हिन्दी पॉर्न स्टोरीस अंजाम

Hindi Porn Stories वो धीरे धीरे चलती हुई अदा से उसके करीब आई और बाहें गले में डाल दी.

“यू नो, इफ़ आइ डिड्न’ट लव यू सो मच, आइ’ड नेवेर बी हियर अलोन विथ यू.” कहकर वो मुस्कुराया और उसे अपनी बाहों में उठाकर बिस्तर तक ले आया. वो बिस्तर पर उसके सामने बैठ गयी और वो ज़मीन पर खड़ा खड़ा झुका और अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए.

जीन्स में उसका लंड इस तरह खड़ा हुआ था के जीन्स पहने रखना अब मुश्किल हो चला था.

झुक कर उसे चूमते हुए ही एक हाथ से उसने उसकी शर्ट के बटन खोल दिए. उसकी मोटी मोटी चूचिया अपने हाथ पर महसूस करना जैसे उसके जिस्म की आग में घी का काम कर रहा था.

कुच्छ पल बाद ही वो बिस्तर पर सिर्फ़ एक जीन्स में बैठी हुई थी. एक कदम पिछे को होकर वो उसे देखने लगा.

“ऐसे क्या देख रहे हो?” वो मुस्कुरा कर बोली

“युवर ब्रेस्ट्स” वो वैसे ही खड़ा खड़ा बोला

“सिर्फ़ इनमें ही इंटेरेस्ट है?” वो शरारत से मुस्कुराइ

“इंटेरस्ट तो सर से पावं तक पूरा है”

“तो पूरा देखो ना” कहकर वो बिस्तर पर ही खड़ी हो गयी और धीरे धीरे अपनी कमर ऐसे लहराने लगी जैसे संगीत की आवाज़ पर थिरक रही हो. हाथों को उसने अपनी कमर पर फिराया, फिर अपनी चूचियों को सहलाया और आख़िर में अपने बालों को पकड़कर अपने सर के उपेर कर लिया और धीरे धीरे नाचने लगी.

“युवर टिट्स लुक्स सो कूल लाइक दट, बाउनसिंग अप आंड डाउन” वो वहीं खड़ा उसे नाचते हुए देख रहा था.

“व्हाट अबाउट माइ आस?” कहकर वो पलटी और आगे को झुक कर अपने कुल्हों पर हाथ फिराने लगी “मेरी गांद कैसी लगती है तुम्हें?”

“इफ़ ओन्ली यू वुड लेट मी फक इट पर तुम लंड घुसाने ही नही देती” वो हस्ते हुए बोला

“बिकॉज़ इट हर्ट्स. एक बार तुमने डालने की कोशिश की थी तो जान निकल गयी थी मेरी” कहकर वो सीधी खड़ी हो गयी और नाचना बंद कर दिया

“तुम्हें चाहे जितनी बार नंगी देख लूँ, ऐसा लगता है के जैसे पहली बार नंगी हो रही हो तुम मेरे सामने” कहता हुआ वो उसके करीब आया. वो बिस्तर पर खड़ी थी और उसकी चूचियाँ ठीक उसके मुँह के सामने आ रही थी. आगे बढ़कर उसने एक निपल अपने मुँह में लिया और चूसने लगा.

“आआअहह” वो मस्ते में ऐसे लहराई जैसे हवा में उठ गयी हो “और जब मुझे चोद्ते हो? हाउ डू यू फील व्हेन यू फक मी?”

“लगता है जैसे पहली बार चोद रहा हूँ” कहकर वो ज़ोर ज़ोर से उसकी चूचियाँ दबाता हुआ चूसने लगा, काटने लगा.

“सक देम, बाइट देम, हार्डर ….. ज़ोर ज़ोर से ….. !!!! ” वो जैसे पागल हो रही थी

“चूत खोलो” वो उसकी जीन्स का बटन खोलने लगा

“क्यूँ?” वो फिर शरारत से मुस्कुराइ

“मारनी है”

“क्या?” वो उसे जीन्स नही खोलने दे रही थी.

“तेरी चूत. चल अब खोल” वो भी समझ गया था के वो क्या चाहती थी.

“चूत माँग रहा है या भीख माँग रहा है? ऐसे तो मैं किसी भिखारी को 50 पैसे ना दूं, तुझे अपनी चूत कैसे दे दूं साले” पलटकर वो भी बराबर का जवाब देते हुए बोली

“ओह्ह्ह मेरी जान” उसने आगे बढ़कर उसको ज़ोर से जकड़ा और एक झटके में ही जीन्स और पॅंटी दोनो नीचे खींच दी “जब तू ऐसे बोलती है तो दिल करता है के तेरी चूत में लंड घुसा के भूल ही जाऊं, कभी ना निकालु”

“क्यूँ साले? अपनी बीवी की चूत समझी है जो घुसा के भूल जाएगा?” वो अब भी पूरे मूड में थी

“नही, अपनी रखैल की चूत समझी है” वो बिस्तर पर उसके उपेर चढ़ता हुआ बोला. दोनो के जिस्म अब पूरी तरह नंगे हो चुके थे. लंड सीधा चूत के उपेर था.

“मैं तेरी रखैल हूँ तो तू भी तो मेरा भड़वा हुआ ना?”

“तो मैने कब इनकार किया है?”

“भाड़वो का लंड नही लेती मैं” वो अपनी कमर इधर उधर करते हुए बोली ताकि लंड चूत में घुस ना सके

“तू सिर्फ़ इस भदवे के लंड से ही ठंडी हो सकती है साली. तेरे पति का लंड तो ठंडी करता नही तुझे”

“और तेरी बीवी? वो ठंडी हो जाती है तेरे लंड से या वो भी किसी और से चुद रही है?”

“मेरी बला से” उसने उसकी टांगे थोड़ा सा फेलाइ और लंड चूत में घुसाता हुआ बोला “कहीं भी चुदे साली जाके. बिस्तर पर टांगे उठाके लेट जाने के सिवा कुच्छ नही आता उसको. उसको कोई एक बार चोद भी लेगा तो दोबारा नही आएगा”

इसके बाद कमरे में जैसे वासना और अश्लील बातों का एक तूफान सा आ गया. वो दोनो ऐसे ही सेक्स करते थे. अश्लील बातें करते, एक दूसरे को गाली देते, एक दूसरे की बीवी या पति को गाली देते.

“चल कुतियाँ बन” चोदता चोद्ता वो अचानक बोला

“कुतिया चोदनि है तो ला दूं एक. औरत की चूत कम पड़ रही है?”

“साली बातें ना बना, कॉद्ढ़ी हो” उसने ज़बरदस्ती उसकी कमर पकड़ कर उल्टा कर दिया और अपना लंड फिर चूत में घुसा दिया

“गांद थोड़ी उपेर कर ना” वो उल्टी लेटी हुई थी और उसको अपने लंड घुसने में तकलीफ़ हो रही थी “कॉद्ढ़ि होने को कहा था, पुत्थि लेटने को नही”

“क्यूँ बेहेन्चोद. तेरी बीवी की गांद है जो जैसे तू चाहेगा वैसे हो जाएगी?” वो अब सीधी गाली देने पर उतर आई थी.

कुच्छ देर बाद वो उस घर से बाहर निकली. घड़ी में दिन के 2 बज रहे थे. उसने धूप का चश्मा अपनी आँखों पर लगाया और कार का दरवाज़ा खोल कर अंदर बैठ गयी.

“ओह गॉड!!! कितनी गर्मी है” ए.सी. ऑन करते हुए वो अपने आप से बोली और कार स्टार्ट की.

वो इस बात से पूरी तरह बेख़बर थी के थोड़ी ही दूर खड़ी एक कार के काले रंग के शीसे के पिछे से किसी ने उसको घर से निकलते देखा था.
“गर्मी ने तो इस बार मार ली” सब-इनस्पेक्टर रमेश तिवारी जीप में बैठे बैठे पेप्सी के घूंठ मारता हुआ बोला.

“सो तो है. उपेर से साला ये पोलीस की गाड़ियों में पता नही ए.सी. क्यूँ नही लगवाते” इनस्पेक्टर अजय सिंग अपनी शर्ट के बटन खोलता हुआ बोला

“बारिश हो जाए तो थोड़ा सुकून हो” रमेश ने पेप्सी ख़तम की और जेब से पैसे निकालता हुआ बोला

“नही होगी भाई, नही होगी” अजय ने गाड़ी से गर्दन बाहर निकाली और आसमान की तरफ देखता हुआ बोला “एक इस साले भगवान ने भी गांद में अंगुली दे रखी है”

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“चलें सर?” रमेश ने जीप स्टार्ट की और इंस्पेक्टोट के इशारे पर आगे बढ़ा दी.

