हॉट सीमा Xxx की चूदाई कहानी

हॉट सीमा Xxx कहानी 1

 

हॉट सीमा Xxx कहानी में पढ़ें कि मेरी शादी मुझसे काफी बड़े उम्र की आदमी से हो गयी. एक बार मेरे पति के कुछ दोस्त खाने पर आये. तभी पति को  काम से जाना पड़ गया.

 

दोस्तो, मेरा नाम सीमा है. मेरी उम्र 30 साल है.

ये एक ऐसी लड़की की चुदाई कहानी है जो सेक्स की अत्यधिक भूखी थी और जो अपने पति के  साथ रह रही थी. 

इस कहानी में सीमा और उस के पति के नजरिए से बताया है।

 

मेरी सेक्स की भूख कैसे इतनी बढ़ गई थी, मुझे खुद भी समझ नहीं आया था.

आप खुद इस हॉट सीमा Xxx कहानी को पढ़कर मुझे बताएं.

 

मेरे पति एक  गुजराती फैमिली से है. मे गरीब  फैमिली की से हूं 

 

मेरी पति  एक कंपनी भी है, जो कंट्रक्शन का ठेका लेती है. मेरी कंपनी से मुझे बहुत मुनाफा होता है.

 

मैं कुछ नेताओं और अधिकारियों से अपनी जुगाड़ सैट किए हुए था. जिनकी दम पर मैं निगम और दूसरे सरकारी विभागों से काम लेता रहता था.

 

 शादी के समय में 20 साल और मेरे पति 35 साल के थे । मेरे पति की पहली वाइफ और बेटा मर चुके थे।

 

मेरे पति   अच्छा ख़ासा काम लेता था तो मेरी फैमिली ने मेरे लिए उस की फैमिली से बात की और मेरा फोटो दिखाया.उसका नाम अनिल था

मे बीस साल की दुबली पतली लड़की थी. उसके बत्तीस के साइज के चूचे, चौंतीस की गांड और अट्ठाईस इंच की बलखाती सी कमर उसे में  एक बार में हां कहा दी.

 

मेरा चेहरा बहुत ही ज्यादा सुन्दर था. उसकी बड़ी आंखें, लम्बे बाल, गुलाबी होंठ और एकदम बेदाग़  सा गोरा बदन था.

जो भी देखे, बस देखता रह जाता

 

परिवार के रजामंदी से कुछ दिनों में उससे मेरी शादी हो गई.

वो मुझसे उम्र में पन्द्रह साल बड़ा था मगर हालात कुछ ऐसे बने कि मेरी उस  से शादी हो गई.

 

सुहागरात में जब उसने मेरे कपड़े उतारे तो मेरी सुंदरता का सही से पता चला उसे .

संतरे के आकार के दूध, जिनके निप्पल्स छोटे और गुलाबी रंग के , चूत एकदम टाइट  और फांकें भी गुलाबी रंग के.

गांड का छेद हल्का भूरा और बहुत संकुचित था.

 

और ये बोलने की बात नहीं है कि मे  सीलपैक माल थी.

मेरे बदन से जी भर कर खेलने के बाद उसने मेरी चूत की सील अपने छह इंच के लंड से खोल दी और पूरी रात में उसने तीन बार चोदा.

2 दिन बाद मेरी गांड मारने की कोशिश भी की, पर छेद इतना छोटा था कि लंड अन्दर जा ही नहीं रहा था. कुछ देर कोसी के बाद वो मेरी गांड मरने लता.

 

वो मुझे दो हफ्ते तक घर पर रह कर  रोजाना चोदता रहा, कभी रात में दो बार तो कभी तीन बार.

हमेशा वो थक कर निढाल हो जाता था मुझे भी चुदने का नया नया चस्का लगा था तो रोका टोकी नहीं थी.

 

दो हफ्ते बाद वो मुझे  लेकर अपने शहर आ गया, जहां वो अकेला रहता था और उस की कंपनी भी इसी शहर में थी फैमिली दूसरे शहर में रहती थी.

 

यहां आकर उसे और ज्यादा छूट मिल गई.

वो जब भी घर में रहता था तो मुझे को कपड़े ही पहनने नहीं देता था.

 

दिन रात में कभी भी करता तो  ब्लू-फिल्म दिखा दिखा कर चोदता रहता था.

वो मुझे  ब्लू-फिल्म में चार पांच लंड से चुदने वाले वीडियो देख कर एकदम से गर्मा कर देता था .

 

सुबह नहाने के बाद मुझे दिन भर  नंगी ही रखता था.

दिन भर मे नंगी ही घर में घूमती और नंगी ही घर के सारे काम करती थी.

उस का  जब मन करता, मुझे पकड़ कर चोद देता.

 

धीरे धीरे उसने मुझे लंड चूसना भी सिखा दिया.

शुरू शुरू में तो में  नाक भौं सिकोड़ती , मुँह बनाती  … लेकिन ब्लू-फिल्म देख कर धीरे धीरे लंड चूसने की अभ्यस्त हो गया और में बहुत अच्छे से लंड चूसना शुरू कर दिया.

 

उसे अब में लंड चूसना इतना आनन्ददायक था कि उसने मेरी चूत मारने से ज्यादा मज़ा उसे अपना लंड चुसवाने में जड़ा मजा आने लगा था.

 

पहले में माल गटकती नहीं थी, पर अब  गटकना भी चालू कर दिया था. मेरी शादी को 3 माह हो चुके थे.

मेरी चुदाई की भूख भी बढ़ती जा रही थी, और ब्लू-फिल्म में चार पांच लंड से चुदती देखती, उस से मेरी आग बढ़ते बढ़ते बहुत बड़ चुकी थी.

अनिल ने तो अब मुझे चोदना ही बंद कर दिया था और केवल अपना लैंड चुसवाता और मेरी चूत चाटता .

मे कभी भी इस से इस बारे में बात करती तो वो इसे से मना कर देता की इस बारे में बात मत करो में रुक जाती.

मे समाज नहीं पा रही थी कि में क्या करू मेरे अंदर की आग लावा बन चुकी थी। 

अब अनिल के नजर से – अनिल सोच रहा था कि सीमा से कैसे बात करे कि उस ने चुदई के लिए उस ने बहुत ज्यादा सेक्स गोलियों का यूज किया.

गोलियों से मुझे नक्सन हुआ है. मे चुदई नही कर सकता हूं वो मेरा  लैंड मुंह में लेकर चूस सकती हैं माल पी सकती है 

4 माह बीत चुके थे शादी हुई, अब हमारी पहले जैसी नहीं रही थी में उस लिए कुछ नहीं कर सकता था.

जैसा कि ऊपर मेरे काम के बरे मे बताया था कि काम के कारण मेरी जान पहचान बहुत ही रसूख वाले लोगों के साथ हो गई थी.

उन्हीं लोगों में 3 बहुत ही प्रभावशाली लोग मेरे परम मित्र बन गए थे.

 

एक हमारे शहर के विधायक महोदय थे, जिनकी उम्र 49 – 50 के आस पास थी.

 दूसरा हमारे शहर नगर निगम का अधायच थे, जिनकी उम्र 45 – 46 के आस पास थी.

तीसरा हमारे शहर पुलिस अधिकारी थे, जिनकी उम्र 46 – 48 के आस पास थी.

व्यहवार से वो बहुत ही भले मानस थे और सबकी मदद करते थे.

 

औरतों के लिए उनके दिल में ख़ास इज़्ज़त थी और बहुत सम्मान देते थे. किसी औरत के लिए भद्दी टिप्पणी मैंने आज तक उनके मुँह से नहीं सुनी थी.

 

 विधायक का नाम सलमान था और मैं उनका बहुत ज्यादा कृपा पात्र था, जिस वजह से मेरा कोई काम रुकता नहीं था.

 

उसी तरह हमारे शहर के नगरआयुक्त महोदय जेतालाल, और नगर निरीक्षक अलबाज जी की मुझसे परम मित्रता थी और उनकी मुझ पर अत्यधिक कृपा थी.

 

तीनों की सम्मिलित पहचान के कारण मेरा रुतबा और पकड़ शहर के कई कार्यालयों में था और सब मुझे पहचानते थे.

कहीं भी मेरा कोई काम रुकता नहीं था. न मुझे घूस या रिश्वत देनी पड़ती थी.

 

सलमान जी से बहुत दिनों से मुलाकात नहीं हुई थी और उन सबकी व्यस्तता के कारण कोई भी मेरी शादी में आ नहीं पाया था.

अकसर हमारी मुलाकात बार में होती थी, पर प्रोग्राम बनाना पड़ता था.

 

जेठालाल जी ने एक दिन कॉल करके कहा- आ जा शाम को … फलां बार में प्रोग्राम बना है, मिलना है.

मैंने सीमा को कह दिया कि रात में आने में देर हो जाएगी.शाम को आठ बजे मैं बार में पहुंच गया. 

 

सब पहले से उपस्थित थे और पीने पिलाने का प्रोग्राम चल रहा था. 

सीमा – में क्या करू अपनी इच्छा का. अनिल ने तो अब मुझे चोदना ही बंद कर दिया है में क्या करू की वो मुझे चोदे.

चुदईं के लिए अब सब्जी यूज करती हु पर जो मजा लैंड में है वो मजा सब्जी में कहा आता है 

मे और क्या कर सकती हु जिस से मेरी आग बुझ सके मुझे कुछ न कुछ तो करना ही होगा जिस से में सन्त हो सकू.

मेने चुदईं के कई रास्ते सोचे पर कुछ समाज नहीं आ रहा था कि कैसे आपकी आग बुझाऊ।

दूसरी ओर अनिल – मैं बियर के अलावा कुछ नहीं पीता था तो मेरे लिए बियर मंगवाई गई और महफ़िल जम गई.

 

हम सब दस बजे तक बात मज़ाक करते रहे.

फिर मैंने घर जाने की इजाजत मांगी.

जेठालाल जी बोले- इतनी जल्दी?

 

तो अलबाज़ जी बोले- जाने दे दूसरी शादी हुई है.

सलमान जी तुरंत याद करके बोले- अरे हां … और तुमने अभी तक अपनी पत्नी से हमें मिलाया भी नहीं.

 

मैंने कहा- कल रेस्टोरेंट में लेकर आ जाता हूँ और मिलवा देता हूँ.

जेठालाल जी बोले- गधे जैसी बात मत करो. घर बुलाओ किसी दिन … और डिनर का प्रोग्राम रखो.

 

मैंने मुस्कुरा कर सलमान जी से पूछा= क्या आप कल फ्री हैं.

तो उन्होंने कहा- कल तो नहीं, पर 3 दिन बाद फ्री हूँ.

 

मैंने तुरंत सबको घर आमंत्रित किया और सब मान भी गए. 

फिर हम सब  बात करने लगे अलबाज ने शहर की पुलिस ने क्या क्या किया और कैसे कैसे केस आए

और मेने भी अपने काम के बरे मे बताया कि मेरे सारे काम पूरे हो चुके है 1 ही काम बचा है 

तो सलमान जी ने जेठालाल से कहा कुछ करो अनिल के लिए ये अपना है बांदा है

मेने सलमान जी का शुक्रिया कहा तो वो वाले इस में शुक्रिया किस बात का.

 

घर पहुंच कर मैंने सीमा को बताया और उसको डिनर के लिए बोल दिया.

 

मैंने सीमा को बोल दिया कि किसी भी सूरत में मेरे मेहमान नाराज़ नहीं होने चाहिए, मेरा शहर में रसूख ही उन लोगों की वजह से ही है.

 

वो हंस कर बोली- आप कहें तो उनके सामने लेट कर भी खुश कर दूँ क्या?

मैंने ये सीमा का मजाक समझा और हंस दिया.

मुझे क्या मालूम था कि सीमा ये बात उसके लिए एक सच  साबित हो जाएगी. 

