हॉट सीमा Xxx की चूदाई कहानी 6

पुलिस सेक्स की कहानी में पढ़ें कि मुझे बाजार से ही थानेदार जी थाणे के अंदर टॉर्चर रूम में ले गए . अनिल जैसे कैसे पुलिस स्टेशन पहुंचा तो उसने वहां क्या देखा?

फ्रेंड्स, मैं आपकी सीमा एक बार फिर से अपनी चुदाई कहानी में स्वागत करती हूँ.

अब तक की सेक्स कहानी
मन्त्री जी के फार्म हाउस में मेरी चूदाई
में आपने पढ़ लिया था कि मेरी चूदाई अब तक बहुत सारे मर्दों से चूद चुकी हु और मुझे इस में कोई दिक्कत नहीं होती थी.
में अति चुदक्कड़ हो चुकी थी.
लगभग दस दिनों तक ना किसी का कॉल आया ना कोई खुद आया.

पांच दिनों के बाद मेरी चूत में फिर से चींटियां रेंगने लगीं और उसके लिए खुद मेने अपनी चूत चटवाई और बाद में अनिल के नकदी डिल्डो लंड पर सवार होकर चुदवाना चालू कर दिया.

दस दिन बाद एक दिन मेने अनिल से कहा कि मैं शाम को शॉपिंग करने जाऊंगी, मुझे कुछ पैसे चाहियें.

उसने पैसे दे दिए और ऑफिस कार लेकर चले गए.

अनिल – रात को आठ बजे मैंने उसे कॉल किया तो उसने बताया कि वो कहां पर है.
मैंने कहा- मैं ऑफिस से निकल ही रहा हूँ, तो तुमको लेता हुआ जाऊंगा.

जब मैं वहां के नजदीक पहुंचा, तो ठीक उसी टाइम कार का टायर पंचर हो गया.

मैंने कार को पंचर वाले की दुकान पर खड़ी की और सीमा को कॉल किया.
पर भूलवश मैं मोबाइल चार्ज करना भूल गया था तो मेरा मोबाइल स्विच ऑफ हो गया था.

मैंने सोचा कि जब तक पंचर बन रहा है, तब तक किसी तरह से जाकर सीमा को यहीं ले आता हूँ.
ये सोच कर मैंने उस तरफ चलना चालू किया.

जब मैं मोड़ पर पहुंचा तो देखा कि सीमा एक जगह पर खड़ी है.

मैं उस तरफ चल दिया.
अभी दो चार कदम ही चला होऊंगा कि सीमा के बगल में अलबाज जी की गाड़ी आकर रुकी.
उन्होंने खिड़की से झांक कर सीमा से थोड़ी देर बात की, फिर उतर कर आए और सीमा को गाड़ी में बैठने को बोलने लगे.

सीमा उनसे कुछ बात करके शायद मना कर रही थी, पर वो सुन ही नहीं रहे थे.
उन्होंने उसके हाथ से सामान लिया और गाड़ी के पीछे के सीट पर डाल दिया. उसके बाद उन्होंने गेट खोला और उसको बाजू से पकड़ कर अन्दर बैठा दिया.

मैं तेज कदम से उनकी तरफ जा रहा था, पर मेरे आधे रास्ते पहुंचने से पहले उनकी गाड़ी निकल गई.

मेरी कार पंचर थी और मोबाइल स्विच ऑफ, ना सीमा को कॉल करने का विकल्प था, ना तुरंत उनके पीछे जाने का.
मैं पंचर दुकान पर वापस गया और कुछ मिनट के बाद वहां से निकला.

सबसे पहले अपने घर गया कि क्या पता अरबाज जी उसको घर छोड़ गए हों.
घर पर ताला लगा था इसलिए कार मोड़ कर मैं अलवाज जी के ऑफिस की तरफ चल दिया.
सीमा – ये अलवाज जी मुझे कहा ले जा रहे है, कुछ देर की ड्राइंग के बाद हम एक ऑफिस के बाहर पहुंचे, चुपके से ऑफिस के अंदर ले गए .
मुझे बॉथरूम में जाने को कहा और बोले जब तक में न कहूं बाहर मत आना मेने ऐसा ही किया, बॉथरूम से सब कुछ साफ सुनाई दे रहा था
अलबाज जी ने सब को ऑफिस में बुलाया, कुछ लोगो को छोड़ कर सब को आज रात घर जाने को कहा, सब ने ऐसा ही किया.
सब के जाने के बाद मुझे बॉथरूम से निकलने को कहा जैसे ही में बाहर आई तो मुझे देख कर सब के चेहरे पर मुस्कान आ गई और बोले मेरे एक दोस्त अनिल भी आने वाला है.
अरबाज जी ने मुझसे नंगा होने को कहा मेने ऐसा ही किया फिर मुझे टॉर्चर रूम में ले गए ।
अनिल – लगभग तीस मिनट बाद ऑफिस पहुंचा, तो उनकी गाड़ी बाहर ही खड़ी थी.

मैंने कार को खड़ा किया और गाड़ी में झांक कर देखा.
अन्दर सीमा के सारे पैकेट रखे थे जो वो शॉपिंग करके लाई थी.

मैं ऑफिस के अन्दर गया फिर टॉर्चर रूम की ओर चला गया.

एक टेबल पर अलबाज जी बैठ कर सिगरेट पी रहे थे.
दूसरे टेबल पर कुर्सी लगा कर उनका एक हवलदार बैठा था, जो कुछ लिख रहा था.

मुझे देख कर अलबाज जी ने बुरा सा मुँह बनाया.
मैंने उनसे सीमा के बारे में पूछा. मुझसे बोले- मुझे क्या पता सीमा कहां है.

वो मेरे मुँह पर साफ़ झूठ बोल रहे थे.
मैं कुछ बोलने का सोच ही रहा था कि अचानक मुझे सीमा की मादक सिसकारियों की आवाज सुनाई दी.

आवाज उधर से आ रही थी जिधर टॉर्चरूम बना था.

सामने एक हवालात था, जो गेट से दिखता था. उसके बगल में दो और हवालात अन्दर के तरफ थे.
वहां तक जाने के लिए गलियारे से होकर जाना पड़ता था.

मैंने जैसे ही अन्दर जाने को कदम बढ़ाया, वहां बैठे हवलदार ने डपटा- कहां चले जा रहा है. तेरे बाप का ड्राइंग रूम नहीं है.
अलबाज जी ने इशारे से उसे शांत रहने को कहा और मुझे इशारे से आगे जाने के लिए.

इसके साथ वो मुस्कुरा भी रहे थे और कमीनी हंसी से हंस भी रहे थे.
मैं धड़कते दिल के साथ अन्दर गया और गलियारे से होता हुआ अंतिम टॉर्चरूम तक पहुंचा.

मुझे यकीन था कि सीमा यहीं हैं, बस किस स्थिति में है, मुझे उसकी पुष्टि करना था.
सीमा टॉर्चरुम में ही थी.

एक बांस की बल्ली उसके सर के ऊपर रस्सी से दोनों तरफ से बंधी हुई लटकी थी. सीमा के दोनों हाथ ऊपर करके उस बल्ली में डेढ़ फ़ीट के अंतर में बंधे हुए थे.
उसके पैर फ्लोर को छू रहे थे और उसके दोनों टखनों को बांस की डेढ़ फ़ीट के बल्ली के दोनों कोनों पर बांधा गया था.

ये बोलने की बात नहीं है कि वो एकदम नंगी थी.
उसके अलावा हवालात में चार और लोग थे, जो पूरे नंगे थे.

दो उसके निप्पल्स को चूस रहे थे और मम्मों को मसल मसल कर मज़े ले रहे थे.
एक उसके सामने घुटनों पर बैठ कर उसकी चूत चाट रहा था और दूसरा जो बड़ी मुश्किल से नजर आ रहा था, वो उसके चूतड़ों को फैला कर गांड के छेद को चाट रहा था.

थोड़ी देर बाद सीमा चिहुंकी और बोली- अरे यार चूत चाटो लेकिन काटो मत!
वो आदमी चूत चाटने लगा.

सीमा फिर पीछे वाले से बोली- गांड चाट रहे तो चूतड़ों को काट क्यों रहे हो यार … दुखता है.
तभी मुझे अपने कंधे पर अलबाज जी का हाथ महसूस हुआ और मैंने उन्हें पलट कर देखा.

वो बोले- मैं इस तरह से इसे अकेले लाकर छोड़ना चाहता था. ये मेरी फैंटसी थी और कमाल की बात ये है कि तेरी बीवी को ये सब करवाने में मजा आ रहा है. देख न किस मजे से चूत गांड चटवा रही है.

मैं भी अन्दर से सब समझ रहा था कि मेरी बीवी कितनी बड़ी चुदासी रांड हो गई है.

उधर अलवज जी कहे जा रहे थे- मैं अपनी सब रंडियों को एक बार तो कम से कम इस तरह चोदता ही हूँ.
मैं कुछ नहीं बोला.

अलवाज जी ने एक हवलदार को बुलाया और उससे बोला- साहब को बैठाओ और चाय पानी करवाओ … और ये अन्दर आना चाहे, तो उसे रोकना मत. टॉर्चररूम खोलो, मुझे भी अन्दर जाना है.

हवलदार ने खोल दिया और वो अन्दर चले गए.

फिर हवलदार मुझे लेकर सामने के कमरे में आया और मुझे बैठा कर चाय लेने चला गया.
मैं थोड़ी देर रुका. फिर अन्दर जाकर झांका.

अन्दर अलबाज जी सीमा की गांड मार रहे थे और बाकी लोग उसकी चूचियों की मां चोद रहे थे. निप्पल्स को चूस काट रहे थे.

दो लोग घुटनों पर बैठ कर उसकी जांघों को चाट रहे थे. बीच बीच में वो दोनों उसकी चूत को भी चाट लेते.

ऊपर वाले दोनों उसके निप्पल्स और मम्मों के साथ खेल रहे थे और बीच बीच में ऊपर बढ़ कर उसके होंठों को सांस फूलने तक चूम लेते थे.

सीमा मजे से ये सब करवा रही थी.

तभी हवलदार ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और बोला- चलो चाय आ गई.
मैं अनमने ढंग से वापस गया और बैठ गया.
उसने पहले नाश्ता सामने रखा और खाने को बोला.

मैंने बिना मन से समोसे खाये और वो खुद बैठ कर समोसे खाने लगा.

फिर उसने पूछा- ये लौंडिया आपकी बीवी है?
मैंने कोई जवाब नहीं दिया तो बोला- तुम कहां पचपन के लगने लगे और वो कहां कमसिन लौंडिया है. इसने तुझसे कैसे शादी कर ली.

फिर थोड़ा रुक कर खुद ही बोला- कॉलेज की माल जैसे लगती है. यहीं मेरे सामने नंगी हो रही थी. चोदने का मन तो हो गया था, पर पहले बड़े साब लोग का फेरा हुआ, बाद में मेरा नम्बर लगा.
मैंने धीरे से कहा- चाय कहां है?
उसने कहा- आ रही है.

वहां बैठे बैठे मुझे आधा घंटा से ऊपर हो गया था. तब एक हवलदार चाय लेकर आया. उसने हम दोनों को चाय दी और अन्दर चाय देने चला गया.
वो तुरंत वापस नहीं आया बल्कि पांच मिनट बाद आया. शायद लाइव चुदाई को देखने का मज़ा ले रहा था.

मैं चाय खत्म कर चुका था और वो कप उठा कर चलते बना.
चाय पीने के बाद हवलदार अपने काम में व्यस्त हो गया और मैं उसकी नजर बचा कर फिर से अन्दर की तरफ गया.

इस बार अलबाज जी और दो और लोग साइड में खड़े होकर सिगरेट पी रहे थे और बाकी दो लोग एक साथ सीमा की चूत और गांड चोद रहे थे.
सीमा उन दोनों के बीच लगभग छुप गई थी और मुझे उसके चेहरे के हाव भाव दिख नहीं रहे थे.
हां बीच बीच में उसकी आवाज़ आ रही थी- आंह … धीरे करो यार लगती है … आंह थोड़ा धीरे … मेरी गांड अन्दर तक छिल रही है.

एक ने उसकी गांड पर चमाट मारते हुए पूछा- मजा आ रहा है, तू बस ये बता!
पुलिस सेक्स का मजा लेती हुई वो हंस दी और बोली- हां.

तभी अलवाज जी के साथ खड़े एक की नजर मुझ पर पड़ी.
उसने मुझसे कहा- आ जा अन्दर और पैंट खोल कर झुक जा, तेरी भी गांड मार लेता हूँ. अब गांड तो गांड है, चाहे किसी की भी हो.
मैं एकदम से हड़बड़ा गया.

तो दूसरा बोला- नहीं सर, मुझे लगता है ये हमारा लंड देखने बार बार आता है. भोसड़ी के मुँह में लेकर चूसेगा क्या … मन हो तो आ जा अन्दर. वर्ना चुपचाप बाहर जा और उधर ही बैठ. हां हमारा लंड चूसना होगा या गांड मरवानी हो, तो चले आना.

मेरी कुछ बोलने की हिम्मत नहीं हुई और मैं वापस आ गया.

इसके बाद भी दो तीन बार अन्दर गया लेकिन बहुत किनारे से झांक कर तुरंत वापस आ जाता था.
कभी दो लोग एक साथ सीमा की चूत गांड मार रहे थे तो कभी कोई अकेला उसकी चूत या गांड मार रहा होता.
रात में दस बजे से चोदना चालू किया गया था और चोदते चोदते दो बज गया था.
किसी ने सीमा को तीन बार चोदा, तो किसी ने चार बार.

उसके बाद थक कर सब नंगे वापस आए.
सब आपस में बात कर रहे थे कि किसने उसकी गांड मारी और किसने उसकी चुत.

जब ये लोग आकर कपड़े पहनने लगे तो मेरी जान में जान आई की इनका और चोदने का मूड नहीं.
चार लोग तो कुछ ही देर में अपनी अपनी गाड़ी से निकल भी गए.

फिर अलबाज जी हवलदार से बोले- प्यारेलाल तेरा नंबर आ गया, जा ऐश कर!
हवलदार अन्दर गया और थोड़ी देर में सीमा की आवाज आई- भैया तेरा मूसल ना तो मेरी चूत में घुस पाएगा और ना मेरी गांड ले पाएगी.

हवलदार बोला- साली रंडी, लूंगा तो मैं दोनों ही … और कैसे नहीं जाएगा, मैं भी देखता हूँ.
उसके बाद कुछ मिनट तक सीमा की दबी दबी चीख सुनाई देती रही.

फिर हवलदार बोला- देख रंडी घुस गया ना!
सीमा की मरी कुतिया सी आवाज आई- भैया कबसे चुद रही हूँ. अब क्या मजा आएगा. एकाध दिन बाद मस्ती से ले लेना.

मगर वो नहीं माना और उसके बाद सीमा की चुदाई की आवाजें सुनाई देती रहीं.
फिर शान्ति छा गई.

थोड़ी देर बाद सीमा की आवाज आई- भैया कम से कम खोल तो दो. कबसे लटकी हुई हूँ.
हवलदार बोला- अभी रुक रंडी, अभी तेरी गांड भी मारनी है मुझे, खुली रही तो मजा नहीं देगी. बंधी ही रह अभी.

दो मिनट बाद फिर से सीमा की घुटी घुटी चीख आने लगी जो अगले कुछ मिनट तक आती रहीं.

फिर हवलदार की आवाज आई- देख घुस गया ना गांड में भी, फालतू नाटक कर रही थी.

उसके बाद देर तक गांड चुदाई से निकलने वाली आवाजें आती रहीं और शायद झड़ने के बाद फिर से शान्ति छा गई.
अब हवलदार अपने कपड़े संभालता बाहर आ गया.
अलबाज जी ने ईसारे से दो हवलदार को बुलाया और उन दोनों से पूछ की तुम्हे नही चोदना है क्या ?
हवलदार बोले चोदना तो है तो अलबाज जी बोले चोदो उसे.
वो जल्दी से अन्दर चले गए , में भी उन के पीछे जाकर अंदर झांक कर देखने लगा
उन दोनो हवलदार को देख कर सीमा बोली और कितने बाकी है सब एक साथ ही कर लो.
तो एक हवलदार बोला हम दोनो ही लास्ट है जो तुझे चोदोगे
एक हवलदार ने उस की चूत में और दूसरे हवलदार ने उस की गांड में अपना अपना लंड डाल दिया
मेरी वाइफ सीमा की चूदाई शुरू हो गई और में ये सब देख रहा था
एक हवलदार बोला क्या मस्त गांड है इस की चोदने में मजा आ रहा है
दूसरा हवलदार बोला सही कहा तूने भाई इसकी चूत बहुत कशी हुई है भाई.
सीमा भी उने उकसा रही थी जिस से दोनो हवलदार ने स्पीड बड़ा दी ।
अब उस की दर्द भरी आवाज सभी को सुनाई दे रही थी, वो उस के मजे ले रहे थे.
दोनो हवलदार ने सीमा की चूत और गांड की चूदाई की स्पीड ज्यादा कर दी थी.
बीस मिनिट बाद दोनो हवलदार चूत और गांड में झड गए
सीमा ने दोनों हवलदारों से कहा की मुझे खोल दो तो दोनो हवलदार हसने लगे.
जब तक में उन की हसने का मतलब समझता उन दोनो ने अपनी जगह बदल दी।
फिर से दोनो हवलदार सीमा को चोद रहे थे
सीमा दर्द भरी आवाज में कह रही थी कि मेरे बंदे हुए हाथो में दर्द हो रहा है मुझ से खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा है .
तुम मुझे खोल दो फिर चाहे जितनी बार भी करना में माना नही करूंगी.
दोनों हवलदोरो ने उस की बात पर कोई ध्यान नही दिया , और एक हवलदार बोला – कि क्या अदभुद रण्डी है ऐसा महसूस ही नही हो रहा है कि 6 लंड ले चुकी है.
तभी दूसरा हवलदार बोला ऐसा लग रहा है कि बस हम ने ही इसे चोदने की शुरूआत की है
और दोनो हवलदार हंस हंस कर जोर जोर से चोदने लगे पच्चीस मिनिट की चूदाई के बाद वो झड़ गए
अलवाज जी बोले- हां बे भड़वे! इससे पहले हम दोनों का लंड फिर से खड़ा हो जाए, ले जा अपनी रंडी को.
मैं अन्दर गया और उसको खोला.

उसे खोलते समय उसके बदन पर नज़र पड़ी तो जगह जगह दांतों के निशान साफ़ दिख रहे थे.
कई जगह और निशान भी दिख रहे थे, उसके चूतड़ भी लाल हो गए थे उन पर सूजन आ गई और चूत भी सूजी दिख रही थी.

उसको खोलने के बाद मैं उसे सहारा देकर बाहर लाया और उसके कपड़े के बारे में पूछा.

अलवाज जी बोले- ऐसे ही ले जा, अभी कौन मिलेगा रास्ते में. कोई मिल भी गया तो इस वेश्या को एकाध बार और चुदवा देना.
मैंने कुछ नहीं कहा और सीमा को लेकर बाहर आ गया.

बाहर अलवाज जी की गाड़ी से सीमा के शॉपिंग के पैकेट निकाले और खोल कर देखा.

उस पैकेट में एक में सीमा ने एक नाइटी खरीदी थी. मुझे उसके पहनने लायक वही लगी. मैंने वो नाइटी उसे पहनाई और बाकी पैकेट्स कार में डालकर ,सीमा को बैठा लिया.
मैं कार लेकर घर की तरफ चल दिया.

शुक्र था कि रास्ते में ना कोई दिखा, ना मिला.
हम दोनों घर पहुंच गये.

मैंने सीमा को गर्म पानी से नहलाया और उसके बदन पर क्रीम बाम वगैरह लगा कर उसको सुला दिया.

सुबह छह बजे से शाम के छह बजे तक सीमा लगातार सोती रही, तब जाकर उसके शरीर में जान आई.

हालांकि उसको चलने फिरने में अभी भी दिक्कत हो रही थी.
दो तीन दिन तक दिक्कत होती रही फिर वो नार्मल हो गई.

अलवाज जी से बचने के लिए मैंने सीमा को निर्देश दे दिया कि अब वो अकेले बाहर ना जाए.
सीमा खुद भी बाहर नहीं जाती थी.

मैं दिन में बीच बीच में कॉल करके उसका हाल चाल पूछ लेता था. धीरे धीरे दस दिन गुजर गए और किसी के मनहूस दर्शन नहीं हुए.
एक दिन मैं ऑफिस में बैठा था और लगभग 6 बज रहे थे. सोचा कि सीमा को कॉल कर लूं. मैंने उसको कॉल किया, पर उसने फ़ोन नहीं उठाया.

मैंने चार बार और उसको कॉल किया, पर कोई जवाब नहीं.

किसी अनहोनी की आशंका के साथ मैं तुरंत ऑफिस से निकला और घर की तरफ भागा.
कुछ देर के बाद घर पहुंचा और दरवाजे की घंटी बजाई लेकिन दस मिनट तक घंटी बजने के बाद भी दरवाजा नहीं खुला.
आप मेरे साथ बने रहिए और इस हॉट सीमा हार्ड सेक्स कहानी पर किसी भी प्रकार की राय देने के लिए आप मेल पर मुझसे संपर्क कर सकते हैं.

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