मनोज- तुम्हारे मुलयूं पेट को तो चबा कर लाल कर दिया मेरे भाइयो ने
मई- देखिए ना कितने बदमाश हो गये है दोनो. अपनी भाभी पर जरा भी रहे, नही करते.
मनोज- तुम रहें नही करने के लिए छोड़ने के लिए बनी हो मेरी जान.
मैने शर्मा कर मूह झुका लिया.
मई- क्या आप भी….आआआआआआआआआआआआआआआआआआअ…..मम्मी..
मनोज ने सिद्धा मेरा ब्लाउस खिच कर मेरे निपल पर काट लिया और मेरी सारी मे हाथ घुसा कर मेरी क्सि हू चिकनी फाक को कसाके नोचते हुए मेरे उपर चड़ड गये. उउउम्म्म्मम..दिन भर अपने देवर की मस्ती के बाद मनोज के साथ पूरी रात मुझे चूड़ना पड़ता था.
मई भी अपनी रात का इंतज़ार करती थी. और पूरी रात मनोज को अपने जिस्म का पूरा सुख देके उनको खुश करती थी. पूरी रात मनोज जब मुझे रग़ाद रग़ाद कर छोड़ते तो मुझे और ज़्यादा मज़ा आता. सुबह तक मेरी क्सि हुई गुलाबी छूट मे मनोज का वीरये भरा रहता था.
मेरा जिस्म दिन पे दिन मादक और जवान होता जा रहा था और मनोज की भूक भी दिन पर दिन बदती जा रही थी. अब तो रात भर मुझे पटक पटक छोड़ने के आड़ भी की आग शांत नही होती थी. उनकी हवस अब हुमारे बेडरूम से निकल कर भर आने लगी थी.
जब भी वो सुबह नहाने जाते तो मुझे अपने साथ खिच कर अंदर ले जाते. और इससे पहले मई कुछ बोलती मेरा ब्लाउस फाड़ कर मेरी सारे मे हाथ घुसा कर मेरी गुलाबी फाक को इतनी बुरी तरह मसल देते थे की मई वी बहेक जाती और उनके आके घोड़ी ब्न जाती थी. फिर अपने पति को खुश करके उनको नहलाती और वो मेरे मूह मे अपना वीरये निकल कर मुझे बातरूम मे ही सुबह का नाश्ता करवा देते.
और ऑफीस जाने से पहले भी उनकी आग कम नही होती थी. रोसोई मे मई खाना ब्ना रही होती तो पीछे से आके मेरे पेट को कसाके नोचने लगते.
मई- आआआअहहूओउच…. आपका मॅन नही भरा अभी. मेरी जान निकल दी आपने.
मनोज- आरे मेरी जान मेरा बस चले तो तुम्हे ऑफीस भी साथ लेके जाओ.
और तभी मनोज ने मेरे ब्लाउस मे हाथ घुसा दिया और मेरे गुलाबी कड़क निपल नोचने लगे.
मई- आआआआहहुऊम्म्म्म..
मनोज- मेरी जान ऑफीस जाने से पहले एकबार अपना टॉनिक पीला दो
मई- आअहह..आअहहूऊंम्म..क्या आप भी बचहो के लिए भी छ्चोड़ दो ना..
मनोज रुके नही और मेरा दूध से भरा एक चुचा भर निकल दिया और मुझे ताक़त से पलट कर सिद्धा मेरे चुचे के गुलाबी निपल पर काट कर दूध चूसने लगे..मेरी सिसकिया निकल गयी पर मई आवाज़ नही कर सकती थी. 5 मिनिट तक मेरा दूध पीने के बाद मनोज मुसाकुराते हुए ऑफीस चले गये और मई काम से लग गयी.
लेकिन ये तो बस एक किस्सा था अपने भाई का मेरे जिस्म के पीछे बदते हुए पागलपन्ं को देख मेरे दोनो देवर भी और भूके हो गये. जब जब मनोज अंजाने मे उनके सामने मेरी कमर पेट को चूसने लगते और मेरे ब्लाउस मे हाथ डालने लगते तब तब दोनो की सास गरम हो जाती और मेरे जिस्म को लाल आँखो से घूरते हुए लंड मसालने लगते.
ये बात तो पक्की थी जिसस दिन दोनो ने मुझे किसी तरह अपने बिस्तर पर लिटा दिया यूयेसेस दिन मेरे ये दोनो जवान सांड़ जैसे देवर मेरी क्सि हुई फाक को चियर कर रख देंगे और मेरी सास उखाड़ कर मेरे मादक जिस्म को नोच नोच कर चबा कर मेरी चीख निकल देंगे.
ऐसा ख़याल आके मई शर्मा जाती की कही सच मे मई अपने इन्न जवान देवर के बीच मे ना फ़ासस जाो. कही अपने पति के साथ साथ अपने दोनो देवर की जिस्म की भूक मुझे अपने इश्स मादक जवान जिस्म से ना शांत करनी पड़े. अगर ऐसा हुआ तो मई तो बस.. ऐसा सोच मई मॅन ही मॅन शर्मा जाती. पर मई कोशिश करती की दोनो मुझे अपने बिस्तर तक ना ले जेया पाए.
पार मई तो एक कामसीँ मादक जवान औरत हू, अपने घर के इन्न जवान मर्दो की ताक़त के आयेज मेरा मादक जिस्म तो कुछ भी नही. अगर इश्स घर के ये मर्द मेरे इश्स मादक जिस्म को कचा चबा कर अपनी इश्स भाभी को अपने बिस्तर पर लाना चाहते है तो भला मई आख़िर कब तक इनको रोक पवँगी.
कही ऐसा ना हो एक ना एक दिन ये दोनो मर्द मेरी चिकनी कमर को मसल कर मेरी गोल मोटी गांद को कसाके दबा कर मुझे अपने लोहे जैसे कंधो पर उठा कर अपने बिस्तर पर ले जाए तब तो मई कुछ ना कर पवँगी और मुझे भाभी होने नाते अपने इन्न देआवार को अपने जिस्म का सुख देना ही पड़ेगा.
फिर तो चाहे ये दोनो मुझे अपने बीच मे दबा कर दिन भर मेरी चीख निकलते रहे फिर भी मुझे इनको खुश रखना होगा. पर देखते है मई तो यही चाहती हू मेरे देवर मेरे पर तोड़ा रहम करे और मेरी जवानी को मसल कर नही बल्कि प्यार से छहुउस कर लूटे. पर उनकी भूक देख कर मई भी शर्मा जाती हू जब वो दोनो कसाके मेरी चिकनी कमर को नोच लेते है.
अभी मई रसोई मे खड़ी हुई ये सब सोच ही रही थी की नवीन ने पीछे से आके मेरी काम्र को कसाके नोच लिया..
मई- आआआआआहह…ऊउक्च्छ..हुहहूऊम्म्म्मम..
नवीन- हा..भाभी….क्या प्का रही हो..
मई- हुहह..हुहह..पनीर ब्ना रही हू.
तभी नवीन ने और ज़ोर से मेरी कमर नोच ली, मई शर्मा कर सिसकिया लेने लगी.
नवीन- भाभी आप खुद भी पनीर जेसी हो…
मई- आअहहुऊम्म्म्मम..हुहह.. क्या देवर जी खाना तो ब्नाने दो, आप भी ना.
नवीन और भड़कने लगा और मेरी चिकनी कमर को बुरी तरह नोच कर खिच दिया..
मई- आआआअहह..ऊउउच…..उउम्म्म्मम..देवर जी…मान जाओ ना…
मई बहेक रही थी तो मैने नवीन का हाथ प्यार से रोकने की कोशिश करी..
नवीन- तो ठीक है भाभी आप खाना ब्ना लो फिर मई जातीं को भी बुला लेता हू. बोलूँगा अब भाभी अपने देवर को प्यार नही करती.
आरे बाप रे ये दोनो मिलके मेरी चिकनी कमर और मेरा मुलयूं पेट कचा चबा कर खा जाएँगे..
मई- देवर तुम भी ना बहोट बदमाश हो गये. आछा चलो कार्लो अपनी भाभी को प्यार मनोगे नही तुम.
नवीन ने झत्ट से फोन काट कर अंदर रख दिया और मुझे पूरी ताक़त से पीछे से पकड़ लिया…उसका लंड खड़ा हो चुका था और मेरी माक गोल गांद मे टच होके और भी कड़क हो रहा था.
मेरे देवर के हाथ मे मेरी चिकनी कमर थी और पीछे से मेरी मोटी गांद. मई खाना ब्ना रही थी और मेरी सास तेज हो चुकी थी.
अपने खाने के साथ साथ अपने देवर को खुश भी करना था मुझे. मई शर्मा कर मूह बंद करके सिसकिया भर रही थी और नवीन मेरी चिकनी काम्र को मसल कर खेल रहा था.
अब उसकी गर्मी भी बादने लगी. मई समझ गयी नवीन मेरी कमर से आयेज आके उसके हाथ अब मेरे मुलयूं पेट को मसालने लगे…सास तेज होने लगी और नवीन के हाथ मेरे मुलयूं पेट को और तेज नोच कर खिचने लगे.
जब किसी सांड़ जैसे देवर का हाथ अपनी मादक जवान कामसीँ भाभी की चिकनी पतली कमर पर हो और लंड उसकी मोटी गोल गांद पर लगा हुआ हो तो कों देवर जानवर् नही बन जाएगे. अपनी जीन्स मे से ही देवर जी अपना लंड मेरी मोटी गोल गांद के बीच मे घुसने लगे और जब जोश काबू से भर हो गया तो हवस अलग ही रंग दिखाने लगी.
नवीन- भाभी आप मेरी बीवी होती ना तो..
मेरी सास चल रही थी, क्यूकी मेरे मुलयूं पेट को देवर जी ने कसाके नोच कर खिच रखा था.
नवीन- भाभी आप बस मेरी भाभी हो..
और तभी…
मई- आआआआआहहूूच्च…..हुहह…हुहह..हुहह…उउंम..
नवीन ने मेरी नाभि मे अंदर उइंगली घुसा दी और मरोड़ कर मेरे पेट की मुलयूं खाल को बीच मे खिच डाला..और मुझे पलट कर मेरा पेट देखने लगे. मई जानती थी इश्स वक़्त इनको कुछ भी बोलना बेकार है..मुझे घूरते हुए वो नीचे बेत गये और सिद्धा मेरी गुलाबी नाभि पार दाँत गाड़ दिए…
मई- आआआआवउुुुुुुुुुुुुुुुउउफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़…..हह..हुहह..हुहह..आहुउंम्म
और मेरे मुलयूं पेट को नवीन ने पूरी हवस के साथ कुत्ते की तरह चबा कर चूसना शुरू कर दिया…
कककच..कककच..कच..स्पार्र..स्पार्र..पुच्छ..प्पुउच्च…प्प्प्ुउच..स्पार्र..स्पार्र..पर्रर…कुकच
खच..कककच..ससपर्र..स्र्प्प..स्पर्ररर..कूच..ककुउच..प्पुच..प्पुकचहुऊम्म्म्म..
कककच..कककच..कच..स्पार्र..स्पार्र..पुच्छ..प्पुउच्च…प्प्प्ुउच..स्पार्र..स्पार्र..पर्रर…कुकच..
खच..कककच..ससपर्र..स्र्प्प..स्पर्ररर..कूच..ककुउच..प्पुच..प्पुकचहुऊम्म्म्म..
मई सिसकिया लेती रही और नवीन मेरी नाभि से लेके मेरे मुलयूं पेट को चबा के चूस्ते रहे. पुउरे 10 मिनिट तक चूसने के बाद नवीन ने मेरा मुलयूं पेट लाल करके छ्चोड़ा.
पार आज जातीं भर था और सास ससुर भर मंदिर गये थे हुमेहा की तरह. तो आज अकेला देख कर नवीन की हवस और जागने लगी. मेरा पेट चूसने के बाद नवीन खड़ा हो गया और मैने शरमाते हुए अपना पेट धकक लिया.
नवीन- भाभी आपको मज़ा आता है ना , जब हम आपका पेट चूस्ते है.
मई शर्मा कर मुसाकुरा दी और काम करने लगी.
नवीन- मई जानता हू भाभी आपका मॅन भरता नही है, आप जेसी जवान भाभी का.
मई- ( शरमाते हुए) देवर जी क्या आप भी शुरू हो गये.
तभी नवीन ने मेरी गोल गांद पर मसल दिया..
मई- आआअहह…देवर जी ज़्यादा बदमाशी नही.
नवीन अभी भी मेरी गोल उठी हुई गांद घूर रहे थे, मैने शर्मा कर मूह झुका लिया और काम करने लगी. मुझे डरर था कही मई नवीन की ताक़त और हवस के आयेज हार कर बहेक ना जाो.
मई- देवर जी अब आपको जाना नही. मुझे बहोट काम है.
नवीन- क्या भाभी आज जातीं नही है हम अकेले है अब तो प्यार करने दो.
मई- आरे बाबा हो तो गया प्यार तुमहरा.
नवीन- भाभी आज तोड़ा और करने दो ना.
मई- (शरमाते हुए) देवर जी बहोट बदमाश हो रहे हो.
नवीन- आरे भाभी अभी जातीं नही है वरना आपको डबल झेलना पड़ता.
लेकिन नवीन ने कुछ और ही जाल ब्ना रखा था जिसको मई समझ नही पाई.
मई- आछा जी…चलो अब भाभी को काम करने दो.
नवीन- लगता है भाभी अब मुझे प्यार नही करती सब कुछ जातीं और भैया के लिए ही है.
और नवीन मूह ब्ना कर चला गया. मैने ये देखा तो अजीब लगा और मुझे बुरा भी लगा. मैने सोचा चलो क्या हुआ तोड़ा प्यार ही तो माँग रहा था भाभी से. यूयेसेस वक़्त मई जिस्म तो बहोट मादक था पार मेरा दिमाग़ तोड़ा एमोशनल था तो मई उसके जाल मे फस्स गयी.
मई रसोई से भर आई. और सोफे पर नवीन को उदास बेत देख उसके पास गयी.
मई- आरे बाबा तुम भी नाराज़ हो गये ऐसे भाभी से कोई नाराज़ होता बला.
नवीन- नही भाभी अब आप मुझे प्यार नही करती.
मई- आरे बाबा करती हू प्यार, चलो अब ऐसे नाराज़ मत्ट हो.
नवीन- नही भाभी
मई- आछा बाबा सॉरी. अब तो अपनी भाभी को माफ़ करदो.
मुझे यूयेसेस वक़्त ध्यान नही रहा की मेरा पल्लू नीचे गिर गया है और मेरे ब्लाउस मे से आधे दूध से भरे चुचे भर चमक रहे है. नवीन की आँखे खुल गयी और मुझे खबर नही. उसके मूह मे राल भरने लगी.
नवीन- ऐसे नही भाभी मुझे गले लगा कर सॉरी बोलो तब मनुगा.
मई- आछा बाबा आ जाओ.
अब मुझे पता नही था. जैसे ही मई आयेज हुई नवीन झत्ट से मेरी दूध से भारी छ्चाटी मे मूह घुसा कर दबा दिया…
मई- आआहुउऊुुुउउम्म्म्मम…हुहह…हुहह..हुउऊ
शादी के बाद मनोज के अलावा पहली बार किसी मर्द ने मेरी छ्चाटी पर चूमा था. मेरी आँखे बंद हो गयी और नवीन ने पहली बार मेरी छ्चाटी ऐसे देख कर मूह अंदर तक ड्बे दिया….उउम्म्म्मम..कुछ देर बाद उसकी नाराज़गी अब हवस मे बदलने लगी.
उसके हाथ मेरी कमर को नोचने लगे और मूह चुचो मे दब्ने लगा. मई भी अब गरम होने लगी..कुछ सेकेंड बाद मुझे मदहोशी होने लगी..
मई- नवीन चलो अब चलते है…
नवीन- भाभी ई लोवे योउ..
मई- नवीन….हुहह…हुहह…अब चलते है…हुहह..हुहह..हह..
मेरी आँखो मे देखते हुए नवीन मेरा ब्लाउस खिचने लगा..मियने प्यार से रोका तो उसने मेरा हाथ रोक लिया.. मई बहेक रही थी और ना जाने कब उसने मेरा ब्लाउस खिच डाला पूरा और मेरा दूध से भरा निपल उसके सामने था. मई बहेक चुकी थी सास चल रही थी..
और जैसे ही उसने मेरा गुलाबी निपल अपने मूह मे लिया. मेरे होश उडद गये और बहकती हुई वी लेट गयी. झा तक मुझे ध्यान है नवीन ने मुझे बेड पर धकाका दे दिया था और मेरे निपल को खिच खिच कर मेरा दूध चूस रहा था. बहकती हुई मई बस सिसकिया लेती जा रही थी..
बहकती हुए मेरी आँखे बंद हो गयी.…
मई- आहहूऊम्म्म्मम….उउम्म्म्म..आअहहुऊम्म्म्मम..उउफ्फ…..उउम्म्म्म…आआहुउम्म्म्म……
कब तक मेरे निपल का दूध नवीन ने चूस कर निचोड़ा मुझे कुछ खबर नही थी.. लेकिन 1 घन्ते बाद जब मई उठी तो नवीन मेरे साइड मे सो रहा था और मेरा ब्लाउस साइड मे पड़ा हुआ था. मेरी छ्चाटी से निपल नवीन ने निचोड़ दिए थे. मुसाकुराते हुए शर्मा कर मैने झत्ट से ब्लाउस पहना और भर आ गयी नवीन के रूम से..