वो दिन आया जिस दिन वो सब मेरे घर आने वाले थे पर में काम को खत्म करने की वाजा से में सौ नही पाया था 

मेरे घर में खाना बनाने के लिए 2 लेडीज बुला ली उन से सका खाना बनाया 6 बजे में घर पहुंच उने रुपया दी और वो चली गई

 

शाम को ठीक आठ बजे तीनों मेरे घर पधारे, साथ में वो सीमा के लिए महंगे तोहफे लेकर आए थे.

 

मैंने कहा भी कि इस सबकी क्या जरूरत थी, तो सलमान जी बोले कि तुम गधे हो, हम तुम्हारे लिए नहीं, अपनी बेटी के लिए लाए हैं.

 

जेठालाल जी बोले- अनिल ,सीमा, सलमान जी की बेटी की तरह है, तो मेरी भी बेटी की तरह है, आखिर हमारा भी कुछ हक़ है.

मैंने हंस कर सारे तोहफे सीमा को स्वीकार करने को कह दिया.

 

हम सब खाना खाने लगे खाना खाने के बाद हम सब सोपे पर बैठे .

सलमान जी बोले- उसका प्रोग्राम नहीं है क्या?

 

मैंने अचकचा कर कहा कि घर में डिनर का प्रोग्राम था, सो उसका इंतज़ाम नहीं किया था.

सलमान जी ने पूछा- चल सकता है ना यहां?

 

मैंने सहमति में सर हिला दिया तो अलबाज जी ने किसी को कॉल करके शराब मंगवा की.

दस मिनट में शराब, गिलास और चखना सब हाजिर था.

 

प्रोग्राम चालू हुआ और आज मैंने भी थोड़ी सी ले ली.

गनीमत यह थी कि किसी ने सीमा को शराब परोसने को नहीं कहा.

 

मैंने कुछ कुछ मंगवाया भी तो सलमान जी ने मना कर दिया और बोले- ठीक नहीं लगता.

 

कुछ ही मिनट प्रोग्राम चला होगा कि अचानक मेरे ऑफिस से कॉल आ गया.

मेरे पीए ने कहा कि कुछ लोग ऑफिस में आकर हुड़दंग मचा रहे हैं.

मैंने उससे कहा- थोड़ी देर रुक, मैं आ रहा हूँ.

 

अलबाज जी ने पूछा और फिर बोले- चल मैं भी साथ चलता हूँ.

मैंने उनसे कहा- कोई ख़ास परेशानी नहीं है. मैं संभाल सकता हूँ, आप लोग प्रोग्राम चालू रखो और मैं फटाफट मामला निपटा कर आता हूँ.

 

मैंने सीमा को बुलाया और कहा- मैं ऑफिस से आ रहा हूँ, जब तक तुम हमारे मेहमानों का ख्याल रखो और खातिरदारी में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए.

सीमा ने हंस कर हां में सर हिला दिया और मेने उस कसम दी और मैं ऑफिस के लिए निकल गया.

 

ऑफिस तीस मिनट की दूरी पर था ऑफिस पहुंच कर पता चला कि जिस काम का आबंटन 12 महीने हो गए थे , काम पूरा नहीं हुआ था और लोग आक्रोश में थे.

मैंने एक एक करके सबको समझाया और  कॉल करके अपने कर्मचारी यो को निर्देश देने शुरू किया.

 

साढ़े नौ बजे तक भी पूरा मामला निपट नहीं पाया था, तो मैंने सोचा कि सीमा को कॉल करके बता देती हु 

मैंने सीमा को कॉल किया पर उसने फ़ोन नहीं उठाया.

 

जब मैंने दोबारा कॉल किया तो उसका नंबर स्विच ऑफ हो गया था.

 

मैंने बाकी लोगों को कॉल किया तो उनका नंबर पहले से स्विच ऑफ था.

मुझे लगा कि सीमा की मोबाइल की बैटरी कम रही होगी और बाकी लोग आने से पहले मोबाइल स्विच ऑफ कर के रखे होंगे.

 

घर पहुंचते पहुंचते साढ़े दस हो गए थे और मैं कार पार्क करके गेट तक पहुंचा.

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मैंने देखा कि अलवाज जी कच्छे में बरांडा में चेयर टेबल लगा कर बैठे हुए थे और शराब पी रहे थे. वो सिर्फ कच्छा पहने थे … ना शर्ट ना पैंट ना बनियान.

 

फिर भी मैं उनको देख कर मुस्कुराया और अन्दर जाने लगा.

उन्होंने मुझे इशारे से बुलाया और कहा- अनिल, तुम अभी अन्दर मत ही जाओ, अन्दर प्रोग्राम चालू है, बाकी तेरी मर्जी.

 

मैं मुस्कुराया पर सच कहूं तो मुझे उनकी बात समझ ही नहीं आई थी. मैं ड्राइंग रूम में घुसा तो सब अस्त व्यस्त था.

मैंने सोफा पर कपड़े पड़े देखे और मुझे बहुत ही अजीब लगा.

 

मैं आगे बढ़ ही रहा था तो उन कपड़ों के बीच मुझे सीमा की साड़ी दिखी.

मैंने साड़ी खींच कर निकाली तो साथ में मुझे उसकी ब्रा पैंटी और पेटीकोट भी उस साड़ी से उलझी हुई मिली.

 

मेरा दिल धक् धक् करने लगा और मैंने कुछ कदम आगे बढ़ कर डाइनिंग रूम में झांका.

 

मुझे काटो तो खून नहीं, जैसी स्थिति थी.

डाइनिंग टेबल पर  एकदम नंगी लेटी हुई थी.

 

सलमान जी का लंड उसके मुँह के अन्दर था और वो मजे से लंड चूस रही थी.

 

जेठालाल जी उसके दोनों जांघों को पकड़ कर उसकी चूत चोद रहे थे.

 

सलमान जी बोले- बहुत बढ़िया लंड चूसती है रंडी तू, इतना बढ़िया लंड आज तक मेरा किसी रंडी ने नहीं चूसा. मुझे खुश कर दिया तूने!

मैंने देखा कि मेरी बीवी अपनी तारीफ़ सुनकर मुस्कुरा रही थी.

 

जेठालाल जी बोले- चूत भी बहुत टाइट है साली तेरी बीवी की, मेरा लंड अन्दर दबा कर रगड़ रहा है.

 

तभी मेरे कंधे पर अलबाज जी का हाथ महसूस हुआ और मैंने पलट कर देखा.

वो भी मेरी तरह अन्दर झांक रहे थे.

 

अलबाज़ जी बोले- सबसे पहले सलमान जी ही चोदते, पर उनका मन तो सिर्फ गांड मारने का था, इसलिए सबसे पहले मैंने उसकी चूत मार ली.

 

वो आगे बोले- अनिल भाई, पहले हमारा तेरी इस रांड को चोदने का कोई इरादा नहीं था, पर साली का पल्लू  बार बार गिर  रहा था. साली छिनाल के कॉलेज के माल टाइप चूचे हैं और बदन भी उसी तरह का है. तो सलमान जी का मूड बन गया. वो मुझसे बोले तो मेरा भी मूड बन गया.

 

मैं सन्न था और उनकी बात सुन रहा था.

 

वो थोड़ा रुक कर बोले- जब मैंने उसका पल्लू पकड़ कर खींचा तो घबरा गई थी. तो मुझे बोलना पड़ा कि अनिल खुद तुम्हें हमसे चुदवाना चाहता है, इसलिए तो तुम्हें अकेले हमारे पास छोड़ कर चला गया.

मैंने कुछ बोलना चाहा.

 

मगर वो आगे बोले- अरे यार, ऐसा बोलना पड़ा कि तुम अपना रसूख बनाए रखने के लिए ये कर रहे हो और तुम्हें भी इसलिए हिदायत देकर गए हो. तब जाकर साली रंडी रिलैक्स हुई और हमने उसको नंगी किया. फिर तो ये ऐसी खुल गई मानो खुद ही हमसे अपनी सेवा करवा रही हो.

 

मैं कुछ भी बोलने की पोजीशन में नहीं था.

 

तभी अलबाज जी आगे बोले- फिर जब इसको लिटा कर हम इसके बदन से खेल रहे थे, तो तेरा कॉल आ गया. वो तो अच्छा था कि मोबाइल बजने से पहले ही मैंने साइलेंट कर दिया और कॉल कटते ही मैंने मोबाइल स्विच ऑफ कर दिया. नहीं, तो सीमा का मूड बदल सकता था, चोदते तो हम फिर भी … पर उसका मन नहीं रहता.

 

अलबाज जी थोड़ी देर तक मुझे देखते रहे.

फिर बोले- अब तुम अपना रसूख ख़त्म तो करना नहीं चाहते होगे, ये नहीं चाहते होगे कि हम सब तेरे काम में टांग अड़ाना चालू करें. अब सीमा चुद गई है ही, तो तुम कोई प्रतिक्रिया मत दो और ना ही हस्तक्षेप करो. आज रात चोदने दो, बदले में हम सब तुम्हें  और अच्छे काम दिलवा देंगे. हस्तक्षेप करोगे भी तो हमारा कुछ बिगाड़ पाओगे नहीं, तो समझदारी से काम लो. तुम समझ रहे हो ना?

 

मेरा मन रोने का हो रहा था लेकिन फिर भी मैंने सर हिला दिया.

 

अलबाज़ जी बोले- शाबाश! अब कमरे में जाओ और सीमा को कुछ बोलो ताकि उसे लगे सब तुम्हारी मर्जी से हो रहा है. वैसे भी सलमान जी को ये डर सता रहा है कि तुम तमाशा कर सकते हो और उनके सामाजिक छवि को नुकसान हो सकता है. इस स्थिति में वो एक बार तुम दोनों के लिए कुछ और भी सोच सकते हैं.

 

मैंने जैसे तैसे अपने आपको संभाला और इस सन्दर्भ में सोचा.

बोलने को वो ठीक ही बोल रहे थे, तो मैं चुपचाप अन्दर गया.

 

मुझे देख कर दोनो चुप हो गए और मुझे घूर कर देखने लगे.

मैंने अपनी हालत संभाली और कहा, सीमा! सलमान जी हमारे सबसे आदरणीय हैं, अच्छे से उन सबका लंड चूसो. उनको कोई शिकायत नहीं होनी चाहिए.

 

मैंने जेठालाल जी की तरफ घूम कर कहा- चूत मारने में मजा आ रहा है ना सर?

जेठालाल जी मुस्कुरा कर कहा- अनिल भाई, मज़ा तो आ रहा है, पर जांघों को पकड़े पकड़े हाथ दुख गए मेरे, तुम आ कर अपनी रंडी वाइफ का पैर पकड़ लेते तो मैं आराम से चूत चोद लेता.

 

मैंने टेबल की दूसरी तरफ जाकर सीमा की टांगें पकड़ लीं और वो उसकी कमर पकड़ कर चूत चोदने लगे.

मेरी बीवी मुझे सामने पाकर और भी खुल कर चुदने लगी. 

सीमा- मेने अनिल की आंखो में देखा और आखों से के रही थी ये देखो मेरे साथ क्या हो रहा है।

तुम्हारी कसम की बजे से ये सब मुझे चोद रहे है में कुछ नही कर पा रही  

पर सीमा तो अंदर अंदर बहुत खुश थी की आज उस की चूत चूद रही थी

अनिल – जेठालाल पांच मिनट बाद उन्होंने अपनी गति तेज़ कर दी और बोले- इस रंडी की चूत में मेरा माल निकलने वाला है.

ये बोल कर उन्होंने सीमा की चूत में अपना माल भर दिया.

 

वो हटे, तो सीमा ऊटी तो सलमान जी बोले- रुक, पहले मुझे तुम्हारी गांड मारनी है.



ये एक ऐसी कामपिपासु औरत की सेक्स कहानी है, जिसकी चूत और गांड की आग कभी बुझती ही नहीं थी.इसे निम्फ़ोमैनियाक नामक स्थिति होती है, जिसमें एक महिला को लगातार चुदाई करवाने का मन करता है.

 

आपको मेरी इस हॉट सीमा Xxx कहानी के लिए क्या कहना है, प्लीज़ मुझे मेल करें. 

