गोली लेके भाई ने चोदी बहन

वापस आ कर उसे बेड पर पटक दिया, और किचन में जो कुछ मिला खाने का सब उठा लाया. फिर हमने बैठ कर वो सारा खाना ख़तम किया. टाइम देखा तो 6:50 हो रहे थे. कमरे में सुबह का पता ही नही चला. एसी की ठंडक से हम दोनो ठंडे हो गये तो झटपट कंबल के अंदर आ गये, और लिपट गये एक-दूसरे से.

विवेक: अब क्या इरादा है?

शिखा: मेरा तो कोई इरादा नही है. पर आपके उस्ताद के इरादे नेक नही लग रहे है.

विवेक: तू पास हो और छ्होटा उस्ताद शरीफ रहे, हो नही सकता है. रुक एक टॅबलेट लेने दे, फिर शुरू करेंगे.

शिखा: अर्रे नही-नही भैया. प्लीज़ टॅबलेट नही. ये मैं नॉर्मल नही झेल पाती आपको, और आप हो की टॅबलेट लेकर पेलना चाहते हो. वो भी गांद को.

जान निकल जाएगी भैया, प्लीज़ ऐसे ही छोड़ लो ना यार. उसने बहुत कोशिश की मुझे रोकने की, पर मैं उठ गया, और जेया कर वियाग्रा खा ली. वो उदास सा फेस किए बैठी थी.

शिखा: कटती! कभी मेरी बात नही सुनते हो आप.

मैने गोली खाई, और आ कर बिस्तर पर लेट गया. फिर शिखा को अपनी तरफ खींचा. पर शिखा नाराज़ थी तो नाटक कर रही थी मुझसे डोर होने का.

विवेक: क्यूँ नाटक कर रही है मेरी जान? देख तुझे भी पता है की चूड़ना तो तुझे है. अब चाहे मॅन से चुड चाहे बे-मॅन से. मैने इतने मज़े दिए है, तो अब मज़े लूँगा भी पुर. खुशी-खुशी चूड़ेगी तो आचे से छोड़ूँगा, वरना तो सच में तेरी मा चुड जाएगी. मान जेया अब.

शिखा: वाह भाई, उल्टा चोर कोतवाल को छोड़े. अर्रे अगर एक बार बिना गोली के छोड़ोगे तो क्या क़यामत आ जाएगी भैया?

मैं बोलती जेया रही हू की मेरे से नॉर्मल टाइमिंग आप की नही झेली जाती है, और आप हो की गोली खा कर बैठ गये. सच में बहुत दिक्कत हो जाती है भैया. यार आप समझते ही नही, बस छोड़ने में लगे रहते हो.

शिखा: पर इन सब से आपको क्या? पेलो जितना मॅन हो साली की. रंडी है ना आपकी. साली ज़्यादा बोले तो मूह में लंड पेल दो, मूह बंद हो जाएगा.

उसका इतना बोलना था, और मेरे दिमाग़ में पता नही क्यूँ ये आया. मैं जल्दी से उठा, और लंड सच में उसके मूह में पेल दिया. वो भी एक-दूं शॉक में थी. मैने अपने पैरों से उसके हाथ दबा लिए थे, और हाथ से उसका सिर पकड़ लिया, और लंड को मूह में पेलने लगा धीरे-धीरे.

उसने अपना पूरा मूह खोल दिया, तो लंड पर दबाव नही रहा. मैने एक हाथ से उसकी नाक बंद कर ली.

विवेक: आचे से चुदाई करवाएगी मूह की, या रोक डू साँसे, साली नाटक करती है!

वो कुछ नही बोली. थोड़ी देर सिर इधर-उधर घुमा कर नाक च्चूधने की ट्राइ की. पर नही छ्छूती, तो मूह कर लिया फिरसे, और इस बार होंठो से लंड दबा लिया. अब मैं लंड अंदर गले तक पेलता उसके, और क्यूंकी वो कस्स कर दबाए थी लंड को, तो ऐसा लग रहा था जैसे कोई नयी छूट को चीरता हुआ लंड अंदर घुसा रहा था.

मैने पूरा लंड अंदर डाला, और उसके फेस पर और अंदर तक दबाने लगा. अब लंड पूरा खड़ा हो चुका था, और उसकी साँस भी फूल रही थी. मैने छ्चोढा उसे और उसके उपर से हॅट गया. वो खाँसते हुए उठी, और मुझे मारने लगी सीने पर ज़ोर-ज़ोर से. उसने एक थप्पड़ मारा मेरे गाल पर.

1 मिनिट को हम दोनो चुप थे. कमरे में बिल्कुल सन्नाटा

था. फिर पता नही क्या हुआ, हम दोनो एक-दूसरे को देख रहे थे, और एक-दूं से एक-दूसरे से लिपट गये. हम बहुत पॅशनेट किस करने लगे. वो भी फुल जोश में मेरे होंठो को चूस रही थी, और मैं भी उसके होंठो को बारी-बारी चूस रहा था.

एक हाथ से उसकी कमर से पकड़ कर अपनी लॅप में बिताए था, और दूसरे से उसके एक-एक दूध को मसल रहा था. उसके निपल्स को पिंच कर रहा था. शिखा ने अपने पैर मेरी कमर से लपेट लिए, और मेरा लंड पकड़ कर अपनी छूट पर रखा.

फिर कमर उठाई तो लंड अंदर चला गया. मुझे और जोश आ गया. मैने उसका गला दबाया, और पलट कर बिस्तर पर लिटाया. अब शिखा बिस्तर पर थी, और मैं उसके उपर गला दबाए हुए किस कर रहा था, और मेरा लंड उसकी छूट में था.

मैने ज़ोर का झटका दे मारा छूट में.

शिखा की आँखें बड़ी हो गयी. समझ आ रहा था झटका बहुत ही सही लगा था.

मैं किस तोड़ कर सर उठाने जेया रहा था, पर शिखा ने अपने दोनो हाथो से मेरी गर्दन पकड़ ली, और किस ना तोड़ने को इशारा किया. मैने किस्सिंग कंटिन्यू रखी, पर अब उसकी कमर पकड़ कर उसे तोड़ा उठाया, और उसकी हिप्स को नीचे से पकड़ कर अपना लंड पेलना शुरू किया ज़ोर-ज़ोर से.

हर झटके पर ठप-ठप की आवाज़ आ रही थी, और हर झटके पर शिखा की आ निकल रही थी. मैं उसके हिप्स भी मसल दे रहा था ज़ोर से, तो और दर्द और मज़ा आ जाता साली को. हमारी किस टूटी मगर मेरे होंठ अभी उसके होंठो पर थे. मैं नीचे से हचक कर पेल रहा था उसकी छूट को.

वो सर की साइड पर चादर पकड़ कर आहें भर रही थी, और हर झटके पर सर उपर की तरफ उठा कर दर्द और मज़े का आनंद ले रही थी. अब मैं उठा, और दोनो तरफ कंधे पकड़ कर उसे वही दबा लिया, और छोड़ने लगा.

शिखा: एम्म्म माआ फाड़ दे बहनचोड़! बहुत बेरहम हो आप यार, इतनी बुरी तरह पेलता है कोई अपनी बेहन को भला? आह प्लीज़ बचाओ इश्स जानवर से.

मैं बस उसे कुत्तों की तरह पेलने में लगा था. हवस एक-दूं नाच रही थी, जैसे मेरे सर पर. मैं झुक कर उसको जगह-जगह बीते करने लगा. उसकी नेक पर, चेस्ट पर, बूब्स पर.

शिखा: अया कुत्ते, मत कर लगती है. निशान पद जाएगा कुत्ते. मा को क्या बोलूँगी अगर दिख गये उन्हे तो?

विवेक: बोल देना की आपने बोला था की विवेक को जो चाहिए वो दे देना. तो विवेक भैया ने मुझसे मेरी छूट माँग ली, तो देनी पद गयी. शिखा कसम से, तुझे छोड़ कर मेरा दिल नही भरता. क्या करू बता ना?

शिखा: तो माना किसने किया है बहनचोड़? छोड़ ना जितना चाहे. बस तोड़ा प्यार से छोड़. ऐसे कुत्तों की तरह मत मार मेरी छूट यार.

मैं बेड से उतरा, और उसे बेड के कॉर्नर पर खींचा और घुमा दिया. अब मेरा लंड उसके मूह की तरफ था, और उसकी छूट मेरे मूह की तरफ. उसका सिर बेड से नीचे झुका था. मैने लंड उसके मूह में दिया, और पेलने लगा. इससे पहले ऐसे कभी उसका मूह नही छोड़ा था.

लंड गले तक जेया रहा था, और उसकी साँसे फूल रही थी. वो पुर दूं से मुझे रोकने में लगी थी. 2-3 मिनिट ऐसे ही मूह छोड़ने के बाद उसके उपर लेट गया, और उसकी छूट के होंठो को अलग करके उसकी छूट पर मूह लगाया, और पूरी लेंग्थ चाटने लग गया. फिर ज़ोर ज़ोर से चूसने लग गया, होंठो से दबा-दबा कर.

शिखा: उफ़फ्फ़ बहनचोड़! पी जेया उफ़फ्फ़.

उसने अपने पैर सिकोडे, और साइड से मेरा सिर दबा लिया पैरों के बीच, और झड़ने लगी. मैने भी सर नही हटाया और उसका छूट रस्स पीने लगा. अपना मूह उसकी छूट पर दबा कर साइड में घुमा-घुमा कर, और अंदर तक जीभ से चाट कर रस्स चूस-चूस कर खींच रहा था.

शिखा: बस कर बहनचोड़, अब क्या अंदर की स्किन चूस कर बाहर निकलेगा? छोड़ो मेरी छूट अब.

जब उसने देख मैं छोड़ने वाला नही था, तो जल्दी से नीचे खिसक कर बेड से नीचे गिर गयी.

शिखा: उफ़फ्फ़ मा मार ही दिया भैया आज तो.

मैने उसका हाथ पकड़ा, और गोद में उठा लिया, और दीवार से सत्ता दिया.

शिखा: अर्रे-अर्रे रूको यार, साँस तो लेने दो.

मैने लंड छूट में पेला, और बस फिर पेलता ही गया. उसकी हाइट थोड़ी कम है, तो उसे तोड़ा झुकना पड़ता है. तभी लंड सही से जाता है छूट में अंदर तक. वो अपने हाथ मेरे गले में डाले थी. एक-एक झटके पर बूब्स उपर-नीचे डाए-बाए घूम रहे थे, और मुझे और जोश दिला रहे थे.

मैने धक्के मारना रोका, और उसके पेट से हाथ लगा कर उपर की तरफ दबाया. फिर उसके बूब्स को दबाया बारी-बारी, और फिर झुक कर एक दूध को मूह में भर लिया और चूसने लगा.

शिखा: एम्म्म एस्स भैया पियो भैया. काटो म्ट यार, कितनी बार बोलू निशान पद जाएगा तो आफ़त हो जाएगी. सुन भी लिया करो यार, मत काटो ना.

मैने दोनो बूब्स पकड़ कर आचे से ग्रिप बनाई, और लंड को आयेज-पीछे करने लगा.

शिखा: एम्म एस आ.

5-7 मिनिट उसे छोड़ने के बाद नीचे उतरा, और विंडो के पास ले गया. फिर कर्टन हटाया और उसे विंडो की साइड घुमाया, और झुका दिया. उसने पैर फैला दिए, और मैने पीछे से लंड पेल दिया छूट में. जैसे-जैसे लंड के धक्के पड़ते, उसके बूब्स आयेज-पीछे झूलते. विंडो ग्लास ब्लॅक था, तो उसमे दिख रहा था, पर सही से नही. तो मैने उसे छोड़ना रोका और घुमा कर मिरर के सामने ले गया.

शिखा: ऑश, तो बहनचोड़ को अब शीशे के सामने पेलना है. सही है भैया, लो मज़े पुर अपनी रंडी के. फ्री में मिल रही है, तो जो चाहो जैसे चाहो पेल लो.

मिरर के सामने झुका कर फिरसे लंड हाथ में पकड़ा. उसने पैर फैला दिए. ये सोच कर की छूट में पेलुँगा, मैने लंड उसकी गांद के होल पर रखा और जब तक वो कुछ रिक्ट कर पाती, एक झटके में लंड घाप से अंदर पेला, और कमर पकड़ कर अंदर पेलता ही गया.

शिखा: आहह मा निकालो, गांद जल रही है. अभी इतनी भी नही खुली की एक बार में मूसल झेल जाए. आहह निकालो.

उसे दर्द में ये सब बोलते देख रहा था मिरर में. बहुत ही ज़्यादा मज़े आ रहे थे उसे पाईं में देख कर. थप्पड़ का सही जवाब दिया उसे ऐसा महसूस हुआ. साली ने हाथ कैसे उठाया, यही सब चल रहा था दिमाग़ में, और पता नही कब मैं उसकी गांद बजाने लगा.

शिखा: आअहह भैया, प्लीज़ रूको, मेरी जान निकल रही है भैया.

उसके दोनो हाथ पकड़ कर पीछे खींच लिए. अब वो खड़ी थी, और उसके दोनो हाथ पीछे मेरे हाथ में बँधे थे, और गांद बाज रही थी. एक हाथ से उसके झूलते हुए बूब्स पर थप्पड़ मार रहा था, और नीचे से गांद पेल रहा था.

पॉर्न फिल्म में ये पोज़ देखता था, तब सोचता था की शिखा के साथ ट्राइ करूँगा. शिखा अब कुछ-कुछ कम विरोध कर रही थी. गांद का रास्ता भी चिकना हो गया था, तो उसे भी मज़ा आने लगा था.

शिखा: एस फक! डालो और अंदस्र आहह. गांद पहले क्यूँ नही मारी भैया? छूट से ज़्यादा मज़े आ रहे है इसमे. एम्म्म आअहह एस, और अंदर तक पेलो. एम्म्म एस, फाड़ दो यार.

तभी उसकी छूट से मूट की धार निकली, और शीशे पर गिरी. शिखा को मैने छ्चोढा तो वो वही ज़मीन पर बैठ गयी. चेहरे पर चुदाई की थकान और सॅटिस्फॅक्षन सॉफ दिख रही थी. उसने उपर देखा तो मेरा लंड सलामी दे रहा था उसे.

शिखा: अर्रे बहनचोड़, यहा छूट और गांद की मा चुड गयी, और ये कालू भोंसड़ी वाला अभी भी खड़ा है. यार भैया, इसलिए बोला था मत लो गोली. अब जान नही बची मेरी छूट में इसे झेलने की यार.

इतने में उसका फोन बजा.

शिखा: भैया फोन उठाओ. मेरे में जान नही है उठाने की.

मैने उसका फोन पिक किया, और लाउडस्पिकर पर करके बात करने लगा.

सिद्धि: हेलो शिखा, उठ गयी बेटा?

शिखा कुछ बोलती उससे पहले मैं बोला-

विवेक: नही दीदी, वो सो रही है अभी भी.

सिद्धि: ओह विवेक, अब कैसी तबीयत है तुम्हारी?

विवेक: अब सही है तबीयत दीदी. शिखा ने दवाइयाँ टाइम तो टाइम डेडी तो अब अछा लग रहा है.

बेचारी ने बहुत ख़याल रखा कल रात, इसीलिए तो बेसूध पड़ी है अभी भी.

सिद्धि: अछा तो अब उसे उठा दो. बोलो मुम्मा जाने वाली है ऑफीस.

विवेक: अर्रे सोने दो दीदी, उतौँगा तो मारेगी मुझे की रात भर नही सोने दिया, और अब सुबह भी परेशन करने लगे भैया. आप जानती हो उसे. जब उठेगी तो चली आएगी.

सिद्धि: अछा ठीक है, मत उठाओ अपनी लाडली को भाई. मैं नाश्ता ब्ना देती हू दोनो के लिए जब महारानी उठे, तो दोनो आ कर खा लेना. चलो ध्यान रखो अपना, बाइ.

विवेक: बाइ-बाइ दीदी.

शिखा: बहुत हरामी हो यार भैया आप. आज सच में पुर दिन छोड़ोगे क्या मुझे?

विवेक: कोई शक बहना?

शिखा: शक? मेरी छूट और गांद फाड़ चुके हो यार, और अभी तो दिन सही से शुरू भी नही हुआ. शाम आते-आते तो आप अपना बच्चा निकाल दोगे मेरी छूट से यार भैया. सोच-सोच कर ही मेरी फटत रही है, और उपर से ये देखो बहनचोड़ लंड आपका कैसे घूर-घूर कर सलामी मार रहा है.

वो उठ कर वॉशरूम गयी, और फ्रेश हो कर अपनी बॉडी आचे से धो कर आ गयी.

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