Ghar ki kamwali bai ki chudai kahani “क्या मैं अंदर आ सकता हूँ?” रचना ने दरवाज़ा खोला तो मैं फूल आगे बढ़ता हुआ बोला
“बाहर मत खड़े रहो अंदर आओ, कोई देख लेगा” उसने मेरी शर्ट पकड़ कर मुझे अंदर खींचा और दरवाज़ा बंद कर लिया.
“अर्रे देखने दो, यहाँ तुम लोगों को जानता ही कौन है” मैं अंदर आता हुआ बोला
“जानते फिलहाल नही हैं तो इसका मतलब ये नही के कभी नही जानेंगे. बाद में मोम डॅड से लोग बातें करेंगे तो बताएँगे नही के आपके पिछे आपकी लड़की रात को घर पर लड़के बुलाती है”
रचना अपने माँ बाप की एकलौती लड़की थी और पिच्छले हफ्ते ही उन्होने इस नये घर में शिफ्ट किया था.
मैं पिच्छले 5 साल से उसे जानता था, उससे प्यार करता था और सही मौके की तलाश में था के बात को घरवालो की मर्ज़ी से आगे बढ़ाया जाए. उस रात उसके मोम डॅड किसी रिलेटिव के यहाँ रुके हुए थे तो उसने मुझे फोन करके बुला लिया.
मैं अपना कोट उतारता हुआ ड्रॉयिंग रूम में दाखिल हुआ. रात के करीब 11.30 बज रहे थे. बाहर मौसम ठंडा था पर घर के अंदर हीटर ऑन होने की वजह से कमरे का टेंपॅरेचर गरम था. ड्रॉयिंग रूम में ही उनके घर में काम करने वाली लड़की ज़मीन पर बैठी टीवी देख रही थी. “आइ थॉट यू सेड यू वर अलोन?” मैने रचना की तरफ देखते हुए कहा तो उसने मुझे आँख मारी और पलट कर फ्रिड्ज से कुच्छ खाने को निकालने लगी.
मैं सोफे पर आकर बैठ गया और टीवी देखने लगा. उस लड़की ने एक बार मेरी तरफ देखा. मैं जवाब में मुस्कुराया पर वो अजीब नज़रों से मुझे देखती वहाँ से उठी और एक कमरे के अंदर चली गयी. “यू वाना ईट हियर ओर यू वाना गो टू दा बेडरूम?” रचना ने मुझसे पुछा तो मैने इशारे से कहा के बेडरूम में चलते हैं हाथ में खाने की प्लेट्स उठाए हम उसके बेडरूम तक पहुँचे.
“घर तो बहुत मस्त है” मैने खाने की प्लेट्स टेबल पर रखते हुए कहा “और काफ़ी सस्ते में मिला है डॅड कह रहे थे. ही सेड इट वाज़ आ प्रेटी गुड डील” रचना झुकी हुई खाना टेबल पर लगा रही थी.
उसने उस वक़्त एक स्कर्ट और टॉप पहेन रखा था. स्कर्ट घुटनो तक था और आगे को झुकी होने के कारण टॉप खींच कर उपेर हो गया था.
“आइ थिंक प्रेटी गुड डील तो ये है जो मुझे मिली है” मैने आगे बढ़कर उसकी कमर को पकड़ते हुए अपना खड़ा लंड उसकी गांद पर टीका दिया.
“औचह” वो फ़ौरन ऐसे खड़ी हुई जैसे बिच्छू ने डॅंक मार दिया हो “क्या करते हो?”
“तुम्हें प्यार” मैने फ़ौरन उसको अपनी तरफ घुमाया और होंठ उसके होंठों पर रख दिए.
“खाना तो खा लो” वो किस के बीच में बोली
“पूरी रात पड़ी है”
“ठंडा हो जाएगा”
“गरम कर लेंगे. खाने के साथ साथ ज़रा हम दोनो भी ठंडे हो लें”
वो अच्छी तरह जानती थी के फिलहाल मुझसे बहस करने का कोई फायडा नही था इसलिए बिना आगे कुच्छ बोले मेरा साथ देने लगी.
हम दोनो उसके बेड के पास खड़े हुए थे. वो अपने पंजो पर खड़ी मेरे होंठों को चूस रही थी और मेरे हाथ उसके टॉप के अंदर उसकी नंगी कमर को सहला रहे थे.
“क्या इरादा है?” अपने पेट पर कपड़ो के उपेर से ही मेरे खड़े लंड को महसूस करते हुए वो बोली
“तुम्हें चोदने का” मैं आँख मारते हुए कहा और आगे को झुक कर उसके गले को चूमने लगा. मेरे हाथ अब उसकी कमर से नीचे सरक कर उसकी गांद तक पहुँचे.
“ओह लव” उसने मुझसे लिपट-ते हुए एक ठंडी आह भरी. मैने धीरे धीरे उसके स्कर्ट को उपेर की ओर उठाना शुरू कर दिया.
“वेट. उतार ही दो” वो बोली
हम दोनो एक पल के लिए अलग हुए और वो मुस्कुराती हुई बेड पर चढ़ कर खड़ी हो गयी.
“लेट्स स्ट्रीप टुगेदर”
उसने कहा तो हम दोनो ने एक दूसरे के देखते हुए एक साथ कपड़े उतारने शुरू कर दिए. उसने टी-शर्ट और स्कर्ट के नीचे कुच्छ भी नही पहना हुआ था. अगले ही पल वो नंगी हो चुकी थी.
“नो अंडरगार्मेंट्स?” मैने मुस्कुराते हुए पुच्छा और पूरी तरह नंगा होकर बिस्तर पर चढ़ गया
“पता था के तुम आओगे तो वैसे ही उतारने पड़ेंगे तो सोचा के पेहेन्के फायडा ही क्या”
वो बिस्तर पर अपनी पीठ पर लेट गयी और दोनो टांगे खोल दी. मैं इशारा समझ गया. पेट पर उल्टा लेट कर मैने उसकी टाँगो को अपने कंधो पर रखा. उसकी चूत किसी फूल की तरह खुल चुकी थी और रस टपका रही थी.
“यू आर सोकिंग वेट” मैने कहा और आगे बढ़कर अपने होंठ उसकी जीभ पर टीका दिए.
“लिक्क मी” उसने ऊँची आवाज़ में सरगोशी की और टाँग उपेर हवा में उठा दी.
जैसे जैसे मेरी जीभ उसकी चूत की गहराइयों में उतरती रही, वैसे वैसे उसकी मेरे बालों पर पकड़ और मज़बूत होती रही. नीचे से वो कभी बिस्तर पर अपनी गांद को कभी रगड़ने लगती तो कभी एडीयन नीचे रख कर अपनी चूत मेरे मुँह पर दबाने लगती.
“सक मी … लिक्क इट …. जीभ घुसाओ अंदर …. अंगुली डालो”
जब वो इस तरह से बोलने लगती तो मैं समझ जाता था के वो गरम हो गयी थी.
“लंड चाहिए?” मैने चूत से मुँह हटा कर पुच्छा
“हां”
“चूत में या पहले मुँह में लोगि?”
“फक मी फर्स्ट …. आइ विल सक यू लेटर. पूरी रात पड़ी है” वो बेसब्री होते हुए बोली और मुझे अपने उपेर खींचने लगी.
“कम ऑन … हरी अप … फक मी फास्ट”
मैं पूरा उसके उपेर आ गया तो उसने खुद ही हाथ हम दोनो के बीच ले जाकर मेरा लंड पकड़ा और अपनी चूत के मुँह पर लगा दिया.
“घुसाओ अंदर”
मैने हल्का सा धक्का मारा और लंड उसकी गीली चूत में ऐसे गया जैसे मक्खन में गरम च्छुरी.
“ओह गॉश ….. ” मैने धक्के मारने शुरू किए तो उसने फिर सरगोशी की “यू अरे फक्किंग मी सो वेल … सो डीप …. पूरा घुसाओ ना अंदर जान ….”
“मज़ा आ रहा है?” मैने उसकी आँखों में देखते हुए पुच्छा
“बहुत ….. यू आर फक्किंग माइ चूत सो वेल बेबी ….”
उसकी दोनो टांगे मेरी कमर पर लिपटी हुई थी और मेरे हर धक्के के साथ उसकी बड़ी बड़ी चूचियाँ ऐसे हिल रही थी जैसे अंदर पानी भरा हो. मैने आगे झुक कर उसका एक निपल अपने मुँह में लिया.
“सक देम माइ लव … सक देम”
मैं बारी बारी उसकी दोनो चूचियाँ चूस्ता हुआ उसकी चूत पर धक्के मारता रहा. कमरा वासना के एक तूफान से भर गया था और रचना की चीखने चिल्लाने की आवाज़ से गूँज रहा था. वो ऐसी थी थी, जब एग्ज़ाइटेड होती तो ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगती थी.
“यू वाना चेंज पोज़?” मैने पुछा
“न्प … डोंट टेक इट आउट. कीप फक्किंग. लंड अंदर ही रखो प्लस्ससस्स” वो फ़ौरन बोली
अब मेरे हर धक्के के साथ वो अपनी गांद बिस्तर पर पटक रही थी और कोशिश कर रही थी के मेरा लंड जितना अंदर हो सके ले ले. एक बार फिर उसे चोद्ते हुए मैं झुका और उसके सूजे हुए निपल्स को चूसने लगा, अपनी जीभ से उसकी चूचियों को चाटने लगा.
“दाँत से काटो” उसने खुद कहा तो मैने एक निपल पर अपने दाँत गड़ाए.
“आ … इतनी ज़ोर से नही … धीरे”
मेरे हाथ उसके पुर जिस्म पर घूमते हुए नीचे उसकी गांद पर आ टीके. मैने अपने दोनो हाथों से नीचे उसके कूल्हों को पड़का और उपेर की ओर उठाया ताकि लंड और अंदर तक घुसा सकूँ. जवाब में उसने भी अपनी टाँगें मेरी कमर से उपेर सरका कर मेरे कंधो पर रख दी और चूत और ज़्यादा हवा में उठा दी.
“चोदो मुझे” वो वासना से पागल होती जैसे रोने ही वाली थी “ज़ोर से चोदो ना …. आइ आम अबौट टू कम”
मैने धक्को की तेज़ी और बढ़ा दी.
“लेट मी राइड युवर कॉक” कुच्छ देर बाद वो हान्फ्ते हुए बोली तो मैं उसके उपेर से हटकर नीचे आकर लेट गया. वो एक पल के लिए अपनी साँस संभालती हुई उठ कर बैठ गयी और फिर अपनी टाँगें मेरे दोनो तरफ रख कर बैठ गयी.
“इट्स ड्राइ … घुसेगा नही” मैने कहा तो वो रुकी और नीचे झुक कर लंड थोड़ा सा अपने मुँह में लिया, जीभ रगड़ कर थूक से गीला किया और फिर सीधी होकर अपनी चूत पर लगाया.
“आआहह” लंड पकड़े वो नीचे को बैठी तो इस बार मेरे मुँह से भी आह छूट पड़ी. अपने दोनो हाथ मेरी छाती पर रख कर वो अपनी गांद उपेर नीचे हिलाने लगी. उसके शरीर के साथ उसकी चूचियाँ ऐसे हिल रही थी जैसे पपीते के पेड़ पर लटके दो पपीते हवा के झोंके से हिल रहे हों.
“आइ डोंट थिंक आइ कॅन होल्ड एनी लॉंगर” मैने कहा और उसके दोनो चूचियों को अपने हाथ में जाकड़ लिया.
“थ्ट्स ओके … मेरा भी होने वाला है” वो अपने गांद तेज़ी से हिलाते हुए बोली
“जब मैं कहूँ तो उठ जाना. निकलने वाला होगा तो बता दूँगा”
“नही … चूत में ही निकालो … मुझे वो एक पिल ला देना …..” उसने कहा और अपनी कमर को और तेज़ी से हिलाने लगी.
“खाना ठंडा हो गया” जब वासना का तूफान उठा तो मैने खाने की तरफ देखता हुआ बोला
“हां हमारे साथ साथ खाने को भी ठंडा होना ही था” वो हँसते हुए बोली “रूको मैं गरम करके लाती हूँ”
“नही” मैने उसका माथा चूमा और उठकर बैठ गया “आप आराम कीजिए. गुलाम है ना सेवा करने के लिए”
मैं खाने की प्लेट्स उठाए नीचे किचन में आया तो वो काम करने वाली लड़की अब भी वहीं बैठी टीवी देख रही थी और तब मुझे ध्यान आया के किस तरह मैं और रचना दोनो ही पूरी तरह उसको भूल चुके थे.
जितनी ज़ोर ज़ोर से रचना थोड़ी देर पहले शोर मचा रही थी, मुझे पूरा यकीन था के उसने नीचे सुना ज़रूर होगा. उपेर से मेरी हालत ऐसी थी के कोई एक नज़र देख कर बता दे के मैं उपेर क्या करके आ रहा हूँ.
जब उसने नज़र भरके मुझे देखा तो जाने क्यूँ पर मैं शर्मिंदा हो गया. वो उमर में कोई 14-15 साल की थी इसलिए मैं अंदाज़ा नही लगा पाया के वो सेक्स के बारे में जानती है के नही. क्या उसे समझ आया के उपेर क्या हो रहा था या नही. मेरी नज़र उससे मिली तो मैं खिसिया कर मुस्कुराया. जवाब में वो मुझे वैसे ही घूर कर देखती रही और फिर उठ कर कमरे में चली गयी.
“शिट मॅन ” मैने अपने आप से कहा और खाना गरम करने लगा. कुच्छ देर बाद ही वो अपने हाथ में एक पिल्लो और चादर उठाए आई और बेसमेंट का दरवाज़ा खोल कर सीढ़ियाँ उतर कर नीचे चली गयी.
“चलो अच्छा है के ये नीचे बेसमेंट में रहती है. अट लीस्ट रात भर हमारी आवाज़ें तो नही सुनेगी” मैने दिल ही दिल में सोचा और खाना गरम करके फिर रचना के रूम में पहुँचा.
“वी वर टू लाउड यार” मैने उसे कहा
“आइ नो … बहुत चिल्लाने लगती हूँ ना मैं?” वो भी शर्मिंदा सी होती मेरी तरफ देखने लगी
मैं उसे बताने ही वाला था के नीचे वो लड़की सब सुन रही थी के मुझसे पहले रचना बोल पड़ी.
“यू डिड्न्ट गेट दा सपून्स?”
तब मैने देखा के मैं सपून्स नीचे ही छ्चोड़ आया था.
“होल्ड ऑन. मैं ले आती हूँ. हाथ भी धोने हैं मुझे” कहकर वो बिस्तर से उठी और नीचे चली गयी.
मैं बैठा उसका इंतेज़ार ही कर रहा था के कोई 10 मिनिट बाद एक बर्तन गिरने और फिर रचना के चिल्लाने की आवाज़ आई. मैं फ़ौरन बिस्तर से उतरा और नीचे की तरफ भगा.
“यू ओके बेबी?” कहता हुआ मैं नीचे आया और ड्रॉयिंग रूम में जो देखा, वो देख कर मेरी साँस उपेर की उपेर और नीचे की नीचे रह गयी.
रचना नीचे ज़मीन पर उल्टी पड़ी थी और वो काम करने वाली लड़की उसकी कमर पर चढ़ि बैठी थी. एक हाथ से उसने रचना के बाल पकड़ रखे थे और दूसरे हाथ से एक चाकू उसकी गर्दन पर चला रही थी, जैसे कोई बकरा हलाल कर रही हो.
मेरे मुँह से चीख निकल गयी.
मेरे चिल्लाने की आवाज़ सुनकर वो मेरी तरफ पलटी और अपने हाथ को एक झटका दिया. अगले ही पल रचना की गर्दन कट कर धड़ से अलग हो उसके हाथ में आ गयी.
मेरे मुँह से फिर चीख निकल गयी.
“ही ही ही ही !!” इस बार मेरी चीख के जवाब में वो हस्ती हुई कटा हुआ सर लिए फिर बेसमेंट का दरवाज़ा खोल कर नीचे भाग गयी.
मैं कुच्छ देर वहाँ खड़ा रचना की सर कटी लाश देखता रहा. तभी बेसमेंट का दरवाज़ा फिर खुला और वो फिर चाकू लिए बाहर निकली. इस बार मैने भाग कर अपने आपको बाथरूम में बंद कर लिया और तब तक वहीं रहा जब तक के पोलीस वालो ने दरवाज़ा तोड़ नही दिया.
“क्या हुआ? वॉट हॅपंड हियर?” कुच्छ देर बाद एक पोलिसेवला मेरी आँखों में टॉर्च मारता हुआ चिल्ला कर मुझसे पुच्छ रहा था. मेरे सामने ही रचना के मोम डॅड बैठे रो रहे थे और मुझे देख रहे थे.
“यौर मैड किल्ड हर. उस लड़की ने मार डाला उसे”
वो दोनो हैरत से मेरी तरफ देखने लगे.
“व्हाट मैड? हमने इस घर में फिलहाल कोई मैड रखी ही नही है. ढूँढ रहे हैं अब तक” उसके बाप का जवाब आया
“क्या बकते हो?” मैं लगभग चिल्ला पड़ा “तो वो कौन है जो नीचे बेसमेंट में रहती है?”
इस बार रचना के मोम डॅड के साथ पोलिसेवाले भी मुझे हैरत से देखने लगे.
“कौन सा बेसमेंट?” एक पोलिसेवला बोला “इस घर में तो कोई बेसमेंट है ही नही”
दोस्तो कहानी कैसी लगी ज़रूर बताना फिर मिलेंगे एक और नई कहानी के साथ तब तक के लिए विदा आपका दोस्त राज शर्मा समाप्त