फिंगरिंग करती मेडम को स्टूडेंट ने पेला

ही दोस्तों, मैं थोर अपनी न्यू सेक्स स्टोरी लेके आ गया हू. मेरी पिछली स्टोरीस को प्यार देने के लिए आप सब का धन्यवाद. जिन्होने मेरी पिछली स्टोरीस नही पढ़ी है, वो प्लीज़ पढ़ ले. ये स्टोरी साक्षी की है, जो भोपाल से है. अब आयेज की कहानी उसी की ज़ुबानी सुनिए.

दोस्तों मेरा नाम साक्षी है. मैं 27 साल की हू, और बाइ प्रोफेशन एक टीचर हू. पिछले 2 साल से मैं एक स्कूल में पढ़ा रही हू. मैं दिखने में गोरी और खूबसूरत हू. फिगर मेरा 36-32-36 है. मैं ज़्यादातर लेगैंग्स-कुरती पहनती हू, वो भी टाइट, ताकि मेरी पूरी बॉडी शेप दिख सके. लड़कों को अपनी तरफ आकर्षित करके, और उनको अपने पीछे दूं हिलाते देख मुझे बहुत अछा लगता है.

स्कूल के अलावा मेरा एक कोचैंग सेंटर भी है, जहाँ मैं स्कूल और कॉलेज दोनो के बच्चो को पढ़ती हू. ये कहानी 6 महीने पहले की है, जब मेरे ही एक स्टूडेंट ने मुझे मेरे कोचैंग सेंटर में जाम के पेला. तो चलिए बताती हू सब कैसे हुआ.

जैसा की मैने बताया की मैं स्कूल और कॉलेज दोनो के स्टूडेंट्स को कोचैंग देती हू. उस दिन वो मेरी आखरी क्लास थी, और उसमे कॉलेज के स्टूडेंट्स थे. शाम के 7 बाज चुके थे, और सारे स्टूडेंट्स जेया चुके थे.

मैने लाल रंग की लेगैंग्स और वाइट रंग की कुरती पहनी हुई थी. क्लास लेने के बाद मैं तोड़ा तक गयी थी, इसलिए मैने आराम से चेर पर बैठ कर टेबल पर अपने पैर रख लिए.

आज क्लास में लड़के जब मेरी गांद देख रहे थे, तब मैने उनके लंड को खड़े हुए देखा. इससे मैं भी थोड़ी हॉर्नी हो गयी थी. मेरा ब्रेकप हुए को 2 महीने हो गये थे, और उतना ही वक़्त मुझे छूट में लंड लिए को हो गया था. आज स्टूडेंट्स के लंड देख के मेरी छूट में खलबली मची हुई थी.

फिर मैने सोचा क्यूँ ना तोड़ा छूट को सहला हू. अब कोई आने वाला तो था नही, तो मैने वहीं अपनी कुरती उठाई, और लेगैंग्स और पनटी के उपर से अपनी छूट सहलाने लगी. काफ़ी देर से मेरी छूट को किसी ने च्छुआ नही था, तो छूटे ही उसकी आग भड़क उठी.

पहले मैं धीरे-धीरे अपनी छूट को रग़ाद रही थी, लेकिन फिर मेरी स्पीड तेज़ हो गयी. मेरी पनटी भीगने लगी थी. अब मुझे उपर से मज़ा आना बंद हो गया, तो मैने पाजामी में हाथ डाल कर पनटी के अंदर छूट रगड़ने लगी. बीच-बीच में मैं छूट में उंगली भी डाल रही थी.

मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, और मैं मदहोश हो चुकी थी. मेरी आँखें मज़े से बंद होने लगी. ये सब करते हुए मुझे ये नही पता था की मेरा एक स्टूडेंट मुझे देख रहा था. उसका नाम संजय था, और वो थर्ड एअर का स्टूडेंट था.

जब क्लास ओवर हुई तो वो वॉशरूम गया हुआ था. और जब वो बाहर आने लगा तो उसने मेरा कार्यक्रम देख लिया, और वहीं साइड में च्छूप कर खड़ा हो गया.

