जीजा दीदी चुदाई देखकर मचल गई चूत

मैं सपना एक बार फिर से अपनी आपबीती आप सब लोगों तक लेकर आई हूँ. मुझे उम्मीद है कि पिछली जीजा साली सेक्स की कहानी
जीजा के साथ मेरा सुहागदिन
की तरह इस कहानी को भी आप लोग पसंद करेंगे.
मेरी पिछली कहानी में आपने पढ़ा था कि मेरे जीजा जी मेरे साथ सुहाग दिन मनाना चाहते थे लेकिन किस तरह से उनके साथ मेरा सुहागदिन पूरा नहीं हो पाया और फिर एक रात को उन्होंने मेरी चूत चोद दी थी. उसके बाद फिर उन्होंने मेरे साथ अधूरे सुहाग दिन को पूरा किया था.

उस दिन जो हुआ उसके बाद तो मैंने सेक्स न करने की जैसे कसम ही खा ली थी क्योंकि मेरे जीजा के मोटे लंड ने मेरी चूत में बहुत दर्द कर दिया था.

मगर होनी को कौन टाल सकता है? मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही होने वाला था जिसकी मुझे खबर नहीं थी.
दूसरे दिन मेरी दीदी वापस आ गई और दीदी ने मुझे कुछ दिन उन्हीं के साथ वहीं पर रुकने के लिए कह दिया. दीदी मुझे जयपुर घुमाना चाहती थी और मेरे लिए वहाँ से कुछ खास तरह के कपड़े भी खरीदना चाहती थी. मैं भी दीदी के कहने पर कुछ दिन रुकने के लिए मान गयी.

दीदी के आने के बाद उस रात मैं उनके बच्चों के साथ दूसरे कमरे में सो गयी. रात के करीब दस बजे के आस-पास दीदी और जीजा जी के कमरे से सेक्सी आवाजें आना शुरू हो गई थीं. मैंने आवाजों को सुनकर चादर से अपने कानों को बंद करने की कोशिश की. कुछ देर के बाद मुझे नींद आ गई.

सुबह उठने के बाद दीदी जब बाथरूम में फ्रेश होने के लिए गयी हुई थी तो जीजा जी ने मुझे आकर दबोच लिया. वो मुझे पीछे से आकर अपनी बांहों में भर कर मेरे चूचों को दबाने लगे. उनका लंड तन कर मेरे चूतड़ों पर जा सटा.
मैंने जीजा जी को पीछे धकेलते हुए मना कर दिया. मैंने उनसे कहा कि अगर दीदी को इसके बारे में पता चल गया तो दीदी को बहुत बुरा लगेगा.

मेरे कहने पर जीजा जी ने मुझे छोड़ दिया. मैंने नीचे नजर करके देखा तो उनके पजामे में उनका तंबू तना हुआ था.

जीजा ने धीरे से मेरे कान के पास आकर अपना मुंह लाकर कहा- तुम्हारे कहने पर मैं तुम्हें अभी के लिए छोड़ रहा हूँ लेकिन आज तुम्हें मेरा और तुम्हारी दीदी का सेक्स रात को जरूर देखना है. अगर तुमने हमारा सेक्स नहीं देखा तो मैं तुम्हें अकेले में पकड़ कर चोद दूंगा!
मैंने जीजा जी की बात मान ली मगर साथ ही उनको यह भी कह दिया कि वे मेरे साथ ऐसे कुछ जबरदस्ती नहीं करेंगे तो ही मैं उनका सेक्स देखूंगी.
जीजा जी मेरी बात मान गये.

शाम होने के बाद रात को सबने खाना खाया और कुछ देर तक साथ में टीवी देखने के बाद बच्चे सो गये थे. आज हमारे सोने की जगह बदल गई. आज मैं दूसरे वाले कमरे में बच्चों के साथ सोई थी. मुझे भी नींद नहीं आ रही थी. इतनी ही देर में जीजा जी के कमरे से आवाजें आने लगीं.

दीदी जीजाजी की चुदाई की कामुक आवाजें सुनकर वैसे मैं भी गर्म होना शुरू हो गई थी. जीजा जी ने पहले ही मुझे उनकी लाइव चुदाई देखने के लिए न्यौता दिया हुआ था. कुछ ही देर में मेरा मन करने लगा था कि दीदी ओर जीजा जी का सेक्स देखूँ.

आज जीजा जी भी मुझे उन दोनों का सेक्स दिखाने के लिए जोर से आवाजें निकाल रहे थे. जब मुझसे भी रहा न गया तो मैं उठ कर गेट के पास से देखने की कोशिश करने लगी. बाहर जीजा जी और दीदी नवजात बच्चे की तरह पूर्ण रूप से नंगे होकर एक दूसरे को बांहों में भर कर सेक्स कर रहे थे.

जीजा जी बार-बार मेरे रूम की तरफ देख रहे थे कि मैं उनको देख रही हूं या नहीं. जब उनको लगा कि मैं उनको देख रही हूँ तो वो और ज्यादा दीदी को काटने-चाटने लगे.
उसके बाद उन्होंने दीदी के चूचों को बहुत ही जोर से दबाना शुरू कर दिया.
दीदी ने कहा- आपको आज क्या हो गया है जो जानवरों की तरह मेरे स्तनों को मसल कर मरोड़ रहे हो?

मगर दीदी की बात को अनसुना करके जीजा जी तो बस पागल से हुए जा रहे थे. उनके मन में ये था कि उन दोनों को सेक्स करते उनकी जवान सेक्सी साली देख रही है. वो शायद यह सब इसलिए करना चाहते थे क्योंकि उनको लग रहा था कि दीदी के साथ लाइव सेक्स दिखाकर वो मुझे भी फिर से सेक्स के लिए तैयार कर लेंगे.

वो अपनी ही धुन में लगे हुए थे. उसके बाद उन्होंने दीदी की चूत को कुत्तों की तरह चाटना शुरू कर दिया. दीदी ने भी जीजा जी के चूतड़ों को अपने हाथों में भर लिया था और दूसरी तरफ से उन्होंने जीजा के लंड को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया. उन दोनों की ये पोजीशन 69 की बन गई थी. जीजू दीदी के मुंह में तेजी के साथ अपने लौड़े के धक्के मार रहे थे.

कभी कभी तो दीदी लंड को बाहर निकाल देती थी और तेजी से हाँफने लगती थी. मगर जीजा जी फिर से उनके सिर को पकड़ कर अपने लंड को उनके मुंह में डाल देते थे. जब दीदी की सांस फूलने लगी तो उन्होंने उनके मूसल लंड को अपने हाथ में पकड़ कर हिलाना शुरू कर दिया.

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जीजा ने फिर से अपने लंड को दीदी के मुंह में डालने की कोशिश की मगर दीदी ने ये कहते हुए मना कर दिया कि उनका मुंह अब दुखने लगा है. उसके बाद जीजा ने भी अपनी जीभ को दीदी की चूत से बाहर निकाल लिय़ा और दीदी को घोड़ी की पोजीशन में झुका लिया.

घोड़ी की स्थिति में झुकाने के बाद जीजा ने अपना लंड एक ही झटके में दीदी की चूत में घुसा दिया. दीदी इस जोर के प्रहार से बिलबिला उठीं और बोली- आज आपको क्या हो गया है?
परंतु जीजा जी ने कुछ सुना ही नहीं और पूरी ताकत से झटके मारने लगे. कुछ देर बाद दीदी भी सेक्स के रंग में रंगने लग गई और जीजा के मोटे लंड से चुदाई का मजा लेते हुए आह … आह … की आवाज करने लगी.

कुछ देर इस पोज़ में चोदने के बाद जीजा जी ने आसन बदला और दीदी को खड़ी कर दिया. उन्होंने दीदी का एक पैर ऊपर की ओर करके उठा लिया तथा फिर एक बार जोर लगाते हुए पूरा का पूरा लंड दीदी की चूत में घुसा दिया.
दोनों की सेक्स की ट्रेन फिर से शुरू हो गई. आज जीजा जी शायद सेक्स करने में पगला गये थे इसीलिए वो आज बुरी तरह दीदी को ठोक रहे थे. मेरे शरीर में भी अब कुछ-कुछ होने लगा था. जब मैंने अपनी पैंटी पर हाथ लगा कर देखा तो मेरी पैंटी भी गीली हो चुकी थी.

कुछ देर की इस चूतफाड़ चुदाई के बाद दीदी का पानी निकल गया था और दीदी की दोनों टांगें पानी से चिकनी होने लगीं. दीदी ने जीजा जी से उनकी चुदाई रोकने के लिए कहा लेकिन वह रुक ही नहीं रहे थे. जीजू दीदी की चूत में अपना लंड पेलते रहे. जब तक उनका वीर्य उनके लंड से निकल न गया उन्होंने अपने मोटे लंड से दीदी की चूत की जोरदार ठुकाई जारी रखी. वीर्य को उनकी चूत में खाली करने के बाद जीजा जी कुछ देर के लिए शांत हो गये.

