फ़ूल की तरह कोमल थी उसकी चूत

मेरा नाम संजय है। पंजाब के जालंधर शहर का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 24 साल है, रंग साफ़, दिखने में अच्छा हूँ। लण्ड का आकार भी ठीक-ठाक है, वैसे कभी नापा नहीं। मैं यहाँ भारत में अकेला रहता हूँ, मेरी मम्मी-पापा विदेश में रहते हैं। मैंने कंप्यूटर में डिग्री की है। डिग्री पूरी करने के बाद मैंने एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाना शुरू किया। दरअसल मैं एक कंप्यूटर प्रोफेसर बनना चाहता हूँ इसलिए सोचा क्यों ना स्कूल से शुरुआत की जाए।
उस स्कूल में मुझे नौवीं से बारहवीं तक के बच्चों को कंप्यूटर सिखाना था। सभी कक्षाओं में लड़के और लड़कियों की संख्या तक़रीबन बराबर बराबर ही थी। लड़कियाँ एक से बढ़कर एक सुंदर और चालू थी। दरअसल एक तो जिस शहर में पढ़ाता हूँ वहाँ पर लड़कियाँ बहुत फ्रेंक हैं, दूसरे उस स्कूल में सब प्रौढ़ अध्यापक हैं। इसलिए जब लड़कियों ने मुझे अपने अध्यापक के रूप में देखा तो सब बहुत खुश हो गई।
स्कूल काफी बड़ा था और कक्षाओं में बच्चे भी काफी थे लेकिन कंप्यूटर लैब में कंप्यूटर 12 ही थे। इसलिए मुझे एक एक कक्षा को 2 भागों में बांटकर पढ़ाने के लिए कहा गया।
और यहीं से मेरे गंदे दिमाग ने काम कर दिया। मैंने हर कक्षा के लड़कों को अलग और लड़कियों को अलग से कंप्यूटर सिखाना शुरू किया।
इससे मेरा यह डर निकल गया कि अगर मैं किसी लड़की से छेड़खानी करूँगा तो कम से कम कोई मेरी शिकायत नहीं करेगा क्योंकि हर लड़की पहले ही दिन से मुझे बड़ी वासना भरी निगाह से देख रही थी।
असली मजा शुरु हुआ तीसरे दिन से।
अब सब लड़कियाँ बड़ी सजधज कर, मेकअप करके आने लगी थी। उस दिन बारिश हो रही थी और शनिवार था। हर कक्षा में बच्चे बहुत कम आये थे और एक दो अध्यापक भी छुट्टी पर थे इसलिए मुझे बोला गया कि मैं बारहवीं कक्षा के बच्चों का टेस्ट ले लूँ।
लड़के तो 2 ही आये थे और लड़कियाँ 12-13 आई थी। मैंने उनको एक कतार में बिठाया और कुछ प्रश्न हल करने के लिये दे दिये।
एक लड़की कतार के आखिर में बैठी थी, उसका नाम श्रेया था, वो बार बार मेरी ही तरफ़ देख रही थी। जब भी मैं उसे देखता तो मुस्कुराने लगती।
मैंने सोचा कि पहले इसी पर कोशिश करता हूँ।
मैं चलते चलते उसके पीछे आया। वो एक स्टूल पर बैठी थी। उसके पीछे से गुजरते हुए मैंने उसकी पीठ पर हाथ फ़ेर दिया। वो एकदम से कांप गई पर बोली कुछ नहीं। जब मैंने उसे घूम कर देखा तो वो फ़िर से मुस्कुराने लगी।
मैं समझ गया कि रास्ता साफ़ है।
थोड़ी देर बाद मैं फ़िर से घूमते हुए उसके पीछे आया और इस बार उसकी पीठ पर हाथ फ़ेरने के साथ ही धीरे से उसका एक मुम्मा भी दबा दिया।
वाह ! मजा आ गया।
मैंने पहली बार किसी लड़की को छेड़ा था। ऐसे ही मैंने उसको दो-तीन बार छेड़ा।
वो बुरी तरह से कांप रही थी। इससे मुझे लगा कि यह भी अभी कुंवारी है।
मैंने सोचा कि क्यों ना इसे घर पर बुलाया जाये !
पर कैसे?
