दूसरा राउंड होने की वजह से इस बार मेरा लण्ड देर तक आंटी को चोदता रहा। इस बीच आंटी एक दो बार झड़ गई थीं।
इस बार मैंने बिना बोले अपना माल आंटी की चूत में छोड़ दिया।
जैसे ही मेरी एक बूँद आंटी के अन्दर गिरी.. आंटी अपने को मुझसे छुड़ाने लगीं लेकिन मैंने उनको कसकर पकड़ लिया और अपना सारा रस आंटी की चूत में छोड़ दिया।
जब मैंने अपनी पकड़ ढीली की.. तो आंटी बोलीं- तुमने अन्दर क्यों छोड़ा.. अगर मैं प्रेग्नेंट हो गई तो?
मैंने बोला- आंटी, आप समझदार हो, प्रेगनेंट कैसे होते हैं.. आपको पता है।
आंटी हँस कर बोलीं- तुम तो बड़े बदमाश निकले।
फिर हम दोनों ने चाय पी। जब मैं वापिस आने लगा.. तो आंटी बोलीं- आते रहना..
मैं बोला- जी आंटी.. अब तो रोज़ आना पड़ेगा.. आप बस फोन कर दिया करो कि घर पर कोई नहीं है।
उस दिन से लेकर आज तक मैं आंटी को चोद रहा हूँ लेकिन आंटी ने कभी अपनी गांड नहीं मारने दी।
इस बार मेरा आंटी की गाण्ड मारने का पूरा मन है।
आंटी की गाण्ड मारी या नहीं.. ये मैं आपको अपनी अगली स्टोरी में बताऊँगा। अपने मेल ज़रूर भेजिएगा!