कामुकता कहानी कमसिन मोनिका

kamukta kahani kamsin monika जब मैं कॉलेज में था तब एक क्लासमेट राहुल मेरा मित्र बन गया। मैं कमरा लेकर रहता था।

एक दिन राहुल ने मुझसे पूछा कि क्या वह मेरे कमरे पे एक रात बिताने के लिए अपने साथ नई दोस्त ला सकता है?

मुझे पता था कि राहुल अपने कॉलेज में एक लड़की को डेट कर रहा था, वह बहुत आतुर लग रहा था, राहुल ने बताया कि वो बहुत उत्तेजित है क्योंकि उसकी गर्लफ़्रेन्ड रात उसके साथ बिताने को तैयार है। तो मैंने हाँ कर दी और राहुल ने अपनी दोस्त को बता दिया कि इन्तजाम हो गया है।

रात में 9 बजे, राहुल अपनी प्रेमिका के साथ आ गया। उसका नाम मोनिका था, वह बहुत सुन्दर थी। पहली नज़र में देखते ही वो मुझे पसंद आ गई थी। मैंने मन ही मन सोचा कि राहुल जैसे बेवकूफ को इतनी अच्छी लड़की कैसे मिल गई, बड़ा किस्मत वाला निकला राहुल तो !

मोनिका ज्यादा लम्बी नहीं थी, लेकिन उसके डी आकार के चुच्चे एक मिसाइल की तरह तने हुए थे। उसके कूल्हे छोटे थे, वक्ष के हिसाब से बहुत छोटे थे, पर उसका फिगर इतना अच्छा था कि अच्छे अच्छों के होश उड़ जायें। उसने सफेद रंग की टीशर्ट पहनी थी जो कि मुश्किल से उसे बड़े उभारों को छुपा रही थी, और काली स्कर्ट पहनी थी।

“अरे कर्ण…. क्या हो रहा है? मुझे आने में देर हो गई, यह है मोनिका !” राहुल बोला।

मैंने कहा- हेलो, मैं कर्ण, तुमसे मिल कर खुशी हुई !

जब उसने मुझसे हाथ मिलाया तो उसके हाथ बहुत नाजुक और नर्म थे।

“आख़िरकार हम मिल ही गए, राहुल आपकी बहुत तारीफ करता है !” मैंने कहा।

यह सुनते ही मोनिका मुस्कुराने लगी।

मैंने मोनिका को बैठने को कहा। मैंने देखा, मोनिका जैसे ही बैठी, उसकी गोरी चिकनी जांघों के बीच मुझे काले रंग की पैंटी दिख गई। यह देखकर मैं कुछ उत्तेजना से विचलित सा हो गया।

मैंने उन्हें कोल्ड ड्रिन्क पेश किया ही था कि राहुल मेरे कान में फ़ुसफ़ुसाया- अरे, कर्ण… मैं तुम्हारा बिस्तर उपयोग कर सकता हूँ?

मैं जलन भरी मुस्कान के साथ उसे देखते हुए मजाक में बोला- हाँ… लेकिन चादर गन्दी मत करना !

कह कर मैं बाहर घूमने निकल गया ताकि उन दोनों को एकान्त मिल सके !

मैं आध-पौन घन्टे बाद वापस आया तो देखा, राहुल बाहर अपनी कार के पास खड़ा मेरी प्रतीक्षा ही कर रहा है।

मैंने पूछा- अरे राहुल… तुम जा रहे हो?

“मुझे अभी घर जाना है… मेरे पापा का फ़ोन आया है अरे यार, मुझे जाना होगा लेकिन मैं जल्दी वापस आता हूँ।”

“हाँ ठीक है !” मैं अपने कमरे की तरफ जाने लगा।

मैं अपने घर में चला गया और देखा मोनिका बिस्तर पर बैठी टीवी चैनल आगे पीछे करके देख रही है।

“अरे…आप? राहुल चला गया !” मोनिका ने कहा।

“राहुल मुझे बाहर मिला है, मैंने उससे बात की… कह रहा है कि जल्दी वापस आ रहा है।”

मैंने मोनिका से बीयर के लिए पूछा, उसे एक बीयर पकड़ाई और खुद भी एक बीयर लेकर उसके बगल में बैठकर टीवी देखने लगा।

टीवी बकवास दिखा रहा था।

जब मोनिका बीयर पीने के लिए हाथ ऊपर उठाती तो नीचे बगल से मुझे उसने स्तनों की एक झलक मिली। पर उसने मुझे उसकी ओर देखते पकड़ लिया। जिस तरह से मैं उसे घूर रहा था, मुझे लगा कि मेरी हरकत ने उसे असहज कर दिया।

मैंने यह कहकर अपना बचाव किया- मोनिका, इसके लिए मैं माफ़ी चाहता हूँ।

“ओह, नहीं ! कोई बात नहीं, ये बहुत अच्छे हैं ना?” उसने कहा।

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मुझे खुशी हुई कि मोनिका को बुरा नहीं लगा और वो खुले विचारों की है।

मैंने और हिम्मत की- तो मेरे जाने के बाद तुमने और राहुल ने क्या किया…?

मैंने उसके मन को टटोलने की कोशिश की।

“बहुत ज्यादा नहीं !”

“पूछने के लिए गुस्ताखी माफ़, लेकिन राहुल ने कहा था वह मेरे बिस्तर का उपयोग करना चाहता है…?”

“मुझे लगता है कि आपका मन नहीं था जाने का..?” वह शरमाते हुए बोली।

“नहीं… बिल्कुल नहीं.. तो, क्या तुमने वो सब किया?”

थोड़ी देर सोचते हुए कहा- नहीं… हमने बस थोड़ा किस वगैरा ही किया था कि फोन आ गया।

उसके स्वर में निराशा झलक रही थी।

“क्या तुम गीली हो..?”

“क्या आप… क्या मतलब है?” उसने धूर्ततापूर्ण मुस्काते हुए कहा।

“तुम्हारी योनि अभी भी गीली है…?”

“हाँ शायद…!”

उसके बाद उसने जो कहा, मुझे उसकी उम्मीद नहीं थी, उसने पूछा- क्या तुम्हारा खड़ा है?

“पता नहीं, शायद ! तुम… देखना चाहोगी?”

उसने एक पल के लिए सोचा और जवाब दिया- अच्छा ठीक है, दिखाओ…!

मुझे अंदाज़ा नहीं था कि मोनिका मजाक कर रही है या सच में चाहती है, मैंने तुरंत अपना खड़ा लौड़ा बाहर निकाल लिया। उस समय तक वो पूरा 7 इंच का हो गया था।

मैंने उसकी आँखों में आश्चर्य देखा…

वो अपने होंठों को लालच से अपने दांतों से दबाने लगी।

मैंने बिना कोई देरी किया उसका हाथ पकड़ा और अपने लण्ड पर रख दिया।

उसने भी बिना किसी हिचक के उसे पकड़ लिया तो अब मैंने उसकी टीशर्ट ऊपर खींच लिया, उसके भारी स्तनों को मैं चूसना चाहता था।

तेजी से झटके के साथ मैंने उसकी ब्रा भी ऊपर सरका कर उसके दूधिया सफेद स्तन नंगे कर दिए और उसके नरम नरम से गुलाबी से निपल्स को मैं उंगलियों से दबाने लगा।

मैं अब और इंतजार नहीं कर सकता था तो मैं अपने घुटनों के बल बैठ गया और मुंह में उसके प्यारे से नरम नरम निप्पल चूसने लगा, साथ में मैं अपनी जीभ उसके उभारों के बीच घुमाने लगा।

“अम्मम्मम्म !”

अब उसे जोश आ रहा था वो सिसकारियाँ भरने लगी।

मैं उसकी चूचियों पर अपना दबाव बढ़ाता गया और अपने एक हाथ को मैंने उसकी स्कर्ट के अन्दर घुसा दिया तो महसूस किया कि उसकी चूत से निकल रहे पानी के कारण उसकी पैंटी गीली होने लगी थी।

“अह्ह्ह्हह्ह !” थोड़ा जोर से मोनिका कराही- मुझे लौड़े का स्वाद चखने दो !

वह जल्दी से नीचे झुकी और अपना बड़ा सा मुँह खोला और मेरे लौड़े को अपने मुँह में लिया और उसका स्वाद चखने लगी।

पहले तो उसने धीरे से चूसा, पर उसकी जीभ दबाव बढ़ा रही थी और वो तेजी से चूसने लगी।

तभी अचानक मेरी नज़र उसकी पैन्टी पर पड़ी, मैंने अपनी उंगलियाँ उसकी पैंटी की इलास्टिक में डाली और पैंटी उसकी मक्खन सी जांघों पर से सरकती हुई घुटनों से नीचे आ गई।

मैं उसकी योनि को जोर से रगड़ने लगा, उसकी सीत्कारें सुन कर मैंने अपने हाथ की गति बढ़ा दी, मुझे एहसास हो गया था कि अब वो जल्दी चरम सीमा पर पहुँच जाएगी पर… मैं तो उसकी मक्खन जैसी चूत को रगड़ रगड़ कर चोदना चाहता था इसलिए मैंने अपना प्यारा सा लौड़ा उसके मुंह से निकाल लिया और अपने आप को उसकी टांगों के बीच ले गया।

उसे घबराहट होने लगी थी… और वह अपनी जांघों को बंद करने लगी- नहीं… मुझे लगता है कि… मैं नहीं नहीं ! मैं नहीं…! तुम नहीं कर सकते !

मेरा लौड़ा अब मुझसे नहीं संभल रहा था, अब बस उस मक्खन जैसे चूत के अन्दर जल्द से जल्द जाना चाह रहा था पर वो मना कर रही थी, इसलिए मैंने कहा- चलो… ठीक है ! ..लेकिन मुझे लगता है तुम्हारी चूत कुछ और ही चाहती है, वो शायद मेरा लण्ड अपने अन्दर चाहती है।

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“नहीं, मैं उत्तेजना वश यह सब कर गई ! मैं अभी भी एक कुंवारी हूँ, मैं यह राहुल को अपनी विर्ज़िनिटी देना चाहती हूँ…” उसने विनती की।

“अच्छा तो मुझे अपनी चूत चूसने दो बस…” कहते तभी मैंने अपने हाथों से उसकी जांघें फ़ैलाने की कोशिश की।

उसने अपने पैर फैला दिए, मैंने जल्दी से अपनी जीभ उसकी चूत पर रख दी।

मैंने मोनिका का चेहरा पकड़ा और अपने लौड़े पर झुका दिया। उसने मेरे लण्ड को अपने होठों में दबा लिया।

मैंने अपनी एक उंगली उसकी योनि में घुसाने की कोशिश की कि वो जोर से चीखी- अह… हई… मर गई… मत करो !

लेकिन मैं एक तेज झटके के साथ चूत में अपनी पूरी उंगली घुसा दी, शुरु में चूत में उंगली जाने में दिक्कत आई लेकिन फिर उसकी गीली चूत ने उसे अपने अन्दर समा लिया।

“अह अम्मह… आह, दर्द हो रहा है !”

लेकिन मैं जनाता था कि उसे मजा आ रहा है तो अब मैंने तेजी से उंगली अन्दर बाहर करने लगा।

उधर मोनिका सिसकारियाँ भरते हुए लगातार पूरे जोश से मेरा लौड़ा चूस रही थी।

मैं जानता था कि मैं ज्यादा टिकने वाला नहीं था, “अह, मोनिका अब मेरा गिरने वाला है !”

मैं जानता था कि मैं कुछ सेकंड ही दूर था झड़ने से, मैंने अपना लण्ड उसके मुख से बाहर खींच लिया कि तभी अचानक… उसकी आँखें फटी की फटी रह गई एक के बाद एक झटके के साथ… मेरे लण्ड ने उसके चेहरे पर मलाई की बारिश सी कर दी।

“मुझे माफ़ कर दो मोनिका, मैं खुद को रोक नहीं पाया !”

उसने कहा- कोई बात नहीं !

आगे जो उसने कहा, मैं सुन कर भौंचक्का रह गया, उसने कहा- वैसे मैं आज चुदवाने ही आई थी। राहुल या तुम, उससे मुझे खास फर्क नहीं पड़ता, पर क्योंकि मैं तुम्हें नहीं जानती थी इसलिए मैं तुम्हारी साथ करने में घबरा रही थी। पर कोई बात नहीं जो हुआ, ठीक है।

अब वह पूरे मज़े लेने के मूड में आ गई थी, उसने मेरा लौड़ा खूब चूस चूस कर साफ़ कर दिया। मैंने उसके चहरे पर से अपने वीर्य को उंगली पर लेकर उसके होंठों पर लगाया तो वो उसे भी जीभ से चाट गई। उसे देख कर ऐसा बिल्कुल भी नहीं लग रहा था कि उसने आज से पहले कभी ऐसा नहीं किया है।

हम दोनों को अब खूब मज़ा आ रहा था, अब मैं उसकी चूत मारने को लालयित था पर तभी मोनिका के फ़ोन पर राहुल का फ़ोन आ गया, उसने कहा कि वो दस मिनट तक पहुंच रहा है।

मोनिका और मैंने जल्दी से अपने को ठीक-ठाक किया और राहुल का इन्तज़ार करने लगे।

पर राहुल ने आने में आधा घण्टा लगा दिया, इस वजह से मोनिका उससे बहुत नाराज़ थी, अब वो घर जाना चाहती थी उसे देर हो रही थी। इसलिए राहुल अपना मन मारते हुए उसे उसके होस्टल छोड़ने जाने लगा।

मोनिका ने मुस्कुरा कर मुझसे विदा ली, कहा- तुम से मिल कर अच्छा लगा ! फिर मिलेंगे।

अब मोनिका और मैं काफी अच्छे दोस्त हो गए थे और हमारा मिलना जुलना आम हो गया था, मैं और मोनिका एक दूसरे को पसंद करने लग गए थे और साथ में चुदाई करना चाहते थे, मुझसे ज्यादा मोनिका को चुदाई का शौक चढ़ गया था।



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