“लेकिन यार फिर भी।”
“अब भाभी जी। ज्यादा नखरे मत दिखाओ और चोदने दो।”
तभी नवीन ने मुझे बेड पर पटक दिया और मेरे ऊपर चढ़ गया।
इसके आगे इस भाभी की चुदाई कहानी में क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा।