दोस्त ने दोस्त की मम्मी को चुदाई के लिए तैयार किया

तो दोस्तों, पिछले पार्ट में पढ़ा की कॉलेज में अब फाइनल एअर चालू हो गया था. मैने अपने दोस्त मनीष की उसकी मनचाही लड़की कोमल के साथ सेट्टिंग करवा दी थी. अब आयेज पढ़ते है.

मैने मनीष की सेट्टिंग तो करवा दी थी. मगर उसकी मम्मी सुमन को कैसे अपना बनौ वो भी मुझे मालूम नही था. मुझे कही ना कही मालूम था की सुमन भी सेक्स के लिए तरसती होगी. क्यूंकी उसका पति तो बाहर रहता था. लेकिन अपने पारंपरिक और पतिव्रता होने की वजह से वो दूसरे मर्द के साथ सेक्स नही कर पाती होगी. एक दिन मनीष मुझसे मिलने मेरे हॉस्टिल के कमरे में आया.

मनीष: और भाई यार, तू आज-कल इतनी पढ़ाई में लग गया है.

महेश: भाई देख मेरा 4त एअर है. इस साल ही प्लेसमेंट लगनी है. अगर ज़िंदगी में आयेज बढ़ना है तो ये सब करना पड़ेगा.

मनीष: तुम इंजिनियरिंग वालो का सही है. कॉलेज के बाद ही कुछ मिलने को रहता है. हम ब.कॉम वालो को सरकारी नौकरी के लिए भटकना पड़ता है.

महेश: चिंता मत कर बेटे, एक बार मुझे नौकरी मिल जाए तो तुझे कोई फिकर नही होगी. ऐसे भी मैं तेरा बाप हू.

मनीष (हेस्ट हुए): यार क्या बात कर दी तूने.

महेश (मज़ाक में): और बेटे, बहू (कोमल) कैसी है?

मनीष: भाई कड़क माल है. उसके कंधे को कल हाथ से पकड़ा था, मज़ा आ गया था.

महेश (हेस्ट हुए): आबे लोदउ, 6 महीने हो गये है, और तूने बस अभी तक उसका कंधा पकड़ा है. सेयेल तू भी क्या करता है.

मनीष: अछा भाई, फिर तू ही दिखा की क्या करना चाहिए.

महेश मोबाइल खोलता है, और मोबाइल की गॅलरी में जाता है. मनीष भी महेश का मोबाइल देख रहा होता है. तभी-

मनीष: आबे मेरी मम्मी की इतनी सारी फोटोस तेरे मोबाइल पे क्या कर रही है? वो भी तूने स्क्रीनशॉट ले रखा है बस.

महेश: सुन भाई, तुझे एक बात बता रहा हू. मुझे तेरी मम्मी बहुत पसंद है, और मैं उसके साथ विवाह करना चाहता हू. इसलिए मैं तुझे बेटा बेटा बुलाता हू.

मनीष (महेश का कॉलर पकड़ते हुए): सेयेल बहनचोड़, तेरी हिम्मत भी कैसे हुई मेरी मम्मी के बारे में ऐसे बात करने की. वो एक मॅरीड लेडी है, जो की एक पतिव्रता औरत है.

महेश (डबल पतले मनीष को डोर करते हुए, और उसको प्यार से समझते हुए): देख मनीष, मेरे से लड़ाई के बारे में सोच मत. मैं तेरी मा छोड़ दे सकता हू इधर ही. सुन मनीष, इस कॉलेज में आ जताक तेरी रॅगिंग नही हुई, क्यूंकी मेरा हाथ तेरे सर पे था. तेरी एक माल लड़की से सेट्टिंग भी करवा दी. तुझे दारू भी पिलाई. भाई बल्कि मैं तो कहता हू की कॉलेज के बाद भी मुझे जब नौकरी मिलेगी तो मैं तुझे पैसे भेजूँगा एक बाप की तरह.

महेश: ये सब मैने तुझे अपना बेटा समझते हुए किया. अब बोल तेरे नये बाप का इतना हक़ नही की वो तेरी को मा को अपनी बीवी बना के उसको पेल सके? वैसे भी तेरा पुराना बाप तो सालों से घर नही आया. तू मुझे ही अपना बाप बना ले.

मनीष (हार मानते हुए): हा भाई, ये बात तुमने सही कही. तुमने मेरे लिए इतना किया तो मैं तुम्हारी मदद करूँगा, अगर तुम मेरे बाप बनना चाहते हो तो.

महेश: ये हुई ना बात. धन्यवाद मेरे बेटे.

मनीष: जी पापा जी.

अब मनीष भी मुझे मदद करने लगा उसकी मा को पाटने में. मैं उनके घर जाता था, तो सुमन आंटी के लिए कभी गुलाब का फूल, कभी चॉक्लेट लेके जाता था, उनको इंप्रेस करने के लिए. जब मैं उनके घर जाता था, तो मनीष बाहर निकल जाता था, जिससे की मैं उसकी मम्मी के साथ ज़्यादा से ज़्यादा टाइम बिता पौ. अब मनीष भी बात-बात में मेरे नाम ज़िकार करने लग गया अपनी मा के सामने, जैसे की डिन्नर टेबल में.

सुमन: मनीष तेरा ये दोस्त महेश कहा का है?

मनीष: मम्मी वो गुजरात का है. वो भी अपनी मम्मी का एक-लौटा बेटा है, और उसके पिता की मौत बचपन में हो गयी थी.

सुमन: इसको शादी कर लेनी चाहिए, नौकरी तो मिल ही जाएगी इसको.

मनीष: मम्मी वो किसी बड़ी उमर की औरत के साथ शादी करना चाहता है, बिल्कुल तुम जैसी.

सुमन ये बात सुन के शर्मा जाती है. मैने फिर एक दिन प्लान बनाया. दीवाली का समय था. मैने सिनिमा की 3 टिकेट ली, और फिर मनीष को फोन पे बोला-

मैं: सुन मनीष, मैने दीवाली के दिन की 3 टिकेट ली है सिनिमा की. मैं तुझे और तेरी मम्मी को लेके सिनिमा घर में अवँगा. फिर वाहा से तू कोई इंपॉर्टेंट काम है बोल के कोमल के घर चला जाएगा मेरी बिके लेके. बाकी का काम मैं संभाल लूँगा.

मनीष: अर्रे पापा जी फुल चुदाई के मूड में हो लगता है. दीवाली के दिन फुल चॉक्लेट बॉम्ब फटेगा.

महेश: सेयेल मसखरी मत कर. तेरे लिए कोमल जैसी फुलझड़ी का जुगाड़ कर दिया है. तो अपने लिए तो चॉक्लेट बॉम्ब ही रखूँगा

फिर दीवाली के दिन मैं मनीष के घर उन दोनो को पिक उप करने जाता हू बिके से. दोस्तों सुमन औंठ क्या क़यामत लग रही थी. ब्लॅक रंग की शिफ्फॉन सारी, चेहरे पे हल्का मेक-उप, और बाल बाँधे हुए. मेरे लंड ने तो विद्रोह कर दिया चड्डी में. सुमन को देखते ही मैं खो गया.

सुमन आंटी: क्या हुआ महेश, कहा खो गये?

मैं: कुछ नही आंटी, बहुत दीनो बाद अपनो के साथ दीवाली मनौँगा. आप तो मेरी अपनी ही हो.

सुमन आंटी हासणे लग गयी.

फिर सुमन को मैने अपने पीछे बिताया और मनीष के दुबले-पतले होने की वजह से उसको आयेज बिताया. ब्रेक लगने की वजह से सुमन के बूब्स मेरी पीठ पे लगते, और मेरा लंड तनटना गया था. मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था. फिर हम सिनिमा हॉल पहुँचे, और वाहा पे मनीष प्लान के मुताबिक कोमल से मिलने चला गया ज़रूरी काम बोल के.

अब सिनिमा हॉल में मैं और सुमन आंटी घुस गये थे. मैने एक-दूं कोने की सीट ली थी, और सिनिमा हॉल भी खाली था. दोस्तों मैने असल में एक ब-ग्रेड मोविए की टिकेट्स ली थी. सुमन को कुछ मालूम नही था इसके बारे में.

सिनिमा चलने लग गयी, तभी एक सेक्स सीन आया. मैने देखा की सुमन आंटी बिना पलके झपकाए उस सीन को देख रही थी. मैने सोचा लोहा गरम था, और अभी हात्ोड़ा मार देता हू. तभी मैने अचानक सुमन के गालों में स्मूच दे दिया.

सुमन (सर्प्राइज़ होते हुए): महेश ये तूने क्या किया?

मैं: सुमन तुम्हारा गोरा सुंदर चेहरा मुझे अब हर जगह नज़र आता है. मैं तुम्हारे बिना अब नही रह सकता हू.

और ये कहते हुए मैने सुमन के बड़े बूब्स पे हाथ दे दिया. फिर जैसे ही वो चिल्लाने वाली थी, मैने उसके होंठो पे स्मूच दे दिया. अब मैं उसके बूब्स दबा रहा था, और उसको स्मूच दे रहा था. मैं उसको इतने ज़ोर से स्मूच दे रहा था, की हमारे स्मूच की आवाज़ बहुत तेज़ आ रही थी. मैं उसके होंठो को चूस रहा था.

लिपस्टिक की वजह से मुझे और मज़ा आ रहा था, और उपर से सुमन से पर्फ्यूम की खुसबु आ रही थी. मैं उसके मुलायम बड़े देसी बूब्स को उसकी सारी के उपर से दबा रहा था, और अब सुमन का विरोध भी कम हो गया. आख़िर हो भी क्यूँ ना, एक औरत को सेक्स के लिए उकसाने के लिए उसके स्टान्नो की अची मालिश ज़रूरी है, जो की मैं आचे से कर रहा था.

मैने सोचा की उसकी चुदाई करने के लिए तो पलंग की ज़रूरत थी. वो तो बहुत गरम माल थी. फिर मैने सोचा की हॉस्टिल में तो कोई नही था. सब अपने घर गये थे दीवाली की वजह से, तो उसको दबा के अपने कमरे में पेलुँगा.

दोस्तों फिर मैने सुमन की सारी को उठा के उसकी छूट में उंगली कर दी. उसकी छूट बहुत मुलायम थी, नरम और गरम थी. थोड़े से बाल थे. उसकी छूट में बहुत पानी आ रहा था, और मैं समझ गया था की ये औरत अब पट्ट गयी थी. अब मैं उसके बूब्स, उसकी छूट, और उसके रसीले होंठो को एक साथ खुश कर रहा था. तभी मैने उठ के बोला-

महेश: चलो सुमन, मेरे हॉस्टिल में चलते है. वाहा पे कमरा खाली है. तुम बहुत गरम माल हो. तुम्हे पलंग में छोड़ने में मज़ा आएगा, वो भी नंगा करके.

सुमन भी अब सेक्स के नशे में आके मुझे हा बोल देती है, और मैं मनीष को फोन कर देता हू.

मैं: मनीष आज रात तो तेरी मा चूड़ने वाली है. तेरी मा कल सुबह ही घर आएगी अब.

दोस्तों कॉमेंट्स में बताइए की कहानी कैसी लगी और अपने ओपीनियन्स देते रहिएगा.

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