ससुर-बहू सेक्स कहानी अब आयेज-
रेखा के दोनो निपल ससुर जी ने रब्बर की तरह खींच डाले. रेखा की आँखें बंद हो गयी, और वो भी फुल मज़ा लेने लगी. दुकान होने की वजह से ससुर जी ने बस 5 मिनिट चूस कर ही रेखा को जाने दिया. फिर घग्रा लेके वो भी कार में बैठ गये. अंदर आते ही रेखा को अपनी गोदी में खींच कर फिर से उसके चुचो से खेलने लगे.
रेखा: आ आउच!
धरम पल: कैसी लगी तुझे घग्रा चोली?
रेखा (शरमाते हुए): आपने तो बहुत छ्होटी खरीद ली. पता नही मुझे आएगी भी या नही.
धरम पल: छ्होटी है तभी तो तेरा ये जिस्म कॅसा हुआ लगेगा. तेरे चुचे कैसे बाहर निकल आएँगे, और फिर उनका दूध मैं निचोढ़ दूँगा.
रेखा शर्मा गयी.
धरम पल: पता है जितना तगड़ा बच्चा तेरे पेट में जाएगा, उतना ज़्यादा और पौष्टिक दूध बनेगा तेरे चुचो में.
रेखा (शरमाते हुए): आपका बच्चा तो पौष्टिक ही होगा पापा जी. इस उमर में भी आपकी ताक़त ज़रा भी कम नही हुई.
धरम पल: हा, तेरे इस मादक जिस्म की जवानी देख कर मेरी ताक़त और बढ़ जाती है मेरी कुटिया.
तभी रेखा ने ससुर जी का हाथ अपनी चोली में घुसा दिया, और मसालने लगी.
रेखा: उम्म्म्म, पापा जी. आपने तो कहा था मुझे सोने का हार भी दिलवाओगे.
धरम पल (रेखा के चुचे नोचते हुए): हा मेरी सेक्सी बहू, तुझे सोने का हार दिलवाने ही तो जेया रहा हू. पर एक शर्त पर.
रेखा: कैसी शर्त पापा जी?
धरम पल: जब तक तेरी जवानी है. मैं तेरे इस मादक जिस्म से बच्चे पैदा करता रहूँगा. और तेरे इन चुचो में दूध बनता रहेगा, जिसको मैं निचोढ़ कर पीटा रहूँगा.
रेखा शर्मा कर मुस्कुराने लगी.
रेखा: मैं तो आपकी हू पापा जी. आपका जितना मॅन करे अपने पेट से आपके बच्चे पैदा करके दूँगी. मेरी कहाँ हिम्मत है माना करने की.
धरम पल: ये हुई ना बात.
फिर रेखा को ससुर जी ने सोने की ज्यूयेल्री दिलवा दी. और वहाँ से सीधा धरम पल अपनी बहू को गाओं से बहुत डोर ले आया एक होटेल में. वहाँ एक बढ़िया रूम लेके दोनो आ गये, और ससुर जी दारू पीने लगे, और रेखा उनके पैर दबाने लगी.
अपनी बहू के मोटे चुचे और चिकनी कमर देख ससुर जी का लंड भी खड़ा हो रहा था. पैर दबाते हुए रेखा ससुर जी की जाँघ मसालने लगी, और धोती के अंदर हाथ डाल कर उनका लंड भी मसालने लगी.
धरम पल: आ उम्म, अब और मत तडपा, जल्दी से बैठ जेया.
रेखा ने ससुर जी की लूँगी हटाई, और खड़े लंड पर बैठने ही वाली थी, की ससुर जी ने ही उसकी कमर पकड़ कर अंदर झटका दे मारा.
रेखा: आह श.
धरम पल: उम्म, तेरी छूट अभी बहुत जवान है मेरी रानी.
फिर वो रेखा को ज़ोर-ज़ोर से छोड़ने लगता है.
रेखा: आ, आराम से पापा जी.
धरम पल: ले साली ले आ.
अपने खड़े लंड के साथ धरम पल ने अपनी बहू रेखा को रात भर ऐसे ही बैठ कर खड़े लंड पर खूब छोड़ा. फिर अपने लंड का वीर्या रेखा की छूट में भर कर सुबह तक शांत हुए. फिर रेखा को नंगी अपने जिस्म से लगा कर सो गये.
अगले दिन भी ससुर जी ने रेखा को दिन भर होटेल के रूम में कुटिया की तरह रग़ाद कर खूब छोड़ा. रेखा की छूट से ससुर जी का वीर्या बाहर टपकने लगा था. 3 दिन तक लगातार रेखा को कुटिया की तरह छोड़ने के बाद ससुर जी उसको बाहर ले जाने लगे.
रेखा: पापा जी आज आराम करने दो ना. 3 दिन से आपने मुझे रग़ाद कर जान निकाल दी मेरी.
धरम पल: तो ठीक है. मैं अपने दोस्तों को तेरे से मिलने यहीं बुला लेता हू. कब से बोल रहे है सेयेल अपनी बहू से मिलवा दे. यहाँ तेरे से आचे से मिलेंगे वो.
रेखा समझ गयी की ऐसी बात थी, तो फिर तो वो पक्का उसको इस होटेल में छोड़ देंगे. बिल्कुल रहम नही करेंगे उसका जिस्म देख कर. क्यूकी ससुर जी के हरामी दोस्त वो देख चुकी थी. कैसे उन्होने होली में कलर लगाने के बहाने से उसकी चोली में हाथ घुसा कर चुचा मसल दिया था.
रेखा: आप भी बड़े ज़ालिम हो पापा जी. मानोगे नही. अछा ठीक है, मैं चलती हू आपके दोस्तों से मिलने.
वो जानती थी मिलने के बहाने वो आचे से गले मिल के उसके पेट और कमर का रग़ाद कर मज़ा लेंगे, और पता नही क्या-क्या करने वाले थे.
धरम पल: चल अब जल्दी से अपना ब्लाउस और घग्रा पहन ले.
रेखा तैयार होने लगी, और कुछ देर बाद वो निकल गये दूसरे गाओं में. दारू और मुर्गे के साथ घेरा बना कर बैठे ससुर जी के दोस्त वेट करने लगे. फिर कुछ ही देर बाद ससुर जी और उनकी मादक बहू को देख कर सब के लंड खड़े होने लगे. डोर से ही उसका मुलायम पेट और आधे बाहर निकले चुचे देख कर उनकी आँखें फाटती की फाटती रह गयी.
ससुर जी के साभि हरामी दोस्तों का मूड रेखा को बस पटक-पटक कर छोड़ने का हो गया. उसका कॅसा हुआ मुलायम पेट, उसकी चिकनी नंगी कमर, उसके दूध से भरे चुचे चोली के अंदर आ. ससुर जी ने अपने दोस्तों के आयेज अपनी बहू को अपनी जाँघ पर बिता लिया, और उसकी कमर नोच कर पकड़ ली. रेखा मॅन ही मॅन सिसकियाँ लेने लगी.
ससुर जी के दोस्त: भाई तेरी बहू तो बहुत जवान है धरम पल.
धरम पल: हा सेयेल. मेरी सेवा भी तो करती है.
दोस्त: अछा तो तू भी इसकी सेवा करता है क्या?
सब ज़ोर से हस्स पड़े और रेखा भी शर्मा कर मुस्कुराने लगी. फिर सब अपना-अपना पेग बनाने लगे. ससुर जी ने इशारा करा, तो रेखा भी उनका पेग बनाने लगी. धरम पल भी पूरा हरामी था. वो जानता था ये सब उसकी इस मादक बहू रेखा को छोड़ना चाहते थे. पर साला जान-बूझ कर उनको चिढ़ता था. उनके सामने अपनी बहू का पेट और कमर रग़ाद कर मसलता था. पर उनको हाथ भी नही लगाने देता.
दोस्त: आज कैसे अपनी बहू को लेके आ गया तू धरम पल?
धरम पल: अर्रे ये बोल रही थी इसको सोने का हार चाहिए. इसकी च्चती बिना हार के अची नही लगती.
रेखा शर्मा कर मुस्कुराने लगी. तभी रेखा को पकड़ कर ससुर जी ने अपनी जाँघ पर बिताया, और हार दिखाते हुए उसकी च्चती पर हाथ फेरने लगे.
धरम पल: देख कैसा लगा मेरी बहू का हार?
सब लंड मसालते हुए रेखा की च्चती घूर्ने लगे. उसके दूध से फूले हुई चुचे और भी कड़क हो गये थे. सब दारू पी रहे थे, और नशा भी होने लगा. और ससुर जी भी नशे में और गरम होने लगे. उनके हाथ अब रेखा की चोली के अंदर और पेट को नोच रहे थे. रेखा बस किसी तरह सिसकियाँ कंट्रोल करके बैठी थी.
रेखा: हुहह.
उसकी नंगी कमर और पेट देख कर नशे में सब के लंड खड़े हो रहे थे. रेखा जानती थी की सब उसको हवस भारी नज़र से घूर रहे थे, और मौका मिला तो कुटिया बना कर पूरा दिन छोड़-छोड़ कर उसकी क़ास्सी हुई छूट का भुड्ता बना देंगे. पर उसके ससुर जी भी कम हरामी थोड़ी थे. 3 दिन से वो भी रेखा को उपर से नीचे तक पूरा रग़ाद कर उसकी छूट को फाड़ रहे थे.
और जब रेखा जैसी मादक बहू हो, तो कों नही चाहेगा उसकी क़ास्सी हुई छूट को फाड़ना. धरम पल ससुर जी का नशा और बढ़ने लगा. उनका हाथ धीरे-धीरे रेखा की चोली खींचने लगा. रेखा की साँस तेज़ हो गयी. उसको लगा की कहीं इन सब के सामने ससुर जी उसका मोटा चुचा बाहर ना निकाल दे.
रेखा: पापा जी आओ अब चलते है ना.
धरम पल (नशे में): चुप बैठ साली.
ससुर जी उसकी च्चती घूर्ने लगे, और उसका पेट भी. रेखा की और साँस तेज़ हो गयी.
रेखा (ससुर जी की जाँघ और च्चती मसालते हुए): अर्रे पापा जी, गुस्सा क्यूँ करते हो? आप तक गये होंगे, आ जाओ आपको आराम करवा देती हू.
वहाँ बैठे धरम पल के दोस्त बोलने लगे: साली बहू हो तो ऐसी. क्या जिस्म है साली का उपर से आआहह. ज़रा हुमको भी करवा दे तोड़ा आराम.
ससुर जी के दोस्त मज़े लेने लगे, और रेखा शर्मा कर मुस्कुरा दी.
धरम पल: हा. चल ठीक है. पहले मेरे इन दोस्तों से गले मिल के आ. ये कब से तेरा इंतेज़ार कर रहे है.
रेखा एक-दूं शर्मा गयी. वो सब नशे में थे, और रेखा का मादक जिस्म देख उनकी राल भी तपाक रही थी. वो जानती थी की ये कुछ ना कुछ करेंगे, पर क्या करे ससुर जी का ऑर्डर था.
रेखा (शरमाते हुए): जी, मिल रही हू.
रेखा ने देखा उनका एक दोस्त बड़ा लंबा चौड़ा था. एक-दूं सांड़ जैसा काला. रेखा उसकी लाल आँखें और मूह से राल टपकती देख कर और शर्मा गयी. वो समझ गयी की ये उसको रग़ाद देगा. सबसे लास्ट में जौंगी उसके पास.
दोस्त: अर्रे इधर भी आ जाओ भाभी जी. हमसे गले मिल लो.
और वहीं हरामी बोल पड़ा. रेखा ने शर्मा कर मूह झुका लिया, और मुस्कुराने लगी.
रेखा (शरमाते हुए): जी, वो, मैं वो.
उसका नाम कालू था. इन दोस्तों में वो सबसे हरामी था.
धरम पल: अर्रे जेया मेरी बहू रानी, कालू तुझे बुला रहा है. उसे गले मिल के आ.
रेखा फ़ासस गयी और मुस्कुरा कर आयेज जाने लगी.
रेखा: जी पापा जी.
कालू उसका मुलायम गोरा पेट और चुचे घूर कर राल टपकाने लगा. रेखा ने झुकी नज़र से उसका मोटा लंड पाजामे में देख लिया, तो उसकी और साँस तेज़ हो गयी. फिर तोड़ा पास आते ही कालू ने उसको खींच कर अपने से चिपकाया और गले मिल गया.
उसने कस्स के पीछे से रेखा की नंगी चिकनी कमर को नोचने लगा. उसके मोटे दूध से भरे चुचे अपने पत्थर जैसे शरीर में बुरी तरह दबा दिए. रेखा की साँस तेज़ हो गयी, और हल्की सिसकियाँ निकालने लगी. वो उसकी चिकनी कमर जो मसल रहा था.
कालू (रेखा को भींचते हुए): धरम पल तेरी बहू तो बहुत कमाल की है बे.
धरम पल: जानता हू कुत्ते. तभी तो इसको अपने साथ रखता हू. तू भी आराम से गले मिल.
ससुर जी ने देखा की कालू कैसे रेखा की चींकी नंगी कमर नोच रहा था. उनका लंड भी खड़ा होने लगा. रेखा को बहुत शरम आ रही थी, और उसकी सिसकियाँ भी निकल रही थी, की ऐसा हरामी मर्द उसके जिस्म को नोच कर मसल रहा था.
रेखा मॅन ही मॅन सोच कर मुस्कुराने लगी की कहीं ये काला सांड़ हरामी उसको छोड़ ना दे. इसका इतना मोटा काला लंड तो उसकी छूट को अंदर तक फाड़ देगा. पर रेखा नही जानती थी, की कालू और ससुर जी की दोस्ती थोड़ी गहरी थी. कालू ने कितनी बार ससुर जी की हेल्प करी थी.
इसीलिए वो मस्त होके उनकी बहू से मज़े ले रहा था, और किसी की हिम्मत नही हुई कालू से कुछ बोलने की. वो रेखा को जाने नही दे रहा था. जैसे ही रेखा ने ससुर जी पास जाने की कोशिश करी, उसने कमर खींच कर अपने से चिपका लिया रेखा को, और उसकी कमर उंगलियाँ गाड़ कर, नोच कर पकड़ ली.
रेखा: ह.
कालू: क्या हुआ भाभी जी.
रेखा (शरमाते हुए): जी, कुछ नही.
आयेज की सेक्स कहानी अगले पार्ट में.