ड्राइवर के लंड का चस्का लगा मालकिन को

ही फ्रेंड्स, मैं कल्पना केपर अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके आप सब के सामने वापस आ गयी हू. मेरी पिछली कहानी को अपना प्यार देने के लिए आप सब का धन्यवाद. उमीद है की आप इस पार्ट को भी उतना ही प्यार देंगे.

पिछले पार्ट में आप सब ने पढ़ा की कैसे पंकज और मेरी चुदाई शुरू हुई, और उसने मेरी छूट की आग को आचे से बुझा दिया. वो मुझे घोड़ी बना कर छोड़ रहा था, और एंड में उसने अपना माल मेरी गांद पर निकाल दिया. अब आयेज बढ़ते है.

उसका माल निकालने के बाद मैं उल्टी ही बेड पर लेट गयी. मेरी छूट में से अभी भी पानी लीक हो रहा था. इतना मज़ा मुझे पहली बार ज़िंदगी में आया था. फिर मैं वैसे ही लेते-लेते कब सो गयी, मुझे पता ही नही चला.

सुबा मेरी जाग खुली, तो मैं बेड पर नंगी ही पड़ी हुई थी. मेरे उपर एक चादर दी हुई थी. मैने उठ कर देखा तो पंकज कमरे में नही था. मैं फोन लेके उसको कॉल करने ही वाली थी, की तभी मुझे दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आई. मैने दरवाज़े की तरफ देखा, तो पंकज छाई के 2 कप ट्रे में लेके आ रहा था.

मैं उठ कर बैठी हुई थी, और खुद को चादर से ढाका हुआ था. फिर हमारी नज़रे मिली, और पंकज ने मेरी तरफ देख कर स्माइल की. मैने भी उसकी स्माइल का रिप्लाइ स्माइल करके दिया. फिर वो बोला-

पंकज: गुड मॉर्निंग मेडम, ये गरम-गरम छाई बाई पी लीजिए. उसके बाद जल्दी से रेडी हो जाइए, क्यूंकी जाम खुल चुका है, और अब हम निकल सकते है.

मैं हैरान थी, की वो इतना प्रोफेशनल था, की उसने एक बार भी मुझे फील नही कराया की रात को मैं उससे चूड़ी थी. उसके बिहेवियर में कोई चेंज नही था. पिछली रात से पहले वो जैसे मुझसे बात करता था, वैसे ही कर रहा था. उसने मेरे नंगे बदन को भी एक बार भी नही देखा. ये सब चीज़े देख कर मैं उसकी तरफ और अट्रॅक्ट होने लगी.

फिर मुझे छाई देके वो रूम से बाहर चला गया. मैने छाई पी, और रात की चुदाई के बारे में सोच कर मुस्कुराने लगी. छाई पीने के बाद मैं फिरसे लेट गयी, और मेरा हाथ अपने आप ही मेरी छूट पर चला गया. अब मैं अपनी छूट पर हल्के से उंगली फेर रही थी, और चुदाई का सोच कर मज़ा ले रही थी. मेरी छूट हल्की गीली भी हो गयी थी.

फिर मैने सोचा की ये सिर्फ़ एक रात के लिए काफ़ी था. और ये सोच कर मैं उठ गयी, और बातरूम में नहाने चली गयी. बातरूम में जब मैं शवर ले रही थी, तब मैने अपनी बॉडी पर साबुन मलना शुरू किया. जब साबुन मलते हुए मैं बूब्स पर आई, तो बूब्स पर हाथ लगते ही मुझे फिरसे पिछली रात की याद आने लगी. मैं अपने बूब्स दबाने लगी, और निपल्स मसालने लगी.

निपल्स मसालते हुए मेरा एक हाथ फिरसे मेरी छूट पर चला गया. अब मुझसे कंट्रोल नही हुआ, और मैने छूट में फिंगरिंग करनी शुरू कर दी. मैं ज़ोर-ज़ोर से अपनी छूट में फिंगरिंग कर रही थी, और मेरे मूह से श पंकज आहह पंकज निकल रहा था. इस वक़्त मेरी हवस ने मेरे दिमाग़ को काबू कर लिया था.

2-3 मिनिट की फिंगरिंग से मेरी छूट ने पानी की पिचकारी छ्चोढ़ दी, जो शवर के गिरते पानी के साथ ही बह गयी. फिर मैं नहा कर बाहर आ गयी. बाहर आके मैने अपनी लॉयर वाली ड्रेस (ब्लॅक सूट वित वाइट शर्ट) पहनी, और रूम से बाहर आ गयी.

फिर हमने होटेल से चेक-आउट किया, और गाड़ी में बैठ कर निकल गये. 2 घंटे में हम काम वाली जगह पर पहुँच गये. वाहा मुझे 3 घंटे लगे, और वाहा से निकलते-निकलते हमे शाम हो गयी. मैं गाड़ी में बैठी, और पंकज ने गाड़ी ड्राइवर करनी शुरू की.

आज एक नयी चीज़ हुई. आज से पहले मैं हमेशा पीछे वाली सीट पर बैठती थी. लेकिन आज मैं पंकज के साथ ही बैठ गयी. मुझे सब समझ आ रहा था, की मुझमे क्या चेंजस हो रहे थे. लेकिन मैं खुद पर कंट्रोल नही कर पा रही थी. फिर मैं पंकज की तरफ देखने लग गयी. लेकिन वो मेरी तरफ नही देख रहा था.

बाहर अंधेरा हो चुका था, और मेरी वासना फिरसे मुझ पर हावी हो रही थी. मेरा हाथ मेरी टाँगो के बीच था, और मैं अपनी छूट को दबा रही थी. मैने पंत और शर्ट पहनी हुई थी. कोट मैं गाड़ी में बैठते वक़्त ही निकाल चुकी थी. तभी अचानक मुझे पता नही क्या हुआ, की मैने अपना हाथ कपड़ों के उपर से पंकज के लंड पर रख दिया.

जैसे ही मेरा हाथ उसके लंड पर पड़ा, पंकज ने मेरी तरफ सवालिया नज़र से देखा. मैने उसकी तरफ देख कर स्माइल पास कर दी. वो बोला कुछ नही, और अपनी ड्राइविंग पर ध्यान देने लगा. इसको मैने उसकी रज़ामंदी समझा, और उसकी पंत का बटन खोल कर उसकी ज़िप खोल दी.

फिर मैं उसके अंडरवेर के उपर से उसके लंड को सहलाने लग गयी. उसका लंड हरकत करते हुए खड़ा हो रहा था. कुछ ही सेकेंड्स में उसका लंड पूरा तंन कर खड़ा हो गया. मैने फिर उसके अंडरवेर को नीचे किया, और उसका लंड बाहर निकाल लिया. उसका लंड बिल्कुल पिछली रात की तरह लोहे की रोड बन चुका था.

उसके लंड को देखते ही मेरे मूह में पानी आना शुरू हो गया. फिर मैं आयेज को झुकी, और उसके लंड को अपने मूह में डाल लिया. लंड मेरे मूह में जाते ही उसके मूह से हल्की सी आ निकल गयी. फिर मैं उसके लंड को मूह में अंदर-बाहर लेके चूसने लग गयी.

मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था उसका लंड चूसने में. ऐसा लग रहा था जैसे मैं कोई चॉक्लेट चूस रही थी. धीरे-धीरे मैने अपनी स्पीड बधाई, और वो भी आहें भरने लगा. तभी उसने गाड़ी की ब्रेक लगाई, और गाड़ी रोक दी.

इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा. अगर आपको यहा तक की कहानी पढ़ कर मज़ा आया हो, तो इसको अपने फ्रेंड्स के साथ भी ज़रूर शेर करे. कहानी पढ़ने के लिए आप सब का धन्यवाद.

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