मैं झड़ने वाला था.. पर वो दो बार झड़ चुकी थी।
फिर उसने बोला- अन्दर मत डालना.. मुझे पीना है.. मना मत करना।
मैंने अपना लण्ड उसके मुँह में डाल दिया और वो पूरा रस पी गई।
कुछ देर रुकने के बाद मैं नीचे लेट गया और वो मेरे ऊपर आ गई.. और उछल-उछल कर अपनी फुद्दी चुदवाने लगी।
उस रात मैंने उसे दो बार सेक्स किया और फिर हम साथ नहाए और नंगे ही बिस्तर पर लेट गए.. और मस्ती करने लगे।
वो बहुत खुश थी।
अब मैंने उसके एक बूब को मुँह में लिया और वो फिर से मदहोश होने लगी।
मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसके मम्मों को चूसने लगा क्योंकि मुझे ‘स्तन-मर्दन’ बहुत पसंद है।
मम्मों को चूसते हुए कब आँख लग गई पता ही नहीं चला।
जब मैं सुबह उठा.. तो नैंसी जाग चुकी थी और किचन में कॉफ़ी बना रही थी, वो अब भी नंगी थी।
मैंने उसकी उठी हुई गांड देखी और चूतड़ पर एक चपत मारी और पीछे से उसको जकड़ लिया।
इससे पहले वो कुछ समझती.. मैंने अपना लण्ड पीछे से उसकी चूत में डाल दिया और धक्के मारने लगा।
वो भी मस्त होकर मेरा साथ देने लगी।
इस बार कण्ट्रोल नहीं हुआ और मैंने पूरा वीर्य उसकी चूत में ही छोड़ दिया। मुझे ऐसा लगा कि अन्दर जैसे बम फटा हो। वो कुछ परेशान होने लगी.. तो मैंने बाद में उसे पिल्स खरीदकर देने की बात कही तो वो शांत हो गई।
नैंसी- आज जो भी हुआ.. अनजाने में हुआ जय.. मैं इसे आगे बढ़ाना नहीं चाहती, लेकिन कितने टाइम बाद किसी ने मेरी चूत की गर्मी को शांत किया.. थैंक यू जय।
मैं- मैं भी इसको आगे बढ़ाना नहीं चाहता.. क्योंकि मैं भी तनु से प्यार करता हूँ, पर कभी अपने लंड को भी प्यार मिलना चाहिए।
यह कहकर मैंने उसे किस किया और वापस किचन में ही लेटा कर एक बार और प्यार करने लगा।
तो वो बोली- हमें ऑफिस भी जाना है.. वरना लेट हो जाएंगे।
फिर हम दोनों तैयार हो कर ऑफिस के लिए निकल गए।
आगे क्या हुआ.. वो मैं अगले भाग में बताऊँगा, पर अपने सुझाव जरूर भेजिएगा।