नमस्कार दोस्तो, ये मेरी कहानी है, जो की मेरी क्लासमेट के साथ थी. ये एक सच्ची घटना पर आधारित है. अब ज़्यादा टाइम वेस्ट ना करते हुए, मई कहानी पर आता हू.
मेरा नाम रवि है (बदला हुआ). मई चंडीगार्ह से हू और मेरी दोस्त का नाम रूही (बदला हुआ) है, जो की अकेली रहती थी अपनी मम्मी के साथ. उसके पापा की डेत हो चुकी थी काफ़ी टाइम पहले ही. ये कहानी आज से 2 साल पहले की है, जब मई नया-नया कॉलेज मे आया था और मेरी उमर तब 20 साल थी.
अब मई आता हू अपनी दोस्त पर. वो इतनी सुंदर है, की देखने वाला देखता ही रह जाए. मानो की बुद्धो का भी खड़ा हो जाए और क्या कमाल का उसका शरीर था. बड़े-बड़े संतरे जैसे बूब्स और मोटी-मोटी गांद, मानो हुस्न की मल्लिका थी.
अब कहानी पर आता हू.
मई नया-नया कॉलेज गया. वाहा पर मेरी दोस्ती एक रूही नाम की लड़की से हो गयी. वो देखने मे भूत सुंदर थी. पहले तो मई उसको अची नज़र से देखता था, पर एक बार जब वो क्लास मे मेरे उपर गिरी, तब से मेरी नज़र उसके लिए बदल गयी और मई उसके बाद से उसको घूर-घूर कर देखता रहता था.
मई कभी उसके मुम्मो को और कभी उसकी गांद को घूरता. फिर एक दिन मई उसको देख रहा था और उसने मुझे उसको देखते हुए देख लिया, पर उसने मुझे कुछ कहा नही और ये सिलसिला ऐसे ही चलता रहा. लेकिन एक दिन जब मई उसके मुम्मो को देख रहा था, तब उसने मुझसे कहा-
रूही: रवि तुम मुझे ऐसे क्यू देख रहे हो?
मई: नही रूही, ऐसा कुछ नही है.
रूही: कुछ तो बात है रवि, बताओ मुझे.
मई: नही रूही सच मे ऐसा कुछ नही है.
फिर ऐसे ही चलता रहा. एक दिन उसके बाद जब हम दोनो ग्राउंड मे बैठे थे, तब मई उसको फिरसे घूर रहा था और सोच रहा था, की कब मुझे इसको छोड़ने का मौका मिले. तभी रूही ने पूछा-
रूही: रवि, आज-कल क्या देखते हो तुम मुझमे, बताओ मुझे.
मई: अर्रे रूही, ऐसी कोई बात नही है. बस तुम भूत ज़्यादा सुंदर हो, इसलिए मेरी नज़र तुम पर से नही हॅट-ती कभी-कभी.
रूही हासणे लगी और बोली-
रूही: अर्रे यार, तुम भी ना बच्चो जैसे मज़ाक कर रहे हो.
मई: नही सच मे रूही, तुम भूत सुंदर लगती हो मुझे.
रूही: बस सुंदर लगती हू, या कुछ और भी?
मई: सुंदर तो लगती हो, पर सुंदर से भी कुछ ज़्यादा ही है तुम्हारे लिए मेरे दिल मे.
रूही: अछा बताओ फिर.
मई: मॅन करता है तुम्हे प्रपोज़ कर डू.
रूही: तो करो ना फिर, रोका किसने है?
मई: प्राब्लम बस ये है, की कही मई दोस्ती भी ना खो डू तुम्हारी.
रूही: तुम ऐसा क्यू सोचते हो, की मई माना करूँगी?
तब मैने प्रपोज़ किया और रूही ने हा कर दी. उसके बाद जब कभी भी टाइम मिलता, हम अकेले टाइम बिताते, कभी क्लास मे और कभी ग्राउंड मे.
एक दिन रूही भूत ज़्यादा सुंदर लग रही थी और उसको देख कर मेरा बार-बार खड़ा हो रहा था और मई लगातार रूही को देख रहा था.
रूहीी: रवि, ये क्या हो रहा है तुम्हे?
मई: तुम इतनी सुंदर लग रही हो, की इससे काबू नही हो रहा.
रूही हासणे लगी और बोली-
रूही: अछा ऐसा क्या? तो फिर अब क्या करना पड़ेगा?
मैने मौका देख कर चौका मार दिया और बोला-
मई: अगर हो सके, तो तुम इसको शांत कर दो.
रूही: मई अभी कैसे करू? हम क्लास मे है रवि.
मई: अर्रे अगर ज़्यादा कुछ नही, तो हाथ से हिला ही दो. या फिर वॉशरूम मे चलते है.
और वो वॉशरूम मे जाने को तैयार हो गयी. हमारे बाय्स आंड गर्ल्स टाय्लेट साथ-साथ मे ही थे.
रूही: वॉशरूम मे सेफ तो होगा?
मई: अर्रे किसी को पता नही चलेगा, तुम बस मेरे पीछे-पीछे आ जाना.
रूही: ठीक है.
मई क्लास से निकला और पीछे ही रूही आ गयी और फिर मैने उसका हाथ पकड़ कर, उसको वॉशरूम मे खींच लिया. फिर मैने रूही से कहा-
मई: ज़्यादा टाइम मत लगाओ, जल्दी से शांत करदो इसको.
रूही ने मेरी पंत खोली और लंड देख कर बोली-
रूही: ये तो इतना ज़्यादा बड़ा है, कम से कम 8 इंच का होगा.
मई: कुछ नही होगा, तुम इसको हिलाओ तो सही.
फिर रूही ने मेरा लंड हिलना शुरू किया.
रूही: अर्रे ये तो शांत ही नही हो रहा. अब क्या करे?
मई : अब इसको मूह से शांत करदो मेरी जान.
रूही पहले माना कर रही थी, लेकिन मेरे मनाने पर मान गयी और लंड का सूपड़ा मूह मे लेने लग गयी. किस करते-करते उसने पूरा लंड मूह मे ले लिया.
रूही : मुझे दिक्कत हो रही है, तोड़ा धीरे करो.
मई: ओक सॉरी बेबी, करती रहो तुम.
फिर मई उसके मूह को छोड़ने लगा और काफ़ी टाइम बाद जाकर मेरा लंड शांत हुआ और अपना सारा माल उसके मूह मे ही डाल दिया और फिर मैने रूही से कहा-
मई: रूही मुझे तुम्हारे बूब्स देखने है.
रूही: नही रवि.
मई: प्लीज़ रूही, मई तुमसे इतना प्यार करता हू. एक बार प्लीज़.
मेरे काफ़ी मनाने के बाद, वो मानी और उसने अपने बड़े-बड़े मुममे दिखाए.
मई: रूही ये तो जन्नत है.
और मई उनको दबाने लगा और वो आ.. आहह… कर रही थी. फिर जब मैने अपना एक हाथ नीचे उसकी जाँघो पर लेके गया, तब उसने माना किया और बोली-
रूही: नही रवि प्लीज़. मैने तुम्हारी मानी, अब तुम मेरी भी मानो.
फिर मैने उसको ज़्यादा फोर्स नही किया और उसके बाद हम वाहा से चुप-छाप निकले और फिरसे क्लास मे आ गये और फिर उसके बाद ऐसे ही चलता रहा. कभी-कभी वो मुझे शांत कर दिया करती थी, पर मेरा मॅन तो अब उसकी छूट पर था और मैने उससे कहा-
मई: हम कही घूमने चलते है.
और फिर मैने घूमने का प्रोग्राम मेरे जानम दिन वेल दिन का बनाया. मैने रूही को कहा-
मई: रूही हम चलते है कही घूमने.
रूही: नही रवि, घर वाले नही मानेंगे.
मई: मेरा जानम दिन आ रहा है, प्लीज़ उस दिन के लिए तो माना मत करो.
रूही: ठीक है रवि, पर अगर घर वाले नही माने, तो तुम कर लेना बात.
उसके घर मे वैसे पता था, की हम दोस्त है. तो फिर मैने मोविए का प्लान बनाया.
रूही की कॉल आई और वो बोली-
रूही: रवि मम्मी नही मानी. वो बोल रही है, की रवि को बोलना, पहले तुम घर आना फिर करेंगे बात.
मई: ठीक है रूही जान. मई मम्मी को माना लूँगा. तुम सब मुझ पर छोढ़ दो.
मेरे मॅन मे तो उसको छोड़ने का ख़याल चल रहा था. अगले दिन मई उसके घर गया. दरवाज़ा रूही ने खोला और फिर मई अंदर गया. मैने उसकी मम्मी को नमस्ते की.
मई: आंटी नमस्ते जी.
आंटी: नमस्ते बेटा.
मई : आंटी मई रूही को अपने साथ मोविए पर लेके जाना चाहता हू.
आंटी मेरी तरफ कुछ अलग ही नज़र से देख रही थी, लेकिन मैने ज़्यादा ध्यान नही दिया.
मई: आंटी जी मई रूही को मोविए पर लेके जाना चाहता हू, मेरा जानम दिन है.
आंटी: बेटा तुम्हे तो पता ही है, की इसके पापा नही है. इसलिए मई तोड़ा डरती हू.
ये कहते हुए आंटी मेरे लंड की तरफ देख रही थी.
मई: आंटी प्लीज़, मई रूही को सुरक्षित घर पर छोढ़ जौंगा प्लीज़.