अचानक मेरे दिमाग में एक तरकीब आई। मैंने कक्षा में सबको कह दिया कि जिसको लैक्चर समझ में नहीं आया वो मेरे घर पर आकर समझ सकता है।
यह बात कहने के साथ साथ मैं उसे देख भी रहा था।
श्रेया बहुत खुश हुई।
उसे खुश देखकर मैं भी खुश था कि शायद वो घर पर आ ही जाए।
कक्षा खर्म करने के बाद मैं लाईब्रेरी में जाकर बैठ गया। उस वक्त लाईब्रेरी में मेरे सिवा सिर्फ़ एक लाईब्रेरियन था जो दूसरे सैक्शन में बैठा किताबें सैट कर रहा था।
तभी श्रेया लाईब्रेरी में आई, वो शायद मुझे ही ढ़ूंढ़ रही थी।
वो मेरे पास आकर बोली- सर, मैं और मेरी सहेली श्वेता आपके घर पर आकर आपके साथ कुछ टॉपिक्स डिस्कस करना चाहती हैं।
मैं- ठीक है। पर अच्छा होगा कि तुम अकेली ही आओ क्योंकि मेरे पास एक ही कम्प्यूटर है। अगर तुम अकेले आओगी तो तुम्हें अच्छे से समझा दूँगा।
ऐसा कहते कहते मैंने उसके नितम्बों पर हाथ फ़ेर दिया। उसका चेहरा एकदम लाल हो गया और उसने हाँ में सिर हिलाया और चलने लगी।
अभी वो दरवाजे पर ही थी कि मैंने उसे आवाज लगाई- श्रेया !
श्रेया- जी?
मैं- कल भी स्कर्ट पहन कर आना।

और वो शरमा कर भाग गई।
अगले दिन एक बजे तक सब नौकर अपना-अपना काम निबटाकर चले गए। मैंने भी दुबारा से नहा-धो कर लोअर और टी-शर्ट पहन ली। मैंने जानबूझ कर लोअर के नीचे अंडरवियर नहीं पहना।
ठीक 1:25 पर घण्टी बजी। जैसे ही मैंने दरवाजा खोला, मैं तो एकदम से सुन्न ही रह गया। ऐसे लगा जैसे एक परी मेरे सामने खड़ी है। वो सफ़ेद स्कर्ट और नीली टी-शर्ट में थी, उसकी स्कर्ट पैरों तक लम्बी थी, टी-शर्ट में उसके मम्मे एकदम मस्त लग रहे थे, जी कर रहा था कि अभी पकड़ कर दबा दूँ। उसके होंठ एकदम रसीले लग रहे थे। अचानक उसने एक चुटकी बजाई तो मैं जैसे नींद से जागा।
वो बोली- अंदर आऊँ या नहीं?
मैं- माफ़ करना। आओ ! आओ !
वो अंदर आ गई। मैंने उसे सोफ़े पर बिठाया और उसके लिए पानी लेकर आया।
वो बोली- अरे सर, आप क्यों तकलीफ़ कर रहे हैं !
मैं- कोई बात नहीं।
उसने पानी पिया। पानी पीते हुए भी वो मेरी तरफ़ ही देख रही थी। पानी पिलाने के बाद मैं उसे अपने बैडरूम में ले गया जहाँ मेरा कम्प्यूटर रखा था।
वो कम्प्यूटर के सामने वाली स्टूल पर बैठ गई और मैं भी उसके साथ ही उसके बाएँ वाली स्टूल पर बैठ गया। उसे समझाते समझाते कभी मैं उसकी जांघ पर हाथ रख देता तो कभी धीरे से उसके मम्मे को छेड़ देता।
कुछ देर बाद मैंने जानबूझ कर अपने हाथ में पकड़ी हुई पैंसिल नीचे फ़ेंक दी और उसे उठाते वक्त ्जानबूझ कर पेंसिल की नोक उसकी स्कर्ट के नीचे कर दी, इससे पेंसिल के साथ साथ उसकी स्कर्ट भी ऊपर उठ गैइ और उसकी गोरी मखमली जांघे उघड़ कर मेरे सामने आ गई। मैंने उसकी टांगों पर हाथ फ़िरा दिया तो उसकी आँखें बन्द हो गई और उसने शरमा कर अपनी स्कर्ट नीचे कर ली।
कुछ देर ऐसे ही मैं किसी ना किसी बहाने उसे छेड़ता रहा।
कुछ देर बाद मैं खड़ा होकर उसके पीछे आया और उसके कंधों पर अपने दोनों हाथ रख दिए। उसने आँखें बंद कर ली और होंठों पर जीभ फ़िराने लगी। थोड़ी देर बाद मैं हाथ उसके दोनों मम्मों पर ले आया और धीरे धीरे दबाने लगा। 2-3 मिनट बाद वो भी सिसकारियाँ सी भरने लगी।
कुछ देर बाद मैंने उसका चेहरा पीछे घुमाया और उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिए।
वाह ! मजा आ गया, ऐसा लगा जैसे मेरे मुँह में शरबत घुल गया हो।
दस मिनट तक मैं ऐसे ही उसके होंठ चूसता रहा। कुछ देर बाद मैंने अपने मुँह में एक कैंडी रख ली और फ़िर से उसे किस करना शुरु कर दिया। किस करते हुए मैं उसके मम्मे भी दबा रहा था। धीरे धीरे मैं कैंडी को हमारे होंठों के बीच ले आया और उसे तब तक चूमता रहा जब तक कैंडी खत्म ना हो गई।
थोड़ी देर बाद जब मैंने उसे छोड़ा तो वो मजाक करते हुए बोली- अरे, कैंडी कहाँ गई?
मैं- अभी बताता हूँ।
और मैंने फ़िर से उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिए।
चुम्बन करते हुए मैं उसके पीछे ही खड़ा था। मम्मे दबाते और लगातार चुम्बन करते हुए मैंने उसे खड़ा किया और उसी अवस्था में चलता हुआ मैं बिस्तर पर बैठ गया। उसे मैंने अपनी गोद में बिठा लिया। उस वक्त भी उसकी मेरी तरफ़ पीठ ही थी। मैं उसके मम्मे दबाता रहा और वो सिसकारी भरती रही।
कुछ देर बाद मैंने उसके होंठ छोड़े और बिस्तर पर लेट गया और उसको भी अपने ऊपर ही लिटा लिया। लोअर में मेरा लण्ड खड़ा उसकी गाण्ड में घुसने की कोशिश सी कर रहा था। उसको भी बहुत मजा रहा था।
कुछ देर बाद मैंने उसके मम्मे छोड़े और लेटे लेटे ही दोनों हाथ उसकी स्कर्ट में डाल दिए। लेकिन मैंने उसकी चूत को नहीं छेड़ा। पहले मैंने उसकी दोनों जांघों को सहलाना शुरु किया। 2-3 मिनट तक मैं उसकी जांघों को सहलाता रहा।
कुछ देर बाद मैंने अपना एक हाथ उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत पर पर रखा तो ऐसे लगा जैसे भट्टी पर हाथ रख दिया हो। उसकी चूत तप रही थी और वो भी बुरी तरह से कांप रही थी।
जब मैंने एक उंगली उसकी पैंटी के अन्दर सरका कर उसकी चूत का जायजा लिया तो पाया कि उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था, एकदम फ़ूल की तरह कोमल थी उसकी चूत। कुछ कुछ गीली भी थी। मैं एक ही उंगली से धीरे धीरे उसकी चूत को सहलाता रहा।

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कुछ देर बाद मैंने अपना एक हाथ उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत पर पर रखा तो ऐसे लगा जैसे भट्टी पर हाथ रख दिया हो। उसकी चूत तप रही थी और वो भी बुरी तरह से कांप रही थी।
जब मैंने एक उंगली उसकी पैंटी के अन्दर सरका कर उसकी चूत का जायजा लिया तो पाया कि उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था, एकदम फ़ूल की तरह कोमल थी उसकी चूत। कुछ कुछ गीली भी थी। मैं एक ही उंगली से धीरे धीरे उसकी चूत को सहलाता रहा।
जब मैंने चूत को हल्के से दबाया तो उसमे से कुछ पानी निकल आया जिससे मेरी पूरी उंगली गीली हो गई। मैंने वो उंगली उसके मुँह में डाल दी, वो उसको चाटने लगी। फ़िर तो बस यही सिलसिला चल निकला। 4-5 मिनट तक ऐसा ही चलता रहा, मैंने उसे खूब उसकी चूत का रस चटवाया।
थोड़ी देर बाद मैंने उसे बिस्तर पर सीधा करके लिटा दिया। मैं उसके ऊपर सीधा लेट गया और उसके होंठों पर चूमने लगा। 3-4 मिनट चुम्बन करने के बाद मैं बैठ गया और अपना सिर उसकी स्कर्ट के अंदर डाल दिया।
धीरे धीरे मैं उसकी दोनों टांगों को चाटने लगा और अपने हाथों से उसकी जांघों को सहलाने लगा। उसका पूरा शरीर बुरी तरह से कांपने लगा, वो सिसकारियों पर
सिसकारियाँ भर रही थी।
धीरे धीरे मैं थोड़ा ऊपर आया और उसकी जांघें चाटने लगा। साथ साथ मैं उसके मम्मे भी दबा रहा था। मुझे ऐसा लगा जैसे मैंने दुनिया भर का नशा कर लिया हो। एक
तो उसका पूरा बदन फ़ूल की तरह कोमल था, दूसरे उसकी चूत के रस की मदहोश करने वाली खुशबू आ रही थी। थोड़ी देर बाद मैंने अपनी जीभ उसकी पैंटी के ऊपर से ही चूत पर फ़िरानी शुरु कर दी। जैसे जैसे मैं अपनी जीभ फ़िरा रहा था, वैसे वैसे उसकी उसकी सिसकारियाँ भी तेज हो रही थी।
थोड़ी देर बाद मैंने उसकी पैंटी दांतों से नीचे की और उसकी चूत पर हल्के से चूमा फ़िर अपने दोनों हाथ नीचे ले जाकर उसकी पैंटी को नीचे करके घुटनों तक उतार दिया और उसकी चूत को मैंने अच्छी तरह से निहारा, एकदम गुलाब जामुन की तरह लग रही थी, चूत का दाना बुरी तरह से फ़ड़फ़ड़ा रहा था।
धीरे धीरे मैंने अपनी जीभ उसके दाने के आसपास फ़िरानी शुरु की और दाने के आसपास जो पानी था वो चाटने लगा। उसने अपनी दोनों टांगों को स्कर्ट पहने-पहने ही मेरे सिर के इर्द-गिर्द लपेट दिया और अपने हाथों से मेरे सिर के बालों को जोर जोर से खींचने लगी।
मैंने अपना पुरा मुँह खोला, जीभ सीधी की और मुँह उसकी चूत पर लगा दिया।
और यह क्या?
उसका पूरा शरीर ऐसे कांपने लगा जैसे बिजली का झटका लग गया हो और वो झर झर झड़ने लगी। सारे का सारा पानी मेरे मुँह में ही गया।
वाह! क्या स्वाद था। एक दम खट्टा सा।
हम दोनों एक दम नशेड़ी लग रहे थे, हम दोनों की आँखें बंद थी।

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थोड़ी देर बाद मैंने अपना सिर बाहर निकाला। अभी मैं सीधा भी नहीं हुआ था कि उसने मुझे खींच कर अपने ऊपर गिरा लिया और पागलों की तरह चूमने लगी। साथ ही साथ वो अपनी गाण्ड को उठाकर स्कर्ट के ऊपर से ही मेरे लण्ड पर रगड़ रही थी। मैंने अपनी लोअर नहीं उतारी थी फ़िर भी मुझे इतना मजा आ रहा था कि क्या बताऊँ।
कुछ देर की चूमाचाटी के बाद मैंने बिस्तर पर खड़े होकर अपनी लोअर उतार दी। टी-शर्ट नहीं उतारी क्योकि सुना है कि सारे कपड़े उतार कर सेक्स करने का मजा नहीं आता। उसकी भी मैंने सिर्फ़ पैंटीही उतारी, स्कर्ट और टी-शर्ट नहीं उतारा। फ़िर मैं बेड पर बैठ गया और उसे अपनी गोद में बिठा लिया। वो एक दम फ़ुल की तरह हल्की थी। मैंने उसकी गाण्ड पर हाथ रख कर उसे ऊपर उठाया और अपने लण्ड पर बैठा लिया। पर लण्ड उसकी चूत में जा ही नहीं रहा था क्योंकि वो कुँवारी थी।
मैंने उसे बोला- मैं तेल की शीशी लेकर आता हूँ। अगर ऐसे ही डाल दिया तो तुम्हें बहुत दर्द होगा।
