कच्ची उम्र की कामुकता Part 3

रश्मि रिंकू के कमरे मे, उसके पास सोफे पर बैठी थी, मॉंटी और रोमी उस वक़्त, वाहा मौजूद नही थे, रिंकू ने उन्हे दूसरे कमरे मे भेज दिया था, ताकि रश्मि उन्हे देख कर टेन्षन मे ना आजाए.

“क्या तुम कुच्छ पियोगी…?”……रिंकू ने रश्मि को नार्मल फील कराने के इरादे से पुचछा.

“नही…मेरी एच्छा नही है’…….रश्मि वाकई उन ईज़ी महसूस कर रही थी.

“अरे घबरओ मत…..सिर्फ़ कोल्ड्ड्रिंक्स ले लो…मैं उसमे कुच्छ मिलौन्गि नही”…..रिंकू ने जबरन पेप्सी रश्मि को थमा दी.

“तुम कुच्छ कहना चाहती थी…..कोई मेरे फ़ायदे की बात”….रश्मि से रहा नही गया

“हाँ…इसी लिए तो तुम्हे यहा बुलाया है…..देखो रश्मि मैं जानती हू, तुम नीलू को लेकर बहुत चिंतित हो…..डरी हुई भी हो….लेकिन क्या तुम्हे पता है….नीलू अब ख़तरे से बाहर है…..सिर्फ़ कोमा मे है…..और कोमा से भी बाहर आना महज वक़्त की बात है”…….रिंकू रश्मि के चेहरे को ध्यान से देख रही थी.

रश्मि के चेहरे से तनाव काफ़ी कम हुआ था, वो पेप्सी के हल्के हल्के घुट ले रही थी

“अब मेरी बात ध्यान से सुनो…..उस रात जो हुआ…उस बारे मे बाहर लोगो से कोई भी बात नही करेगा…..जितने भी लड़के, लड़किया उस रात हमारे साथ थे, उनमे से किसी को भी नही पता की नीलू के साथ क्या हुआ है…..वो सिर्फ़ इतना जानते हैं की उसके साथ कोई हादसा हुआ है…और वो कोमा मे है…….सिर्फ़ तू ही ऐसी लड़की है…..जो जानती है, नीलू के कोमा मे जाने की असली वजह क्या है…और ये ही हमारे लिए सबसे बड़ी चिंता की बात है……अब तुम ही बताओ हम तेरे साथ कैसा सलूक करे…?”………….रिंकू की बात सुनकर रश्मि एकदम सकते मे आगाई,…..वो समझ नही पा रही थी, की रिंकू उसे समझा रही है की धमका रही हैं.

“एमेम…म..मैं कुच्छ समझी नही…तुम कहना क्या चाहती हो..?”

“मुझे डर है की तुम, अपना मूह बंद नही रखोगी…..जज्बातो मे बहकर..कही ना कही, मूह फडोगी….और हमारे लिए मुसीबत खड़ी कर दोगि……..अगर मैं चाहू तो तुम्हारा मूह हमेशा के लिए बंद करवा सकती हू…….

“नही नही प्लीज़ ये तुम क्या कह रही हो,…..अगर मैं मूह खोलूँगी तो मेरी, और मेरे साथ साथ मेरे परिवार की भी बदनामी होगी……मेरा विश्वास करो मैं किसी से कुछ नही कहूँगी”……रश्मि काँपति हुई आवाज़ मे बोली…..सिर्फ़ आवाज़ ही नही, वो पूरी तरह कांप रही थी.

“नही डार्लिंग…..मैं नही मानती की तुम सिर्फ़ बदनामी के डर से खामोश बैथोगि…..नीलू की हालत, और उसकी दोस्ती, तुम्हे मूह खोलनने पर मजबूर कर सकती है…….मैं पक्का यकीन करना चाहती हू…….तुम्हे कुच्छ दिखाना चाहती हू.”……रिंकू सोफे से उठाकर दीवार मे लगी एक सेफ खोलने लगी…….रश्मि नर्वस हो कर उसे देखती रही

रिंकू ने सेफ मे से एक सीडी निकालकर, वही पड़े एक प्लेयर मे डाल दी और टीवी ओं कर दिया, कुच्छ ही पॅलो मे जो टीवी पर दिखाई देने लगा, वो देखने के बाद तो रश्मि के होश उड़ गये, उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी,…गनीमत थी की वो बेहोश नही हुए……सीडी मे वो और मॉंटी दिखाई दे रहे थे, उस रात का पूरा शटैंग था उस सीडी मे, रश्मि का चेहरा ऐसा लग रहा था मानो उसके जिस्म से पूरा खून निचोड़ लिया हो…..एकदम सफेद,….रख सा सफेद……..”ये …ये बंद करो…प्लीज़…मैं देख नही सकती…प्लीज़ बंद करो इसे”…..रश्मि ज़ोर से चिल्ला पड़ी.

“क्यू रश्मि डार्लिंग…..सिर्फ़ शुरुआत देखकर ही होश उड़ गये…..अभी आगे और है…..रोमी, लकी…और भी लड़के….पूरी रंडी बन गयी थी तुम…..जम के ले रही थी ….वो भी बड़े प्यार से…..कोई ज़बरदस्ती नही………..अगर ये सीडी मैं पूरे शहर मे बाट दू तो क्या होगा……?

“”मैं तुम्हारे पाव पड़ती हू, भीख मांगती हू……प्लीज़ ये सीडी मुझे दे दो….मेरा यकीन करो मैं किसी से कुछ नही कहूँगी……मैं अपने मा बाप की कसम खाती हू…..प्लीज़ रिंकू…ये सीडी मुझे दे दो…..प्लीज़.”…..रश्मि ने सचमुच रिंकू के पैर पकड़ लिए थे, वो रो रही थी, गिड़गिदा रही थी…….लेकिन रिंकू पर ना कोई असर होना था ना हुआ,……उसने रश्मि के बाल पकड़ कर उसे उठाया, अपने पास बिठाया, और कहा..

