अपने फूफा के सामने कपड़े बदलते हुए चुदी लड़की

नेक्स्ट सुबह सवेरे मॉर्निंग में सब डाइनिंग टेबल पर बैठे थे. मैं फूफा जी के लिए नाश्ता लेकर आई तो फूफा जी मुझसे नज़र नही मिला रहे थे. और बात करते वक़्त उन्होने अपना सिर नीचे झुका दिया. उनको गिल्टी फील हो रहा था, शायद जो रात को उन्होने मेरे साथ किया उसकी वजह से.

लेकिन मैने तो उस बात को इग्नोर कर दिया था. क्यूंकी मुझे पता था, की फूफा जी ने जो किया मेरे साथ वो मुझे बुआ समझ कर किया था. इसलिए मैं उस बात को भूल गयी थी, और मैं उनसे नॉर्मली बात कर रही थी. पर वो झिझक रहे थे मुझसे बात करने में.

फूफा जी: पियू देखो कल रात जो भी हुआ, उसके लिए मैं शर्मिंदा हू. मुझे नही मालूम था की वो तुम हो तुम्हारी बुआ नही. इसलिए मुझसे ग़लती से हुआ. मुझे माफ़ कर दो प्लीज़.

पियू: फूफा जी आप ये क्या बोल रहे हो? कल रात क्या हुआ, मुझे तो कुछ मालूम नही, और आप इस तरह मुझसे माफी क्यूँ माँग रहे हो?

फूफा जी: तो क्या तुम्हे कुछ पता नही कल रात क्या हुआ है?

पियू: नही फूफा जी, मुझे तो कुछ मालूम नही कल रात क्या हुआ है.

फूफा जी (दिल ही दिल में): वाउ यार, इसे तो कुछ मालूम नही है की कल रात मैने इसे छोड़ा है. इसका मतलब किसी भी लड़की को नींद में छोड़ने से उसे नही मालूम पड़ता है की उसके साथ क्या हो रहा है.

फूफा जी: ये तो बहुत अची बात है. कुछ नही ऐसे ही, छ्चोड़ो जाने दो.

पियू: ओके फूफा जी.

और फिर वो अपने काम के लिए घर से निकल गये और राजू भी चला गया. फिर मैं और बुआ अपने काम में लग गयी.

फिर जब मैं अकेली थी, तो मुझे बस रात का ही सीन दिमाग़ में चल रहा था की कैसे फूफा जी रात मेरी छूट पर अपना लंड रग़ाद रहे थे. बस यही सोच-सोच कर मेरी छूट गीली हो रही थी. मेरे बूब्स के निपल भी बहुत कड़क हो गये थे ये सब सोच का.

मेरे ना चाहते हुए भी मेरा हाथ अपनी छूट पर चला गया, और मैं अपनी छूट को मसालने लगी. मुझसे कंट्रोल नही हुआ, और मैं अपने कपड़े उतार कर अपनी छूट में उंगली करने लगी. मैं अपनी छूट में उंगली कर रही थी, पर मुझे ऐसा लग रहा था की फूफा जी मेरी छूट को छोड़ रहे थे.

फिर हमेशा की तरह मैने 5 से 7 मिनिट तक अपनी छूट में उंगली की, और फिर मैं शांत हो गयी. नेक्स्ट दोपहर लंच के टाइम लंच मैने बनाया था. मैं और बुआ साथ में बैठी थी, और फिर फूफा जी आए.

बुआ: क्या बात है, आज जल्दी से आ गये? और आपके हाथ में ये क्या है?

फूफा जी: पियू के लिए मैं कुछ कपड़े लेकर आया हू.

बुआ: हा आपने ये बहुत अछा किया पियू के लिए कपड़े ला कर. चलो अब तुम भी हाथ मूह धो लो, लंच रेडी है.

मैं कपड़े देख कर बहुत खुश हुई थी. वैसे भी मेरे पास कपड़े नही थे, सिर्फ़ दो जोड़ी थे. फिर बुआ उठ कर चली गयी और मुझसे कहा-

बुआ: फूफा जी को खाना दे दो.

फूफा जी भी हाथ धो कर बैठ गये, और मैने उनके लिए खाना लगाया.

फूफा जी: वाउ, क्या खाना है. बहुत टेस्टी है. मैं पहली बार इतना टेस्टी खाना खा रहा हू. तुम्हारी बुआ कभी इतना अछा टेस्टी खाना नही बनती है.

फूफा जी खाना खाते-खाते मेरी बहुत तारीफ कर रहे थे. बोलते टाइम उनकी नज़र सीधी मेरे बूब्स पर ही अटक रही थी, और वो मेरे आयेज-पीछे हाथ मार रहे थे. लेकिन मैं सब इग्नोर कर रही थी. फिर लास्ट में जब मैने फूफा जी को पानी दिया तो फूफा जी ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपनी और खींच लिया.

पियू: अर्रे फूफा जी, ये आप क्या कर रहे है? छ्चोड़ो मुझे.

फूफा जी: क्यूँ क्या हुआ पियू. तुम ऐसे क्यूँ कर रही हो?

पियू: फूफा जी आज सुबह आपने जो पूछा कल रात के बारे में, और मैने आपको कुछ नही कहा, तो इसका मतलब ये तो नही की मैं आपसे पट्ट गयी हू.

फूफा जी: तुम सुबह बोल देती ना, तो मैं कुछ ऐसा और ज़्यादा सोचता ही नही तुम्हारे बारे में.

पियू: फूफा जी कल रात जो भी हुआ, वो ग़लती से हुआ, इसलिए मैने आपसे कुछ नही कहा. अब आप सब भूल जाओ, ओके?

फूफा जी: चलो ठीक है. पर मैं तुम्हारे लिए 4 ड्रेसस लेकर आया हू. वो तो पहन कर मुझे दिखा सकती हो ना?

पियू: आप मेरे लिए ड्रेस लेकर आए है, तो आपका बहुत-बहुत शुक्रिया. और कल से वही ड्रेस पहनूँगी, तो आप देख लेना उस टाइम.

फूफा जी: हा कल तो सब देखेंगे. लेकिन मैं अभी देखना चाहता हू. प्लीज़ तुम अभी यही मेरे सामने पहन कर दिखाओ. मुझे ना मत कहना वरना मेरा दिल टूट जाएगा.

पियू: मैं अभी आपके सामने ये ड्रेस पहन कर दिखौ? आपको शरम नही आती? आपका कहने का मतलब है, की मैं अभी आपके सामने पहने हुए कपड़े उतार कर आपकी दी हुई ड्रेस पहनु?

फूफा जी: हा, तो उसमे क्या बड़ी बात है? और हम दोनो के अलावा और कों है यहा? तुम्हारी बुआ तो बेडरूम में जेया कर सो गयी है. प्लीज़ पियू मुझे ना मत करो. मेरा बहुत दिल कर रहा है तुम्हे कपड़े बदलते हुए देखने के लिए. प्लीज़ इसलिए मैं तुम्हारे लिए ये चार ड्रेसस लेकर आया हू. ताकि तुम्हे कपड़े बदलते हुए देख साकु.

और फिर मैं लास्ट में तक गयी थी उन्हे ना बोल-बोल कर, पर वो मान ही नही रहे थे.

Fईर मैने कहा: ठीक है.

और फिर मैने उनके सामने अपने कपड़े उतारे. अब मैं उनके सामने ब्रा और पनटी में खड़ी थी, तो वो मुझे घूर-घूर कर देख रहे थे. फिर मैं जैसे ही ड्रेस को लेकर पहनने लगी, तभी फूफा जी ने मेरे हाथ से ड्रेस नीचे फेंकी, और मेरी ब्रा के उपर से मेरे बूब्स को ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगे.

मैने उनको रोका, पर वो नही रुके, और मेरे बूब्स दबाते-दबाते मेरे होंठो को चूमने लगे. फिर फूफा जी ने मेरी ब्रा का हुक निकाल दिया, और मेरी ब्रा नीचे गिर गयी. अब वो मेरे निपल अपने मूह में लेकर चूसने लगे, और दूसरा हाथ मेरी पनटी के अंदर मेरी छूट पर रगड़ने लगे.

मैं उनको रोकना चाहती थी, पर पता नही रोक क्यूँ नही रही थी. मुझे कुछ समझ में नही आ रहा था, क्यूंकी ना मैं उनको रुकने के लिए बोल रही थी, और ना मैं और करने के लिए. मैं ना इसलिए नही बोल रही थी, क्यूंकी मुझे मज़ा आ रहा था. हा इसलिए नही बोल रही थी, क्यूंकी मुझे शरम आ रही थी उनके सामने इस तरह नंगी हो कर अपने बूब्स चुसवाने में.

लेकिन फिर भी मैने शरम के मारे सिर्फ़ एक बार बोला: फूफा जी आप ऐसा मत करो. मैं आपके सेयेल की बेटी हू.

फूफा जी: वो बात अपनी जगह है पियू. अगर तुमको ये बुरा लग रहा है, तो कल रात जब मैं तुम्हारी छूट में अपना लंड डाल कर तुम्हे छोड़ रहा था, तभी तुमको मुझे रोकना चाहिए था. लेकिन तुमको मज़ा आ रहा था. इस चक्कर में तुमने मुझे नही रोका. और अभी भी तुम्हे मज़ा आ रहा है, इसलिए तुम कुछ नही बोल रही हो. बस हल्की-हल्की आवाज़ में अहह ह ह ह फूफा जी कर रही हो.

अब मैं उनको आयेज क्या बोलती? बस हल्की सी आवाज़ में आ आह आह कर रही थी. फिर उन्होने मेरी पनटी उतार दी. अब वो मेरी टाँगो के बीच में घुटनो के बाल बैठ कर मेरी छूट पर अपनी जीभ घुमा रहे थे. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, तो मैं अपने हाथ से उनका सर पकड़ कर अपनी छूट पर दबा रही थी.

इससे फूफा जी और एग्ज़ाइट हो गये और ज़ोर-ज़ोर से मेरी छूट को चाटने लगे. थोड़ी देर में फूफा जी ने मेरी छूट को चाट-चाट कर लाल कर दिया, और मेरी छूट अब अपना पानी छ्चोढने लगी थी. मैं अब बेचैन हो रही थी अपनी छूट में लंड लेने के लिए. फूफा जी ने मुझे इतना उत्तेजित और गरम कर दिया था, की अब मुझसे और इंतेज़ार नही हो रहा था. मैं कहने वाली थी की फूफा जी मुझे अब छोड़ो. तभी फूफा जी ने मुझसे कहा-

फूफा जी: पियू मुझे पता है तुम्हें छूट चटवाने में बहुत मज़ा आ रहा है. लेकिन फिर भी मैं तुमसे आखरी बार पूछता हू. क्या तुम मुझे रोकना चाहती हो?

लेकिन मैं चुप थी, और बस अपने मूह से आ आ श कर रही थी.

फूफा जी: पियू शरमाओ मत मुझसे, और सच बताओ की तुम मुझे रोकना चाहती हो या चूड़ना चाहती हो?

पियू: हा-हा फूफा जी, मैं चूड़ना चाहती हू. मुझे बहुत मज़ा आ रहा है अपनी छूट चटवाने में. आप ऐसे ही चाट-ते रहो.

फिर फूफा जी उठे, और अपने कपड़े उतार दिए. अब हम दोनो एक-दूसरे के सामने नंगे हो चुके थे. मेरी नज़र सीधी फूफा जी के लंड पर गयी. उनका लंड बहुत बड़ा लग रहा था, करीब 7 इंच का मोटा लंबा लंड था.

फूफा जी: पियू अब जल्दी आओ और मेरा लंड अपने मूह में लेकर चूसो. देर मत करो, कही तुम्हारी बुआ जाग कर यहा ना जाए.

पियू: फूफा जी जब बुआ से तुम्हारी इतनी ही गांद फट-ती है, तो क्यूँ उतावले हो जाते हो किसी लड़की की जवानी देख कर?

फूफा जी: क्यूँ तुमने ऐसा बोल कर सोया हुआ शेर को जगा दिया है? अब भले तेरी बुआ आ जाए, मुझे तेरी बुआ की परवाह नही है. बस मुझे आज तुझे छोड़ना है, और तुझे छोड़ूँगा.

पियू: अछा ये बात है तो फूफा जी मैं चाहती हू की आप मुझे आज अपनी बीवी समझ कर ही छोड़े ( मेरा कहने का मतलब था की आप अपनी बीवी को छोड़ रहे है ऐसा लगना चाहिए).

मैं ऐसा जान-बूझ कर बोल रही थी, क्यूंकी अब कोई रास्ता ही नही था, की फूफा जी मुझे छोड़े बिना छ्चोढने वाले थे. इसलिए मैने सोचा की बुआ बन कर ही छुड़वाना अछा रहेगा.

फूफा जी: तुम्हारी बुआ भी तुम्हारी तरह मेरे सामने नंगी हो जाती थी, और मैं उसके पुर जिस्म को चूमता था.

पियू: तो फूफा जी आज आप भी मेरे साथ ऐसे ही करो.

और फिर फूफा जी ने मुझे सीधी खड़ी कर दिया, और मेरे पावं से चूमना-चाटना स्टार्ट कर दिया. वो चूमते-चूमते मेरे बूब्स तक आ गये थे, मतलब वो खड़े हो गये. अब उनका सिर मेरे दोनो बूब्स के बीच में था. फिर हम दोनो 69 की पोज़िशन में आ गये. वो मेरी छूट चाटने लगे, और मैं उनका लंड मूह में लेकर चूसने लगी. दोनो को बहुत मज़ा आ रहा था.

अब मेरी छूट बहुत गीली हो गयी थी फूफा जी के चाटने से. उनका लंड बहुत टाइट हो गया था, जैसे लोहे की रोड हो. फिर फूफा जी ने मुझे टेबल पर बिता दिया, और मेरी टांगे खोल दी. और अब उनका लंड मेरी छूट की तरफ आ गया. फिर फूफा जी धीरे-धीरे अपना लंड मेरी छूट में घुसने लगे.

मेरी छूट बहुत गीली थी, इसलिए उनका लंड बड़े आराम से अंदर घुस रहा था. देखते ही देखते फूफा जी ने पूरा लंड मेरी छूट के अंदर घुसा दिया और प्यार से मुझे छोड़ने लगे. साथ में बूब्स भी दबा रहे थे, और किस्सिंग भी कर रहे थे छोड़ते टाइम.

फूफा जी: बहुत टाइम के बाद किसी की चिकनी छूट छोड़ने के लिए मिली है. आज तुम्हारी चिकनी छूट का बहुत मज़ा लूँगा.

पियू: हा फूफा जी, मुझे भी पहली बार आप जैसा सख़्त लंड वाला मर्द मिला है. ह ओह उफफफफफ्फ़ फूफा जी छोड़ो मुझे, छोड़ो, और छोड़ो और स्पीड बाधाओ. बहुत मज़ा आ रहा है. रुकना मत, मुझे ऐसे ही छोड़ते रहो. तुम्हारा लंड मुझे बहुत मज़ा दे रहा है. पूरा अंदर डालो फूफा जी, बहुत मज़ा आ रहा है. छोड़ते रहो छोड़ते रहो रुकना मत.

अब फूफा जी ज़ोर-ज़ोर से लंड को अंदर घुसा रहे थे, मतलब ज़ोर-ज़ोर से धक्के मार कर मुझे छोड़ रहे थे. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था फूफा जी का लंड अपनी छूट में लेकर छुड़वाने में.

फूफा जी: पियू तुम अपनी टांगे थोड़ी और खोलो. मैं अपना लंड तुम्हारी छूट की गहराई तक घुसना चाहता हू.

पियू: हा फूफा जी मैं भी बहुत मज़ा लेना चाहती हू आपके लंड का.

और फिर मैने अपनी टांगे थोड़ी और खोल दी, ताकि फूफा जी का लंड और अंदर तक घुस जाए. फिर करीब 15 मिनिट बाद फूफा जी ने अपने लंड के माल से मेरी छूट को भर दिया. जब मेरी छूट से उन्होने अपना लंड बाहर निकाला, तब मेरी छूट से माल नीचे तपाक रहा था .

इससे आयेज क्या हुआ, वो नेक्स्ट पार्ट में आपको पता चलेगा.

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