श्रेया – सर, अब कंट्रोल नहीं होता। अब ऐसे ही डाल दीजिए।
ऐसा कहते कहते वो खुद ही मेरे लण्ड पर बैठ कर जोर लगाने लगी। तो मैंने भी उसकी गाण्ड पकड़ कर जोर का धक्का दिया। आधा इंच लण्ड उसके अंदर था। वो चीखने लगी। पर मैं रुका नहीं। चार पाँच झटकों में पूरा लण्ड उसकी चूत के अंदर डाल दिया। उसका चीख चीख कर बुरा हाल था। थोड़ी देर बाद वो सामान्य हुई तो मैंने उसकी गाण्ड को उठाकर धक्के देने शुरु कर दिए।
उसे भी अब मजा आ रहा था, वो चिल्ला रही थी- और तेज सर, और तेज ! आह…… मजा आ रहा है, फ़क मी सर, फ़क मी।
उसे चोदते चोदते मैंने उसका एक मम्मा अपने मुँह में ले लिया और उसे बुरी तरह चूसने लगा। उसने अपनी टी-शर्ट नीचे कर ली। यानि मेरा सिर अब उसकी टी-शर्ट के अंदर था। धक्के लगाते लगाते मैंने अपनी एक ऊँगली उसकी गाण्ड में डाल दी। उसकी एक चीख निकल गई पर वो रुकी नहीं ओर ना ही मैं रुका। मैं धक्के पर धक्का लगा रहा था। उसकी चूत के पानी और खून से मेरी जांघें भर चुकी थी। पर इससे मुझे बहुत आनन्द आ रहा था।
12-13 मिनट के बाद वो तीसरी बार झड़ी। अब वो रुकने की प्रार्थना करने लगी। मैंने सोचा कि अब अगर रुक गया तो मैं कैसे झड़ुँगा? तो मैंने उसे चोदते चोदते ही बिस्तर की चादर के नीचे से एक बबल गम निकाली और रैपर समेत ही उसके मुँह में डाल दी। वो मुझे मेरे एक दोस्त ने दी थी। उससे शरीर की सारी गर्मी कुछ मिनटों में ही निकल जाती है। पर उसे लगा कि ये पहले की तरह ही कोई आम कैंडी है। वो उसे मजे ले लेकर चबाने लगी। एक मैंने अपने मुँह में भी डाल ली क्योकि मैं मजे का कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहता था।
थोड़ी देर बाद हम दोनों का शरीर पूरी तरह लाल हो गया। वो भी अब मुझसे ज्यादा जोर से धक्के लगाने लगी और साथ साथ चिल्ला भी रही थी- ओह, फ़क मी, हेल्प मी, सर। आई लव यू सर।
नीचे उसका झड़ झड़ कर बुरा हाल था। चादर भी गीली हो गई। आखिर के समय तो हम दोनों जैसे मशीन ही बन गए थे। मैं भी उस समय उसे चोदते चोदते तीन बार झड़ा। उसके झड़ने की तो कोई गिनती ही नहीं थी। जैसे ही मैं चौथी बार झड़ा तो मैंने उसे बेड पर लिटाया और खुद उसके ऊपर गिर प्ड़ा। उस गीले बेड पर लेटने के बाद भी हम दोनों गहरी नींद में सो गए।
एक घण्टे बाद मेरी आँख खुली। वो अभी भी सो रही थी। मैंने उसे जगाया और बड़ी मुश्किल से उसे खड़ा किया। उसकी चूत सूज कर सेब बन चुकी थी। किसी तरह उसे सहारा देकर मै बाथरुम में लेकर आया। बाथरुम में हम दोनों ने इकट्ठे ही पेशाब किया और फ़िर इकट्ठे ही नहाए। फ़िर मैंने चादर भी धो दी।
उसके बाद हम दोनो ने काफ़ी के दो दो मग पिए।
फ़िर मैं उसे बाहर तक छोड़ने आया और बोला- अगली बार अपनी सहेली को भी लेते आना। हम दोनों मिलकर उसे कम्प्यूटर सिखाएंगे।
उसने जोर से मेरे होंठो पर चूमा और बाय करती हुई चली गई।
तो पाठको, उम्मीद है कि आपको कहानी पसन्द आई होगी।



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