कामुक कहानियो के चक्कर मे चुद गयी

हेलो दोस्तो, मई दीपक अब शुरू करता हू अपनी पातिका की कहानी “कहानी से वास्तविकता तक” का अगला पार्ट, उसकी ज़ुबानी.

चाचा के रूम मे जाने के बाद, चाचा ने मुझे पानी दिया और बुक्स मेरे सामने रख दी. मैने पानी पिया और बुक्स देखने लग गयी. चाचा भी एक बुक लेके देखने लगे. फिर मैने आराम से बैठ कर 1 घंटे तक कहानी पढ़ी.

फिर चाचा ने कोई कहानी मुझे बोल कर पढ़ने को कहा, क्यूकी वो भी सुनना चाहते थे. मई शर्मा गयी और बोली-

मई: नही मई ऐसे नही पढ़ सकती.

तो चाचा बोले: चलो साथ मे पढ़ते है.

और ये कहके उन्होने एक अची सी रिक्शा-वाले और स्कूल की लड़की की चुदाई की कहानी ओपन की. थोड़ी ही देर मे मई गरम हो गयी और उस स्टोरी मे मई चाचा और खुद को सोचने लगी. चाचा समझ गये और मुझसे तोड़ा सात के बैठ गये और बोले-

चाचा: डिंपल कुछ ट्राइ करोगी या बस पढ़ोगी ही?

मई वासना मे इतना डूब गयी थी, की कुछ माना नही कर सकी और चाचा ने मेरा हाथ अपने लंड पर रख दिया. मई काँप गयी और गरम हो गयी. फिर चाचा ने बड़े ही प्यार से मेरे माथे पर और गालो पर किस किया.

मैने उनका ज़रा भी विरोध नही किया. फिर चाचा ने मुझे लिटा दिया और मेरे होंठो पर धीरे-धीरे किस करने लगे. मई भी उनका साथ देने लगी और मूह खोल के उनको अपनी जीभ और होंठो को अची तरह से किस करने देने लगी.

मेरे पुर शरीर मे करेंट सा दौड़ रहा था. मई पूरी तरह से वासना मे डूब गयी थी. मैने इतनी कहानिया पढ़ी थी, की वो सब अब मुझे करने का ये पहला मौका था.

मई इतने जोश मे आ गयी, की मई चाचा के कपड़े खुद उतार दिए और सीने और गर्दन पर भूखी शेरनी के जैसे टूट पड़ी और चुंबन की बौछार कर दी.

इस बीच चाचा ने भी मेरी कॉलेज शर्ट और स्कर्ट ओपन कर दी और मेरे स्टान्नो को सीधे अपने मूह मे ले लिया. मई तो पागल सी हो गयी थी और कराह उठी-

मई: आहह.. चाचा आहह.. और करो.

चाचा ने मेरे दोनो स्टान्नो को 20 मिनिट तक चूस कर, अपने दांतो के निशान डाल दिए और फिर मैने सीधे चाचा के लंड को बाहर निकाल लिया.

वाह 8 इंच लंबा और 2 इंच मोटा था उनका लंड. आयेज से ओपन और पूरा खड़ा गुलाबी लंड देख कर, मैने तुरंत चूम लिया और मूह मे लेकर चाटने लग गयी.

10 मिनिट मूह मे लेने के बाद, चाचा ने मुझे रोका और नीचे लिटा दिया और अपनी जीभ सीधे मेरी वर्जिन छूट पर रख दिए. मई उछाल पड़ी और कराह उठी.

चाचा ने मेरे स्टअंन अपने दोनो हाथो मे लेकर ज़ोर से दबाया और छूट को जीभ से चाटने लगे. मई मदहोश होने लगी और फिर 5 मिनिट मेरा शरीर अकड़ने लगा और फिर मुझे ऐसा आनंद आया, जो की मैने आज तक कभी महसूस नही किया थी.

और फिर मई निढाल हो गयी. चाचा मेरी छूट से, जो भी कुछ निकला, वो सब सॉफ कर गये. और फिर मेरे बगल मे आकर मुझे किस करने लगे.

5 मिनिट किस करते हुए मई फिर गरम होने लगी, तो चाचा किस करते हुए ही मेरे उपर आ गये और जैसे ही उनका लंड मेरी छूट पर पड़ा, मई रोमांचित हो उठी. चाचा एक हाथ से अपना लंड पकड़ कर मेरी छूट के उपर धीरे-धीरे सहलाने लगे.

मई पागल सी होने लगी और बोल उठी: अब अंदर डाल दीजिए, नही रहा जेया रहा मुझसे.

चाचा ने एक ज़ोरदार स्मूच दिया और लंड का टोपा मेरी छूट के मूह पर सता दिया और उपर से ज़ोर लगाने लगे. मई दर्द मे आ.. आ.. करके उपर सरक गयी. फिर उन्होने मेर चूची पर किस किया और बोले-

चाचा: अपने पैर खोल दो और अपना शरीर एक-दूं ढीला छोढ़ दो.

मैने वैसा ही किया. चाचा ने फिर लंड को छूट के मूह पर रखा और थोड़ी देर किस करते हुए लंड टाइट करके ज़ोर से दबा दिया. मेरी तो दर्द से चीख निकल गयी और आँखों स आँसू आ गये.

ऐसा लगा जैसे छूट मे ब्लेड लग गया हो. चाचा रुक गये और मुझे सहलाने लगे और समझाने लगे, की बस थोड़ी देर दर्द होगा. मैने भी सब कहानियो मे यही पढ़ा था, लेकिन ये दर्द इतना होगा, ऐसा सोचा भी नही था.

फिर थोड़ी देर बाद, दर्द कम हुआ, तो चाचा धीरे-धीरे हिलने लगे और अब हल्के दर्द के साथ एक अजीब सा मज़ा आने लगा.

चाचा समझ गये थे, की अब दर्द कम हो रहा है. तो वो तोड़ा-तोड़ा और ज़ोर लगाकर लंड हर धक्के मे और अंदर डालने लगे. फिर चाचा ने स्पीड थोड़ी धीरे की, तो मई नीचे से उछाल के उनका साथ देने लगी.

ये देख कर चाचा ने एक भूत ही ज़ोर से धक्का लगाया और लंड पूरा मेरे अंदर कर दिया. मई दर्द मे बेहोश सी हो गयी थी. मुझे अपने पेट मे उनका लंड महसूस होने लगा.

चाचा बिना रुके चुदाई किए जेया रहे थे. फिर थोड़ी देर मे मुझे होश आने लगा. मुझे दर्द और मज़े का ऐसा संगम लगा, की मई बता नही सकती और मई फिरसे वासना की आगोश मे चली गयी और चाचा को अपने पैर और हाथो से उकसाने लगी.

फिर ऐसा लगा, की जैसे शरीर मे अचानक से करेंट सा दौड़ रहा हो और पूरा शरीर टाइट हो गया और फिर ऐसा लगा, जैसे छूट से सारी जान निकल जाएगी. चाचा के लंड ने मेरा पहला चरमसुख मुझे दिया.

मई एक-दूं निढाल हो गयी और तभी चाचा भूत ज़ोर से हाफ्ते हुए मुझे स्पीड मे छोड़ने लगे और अचानक मेरी छूट मे उनके लंड का लावा फुट गया. उनका लावा मई अपनी बच्चे-दानी मे महसूस कर रही थी.

फिर चाचा मेरे उपर ऐसे ही लेट गये और हाफ्ते हुए किस करते रहे. फिर हम दोनो ऐसे ही लेते हुए सो गये. दो घंटे बाद, चाचा ने मुझे उठाया. हम दोनो पुर नंगे थे. मुझे अब थोड़ी सी शरम महसूस हो रही थी, तो चाचा की एक चादर मैने अपने उपर डाल ली.

चाचा बीसुट और पानी लाए और खाने को दिया. मैने अपने बाग से तिफ्फ़िं निकाला और चाचा के साथ खाने लगी. तभी चाचा ने एक नीवाला अपने हाथ से मेरी तरफ दिया. मई शर्मा गयी लेकिन खा लिया.

फिर मैने भी चाचा को खिलाया. फिर चाचा ने मेरा जूता खाना माँगा, तो मई नही समझ पाई. चाचा मेरे पास आए और किस करते हुए मेरे मूह से खाना अपने मूह मे ले लिए.

मुझे ये भूत अछा लगा. फिर मई भी चाचा के साथ वैसा ही करने लगी. खाने के बाद, हम दोनो ऐसे ही बात करने लगे. फिर चाचा बोले-

चाचा: अभी तो कॉलेज बंद होने मे 4 घंटे है, तो क्या कॉलेज जाओगी?

मई बोली: नही, अब आज नही.

फिर वो बोले, की क्या एक बार और करना चाहोगी? मई मुस्कुरा दी और चाचा मेरे पास आए और हमने दूसरा रौंद शुरू कर दिया. फिर चाचा ने दो बार और मेरी आचे से चुदाई की और फिर मुझे आचे ने नहला कर रेडी कर दिया. चाचा बोले-

चाचा: अब जब भी तुम्हारा मॅन हो, बता देना. हम सीधे यही आ जाएँगे.

इस कहानी का फीडबॅक आप मुझे मेरी एमाइल पर भेज सकते है. मेरी ईद है:

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