मैं आँखें बंद करके अपने काम में लगी हुई थी. इतने में संजय ने अपनी पंत और अंडरवेर उतार दिए. उसका लंड पूरा तन्ना हुआ था, बिल्कुल लोहे ही रोड की तरह. वो मेरे सामने आके खड़ा हो गया, लेकिन मैं तो अपने ध्यान में लगी हुई थी. फिर वो बोला-

संजय: मेडम मैं आपकी कुछ मदद कर सकता हू?

ये सुन कर मैं घबरा गयी, और झट से मैने अपनी आँखें खोली. सामने देखा तो संजय अपना लंड हाथ में लिए खड़ा था. मैने उसको बोला-

मैं: संजय तुम गये नही?

संजय: मेरे वॉशरूम जाने के बाद छुट्टी हुई. बाहर आया तो आपको ये करते हुए देखा. आप चाहो तो इसको लेके मज़ा ले सकती हो.

फिर मेरा ध्यान उसके लंड की तरफ देखा. उसका लंड मोटा, लंबा, और तगड़ा था. लंड देखते ही मुझे खुशी तो बहुत हुई, लेकिन वो मेरा स्टूडेंट था, और मुझसे काफ़ी साल छ्होटा था. फिर मैने उसको कहा-

मैं: संजय ये सही नही होगा. तुम मेरे स्टूडेंट हो.

संजय: किसी को पता ही नही चलेगा तो सही ग़लत कैसे होगा? मैं जानता हू आपको ये चाहिए.

ये बोलते हुए वो मेरे करीब आया, और मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया. उसका लंड हाथ में आते ही मुझे करेंट सा लगा. फिर मैने उसको कहा-

मैं: पक्का तुम किसी को नही बताओगे?

संजय: मा की कसम खा कर कहता हू.

बस फिर क्या था. मैं उसके सामने घुटनो पर बैठ गयी, और उसके लंड को मूह में लेके चूसने लगी. वो आ आ करने लगा, और कमर आयेज-पीछे करके मेरे मूह में धक्के देने लगा. उसका लंड काफ़ी बड़ा था, और मेरे मूह में भी नही आ रहा था.

कुछ देर लंड चुसवाने के बाद उसने मुझे खड़ी किया, और मेरी पाजामी और पनटी उतार कर नीचे से नंगा कर दिया. फिर उसने मुझे टेबल पर पैर नीचे लटका कर बिता दिया. उसके बाद उसने मेरी टाँगें खोली, और नीचे घुटनो पर बैठ कर मेरी छूट चाटने लगा. मैं तो उसके चाटने के स्किल्स देख कर पागल हो गयी. मैं उसका सर अपनी छूट में दबाने लगी.

कुछ देर उसने जाम कर मेरी छूट छाती, और मेरे दाने को चूसा. फिर वो खड़ा हुआ, छूट पर लंड सेट किया, और एक ही धक्के में पेल दिया. मेरी चीख निकली, तो उसने मुझे लीप-लॉक कर दिया. अब वो घपा-घाप मेरी छूट में लंड पेलने लगा. मुझे बड़ा सुकून और मज़ा मिल रहा था. इतने दीनो के बाद लंड छूट में जाने से बहुत मज़ा आ रहा था.

छूट इतना पानी निकाल रही थी, की ठप-ठप और छाप-छाप की आवाज़े आ रही थी. वो तेज़ी से लंड पेले जेया रहा था, और रुक भी नही रहा था. मुझे इतना मज़ा आ रहा था की मैं बोली-

मैं: कम ओं संजय, ज़ोर से करो आ. बहुत मज़ा आ रहा है.

ये बोल कर मैने उपर से भी नंगी हो गयी. फिर उसने चुदाई करते हुए मेरे बूब्स चूसने शुरू कर दिए. छूट में लंड हो, और साथ में बूब्स चूज़ जेया रहे हो, तो चरमसुख मिलना ही है. ऐसा ही चरमसुख मुझे मिला, और मैं झाड़ गयी. संजय अभी भी धक्के मारे जेया रहा था. तकरीबन 10 मिनिट और उसने धक्के मारे, और फिर झाड़ गया.

उसके बाद उसने अपने कपड़े पहने, और वहाँ से चला गया. जाते हुए उसने कहा-

संजय: मेडम दोबारा दिल करे, तो सेवा का मौका ज़रूर देना.

मैने उसकी तरफ देख कर हा का इशारा किया. उस दिन के बाद मैं 4 बार उससे चुड चुकी हू.

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