मैंने सोचा कि उन दोनों का सेक्स खत्म हो गया है लेकिन मैं गलत सोच रही थी. जब मैं अपने कमरे में अंदर जाने ही वाली थी तो जीजा ने मेरी दीदी को फिर से पकड़ लिया. उन्होंने दीदी के चूचों के बीच में ले जाकर अपने लंड को रगड़ना शुरू कर दिया. दीदी वैसे तो थकी हुई थी लेकिन चूचों पर लंड की रगड़ से शायद उनको भी मजा आना शुरू हो गया था इसलिए वो भी अपने दोनों चूचों के बीच जीजा के लंड को भींचने लगी थी.
जब जीजा जी का लंड पूरी तरह से तन कर बिल्कुल किसी रॉड की तरह टाइट हो गया तो एक बार फिर से जीजा जी ने दीदी को घोड़ी बना दिया.

बाहर खड़ी हुई मैं भी सब देख रही थी. मैं भी हैरान हो रही थी कि जीजा को आज हो क्या गया है. इतने बड़े चोदू हैं मेरे जीजा? जब उन्होंने मेरे साथ सेक्स किया था तो मैंने उनका ऐसा रूप नहीं देखा था. हाँ उनके सेक्स में जोर बहुत था मगर जबरदस्ती नहीं थी. मगर अपनी ही बीवी को जीजा जी इस तरह से पागलों की तरह चोदने पर उतारू हो रहे हैं ये सब देख कर मैं हैरान हो रही थी.
उन्होंने दीदी के कूल्हों को पकड़ लिया और दीदी की चूत में लंड को न डालकर दीदी की गांड के छेद पर सेट कर दिया. अगले ही पल जोर का धक्का देते हुए उन्होंने दीदी की गांड में लंड को पूरा का पूरा उतार दिया.

जीजा जी के इस प्रहार को दीदी बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी लेकिन मेरे चोदू जीजा ने मेरी दीदी के कूल्हों को अपने हाथों में पकड़ रखा था. उनके लंड को दीदी ने अपनी गांड में समा कर सेट करके एडजस्ट करने की पूरी कोशिश की लेकिन उससे पहले ही जीजा के धक्के दीदी की गांड में लगने शुरू हो गये.

अपने लंड से वह मेरी दीदी की छोटी सी गांड की चुदाई करने लगे और मेरी दीदी की चीखें निकलने लगीं. मगर उनकी आवाज इतनी ज्यादा तेज नहीं थी कि बाहर आकर बच्चों के कानों तक पहुंच पाये. बच्चे इस वक्त गहरी नींद में सो रहे थे. दीदी अपने पति से अपनी गांड को चुदवाते हुए नॉर्मल होने की कोशिश कर रही थी मगर जीजा के धक्के बहुत ही तेज थे. मुझे दीदी की हालत पर तरस आ रहा था. बीच-बीच में जीजा जी दरवाजे की तरफ भी देख रहे थे.

वो देख रहे थे कि मैं भी उनकी बीवी की गांड चुदाई को देख रही हूँ. असल में अपने जीजा के इस जोशीले सेक्स से मैं भी बहुत ज्यादा गर्म हो गई थी. मेरा मन कर रहा था कि अपनी चूत को अभी जीजा के सामने ले जाकर फैला दूँ और वो अपने मोटे लंड से मेरी चूत की सवारी करें. मगर अभी तो जीजा का लंड मेरी दीदी की गांड की सवारी कर रहा था.
कुछ देर के बाद दीदी को भी गांड चुदाई में मजा आने लगा. वो अब मेरे जीजा का पूरा साथ दे रही थी. लगभग बीस मिनट की चुदाई के बाद जीजा ने मेरी दीदी की गांड में धक्के लगाते हुए अपनी स्पीड धीमी करनी शुरू कर दी. मैं जान गई कि उनका वीर्य दीदी की गांड में पिचकारी के रूप में भरने लगा है.

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उसके बाद जीजा जी थक कर एक तरफ गिर गए. दीदी भी बुरी तरह से थक गई थी. मैं वहीं दरवाजे पर खड़ी हुई थी. वो दोनों नंगे पड़े हुए थे.

उसके बाद जीजा ने दीदी को फिर से चूमना शुरू कर दिया मगर इस बार दीदी ने उनको दोनों हाथों से धकेलते हुए दूर कर दिया. दीदी बोली- आपने तो आज मेरी ही जान ही निकाल दी है. आज कौन सा भूत सवार हो गया है आपके सिर पर सेक्स करने का?
जीजा ने दीदी की बात को कोई जवाब नहीं दिया.

मगर मैं दीदी की बात का जवाब जानती थी. जीजा जी ने यह सब मुझे गर्म करने के लिए किया था. फिर दीदी के हटाने पर वो उठ कर फ्रिज के पास गये और फ्रिज के अंदर से जूस के दो गिलास निकाल कर ले आये.

एक गिलास उन्होंने दीदी के हाथ में देना चाहा मगर फिर कुछ सोच कर खुद ही दीदी को अपने हाथों से जूस पिलाने लगे. दीदी भी खुश हो गई. दीदी ने सोचा कि आज जीजा को उन पर बहुत प्यार आ रहा है. फिर जीजा ने दीदी के बालों में हाथ फिराना शुरू कर दिया और कुछ ही देर में दीदी को नींद आ गई. मगर दीदी का बदन अभी नंगा ही था.

दीदी जीजा की इस चुदाई को देखने के बाद मैं भी अपने रूम में वापस आ गई. मैं बिस्तर लेट गई. मुझे लेटे हुए तीन-चार मिनट ही हुए थे कि जीजा जी चुपके से मेरे कमरे में आ गए. इससे पहले मैं कुछ सोच पाती वो मेरे ऊपर थे और मुझे अपनी बांहों जकड़ कर मेरे होंठों को चूसने लगे. मैंने उन्हें हटाने की कोशिश की लेकिन मेरी कोशिश काम नहीं आई.

मैंने कहा- जीजू, अगर दीदी को पता चल गया तो मुसीबत हो जायेगी.
वो बोले- तुम्हारी दीदी को कुछ नहीं पता चलेगा. उसकी मैंने आज ऐसी चुदाई की है कि वो सुबह तक नहीं उठने वाली. इसके साथ ही मैंने उसके जूस में नींद की गोली भी मिला दी है. तुम अपनी दीदी की चिंता मत करो, बस इन पलों का मजा लो मेरी जान!

कहकर जीजा ने मुझे फिर से चूसना शुरू कर दिया. वैसे जीजा और दीदी का सेक्स देखने के बाद मेरी चूत भी प्यासी हो गई थी. लेकिन जब मैंने जीजा के साथ पहले सेक्स में हुए दर्द के बारे में सोचा तो थोड़ा डर भी लग रहा था.

लेकिन जैसे ही जीजा ने मेरे बूब्स को दबाना शुरू किया तो सेक्स मेरी घबराहट पर भारी हो गया और मैंने जीजा के साथ मजा लेने का मन बना लिया. दिल तो कह रहा था कि ये गलत होगा लेकिन मन कह रहा था कि तन की प्यास बुझाने के लिए कुछ गलत नहीं होता.

मैंने अपने मन की बात मान ली और खुद को जीजा के हवाले कर दिया. मैं सोच रही थी कि जो होगा देखा जायेगा. मैंने जीजा को अपनी बांहों में भर लिया और उन्होंने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिये. उसके बाद उन्होंने जल्दी से मेरी सलवार पर हाथ मारते हुए उसके नाड़े को खोल दिया और नीचे से पैंटी समेत मेरी सलवार को नीचे की तरफ खींच दिया.

मेरी गीली-गीली चूत पर जीजा का लंड जा लगा और उन्होंने पल भर की देर किये बिना ही मेरी चूत में लंड को सेट करके एक ऐसा धक्का मारा कि मैंने जीजा की कमर को नोंच दिया. मुझे बहुत दर्द हुआ मगर साथ में बच्चे सो रहे थे इसलिए मैंने अपनी दर्द भरी आवाज को अंदर ही दबा लिया.

चूत में लंड को धकेलने के बाद जीजा ने मेरी चूत को चोदना शुरू कर दिया. जीजा साली सेक्स शुरू हो गया. कुछ ही देर में उनके लंड ने कामरस से चिकनी हो चुकी मेरी चूत में मजा देना शुरू कर दिया. मैंने जीजा की कमर को सहलाना शुरू कर दिया.
जीजा की स्पीड बढ़ने लगी और उन्होंने मेरी चूत की जोरदार चुदाई शुरू कर दी. दोनों के ही गुप्तांगों से कामरस बह रहा था जिसके कारण फच्च-फच्च की आवाजें आना शुरू हो गई थी. मेरी चूत टाइट थी इसलिए जीजा जी पंद्रह मिनट से ज्यादा मेरी चिकनी चूत के सामने टिक नहीं पाये और उन्होंने मेरी चूत में अपना वीर्य उड़ेल दिया. कुछ पलों तक वो मेरे ऊपर ही गिरे पड़े रहे. उसके बाद वो उठे और चुपके से मेरे कमरे के दरवाजे से बाहर निकलते हुए दरवाजे को ढाल कर चले गए.

उस रात तो मेरी चूत भी जीजा के लंड से चुद कर शांत हो गयी थी. मगर अभी जीजा का मन नहीं भरा था. उसके बाद क्या हुआ वो मैं आपको अपनी अगली कहानी में बताऊंगी.

जीजा साली सेक्स की इस कहानी पर अपनी राय देने के लिए आप नीचे कमेंट करें और मुझे मेल भी करें. मैं अपनी अगली कहानी के साथ जल्दी ही वापस आऊंगी.



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