आंटी: ठीक है बेटा, तुम अपने बच्चे हो, इसलिए तुम्हारे साथ पहली बार भेज रही हू.
और फिर मैने आंटी को शुक्रिया बोला और हम घर से चले गये और रूही क्या कमाल लग रही थी. उसने शॉर्ट कपड़े पहने थे घुटनो तक के.
मोविए शाम की थी, 6 से 9 बजे तक की. हमने टिकेट्स लिए और अंदर चले गये.
मोविए रोमॅंटिक थी काफ़ी. जब किस वाला सीन आया, तो मैने रूही की जाँघो पर हाथ रख दिया. रूही ने भी कोई विरोध नही किया.
मई हाथ से उसकी जाँघ सहलाता रहा.
रूही मेरी तरफ देख कर हस्सी और मैने बोला-
मई: रूही मेरा बर्तडे गिफ्ट ?
रूही ने मुझे लीप किस कर दिया.
मई: इतने से कुछ नही होगा.
फिर उसने अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया और सहलाने लगी. थोड़ी देर बाद, मैने अपना लंड पंत से आज़ाद करके रूही के हाथ मे दे दिया और मई अपना हाथ रूही की पनटी तक ले गयी. रूही को भी काफ़ी मज़ा आ रहा था.
मई: रूही प्लीज़ इसको शांत कर दो और तोड़ा चूस लो. मुझे पता है, की तुम्हे भूख भी लगी होगी.
रूही: आज कल बड़ा ख़याल रख रहे हो तुम मेरा. क्या बात है?
और फिर रूही मेरा लंड चूसने लगी, जैसे लॉलिपोप हो. फिर मैने अपना हाथ रूही की पनटी से ले जाते हुए रूही की छूट पर रख दिया और उसको सहलाने लगा.
रूही: रवि प्लीज़ ऐसे मत करो.
मई: रूही आज तो मेरा जानम दिन है. प्लीज़ मान जाओ, आज तो मुझे तुम्हे छोड़ना ही है.
रूही दर्र रही थी और बोली-
रूही: यहा कैसे होगा? और प्लीज़ रवि फिर किसी दिन कर लेंगे.
मई: नही रूही, आज के दिन ही मुझे ये गिफ्ट चाहिए. फिर मैने तोड़ा उदास जैसा फेस बना लिया.
रूही बोली-
रूही: यहा नही हो सकता रवि.
मई: रूही यहा नही तो किसी होटेल चलते है. खाना भी खा लेंगे और सब कुछ हो जाएगा.
रूही: होटेल सेफ तो होगा?
मई: दररो मत, मेरे जान-ने वाले है काफ़ी लोग, जिनके अपने होटेल है.
रूही मान गयी और फिर हमने मोविए आधी ही छोढ़ दी और पास ही एक दोस्त के होटेल पर चले गये और एक रूम लिया और खाना ऑर्डर कर दिया. रूम मे आते ही मैने रूही को पीछे से पकड़ लिया.
रूही: रवि डोर तो लॉक कार्लो, फिर कर लेना जो करना हो.
मई: जान तुम इतनी सुंदर लग रही हो, की कंट्रोल नही होता.
रूही: मई तुम्हारी ही तो हू.
फिर मैने डोर लॉक किया और रूही को चूमना शुरू कर दिया. मई कभी उसकी गर्दन पर, कभी कहा, कभी कहा किस करता. धीरे-धीरे मैने उसके कपड़े उतार दिए और मई उसकी बॉडी चूमने लगा.
उसके बड़े-बड़े बूब्स देख कर, क्या बतौ यारो मज़ा आ रहा था. तभी खाना आ गया और फिर मैने खाना पकड़ा और रूम लॉक कर दिया. फिर मई रूही पर टूट पड़ा और तभी वो बोली-
रूही: पहले कुछ खा लेते है, तभी ताक़त आएगी.
और हम दूनो हस्स पड़े. खाना खाने के बाद, मई रूही पर टूट पड़ा और उसकी पूरी बॉडी चूमने लगा.
फिर धीरे-धीरे रूही भी गरम हो रही थी और उसने मेरी पंत खोल दी और मेरे लंड को हिलाने लगी और फिर मेरे कहने पर उसको चूसने लगी.
तभी मई कभी उसके बूब्स चूस रहा था और कभी उसकी छूट चाट रहा था. ऐसा लग रहा था, मानो की जन्नत की सैर कर रहा था मई तो. बाकी की स्टोरी अगले पार्ट मे बतौँगा.
फ्रेंड्स ये मेरी सच्ची कहानी है. अगर कोई भी लड़की/भाभी/आंटी कोई भी मेसेज करना चाहती हो, तो कर सकती है. आपकी प्राइवसी का पूरा ध्यान रखा जाएगा और शायद मई आपके किसी काम आ जौ. मेरी ईद है: