घर के मर्दों ने की गंगबांग चुदाई

नमस्ते दोस्तों! चुदाई स्टोरी का अगला पार्ट हाज़िर है. तो मैं लाल सारी पहन कर नीचे उतरी. ब्लाउस की जगह रेड ब्रा पहनी हुई थी मैने. वहाँ उस दिन 6 लोग थे. पापा, बड़े चाचा और उनका बड़ा बेटा रोहित भैया, छ्होटे चाचा, पापा के 2 दोस्त रवि अंकल और राज अंकल. सारे मर्द मुझे ऐसे देख रहे थे की मेरी छूट आज फाड़ ही देंगे. सब के चेहरे देख कर मुझे दर्र तो लग रहा था, मगर अंदर की रंडी चूड़ने को भी बेकरार थी.

मेरे नीचे उतरते ही रोहित भैया ने मुझे सीधा गले से पकड़ा, और मेरे गले को दबाने लगे. इतने दीनो की हार्डकोर चुदाई के बार इतना तो मैं से ही लेती थी. मेरा फेस लाल हो गया, मगर मैने आवाज़ नही निकली. फिर भैया मुझे किस करने लगे. भैया की ज़ुबान मेरे गले तक जेया रही थी. मैं भी भैया का साथ देने लगी, और उन्हे चूमने लगी.

तभी पापा के दोनो दोस्त रवि और राज अंकल मेरे बगल में आके, मेरे हाथ उठा कर, मेरी आर्म्पाइट चाटने लगे. उन्हे देख कर बाकी तीनो हासणे लगे. मगर उन्होने कहा कुछ फराक पर रहा था. पहले तो मुझे भी गुदगुदी सी हुई, मगर फिर मज़ा आने लगा. मैं और गीली होते जेया रही थी.

भैया जैसे ही हटते, उनकी जगह बड़े चाचा ने ले ली. पापा सब बैठे-बैठे देख रहे थे, और शराब पी रहे थे. बड़े चाचा ने मेरे दोनो बूब्स को ब्रा से बाहर निकाला.

बड़े चाचा: तेरी चुचिया कितनी बड़ी-बड़ी हो गयी है. अब तो पक्की रंडी लगती है.

चाचा मेरे पीछे आ गये, और मेरे बूब्स को जगल करके सब को दिखाने लगे. मैने शरम से सिर नीचे झुका लिया. सब मेरे बूब्स देख कर हस्स रहे थे. फिर छ्होटे चाचा आए, और उन्होने मेरी सारी घुटनो तक उठाई. उसके बाद वो मेरी छूट में उंगली करने लगे. उन्हे तुरंत ही पता चल गया की मैं कितनी गीली थी.

छ्होटे चाचा ने तुरंत ही अपना सिर मेरी सारी में घुसाया, और मेरी छूट चाटने लगे. उनके चाटना शुरू करते ही मैं खुद को रोक नही पाई, और मोन करने लगी. छ्होटे चाचा ने अपनी दो उंगलियाँ मेरी छूट में डाल दी, और मेरे छूट से निकला सारा पानी छ्होटे चाचा पी जेया रहे थे. मैं वहीं फ्लोर पर गिर गयी. मेरे पावं थरथरा रहे थे. मैं ज़ोर-ज़ोर सई मोन किए जेया रही थी. मुझे चूसने को कोई लंड चाहिए था.

मे: आअहह, कोई अपना लंड मेरे मूह में डालो. आहह, ये मोनिंग ऐसे बंद नही होगी. ह अहह.

पापा (हेस्ट हुए): पूरी रंडी हो चुकी है तू. ले मेरा लंड अपने मूह में ले, और प्यास बुझा अपनी.

पापा का लंड मैं ऐसे चूसने लगी मानो आइस क्रीम चूस रही थी. पापा भी अपना लंड मेरे गले तक डाल दे रहे थे. मगर मुझे कुछ फराक नही पद रहा था. मैं सही में पूरी रंडी हो गयी थी. चोक होने पर भी लंड बाहर नही निकाल रही थी.

तभी मेरे दोनो हाथो में किसी ने अपना-अपना लंड रख दिया, और मैं बिना जाने उनका लंड हिलने लगी. पापा मेरे बालों को खींच कर लंड और अंदर तक कर रहे थे. बीच-बीच में मेरे मूह पर थूक कर थप्पड़ मार-मार कर मेरा फेस पूरा लाल कर दिया था.

फिर छ्होटे चाचा ने मेरी छूट चाटनी बंद की, और अपनी पंत उतरी, और अपने लंड पे थूक लगा कर लंड सीधा मेरी छूट में डाल दिया. मैं बड़ी ज़ोर से चीखी. तभी पापा ने मेरे मूह को बंद किया, और दो ज़ोरदार थप्पड़ लगाए. मेरा फेस पूरा लाल हो चुका था. मुझे साँस लेने तक में दिक्कत हो रही थी. मगर कोई रुकने का नाम ही नही ले रहा था.

थोड़ी देर ऐसे ही चूड़ने के बाद सब मुझपे से हटते, और मुझे खड़ा किया. मैं ऑलमोस्ट बेहोश होने ही वाली थी. तभी बड़े चाचा ने मुझे एक पेग नीत रूम पीला दी. फिर अचानक से मैं होश में आई.

फिर बड़े चाचा ने मेरी ब्रा की एलास्टिक खींच कर छ्चोढी, और वो मेरी पीठ पर ज़ोर से आ कर लगी. मेरी सिसकी निकली, तो पापा ने फिर थप्पड़ मारा.

पापा: बिल्कुल आवाज़ नही निकलनी चाहिए.

चाचा ने फिर से एलास्टिक खींच कर छ्चोढा, मगर इस बार मैं से गयी. मगर मेरी स्किन पर उसका दाग रह गया. चाचा ने मेरी ब्रा का हुक तोड़ दिया, और भैया ने मेरी ब्रा उतार कर फेंक दी. मैं ऑलरेडी तक चुकी थी, मगर मर्दों में कोई अभी तक झाड़ा भी नही था. मैं सिर्फ़ सारी मैं ताकि खड़ी थी. मैने सोचा सारी भी उतार देती हू, मगर सब ने माना कर दिया.

एवेरिवन: आज तुझे सारी में ही छोड़ेंगे.

फिर बड़े भैया आए और मुझे सोफे पर झुका दिया, और मेरी सारी उठाई. भैया ने अपने लंड पे थूक लगाया और लंड सीधा मेरी गांद में डाल दिया.

मे (सिसकी लेते हुए): आअहह ह भैया, शुरू में आराम से आहह.

भैया: चुप साली. नाटक मत कर.

उन्होने फिर मेरे बालों को खींचा, और घोड़ी की तरह मेरी गांद छोड़ते रहे. फिर बड़े चाचा आए, और अपना लंड मेरी छूट में डाल दिए. हम तीनो सोफे पे लेट गये. नीचे चाचा, बीच में मैं, और उपर भैया. बाप और बेटे दोनो का लंड एक साथ मेरे अंदर था.

रवि अंकल आ कर मेरे मूह को छोड़ने लगे, और राज अंकल और रोहित भैया दोनो का लंड मैं हिला रही थी. मेरी बॉडी का हर च्छेद इस्तेमाल में था. पापा खड़े देख रहे थे. उन्होने फिर अपना लंड रवि अंकल के साथ ही मेरे मूह में डाल दिया. मेरा मूह लग रहा था फटत जाएगा. 6 लोग एक साथ मुझे छोड़ रहे थे.

फिर हमने पोज़िशन बदली. अब रवि अंकल नीचे थे, और उन्होने लंड मेरी गांद में डाला. राज अंकल ने मेरी छूट में लंड डाला. दोनो चाचा का लंड मेरे हाथो में था, और मैं पापा का लंड चूज़ रही थी. भैया ने जगह बना कर अपना लंड मेरी छूट में ही डाल दिया. मेरी छूट में दो लंड और गांद में एक लंड था.

मे: आअहह, भैया मैं नही से पौँगी. प्लीज़ निकालो, आहह.

मैं सेंटेन्स कंप्लीट ही करती की पापा ने लंड और अंदर तक डाल दिया, ताकि मेरी आवाज़ ना निकले. मैने उन्हे रोकने की कोशिश की मगर कोई कहाँ ही रुकने वाला था. सब ने बारी-बारी से ऐसे ही चुदाई की. जिसको जहाँ जगह मिलती, डाल देता.

मैं थोड़ी देर बाद सुन्न सी हो चुकी थी. शायद शराब का हल्का नशा था. एक वक़्त में तो मेरी गांद में दो लंड थे. बहुत देर तक ऐसे ही चुदाई होने के बाद सब मुझपे से हॅट गये, और फिर सब बारी-बारी से मुझे छोड़ने आए.

पहले रवि अंकल आए, और मैने उनके लंड पे कॉवगिरल किया. मैने इस पार्ट में बहुत एंजाय किया. फिर राज अंकल आए. उन्होने डॉगी स्टाइल में मेरी गांद छोड़ी. गांद में दो लंड लेने के बाद एक लंड तो आराम से जेया रहा था. फिर रोहित अंकल आए. उन्होने मिशनरी में थोड़ी देर मेरी चुदाई की, और पुर वक़्त मेरी बॉडी पे स्पॅंक करते रहे. कभी फेस पे तो कभी बूब्स पे. फिर छ्होटे चाचा आए. उन्होने मेरा फेस मेरी ही सारी से कवर कर दिया, और अपनी बीवी का नाम लेकर मुझे छोड़ने लगे.

फिर पापा आए और उन्होने खड़े-खड़े मेरी गांद मारी, और सब की तरफ फेस करवा कर बोले-

पापा: ये देखो मेरी रंडी बेटी. तुममे से जिसको चाहे जब चाहे लेकर जाओ. इसको दूसरे मर्दों के लंड पर उछालने में बहुत मज़ा आता है.

ये सुन के मुझे बहुत बुरा लगा. मैं अंदर ही अंदर पापा से प्यार कर बैठी थी, और उनके मूह से ये बात सुन के मुझे बहुत बुरा लगा. फिर आख़िर में बड़े चाचा आए. उन्होने पहले तो मेरी बूब्स को मसला और चूसा. मेरी गांद को दबाया. गांद में दो लंड लेने के कारण मेरी गांद सूज सी चुकी थी.

फिर उन्होने अपनी चड्डी मेरी मूह में तूस दी. उनकी चड्डी बहुत बदबूदार थी. फिर उन्होने मुझे दीवार पर चिपका दिया, और मेरी गांद पीछे करके मेरी गांद छोड़ने लगे. मैं बुरी तरह टूट चुकी थी. बॉडी का हेर पार्ट दर्द से चुड-चुड हो रहा था. मुझमे माना करने तक की हिम्मत नही थी.

थोड़ी देर बाद सबसे मुझे घुटनो के बाल बिता दिया, और मुझे घेर लिया. मैं सब का लंड बारी-बारी से चूसने लगी, और सब के सब ने मुझपे अपना माल गिरा दिया. मैं पूरी तरह से स्पर्म से गीली हो चुकी थी.

बड़े भैया: चल अब सॉफ कर सब के लंड को, और खुद को भी.

मैं अपने सरीर के सारे स्पर्म को इकट्ठा करके पी गये. उन सब के लंड पे बचा-कूचा माल भी मैने सॉफ किया. यहाँ तक की फ्लोर पे गिरे हर कतरे को मैने ज़ुबान से चाट कर सॉफ किया. मैं उन्हे शिकायत का एक मौका नही देना चाहती थी. इतने में घड़ी की घंटी बाजी, और 12 बाज चुके थे.

तो ऐसे बिताया मैने अपना बर्तडे, 6 लोगों से चुदाई करवा कर. खुद के परिवार के लोगों से चुड कर. मगर इतना सब होने के बाद भी किसी बात की खुशी तो थी मुझे. शायद मेरे अंदर की रखैल की.

तो दोस्तों कैसी लगी आपको मेरे गंगबांग की कहानी. अगर स्टोरी अची लगी हो तो कॉमेंट्स में ज़रूर बताए. मैं सब का जवाब देती हू.

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