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हॉट सीमा Xxx कहानी का अगला भाग: पति के दोस्त

 में पढ़ें कि मेरी शादी मुझसे काफी बड़े उम्र की आदमी से हो गयी. एक बार मेरे पति के कुछ दोस्त खाने पर आये. तभी पति को  काम से जाना पड़ गया.

 

दोस्तो, मेरा नाम सीमा है. मेरी उम्र 30 साल है.

ये एक ऐसी लड़की की चुदाई कहानी है जो सेक्स की अत्यधिक भूखी थी और जो अपने पति के  साथ रह रही थी. 

इस कहानी में सीमा और उस के पति के नजरिए से बताया है।

 

मेरी सेक्स की भूख कैसे इतनी बढ़ गई थी, मुझे खुद भी समझ नहीं आया था.

आप खुद इस हॉट सीमा Xxx कहानी को पढ़कर मुझे बताएं.

 

मेरे पति एक  गुजराती फैमिली से है. मे गरीब  फैमिली की से हूं 

 

मेरी पति  एक कंपनी भी है, जो कंट्रक्शन का ठेका लेती है. मेरी कंपनी से मुझे बहुत मुनाफा होता है.

 

मैं कुछ नेताओं और अधिकारियों से अपनी जुगाड़ सैट किए हुए था. जिनकी दम पर मैं निगम और दूसरे सरकारी विभागों से काम लेता रहता था.

 

 शादी के समय में 20 साल और मेरे पति 35 साल के थे । मेरे पति की पहली वाइफ और बेटा मर चुके थे।

 

मेरे पति   अच्छा ख़ासा काम लेता था तो मेरी फैमिली ने मेरे लिए उस की फैमिली से बात की और मेरा फोटो दिखाया.उसका नाम अनिल था

मे बीस साल की दुबली पतली लड़की थी. उसके बत्तीस के साइज के चूचे, चौंतीस की गांड और अट्ठाईस इंच की बलखाती सी कमर उसे में  एक बार में हां कहा दी.

 

मेरा चेहरा बहुत ही ज्यादा सुन्दर था. उसकी बड़ी आंखें, लम्बे बाल, गुलाबी होंठ और एकदम बेदाग़  सा गोरा बदन था.

जो भी देखे, बस देखता रह जाता

 

परिवार के रजामंदी से कुछ दिनों में उससे मेरी शादी हो गई.

वो मुझसे उम्र में पन्द्रह साल बड़ा था मगर हालात कुछ ऐसे बने कि मेरी उस  से शादी हो गई.

 

सुहागरात में जब उसने मेरे कपड़े उतारे तो मेरी सुंदरता का सही से पता चला उसे .

संतरे के आकार के दूध, जिनके निप्पल्स छोटे और गुलाबी रंग के , चूत एकदम टाइट  और फांकें भी गुलाबी रंग के.

गांड का छेद हल्का भूरा और बहुत संकुचित था.

 

और ये बोलने की बात नहीं है कि मे  सीलपैक माल थी.

मेरे बदन से जी भर कर खेलने के बाद उसने मेरी चूत की सील अपने छह इंच के लंड से खोल दी और पूरी रात में उसने तीन बार चोदा.

2 दिन बाद मेरी गांड मारने की कोशिश भी की, पर छेद इतना छोटा था कि लंड अन्दर जा ही नहीं रहा था. कुछ देर कोसी के बाद वो मेरी गांड मरने लता.

 

वो मुझे दो हफ्ते तक घर पर रह कर  रोजाना चोदता रहा, कभी रात में दो बार तो कभी तीन बार.

हमेशा वो थक कर निढाल हो जाता था मुझे भी चुदने का नया नया चस्का लगा था तो रोका टोकी नहीं थी.

 

दो हफ्ते बाद वो मुझे  लेकर अपने शहर आ गया, जहां वो अकेला रहता था और उस की कंपनी भी इसी शहर में थी फैमिली दूसरे शहर में रहती थी.

 

यहां आकर उसे और ज्यादा छूट मिल गई.

वो जब भी घर में रहता था तो मुझे को कपड़े ही पहनने नहीं देता था.

 

दिन रात में कभी भी करता तो  ब्लू-फिल्म दिखा दिखा कर चोदता रहता था.

वो मुझे  ब्लू-फिल्म में चार पांच लंड से चुदने वाले वीडियो देख कर एकदम से गर्मा कर देता था .

 

सुबह नहाने के बाद मुझे दिन भर  नंगी ही रखता था.

दिन भर मे नंगी ही घर में घूमती और नंगी ही घर के सारे काम करती थी.

उस का  जब मन करता, मुझे पकड़ कर चोद देता.

 

धीरे धीरे उसने मुझे लंड चूसना भी सिखा दिया.

शुरू शुरू में तो में  नाक भौं सिकोड़ती , मुँह बनाती  … लेकिन ब्लू-फिल्म देख कर धीरे धीरे लंड चूसने की अभ्यस्त हो गया और में बहुत अच्छे से लंड चूसना शुरू कर दिया.

 

उसे अब में लंड चूसना इतना आनन्ददायक था कि उसने मेरी चूत मारने से ज्यादा मज़ा उसे अपना लंड चुसवाने में जड़ा मजा आने लगा था.

 

पहले में माल गटकती नहीं थी, पर अब  गटकना भी चालू कर दिया था. मेरी शादी को 3 माह हो चुके थे.

मेरी चुदाई की भूख भी बढ़ती जा रही थी, और ब्लू-फिल्म में चार पांच लंड से चुदती देखती, उस से मेरी आग बढ़ते बढ़ते बहुत बड़ चुकी थी.

अनिल ने तो अब मुझे चोदना ही बंद कर दिया था और केवल अपना लैंड चुसवाता और मेरी चूत चाटता .

मे कभी भी इस से इस बारे में बात करती तो वो इसे से मना कर देता की इस बारे में बात मत करो में रुक जाती.

मे समाज नहीं पा रही थी कि में क्या करू मेरे अंदर की आग लावा बन चुकी थी। 

अब अनिल के नजर से – अनिल सोच रहा था कि सीमा से कैसे बात करे कि उस ने चुदई के लिए उस ने बहुत ज्यादा सेक्स गोलियों का यूज किया.

गोलियों से मुझे नक्सन हुआ है. मे चुदई नही कर सकता हूं वो मेरा  लैंड मुंह में लेकर चूस सकती हैं माल पी सकती है 

4 माह बीत चुके थे शादी हुई, अब हमारी पहले जैसी नहीं रही थी में उस लिए कुछ नहीं कर सकता था.

जैसा कि ऊपर मेरे काम के बरे मे बताया था कि काम के कारण मेरी जान पहचान बहुत ही रसूख वाले लोगों के साथ हो गई थी.

उन्हीं लोगों में 3 बहुत ही प्रभावशाली लोग मेरे परम मित्र बन गए थे.

 

एक हमारे शहर के विधायक महोदय थे, जिनकी उम्र 49 – 50 के आस पास थी.

 दूसरा हमारे शहर नगर निगम का अधायच थे, जिनकी उम्र 45 – 46 के आस पास थी.

तीसरा हमारे शहर पुलिस अधिकारी थे, जिनकी उम्र 46 – 48 के आस पास थी.

व्यहवार से वो बहुत ही भले मानस थे और सबकी मदद करते थे.

 

औरतों के लिए उनके दिल में ख़ास इज़्ज़त थी और बहुत सम्मान देते थे. किसी औरत के लिए भद्दी टिप्पणी मैंने आज तक उनके मुँह से नहीं सुनी थी.

 

 विधायक का नाम सलमान था और मैं उनका बहुत ज्यादा कृपा पात्र था, जिस वजह से मेरा कोई काम रुकता नहीं था.

 

उसी तरह हमारे शहर के नगरआयुक्त महोदय जेतालाल, और नगर निरीक्षक अलबाज जी की मुझसे परम मित्रता थी और उनकी मुझ पर अत्यधिक कृपा थी.

यह कहानी भी पड़े  हॉट सीमा 2 Xxx की चूदाई कहानी 11

 

तीनों की सम्मिलित पहचान के कारण मेरा रुतबा और पकड़ शहर के कई कार्यालयों में था और सब मुझे पहचानते थे.

कहीं भी मेरा कोई काम रुकता नहीं था. न मुझे घूस या रिश्वत देनी पड़ती थी.

 

सलमान जी से बहुत दिनों से मुलाकात नहीं हुई थी और उन सबकी व्यस्तता के कारण कोई भी मेरी शादी में आ नहीं पाया था.

अकसर हमारी मुलाकात बार में होती थी, पर प्रोग्राम बनाना पड़ता था.

 

जेठालाल जी ने एक दिन कॉल करके कहा- आ जा शाम को … फलां बार में प्रोग्राम बना है, मिलना है.

मैंने सीमा को कह दिया कि रात में आने में देर हो जाएगी.शाम को आठ बजे मैं बार में पहुंच गया. 

 

सब पहले से उपस्थित थे और पीने पिलाने का प्रोग्राम चल रहा था. 

सीमा – में क्या करू अपनी इच्छा का. अनिल ने तो अब मुझे चोदना ही बंद कर दिया है में क्या करू की वो मुझे चोदे.

चुदईं के लिए अब सब्जी यूज करती हु पर जो मजा लैंड में है वो मजा सब्जी में कहा आता है 

मे और क्या कर सकती हु जिस से मेरी आग बुझ सके मुझे कुछ न कुछ तो करना ही होगा जिस से में सन्त हो सकू.

मेने चुदईं के कई रास्ते सोचे पर कुछ समाज नहीं आ रहा था कि कैसे आपकी आग बुझाऊ।

दूसरी ओर अनिल – मैं बियर के अलावा कुछ नहीं पीता था तो मेरे लिए बियर मंगवाई गई और महफ़िल जम गई.

 

हम सब दस बजे तक बात मज़ाक करते रहे.

फिर मैंने घर जाने की इजाजत मांगी.

जेठालाल जी बोले- इतनी जल्दी?

 

तो अलबाज़ जी बोले- जाने दे दूसरी शादी हुई है.

सलमान जी तुरंत याद करके बोले- अरे हां … और तुमने अभी तक अपनी पत्नी से हमें मिलाया भी नहीं.

 

मैंने कहा- कल रेस्टोरेंट में लेकर आ जाता हूँ और मिलवा देता हूँ.

जेठालाल जी बोले- गधे जैसी बात मत करो. घर बुलाओ किसी दिन … और डिनर का प्रोग्राम रखो.

 

मैंने मुस्कुरा कर सलमान जी से पूछा= क्या आप कल फ्री हैं.

तो उन्होंने कहा- कल तो नहीं, पर 3 दिन बाद फ्री हूँ.

 

मैंने तुरंत सबको घर आमंत्रित किया और सब मान भी गए. 

फिर हम सब  बात करने लगे अलबाज ने शहर की पुलिस ने क्या क्या किया और कैसे कैसे केस आए

और मेने भी अपने काम के बरे मे बताया कि मेरे सारे काम पूरे हो चुके है 1 ही काम बचा है 

तो सलमान जी ने जेठालाल से कहा कुछ करो अनिल के लिए ये अपना है बांदा है

मेने सलमान जी का शुक्रिया कहा तो वो वाले इस में शुक्रिया किस बात का.

 

घर पहुंच कर मैंने सीमा को बताया और उसको डिनर के लिए बोल दिया.

 

मैंने सीमा को बोल दिया कि किसी भी सूरत में मेरे मेहमान नाराज़ नहीं होने चाहिए, मेरा शहर में रसूख ही उन लोगों की वजह से ही है.

 

वो हंस कर बोली- आप कहें तो उनके सामने लेट कर भी खुश कर दूँ क्या?

मैंने ये सीमा का मजाक समझा और हंस दिया.

मुझे क्या मालूम था कि सीमा ये बात उसके लिए एक सच  साबित हो जाएगी. 

वो दिन आया जिस दिन वो सब मेरे घर आने वाले थे पर में काम को खत्म करने की वाजा से में सौ नही पाया था 

मेरे घर में खाना बनाने के लिए 2 लेडीज बुला ली उन से सका खाना बनाया 6 बजे में घर पहुंच उने रुपया दी और वो चली गई

 

शाम को ठीक आठ बजे तीनों मेरे घर पधारे, साथ में वो सीमा के लिए महंगे तोहफे लेकर आए थे.

 

मैंने कहा भी कि इस सबकी क्या जरूरत थी, तो सलमान जी बोले कि तुम गधे हो, हम तुम्हारे लिए नहीं, अपनी बेटी के लिए लाए हैं.

 

जेठालाल जी बोले- अनिल ,सीमा, सलमान जी की बेटी की तरह है, तो मेरी भी बेटी की तरह है, आखिर हमारा भी कुछ हक़ है.

मैंने हंस कर सारे तोहफे सीमा को स्वीकार करने को कह दिया.

 

हम सब खाना खाने लगे खाना खाने के बाद हम सब सोपे पर बैठे .

सलमान जी बोले- उसका प्रोग्राम नहीं है क्या?

 

मैंने अचकचा कर कहा कि घर में डिनर का प्रोग्राम था, सो उसका इंतज़ाम नहीं किया था.

सलमान जी ने पूछा- चल सकता है ना यहां?

 

मैंने सहमति में सर हिला दिया तो अलबाज जी ने किसी को कॉल करके शराब मंगवा की.

दस मिनट में शराब, गिलास और चखना सब हाजिर था.

 

प्रोग्राम चालू हुआ और आज मैंने भी थोड़ी सी ले ली.

गनीमत यह थी कि किसी ने सीमा को शराब परोसने को नहीं कहा.

 

मैंने कुछ कुछ मंगवाया भी तो सलमान जी ने मना कर दिया और बोले- ठीक नहीं लगता.

 

कुछ ही मिनट प्रोग्राम चला होगा कि अचानक मेरे ऑफिस से कॉल आ गया.

मेरे पीए ने कहा कि कुछ लोग ऑफिस में आकर हुड़दंग मचा रहे हैं.

मैंने उससे कहा- थोड़ी देर रुक, मैं आ रहा हूँ.

 

अलबाज जी ने पूछा और फिर बोले- चल मैं भी साथ चलता हूँ.

मैंने उनसे कहा- कोई ख़ास परेशानी नहीं है. मैं संभाल सकता हूँ, आप लोग प्रोग्राम चालू रखो और मैं फटाफट मामला निपटा कर आता हूँ.

 

मैंने सीमा को बुलाया और कहा- मैं ऑफिस से आ रहा हूँ, जब तक तुम हमारे मेहमानों का ख्याल रखो और खातिरदारी में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए.

सीमा ने हंस कर हां में सर हिला दिया और मेने उस कसम दी और मैं ऑफिस के लिए निकल गया.

 

ऑफिस तीस मिनट की दूरी पर था ऑफिस पहुंच कर पता चला कि जिस काम का आबंटन 12 महीने हो गए थे , काम पूरा नहीं हुआ था और लोग आक्रोश में थे.

मैंने एक एक करके सबको समझाया और  कॉल करके अपने कर्मचारी यो को निर्देश देने शुरू किया.

 

साढ़े नौ बजे तक भी पूरा मामला निपट नहीं पाया था, तो मैंने सोचा कि सीमा को कॉल करके बता देती हु 

मैंने सीमा को कॉल किया पर उसने फ़ोन नहीं उठाया.

 

जब मैंने दोबारा कॉल किया तो उसका नंबर स्विच ऑफ हो गया था.

 

मैंने बाकी लोगों को कॉल किया तो उनका नंबर पहले से स्विच ऑफ था.

मुझे लगा कि सीमा की मोबाइल की बैटरी कम रही होगी और बाकी लोग आने से पहले मोबाइल स्विच ऑफ कर के रखे होंगे.

 

घर पहुंचते पहुंचते साढ़े दस हो गए थे और मैं कार पार्क करके गेट तक पहुंचा.

 

मैंने देखा कि अलवाज जी कच्छे में बरांडा में चेयर टेबल लगा कर बैठे हुए थे और शराब पी रहे थे. वो सिर्फ कच्छा पहने थे … ना शर्ट ना पैंट ना बनियान.

 

फिर भी मैं उनको देख कर मुस्कुराया और अन्दर जाने लगा.

उन्होंने मुझे इशारे से बुलाया और कहा- अनिल, तुम अभी अन्दर मत ही जाओ, अन्दर प्रोग्राम चालू है, बाकी तेरी मर्जी.

 

मैं मुस्कुराया पर सच कहूं तो मुझे उनकी बात समझ ही नहीं आई थी. मैं ड्राइंग रूम में घुसा तो सब अस्त व्यस्त था.

मैंने सोफा पर कपड़े पड़े देखे और मुझे बहुत ही अजीब लगा.

 

मैं आगे बढ़ ही रहा था तो उन कपड़ों के बीच मुझे सीमा की साड़ी दिखी.

मैंने साड़ी खींच कर निकाली तो साथ में मुझे उसकी ब्रा पैंटी और पेटीकोट भी उस साड़ी से उलझी हुई मिली.

 

मेरा दिल धक् धक् करने लगा और मैंने कुछ कदम आगे बढ़ कर डाइनिंग रूम में झांका.

 

मुझे काटो तो खून नहीं, जैसी स्थिति थी.

डाइनिंग टेबल पर  एकदम नंगी लेटी हुई थी.

 

सलमान जी का लंड उसके मुँह के अन्दर था और वो मजे से लंड चूस रही थी.

 

जेठालाल जी उसके दोनों जांघों को पकड़ कर उसकी चूत चोद रहे थे.

 

सलमान जी बोले- बहुत बढ़िया लंड चूसती है रंडी तू, इतना बढ़िया लंड आज तक मेरा किसी रंडी ने नहीं चूसा. मुझे खुश कर दिया तूने!

मैंने देखा कि मेरी बीवी अपनी तारीफ़ सुनकर मुस्कुरा रही थी.

 

जेठालाल जी बोले- चूत भी बहुत टाइट है साली तेरी बीवी की, मेरा लंड अन्दर दबा कर रगड़ रहा है.

 

तभी मेरे कंधे पर अलबाज जी का हाथ महसूस हुआ और मैंने पलट कर देखा.

वो भी मेरी तरह अन्दर झांक रहे थे.

 

अलबाज़ जी बोले- सबसे पहले सलमान जी ही चोदते, पर उनका मन तो सिर्फ गांड मारने का था, इसलिए सबसे पहले मैंने उसकी चूत मार ली.

 

वो आगे बोले- अनिल भाई, पहले हमारा तेरी इस रांड को चोदने का कोई इरादा नहीं था, पर साली का पल्लू  बार बार गिर  रहा था. साली छिनाल के कॉलेज के माल टाइप चूचे हैं और बदन भी उसी तरह का है. तो सलमान जी का मूड बन गया. वो मुझसे बोले तो मेरा भी मूड बन गया.

 

मैं सन्न था और उनकी बात सुन रहा था.

 

वो थोड़ा रुक कर बोले- जब मैंने उसका पल्लू पकड़ कर खींचा तो घबरा गई थी. तो मुझे बोलना पड़ा कि अनिल खुद तुम्हें हमसे चुदवाना चाहता है, इसलिए तो तुम्हें अकेले हमारे पास छोड़ कर चला गया.

मैंने कुछ बोलना चाहा.

 

मगर वो आगे बोले- अरे यार, ऐसा बोलना पड़ा कि तुम अपना रसूख बनाए रखने के लिए ये कर रहे हो और तुम्हें भी इसलिए हिदायत देकर गए हो. तब जाकर साली रंडी रिलैक्स हुई और हमने उसको नंगी किया. फिर तो ये ऐसी खुल गई मानो खुद ही हमसे अपनी सेवा करवा रही हो.

 

मैं कुछ भी बोलने की पोजीशन में नहीं था.

 

तभी अलबाज जी आगे बोले- फिर जब इसको लिटा कर हम इसके बदन से खेल रहे थे, तो तेरा कॉल आ गया. वो तो अच्छा था कि मोबाइल बजने से पहले ही मैंने साइलेंट कर दिया और कॉल कटते ही मैंने मोबाइल स्विच ऑफ कर दिया. नहीं, तो सीमा का मूड बदल सकता था, चोदते तो हम फिर भी … पर उसका मन नहीं रहता.

 

अलबाज जी थोड़ी देर तक मुझे देखते रहे.

फिर बोले- अब तुम अपना रसूख ख़त्म तो करना नहीं चाहते होगे, ये नहीं चाहते होगे कि हम सब तेरे काम में टांग अड़ाना चालू करें. अब सीमा चुद गई है ही, तो तुम कोई प्रतिक्रिया मत दो और ना ही हस्तक्षेप करो. आज रात चोदने दो, बदले में हम सब तुम्हें  और अच्छे काम दिलवा देंगे. हस्तक्षेप करोगे भी तो हमारा कुछ बिगाड़ पाओगे नहीं, तो समझदारी से काम लो. तुम समझ रहे हो ना?

 

मेरा मन रोने का हो रहा था लेकिन फिर भी मैंने सर हिला दिया.

 

अलबाज़ जी बोले- शाबाश! अब कमरे में जाओ और सीमा को कुछ बोलो ताकि उसे लगे सब तुम्हारी मर्जी से हो रहा है. वैसे भी सलमान जी को ये डर सता रहा है कि तुम तमाशा कर सकते हो और उनके सामाजिक छवि को नुकसान हो सकता है. इस स्थिति में वो एक बार तुम दोनों के लिए कुछ और भी सोच सकते हैं.

 

मैंने जैसे तैसे अपने आपको संभाला और इस सन्दर्भ में सोचा.

बोलने को वो ठीक ही बोल रहे थे, तो मैं चुपचाप अन्दर गया.

 

मुझे देख कर दोनो चुप हो गए और मुझे घूर कर देखने लगे.

मैंने अपनी हालत संभाली और कहा, सीमा! सलमान जी हमारे सबसे आदरणीय हैं, अच्छे से उन सबका लंड चूसो. उनको कोई शिकायत नहीं होनी चाहिए.

 

मैंने जेठालाल जी की तरफ घूम कर कहा- चूत मारने में मजा आ रहा है ना सर?

जेठालाल जी मुस्कुरा कर कहा- अनिल भाई, मज़ा तो आ रहा है, पर जांघों को पकड़े पकड़े हाथ दुख गए मेरे, तुम आ कर अपनी रंडी वाइफ का पैर पकड़ लेते तो मैं आराम से चूत चोद लेता.

 

मैंने टेबल की दूसरी तरफ जाकर सीमा की टांगें पकड़ लीं और वो उसकी कमर पकड़ कर चूत चोदने लगे.

मेरी बीवी मुझे सामने पाकर और भी खुल कर चुदने लगी. 

सीमा- मेने अनिल की आंखो में देखा और आखों से के रही थी ये देखो मेरे साथ क्या हो रहा है।

तुम्हारी कसम की बजे से ये सब मुझे चोद रहे है में कुछ नही कर पा रही  

पर सीमा तो अंदर अंदर बहुत खुश थी की आज उस की चूत चूद रही थी

अनिल – जेठालाल पांच मिनट बाद उन्होंने अपनी गति तेज़ कर दी और बोले- इस रंडी की चूत में मेरा माल निकलने वाला है.

ये बोल कर उन्होंने सीमा की चूत में अपना माल भर दिया.

 

वो हटे, तो सीमा ऊटी तो सलमान जी बोले- रुक, पहले मुझे तुम्हारी गांड मारनी है.



ये एक ऐसी कामपिपासु औरत की सेक्स कहानी है, जिसकी चूत और गांड की आग कभी बुझती ही नहीं थी.इसे निम्फ़ोमैनियाक नामक स्थिति होती है, जिसमें एक महिला को लगातार चुदाई करवाने का मन करता है.

 

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हॉट सीमा Xxx कहानी का अगला भाग: पति के दोस्त



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