सुबा जब मेरी आँख खुली तब देखा मम्मी मुझे जगा रही थी.
मम्मी: उठ भी जेया नालयक. सोता ही रहेगा अपने बाप की तरह?
मम्मी बहुत गुस्से में लग रही थी. मैं समझ गया था, की मम्मी पापा पर गुस्सा हो रही थी. मम्मी गुस्से में बड़बड़ करने लगी थी. तभी पापा अंदर आए और मम्मी से बोले-
पापा: तुम्हारा दिमाग़ खराब हो गया है क्या सुबा-सुबा? झगड़ा करने के मूड में हो?
मम्मी ( गुस्से में): झगड़ा मैं कर रही हू या आप? सिर्फ़ पीने को चाहिए इनको बस.
पापा: तेरे बाप की नही पी रहा था.
मम्मी ( गुस्से में ): मूह संभाल कर बात करो.
पापा: मदारचोड़ रंडी.
पापा ने गुस्से में मम्मी को ज़ोर से थप्पड़ मार दिया. मम्मी गुस्से में पापा को आँख दिखाने लगी. मम्मी की आँखों में आँसू आ गये.
मैं: पापा क्या कर रहे हो आप?
पापा: रंडी जब देखो तब झगड़ा करने लग जाती है.
गुस्सा करते हुए पापा बाहर चले गये. और मम्मी गुस्से में पापा को भी गालियाँ देने लगी.
थोड़े दिन तक मों और पापा ने बात भी नही की. फिर एक दिन रात को पापा वाइन पी कर आए, और मम्मी से झगड़ा करने लगे. मम्मी भी गुस्से में पापा को अनाप-शनाप बोलने लगी. आंड उस दिन भी पापा ने गुस्से में मम्मी को थप्पड़ मार दिया.
मम्मी (गुस्से में ): बस बहुत हो चुका. बहुत बर्दाश्त कर चुकी हू मैं. नही रहना मुझे तुम्हारे साथ.
पापा: हा, तो जेया यहा से, रंडी.
मम्मी: हा-हा जेया रही हू.
फिर मम्मी रोटी हुई बाहर जाने लगी.
मैं: मम्मी क्या कर रही हो? पागल हो गयी हो?
उसके बाद मैने भैया को कॉल करके सब बता दिया. दूसरे ही दिन भैया और भाभी घर आ गये. रवि भैया पापा को बहुत समझने लगे, और मम्मी को भी समझाया.
भैया: ये सारे फ़साद की जड़ ना वो रफ़ीक अंकल है. जब से उनसे बात-चीत करने लगे हो, तब से आप दोनो के बीच झगड़े होने लगे.
मैं: हा पापा और मम्मी, भैया सही कह रहे है. ये सब उनकी वजह से हो रहा है.
भैया: रोहन का भी वाकेशन आ गया है, इसलिए मों और पापा हम सब थोड़े दिन बाहर रहेंगे, और उसके बाद तुम्हारी बहू की डेलिवरी होने वाली है. तो उसको आप अपने साथ ले आना.
पापा और मम्मी भैया के सामने कुछ बोले नही. उसके 4 दिन बाद ही हम लोग घर लॉक करके भैया के साथ चले गये.
यहा आने के बाद मम्मी और पापा दोनो में फिरसे बातें होने लगी. और दोनो का गुस्सा भी शांत हो गया था. करीब एक महीने बाद हम लोग वापस हमारे घर आ गये. और इस बार भाभी हमारे साथ आई थी. क्यूंकी भाभी प्रेग्नेंट थी, इसलिए मम्मी उसका ख़याल रखने लगी.
वैसे तो भाभी ही सारा काम करती थी घर का, लेकिन मम्मी उसको ज़्यादा काम नही करने देती थी. पापा भी अपने काम पे ध्यान देने लगे. अब रफ़ीक अंकल का आना-जाना बिल्कुल बंद हो चुका था.
रफ़ीक अंकल भी शायद समझ चुका था, की अब मम्मी से मिलना बहुत मुश्किल था. इसलिए रफ़ीक अंकल काम के सिलसिले में दूसरी सिटी में चला गया. उसने अपने बेटे सद्दाम को उनके किसी रिश्तेदार के यहा भेज दिए.
मैं खुश हो गया था, की चलो अब रफ़ीक अंकल से पीछा छ्छूट गया. कुछ महीने बाद भाभी ने एक बेटे को जानम दिया. मम्मी और पापा अपने पोते को पा कर बहुत खुश हो चुके थे. मम्मी तो पूरा दिन अपने पोते को ही खिलाने में बिज़ी रहने लगी.
कोई सोच भी नही सकता था, की मम्मी पड़ोसी अंकल के साथ खूब छुड़वा चुकी थी. क्यूंकी मम्मी अब बिल्कुल पहले की तरह हो चुकी थी. मम्मी रोज़ सुबा पूजा-पाठ करती थी, और अपने पोते को लेकर मंदिर चली जाती.
इसी तरह पूरा 1 साल निकल गया. और इस 1 साल में रफ़ीक अंकल वापस अपने घर आ गये थे. मुझे दर्र लगने लगा था, की वो मदारचोड़ फिरसे क्यूँ आ गया. लेकिन फिर भी सब कुछ ठीक चल रहा था. क्यूंकी रफ़ीक अंकल से फिर कभी कोई बात नही हुई, और ना ही पापा उनसे कभी बात किए.
थोड़े दिन बाद भैया के बेटे का बर्तडे था. पापा और मम्मी ने अपने पोते के फर्स्ट बर्तडे की खुशी में सब को इन्वाइट किया. और उन सब में से एक रफ़ीक अंकल भी था. उस दिन हम सब नाच-गाना करने लगे. अंकल चाह कर भी कुछ कर नही सका, और मम्मी ने भी कुछ रिक्षन नही दिया.
मम्मी अपने ध्यान में ही बाकी लॅडीस के साथ बिज़ी थी. लेकिन रफ़ीक अंकल का ध्यान बार-बार मम्मी पर ही जेया रहा था. ध्यान तो जाएगा ना. जिस औरत को खूब रग़ाद-रग़ाद के छोड़ चुका हो, उसको इतनी आसानी से भूल भी तो नही सकता था.
सला हरामी ने बहुत मज़ा लिया था. लेकिन अब सब कुछ बंद हो गया था, और ये सोच कर मैं खुश था. उस दिन भी मम्मी ने सारी पहनी थी, और वो बहुत सेक्सी और हॉट दिख रही थी. केक काटने के टाइम रफ़ीक अंकल और मम्मी दोनो की नज़रे टकरा गयी.
मम्मी और अंकल दोनो पल भर के लिए एक-दूसरे को देखे, और फिर अपनी नज़रे हटा लिए. क्यूंकी घर में बाकी सब मेहमान भी थे. प्रोग्राम ख़तम होने के बाद सब चले गये.
एक दिन भैया घर आए थे. क्यूंकी अब सब कुछ ठीक हो चुका था, इसलिए भैया भाभी और अपने बेटे को अपने साथ ले गये. वो अब हर हफ्ते में एक दिन घर आ जाते थे, और दूसरे दिन वापस भी चले जाते थे.
ये बात रफ़ीक अंकल को पता चल गयी. फिर एक दिन दोपहर में डोरबेल बाजी. मैं अंदर कमरे में था, इसलिए मम्मी डोर खोलने चली गयी. डोर खोलते ही मम्मी की आँखें फटत गयी. क्यूंकी सामने रफ़ीक अंकल खड़ा था. मम्मी मेरे कमरे की तरफ देखते हुई बोली.
मम्मी (धीरे से): आप?
अंकल अंदर आ गया, और डोर बंद कर दिया. मम्मी डरने लगी. अंकल मम्मी को देखता हुआ बोला-
अंकल: क्या बात हो गयी उर्मिला?
मम्मी (दररी सहमी हुई): कुछ भी नही.
अंकल ने मम्मी के कंधो पर हाथ रख दिया.
अंकल: क्यूँ मुझे नज़र-अंदाज़ कर रही हो.
मम्मी डरने लगी, और मेरे कमरे की तरफ देखने लगी.
मम्मी: क्या कर रहे हो, अंदर रोहन है?
अंकल: देखो जब तक तुम बताॉगी नही, तब तक मैं यहा से जाने वाला नही हू.
ये कह कर अंकल ने मम्मी के हाथो को अपने हाथो में पकड़ लिया.
मम्मी: रफ़ीक प्लीज़ जाओ यहा से.
अंकल ने मम्मी के चेहरे को अपने दोनो हाथो में ले लिया, और मम्मी की आँखों में आँखें डाल कर देखने लगा.
अंकल: ऐसे कैसे सब भूल जौ मैं?
और फिर अंकल वही खड़े-खड़े मम्मी को पकड़ कर किस करने लगा. मम्मी ने अंकल को ज़ोर से धक्का दिया.
मम्मी (गुस्से में): पागल हो गये हो? जाओ यहा से.
अंकल को ज़्यादा गुस्सा आ गया, और वो मम्मी के हाथो को पकड़ कर उन्हे काबू करने लगा. बात आयेज बढ़े इससे पहले ही मैने आवाज़ दी मम्मी को.
मैं: मम्मी कों आया है?
और मैने जैसे ही दरवाज़ा खोला, वैसे ही मुझे दरवाज़ा बंद होते दिखाई दिया.
मम्मी: क्या हुआ बेटा?
मैं: कों आया था मम्मी?
मम्मी: कोई नही, आंटी थी.
उसके बाद मम्मी अंदर चली गयी. उस दिन से मम्मी थोड़ी परेशन रहने लगी. उन्ही दीनो में पापा को गाओं जाना था. इसलिए मम्मी ज़्यादा डरने लगी. और फिर मम्मी भैया को कॉल करके भाभी और पोते को आने को बोली.
भैया भाभी और अपने बेटे को लेकर आ गये, और दूसरे दिन खुद वापस चले गये. भाभी और पोते के आ जाक़्ने के बाद मम्मी नॉर्मल हो गयी. मम्मी अपने पोते को खिलाने में ही बिज़ी रहने लगी.
मम्मी को भी शायद पता चल गया था, की घर में किसी के रहने से रफ़ीक अंकल की हिम्मत नही होगी घर में आ कर प्राब्लम क्रियेट करने की.
मैं भी खुश हो चुका था, की चलो अब तो मम्मी भी गुस्सा हो चुकी थी बुड्ढे पर, तो अब अंकल फिर दोबारा ऐसा नही करेगा. और अब मम्मी उस बुड्ढे के साथ फिरसे ऐसा कुछ नही करेगी. अगर करना होता, तो मम्मी भाभी को अपने पास क्यूँ बुलाती.
थोड़े दिन बाद पापा भी वापस आ गये. आंड एक वीक बाद भैया घर आए, और इस बार भैया भाभी और बेटे को साथ ले गये.
फिर थोड़े दिन बाद मम्मी और पापा की शादी की आनिवर्सयरी थी. मैने कहा की सब को इन्वाइट करते है. लेकिन पापा ने माना कर दिया. और मम्मी भी माना करने लगी, की इस बार नही.
रात में खाना खाते वक्त पापा बोले-
पापा: रफ़ीक का फोन आया था.
मम्मी उनका नाम सुन कर ही चौंक गयी थी.
पापा: जो पैसे लिए थे वो देने है वापस.
मम्मी: तो दे दीजिए.
पापा: कल बुला कर दे दूँगा.
मम्मी: यहा क्यूँ बुलाना है. उनके घर ही जेया कर दे देते. और कल ही बुलाना ज़रूरी है. कल हमारी शादी की सालगिरह है, और आप ही ने कहा था की ज़्यादा लोगों को बुलाना नही है. तो फिर उनको क्यूँ बुला रहे हो?
पापा: सब को नही बुलाना है. उनको और 3-4 लोग बस. इसी बहाने उनको कल पैसे भी दे देंगे.
मम्मी: मेरे ख़याल से उनको बुलाने की ज़रूरत नही है. उनको उनके घर जेया कर ही पैसे दे दो. क्यूंकी अगर वो घर आए, तो आप उनके साथ फिर ड्रिंक करने बैठ जाओगे.
फिर दूसरे दिन मम्मी और पापा की आनिवर्सयरी थी. शाम को पापा जल्दी घर आ गये. मम्मी ने भी अपना काम जल्दी पूरा कर लिया, और तब तक हमारे 3-4 रिलेटिव्स भी घर आ गये थे. थोड़ी देर बाद रफ़ीक अंकल भी आ गया.
मम्मी ने ब्लॅक कलर का लहंगा और ब्लाउस पहना था, जिसमे मम्मी बहुत हॉट और सेक्सी दिख रही थी. ब्लॅक कलर के लहँगे और ब्लाउस में मम्मी का गोरा बदन बहुत मादक लग रहा था. मम्मी बिल्कुल 30-35 साल की भाभी लग राग रही थी.
इन सब बातों में सिर्फ़ रफ़ीक अंकल को ही ग़लत समझना सही नही था. क्यूंकी मर्द तो औरत को देखते ही पागल हो जाता है. रफ़ीक अंकल भी पागल हो चुका था मम्मी को देखकर. रफ़ीक अंकल सब से नज़रे बचा कर मम्मी को घूर रहा था, और ये बात मम्मी अची तरह से जानती थी.
खाना खाने के बाद सब मेहमान चले गये. लेकिन रफ़ीक अंकल अब भी पापा के साथ बैठा था. मुझे लगा अंकल भी चला जाएगा थोड़ी देर में.
लेकिन कुछ देर बाद मैने देखा पापा और रफ़ीक अंकल फिरसे ड्रिंक करने लगे. ये देख कर मेरा दिल धड़कने लगा. मैने अंदर जेया कर मम्मी से ये बात कही, तो मम्मी भी थोड़ी परेशन हो गयी.
मम्मी: तेरे पापा को इतना समझाने के बाद भी मेरी एक बात नही सुनते.
फिर मम्मी गुस्से में बड़बड़ करने लगी.
मम्मी: ठीक है जाने दे.
काफ़ी टाइम तक दोनो पापा और अंकल नही उठे, और फिर मम्मी मेरे बगल में ही सो गयी. मैं भी सोने का नाटक करने लगा. करीब आधे घंटे बाद बाहर से पापा की आवाज़ आनी बंद हो गयी, और मम्मी उठ कर बाहर जाने लगी. मैं भी उठ कर बाहर देखने लगा.
बाहर मैने देखा रफ़ीक अंकल आराम से सोफे पर बैठा था, और पापा तो नशे में बेहोश पड़े थे. तभी रफ़ीक अंकल उठ कर पापा और मम्मी के कमरे में घुस गया. मैं समझ गया ज़रूर मम्मी अंदर ही होगी. और अब मेरी गांद फटने लगी की आज फिर रफ़ीक अंकल मम्मी के साथ घपा-घाप करने वाला था.
मैं चुपके से बाहर आया, और मम्मी के कमरे में देखने लगा. रफ़ीक पलंग पर था, लेकिन मम्मी मुझे अंदर भी दिखाई नही दी. तभी अंदर के बातरूम का दरवाज़ा खुलने लगा, और देखा मम्मी बातरूम से बाहर निकली.
मम्मी अपना दुपट्टा हटा चुकी थी. वो अब सिर्फ़ लहंगा और ब्लाउस में थी. मम्मी रफ़ीक अंकल को अपने कमरे में देख कर चौंक गयी. रफ़ीक अंकल उठ कर मम्मी के पास चला गया, और मम्मी को बहुत प्यार से देखने लगा.
अंकल: बताॉगी नही आख़िर बात क्या है?
मम्मी: बात कुछ नही है, प्लीज़ जाओ यहा से.
फिर मम्मी वाहा से जाने लगी. लेकिन रफ़ीक अंकल ने मम्मी का हाथ पकड़ लिया.
अंकल: उर्मिला प्लीज़ बताओ तो. आख़िर क्या ग़लती हुई है मुझसे? तुम इस तरह से मुझसे रूठ नही सकती.
मम्मी: रफ़ीक प्लीज़ ये सब ठीक नही है.
मम्मी रफ़ीक अंकल से अपना हाथ च्चूदवा कर जाने लगी. लेकिन अंकल मदारचोड़ इतना हरामी इंसान है, वो इतनी आसानी से मम्मी को कैसे जाने देता. रफ़ीक अंकल ने मम्मी को अपनी तरफ खींच लिया, और ज़बरदस्त किस करने लगा.
मम्मी: एम्म्म.
रफ़ीक ने मम्मी को बहुत मज़बूती से पकड़ा हुआ था. इसलिए मम्मी हिल भी नही पा रही थी.
अंकल: क्या ठीक नही है? मॅन भर गया मुझसे ( गुस्से में)?
मम्मी: क्या बकवास कर रहे हो?
अंकल मम्मी को फिरसे किस करने लगा.
अंकल: तुम्हारा मॅन भर गया होगा, लेकिन मेरा मॅन नही भरा है.
मम्मी: उउउंह रफ़ीक.
और फिर वही हुआ जो अंकल चाहता था, और जिसका मुझे दर्र था. धीरे-धीरे मम्मी ने अंकल को माना करना बंद कर दिया, और रफ़ीक अंकल के सर पर हाथ घूमती हुई अंकल को किस करने लगी.
मम्मी ने अंकल को ज़ोर से अलग किया, और फिर नशीली आँखों से देखती हुई अंकल के चेहरे को अपने दोनो हाथो से पकड़ लिया. फिर मम्मी ने अंकल के होंठो पर अपने रसीले होंठ रख दिए.
अंकल ने मम्मी को बहुत प्यार से किस करते हुए मम्मी को दीवार से चिपका दिया, और मम्मी को पागलों की तरह चूमने लगा.
अंकल: उूउउंह उर्मिला उउउंह, मैं तुझसे बहुत प्यार करता हू. मैं तुझे नही भूल सकता.
रफ़ीक ने मम्मी के दोनो हाथो को अपने हाथ में लेकर मुट्ठी में बंद कर लिया, और फिर मम्मी के गाल और गर्दन को चूमने लगा.
(तो बे कंटिन्यूड)