“वो असलम का सुना क्या सर?”

“क्या?” अजय उसकी तरफ देखता हुआ बोला

“बाहर आ गया वो”

“अच्छा? कब?”

“अभी पिच्छले हफ्ते ही” रमेश ने जवाब दिया और एक हाथ से गाड़ी चलाते हुए ही सिगरेट जलाई.

“बैल कैसे हो गया साले का?”क्या यार? एक तो इतनी गर्मी और फिर उपेर से ये?” अजय सिगरेट की तरफ इशारा करता हुआ बोला

“गम-ए-ज़िंदगी और ये धुआँ” रमेश ने हॅस्कर जवाब दिया

“तुझे काहे का गम है?”

“क्या कहूँ सर. वो कहते हैं ना,

सारे ज़माने का दर्द,
एक कम्बख़्त हमारे जिगर में है ….”

“बआउन्सर था. वो असलम कहाँ है आजकल?” अजय ने शेर को अनसुना करते हुए कहा
“इधर शहर में ही है सर. बाहर आए हफ़्ता नही हुआ साले को और फिर से पंख फॅड्फाडा रहा है”

“मतलब?”

सुनने में आया है के कोई ड्रग डील कर रहा है”

“कब?”

“एग्ज़ॅक्ट्ली तो पता नही सर जी पर हाल फिलहाल में ही करेगा, ऐसा सुना है”

“ह्म्‍म्म्मम” अजय ने साँस छ्चोड़ते हुए कहा “वैसे तू क्या कर रहा है आज रात?”

“कुच्छ ख़ास नही सर. बताओ”

“आजा शाम को घर पे”

“आज नही आ पाऊँगा सर” रमेश ने कहा “प्लान है मेरा कुच्छ”

“साला अभी मैने पुछा के क्या कर रहा है तो बोला के ख़ास नही कुच्छ और अब कह रहा है के प्लान है?”

“समझा करो ना सर” रमेश दाँत दिखाता हुआ बोला

“तेरी बातें नही समझनी भाय्या मैने. कल का बनाएँ? काफ़ी दिन हो गये साथ दारू पिए हुए.”

“हां कल का बना लो सर” रमेश ने जवाब दिया

टेबल पर रखा फोन बजा तो असलम ने उठाया

“कौन है?”

“मैं बोल रहा हूँ” दूसरी तरफ से आवाज़ आई

“हां बोलो” कहर असलम ने फोन उठाया और कमरे के एक कोने की तरफ आ गया ताकि उसकी बात कमरे में मौजूद उसके लड़के ना सुन सकें

“आज रात” फोन पर मौजूद शख़्श ने जवाब दिया

“आज रात? और अभी बता रहे हो मेरे को? थोड़ा टाइम तो देते”

“तूने कौन सा साले आफ्रिका से आना है जो थोड़ा टाइम देता मैं तुझे” दूसरी तरफ से आवाज़ आई

“ठीक है. वो इनस्पेक्टर का चक्कर तो नही पड़ेगा ना? साला उसी के चक्कर में फस गया था पिच्छली बार मैं” असलम ने एक नज़र अपने लड़को पर डाली के कहीं वो उसकी बात सुन तो नही रहे

“नही इनस्पेक्टर का कोई चक्कर नही है”

“तो किधर आने का है?” असलम ने पुछा

“मेरे घर पे”

“घर पे? काहे को?”

“माल मेरे घर पे ही है. वहीं से उठा लेना तुम लोग”

“कोई ख़तरा तो नही ना?” असलम ने पुछा

“साला चीनी खारदिने नही जा रहा तू बाज़ार कि ख़तरा नही होगा. इस काम में हमेशा ख़तरा होता है” दूसरी तरफ मौजूद आदमी थोड़ा चिड़ सा गया

“ठीक है ठीक है आता हूँ मैं. कितने बजे?”

“12”

“ठीक है” असलम ने कहा

“अकेले ही आना” दूसरी तरफ से आदमी ने कहा

“क्यूँ?”

“तेरे लड़को पर भरोसा नही मुझे. एक खबरी है कोई उनमें”

“जानता हूँ. पता करने की कोशिश कर रहा हूँ के कौन सा है” असलम ने फिर एक नज़र कमरे में बैठे पत्ते खेल रहे अपने लड़को पर डाली

“तो फिलहाल अकेले ही आना” दूसरी तरफ से आवाज़ आई और लाइन कॅट गयी.

सेल बजा तो नेहा ने गाड़ी साइड में रोकी.
“हे स्वीटी” फोन उठा कर उसने कहा “मैं बस तुम्हें ही फोन करने वाली थी”

“हां जानता हूँ. मैं भी वही कन्फर्म करने के लिए फोन कर रहा था” फोन पर एक आदमी की आवाज़ आई

“क्या कन्फर्म करने के लिए?” नेहा ने हैरत से पुछा

“कि आज का प्लान कॅन्सल है ना?”

“नही नही प्लान वैसा ही है” नेहा ने कहा

“आर यू शुवर?”

“हां बाबा. ही वोंट बी होम टुनाइट. उसे आज रात कुच्छ काम है, मेरी बस अभी बात हुई है. आज रात बस मैं और तुम ही अकेले हैं”

“फिर भी एक बार चेक कर लो. ऐसा ना हो के पकड़े जाएँ”

“कमाल हैं यार. औरत मैं हूँ और घबरा तुम रहे हो” नेहा ने ताना सा मारा

“अर्रे ऐसा नही है” दूसरी तरफ से फोन पर हस्ने की आवाज़ आई

“तुम कुच्छ मत सोचो” नेहा फुसफुसाने जैसे अंदाज़ में बोली “तुम बस ये सोचो के जब तुम्हारा लंड मेरे मुँह में होगा तो तुम्हें कैसा लग रहा होगा”

“बस बस” फ़ौरन दूसरी तरफ से आवाज़ आई “अभी खड़ा मत करो”

“हो भी गया तो क्या है. बाथरूम में जाके हिला लेना” नेहा हस्ते हुए बोली

“पागल हूँ जो हिलाऊँगा. बचा के रखूँगा और सारी गर्मी रात को तुम्हारे साथ ही निकालूँगा”

“अच्छा? क्या क्या करोगे बताना तो ज़रा”

“रात को ही बताऊँगा. फिलहाल फोन रखो और मुझे काम करने दो”

“ओके” नेहा ने कहा “रात को मिलते हैं फिर”

और उसने फोन काट कर गाड़ी आगे बढ़ा दी.

शहर के एक दूसरे कोने में असलम का फोन फिर बजा.

“हां बोलो” उसने फोन उठा कर कहा

“रात का प्लान पक्का है ना?” दूसरी तरफ से आवाज़ आई

“हां. 12 बजे ना?”

“ठीक 12 बजे. मेरे घर पे”

नेहा सज धज कर तैय्यार हो चुकी थी. उसने घड़ी पर एक नज़र डाली.

11:30

उसने एक बार फिर शीशे में अपने आप पर नज़र डाली. इस वक़्त उसने लाल रंग की एक सारी पहेन रखी थी और वैसे ही मॅचिंग ब्लाउस.

“कहाँ हो?” उसने अपना सेल उठा कर नंबर मिलाया

“बस निकल ही रहा हूँ” दूसरी तरफ से आवाज़ आई

“कॉंडम लेते आना” नेहा ने कहा

“क्या ज़रूरत है. मैं अंदर नही निकालूँगा”

“फिर भी. मुझे डर लगता है” नेहा ने कहा

“ठीक है मैं लेता आऊंगा. और कुच्छ लाना है कॉंडम के साथ?”

“हां” वो हस्ते हुए बोली “तुम्हारा लंड”

“वो तो आ ही रहा है जानेमन. तुम बस तैय्यार रहो”

“मैं तो तैय्यार ही बैठी हूँ. लाल सारी आंड ब्लाउस”

“और अंदर?”

“ना ब्रा है ना पॅंटी”

“वाउ … यानी सारी उठाके झुकने के लिए पूरी तरह तैय्यार हो?”

“तुम आ जाओ बस” नेहा ने कहा

“बस पहुँच ही रहा हूँ” दूसरी तरफ से आवाज़ आई और दोनो ने फोन रख दिया.

नेहा अपने आपको एक बार फिर शीशे में निहार ही रही थी के दरवाज़े की घंटी बजी.

“इस वक़्त कौन हो सकता है” नेहा ने सोचा. पति तो उसका शहर से बाहर था और फिर वो मुस्कुरा उठी. जिसका वो इंतेज़ार कर रही थी वो आ गया था. फोन पर ऐसे ही मज़ाक कर रहा था कि अभी निकल ही रहा है.
असलम ने अपनी घड़ी पर नज़र डाली.

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11:55

वो टाइम से 5 मिनिट पहले ही आ गया था. उसने अपनी शर्ट में पिछे लगी हुई अपनी गन चेक की और गाड़ी का एंजिन ऑफ करके बाहर निकला.

कहने के मुताबिक ही उसने अपनी गाड़ी घर से कुच्छ कदम आगे रोकी थी. बिल्कुल घर के सामने नही.

चारो तरफ अंधेरा था पर फिर भी उसने एक नज़र आस पास मौजूद हर चीज़ पर फिराई. वो अभी जैल से बाहर आया था और फिर पकड़े जाने का रिस्क नही ले सकता था.

आस पास ऐसा कुच्छ नही था जिस पर शक हो. आया भी वो अकेला ही था.

धीमे कदमो से चलता वो घर के दरवाज़े तक पहुँचा. उसके घंटी बजाने से पहले ही दरवाज़ा खुल गया.

“आ अंदर आ जा” दरवाज़े के दूसरी तरफ उसको जाना पहचाना चेहरा नज़र आया.

“सब ठीक ठाक?” पूछता हुआ वो अंदर आ गया

“सब मस्त. तू बता”

“मैं अभी बढ़िया ही हूँ” असलम ने जवाब दिया “इतने दिन बाद बाहर आया, बड़ा मस्त लग रहा है सब कुच्छ”

अपने मेज़बान के पिछे पिछे चलता असलम लिविंग रूम तक आया.

“ये घर पर डील करना क्या रिस्की नही है आपके लिए? कोई देख लेता मुझे तो? वैसे आपकी बीवी किधर है?”

“मैं तो चाहता ही था के तुझे यहाँ देखा जाए. मेरे घर में घुसते हुए. और मेरी बीवी भी यहीं है”

“मतलब?” बात सुनकर असलम चौंका और पलटकर अपने मेज़बान की तरफ देखा.

एक गन पकड़े वो आदमी असलम की तरफ निशाना ताने खड़ा था.

“ये क्या है?” असलम ने घबरा के पुछा

“तेरा उपेर जाने का टिकेट” उस आदमी ने कहा और इससे पहले के असलम कुच्छ करता, एक गोली चली और उसे ऐसा लगा जैसे किसी ने गरम पिघलता हुआ लोहा उसके दिल में घुसा दिया हो. लड़खड़ा कर वो गिरा और उन आखरी पलों में उसे कमरे के दूसरी तरफ एक औरत की लाश नज़र आई, लाल सारी पहनी हुई औरत.

सब-इनस्पेक्टर रमेश तिवारी ने अपनी घड़ी पर नज़र डाली.

12:05

वो ठीक टाइम पर था. पूरी रात नेहा के साथ गुज़ारने का उसका ये पहला मौका था वरना पहले वो आधे एक घंटे के लिए मिलते, चुदाई करते और फिर अपने अपने घर चले जाते.

ये पहला मौका था के वो पूरी रात नेहा को चोदने वाला था और सोच सोचकर ही उसका दिल जैसे उच्छल कर उसके मुँह को आ रहा था.

दिल ही दिल में खुश होता वो गाड़ी नेहा के घर के सामने लगा ही रहा था के अचानक घर के अंदर से एक धमाके की आवाज़ आई. एक ऐसी आवाज़ जिसे रमेश अच्छी तरह पहचानता था.

अंदर गोली चली थी.

उसने फ़ौरन 3 काम किए.

अपनी गन निकाली.
गाड़ी में नीचे को दुबक कर बैठ गया.

उसने हेडक्वॉर्टर का नंबर मिलाया.
“गोली चलने की आवाज़ आई है. फ़ौरन आस पास जो भी पोलीस की गाड़ी हो, इधर भेजो” कहकर उसने घर का अड्रेस लिखवाया.

पर वो जानता था कि वो और पोलिसेवालो के आने तक नही रुक सकता था. अंदर नेहा थी और वो ख़तरे में हो सकती थी. उसको फ़ौरन कुच्छ करना था.

वो गाड़ी से निकला और च्छुपता च्छुपता घर के दरवाज़े तक पहुँचा. दूर से ही उसे नज़र आ गया था के दरवाज़ा खुला हुआ है और अंदर अंधेरा था.

धड़कते दिल के साथ वो घर के दरवाज़े तक पहुँचा और अंदर देखने की कोशिश की पर कुच्छ नज़र नही आया.

एक पल को उसने नेहा का नाम लेकर पुकारने की सोची पर फिर चुप चाप दरवाज़ा हल्का सा और खोला और अंदर घुसा.

“आओ रमेश” अंदर से आवाज़ आई

आवाज़ लिविंग रूम की तरफ से आई थी.रमेश ने फ़ौरन आवाज़ की तरफ देखा.

“सर आप?” सामने इनस्पेक्टर अजय सिंग खड़ा था

“आअज़ा आजा अंदर आजा” अजय ने रमेश को इशारा किया

“सर अभी गोली की आवाज़ आई” कहकर रमेश ने अपनी गन नीचे की और लिविंग रूम के अंदर पहुँचा.

अजय कमरे के ठीक बीच में खड़ा था और उस हल्की रोशनी में रमेश को जो पहली चीज़ नज़र आई वो थी लाल रंग की सारी में गिरी पड़ी एक औरत.

नेहा.

अजय घर पे.

गोली की आआवाज़.

इसके पहले कि रमेश कुच्छ सोच या कर पाता, अजय का हाथ फिर उपेर उठा और साथ उपेर उठी उसमें पकड़ी हुई गन.

एक गोली और चली और रमेश नीचे गिर पड़ा. उसकी गन उसके हाथ से छूट चुकी थी.

“क्यूँ?” जब अजय ठीक उसके सर पर आ खड़ा हुआ तो बड़ी मुश्किल से रमेश ने पुछा

“साले मेरी बीवी को चोद रहा था और पुछ्ता है क्यूँ? क्या सोच रहा था कि मुझे पता नही चलेगा?”

एक गोली और चली और रमेश के जिस्म से जान निकल गयी.

अजय ने एक बार नज़र चारों तरफ फिराई कि कुच्छ बाकी तो नही रह गया पर सब ठीक था. सामान बिखरा पड़ा था, अपनी बीवी के कपड़े खुद उसने थोड़े फाड़ दिए थे.

जिस गन से उसने असलम को मारा था वो उसने रमेश के हाथ में दे दी और रमेश की गन खुद उठा ली.

जिस गन से उसने रमेश और अपनी बीवी नेहा को मारा था वो उसने असलम के हाथ में थमा दी.

असलम सब-इनस्पेक्टर रमेश तिवारी की वजह से भारी मात्रा में ड्रग्स के साथ पकड़ा गया था और जैल गया था. उस वक़्त अजय रमेश के साथ ही था इसलिए अजय का नाम भी पेपर्स में आया था.

बाहर आकर उसने बदला लेना चाहा.

रमेश के साथ साथ वो इनस्पेक्टर अजय सिंग से भी बदला लेना चाहता था.

इसके चलते वो उसके घर पहुँचा.

अजय शहर से बाहर था पर उसकी बीवी घर पर मौजूद थी.

उसने उसकी बीवी को गोली मार दी.

गोली की आवाज़ रमेश ने सुनी और बॅकप बुलाया. वो अजय के घर के बाहर उस वक़्त क्या कर रहा था, ये उसकी मौत के बाद एक राज़ ही रह गया.

असलम और रमेश के बीच गोलियाँ चली. गोली दोनो को लगी. दोनो में से कोई नही बचा.

और क्यूंकी अजय शहर से बाहर था इसलिए ये सब उसको कल पता चलेगा.

“पर्फेक्ट” दिल ही दिल में आज़य ने सोचा और खिड़की के रास्ते घर से निकल गया.
तो देखा भाई लोगो आपने दूसरे की बीबी को चोदना कितना महँगा पड़ता है कभी कभी दोस्तो मैं तो यही कहूँगा दूसरे की बीबी को चोदने से पहले इस कहानी के अंजाम को ज़रूर याद रखना कहानी आप सब को कैसी लगी ज़रूर बताना आपका दोस्त राज शर्मा
समाप्त



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