गांव की देसी भाभी की चुत चुदाई

मैं खिड़की से उसे देखता रहा। वो कभी बाहर आती.. कभी अन्दर जाती। फिर वो ऊपर से अपना काम करके नीचे चली गई। मैं बेड पर लेट गया।

थोड़ी देर बाद आवाज आती हुई लगी कि कोई मेरी बुआ को आवाज लगा रहा है।
मैं उठा.. तो देखा वही भाभी आवाज लगा रही थी, मैं बोला- भाभी मेरी बुआ रोहतक ग़ई हैं.. दोपहर को आएंगी।
तो भाभी बोली- थोड़ी लस्सी मिल जाहगी के?
मैं बोला- भाभी.. अन्दर रखी होगी.. ऊपर आके देख लो।

भाभी ऊपर आने लगी, मेरा लंड खड़ा होने लगा और दिल की धड़कन बढ़ने लगी।
भाभी ऊपर आ गई और रसोई में चली गई। उसके पीछे मैं भी रसोई के अन्दर चला गया।

भाभी को इतने करीब पा कर मेरे शरीर में कंपकपी बढ़ गई।
भाभी बोली- घर में कोई नहीं है क्या?
मैं बोला- नहीं भाभी, सब बाहर गए हैं।

मेरा मन करने लगा.. जो होगा देखा जाएगा, आज तो पकड़ ही ले इसे।

भाभी लस्सी लेकर जाने लगी, जैसे ही वो मुड़ी.. मैंने भाभी के चूतड़ दबा दिए और कहा- भाभी आज त दे ही दे न!
भाभी कुछ नहीं बोली और जाने लगी, तो मैंने पीछे से पकड़ लिया और भाभी के गालों को चूमने लगा।

भाभी ने कहा- पागल है के.. छोड़ दे मन्ने!
भाभी छुड़ाने की कोशिश करने लगी।

मैं बोला- भाभी आज दे दे.. ना त मर जाऊंगा।
मैं पीछे से पकड़े-पकड़े ही उनकी चूचियां दबाने लगा।
भाभी कुछ नहीं बोली।

फिर मैंने पैंट की च़ैन खोल कर लंड निकाल कर भाभी के कपड़ों के ऊपर से ही चूतड़ों पर लगाकर हिलाते हुए चूचियां दबाने लगा।
भाभी मस्त होने लगी, भाभी बोली- तू ना मानेगा.. देख तैन्ने दु सु किसी त ना बताइए।
‘ठीक है भाभी..’

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फिर भाभी मेरी तरफ घूम गई और मेरे गले लग गई। अब मैं भाभी के होंठ चूमने लगा, भाभी साथ देने लगी।
थोड़ी देर बाद भाभी बोली- मेरी सास दुकान पर बेसन लेने गई है.. आने वाली है, अब मैं जाती हूँ।
मैं बोला- भाभी एक बार करने दे.. फेर चली जाना।
भाभी नानुकर करती हुई मान गई।

मैंने भाभी को रसोई में घुसने को कहा.. भाभी रसोई में आ गई, मैंने भाभी की सलवार का नाड़ा खोल दिया। नाड़ा खोलते ही सलवार भाभी के पैरों में आ गई। मैंने भाभी को झुकने को कहा, तो भाभी रसोई के जंगले को पकड़ कर झुक गई।

मैंने देखा कि भाभी की चुत बालों से भरी पड़ी है, मैंने बस 20-30 सेकन्ड चुत चाटी।
भाभी फिर बोली- तावला (जल्दी) कर ले.. ना त मेरी सास आ जावगी।

मैं भी देर ना करते हुए लंड को भाभी की चुत में डालने लगा लेकिन लंड फिसल रहा था।
तो भाभी ने लंड को पकड़ कर चुत पर लगाया और बोली- इब बाड़..

मैंने धीरे से झटका लगाया तो लंड का टोपा चुत में घुस गया। भाभी़ की ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ निकल गई। मैं धीरे-धीरे धक्का लगाने लगा, भाभी की साँसें तेज चल रही थीं।

धीरे-धीरे मैंने स्पीड बढ़ा दी, भाभी मस्ती से आंख बन्द किए लंड का मजा ले रही थीं।
2-3 मिनट बाद भाभी बोली- आआहहह.. तेज कर और तेज कर..
तभी भाभी की चुत ने मेरा लंड जकड़ लिया.. भाभी एकदम से झड़ गई।

भाभी बोली- तावला कर ले.. ना त हाथ त पानी काढ़ दूँ तेरा?
मैं बोला- बस हो गया भाभी।
मैंने 5-7 धक्कों के बाद चुत में ही पूरा पानी छोड़ दिया।

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फिर मैंने चुत से लंड निकाल दिया। भाभी खड़ी होकर सलवार बांध कर रसोई से बाहर आ गई और बोली- टाइम लागते ही बुला लूँगी।
भाभी हँसते हुए चली गई।

फिर उसके बाद मैंने भाभी को उनके घर चोदा.. भूसे के कमरे में चोदा।
भाभी गर्भवती भी हो गई थी।

दोस्तो, देसी भाभी की चुदाई की एकदम सच्ची कहानी थी।

एक और बात कहना चाहता हूँ कि कोई कॉलबाय एजेन्सी नहीं है.. किसी की बातों में आकर रुपये बर्बाद मत करना।
कैसी लगी देसी चुत की मेरी कहानी.. बताना जरूर!

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