हमसफर – एक जवान लड़की के साथ

humsafar jawan ladki ke sath आदित्या..उठो..लेट हो जाओगे,मेरे कानो मे ये आवाज़ पड़ी तो मैने बुझे हुए मन से बिस्तर छ्चोड़ा..और सीधा बाथरूम मे घुस गया..आधे घंटे बाद मे बाथरूम से निकला..तो अंजलि ने कहा…”आदित्या,भैया…मैने आपका नाश्ता लगा दिया है…जल्दी से कर लो ,देल्ही के लिए निकलना भी है…”मैने हां मे सर हिलाया…और तैयार होने लगा..मैं आदित्य ,प्रॉपर देल्ही से था,..लेकिन इंजिनियरिंग करने के बाद मेरा प्लेसमेंट नागपुर की वासवा कंपनी मे हो गया था, मेरी बहुत अच्छे पोस्ट पे जॉब लगी थी..सब कुछ अच्च्छा चल रहा था…आज मुझे देल्ही अपने पापा के पास जाना था,मैने अपनी कार मे जाने का फ़ैसला किया…अंजलि, मेरी बहन ने मेरा खाना कार मे रख दिया…

मैने अपनी कार स्टार्ट की और निकल पड़ा नागपुर टू देल्ही बाइ रोड….आज तक मेरी ज़िंदगी मे ऐसा कोई सफ़र नही था जो यादगार हो..या जो थोड़ा सा भी इंट्रेस्टिंग हो..मैं अपने इस नागपुर तो देल्ही की यात्रा को यादगार बनाना चाहता था..लेकिन मुझे ये नही पता था कि ये सफ़र इतना यादगार बन जाएगा कि ये सफ़र मेरे जेहन से कभी उतर ही नही पाएगा…नागपुर से देल्ही बाइ रोड तकरीबन 1150 कि.मी. है ,यदि मैण अपनी स्पीड से कार को चलाऊ तो मुझे देल्ही पहुचने मे अधिक से अधिक 18 या 19 घंटे लगते…लेकिन मुझे लोंग ड्राइव पसंद थी,ये बात और है कि कभी की नही…मैं अशोका रेस्टोरेंट जो कि रवींद्रनाथ टागॉर मार्ग पे पड़ता है..वहाँ अपनी कार खड़ी की और रेस्टोरेंट के अंदर गया,मैं घर से ब्रेकफास्ट करके निकला था लेकिन मुझे बाहर खाना और फिर अपनी तबीयत खराब करना पसंद है…

इसलिए मैने वहाँ से कुछ खाने का समान पॅक करवा लिया…और वापस अपनी कार स्टार्ट करके रोड पे दौड़ा दी…मैं उस रोड मे आने जाने वालो से ही रास्ता पुछ के बढ़ रहा था और मेरे सबसे अच्छे मददगार साबित हो रहे थे रोड के किनारे लगे हुए. बोर्ड….मैं अभी अपनी कार ड्राइव ही कर रहा था कि मेरी कार धक्के खाती हुई…अचानक रुक गयी..मैं उतना परेशान नही हुआ क्यूकी मेरी ब्रांच मेकॅनिकल थी और मैं थोड़ा बहुत तो जानता ही था ,कार के बारे मे ,मैं कार से उतरा लेकिन मेरीइंजीनियरिंग. की डिग्री उस वक़्त जवाब दे गयी जब मैने देखा कि कार के दो टाइयर पंक्चर है…अब क्या करू मैने सोचा…काफ़ी देर से कोई वहाँ से गुजरा भी नही था…तभी एक कार आती हुई दिखाई दी मैने हाथ देके रोका..उसमे एक लड़की जो कि तकरीबन 25 साल की होगी ,वो कार से बाहर आई…”हेलो,क्या हुआ….

“उसने मुझसे पुछा,फहीर उसने अपनी नज़र मेरी कार की तरफ घुमाई..तो वो समझ गयी…”कहाँ जाना है आपको ,”उसने मुझसे पुछा…”देल्ही….”मैने जवाब दिया..”यहाँ थोड़ी दूर मे एक बस स्टॅंड है ,जहाँ से हर दिन सुबह 8 बजे एक बस देल्ही के लिए निकलती है…”इतना कहकर वो वापस अपनी कार मे बैठ गयी…”अजीब लड़की है…”मैने खुद से कहा,वो कार स्टार्ट करके जाने लगी…लेकिन कुछ दूरी जाकर रुक गयी फिर मेरे तरफ कार को रर्वर्स मे लाते हुए ,उसने मुझसे कहा…”यदि आपको ऐतराज ना हो तो ,आप मेरे साथ चल सकते है ,मैं भी देल्ही ही जा रही हूँ…”मेरी ख़ुसी का ठिकाना ना रहा ,एक खूबसूरत लड़की के साथ लोंग ड्राइव…मैं बहुत थर्कि किसम का इंसान हूँ ,मेरी नज़र सीधे उसके बूब्स पे टिकी..लेकिन वो नही समझ पाई…मैने उसे थॅंक्स कहा और उसके कार मे बैठ गया…

कुछ दूर चलने के बाद मैने उससे पुछा ,”आप पहले भी बाइ रोड जा चुकी है देल्ही,,,””हां,लेकिन क्यू…””फिर तो आपको ये जगह भी मालूम होगी ,कि कोन सी जगह है ये…””इस प्लेस का तो नही मालूम ,लेकिन अभी कुछ देर पहले..पुराना हनुमान मंदिर गुजरा है..लेकिन आप क्यू पूछ रहे है..कही आपको ये तो नही लग रहा कि मैं आपको भटका दूँगी,..”मैं उसकी बात पे हंस पड़ा ,वो भी मुश्कुरा दी,,उसकी स्माइल सीधे मेरे दिल पे लगी,,ना जाने उसके प्रति मुझे एक अजीब सी फीलिंग हो रही थी..ऐसा आज तक नही हुआ था…और मुझे ये भी नही पता था कि ये लड़की इस कदर मेरे दिल मे उतर जाएगी की इसे दिल से निकालना नामुमकिन हो जाएगा…
कार फुल स्पीड के साथ सड़क पे दौड़ रही थी…मैं कभी कार की खिड़की से बाहर देखता तो कभी उस लड़की तरफ की तरफ,उसके चेहरे पे अजीब सी ख़ुसी झलक रही थी ..जैसे उसने कुछ पा लिया हो..मैं थोड़े आटिट्यूड किस्म का था.मैने सोचा आगे से वो ही बात करे मैं क्यू बात करू,..वो शायद मेरे दिमाग़ को पढ़ रही थी..मैं जैसे ही उसके बारे मे सोचता उसके होंठो पे स्माइल आ जाती..मैं समझ नही पा रहा था ,इसी तरह चुप चाप वो कार ड्राइविंग करती रही और मैं पहले की तरह ही कार की खिड़की से बाहर देखता रहा..

आख़िर उसने हार मान ली,और मेरे तरफ देखकर बोली…”व्हाट ईज़ युवर नेम…”मैने सुना नही उसने क्या बोला..शायद मैने ये उम्मीद छ्चोड़ दी थी कि अब हुमारे बीच बात भी होगी..मैने कहा..”,क्या…अपने कुछ कहा…””तुम्हारा नेम क्या है..””आदित्य ,”मैने उसकी तरफ देखते हुए कहा और मेरी नज़र एक बार फिर उसके चेहरे से होती हुए,उसके नीचे अटक गयी..मैने मन मे कहा..”क्या माल है…”उसने जैसे मेरी बात सुन ली हो,उसने होंठो पे एक बार फिर मुश्कान आ गयी….”क्या करते हो…”उसने दोबारा से बातचीत शुरू की.”इंजिनियर हू,..वासवा कंपनी मे काम करता हू..””नागपुर मे रहते हो…””जी हां…””पहले इस रोड से कभी देल्ही गये हो…””नही..लेकिन आप ये क्यू पूछ रही है…”मैने उससे पुछा”मैं तुम्हे मार के खा जाउन्गि..मैं एक प्रेत हू…

“इतना कहकर वो हस्ने लगी…”आप हँसती है तो खूबसूरत दिखती है..”मैने अपना काम करना चालू कर दिया था…”क्या वैसे खूबसूरत नही दिखती मैं…”उसने मेरी तरफ देखते हुए कहा..”नही ऐसी बात नही है…”उसकी आँखे अजीब थी..उसकी झील से आँखो मे मेरा डूब जाने का मन कर रहा था..लेकिन मुझे उस समय ये नही मालूम था कि मैं पूरा का पूरा उसमे ऐसा डूब जाउन्गा कि मुझे कोई कश्ती भी नही निकल पाएगी…”आपका नेम क्या है…”मैने पुछा.”क्यू…आप मेरा नेम जानकार क्या करेंगे..”उसने जवाब दिया.”फिर आपने मेरा नामे क्यू पुछा …”मैं भी पिछे हटने के मूड मे नही था…उसके होंटो पे एक बार फिर से स्माइल च्छा गयी..वो धीरे धीरे मेरे दिल मे उतरने लगी थी..

“रिया…नेम है मेरा..””आप देल्ही मे कहाँ रहती है,.,”मैने उसकी तरफ देख कर पुछा…”अब आपका हमेशा मिलने का इरादा है क्या…”उसने कहा..”तुम ,मेरे सवालो का जवाब घुमा कर क्यू दे रही हो…”मैने आप की जगह तुम लगाया इसलिए लगाया क्यूकी यदि कुछ करना है तो आप से तुम पे आना पड़ेगा..”आपको फ्लर्ट करने मे बहुत मज़ा आता है ना,कितनी लड़कियो पे ट्राइ कर चुके हो,अभी तक..””तुम शायद पहली हो…””शायद…..”उसने कहा…मैने फिर अपने आप से कहा…”इतना क्यू भाव खा रही है पट जाना…”उसने जैसे फिर मेरा मन पढ़ लिया हो,उसके चेहरे पे एक बार फिर हँसी की लहर दौड़ गयी…तभी कार धक्के खाते हुए,रुक गयी…उसके चेहरे पे परेशानी सॉफ झलक रही थी..वो कार से बाहर आई..मैं अंदर क्या करता ,मैं भी बाहर आ गया…

उसने कार के टाइयर पे एक लात मारी और फिर अपना पैर पकड़ कर बैठ गयी..मुझे हँसी आ गयी..मैं हस्ने लगा..”तुम हंस क्यू रहे हो…”उसने बनावटी गुस्से से मेरी तरफ देखा…मैने अपनी हँसी रोकी..और उसके पास गया …”अब फिल्मी स्टाइल से टाइयर पे लात मरोगी तो यही हाल होगा…”इतना कहकर मैने उसकी तरफ हाथ बढ़ाया….वो मेरी तरफ ऐसे देखने लगी जैसे मैं कोई भूत हूँ..लेकिन हक़ीक़त कुछ और थी…वो मेरा हाथ पकड़ कर उठी…”ऊउच,मेरे पैर मे मोच आ गयी है…मैं चल नही सकती..”मेरे मन ने फिर अपना थर्किपन दिखाया,”दिखाओ,मैं देखता हूँ क्या हुआ है…”उसने जैसे इस बार भी मेरे मन को पढ़ लिया,..”तुम ,इंजिनियर हो डॉक्टर नही…”उसने कहा…”ठीक है फिर बैठी रहो..यहाँ..”मैं थोड़ी दूर खड़ा रहा..बहुत देर तक वो अपना पैर सहलाती रही..फहीर उसने अपना हाथ कार पे रखकर उठने की कोशिश की ,लेकिन वो उठ नही पाई..और फिर वही बैठ कर अपना पैर सहलाने लगी..अब मुझसे देख नही गया,मैने उसकी परवाह ना करते हुए उसे अपने गोद मे उठा लिया..मेरे हाथ उसकी बॉडी के बहुत ही इंपॉर्टेंट पार्ट को टच रहे थे..

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.मैने उसे उठाया और कार का गेट खोलकर बैठा दिया…”तुमने ये क्यू किया…”उसने मुझे घूर से देखते हुए कहा…”इंसानियत भी कोई चीज़ होती है मेडम…”मैने कहा..बाहर बारिश की बूंदे गिरने लगी..”आज तो अच्छे तरह से फँस गये”इतना कहकर मैं कार के अंदर आ गया…उसने कार की विंडो को बंद कर दिया..बाहर बारिश हो रही थी,बहुत तेज,.,कुछ देर बाद बिजली भी कद्कने लगी.,शायद वो मुझे अंदेशा दे रहे थे कि इस लड़की से दूर रह,लेकिन मैने आज तक किसकी बात मानी थी..काश मैं उस समय संभाल गया होता…तभी मुझे उस लड़की की आँख मे कुछ चमक दिखाई दी…”हेयी तुम्हारी आँख अभी चमकी…”मैने हैरानी से उसकी तरफ देखते हुए कहा…लेकिन उसे शायद मेरी कमज़ोरी मालूम चल गयी थी…वो मुश्कुरा दी..और मेरे तरफ अपना चेहरा लाते हुए बोली…”तुम तो साइन्स के स्टूडेंट हो ,रीज़न बताओ…”फिर वो हस्ने लगी…उसकी गरम साँसे मुझपे पड़ी…मैं वो बात भूल गया..तभी आसमान मे एक जोरदार बिजली काड्की ,वो थोड़ा डर गयी ,

मैने उसके कंधे पे अपना हाथ रख दिया..तब वो थोड़ा नॉर्मल हुई.उसने मेरी तरफ देखा,फिर एक बार कार स्टार्ट करने लगी..लेकिन कार स्टार्ट नही हुई….”अब क्या करे…”वो मेरी तरफ देखी..मैने अपने कंधे उचका दिए…”मैं क्या बोलू.मैं तो पहली बार नागपुर तो देल्ही बाइ रोड जा रहा हू..”मैने उसकी तरफ देखा..उसकी आँखे नशीली थी,,,पहली बार मेरी नज़र केवल उसके चेहरे पे टिकी…”यहाँ पास मे एक मॅकॅनिक रहता है..शायद वो कुछ कर सके..””तो जाओ बुला के लाओ..मैं थोड़ी जानता हू…””अकेले मुझे डर लगता है..तुम भी साथ चलो…””इसमे डरने की क्या बात है..बाहर बारिश हो रही है..दो भीगे इससे बेहतर तो यही होगा कि केवल एक ही बंदा ये परेशानी उठाए…””तुम बड़े अजीब हो ,मेरे पैर मे अभी अभी चोट लगी है..मैं चल नही सकती…”

“तो दौड़ के जाओ…”वो अब गुस्सा होने लगी थी..उसने तेज़ी से कार का गेट खोला..और बाहर निकल गयी..भर बारिश अपने पूरे जोश मे थी…वो भीगति हुई कुछ दूर तक गयी फिर अपना पैर लेकर बैठ गयी…मुझे जाने क्या हुआ ,.,मैने तेज़ी से गेट खोला और सीधा उसके पास पहुँच गया…”अब क्यू आए हो….””तुम्हारी मदद करने”इतना कहकर मैने उसे फिर से बाहो मे उठा लिया…हमारी साँसे एक दूसरे से मिल रही थी..मैने उसकी तरफ देखा..”कहाँ है उस मेकॅनिक का घर…”उसने अपना हाथ थोड़ी दूर मे बने एक घर की तरफ किया,,.वहाँ वाकाई मे एक घर था..उसे इतना सब कुछ कैसे मालूम है मैने ध्यान नही दिया,,यदि मैं उस समय उसके हुस्न के जाल मे फँसा ना होता तो मैं ये सवाल उससे ज़रूर करता…लेकिन मैं चुप चाप उसे अपने बाहो मे उठाए उस घर की तरफ चला गया…

“नीचे उतारो मुझे ,नही तो ये लोग ग़लत समझ लेंगे…”मैने उसकी बात को समर्थन किया और उसे नीचे उतार दिया,वो मेरे कंधे को पकड़ के खड़ी रही..मैने आवाज़ दी,..”कोई हैं….यहाँ…”अभी मैने आवाज़ ही दी थी कि दरवाजा खुला…एक अधेड़ उम्र की महिला ने मेरी तरफ देखा,,,और उसकी आँखो मे ख़ौफ़ छा गया वो सीधे घर के अंदर घुस गयी ,,और दरवाजे को अंदर से बंद कर लिया,..मैं उसकी इस हरकत को समझ नही पाया..”इसे क्या हुआ..ये हमे देखकर भाग क्यू गयी.”उस लड़की ने मुझसे सवाल पुछा…’मुझे क्या मालूम…लेकिन इसने गेट को ऐसे बंद किया है कि अब दुबारा तो खोलेगी नही..चलो कार मे वापस चलते है,…

“इतना कहकर मैने उस लड़की को वापस उठा लिया और कार की तरफ बढ़ने लगा…ये सिचुयेशन मेरी लिए बेहतर थी..मैने मौके का फ़ायदा उठाना सही समझा..और अपने हाथो को उसके कयि इंपॉर्टेंट अंगो पे फिराने लगा..मौका देखकर दबा भी देता था..उसके चेहरे पे वही कातिल मुश्कान आ जाती थी…शायद वो मेरे दिमाग़ को अभी पढ़ रही हो….कार अभी दूर थी,”तुमने अपना नेम नही बताया…””क्या करोगे जानकार शादी करोगे क्या,,.””इसका मतलब मैं जिन लड़कियो के नाम जानता हूँ उनसे शादी करना पड़ेगा मुझे….””फिर मेरा नाम क्यू पुच्छ रहे हो…””बस यूँ ही समझ लो…और तुम मुझे अपना नाम बताओ..नही तो यही गिरा दूँगा..””सारा है मेरा नेम..अब खुश…””सारा….नाइस नेम…”कार अभी भी दूर थी मैं जानबूझ कर धीरे धीरे कार की तरफ बढ़ रहा था…बारिश और तेज हो गयी..

एक जोरदार बिजली फिर आसमान मे काड्की..,वो इस बार ज़्यादा डर गयी और मेरे कंधे को ज़ोर से पकड़ लिया,उसके होंठ मेरे होंठ के करीब आ गये,.उसका पता नही लेकिन मैं गरम हो चुका था..मैं वही खड़ा हो गया..काफ़ी देर तक हम दोनो एक दूसरे की आँखो मे खोए रहे,.मैं अपने थर्कि दिमाग़ से काम ले रहा था..और धीरे धीरे अपना चेहरा उसके करीब ले जा रहा था..और कुछ देर बाद ,एकदम करीब उसके होंठ पे उसकी बारिश की पड़ती एक एक बूँद कयामत ढा रही थी…मैं अपने आप को रोक नही पाया और उसके होंठ पे अपने होंठ टीका दिए…लेकिन वो शांत थी..मैं अकेले ही उसके होंठो का स्वाद ले रहा था..वो तो जैसे एक ज़िंदा लाश की तरह शांत थी ..कुछ देर बाद मुझे ये सब अजीब लगा ,.,मैने झटके से अपने होंठ अलग किए..वो अब मेरी तरफ देख रही थी..उसके आँख से आन्षू निकल रहे थे मैं ये देख नही पाया बारिश की वजह से..शायद उसने मुझसे ये सब एक्सेप्ट नही किया था..मुझे अपने आप पर बहुत गुस्सा आया…मैं उसे उठाकर कार की तरफ बढ़ गया,,,,,कार अभी भी स्टेट हाइवे पे खड़ी थी.

.मैने कार का गेट खोला और सारा को अंदर बैठा दिया ड्राइविंग सीट पे..और दूसरी तरफ से आकर मैं भी बैठ गया..बहुत देर तक खामोशी छाई रही,बाहर बारिश अभी भी हो रही थी…जब कुछ देर और उसने कुछ नही बोला तो मेरे दिल के अंदर बेचैनी होने लगी…उस समय मैं ये भूल गया था कि मैं नागपुर से देल्ही जाने के लिए निकला था..उस वक़्त तो मुझे बस उसकी बेचैनी खाए जा रही थी,..शायद मुझे उससे प्यार हो गया था,वही प्यार जिसमे मेरे कयि दोस्त देवदास बन गये थे…फिर मैने ही अपने दिल को मजबूत किया और उसकी तरफ देखा,.,”तुम्हारा पैर कैसा है…”मैने बात की शुरुआत कर ही डाली…वो चुप ही रही..”देखो सारा आइ आम सॉरी ,जो हुआ अंजाने मे हुआ मैने जानबूझ कर नही किया…”वो जैसे मेरा मन पढ़ने की विधि जान गयी थी,इस बार भी उसने मेरा झूट पकड़ लिया…

“आदित्य,तुम कोई मौका अपने हाथ से जाने नही देते ना….””सारा देखो.,आइ आम रियली सोरर…”मैं सॉरी भी नही बोल पाया था कि उसने अपने हाथ मेरे होंठो पे रख दिए…”चुप बिल्कुल चुप..बहुत बोल चुके तुम आदित्य अब…”मैं चुप ही रहा..लेकिन अब सारा रंग मे आ रही थी उसने अपना फेस मेरे फेस के बिल्कुल करीब लाया…उसके हाथ अभी भी मेरे लब पे थे..कुछ देर तक वो ऐसे ही मुझे देखती रही मेरी आँखो मे कुछ देख रही थी,…फिर उसने अपने हाथ मेरे होंठ से हटाए लेकिन उसने अपने होठ मेरे होंठो पे रख दिया…मैं भला क्यू पिछे हटने वाला था…मैं भी रेस्पोन्से देने लगा…वो बहुत तेज़ी से मेरे होंठो को चूसे जा रही थी..जैसे मुझे खा जाएगी ..

मेरी साँसे कम होने लगी मेरा दम घुटने लगा मैने पूरा दम लगा कर उसे अलग किया..हम दोनो हाँफ रहे थे,.लेकिन मुझमे उसके बाद वो जोश आया कि मैने उसका सर पकड़ कर सीधे अपने होंठो से सटा दिया..मेरे हाथो ने अपना काम शुरू कर दिया,,मैं अपने हाथो से उसके बूब्स मे दबाव बनाने लगा था…यदि उस वक़्त मैने दिल की जगह दिमाग़ से काम लिया होता तो शायद आज सिचुयेशन कुछ और होती…मैने उसका स्कर्ट उतार दिया…वो मेरी शर्ट के खोलने लगी और जल्दबाज़ी मे मेरे शर्ट को फाड़ दिया जाने उसे क्या जल्दी थी..मैने अपने फटे शर्ट को अलग किया,,,उसने आगे वाली दोनो सीट को पिछे किया..हम दोनो के खेल के लिए भरपूर प्लेस था…उसकी आँखो मे एक अजीब तरह की हवस थी..जैसे कि वो आज तक मेरा ही इंतेजार कर रही हो..इस नागपुर टू देल्ही रोड पे…..मैने उसकी कमर के उपर के पूरे शरीर से कपड़ा हटा दिया..और कुछ देर बाद कमर के नीचे वाले हिस्से से भी ,अब हम दोनो के शरीर प्रकरातिक अवस्था मे थे..मैने उसे पकड़ वही सीट पे गिरा दिया… मेने उसके मम्मो को मुह में लिया और चूसने लगा, वो बोली कि यहाँ नहीं पहले यहाँ करो ( चुत की तरफ इशारा किया )|

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मैं फिर उसकी चुत को चाटने लगा और चूसता रहा काफी देर तक | वो उम्म्ह्हा उफ्फ्फ्फ़ उफ्फ्फ्फ़ फ़ाआअ ऊम्म्ह्हा आह आह आह की आवाज़ निकालने लग गयी |
उसने फिर मेरा सर पकड़ के अपने चुत में घुसा दिया और जोर जोर से धक्के देने लगी अपनी चुत की तरफ |
मेने अपने जिंदगी मै इतनी प्यासी और मासूम लड़की नहीं देखि थी चुदवाने के लिए|
मै फिर उसके ऊपर आ गया|
वो मेरा लंड सहलाने लगी, फिर मै पलटी खा गया और उसके मुह की तरफ अपना लंड कर दिया और मै उसकी चुत चाटने लगा| फिर वो मेरे लंड को चूसने लगी और मस्त वाला चूस रही थी, एक पल के लिए मुझे लगा कि काट लेगी, मगर मै उसे मना भी नहीं कर पा रहा था क्यों की मज़ा भी गजब का आ रहा था मुझे |
३० मिनट तक यही चला, और इसी बीच वो दो बार झड चुकी थी मगर मेरा अभी भी तना हुआ था | मैने फिर सोचा क़ि चुत पे जाऊ सो मै अपना लंड निकालने लगा तो उसने निकालने नहीं दिया और जिद कर रही थी कि उसे पानी पीना हें |

मेने उसे कहा की अभी नहीं निकल रहा, जब चुत के टाइम पे निकलेगा तब पिला दूंगा तो वो मान गयी |
मेने फिर उसके होठो को चूमना शुरू कर दिया और एक हाथसे उसके मम्मो को मसल रहा था, वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी | उसका एक हाथ मेरे पीठ पे था जो मुझे गरम कर रहा था| उसका बदन धीरे धीरे आग की तरह गरम होने लगा | और वो मुझे कसते जा रही थी, जेसे की वो मुझे अपने जिस्म में घुसा लेना चाहती हो |
वो उफ़ उफ़ किये जा रही थी बोल रही थी कि कुछ करो, मुझसे और नहीं रहा जा रहा, मेरी चुत में कुछ करो | जानू मुझे चोद दो आज, मेरी बरसो की प्यास बुजा दो, चाहे कुछ भी हो आज मेरी प्यास बुजा देना|
मेने फिर उसकी चुत पे अपना लंड रखा ही थाकि वो चीख उठी, मै समझ गया की कच्ची कलीहै |
मेने हलके हलके से धक्का लगाया और धीरे धीरे पूरा २५ मिनट लगा मुझे उसके चुत में लंड डालने मे वो भी एक ही बार, और फिर मेने कार की सीट पे देखा तो पूरा खून ही खून था|

उसने भी ये देख लिया और वो डर गयी|
मेने उसे समझाया की पहली बार में ऐसा होता हें, डरो मत कुछ नहीं होगा|
फिर मेने उसकी चुत से हलके से लंड बाहर निकाला और फिरसे धीरे धीरे अन्दर डालने लगा और फिर हलके हलके से अन्दर बाहर करने लग गया, फिर थोड़ी देर में उसको भी मज़ा आने लगा, और वो भी मेरा साथ देने लग गयी | मै फिर जोर जोर से धक्के मारने लग गया और वो भी मुझे पीछे से अपने पेरो से धक्के दे रही थी|
मै सोचने लग गया कि ये तो अभी कुवारी थी, फिर इसे दर्द नहीं हो रहा क्या ?
मेने उससे पूछ ही लिया |

सारा – दर्द से बड़ी प्यास हें | पहले मेरी प्यास बुझ जाये फिर मै दर्द के बारे मै सोचूंगी |
फिर इसी तरह मै उसको करीब ३० मिनट तक चोदता रहा और फिर एक साथ हम दोनों झड गए और उसको दिए हुए वचन को भी मेने निभाया , मेने उसे अपना पानी पिलाया |उसकी आँखो मे एक अजीब शांति मुझे दिखी जैसे वो मेरे लिए कितने सालो से तड़प रही हो और आज उसे वो सब कुछ मिल गया हो…मैं वही सो गया..कितनी देर सोया मालूम नही लेकिन जब मेरी नींद खुली तो मैने देखा सारा कार चला रही थी,..मैने उससे पुछा..”कार कैसे ठीक हुई…””वो मैं रात मे दोबारा उस मेकॅनिक के घर गयी थी,उसी ने कार ठीक की…”ना जाने क्यू मैने उसकी बात पे यकीन कर लिया..मैने ये भी नही सोचा कि वो औरत अब दुबारा दरवाजा नही खोलेगी,.

और रात मे सारा उतनी दूर अकेली नही जा सकती थी…लेकिन उस समय मेरे दिमाग़ मे सिर्फ़ और सिर्फ़ सारा का भूत सवार था..”हम कहाँ हैं अभी…”मैने उसकी तरफ देखा..”अभी -अभी खुर्जा जेवर डिस्ट्राइसिट रोड को क्रॉस किया है..अभी हम दीन दयाल उपाध्याय रोड पे है…अब देल्ही कुछ देर मे पहुँच जाएँगे…'”अरे वाह,तुम कार को उड़ा के लाई हो क्या..इतनी जल्दी देल्ही पहुँचा दिया…”कुछ देर बाद देल्ही सिटी स्टार्ट ही चुकी थी….उसने एक कॉलोनी के सामने कार रोक दी…”कार ,क्यू रोक दी..””ये है एवरग्रीन कॉलोनी मैं यही रहती हू..सेक्टर . 5 ,फ्लॅट नंबर. 2 पे..””सारा मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ…””हां बोलो…””तुम्हारी शादी हो गयी हैं क्या.””नही ,लेकिन तुम क्यू पुच्छ रहे हो..”देखो सारा ,मैं नही जानता तुम क्या सोचोगी लेकिन मैं मैं तुम्हे अपने ज़िंदगी का हमसफर बनाना चाहता हूँ,तुमसे शादी करना चाहता हू…कल रात जो हुआ,वो महज एक इत्तेफ़ाक नही हो सकता..

“””शादी,ऐसे ही नही हो जाती मिस्टर. आदित्य,,,उसके लिए तुम्हे मेरे मोम और डॅड से बात करनी होगी…””तुम तैयार हो..””पहले तुम मेरे मोम डॅड से मिल लो…””फिर चलो अभी मिल लेता हूँ..””अरे अभी रात है,कल सुबह आना ठीक रहेगा..”मैं कार से उतर गया..वो वही पे कार मे बैठी मुझे देखती रही जब तक मैं वहाँ से चला नही गया..मैं बहुत खुश था..घर पे पहुँचा डेडी ने बहुत सारे सवाल किए कि तेरी कार कहाँ है,या तेरा मोबाइल क्यू स्विच ऑफ था..इतनी देर कहाँ हुई..लेकिन मैने डॅड को कुछ नही बताया..और ख़ुसी -ख़ुसी अपने रूम पे गया और कल का इंतेजर करने लगा..लेकिन वो कल कभी मेरी ज़िंदगी मे नही आया जिसका मैं इंतेज़ार कर रहा था..मैं सुबह उठा और तैयार होकर सारा के बताए अड्रेस पे गया लेकिन उसके घर पे ताला लगा हुआ था ,

कही गये होंगे मैने ये सोचकर बाहर इंतेज़ार करने लगा …दो घंटे बाद भी जब कोई नही आया तो मैने बगल वाले घर का दरवाजा खटखटाया..एक आदमी ने गेट खोला ,”क्या काम है,”उसने रौबदार आवाज़ मे खाहा..”जी, मुझे सारा के डॅड से मिलना है..”उसके आँखो मे उत्सुकता जाग गयी…”लेकिन वो तो यहा नही रहते अब,दो साल पहले ही यहाँ से चले गये…””क्या…”मैं बुरी तरह चौंक गया…”हां,उनकी बेटी सारा का आक्सिडेंट हुआ था जिसकी वजह से वो अब इस दुनिया मे नही है…””व्हाट,”मैने ये शब्द इतनी ज़ोर से कहा कि पूरी बिल्डिंग ही गूँज गयी…”हां बेटा ,सारा का आक्सिडेंट हुआ था ,नागपुर टू देल्ही रोड पे……………



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