” देख रश्मि, अब रोने ढोने से कुच्छ नही होगा,……जब तक नीलू ठीक होकर घर नही आती,…जब तक ये मामला ठंडा नही पड़ जाता,…..जब तक मुझे यकीन नही हो जाता, की तुमसे मुझे कोई ख़तरा नही, तब तक ये सी डी मेरे पास ही रहेगी,……और तब तक तू मेरी गुलाम बन कर रहेगी……मेरी पालतू कुतिया बनकर रहेगी,….जो मैं काहु वो तुम्हे करना पड़ेगा….कोई नखरे नही, कोई ना नुकुर नही……बोल मंजूर है..?”

रश्मि के पास और दूसरा क्या ऑप्षन था, हाँ कहने के सिवा….उसने गर्दन नीचे करदी और हाँ कर दी.

रिंकू ने बड़े ही संतुष्टि पूर्ण तरीके से होठ चटकाए, और इंटरकम उठा के मॉंटी, रोमी को कमरे मे बुला लिया.

मॉंटी और रोमी के कमरे मे आते ही रश्मि समझ गयी, “पालतू कुतिया’ से रिंकू का क्या मतलब था, वो और घबरा गयी, सेक्स का बुखार उसका कब का उतर चुका था, अपनी ग़लती का उसे अहसास हो चुका था, लेकिन अब देर हो चुकी थी……उस सी द का रिंकू के पास होना, जाहिर करता था अब उसे, रिंकू के एशारे पर नाचना था, चाहे मर्ज़ी से, चाहे मजबूरी से……अब उसे इस अधोपतन से कोई नही रोक सकता था.

कमरे मे आते ही मॉंटी और रोमी उसके दोनो तरफ बैठ गये,

“क्या कहती है हमारी रश्मि डार्लिंग……उस रात तो बड़ी उच्छल कूद कर रही थी, आज मूड क्यू उखड़ा है, जानेमन…….?”……मॉंटी ने उसके गले मे हाथ डाल कर अपने पास खिछा

“लगता हैं उस रात की चुदाई से हमारी रश्मि डार्लिंग का मन नही भरा……इस लिए नाराज़ है हमसे….कोई बात नही मेरी जान…चलो आज तुम्हारी प्यास बुझा देते हैं”……ये रोमी था, उसका हाथ सीधे रश्मि के स्कर्ट के उंड़र घुस चुका था

“नही…प्लीज़ ऐसा मत करो…मुझे बक्ष दो…..मैं बिल्कुल चुप रहूंगी….प्लीज़ मुझे जाने दो”…….रश्मि ने आखरी बार कोशिश की, उसकी आँखे लगातार बरस रही थी.

“नखरे मत दिखा कुतिया…..चुपचाप जैसा ये चाहते हैं, वैसा कर…वरना..!”………रिंकू पूरी तरह से रश्मि पर हावी हो रही थी.

“अरे नही नही,….ऐसा जुलूम मत करो , हमारी रश्मि तो बड़े प्यार से चुदेगि…ये कोई पहली बार थोड़े ही चुद रही है….?”…..मॉंटी का हाथ अब रश्मि की चुचियो की गोलाई नाप रहा था.

“मेरे दोस्तो को तकलीफ़ हो रही है तेरे इश्स मदमस्त जवानी से खेलने मे….साली रंडी….टॉप उतार दे अपना…’ रिंकू तो जैसे आज रश्मि को पूरी तरह से तोड़ना चाहती थी…..उसे इतना ह्युमिलियेट करना चाहती थी, की आगे कभी भी वो उसके खिलाफ कुच्छ भी कहा, सुनने से डरे

“मरती क्या ना करती’ रश्मि ने टॉप उतार दिया, पिंक ब्रा मे कसे यौवन भर, छिपाये नही छिप रहे थे…….दोनो बेसबरो ने ब्रा उतरने की भी राह नही देखी…दोनो भीड़ गये निप्पलेस चूसने मे, …ब्रा के उपर से ही..रश्मि कसमसने लगी, आज उसे मज़ा नही आ रहा था, बल्कि तकलीफ़ हो रही थी…..अब दोनो ने ही अपनी अपनी पॅंट्स की ज़िप खोल ली….रश्मि के दोनो हाथो को पॅंट के अंडर घुसा दिया…..

“रूको अब मेरी डाइरेक्षन मे होगा ये चुदाई का प्रोग्राम…..सबसे पहले इसे नंगी करो…और तुम दोनो भी, अपने अपने कपड़े उतार दो..!
अगले ही पल दोनो ही रश्मि पर टूट पड़े….रोमी ने झटके से उअस्कि स्क्रिट और पनटी उतार दिए, और मॉंटी ने ब्रा नोच डाली…एक मजबूर लड़की को नंगा करने मे वक़्त ही कितना लगाना था…..रश्मि एक हाथ से, च्छुपाए ना च्छुपाने वाली चुचिया च्छुपाने की कोशिश कर रही थी, तो दूसरे हाथ से, अपनी नर्म,नाज़ुक,मुलायम बालो से ढाकी चूत च्छुपाने की चेस्टा कर रही थी……मॉंटी, और रोमी भी नगञा हो गये.

“रश्मि तुम कुतिया हो…है ना …चलो कुतिया बन के दिखाओ….”….डिरेक्टर रिंकू ने आदेश दंडनाया.
अपने आँसू पोछति, किस्मत पर रोटी रश्मि ने आदेश का पालन किया, इश्स पोज़िशन मे उसके, चिकने, गुदाज भारी, मसल कूल्हे उपर उठ गये, हवा मे…..चूत की दोनो पंखुड़िया फैल गयी….गंद का च्छेद खुलबन्द हो रहा था……..तनी हुई चुचिया लटक रही थी….मॉंटी और रोमी के लंड अपने आप तन गये थे, अपनी पूरी लंबाई और मोटाई मे….माहौल मे बढ़ती उत्तेजना अब रिंकू पर भी असर कर रही थी….. उसने भी अपने कपड़े उतरने शुरू किए…..अगले ही पल उस कमरे मे सभी नंगे थे.

“रोमी इससके होत देखो कितने प्यारे हैं,बिल्कुल गुलाब की तरह…क्या तुम देखना नही चाहते ऐसे होतो मे तुम्हारा लंड कैसा दिखता है…..और मॉंटी तुम, ज़रा इस खूबसूरत चूत को देखो, क्या तुम इसे सूंघ कर, चट कर नही देखना चाहते हो……आख़िर हमारी प्यारी सहेली है, इसकी खूबसूरती का मज़ा हम नही लूटेंगे, तो कौन लूटेगा”……..कहते कहते रिंकू के हाथ खुद अपनी चूत को कुरादाने लगे.

रिंकू का कहना था की दोनो ने अपनी अपनी पोज़िशन सम्हल ली, रोमी का लंड रश्मि के होठ के बीच फसा था, तो मॉंटी की जीभ चूत की गहराई नाप रही थी…रिंकू रश्मि के चारो पैरो(?) मे लेट कर, उसकी चुचियो को मसल रही थी, खिच रही थी………..काफ़ी देर तक रश्मि की चूत चाटने के बाद,मॉंटी से रहा नही गया, और उसने, अपना खड़ा टाइट लंड उसकी चूत मे एक ही झटके मे घुसा दिया…..रोमी का लंड मूह मे होने से रश्मि चीख भी ना सकी……..अब उसकी दोनो तरफ से चुदाई हो रही थी

रोमी तो पहले से ही इतना गर्म हो चुका की रश्मि के मूह मे 15 मिनट से ज़्यादा नही टिक पाया, वही झाड़ गया. लेकिन उसने तब तक लंड बाहर नही निकाला जब तक पूरा माल रश्मि के पेट मैं ना जा पहुचा

रोमी के झदने के बाद रिंकू का अगला आदेश………..

मॉंटी तुम अपना लंड निकाल लो और सोफे पर जा बैठो…घबराव नही मैं तुम्हारे साथ क्ल्प्ड नही करूँगी……..अब मॉंटी सोफे पर जा बैठा…….”रश्मि तुम अब मॉंटी के लंड पर बैठो…..अपने हाथ से मॉंटी का लंड लेलो अपनी चूत मे…….और उच्छल कूद शुरू करो”……डाइरेक्टर का आदेश था, मानना तो था ही……अपमान से जलती रश्मि ने,अपनी भाव नाओ पर काबू करके वैसा ही किया…मॉंटी का दिल बागबाग हो उठा…..उसने रश्मि की चुचिया कस के पकड़ ली, और पूरी ताक़त से मसल ने लगा, निप्पल्स उमेटाने लगा…..रश्मि के मुलायम जिस्म का घर्षण उसमे और जोश भर रहा था……..अब रश्मि को और जलील करने की नियत से रिंकू अपनी क्लीन शेव्ड, बहुत ज़्यादा चोदे जाने से फैली हुए चूत लेकर, रश्मि के सामने खड़ी हो गयी……रश्मि के बालो को पकड़ कर, उसका मूह अपनी चूत से सताती, बोल पड़ी…”चल चाट इसे…अच्छे से साफ कर’…जैसे ही रश्मि की जीभ का स्पर्श रिंकू की चूत पे हुआ…..उसके मूह से कामुक सिसकारिया निकल ने लगी

अब झदने की बारी मॉंटी की थी….जैसे ही राशमी ने महसूस किया, की मॉंटी झदने वाला है, वो फिर से गिड़गिदने लगी…..”प्लीज़ मॉंटी अंदर मत गिराना, मैं प्रेग्नेंट हो जौंगी…..रिंकू प्लीज़ समझाओ इसे…मैं तुम्हारी हर बात मान रही हू…तुम मेरी इतनी बात मानो प्लीज़……वरना मुझे ख़ुदकुशी के अलावा कोई रास्ता नही बचेगा…प्लीज़”

रश्मि के मूह से ख़ुदकुशी शब्द निकलना था की रिंकू ने मॉंटी को इशारा किया,….मॉंटी ने बड़ी ही अनिच्छा से रश्मि को लंड पर से उठाया,….गुस्से से उसके मूह को चोदने लगा……रश्मि के पेट मे वीर्या की दूसरी किश्त पहुच गयी

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अगले दो घंटे तक मॉंटी और रोमी पोज़िशन बदल बदल के उसे चोदते रहे, रश्मि के शरीर पे एक भी ऐसा च्छेद बाकी नही रहा जहा लंड जा सकता हो लेकिन डाला ना गया हो…..वो चीखती रही कराहती रही, रहम की भीक मांगती रही..लेकिन ना किसी को रहम आना था ना आया

इनस्पेक्टर राजपूत और आमिर एक बार फिर, ‘डेंजर ज़ोन’ मे बैठे थे, राजपूत के सामने, कोई सॉफ्ट ड्रिंक था, तो आमिर के सामने बियर की बोतल. आमिर ने राजपूत को उसके और तरुन्य के बीच हुई बातचीत के बारे मे डीटेल मे बता दिया था,…..जिसे सुनकर राजपूत के माथे पर गहन चिंता की सलवते उभर आई थी.

“यार आमिर ये बता….ये अग्रवाल का…..इतने बड़े बज़ाइनेस मेन का….नेल्लु के केस मे, इतना गहरा इंटेरेस्ट लेना समझ मे नही आ रहा……माना की वो मल्होत्रा परिवार से काफ़ी जुड़ा है…..लेकिन फिर भी…..कुच्छ तो गड़बड़ है”……..राजपूत को अग्रवाल की इस केस मे दिलचस्पी काफ़ी उलझन मे डाले हुए थी,….आख़िर जब इतने बड़े लोग किसी केस मे उलझ जाते हैं, तो सबसे बड़ी कसौटी, पुलिसे वालो की होती है……उनपर हर तरफ से दबाव जो डाला जाता है.

“हाँ यार…कुच्छ तो लॅफाडा ज़रूर है,….ड्रग्स का पाया जाना…….नीलू के बदन पर खरोनछे, जखम पाए जाना…… इशारा तो किसी गांग रेप की तरफ करते हैं…..और ऐसे मे अग्रवाल की दिलचस्पी, सिर्फ़ परिवारिक रिलेशन्स की बदौलत नही हो सकती”….आमिर भी कुच्छ विचलित था.

“देखो तुम एक काम करो, तुम नीलू के स्कूल मे जाकर जानकारी हासिल करने की कोशिश करो,…मैं हॉस्पिटल मे अपने आदमी लगा देता हू,…जो वाहा घुलमिल कर जानकारी हासिल करेंगे…….डरो मत, मैं डिपार्टमेंट के आदमी नही भेजूँगा……..हमारे पास ऐसे कामो के लिए अलग आदमी होते हैं…….लेकिन तुम भी सावधानी से कम लेना…….बात उँचे रसुख वेल लोगो की है……कही लेने के देने ना पद जाए.”…………राजपूत ने आमिर को आक्षन प्लान समझाया, आमिर ने बची हुए बियर गले मे उतार ली, और राजपूत से हाथ मिला कर वो बाहर निकल गया.

राजपूत थोड़ी देर वही बैठा रहा, मोबाइल से उलझा हुआ, उसने वाहा बैठे बैठे ही अपने ‘खास’ आदमी कम पर लगा दिए.

इधर रिंकू के घर से रोती, बिलखती, अपमान मे जलती, रश्मि बाहर निकली तो उसका चेहरा पत्थर सा सख़्त हो चुका था, एक एक करतूत, जो रिंकू और उसके दोस्त ने उसके साथ की थी,….उसके नाज़ुक दिल पर, उसके दिमाग़ पर, जिस्म पर, नासूर बन कर रह गयी थी…….आँखो से क्रोध की ज्वाला निकल रही थी…….उसका रोम रोम तड़प रहा था., सुलग रहा था…..रिंकू और उसके दोस्तो को सबक सिखने के लिए……..लेकिन कैसे…..वो किसी से कुच्छ कह नही सकती थी, किसी को अपने नासूर दिखा नही सकती थी…….किसी से मदद नही माँग सकती थी, ना घर वालो से, ना पुलिसे से, ना और किसी से……वो करे तो क्या करे………इसी उधेड़बुन मे वो कब ऑटो को रोक कर, उसमे बैठी, कब घर पहुचि, उसे पता ही नही चला.

घर पहुचते ही, जब उसकी मा ने पुचछा, वो इतनी देर कहा थी, तो उसने तबीयत ठीक ना होने का बहाना बना दिया, और अपने कमरे मे जाके सोने की चेष्टा करने लगी, लेकिन जब तकदीर ने साथ छोड़ दिया हो, तो नींद भी कहा साथ देने वाली थी………एक ग़लती,….वासना के जाल मे फसने की, अपने आप पर काबू ना पाने की….एक पल का मोह, शारीरिक संतुष्टि का…..उसे कहाँ ले आया था.

उधर आमिर नीलू के स्कूल पहुचा, हरफ़नमौला होने की वजह से, कोई दिक्कत नही आई, अपने आप को सीनियर स्टूडेंट स्थापित करने मे, वो स्कूल मे इधर उधर घूमता रहा, कभी नोटीस बोर्ड के पास, तो कभी लाइब्ररी मे, कभी लड़के लड़कियो के जमघट के पास, कान को मोबाइल लगाके खड़ा रहता, पूरे दो घंटे वो स्कूल मे घूमता रहा, लेकिन किसी ने उसे टोका नही……..क्यो की नीलू का स्कूल जूनियर कॉलेज था, और सीनियर कॉलेज भी उसी कॅंपस मे था.

पूरे स्कूल मे नीलू की ही चर्चा थी, उसके कोमा मे होने से, हर कोई अपनी अपनी बुद्धि के अनुसार, अटकले लगा रहा था, अपने अपने तर्क दे रहा था…….कुलमिला कर नीलू के साथ सिंपती का माहौल था, हर किसी को दुख था………..दो घंटे बाद जब आमिर स्कूल से बाहर निकाला तो, उसके पास एक नाम था………नीलू की बेस्ट फ्रेंड,……..रश्मि

और रश्मि का स्कूल मे कही पता नही था….!

आमिर उलझन मे था, रश्मि को वो नही जानता था , सीधे से किसी को पुच्छ भी नही सकता था, ख्वंख़्वाह शक पैदा हो जाता, क्यू की मामला सेन्सिटिव था,……कुच्छ देर वो वही सोचता रहा……फिर अचानक उसकी दिमाग़ की बत्ती जली.
वो दौड़ता हुआ, नज़दीक के एक बुक स्टाल मे गया, कुच्छ किताबे खरीदी, उन्हे अच्छे से पॅक करवाया,…..उसपर रश्मि का नाम लिखा, और पता लिखा स्कूल का…….फिर उसने एक कपड़े की दुकान से एक टी-शर्ट और एक साधारण सी जीन्स खरीदी…..(ये सब खर्चा, राजपूत से मिले उन पैसो से हो रहा था, जो आमिर ने बतौर उधर लिए थे, ‘फाइनल सएतटेल्मेंट ‘ से काटने की शर्त पर)…..अपने बालो का स्टाइल बदल कर, उसने काफ़ी हद तक अपना हुलिया चेंज कर लिया, अब वो आसानी से नही पहचाना जा सकता था.

किताबो का वो पॅकेट ले कर वो फिर से रश्मि के स्कूल मे गया,……सीधा प्रिन्सिपल के कमरे मे
‘ मे आइ कम इन मेडम”
“एस प्लीज़…..आप..?”…….प्रिन्सिपल, जो एक अधेड़ उमरा की महिला थी, उसने प्रश्नार्तक नज़ारो से पुचछा
“मैं एक पार्सल लाया हूँ, मिस रश्मि शर्मा के नाम, स्कूल मे पता चला की वो, आज आई नही हैं, तो सोचा उअनके घर डिलीवेरी दे दू……क्या आप मुझे उनके घर का पता बता सकती हैं…?’……..आमिर ने बड़ी विनम्रता से पुचछा.
“क्या हैं पार्सल मे, कहा से आया है…?”…….
” मुझे पता नही मेडम, लेकिन च्छुने से लगता हैं, कितबे होनी चाहिए, देल्ही के किसी पब्लिशर ने भेजी हैं, ज़्यादा कुच्छ तो मैं नही जानता”………आमिर ने उसी नाम्रता से कहा.

प्रिन्सिपल कुच्छ देर सोचती रही,…..शायद सोच रही थी पता बताना चाहिए या नही,…कुच्छ सोच कर….उन्होने घंटी बजाई……चपरासी दौड़ता हुआ आया…

“इन्हे,..नायडू के पास ले जाओ…..उसे कहो इन्हे रश्मि शर्मा का पता देना है….मैने कहा है”………शायद आमिर की अच्छी शकला का उनपर अच्छा प्रभाव पड़ा था.

आमिर का काम बन गया, उसने नायडू के पास से रश्मि के घर का अड्रेस्स लिया, और फ़ौरन स्कूल के बाहर निकल गया……..वापस उसी कपड़े की दुकान मे जाकर उसने अपने कपड़े चेंज किए…..पुराने कपड़े उसने वही छ्चोड़ दिए थे…बालो को फिर से सेट किया……..अब उसे मिलना था रश्मि से…….और उससे जानकारी हासिल करना उसे टेढ़ी खीर लग रही थी……..वो रश्मि के घर के सामने एक चाय की टॅपारी पे जम गया……वो पहले रश्मि को देखना, परखना चाहता था………ता की अंदाज़ा हो जाए, बात कैसे च्छेड़नी है.
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उधर नीलू का बाप, मिस्टर. मल्होत्रा,…अपने आलीशान ऑफीस मे बैठा कुच्छ सोच रहा था……..उसके माथे पर चिंता की घनी लकीरे थी……..वो बेहद नर्वस नज़र आ रहा था…….उसके सामने एक नया सुलगा हुआ सिगार पड़ा था, जिसका उसने अभी सिर्फ़ एक ही काश लगाया था…….मल्होत्रा आजकल परेशानी मे था…..उसके कुच्छ दाव उलटे पड़ गये थे……कुच्छ डील्स खटाई मे पड़ गयी थी….अब उसकी उम्मीदे अग्रवाल पर टिकी थी….मल्होत्रा चाहता था, अग्रवाल खुद उसकी तरफ पार्ट्नर शिप का हाथ बढ़ाए……ता की मल्होत्रा अपनी शर्तो पर, अग्रवाल से पार्ट्नरशिप डीड बनवाए………लेकिन अग्रवाल था की, कुच्छ खास रेस्पोन्से नही दे रहा था…..क्या उसका इतना बड़ा “दाव” यूही बेकार जाएगा………यही सोच मल्होत्रा को बेचैन कर रही थी.

शाम के 5 बाज रहे थे, आमिर को रश्मि के घर के सामने बैठे 2 घंटे गुजर गये थे, मुसीबत ये थी की वो एक ही जगह पर ज़्यादा देर बैठ नही सकता था,….लोगो को शक हो सकता था, इस लिए वो कभी, चाय की दुकान, तो कभी डेली नीड की, कभी बुक स्टॉल पे टाइम पास कर रहा था, लेकिन नज़रे रश्मि के घर पर टिकी हुई थी.
तभी उसकी नज़र रश्मि के घर से निकल ने वाली एक अधेड़ उमरा की महिला, और उसके साथ एक जवान लड़की पर टिकी…….लड़की वाकई बहुत खूबसूरत थी, इस वक़्त सलवार कमीज़ पहने थी, दुपट्टा ओढ़ा होने के बावजूद, नीचे छिपि गोलाया साफ नज़र आती थी, लचकदार कमर और एक ले मे हिलते कूल्हे, नज़रो को बाँध ले ने मैं सक्षम थे…….क्या यही रश्मि होगी……यही हो तो अच्छा है…..आमिर की अवस्था ऐसी थी, जैसे बिल्ली को ख्वाब मे भी च्छिच्छड़े नज़र आते हैं…….वो तुरंत उनके पिछे लपका……एक बार कोई, या उसकी मा उसे रश्मि कहा कर पुकारे, तो ये बात पक्की हो जाती थी की वो ही रश्मि हैं.

वो दोनो एक सब्जी वाले के पास रुक गयी,……आमिर थोड़ी दूर से ही लड़की का मुआ ईना कर रहा था,….खूबसूरत मुखड़े पर च्छाई उदासी की परत वो साफ देख सकता था…..आँखे कुच्छ भारी सी लग रही थी, कुच्छ बेचैन सी……….शायद रात मे ठीक से सोई ना हो………या नीलू की वजह से……आख़िर उसकी बेस्ट फ्रेंड जो थी…….आमिर मन ही मन उसे परख रहा था…….तभी……
“रश्मि,…कहा खोई हो, तुम्हारा मोबाइल बज रहा है…..!”…….बस आमिर का काम बन गया……ये तय था की लड़की रश्मि ही है………..अब वो नयी नज़र से उसे घूर ने लगा.

रश्मि मा से थोड़ा दूर हटके, लेकिन तकदीर से आमिर के पास आ के फोन पे बात करने लगी

“हाँ रश्मि ही बोल रही हू…!”
“…………………” दूसरी तरफ से क्या कहा गया, आमिर नही जान पाया,लेकिन रश्मि के चेहरे के बदल ते रंग, साफ बता रहे थे, वो हद से ज़्यादा घबराई हुई, और साथ साथ गुस्से मे भी लग रही थी.
“मैं नही आ सकती…..रिंकू प्लीज़ यकीन करो, मेरे “पीरियड्स” चल रहे हैं…..मैं मजबूर हू….!” रश्मि चोरी से अपनी मा को देख रही थी, लेकिन उसकी मा, सब्जी परख ने मे व्यस्त थी.

“रिंकू…प्लीज़ मेरी बात सुनो….मैं 5 दिन तक कुच्छ नही कर सकती….नही नही मैं सच कह रही हू…….मेरा यकीन करो, तुम जानती हो मैं तुम्हारे से बाहर नही जा सकती……हाँ हाँ पक्का,……मैं आ जौन्गि….थॅंक्स रिंकू.”………और रश्मि ने फोन काट दिया, और अपनी मा के पास चली गयी.

लेकिन आमिर के दिमाग़ मे कई सवाल पैदा कर गयी………ये क्या माजरा है..?…ये रिंकू कौन हैं….?.और रश्मि उससे इतनी डारी हुई क्यो है,..?…”पीरियड्स” चल रहे होने से किसी से मिलने पे क्या पाबंदी आ सकती है..?….वो ये भी कह रही थी….मैं तुमसे बाहर नही जा सकती…….मतलब..?…ब्लॅकमेल…?
सोच सोच कर आमिर का दिमाग़ भिन्ना गया……..अब उसे अकेले मे बैठ कर, रश्मि की बतो को सिलसिलेवार सोच कर, कोई नतीजा निकल ना था….सही और सटीक नतीजा…..तभी वो रश्मि से रूबरू मिलकर, कुच्छ और जानकारी हासिल कर सकता था.
और ऐसे कम के लिए सही जगह एक ही थी…..’डांगेर ज़ोन’

‘डेंजर ज़ोन’ मे बैठा आमिर , जितना गुत्थी सुलझाने की कोशिश करता गुत्थी सुलझाने के बजे और उलझ जाती, वो समझ नही पा रहा था, ये रिंकू आख़िर कौन हो सकती हैं……उसका रश्मि के साथ क्या चक्कर है…..उसका नीलू वेल केस से कोई ताल्लुक है, भी या नही…या रश्मि का और उसका कोई और ही चक्कर है……रिंकू का पता लगाए बगैर, वो इस गुत्थी को नही सुलझा पाएगा…..जब काफ़ी मशक्कत के बाद भी कुच्छ हाथ नही लगा तो उसने, राजपूत को फोन लगाया…….उही, बेध्यानी मे…..
“कहो भाई राजपूत, क्या हलचल हैं……कुच्छ लगा हाथ…..तुम्हारे जो आदमी हॉस्पिटल मे तैनात थे, उनसे …..कोई काम की बात..?”
“यार आमिर…कुच्छ तो लगा, कितना महत्वपूर्ण है…बता नही सकता……नीलू के साथ जो हादसा हुआ…लगता है….अग्रवाल की कोठी पे हुआ….कोई साफ कुच्छ नही कहता, लेकिन…दबी ज़बान मे कहा रहे है, ….जिस दिन सुबह नीलू को अस्पताल मे दाखिल किया गया था…कहते हैं…उसी सुबह, अग्रवाल की कोठी से तड़के ही फोन आया था…….अब अग्रवाल जैसे नामी हस्ती की कोठी से फोन आया तो…आंब्युलेन्स तुरंत भेजी गयी……यहा कुच्छ लोगो का मानना है…वाहा कोई पार्टी ज़रूर हुए थी…..जो शायद रात भर चली थी….कई लड़के, लड़किया देखी, जो नशे की हालत मे धुत्त थे….अब बड़े लोगो की बड़ी बाते जान कर, कोई कुच्छ बोला नही…बस नीलू को आंब्युलेन्स मे डाल कर ले आए…”

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“लेकिन ये पार्टी दी किसने थी…..क्या खुद अग्रवाल ने…?
“नही यार…..अग्रवाल की पार्टी मे ‘बच्चो’ का क्या काम……ये पार्टी तो उसकी बेटी…रिंकू अग्रवाल ने दी थी….ऐसा…..
“क्या…क्या कहा…किसने दी थी….फिर से बोल….!”…….आमिर की आँखे हज़ार वॉट के बल्ब की तरह चमकने लगी…..उसे विश्वास नही हो रहा था, उसकी परेशानी, इतनी जल्दी हल हो जाएगी.

“कहा ना रिंकू अग्रवाल ने…..क्यू ये नाम सुन कर तू इतना एक्शिट क्यू होगआया…!”
“अभी नही मेरे शेर,…बाद मे, …..बाद मे आकर तुझे बतौँगा, की हम रोकडे के कितने नज़दीक हैं……फिलहाल तेरे मूह मे बियर की बोतल…बाइ..!”…..और आमिर ने फोन काट दिया

हहुऊन्न्ञन्….तो ये बात है….अग्रवाल की कोठी पर रात भर पार्टी चली,…..जो रिंकू ने दी थी…….जसमे नीलू और रश्मि भी शामिल थी……जहा रात भर, शराब, कबाब, और शबाब, लूटते रहे…रत भर मौजमेला जारी रहा,,,और उसी दौरान, कुच्छ हुआ…….श्यद नीलू को नशा करा के बलात्कार….?…..या उसके कोई बाय्फ्रेंड ने गद्दारी की हो…….नीलू को लूटवाया हो…….लेकिन जो भी हुआ हो,.. हुआ तो नशा और सेक्स का अतिरेक से ही…….जिससे नीलू इश्स हालत मे पहुचि……..लेकिन रश्मि के साथ क्या हुआ…वो तो भली चांगी है……वो क्यू रिंकू से डर रही हैं……..क्या खिचड़ी पाक रही है, उन दोनो मे……….रश्मि की ऐसी कौन सी दुखती राग लग गयी रिंकू के हाथ मे, जो वो रश्मि को अपने इशारो पे नाचा रही है……,अब ये बात, या तो रिंकू बता सकती है, या रश्मि……..रिंकू को पुछने का तो कोई सवाल ही नही पैदा होता……अब बाकी बची रश्मि…..

उसने अब तुरंत रश्मि से मिलने का फ़ैसला किया……उससे किस तरह बात करनी हैं, ये वो अच्छी तरह जान गया था.

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“कुकु’स गुआरगे पब” ये वो जगह थी, जो टीन एज, यंग जान्रेशन का तीर्थक्षेत्रा थी,… जहा जाना जिनकी जिंदगी का अहम काम था…….कुच्छ का तो ख्वाब था, कम से कम एक बार…”कुकु’स गुआरगे पब” मे जाए, वाहा के माहौल मे, कुच्छ पल बिताए, और अपनी जिंदगी को धान्या बनाए…….लेकिन ये हर किसी के लिए संभव नही था……….वाहा एंट्री सिर्फ़, सदस्यो के लिए सुरक्षित थी, सदस्या अपने साथ सिर्फ़ एक या दो गेस्ट ला सकते थे………वो भी बड़ी तगड़ी फीस भरकर……..अंदर का माहौल, अपने नाम को सार्थक करता था…..हर तरफ बिखरे पड़े….गाडियो के अवशेष,…दीवारो पर टाँगे टाइयर, ट्यूब्स, स्टेआरिंग वील्स, हॉर्न्ज़…..जहा वाहा लिखा था…..ओक…टाटा…बाइ बाइ….फिर मिलेंगे……दिलरुबा देल्ही वाली……हॉर्न प्लीज़…..जो कुच्छ भी ट्रक, कार, बस, टेंपो से संभँढित था, उसीका इस्तेमाल वाहा इंटीरियर डेकोरेशन के लिए किया गया था………एक जगह पे तो ये भी लिखा था………’मेरा भारत महान’

हर तरफ, सिगरेट्स का धुआ छाया रहता था…….ड्रग्स की, नशे की हर किस्म वाहा मिलती थी……..सिर्फ़ जेब भारी, और सामने वाला किसी बड़े बाप की, या ‘पवरफुल’ हस्ती की औलाद हो……और वो जीने के लिए ओक्षिगें नही कार्बन-दी-ऑक्साइड लेता हो…!

इसी पब की सम्मानित सदस्या थी हमारी रिंकू..!
उसके लिए एक खास कॉर्नर हमेशा रिज़र्व्ड रहता था, उसे सर्विस देने वेल, बड़ी फुर्ती से ुआस्का ऑर्डर पूरा करते थे……और उसे अपने साथ, कितने भी गेस्ट लाने की छूट थी,………लेकिन आज रिंकू का मूड ठीक नही था….वो काफ़ी पी चुकी थी….मूह से रश्मि को गालिया बक रही थी…..
“स्साली हरामी,…..उसके ‘पीरियड्स’ चल रहे हैं….तो क्या उसकी गंद से भी खून निकलता है…..आ नही सकती…..5 दीनो तक नही आ सकती…….मुझे डाल मे कुच्छ कला नज़र आ रहा है……..उसकी हिम्मत इतनी बढ़ गयी…..वो मुझे सीखा रही है……मैं उसे बर्बाद कर दूँगी” रिंकू ना जाने क्या क्या अनापशनाप बेक जा रही थी.
उसके पालतू कुत्ते, मॉंटी,रोमी,और लकी….अपनी ‘मालकिन’ के सामने कन गिराए, पुच्छ दबाए, बैठे थे.
“मैं उसकी सीडी नेट पर डाल दूँगी……पूरे शहर मे बाट दूँगी…..उसे छ्चोड़ूँगी नही..!”……रिंकू की बकबक कम होने का नाम नही ले रही थी

कहने को तो वो अपने रिज़र्व्ड टेबल पर बैठी थी……….लेकिन कोई था…….जिसके कान खड़े हुए
“लेकिन रिंकू…..क्या तुमने सोचा हैं…..उस सीडी मे सिर्फ़, रश्मि ही नही, हम सब भी हैं…….और तो और….नीलू वाला वाक़या…….
“चुप साले हरामी मॉंटी……अपना मूह बंद रख…..मैने उस सीडी मे से, हमारा पार्ट एडिट करा दिया है……ओरिजिनल सीडी कही महफूज रखी है”

मॉंटी को मूह बंद रख ने को कहने वाली……..अपना मूह बंद नही रख सकी……

ये उसकी भूल अब उसे बहुत ही महँगी पड़ने वाली थी

शायद रश्मि से भी महँगी.

रश्मि स्कूल जाने के लिए बुस्स्टोप पे खड़ी थी, उसे बस से स्कूल जाने की नौबत बहुत कम बार आती थी, आम तौर पर वो नीलू के साथ उसकी कार मे जाती,आती थी…..लेकिन उस हादसे के बाद, आज पहली बार रश्मि स्कूल जा रही थी, और नीलू, जाहिर था की उसे लेने नही आ सकती थी……..बस स्टॉप पर जाड़ा भीड़ नही थी, उस रूट पर वैसे भी बस की फ्रीक्वेन्सी कुच्छ जाड़ा थी…..सो वाहा भीड़ बढ़ने के चान्सस बहुत कम थे……तभी एक हॅंडसम, युवक उसके पास आ खड़ा हुआ, उसके कंधे पर एक बेग लटका हुआ था, जो फोटोग्राफर्स इस्तेमाल करते हैं, आँखो पे धूप का गॉज्गाले चढ़ाया हुआ, वो युवक काफ़ी प्रभावशाली दिखाए दे रहा था,…..चुकी रश्मि का मूड आज कल वैसे भी ठीक नही रहने के कारण, उसने उस युवक पर कुच्छ खास ध्यान नही दिया…….वो बस घड़ी देखती हुए, बस का इंतजार कर रही थी.

“एक्सक्यूस मे……आप शायद रश्मि शर्मा हैं….!”
रशहामी चौंक गयी…..वो हैरानी से उस युवक को घुराने लगी……ये मुझे कैसे जानता है ?….कौन है ये…?…क्या मैं भी इससे जानती हू……लगता तो नही…..

“कौन हैं आप……लड़की से पहचान बढ़ने का ये तरीका बहुत पुराना हो चुका है……अब आप या तो खामोश रहिए, या मुझे पुलिसे को बुलाना पड़ेगा……!”……..रशहामी के मन मे शक था, कही ये रिंकू का भेजा हुआ तो नही..?

“आप को ग़लतफहमी हो रही हैं…मिस रश्मि……मैं आप पर लाइन नही मार रहा. ना ही मेरा कोई और ग़लत इरादा है….मैं तो सिर्फ़ आपकी थोड़ी मदद करना चाहता हू……”

“मेरी मदद…?,,,कैसी मदद…?….आपको किसने कहा मुझे किसी मदद की ज़रूरत है…?…..और आप हैं क्या चीज़, जो गले ही पड़े जा रहे हैं..?”…….रश्मि अब बौखला गयी थी, वो समझ नही पा रही थी, इश्स हॅंडसम और शरीफ दिखाने वेल अंजन युवक से कैसे पेश आए.

“मिस रश्मि,…मैं बड़ी ही नायाब चीज़ हू,….बहुत ही चमत्कारी….!…..मेरे पास एक अल्लादीन का चिराग है…जिसे घिसने पर, एक जिन्न प्रकट होता है…..और वो हर समस्या का समाधान ढूंढता है……आपकी भी समस्या का हाल ढूनदा जा सकता है..!”……..वो रहस्यमयी युवक, क्या बोल रहा था रश्मि के कुच्छ समझ नही आया…..समझ मे आई तो सिर्फ़ एक बात…..क्या ये आदमी उसकी प्राब्लम सच मे जनता है…?…लेकिन कैसे…?..और क्या वो उसकी मदद करने के बहाने, फिर ये उसे एक्शप्लोइटे तो नही करेगा…?

तभी स्कूल की तरफ जाने वाली बस आई,…रश्मि बस मे चढ़ गयी….पीछे पीछे वो युवक भी चढ़ गया….अब रश्मि का दर बढ़ने लगा…..वो एकदम सामने जा खड़ी हुई…..वो युवक भी उसके पिच्चे पिच्चे उसके एक दम करीब जा खड़ा हुआ……रश्मि उसे गुस्से मे कुच्छ कहने ही वाली थी, के उसके कानो मे युवक की धीमी आवाज़ पड़ी….

“मैं तुम्हे रिंकू के चंगुल से च्छुदा सकता हू,…रश्मि..!…और बदले मे तुमसे कुच्छ भी नही माँगूंगा…मेरा विश्वास करो….अब तुम्हारी मर्ज़ी….अगर मेरा विश्वास करोगी तो फ़ायदे मे रहोगी……वरना मैं चला…!’

रश्मि अब सोच मे पद गयी, लगता है ये बहुत कुच्छ जनता है….और बहुत कुच्छ कर सकता है…..क्या उसे विश्वास करना चाहिए..?….वो किसी नतीजे पर पहुच नही पा रही थी…

“अगर मुझसे बात करना चाहती हो तो, अगले स्टॉप पे उतार जाओ….मैं नही चाहता हम दोनो स्कूल के पास एक साथ देखे जाए..!

अब रश्मि को जल्दी फ़ैसला लेना था……उसने लिया…..वो अगले स्टॉप पर उतार गयी….पिछे पिछे वो युवक भी.

उतरने के बाद उसने रश्मि की तरफ मुस्कुरके देखा……”घबराव नही, रश्मि, मेरी वजह से तुम्हे कोई नुकसान नही होगा, उल्टा फ़ायदा ही होगा..!”
“लेकिन आप हैं कौन……?”
“बताया तो था बड़ी नायाब चीज़ हू…..बहुत कम की चीज़ हू….वो अल्लादीन…..!”
“मज़ाक मत करो…….तुम मुझे कैसे जानते हो…?”……रश्मि अब आप से तुम पर ुअतर आई.
“क्या रास्ते मे खड़े खड़े ही बात करने का इरादा है……वो सामने कोफ़फे शॉप है….बैठ कर बाते करते हैं, साथ मे कॉफी भी हो जाए…!”
रश्मि कुच्छ नही बोली, सिर्फ़ कॉफी शॉप की तरफ चल दी, वो दोनो एक कॉर्नर सीट देख कर बैठ गये, वेटर को कोफ़फे का ऑर्डर दिया गया.
रश्मि को आपने तरफ सवालिया नज़ारो से देखता पा कर, वो युवक मुस्कुराया……

“मेरा नाम आमिर है….आमिर ख़ान….फ़िल्मो वाला नही…..प्रेस रिपोर्टर..!”
उसके मूह से प्रेस रिपोर्टर सुनते ही, रश्मि के छक्के छुत गये….वो एकदम घबरा गयी…..आमिर जानता था ऐसा ही कुच्छ रिक्षन होगा…….उसने रश्मि का हाथ थपथपाया, तस्सली देने के लिए.

“डरो नही,…अगर प्रेस रिपोर्टर होने का फ़ायदा ही उठाना था, तो मैं तुम्हे इश्स तरह नही मिलता,….फोन पे धमकता, डराता, और तुमसे अपनी मनमानी करता…..नही रश्मि तुम्हे परेशान करने का मेरा कोई इरादा नही है”……..आमिर के इतने कहने पर वो कुछ रिलॅक्स हुई.

“तो क्या चाहते हो तुम……और तुम्हे रिंकू के बारे मे कैसे पता लगा…?”

“मैं नीलू के केस पर काम कर रहा हू…….रूको, मैं तुम्हे सब शुरू से बताता हू……लेकिन रश्मि मेरी एक रिक्वेस्ट है…!”

“क्या….!”…….रश्मि अब काफ़ी उत्सुक होगआई थी.

“तुम मुझे कुच्छ सवालो के सच सच जवाब दोगि……..तभी मैं तुम्हे रिंकू के चंगुल से आज़ाद करवा सकता हू, और नीलू को भी न्याय दिला सकता हू…….मुमकिन हो गुनहगारो को सज़ा भी दिलवा सकता हू.”

“ठीक है…पहले तुम आपनी बात पूरी करो, फिर मैं तुम्हारे सवालो के जवाब भी दूँगी.

आमिर ने रश्मि को वो सब बताया, जो अब तक की उसकी तफ़तीश से उसने जाना था……और ये भी की वो रश्मि तक कैसे पहुचा….कैसे उसने रश्मि की मोबाइल पर, रिंकू से हुए बाते सुनी.

रश्मि उसे ऐसे घूर रही थी, जैसे वो इंसान नही वाकई मे जिन्न हो.

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